Wednesday, 8 June 2016

5 June 20163. विनिवेश व लाभांश से भरेगा खजाना:-

अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर बजटीय लक्ष्य हासिल करने के लिए केंद्र सरकार की निर्भरता चालू वित्त वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) पर बढ़ेगी। फिलहाल कारखानों की रफ्तार में सुधार के खास संकेत नहीं मिलने के चलते प्रत्यक्ष कर राजस्व की रफ्तार इस वर्ष भी धीमी रह सकती है। ऐसी स्थिति में सरकार पीएसयू में विनिवेश व उनसे मिलने वाले लाभांश यानी डिविडेंड को अहम मान रही है। चालू वित्त वर्ष 2016-17 में सरकार ने विनिवेश के जरिये 56,500 करोड़ रुपये की राशि जुटाने का लक्ष्य बजट में रखा है। इसमें से 30,000 करोड़ रुपये पीएसयू में सरकार की हिस्सेदारी बेचने से आएंगे। जबकि 26,500 करोड़ रुपये रणनीतिक बिक्री से जुटाने का लक्ष्य रखा गया है। वित्त मंत्रलय में आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास का कहना है कि इस लक्ष्य को पाने के लिए सरकार अपने रोडमैप पर अमल करेगी। वित्त मंत्रलय के सूत्र बताते हैं कि इसी रोडमैप के मुताबिक वित्त वर्ष के बाकी बचे समय में एक-एक करके पीएसयू में सरकार की हिस्सेदारी को बेचने का सिलसिला चलेगा। सरकार पनबिजली कंपनी एनएचपीसी में 11.36 फीसद हिस्सेदारी की बिक्री से 2,700 करोड़ रुपये जुटाकर सरकार इसकी शुरुआत भी कर चुकी है। चालू वित्त वर्ष में विनिवेश की सूची में करीब 15 पीएसयू को शामिल किया गया है। इनमें कोल इंडिया, एनएमडीसी, एमओआइएल, एमएमटीसी, एनएफएल, नाल्को और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी कंपनियां प्रमुख हैं। इन कंपनियों में से कुछ के शेयरों की बिक्री के लिए सरकार ने मर्चेट बैंकर नियुक्त करने की प्रक्रिया भी शुरू की है। मौजूदा वित्त वर्ष में संसाधन जुटाने की प्रक्रिया में सरकार पीएसयू से मिलने वाले लाभांश को भी काफी अहम मान रही है। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम सरकार को उसकी इक्विटी हिस्सेदारी के अनुपात में हर वर्ष कम से कम 20 फीसद लाभांश देते हैं। माना जा रहा है कि सरकार इस बार मुनाफा कमाने वाले सभी पीएसयू से 30 फीसद लाभांश देने को कहेगी। इसकी खातिर बाकायदा इन पीएसयू के लिए एक दिशानिर्देश तैयार करने पर भी विचार किया जा रहा है। इसके तहत कंपनियों की पूंजी पुर्नसरचना की योजना भी है। सरकार सभी मुनाफा कमाने वाले और भारी नकदी पर बैठे पीएसयू को मुनाफे का 30 फीसद या नेटवर्थ का पांच फीसद (जो अधिक हो) लाभांश के तौर पर देने को कह सकती है। यह नियम सभी 157 मुनाफे वाले पीएसयू पर लागू होगा। इसके अलावा उन विकल्पों पर भी विचार कर रही है, जिनके तहत पीएसयू को सरकारी हिस्सेदारी वाले शेयरों के बायबैक के लिए कहा जा सकता है। इसके लिए 2,000 करोड़ रुपये की नेटवर्थ और 1,000 करोड़ रुपये के नकद व बैंक बैलेंस वाली कंपनियों को चुना जा सकता है। इससे भी सरकार को अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा।

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