Tuesday 31 May 2016

31 May 2016....6. ‘आइएनएस तारमुगली’ नौसेना के बेड़े में शामिल:-

गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) द्वारा देश में ही निर्मित अत्याधुनिक हथियारों से लैस फास्ट अटैक पोत ‘आइएनएस तारमुगली’ 23 मई को नौसेना के बेड़े में शामिल हो गया। इसे पूर्वी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ वाइस एडमिरल एचसीएस बिष्ट ने विशाखापत्तनम डॉकयार्ड में मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत बने इस पोत को नौसेना में कमीशन किया गया। यह पोत पूर्वी तट पर गश्त तथा निगरानी के लिए तैनात किया जाएगा।

31 May 2016...5. चीन ने तीन उपग्रह छोड़े, दो उरुग्वे के :-

चीन ने सोमवार को तीन उपग्रह सफलतापूर्वक छोड़े। इनमें दो उरुग्वे के हैं। चीन का नया जीयुआन थर्ड-2 उपग्रह शांक्सी प्रांत के ताईयुआन सेटेलाइट लांच सेंटर से छोड़ा गया। यह हाई रिजोल्यूशन मैपिंग सैटेलाइट है। यह भू सर्वेक्षण, प्राकृतिक आपदा का पहले से पता लगाने, कृषि विकास, जल संसाधन प्रबंधन तथा शहरीकरण योजना बनाने में उपयोगी सिद्ध होगा। यह रिमोट सेंसिंग प्रणाली की दिशा में चीन का दूसरा उपग्रह है। चीन 2030 तक यह प्रणाली लागू करना चाहता है। इससे पहले जनवरी 2012 में चीन ने हाई डेफिनेशन थ्रीडी तस्वीरें और मल्टी स्पेक्टरल डाटा लेने के लिए जीयुआन थर्ड-1 उपग्रह छोड़ा था।

31 May 2016..4. ब्लीचिंग से तबाही के कगार पर आस्ट्रेलिया की ग्रेट बैरियर रीफ:-

यूनेस्को की विश्व विरासत में शामिल दुनिया की सबसे बड़ी प्रवाल भित्ति को ब्लीचिंग से जबरदस्त नुकसान पहुंचा है। ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों के मुताबिक इसके उत्तर और मध्य भाग का 35 फीसद हिस्सा तबाह हो चुका है। यहां आने वाले पर्यटकों से ऑस्ट्रेलिया को हर साल 3.59 अरब डॉलर (26,229 करोड़ रुपये) की आमदनी होती है।पानी के यादा गर्म होने पर ब्लीचिंग की घटना होती है। इसमें कोरल शैवाल को खुद से अलग कर देता है। इसके कारण वह सख्त और सफेद हो जाता है। इन परिस्थितियों में उसका क्षय शुरू हो जाता है। मामूली नुकसान पर तापमान में गिरावट आने से कोरल सामान्य अवस्था में आ जाता है, लेकिन व्यापक पैमाने पर ब्लीचिंग होने से कोरल के मूल अवस्था में लौटना मुश्किल हो जाता है। वैज्ञानिकों ने उत्तरी और मध्य भाग में बचे 65 फीसद कोरल के समय पूर्व नष्ट होने की भी आशंका जताई है। ये ब्लीचिंग के प्रभाव से खुद को बचाने में असफल साबित हो रहे हैं। ताजा रिपोर्ट से ग्रेट बैरियर रीफ के भविष्य पर प्रश्नचिह्न् लग गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यूनेस्को विश्व विरासत की सूची में शामिल कोरल रीफ को लुप्तप्राय जीवों की सूची में शामिल करने पर पुनर्विचार कर सकता है। पिछले साल मई में यूनेस्को की विश्व विरासत समिति ने ग्रेट बैरियर रीफ को इस श्रेणी में शामिल करने की प्रक्रिया रोक दी थी।

31 May 2016....3. दस अरब डॉलर पार करेगा सॉफ्टबैंक का निवेश:-

- जापानी टेलीकॉम और इंटरनेट दिग्गज सॉफ्टबैंकका अगले 5-10 साल के दौरान भारत में निवेश 10 अरब डॉलर (करीब 670 अरब रुपये) से अधिक हो सकता है। सॉफ्टबैंक के सीईओ मासायोशी सोन ने कहा कि कंपनी भारत में पहली बार एक सौर ऊर्जा परियोजना में 35 करोड़ डॉलर निवेश करेगी। सॉफ्टबैंक के पास जापान की दिग्गज टेलीकॉम कंपनी का स्वामित्व है। इसकी अमेरिकी कंपनी स्ंिपट्र कॉर्प में निर्णायक हिस्सेदारी है। सोन ने कहा, ‘भारत में दो अरब डॉलर (लगभग 134 अरब रुपये) का निवेश कर दिया है। हमारी दिलचस्पी और यादा निवेश में है। भारत में भविष्य अछा है। हमारी दिलचस्पी इंटरनेट कंपनियों के साथ सौर ऊर्जा कंपनियों में भी पैसा लगाने की है। सॉफ्टबैंक भविष्य में निवेश की रफ्तार बढ़ाने पर विचार कर रही है।’ भारत में सॉफ्टबैंक ने स्नैपडील, ओला कैब्स, इनमोबी के अलावा मोबाइल एप हाईक मैसेंजर, हाउसिंग डॉट कॉम, ओयो रूम्स और ग्रोफर्स में भी पैसा लगाया हुआ है। सोन ने कहा, ‘हम भारतीय सौर ऊर्जा क्षेत्र में पहला कदम बढ़ाने जा रहे हैं। हम वहां पहले सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट में 35 करोड़ डॉलर (करीब 2,300 करोड़ रुपये) का निवेश कर रहे हैं। अगले 5-10 वर्षो में हम 10 अरब डॉलर का निवेश कर सकते हैं।’ पिछले साल जून में सॉफ्टबैंक ने भारती एंटरप्राइजेज और ताईवान की कंपनी फॉक्सकॉन टेक्नोलॉजी ग्रुप के साथ मिलकर एक संयुक्त उद्यम बनाने की घोषणा की थी। यह उद्यम 20 गीगावॉट की सौर ऊर्जा का उत्पादन करेगा। परियोजना में तीनों सहयोगी मिलकर करीब 20 अरब डॉलर (1,340 अरब रुपये) का निवेश करेंगे। बिजली उत्पादन लक्ष्य हासिल करना खरीदने वाले रायों के साथ होने वाले समझौतों पर निर्भर करेगा

31 May 2016...2. हामिद अंसारी मोरक्को और ट्यूनीशिया की यात्रा पर:-

विदेश मंत्रालय से सोमवार को मिली जानकारी के अनुसार पिछले पचास बरसों में पहली बार कोई भारतीय उप राष्ट्रपति इन देशों की यात्रा पर है। उत्तर अफ्रीका के इन दो देशों में उप राष्ट्रपति अंसारी अफ्रीकी नेताओं से आतंकवाद, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का विस्तार और निजी क्षेत्र में निवेश के मुद्दों पर बातचीत करेंगे। इसके साथ ही वह अफ्रीका के क्षेत्रीय मुद्दों पर भी बात करेंगे। अंसारी मोरक्को में एक जून तक रहेंगे। वह वहां प्रधानमंत्री अब्देल्लिाह और दो अन्य नेताओं से मिलेंगे। इस यात्र के दौरान शिक्षा, आइटी और सूचना संचार के क्षेत्र में कई सहमति पत्रों पर दस्तखत किए जाएंगे। विदेश मंत्रालय के आर्थिक संबंधों के सचिव अमर सिन्हा ने बताया कि हामिद अंसारी दूसरे दौर की यात्र में 2 और 3 जून को ट्यूनीशिया में रहेंगे। राजनयिक सहयोग के लिए यहां वह भारत-अफ्रीका सम्मेलन में शिरकत करेंगे। उप राष्ट्रपति की यात्रा के लिए इन दो देशों का इसलिए चुनाव किया गया क्योंकि यह दोनों देश लोकतंत्र का उम्दा उदाहरण हैं।

31 May 2016...1.दिवाला कानून पर राष्ट्रपति की मुहर:-

 राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को एक नए कानून को अपनी संस्तुति दे दी। इसमें कंपनियों अथवा व्यक्तियों के दिवालापन की स्थिति से जुड़े मामलों का निस्तारण 180 दिन के भीतर करने का प्रावधान है।सोमवार को जारी एक अधिसूचना के मुताबिक दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता 2016 को राष्ट्रप्रति प्रणब मुखर्जी ने अपनी संस्तुति दे दी है। दिवालापन ऐसी स्थिति से जुड़ा है जहां कोई इकाई या व्यक्ति बकाए का भुगतान नहीं कर पाता है। इस कानून के मुताबिक यदि कोई व्यक्ति अपने दिवालिया होने की प्रक्रिया अथवा परिसमापन की प्रक्रि या को धोखाधड़ी अथवा दुर्भावनापूर्ण मंशा से शुरू करता है तो उसके खिलाफ उचित प्राधिकरण द्वारा न्यूनतम एक लाख रपए और अधिकतम एक करोड़ रपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

Monday 30 May 2016

30 May 2016....6. पहला क्वांटम संचार उपग्रह छोड़ेगा चीन:-

चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज (सीएएस) के एक शीर्ष वैज्ञानिक ने कहा है कि चीन जुलाई में अपना पहला प्रायोगिक क्वांटम संचार उपग्रह प्रक्षेपित करेगा। यह उपग्रह डेटा संप्रेषण की सुरक्षा में सुधार लाने में और हैकरों को विफल बनाने में कारगर होगा। यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी ऑफ चाइना में प्रोफेसर पैन जियानवेई ने कहा, इस उपग्रह के माध्यम से दुनिया का पहला क्वांटम संचार होगा। क्वांटम संचार की खासियत इसकी बेहद उच्चस्तरीय सुरक्षा है क्योंकि क्वांटम फोटॉन को न तो अलग किया जा सकता है और न ही इसकी प्रतिकृति बनाई जा सकती है।

30 May 2016....5. स्विस सरकार के साथ होगी कालेधन पर बात :-

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चार जून से स्विटजरलैंड समेत पांच देशों की यात्र पर जा रहे हैं। वह अफगानिस्तान, कतर, अमेरिका और मेक्सिको भी जाएंगे। स्विटजरलैंड में कालेधन पर भी बात हो सकती है। पीएम मोदी अफगानिस्तान से यात्र से अपने दौरे की शुरुआत करेंगे। यहां भारतीय वित्त पोषित सलमा बांध का उद्घाटन करेंगे। इस बांध का निर्माण 1400 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है। अफगानिस्तान में बांध के उद्घाटन के बाद मोदी कतर रवाना होंगे। कतर की दो दिवसीय यात्र केदौरान मोदी अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी के साथ द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा करेंगे। इसमें आर्थिक संबंधों को गति देने के लिए विशेष तौर पर हाइड्रो कार्बन क्षेत्र शामिल है। कतर दौरे के बाद प्रधानमंत्री स्विटजरलैंड की यात्र पर जाएंगे। मोदी स्विटजरलैंड में राष्ट्रपति जोहान स्नाइडर अम्मान समेत शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात करेंगे। संभावना जताई जा रही है कि प्रधानमंत्री स्विटजरलैंड में भारतीयों के कालाधन का पता लगाने के लिए वहां की सरकार से सहयोग मांगेंगे। मोदी 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान विदेशों में गया कालाधन लाने का वादा किया था। इस वादे को लेकर विपक्षी लगातार सरकार को घेरते रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, दोनों देशों के अधिकारी इस दिशा में एक समझौते पर काम कर रहे हैं। इससे टैक्स से जुड़े मुद्दों को साझा करने का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा। गौरतलब है कि स्विट्जरलैंड सरकार ने 18 मई से एक अध्यादेश पर विचार-विमर्श शुरू किया है। ताकि एक ऐसा तंत्र बनाया जा सके जिससे भारत और दूसरे देशों के साथ कर सूचनाओं के तुरंत आदान-प्रदान का मार्ग प्रशस्त कर सके।

30 May 2016....4. सामाजिक न्याय मंत्रालय को मिलेगा ट्रांसजेंडर के कल्याण का जिम्मा:-

 ट्रांसजेंडर समुदाय के कल्याण का जिम्मा सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय को सौंपने के लिए केंद्र ने नियमों में संशोधन किया है। तीसरे लिंग के खिलाफ अपराध और सामाजिक उत्पीड़न की घटनाओं को रोकने के लिए ट्रांसजेंडर समुदाय और नागरिक समाज की ओर से यह मांग की जा रही थी।इस संबंध में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भारत सरकार (कामकाज का आवंटन) नियम, 1961 में बदलाव की मंजूरी दे दी है। यह नियम केंद्र सरकार के विभागों के कामकाज की व्याख्या करता है। मंत्रिमंडल सचिवालय ने हाल ही में संशोधित नियमों को अधिसूचित किया। अधिकारियों ने बताया कि वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में 4.88 लाख ट्रांसजेंडर हैं। सामाजिक न्याय मंत्रालय एक विधेयक को अंतिम रूप दे रहा है ताकि ट्रांसजेंडर लोगों का संपूर्ण विकास सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक राष्ट्रीय नीति बनाई जा सके और उसका कार्यान्वयन किया जा सके।

30 May 2016....3. पांच देशों की यात्रा पर जाएंगे पीएम मोदी:-

 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चार जून से पांच देशों की यात्रा पर जाएंगे जिसमें अफगानिस्तान, कतर, स्विटजरलैंड, अमेरिका और मैक्सिको शामिल है। मोदी अपनी यात्रा अफगानिस्तान से शुरू करेंगे और वहां भारतीय वित्त पोषित सलमा बांध का उद्घाटन करेंगे जिसका निर्माण 1400 करोड़ रपए की लागत से हुआ है। अफगानिस्तान के बाद मोदी ऊर्जा सम्पन्न कतर जाएंगे और वहां से वह स्विटजरलैंड की यात्रा पर जाएंगे। कतर की दो दिवसीय यात्रा के दौरान मोदी कतर के अमिर शेख तामिम बिन हमाद अल थानी के साथ व्यापक द्विपक्षीय मुद्दों पर र्चचा करेंगे जिसमें आर्थिक संबंधों को गति देने के लिए विशेष तौर पर हाइड्रो कार्बन क्षेत्र शामिल है। स्विटजरलैंड में प्रधानमंत्री मोदी वहां के राष्ट्रपति जोहान स्निडर अम्मानन समेत स्विस नेतृत्व के साथ वार्ता करेंगे और ऐसी संभावना है कि वे स्विटजरलैंड में भारतीयों के कालाधन का पता लगाने के लिए उनसे सहयोग मांगेंगे जिसका वादा वे 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान कर चुके हैं।

30 May 2016....2. सरकार ने बढ़ाई तेल कंपनियों की कमाई तेल कंपनियों का मुनाफा:-

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में गिरावट से भंडारण नुकसान कम होने की बदौलत वित्त वर्ष 2015-16 में तेल विपणन क्षेत्र की सरकारी कंपनियों आईओसीएल, बीपीसीएल और एचपीसीएल के मुनाफे में भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई।सार्वजनिक क्षेत्र की सबसे बड़ी तेल एवं गैस विपणन कंपनी इंडियन आयल कापरेरेशन (आईओसी) का सकल शुद्ध मुनाफा 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष 2015-16 में दो गुणा से अधिक बढ़कर रिकार्ड 11219.22 करोड़ रपए पर पहुंच गया। कंपनी के अध्यक्ष बी. अशोक के अनुसार अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में आई गिरावट के परिणाम स्वरूप भंडारण नुकसान कम होने से रिकार्ड मुनाफा हुआ है। इसके अलावा अंडर रिकवरी (सब्सिडी पर होने वाले व्यय) घटने से भी कंपनी के मुनाफे में भारी बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनी भारत पेट्रोलियम कापरेरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के सकल शुद्ध मुनाफे में 66.05 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई और यह 4806.57 करोड़ रपए से बढ़कर 7981.51 करोड़ रपए पर पहुंच गया। ¨हदुस्तान पेट्रोलियम कापरेरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) को वित्त वर्ष 2015-16 में सकल आधार पर 4921.49 करोड़ रपए का शुद्ध लाभ हुआ जो वित्त वर्ष 2014-15 के 1498.58 करोड़ रपए के मुकाबले तीन गुणा अधिक है। वहीं, आयल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल) का मुनाफा 2608.4 करोड़ रपए की तुलना में 23.17 फीसद गिरकर 2003.91 करोड़ रपए रह गया।अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में रही भारी गिरावट का फायदा सरकार ने आम आदमियों को भले ही न पहुंचाया हो लेकिन तेल कंपनियों को जरूरत पहुंचाया है। कच्चा तेल सस्ता होने के बावजूद सरकार ने तेल कंपनियों पर कीमतें घटाने का दबाव नहीं डाला। जिसकी वजह यह रही कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल सस्ता होने से सरकार ने इसपर शुल्क में बढ़ोतरी करके सारा फायदा खुद लेने की कोशिश की।

30 May 2016....1.बैंकों का एनपीए 5.80 लाख करोड़ पर पहुंचा , इसमें सरकारी बैंकों की हिस्सेदारी 5.30 लाख करोड़ रपए:-

 सरकारी और निजी बैंकों की सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) गत वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में 32.61 प्रतिशत बढ़कर पांच लाख 80 हजार करोड़ रपए पर पहुंच गई, जो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 5.50 प्रतिशत है। इसमें सिर्फ सरकारी बैंकों की हिस्सेदारी ही पांच लाख 30 हजार करोड़ रपए के करीब रही।बीएसई में सूचीबद्ध 25 सरकारी और 11 निजी बैंकों ने अब तक अपने परिणाम घोषित किए हैं। इनमें भारतीय स्टेट बैंक का एनपीए सबसे ज्यादा 98,172.80 करोड़ रपए पर पहुंच गया। पिछले साल 31 दिसंबर में यह 72,791.73 करोड़ रपए रहा था। इसके अलावा पंजाब नेशनल बैंक का एनपीए 55,818.33 करोड़ रपए, बैंक आफ इंडिया का 49,879.13 करोड़ रपए, बैंक आफ बड़ौदा का 40,521.04 करोड़ रपए तथा इंडियन ओवरसीज बैंक का 33,048.63 करोड़ रपए पर पहुंच गया।निजी बैंकों में आईसीआईसीआई का एनपीए सबसे ज्यादा 26,221.25 करोड़ रपए पर रहा। यह 31 दिसंबर 2015 को 21,149.19 करोड़ रपए रहा था। एसबीआई के सूचीबद्ध अनुषंगी बैंकों समेत सभी 25 सरकारी बैंकों का एनपीए 31 दिसंबर 2015 को 3,94,509.02 करोड़ रपए था जो इस साल 31 मार्च को बढ़कर 5,29,655.81 करोड़ रपए हो गया। अब तक परिणाम घोषित करने वाले 11 सूचीबद्ध निजी बैंकों का सकल एनपीए 42,570.72 करोड़ रपए से बढ़कर 49,955.63 करोड़ रपए पर पहुंच गया। सरकार के फरवरी में जारी आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2014-15 में देश का जीडीपी 105.52 लाख करोड़ रपए पर रहा था। इस प्रकार 5.80 लाख करोड़ का एनपीए जीडीपी का 5.5 प्रतिशत है।एनपीए बढ़ने के कारण गत वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में 25 में से 14 सरकारी बैंक नुकसान में रहे। उनका कुल नुकसान 25,484.59 करोड़ रपए रहा। वहीं, 11 निजी बैंकों में से मात्र जम्मू एंड कश्मीर बैंक को ही 56.02 करोड़ रपए का नुकसान हुआ है। सबसे ज्यादा 5,367.14 करोड़ रपए का नुकसान पंजाब नेशनल बैंक को हुआ। उसका एनपीए 34,338.22 करोड़ रपए से बढ़कर 55,818.33 करोड़ रपए पर पहुंच गया।सार्वजनिक क्षेत्र के देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई का शुद्ध मुनाफा जनवरी-मार्च की तिमाही में 66.23 प्रतिशत घटकर 1263.81 करोड़ रपए रह गया।

Sunday 29 May 2016

29 May...2. एक ही अभियान में 22 सेटेलाइट लांच करने का रिकॉर्ड बनाएगा इसरो:-

 अंतरिक्ष अभियानों में अपनी सफलताओं से उत्साहित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) रिकॉर्ड बनाने की तैयारी में है। अगले महीने वह एक ही अभियान में 22 सेटेलाइट लांच करेगा। इसरो के अध्यक्ष किरण कुमार ने बताया कि हाल ही में रियूजेबल लांच व्हीकल के परीक्षण के बाद हम करीब 22 सेटेलाइट लांच करेंगे। काटरेग्राफिक श्रृंखलाओं में से एक सेटेलाइट भी लांच किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगले महीने के अंत में प्रक्षेपण का कार्यक्रम तय किया गया है। कुमार कर्नाटक उद्योग संघ की बैठक से इतर शनिवार को संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे। इससे पहले विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के निदेशक के. सिवन ने कहा था कि इसरो का पोलर रॉकेट पीएसएलवी सी-34 इस प्रक्षेपण के लिए प्रयोग किया जाएगा। इसमें अमेरिका, कनाडा, इंडोनेशिया और जर्मनी के सेटेलाइट होंगे। इसरो ने इससे पहले 2008 में एक ही अभियान में 10 सेटेलाइट अंतरिक्ष में भेजे थे। इसरो ने सोमवार को स्वदेशी स्पेस शटल कहे जाने वाले रियूजेबल लांच व्हीकल का सफल उड़ान परीक्षण किया था। इससे अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए होने वाले खर्च में व्यापक कमी आएगी।

29 May 2016..1.भारत के एनएसजी में प्रवेश पर अमेरिका का खुला समर्थन :-

 दस दिन बाद दो दिन की यात्र पर अमेरिका पहुंच रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए यात्र चुनौतीपूर्ण होगी। इसमें परमाणु आपूर्तिकर्ता देशों के समूह (एनएसजी) में भारत के प्रवेश को लेकर होने वाली वोटिंग पर सरकार की कूटनीति की असल परीक्षा होगी। वैसे तो अमेरिका ने इस मुद्दे पर भारत का खुला समर्थन कर राह आसान करने में मदद की है, लेकिन सरकार मान रही है कि रास्ता अभी आसान नहीं है। दरअसल, चीन की ओर से अटकाए जा रहे रोड़े से पार पाने की चुनौती सबसे बड़ी है।1अमेरिका ने एनएसजी में भारत के प्रवेश के मुद्दे पर विरोध करने वाले देशों को असलियत भी समझाई है। अमेरिकी विदेश विभाग के उप प्रवक्ता मार्क टोनर ने आशा जताई है कि पाकिस्तान इस वास्तविकता को समङोगा और अपने असंतोष को दूर करेगा। पाकिस्तान का मानना है कि भारत के एनएसजी का सदस्य बनने से क्षेत्र में परमाणु हथियारों की होड़ बढ़ेगी। टोनर ने कहा कि हमें यह समझना चाहिए कि एनएसजी में प्रवेश का संबंध हथियारों के मुकाबले या परमाणु हथियारों से कुछ लेना-देना नहीं है। यह परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण इस्तेमाल से जुड़ा मामला है। ओबामा ने ही पिछले वर्ष भारत यात्र के दौरान एनएसजी में भारत के प्रवेश का प्रस्ताव किया था। अमेरिका भारत की मदद कर रहा है, लेकिन उसे मालूम है कि आगे का रास्ता अभी आसान नहीं है। सबसे बड़ा विरोध चीन का है।

Friday 27 May 2016

28 May...8. पोखरण में ब्रह्मोस मिसाइल का सफल परीक्षण:-

 भारतीय वायुसेना ने शुक्रवार को पाकिस्तानी सीमा के निकट जैसलमेर की पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में 290 किलोमीटर तक जमीन पर मार सकने वाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ‘ब्रह्मोस ’ का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। वायुसेना ने इस मिसाइल की एक स्क्वाड्रन (50 मिसाइल) हासिल की है ताकि सीमा के नजदीक स्थित रडार और संचार प्रणाली को निशाना बनाया जा सके। इनके नष्ट होने से वायुसेना के विमान दुश्मन की नजर में नहीं आ पाएंगे। 1 भारत और रूस के संयुक्त उद्यम ‘ब्रrाोस एरोस्पेस’ ने एक बयान में कहा कि अनूठी ‘ब्रह्मोस ’ हथियार प्रणाली ने कई अवसरों पर सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों की दुनिया में अपनी श्रेष्ठता स्थापित की है। मिसाइल शुक्रवार को भी सभी उड़ान मानकों पर खरी उतरी और उसने तय लक्ष्य को पूरी तरह नष्ट कर दिया। ‘ब्रह्मोस ’ नाम भारतीय नदी ब्रह्मपुत्र और रूस की नदी मोस्कवा के नाम को जोड़कर बना है। ‘ब्रह्मोस ’ एरोस्पेस’ के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुधीर मिश्र ने कहा कि ऐसे जटिल मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए वह वायुसेना को बधाई देते हैं।

28 May..7. इंडियन आयल दूसरी सबसे ज्यादा मुनाफा कमाने वाली पीएसयू बनी:-

 इंडियन आयल कापरेरेशन (आईओसी) वित्त वर्ष 2015-16 में 10,399 करोड़ रपए का शुद्ध लाभ दर्ज कर सार्वजनिक क्षेत्र में देश की दूसरी सबसे ज्यादा मुनाफा कमाने वाली कंपनी बन गई है। हालांकि, मार्च तिमाही में भंडार में पड़े माल पर नुकसान के चलते कंपनी का शुद्ध लाभ 80 प्रतिशत घटा है।पेट्रोलियम पदार्थो की बिक्री और रिफाइनरी चलाने वाली इंडियन आयल ने 2015-16 पूरे वित्त वर्ष में 10,399.03 करोड़ रपए का शुद्ध लाभ हासिल किया है। सार्वजनिक क्षेत्र में इससे अधिक मुनाफा आयल एंड नेचुरल गैस कापरेरेशन (ओएनजीसी) ने 16,004 करोड़ रपए का अर्जित किया है। कंपनी के चेयरमैन बी. अशोक ने यहां पत्रकारों से कहा कि कंपनी का शुद्ध मुनाफा उसके पिछले वित्त वर्ष 2014-15 के शुद्ध मुनाफे 5,273.03 करोड़ से लगभग दुगुना है।उन्होंने कहा, ‘‘इस साल हमने लाभ और परिचालन दोनों में बेहतर प्रदर्शन किया है। यह कंपनी द्वारा अब तक का सबसे ज्यादा मुनाफा है और 2009-10 के 10,200 करोड़ के मुनाफे से भी बेहतर है।’ हालांकि, मार्च में समाप्त चौथी तिमाही में कंपनी का शुद्ध लाभ इससे पिछले साल की इसी तिमाही के मुकाबले 80 प्रतिशत घटकर 1,235.64 करोड़ रपए रहा जबकि जनवरी-मार्च 2015 की तिमाही में उसका शुद्ध लाभ 6,285.35 करोड़ रपए रहा था।कंपनी ने कहा कि तेल की कीमतें कम रहने से वर्ष 2015-16 की चौथी तिमाही में कंपनी का कारोबार घटकर 80,449.57 करोड़ रपए रह गया जो पिछले साल की इसी अवधि में 93,830.13 करोड़ रपए रहा था।

28 May...6. भारतीय स्टेट बैंक का मुनाफा 66% घटा:-

देश के सबसे बड़े ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) का एकल शुद्ध मुनाफा 31 मार्च को समाप्त चौथी तिमाही के दौरान 66 प्रतिशत गिरकर 1,263.81 करोड़ रपए रह गया। इस दौरान डूबे कर्ज या एनपीए के लिए बैंक का प्रावधान दोगुना से अधिक हो गया।एसबीआई को पिछले वित्त वर्ष 2014-15 की जनवरी से मार्च की तिमाही के दौरान 3,742.02 करोड़ रपए का मुनाफा हुआ था। एसबीआई ने नियामकीय जानकारी में कहा, ‘‘31 मार्च 2016 को समाप्त तिमाही के दौरान उसकी कुल आय बढ़कर 53,526.97 करोड़ रपए हो गई जो पिछले साल की इसी तिमाही में 48,616.41 करोड़ रपए थी।’ वित्त वर्ष 2015-16 की समीक्षाधीन अवधि के दौरान सिर्फ एनपीए के लिए ही बैंक का प्रावधान बढ़कर 12,139.17 करोड़ रपए हो गया, जो पिछले साल की इसी अवधि में 4,985.83 करोड़ रपए था। कुल मिलाकर जनवरी-मार्च 2016 की तिमाही में आपात स्थितियों के लिए 13,174.05 करोड़ रपए का प्रावधान किया गया जो 2014-15 की इसी तिमाही में 6,943.31 करोड़ रपए था। पूरे वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान बैंक का कुल मुनाफा 24 प्रतिशत घटकर 9,950.65 करोड़ रपए रह गया गया। 2014-15 में एसबीआई का शुद्ध मुनाफा 13,101.57 करोड़ रपए था। एसबीआई ने कहा, ‘‘बैंक की कुल आय 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष में बढ़कर 1,91,843.67 करोड़ रपए हो गई जो 31 मार्च, 2015 को समाप्त वर्ष के दौरान 1,74,972.96 करोड़ रपए थी।’ परिसंपत्ति के मोर्चे पर एसबीआई का सकल एनपीए मार्च 2016 तक कुल ऋण का 6.5 प्रतिशत हो गया।

28 May...5. पूर्वोत्तर के लिए ’मोदी मंत्र‘‘

पूर्वोत्तर में रोजगार का सबसे बड़ा स्रोत बन सकता है साहसिक पर्यटन:- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में साहसिक पर्यटन रोजगार का सबसे बड़ा स्रेत बनकर उभर सकता है। उन्होंने इन क्षेत्र के राज्यों से इसके विकास और बढ़ावे का अनुरोध किया।मोदी ने उत्तर पूर्व परिषद (एनईसी) के 65वें पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि अगर अच्छे से विकसित किया जाए और बढ़ावा दिया जाए, तो यह क्षेत्र में रोजगार का सबसे बड़ा सोत बनकर उभर सकता है। यह क्षेत्र की वृद्धि और आय में भी योगदान दे सकता है। उन्होंने कहा कि उत्तर-पूर्व क्षेत्र के सभी राज्यों को प्राकृतिक सुंदरता, विशेष ऐतिहासिक सांस्कृतिक एवं समुदाय धरोहर का वरदान प्राप्त है। मोदी ने कहा, ‘‘यह सब कुछ क्षेत्र में पर्यटन के अपार गुंजाइश पेश करता है। क्षेत्र में पर्वतारोहण, ट्रेकिंग और साहसिक पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं।’ पर्यटन मंत्रालय के ‘‘थेमैटिक सर्किट’ का सर्वश्रेष्ठ प्रयोग करने की जरूरत को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र पड़ोसी देशों के कुछ लोकप्रिय पर्यटन स्थलों को जोड़ने की सोचकर पर्यटकों के लिए आकर्षण बढ़ा सकता है। पूर्वोत्तर को दक्षिण पूर्व एशिया का द्वार बताते हुए उन्होंने कहा कि इसका लाभ उठाने की जरूरत है।मोदी ने इस संबंध में अपनी सरकार की उपलब्धियों को बताते हुए कहा, ‘‘हम अपने पड़ोसी देशों के लिए सड़क और रेल मार्ग दोनों खोल रहे हैं। यह क्षेत्र के आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा।’ प्रधानमंत्री के अनुसार, आज तक दस हजार करोड़ रपए से अधिक की कुल लागत से 1001 किलोमीटर के क्षेत्र में पूर्वोत्तर राज्यों की 34 सड़क परियोजनाओं को उत्तर पूर्व के लिए विशेष राजमार्ग निर्माण एजेंसी राष्ट्रीय राजमार्ग एवं आधारभूत विकास निगम द्वारा लागू किया गया है। उन्होंने बांग्लादेश के सहयोग से पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए इंटरनेट कनेक्टिविटी परियोजना को रेखांकित किया।बिजली के संबंध में प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र ने ज्यादा क्षेत्रों में बिजली सुनिश्चित करने के लिए करीब 10 हजार करोड़ की लागत से सभी आठ पूर्वोत्तर राज्यों के लिए बिजली ट्रांसमिशन परियोजनाओं में निवेश किया है। रेलवे के मामले में उन्होंने कहा कि करीब दस हजार करोड़ रपए की लागत से क्षेत्र में बड़ी रेलवे विस्तार परियोजनाएं चलाई गई हैं।

28 May...4. चाबहार समझौते से पाकिस्तान में मचने लगी खलबली:-

 भारत-ईरान-अफगानिस्तान के बीच चाबहार समझौते से पाकिस्तान के भीतर खलबली मच गई है। नौबत यहां तक आ गई कि पाकिस्तान में ईरानी राजदूत को कहना पड़ गया कि ग्वादर बंदरगाह का चाबहार बंदरगाहविरोधी नहीं है और भविष्य में इसमें पाकिस्तान और चीन के शामिल होने का रास्ता खुला हुआ है। मध्य एशिया में भारत का दबदबा बढ़ने की आशंका के साथ ही पाकिस्तान में सबसे बड़ी बेचैनी अफगानिस्तान की उस पर निर्भरता खत्म होने को लेकर है। 
दरअसल पाकिस्तान ने ब्लूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह के जरिये आर्थिक विकास के बड़े मंसूबे पाल रखे थे। चीन न सिर्फ इस बंदरगाह का विकास कर रहा है, बल्कि यहां तक पहुंचने के लिए सड़क भी बना रहा है। पाकिस्तान में इसे विकास के गलियारे के रूप में देखा जा रहा था। पाकिस्तान में इससे विकास की असीम संभावनाओं के द्वार खुलने के कयास लगाए जा रहे थे। लेकिन, चाबहार बंदरगाह के लेकर भारत के समझौते के बाद विकास का यह सपना टूटने लगा है। चाबहार बंदरगाह के रास्ते भारत न सिर्फ अफगानिस्तान बल्कि मध्य एशिया के अन्य देशों के साथ सीधे व्यापार कर सकता है। एक बार चाबहार बंदरगाह पर पहुंचने के बाद भारतीय माल रेल और सड़क मार्ग से मध्य एशिया में कहीं भी पहुंच सकता है। जो पाकिस्तान के बीच में होने के कारण संभव नहीं हो पा रहा था। 1भारत के लिए जो असीम संभावनाओं का दरवाजा है, वही पाकिस्तान की उम्मीदों पर पानी फेरने वाला साबित हो सकता है। ग्वादर बंदरगाह के सिर्फ चीनी इस्तेमाल तक सीमित होने की आशंका है। क्योंकि अफगानिस्तान की मदद के बिना यहां से मध्य एशिया तक पहुंचना मुश्किल होगा। जबकि, चाबहार बंदरगाह अफगानिस्तान की पाकिस्तान पर निर्भरता पूरी तरह खत्म कर देगा। चारों तरफ जमीन से घिरे अफगानिस्तान को चाबहार बंदरगाह से समुद्री व्यापार से जुड़ने का रास्ता मिल जाएगा। इसके लिए अफगानिस्तान को पाकिस्तान पर निर्भर रहना पड़ता था। 
ईरान और अमेरिका के बीच कटु संबंधों को देखते हुए पाकिस्तान ने मान लिया था कि पिछले 13 सालों से लंबित चाबहार समझौता कभी सफल नहीं होगा। लेकिन भारत न सिर्फ यह समझौता करने में सफल रहा, बल्कि अमेरिका ने इस पर मुहर भी लगा दी है।

28 May...3. सड़क से पुरानी गाड़ियों को हटाने का खाका पेश :

वॉलंटरी व्हीकल फ्लीट मॉडर्नाजेशन प्रोग्राम:- केंद्र सरकार ने प्रदूषण फैला रहे 11 साल से ज्यादा पुराने करीब दो करोड़ 80 लाख वाहन सड़क से हटाने के लिए प्रोत्साहन का प्रस्ताव किया है। प्रस्ताव के तहत पुराना वाहन सरेंडर करने पर नई गाड़ी की कीमत पर 12 फीसद तक की छूट मिलेगी। पुराना वाहन बेचने वालों को गाड़ी के वजन के अनुसार उचित कीमत, नए की खरीद पर उत्पाद शुल्क में 50 फीसद तक छूट और निर्माता की ओर से विशेष डिस्काउंट का इंतजाम किया गया है। इसके दायरे में 31 मार्च, 2005 से पहले खरीदे गए वाहन आएंगे। 
सरकार ने पुराने और अनफिट वाहनों को सड़क से हटाकर उनकी जगह नई गाड़ियों की खरीद को प्रोत्साहित करने के लिए वॉलंटरी व्हीकल फ्लीट मॉडर्नाजेशन प्रोग्राम (वी-वीएमपी) का लाने का प्रस्ताव किया है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रलय ने इसका मसौदा जारी कर 14 दिन के भीतर लोगों से सुझाव व आपत्तियां मांगी हैं। वी-वीएमपी के तहत लगभग 2.8 करोड़ पुरानी गाड़ियों की जगह खरीदे जाने वाले नए वाहन बीएस-4 उत्सर्जन मानक वाले होंगे। इस मानक को अप्रैल, 2017 से अनिवार्य किया जा रहा है। पुरानी के बदले नई सरकारी बसों की खरीद पर एक्साइज ड्यूटी से पूरी छूट मिलेगी। पुराने वाहनों को तोड़ने और स्क्रैप के रूप में बेचने के लिए जगह-जगह रीसाइक्लिंग व श्रेडिंग सेंटर स्थापित किए जाएंगे। सरकार का मानना है कि स्कीम लागू होने पर मझोले व भारी कॉमर्शियल वाहनों के कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन में 17, हाइड्रोकार्बन व नाइट्रोजन ऑक्साइड में 18 फीसद तथा सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर (एसपीएम) उत्सर्जन में 24 फीसद की कमी आएगी। हल्के कॉमर्शियल वाहनों से उत्सर्जन में कमी क्रमश: चार, एक तथा तीन फीसद होगी। पैसेंजर कारों के मामले में यह कमी दो, एक व दो फीसद तथा दोपहियों/तिपहियों में क्रमश: 17, 18 और 24 फीसद होगी। देश में तकरीबन 18 करोड़ पंजीकृत वाहन हैं। 25 साल में इनमें आठ गुना बढ़ोतरी हुई है। इनमें ट्रक व बस केवल 2.5 फीसद हैं, लेकिन करीब 60 फीसद प्रदूषण करते हैं। इनमें भी 11 साल से ज्यादा पुराने वाहनों की प्रमुख भूमिका है।

28 May....2. आतंकवाद से मिलकर लड़ेंगे भारत और चीन:-

 राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के जैश-ए-मुहम्मद सरगना मसूद अजहर का मामला उठाए जाने के अगले ही दिन चीन ने कहा कि वह भारत के साथ आतंकवाद के खिलाफ सहयोग को और बढ़ाएगा। यह सहयोग संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बढ़ेगा। प्रणब ने भारत-चीन के 70 साल पुराने संबंधों को याद करते हुए संयुक्त राष्ट्र में मसूद अजहर से संबंधित भारतीय प्रस्ताव को रोके जाने पर असंतोष जताया था। 
दोनों देशों ने प्रणब मुखर्जी की चार दिवसीय चीन यात्र को बेहद सफल और फलदायी करार दिया है। चीनी विदेश मंत्रलय के प्रवक्ता हुआ चुनइंग ने कहा, दोनों देश अपने अच्छे पारंपरिक संबंधों को आगे बढ़ाने को तैयार हैं। हम अपने सहयोग को और गहराई तक ले जाना चाहते हैं और द्विपक्षीय संबंधों में विकास चाहते हैं। प्रवक्ता ने कहा कि आतंकवाद हम दोनों देशों का दुश्मन है। हम हर स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ अपने सहयोग को बढ़ाएंगे। उन्होंने यह बात संयुक्त राष्ट्र में अजहर से संबंधित प्रस्ताव पर सवाल के जवाब में कही। गुरुवार को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ वार्ता में प्रणब ने आतंकवाद पर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर एकजुट होने की जरूरत बताई थी। कहा था कि आतंकवादी बुरे और अच्छे नहीं होते। प्रवक्ता ने बताया कि उच्च स्तर पर दोनों देश आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त कार्यशैली को बेहतर बनाने पर राजी हुए हैं। प्रणब से वार्ता में शी ने रेलवे, औद्योगिक विकास, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट समेत कई विकास योजनाओं में सहयोग का प्रस्ताव किया। प्रवक्ता ने बताया कि हम अपने मतभेदों और विवादों को शांतिपूर्ण तरीकों से सुलझाएंगे। ये हमारे ताजा सहयोगों पर असर नहीं डालेंगे। भारत और चीन के बीच अरुणाचल प्रदेश से लगने वाली सीमा, अक्साई चिन समेत कई विवादित मामले हैं। हुआ ने बताया कि दोनों देशों के बीच व्यापार असमानता पर भारत ने चिंता जताई है। चीन भारत में 70 अरब डॉलर (चार लाख अड़सठ हजार करोड़ रुपये) का व्यापार करता है जबकि भारत 48 अरब डॉलर (तीन लाख इक्कीस हजार करोड़ रुपये) का ही व्यापार कर पाता है।

28 May 2016.....1.हिरोशिमा से ओबामा का एटम बम खात्मे का आह्वान:-

परमाणु निशस्त्रीकरण के जापान के संकल्प के प्रति प्रतिबद्धता जताने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा शुक्रवार को दुनिया के पहले परमाणु (एटम) बम पीड़ित शहर हिरोशिमा पहुंचे। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान छह अगस्त, 1945 को अमेरिका द्वारा परमाणु बम डाले जाने के करीब 71 साल बाद पीड़ित शहर में पहुंचने वाले वह पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बने। डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों के मारे जाने वाली इस घटना पर ओबामा ने क्षमा याचना तो नहीं की लेकिन स्मृति स्थल पर आंखें बंद कर और सिर झुकाकर मृतकों को श्रद्धांजलि जरूर दी। माना जा रहा है कि ओबामा के इस दौरे से विश्वयुद्ध की दुश्मनी भुलाकर दोस्त बने जापान और अमेरिका और नजदीक आएंगे। 1श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद ओबामा ने कहा, हमें विचार करना चाहिए कि ऐसी स्थितियां न पैदा हों कि सेनाओं को इतने भयानक निर्णय लेने पड़ें। हमें बमबारी में हुई मौतों के लिए दुख है। हम उस भयानक युद्ध में मारे गए निदरेष लोगों को हमेशा याद रखें। दुनिया को परमाणु हथियार मुक्त बनाएं।

Thursday 26 May 2016

27 May 2016...6. खाद्य मूल्य बढ़े तो 49 अरब डालर का नुकसान:-

 भविष्य में वैश्विक खाद्य मूल्य बढ़े तो भारत के सकल घरेलू उत्पाद को 49 अरब डालर का नुकसान उठाना पड़ सकता है। यह बात संयुक्त राष्ट्र की एक नई रपट में कही गई है जिसमें कहा गया है कि बढ़ती आबादी के कारण विश्व को खाद्य मूल्यों में ज्यादा उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है।संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में विभिन्न देशों पर नियंतण्र खाद्य जिंस मूल्य दोगुना होने की स्थिति पड़ने वाले प्रभाव का जिक्र किया गया है। रपट में कहा गया कि यदि नियंतण्र खाद्य मूल्य दोगुना होता है तो चीन के जीडीपी में 161 अरब डालर की कमी आएगी और भारत को 49 अरब डालर का नुकसान उठाना पड़ेगा। उन्होंने कहा, ‘‘खाद्य की मांग और आपूत्तर्ि के बीच बढ़ते असंतुलन के कारण भविष्य में विश्व को ज्यादा और उतार-चढ़ाव भरे खाद्य मूल्य से जूझना पड़ेगा।बढ़ती आबादी और आय के कारण खाद्य पदार्थों की मांग और बढ़ेगी जबकि जलवायु परिवर्तन और संसाधन की कमी खाद्य उत्पादन में बाधा पहुंचेगी।’रपट में 110 देशों पर नियंतण्र खाद्य मूल्य के झटके के असर का अध्ययन किया गया है ताकि यह आकलन किया जा सके कि कौन से देश इस बढ़ते असंतुलन से सबसे अधिक जोखिम में हैं। खाद्य जिंस मूल्य दोगुना होने की स्थिति में अधिक आर्थिक नुकसान के खतरे वाले देशों में अफ्रीकी देश बेनिन, नाइजीरिया, कोट डीलवॉयर, सेनेगल और घाना शामिल हैं। लेकिन चीन के सकल घरेलू उत्पाद को सबसे अधिक नुकसान होगा। यह 161 अरब डालर के बराबर रहने का अनुमान है जो न्यूजीलैंड के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के बराबर है।दूसरा सबसे अधिक 49 अरब डालर का नुकसान भारत के सकल घरेलू उत्पाद में होगा जो क्रोएशिया के कुल सकल घरेलू उत्पाद के बराबर है। इसमें कहा गया कि विभिन्न देशों का जोखिम उनके खाद्य व्यापार और उनके यहां खाद्य जिंसों पर परिवारों की खर्च होने वाली आय के हिस्से पर निर्भर करेगा। मिस, मोरक्को और फिलिपीन जैसे देश जहां उच्च खाद्य जिंस आयात और उच्च परिवारिक व्यय जुड़े होते हैं उनके वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद सबसे अधिक प्रभावित होंगे, चालू खाते का संतुलन प्रभावित होगा और मुद्रास्फीति बढ़ेगी।चीन, इंडोनेशिया और तुर्की समेत बहुत से उभरते बाजार भी इससे प्रभावित होंगे क्योंकि उनके यहां भी परिवारों की आय का एक बड़ा हिस्सा खाद्य जिंसों पर खर्च होता है।

27 May 2016...5. जी-7 : अर्थव्यवस्था, सुरक्षा पर होगी चर्चा:-

 जापान के इसेशिमा में बृहस्पतिवार से शुरू हुए जी-7 देशों के दो दिवसीय सम्मेलन में अर्थव्यवस्था, सुरक्षा और पूर्वी व दक्षिण चीन सागर में बढ़ रहे तनाव पर र्चचा होगी। जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे जी-7 देशों के नेताओं के साथ धार्मिक स्थल शिंतो भी गए। इस बीच, जी-7 के नेताओं से शरणार्थी संकट पर नियंतण्र एकजुटता का आह्वान भी किया गया। यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष डोनाल्ड टस्क ने कहा कि शरणार्थी संकट के संबंध में नियंतण्र समुदाय को एकजुटता दिखानी चाहिए। जी-7 समूह में ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और अमेरिका शामिल है।जापान में परमाणु हमले से बचे तीन लोग ओबामा के समारोह में होंगे शरीक : अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा की हिरोशिमा यात्रा के समय शुक्रवार को उनके समारोह में परमाणु हमले से बचे तीन लोग भाग लेंगे। ओबामा उस स्थान पर भी जाएंगे, जहां अमेरिका ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान पहला परमाणु बम गिराया था। दूसरी ओर बृहस्पतिवार को ओबामा कहा, ‘‘मैं एक बार फिर उन बहुत वास्तविक खतरों को, जो वहां सामने हैं और उस आवश्यकता की भावना को, रेखांकित करना चाहता हूं जो हम सबमें होनी चाहिए।’ उन्होंने कहा कि उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम से उत्पन्न खतरे के बारे में उसके पड़ोसी देश चीन के साथ-साथ दूसरे देशों से भी बातचीत की जा रही है।

27 May 2016..4. भारत से बड़े रक्षा सहयोग के लिए अमेरिका तैयार:-

चीन की आक्रामक सैन्य तैयारी के बीच अमेरिकी संसद ने दलगत भावना से ऊपर उठकर भारत के साथ मजबूत सैन्य संबंध स्थापित करने के लिए ओबामा सरकार से कहा है। अमेरिकी संसद के उच सदन सीनेट में भारत के साथ मजबूत रक्षा संबंधों के पेश प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान सांसदों ने भारतीय सेना के आधुनिकीकरण के लिए अत्याधुनिक तकनीकी दिए जाने की वकालत की। शक्तिशाली विदेशी मामलों की समिति के अध्यक्ष सांसद बॉब कॉर्कर ने कहा कि यह जरूरी हो गया है कि वाशिंगटन और दिल्ली एक साथ खड़े होकर लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करें। हिन्द और प्रशांत महासागर क्षेत्र को मजबूत करें। ऐसे में जबकि चीन इलाके में अपना प्रभाव बढ़ा रहा है, तभी दोनों देशों के साथ आने की जरूरत और बढ़ जाती है। पिछले बीस साल में अमेरिका और भारत के संबंधों का महत्व बदला है। इस समय दोनों देशों के बीच अभूतपूर्व राजनीतिक, आर्थिक और सामरिक साङोदारी है। इस साङोदारी को और मजबूत किए जाने की जरूरत आ गई है। अब वैश्विक स्तर पर सहयोग के लिए दोनों देशों के बीच मजबूत रक्षा सहयोग जरूरी है। वरिष्ठ सांसद बेन कार्डिन ने कहा, भारत और अमेरिका के बीच बहुत सारी चीजें एक जैसी हैं। चीन की गतिविधियां खासतौर पर दक्षिण चीन सागर की स्थिति भारत और अमेरिका को साथ काम करने के लिए हालात बना रही हैं। दोनों देशों के बीच मजबूत रक्षा सहयोग जरूरी है। उन्होंने कहा कि हमें आतंकवाद विरोधी अभियान में साथ काम करना है। हमें 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले को नहीं भूलना है। सांसद मार्को रूबियो ने कहा, हम भारत को चीन के संतुलन में तैयार होता देख रहे थे। लेकिन यहां मामला इससे भी बढ़कर है। भारत में बहुत ज्यादा संभावनाएं विद्यमान हैं। वह हमारे द्विपक्षीय संबंधों के लिए पूरी तरह से विश्वसनीय है। चर्चा में सांसद टिम कैन ने भारत के साथ मिलकर रक्षा के क्षेत्र में बड़े काम किए जाने की आवश्यकता जताई। उन्होंने 2014 में मझगांव डॉकयार्ड के अपने दौरे का जिक्र किया, जहां नौसेना के लिए जहाज बनाए जा रहे थे।

27 May 2016...3. विलफुल डिफॉल्टर नहीं बन सकेंगे कंपनियों में डायरेक्टर:-

जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वाले यानी विलफुल डिफॉल्टरों पर शिकंजा कसता जा रहा है। बैंकों के बाद बाजार नियामक सेबी ने भी इन पर दबाव बनाया है। नियामक ने ऐसे लोगों के लिए शेयर बाजार से धन जुटाने का रास्ता बंद कर दिया है। यही नहीं अब ये डिफॉल्टर सूचीबद्ध कंपनियों के निदेशक मंडल में भी कोई पद नहीं संभाल सकेंगे। सेबी ने इस संबंध में नियमों में संशोधन किया है। बाजार नियामक ने जानबूझकर चूक करने वालों के लिए म्यूचुअल फंड और ब्रोकरेज फर्म जैसी बाजार की मध्यस्थ संस्थाओं के गठन पर भी रोक लगाई है। ये तमाम कदम इसलिए उठाए गए हैं, ताकि डिफॉल्टरों के लिए धन जुटाने के स्रोतों पर अंकुश लगाया जा सके। नियमों में बदलाव करते हुए ऐसे डिफॉल्टरों पर किसी अन्य सूचीबद्ध कंपनी का नियंत्रण अपने हाथ में लेने पर भी रोक लगाई गई है। सेबी की इस पहल को यूबी ग्रुप के चेयरमैन विजय माल्या पर जारी विवाद को देखते हुए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।माल्या पर बैंकों का 9,000 करोड़ रुपये बकाया है। वे इसकी वसूली के लिए पुरजोर कोशिश में जुटे हैं। जबकि माल्या देश छोड़कर निकल चुके हैं। माल्या ने हाल ही में यूनाइटेड स्प्रिट्स के चेयरमैन व डायरेक्टर पद से इस्तीफा दिया है। कंपनी के नए मालिक डियाजियो के साथ समझौता होने के बाद उन्होंने यह पद छोड़ा। यह और बात है कि वह कुछ अन्य कंपनियों के बोर्ड में बने हुए हैं। बुधवार से प्रभावी सेबी के नए नियम हर ऐसे व्यक्ति और कंपनी पर लागू होंगे, जिसे रिजर्व बैंक के मानदंडों के अनुसार विलफुल डिफॉल्टर घोषित किया गया है। सेबी ने 25 मई को जारी एक अधिसूचना में कहा कि यदि कंपनी या इसके प्रमोटर या डायरेक्टर विलफुल डिफॉल्टर की सूची में शमिल होते हैं तो पब्लिक इश्यू, डेट सिक्योरिटी या गैर-परिवर्तनीय तरजीही शेयर जारी नहीं कर सकेंगे।हालांकि, नियम कहते हैं कि अगर कंपनी या इसके प्रमोटर या डायरेक्टर विलफुल डिफॉल्टर की सूची में हैं और उस सूचीबद्ध कंपनी के संदर्भ में अधिग्रहण की पेशकश की गई है तो उन्हें प्रतिस्पर्धी पेशकश करने की अनुमति होगी। विलफुल डिफॉल्टर की सूची में होने पर किसी संस्था को नए पंजीकरण की मंजूरी नहीं दी जाएगी।सेबी का कहना है कि जानबूझकर चूक करने पर बैंकों से फंड मिलने का रास्ता बंद होने के बाद कुछ डिफॉल्टर धन जुटाने के लिए इक्विटी और डेट मार्केट का रुख करते हैं। जानकारी का अभाव होने के कारण छोटे निवेशक इनके चक्कर में फंस जाते हैं।

26 May 2016..2. अच्छा और बुरा आतंकवादी नहीं होता : प्रणब:-

आतंकवाद के मसले पर संयुक्त राष्ट्र समेत सभी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत ने चीन से सहयोग की इच्छा व्यक्त की है। भारत ने साफ किया कि अच्छे और बुरे आतंकवादी जैसी कोई चीज नहीं होती, क्योंकि उनकी कोई विचारधारा नहीं होती। भारत ने बीजिंग से यह भी कहा कि भविष्य की परमाणु व्यवस्था में उसे सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिए। ग्रेट हाल ऑफ द पीपुल में गुरुवार को अपने चीनी समकक्ष शी चिनफिंग से मुलाकात में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने यह बात कही। इस दौरान चीनी नेतृत्व ने राष्ट्रपति की चीन यात्र की सराहना की। यही नहीं, राष्ट्रपति के लंबे राजनीतिक करियर के दौरान दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत करने में उनकी सकारात्मक भूमिका को भी स्वीकार किया गया। हालांकि इस दौरान मतभेदों को भी माना गया। चिनफिंग ने प्रणब को अच्छा व्यक्ति और चीन का पुराना दोस्त बताया। दोनों नेताओं की बातचीत से पहले भारतीय राष्ट्रपति को 21 तोपों की सलामी दी गई। दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडलों के बीच करीब 80 मिनट की वार्ता के बाद विदेश सचिव एस. जयशंकर ने बताया कि दोनों पक्षों ने एक दूसरे की संवेदनशीलता और चिंताओं का सम्मान करने की जरूरत पर जोर दिया।राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सहयोग और भविष्य की परमाणु व्यवस्था की जरूरत का मुद्दा उठाने को काफी अहम माना जा रहा है। क्योंकि जैश ए मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने की संयुक्त राष्ट्र में पहल पर चीन ने अड़ंगा लगा दिया था। इसी तरह न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप (एनएसजी) में भारत के प्रवेश को भी चीन इस आधार पर रुकवाने की कोशिश कर रहा है कि भारत ने नॉन प्रोफिलरेशन ट्रीटी (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। खास बात यह रही कि चीन की प्रेसवार्ता में कहा गया कि एनएसजी में भारत के सीधे प्रवेश पर कोई चर्चा नहीं हुई। दोनों नेताओं ने परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण इस्तेमाल को रेखांकित किया और इस दिशा में सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की।

27 May 2016,,,,,1.अफगानिस्तान में भारतीय कूटनीति की हनक:-

 अफगानिस्तान को लेकर भारतीय कूटनीति का असर दिखाई देने लगा है। चार वर्ष पहले अमेरिका के अफगानिस्तान से सेना वापस बुलाने के एलान पर तालिबान के फिर हावी होने और पाकिस्तान की पुरानी हरकतें शुरू होने की आशंकाएं अब खत्म हो चुकी हैं। अफगानी राष्ट्रपति अशरफ घानी की हिचक भी टूट चुकी है और उन्होंने बता दिया है कि शांति के लिए उन्हें भारत पर ही दांव लगाना होगा। हाल ही में अफगान सरकार और हिब-ए-इस्लामी के मुखिया गुलुबुद्दीन हिकमतयार के बीच हुए समझौते को भी भारतीय पक्ष में ही देखा जा रहा है। हिकमतयार को भारत का समर्थन हासिल है और इनके अफगान की राजनीति में सक्रिय होने से तालिबान को हाशिये पर रखने में मदद मिलेगी। इस समझौते को अमेरिका का भी समर्थन हासिल है। भारतीय विदेश मंत्रलय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने अफगानिस्तान के एक बड़े हिस्से में कभी काफी सक्रिय रहे हिकमतयार के साथ हुए समझौते का स्वागत करते हुए कहा, ‘हम ऐसी हर पहल का स्वागत करते हैं जो अफगान की जनता व वहां के नेतृत्व ने शुरू किया हो। यह समझौता वहां शांति व स्थायित्व बहाली में बड़ी मदद करेगा। इससे वहां सक्रिय अन्य समूह भी सबक सीखेंगे और शांति स्थापित करने के लिए अफगान सरकार की प्रक्रिया में हिस्सा बनेंगे।’ बताते चलें कि अमेरिकी सरकार ने भी कुछ इसी तरह की प्रक्रिया जताई है। अमेरिका व भारत की लगातार कोशिश है कि तालिबान को हाशिये पर रख कर वहां के अन्य समूहों को शांति प्रक्रिया में शामिल किया जाए। सूत्रों के मुताबिक भारत पिछले एक दशक से यादा समय से अफगानिस्तान के लिए एक समान नीति अपनाये हुए है। इस नीति के केंद्र में है कि हम चाहते हैं कि अफगान का भविष्य वहां की जनता ही तय करे। दूसरा, भारत अफगानिस्तान को एक आधुनिक लोकतांत्रिक देश के तौर पर उभरने में हरसंभव मदद करता रहेगा। यही वजह है कि भारत से उसे दी जाने वाली आर्थिक व सामाजिक सहायता लगातार बढ़ाई जा रही है। ईरान के चाबहार पोर्ट से अफगान के भीतरी शहर तक सड़क व रेल मार्ग बनाने का पिछले सोमवार को किया गया समझौता भारत की इसी रणनीति का हिस्सा है। भारत ने जिस तरह से अफगान में पुलिस, सेना, सिविल सर्विसेज को प्रशिक्षण व सामाजिक विकास की योजनाओं में मदद दी है उसका भी असर दिख रहा है। हाल के महीनों में भारतीय दूतावासों पर हुए हमले को वहां की स्थानीय पुलिस व सेना ने ही विफल किया है। यह सब तब हुआ जब पाकिस्तान की तरफ से अफगान शांति वार्ता से भारत को दूर रखने की हरसंभव कोशिश की जा रही है। दूसरी तरफ इस हफ्ते तालिबान के मुखिया मुल्ला मंसूरी की अमेरिकी हमले में हुई मौत से साफ हो गया है कि पाकिस्तान अपनी पुरानी हरकतों से बाज नहीं आया है। उसकी खुफिया एजेंसी अभी भी वहां तालिबानी आतंकियों की अगुवाई में अशांति फैलाने में जुटी है। तालिबान का एक बड़ा धड़ा सीधे तौर पर पाकिस्तानी एजेंसियों से निर्देश पा रहा है। ऐसे में हिकमतयार के अफगान राजनीति में सक्रिय होने से अन्य समूहों के लिए भी शांति वार्ता में शामिल होने का रास्ता साफ होगा।

7 वें वेतन आयोग का बिल हुआ पास:

केन्द्रीय कर्मचारियों को अच्छी खबर केन्द्रीय कर्मचारियों को अच्छी खबर केन्द्र सरकार ने कल केबिनेट की बैठक में 50% डीए बेसिक मे जोड़ने के प्रस्ताव को पास कर दिया है यह आदेश दिनाँक / 01/2016 01 से मान्य होगा.अब डी ए मर्ज होने के बाद कुल डी ए 63% होगा 
-1 न्यूनतम वेतन 21000 / 
-2 कोई ग्रेड भुगतान प्रणाली और खुले समाप्त scales.
-3 सेवानिवृत्ति - सेवा या earlier.
-4 जो भी उम्र के 60yrs के 33yrs। एचआरए 30% सीसीए reinforced.
-5 किया जाना है। पदों की श्रेणियाँ 1.1.2016.7 से प्रभाव की modified.
-6 Date हो। प्रभावी लागू करने की सिफारिशों के साथ कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग, गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और डी एस एंड टी आदि से सीपीसी के सदस्य द्वारा प्रस्तुत सीपीसी संयुक्त मसौदा ज्ञापन agreed.
-7th गणना 2.86 एक्स मूल वेतन 1 जनवरी 2016 सदस्य (जुड़ी 26 पृष्ठों की रिपोर्ट) वेतनमान गुणा कारक 2.15 और नए मूल वेतन हो जाएगा (पुराने पीबी + जीपी) * 2.15 (।) पेंशन और परिवार के द्वारा जीपी सहित पंजाब में तैयार की वेतन के आधार पर गणना कर रहे हैं पेंशन गुणा कारक 2.50 होना चाहिए। सदस्य (14 पृष्ठों की रिपोर्ट संलग्न) वर्ग 2 (डी) के लिए कक्षा 1 (सी) के लिए तय की बुनियादी (बी) के लिए पांच श्रेणियों (ए) 2500 1500 1200 में विभाजित वेतन वृद्धि की वार्षिक दर 1000-ग्रुप-ए, 800-ग्रुप-बी, 600 सालाना कक्षा 4 के लिए कक्षा 3 (ई) 400 के लिए -Group सी। सदस्य (जुड़ी 32 पृष्ठों की रिपोर्ट) वर्तमान MACPs योजना सेवा जारी की 10,18,25,30 वर्ष पूरे होने के बाद उन्नयन 4 देकर बदला जाना चाहिए। यह 6 सीपीसी में था और वेतन वृद्धि की तिथि 1 जुलाई से प्रभावी के स्थान पर 1 जनवरी रूप में होना चाहिए सदस्य (जुड़ी 28 पृष्ठों की रिपोर्ट) मकान किराया भत्ता होना चाहिए 2016/01/01 और गृह निर्माण अग्रिम नए मूल वेतन का 50 गुना होना चाहिए। सदस्य (जुड़ी 12 पृष्ठों की रिपोर्ट) परिवहन भत्ता एक्स श्रेणी के शहरों में नए मूल वेतन + डीए का 10% और वाई श्रेणी के शहरों में नए मूल वेतन + डीए का 5% होना चाहिए। सदस्य (38 पृष्ठों की रिपोर्ट संलग्न) (क) प्रति माह नए मूल वेतन के 5% @ अलग तीन राज्यों में कम से कम तीन पोस्टिंग पूरी कर ली है, जो केवल उन लोगों के लिए अखिल भारतीय हस्तांतरण भत्ता। जल्दी है, जो भी (ख) अधिकतम सेवा लंबाई 31years, शर्त के साथ सेवा से सेवानिवृत्ति के लिए 60 वर्ष अधिकतम आयु। (ग) पाटा सैन्य विशेष वेतन नए मूल वेतन के 5% @ में या तो कम से कम तीन वर्ष की सेवा पूरी कर ली है, जो उन लोगों के लिए ही होना चाहिए पूर्वोत्तर क्षेत्र या जम्मू-कश्मीर क्षेत्र। सदस्य (जुड़ी 24 पृष्ठों की रिपोर्ट) नई वेतनमान .old पीबी -1, जीपी-1800 नए वेतनमान 15,000-33,600 हैं, पीबी -1, जीपी 1900 और 2000 नए वेतनमान 21,500-40,100, पुराने पीबी -1, GP- कर रहे हैं पुरानी 2400 और 2800 नए वेतनमान 25,000-43,600 हैं। ओल्ड पीबी -2, जीपी 4200 नए वेतनमान 30,000-54,800 हैं, पुराने पीबी -2, जीपी 4600 और 4800 नए वेतनमान, पुराने पीबी -2, जीपी 5400 नए वेतनमान 45,000-90,000, पुराने पीबी 40,000-71,000 कर रहे हैं -3.GP-6600 नए वेतनमान 52000-100000 हैं। ओल्ड जीपी 7600 नए वेतनमान 60000-110000 हैं। ओल्ड जीपी 9000 नए वेतनमान 75000-125000.सातवाँ हैं वेतन आयोग: -एसएनबी नई दिल्ली -कर्मचारियों की 33 साल की नौकरी या 60 साल की उम्र में सेवानिवृत्ति करने की सिफारिश। सरकारी कर्मचारियों की सेवानिवृति की उम्र 60 से घटाकर 58 साल की।

Wednesday 25 May 2016

26 May 2016, 8. भारत पांचवां सबसे बड़ा ई-कचरा उत्पादक:-

एक अध्ययन के अनुसार भारत का उदय जहां एक तरफ दुनिया के सबसे बड़े दूसरे बाजार के तौर पर हुआ है वहीं वह विश्व का पांचवा सबसे बड़ा ई-कचरा उत्पादक देश भी है जहां हर साल लगभग साढ़े 18 लाख टन ई-कचरा उत्पन्न होता है।एसोचैम और केपीएमजी के एक संयुक्त अध्ययन में सामने आया है कि पूरे ई-कचरा में अकेले दूससंचार उपकरणों की हिस्सेदारी 12 प्रतिशत है। इसमें कहा गया है कि हाल के दिनों में ई-कचरा के स्तर में बढ़ोतरी होना भारत के लिए गहरी चिंता का विषय है। हर साल यहां 100 करोड़ से ज्यादा मोबाइल फोनों का प्रयोग किया जाता है जिनमें से करीब 25 प्रतिशत का अंत ई-कचरा के रूप में होता है।अध्ययन में कहा गया है, ‘‘निश्चित रूप से भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल बाजार बनकर उभरा है जहां 1.03 अरब से ज्यादा मोबाइल उपभोक्ता हैं लेकिन यह दुनिया का पांचवा सबसे बड़ा ई-कचरा उत्पादक भी है।’ पर्यावरण मंत्रालय ने ई-कचरा प्रबंधन नियमावली-2016 को अधिसूचित किया है। नियमों का पालन नहीं करने पर कड़े आर्थिक दंड का प्रावधान भी इसमें किया गया है। हालांकि इस अध्ययन में कहा गया है कि भारत में असंगठित क्षेत्र ई-कचरा उत्पादन के 95 प्रतिशत को संभालता है।

26 May 2016,,7. चाबहार से अमेरिका चौकन्ना:-

 भारत और ईरान के बीच चाबहार बंदरगाह विकसित करने के लिए हुए समझौते पर अमेरिकी की पैनी नजर है। ओबामा प्रशासन ने कहा है कि वह समझौते का गंभीरता से अध्ययन कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ईरान दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच यह समझौता हुआ था। इसके अनुसार 50 करोड़ डॉलर (करीब 3369 करोड़ रुपये) के निवेश से भारत इस बंदरगाह को विकसित करेगा। सीनेट की विदेश मामलों की समिति की मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान कई सीनेटरों ने इस समझौते पर सवाल उठाए। सीनेटरों ने समझौते में अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन होने की आशंका जताई। इसका जवाब देते हुए सहायक विदेश मंत्री (दक्षिण एवं मध्य एशिया) निशा देसाई बिस्वाल ने कहा कि ओबामा प्रशासन समझौते के कानूनी पहलुओं को देख रहा है। भारत और ईरान के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि चाबहार को लेकर अमेरिका अपनी चिंताओं और अपेक्षाओं से नई दिल्ली को अवगत करा चुका है। ईरान पर लगे प्रतिबंध भी स्पष्ट हैं। फिलहाल नहीं लग रहा है कि किसी भी प्रतिबंध का उल्लंघन हुआ है। उन्होंने कहा कि ईरान के साथ भारत के संबंध मुख्य रूप से आर्थिक और ऊर्जा मसलों से संबंधित है। यह सैन्य सहयोग का मसला नहीं है जिससे अमेरिका के लिए खतरा पैदा हो। बिस्वाल ने कहा कि अमेरिकी प्रशासन भारत की जरूरतों का एहसास करता है। भारत की दृष्टि से यह बंदरगाह अफगानिस्तान और मध्य एशिया के लिए उसका प्रवेश द्वार है। उल्लेखनीय है कि परमाणु गतिविधियों को लेकर ईरान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगाए गए थे। लेकिन, विश्व के छह प्रमुख देशों और ईरान के बीच समझौते के बाद कई प्रतिबंध इस साल जनवरी में हटा लिए गए थे। लेकिन कुछ प्रतिबंध अभी भी जारी हैं, जो मानवाधिकार और आतंकवाद से जुड़े हैं।



26 May 2016,, 6. सेबी समाप्त करेगा 4200 कंपनियों की सूचीबद्धता:-

 बाजार नियामक सेबी ने बड़े सफाई अभियान की तैयारी कर ली है। उसकी 4200 से अधिक सूचीबद्ध कंपनियों की सूचीबद्धता समाप्त करने की योजना है। इनमें वे कंपनियां हैं, जिनके शेयरों में कोई कारोबार नहीं हो रहा है। नियामक ने कंप्यूटर सॉफ्टवेयर से तेजी से होने वाले यानी हाई फ्रीक्वेंसी ट्रेड के लिए कड़े मानक तैयार करने का भी एलान किया है। साथ ही इनमें बाजार का दुरुपयोग करने पर यादा जुर्माना लगाने और ऑडिटरों की खामियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के प्रावधान होंगे। सेबी ने उम्मीद जताई है कि पी-नोट यूजर्स भारतीय बाजार में सीधे निवेश करना शुरू करेंगे। 
घरेलू बाजारों को और मजबूत बनाने व निवेशकों के हितों की रक्षा की कोशिशों के तौर पर सेबी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों के लिए भी नियमनों को यादा सख्त बनाएगा। अन्य चीजों के साथ इन एजेंसियों के लिए अपनी कार्रवाई का कारण बताना अनिवार्य होगा। साथ ही निवेशकों को शेयर बेचकर निकलने का अवसर देने से मना करने वाले प्रमोटरों के खिलाफ कड़ी दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। हाई फ्रीक्वेंसी या एल्गो ट्रेड के दुरुपयोग से चिंतित सेबी के चेयरमैन यूके सिन्हा ने कहा कि 3-4 महीनों में नियमों को लाया जाएगा। ट्रेडिंग के लिए निष्पक्ष अवसर सुनिश्चित करने की खातिर ऐसा किया जाएगा। सेबी पहले नियामकों में है जिसने हाई फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग पर कुछ नियम बनाए हैं, लेकिन इन्हें मजबूत बनाए जाने की जरूरत है। 
नहीं चलेगी ऑडिटरों की लापरवाही : इसके अलावा सेबी ने सूचीबद्ध कंपनियों के वित्तीय खातों में कमियों पर आंखें मूंदने वाले ऑडिटरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है। चालू वित्त वर्ष के लिए सेबी के एजेंडे को स्पष्ट करते हुए सिन्हा ने जोर दिया कि उन सूचीबद्ध कंपनियों की सूचीबद्धता समाप्त करना नियामक के फोकस क्षेत्रों में एक है, जिनमें कारोबार बहुत कम है या नहीं है।
साइबर हमलों के लिए बंदोबस्त : संभावित साइबर हमलों का भी सेबी ने संज्ञान लिया है। सिन्हा ने कहा कि खामियों को दूर करने के लिए काम किया जा रहा है। राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से साइबर सुरक्षा के पहलू को कुछ सरकारी एजेंसियां भी देख रही हैं। उन्होंने भी कुछ इनपुट दिए हैं। 
पी-नोट्स का हिस्सा घटा : पी-नोट्स के संदर्भ में सिन्हा ने बताया कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआइ) में इसका हिस्सा पहले से ही रिकॉर्ड निचले स्तर 9.3 फीसद पर आ चुका है। ऑफशोर डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट (ओडीआइ) के शेयर को पी-नोट्स के नाम से जाना जाता है। वर्ष 2007 में एफपीआइ में इनका हिस्सा सर्वाधिक 55 फीसद पर था। सिन्हा ने पी-नोट्स के लिए नियमों को सख्त किए जाने से घरेलू बाजारों में विदेशी पूंजी प्रवाह घटने की आशंकाओं को भी दूर किया। उन्होंने कहा कि भारत में आठ हजार से यादा एफपीआइ पंजीकृत हैं। लेकिन इनमें से केवल 39 ही ओडीआइ जारी कर रहे हैं।

26 May 2016,,, 5. ट्रंप और हिलेरी के बीच होगी व्हाइट हाउस की जंग:-

 डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को वाशिंगटन प्राइमरी आसानी से जीत ली और अब वह राष्ट्रपति पद के चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी का नामांकन हासिल करने से महज एक कदम दूर हैं। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव नवम्बर में होगा, जिसमें ट्रंप का मुकाबला डेमोक्रेटिक पार्टी की हिलेरी क्लिंटन से होने की संभावना है।हालांकि न्यू मेक्सिको में अलबुकर्क में ट्रंप के एक कार्यक्र म स्थल पर ट्रंप विरोधी प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प होने की भी खबर है। वाशिंगटन में डेमोक्रेटिक प्राइमरी भी हुई जिसे हिलेरी ने जीता। वैसे उसका परिणाम निर्थक है क्योंकि डेमोक्रेटों ने 26 मार्च के कॉकस में अपने डेलीगेट आवंटित करने का फैसला किया था, जहां वर्मोट सीनेटर बर्नी सैंडर्स सभी 39 काउंटी जीते थे। वाशिंगटन राज्य में ट्रंप को कुल मतों के 76.2 प्रतिशत वोट मिले, जिसके साथ वह नामांकन के करीब पहुंच गए। वाशिंगटन में रिपब्लिकनों को क्लीवलैंड के नेशनल कन्वेंशन के लिए 44 डेलीगेटों को आवंटित करना था। ट्रंप को कम से कम 27 डेलीगेटों का समर्थन मिला जो नामांकन हासिल करने के लिए जरूरी संख्या से 41 कम है।इस प्राइमरी में ट्रंप को 76 फीसद वोट मिले। टेक्सास के सीनेटर टेड क्रूज और ओहियो के गवर्नर जॉन कासिच के खाते में दस-दस प्रतिशत मत गए। सेवानिवृत्त न्यूरोसर्जन बेन कार्सन को चार प्रतिशत मत मिले। वाशिंगटन में ट्रंप को नामांकन हेतु पर्याप्त डेलीगेट नहीं मिले, लेकिन इसके नतीजे ने उन्हें नामांकन के करीब पहुंचा दिया है। सात जून को कैलीफोर्निया, न्यूजर्सी, न्यू मैक्सिको, मोंटाना और साउथ डाकोटा में होने वाले अहम मुकाबल से उनका नामांकन सुनिश्चित हो जाने की संभावना है। बड़े समाचार चैनलों द्वारा राज्य में ट्रंप की जीत की संभावना जताए जाने के बाद ट्रंप ने ट्वीट किया, ‘‘धन्यवाद वाशिंगटन।’इस बीच, न्यू मेक्सिको के अल्बुकर्क में ट्रंप की रैली के आयोजन स्थल के बाहर ट्रंप विरोधी प्रदर्शनकारियों तथा पुलिस के बीच हिंसक झड़पें हुई। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के अवरोधकों को तोड़ दिया, आगजनी की और शहर के सम्मेलन केंद्र पर पथराव किया जिससे इसका एक दरवाजा टूट गया। प्रदर्शनकारियों ने रीयल एस्टेट के बड़े कारोबारी के भाषण में कई बार बाधा डाली। दंगा रोधी अधिकारियों तथा पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को सम्मेलन केंद्र से भगा दिया। व्हाइट हाउस के लिए रिपब्लिकन पार्टी की उम्मीदवारी की दौड़ में ट्रंप एकमात्र उम्मीदवार बचे हैं।

26 May 2016,,,4. भारत में धार्मिक आजादी पर हमलों से अमेरिका चिंतित:-

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा से पहले शीर्ष अमेरिकी सीनेटरों ने भारत में धार्मिक स्वतंत्रता, सिविल सोसाइटी और मानवाधिकारों पर कथित रूप से बढ़ते हमलों पर गंभीर चिंता जताई है तथा ओबामा प्रशासन ने कहा है कि वह इन मुद्दों पर भारत के साथ बात कर रहा है।कोलोराडो से सीनेटर कोरी गार्डनर ने सीनेट की विदेश मामलों की समिति द्वारा भारत के संबंध में बुलाई गई कांग्रेस सुनवाई में कहा, ‘‘स्थिति भारत में धार्मिक स्वतंत्रता के बारे में चिंता उत्पन्न करती है।’ वर्जीनिया से सीनेटर टिम कैने ने धार्मिक असहिष्णुता की हालिया घटनाओं, जिनपर कलाकारों ने अपने पुरस्कार लौटाए थे, पर कहा कि वह इस मुद्दे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अगले माह उनकी अमेरिका यात्रा के दौरान उठाने की उम्मीद कर रहे हैं। कुछ राज्यों में धर्मांतरण रोधी कानूनों को समस्या करार देते हुए मैरीलैंड से सीनेटर एवं सीनेट की विदेश मामलों की समिति के वरिष्ठ सदस्य बेन कार्डिन ने भारत में धार्मिक स्वतंत्रता पर चिंता जताई। इसके साथ ही कुछ अन्य सदस्यों ने भी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता से संबंधित अमेरिकी आयोग के सदस्यों को वीजा देने से इनकार करने का मुद्दा भी उठाया।सीनेटरों की चिंता से सहमति जताते हुए दक्षिण एवं मध्य एशिया मामलों की सहायक विदेश मंत्री निशा देसाई बिस्वाल ने कहा कि ओबामा प्रशासन जहां इन मुद्दों और चिंताओं को उच्चतम स्तर पर उठा रहा है तथा इस मुद्दे पर भारत से र्चचा कर रहा है, वहीं भारत की मुखर सिविल सोसाइटी खुद भी इस पर मजबूती से आवाज उठा रही है। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘यह भारत के अखबारों की सुर्खियों की वजह से है जो आप इस मुद्दे पर अत्यंत सक्रिय र्चचा देख रहे हैं। मेरा मानना है कि ये मुद्दे हैं, ये मूल्य हैं, जो हमें अति प्रिय हैं, जिन्हें हम वार्ता में उठाते हैं। लेकिन हम इसे जहां तक संभव हो एक रचनात्मक तरीके से करते हैं जिससे कि इस तय की अनदेखी न हो कि ये वे मुद्दे हैं जिनसे भारतीयों को खुद निपटना चाहिए और अपने खुद के देश के लिए, खुद के लोकतंत्र के लिए, उनके खुद के समाज के लिए अधिकार हासिल करना चाहिए।’ कार्डिन ने आरोप लगाया कि महिलाओं और लड़कियों से व्यवहार के मामले में भारत का रिकॉर्ड ठीक नहीं है।

26 May 2016,,,,3. छह नए आईआईटी बने राष्ट्रीय महत्व के संस्थान:-

छह नए आईआईटी बने राष्ट्रीय महत्व के संस्थान को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा देने के लिए उन्हें प्रौद्योगिकी संस्थान अधिनियम 1961 के तहत लाने वाले संशोधन को बुधवार को पूर्व प्रभाव से मंजूरी दे दी। ये आईआईटी आंध्र प्रदेश के तिरुपति, केरल के पलक्कड़, कर्नाटक के धारवाड़, छत्तीसगढ़ के भिलाई, गोवा और जम्मू-कश्मीर के जम्मू में हैं। इस संशोधन के माध्यम से झारखंड के धनबाद स्थित इंडियन स्कूल ऑफ माइन्स को भी आईआईटी का दर्जा देकर राष्ट्रीय महत्व का संस्थान बनाया गया है। केन्द्रीय मांिमंडल ने गत वर्ष इन छह आईआईटी को मंजूरी दी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में प्रौद्योगिकी संस्थान अधिनियम 1961 में संशोधन को पूर्व प्रभाव से लागू करने पर मुहर लगायी गयी। इस संशोधन से ये सभी संस्थान राष्ट्रीय महत्व के बन जाएंगे। मंत्रिमंडल की बैठक में आंध्र प्रदेश भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान की स्थापना के निर्णय को भी पूर्व प्रभाव से मंजूरी दी गई।

26 May 2016,,,2. प्रणब ने चीनी निवेशकों को किया भारत आमंत्रित:-

 चीन के दौरे पर गए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने चीनी निवेशकों को अनुकूल वातावरण का भरोसा दिलाते हुए उन्हें सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ और अन्य प्रमुख कार्यक्रमों में भागीदारी के लिए आमंत्रित किया है। इससे द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
इसके अलावा, उन्होंने बुधवार को चीनी कम्यूनिस्ट पार्टी के नेताओं से मुलाकात की। वह पार्टी के प्रांतीय सचिव हु शिनहुआ से मिले। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपनी चीन की चार दिवसीय यात्र के दूसरे दिन भारत-चीन व्यापार मंच की बैठक को संबोधित करते हुए कहा, ‘हम भारत में आपके निवेश को मुनाफे वाला बनाने में मदद करेंगे। हमें दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं की तरक्की से पैदा होने वाले अवसरों का लाभ उठाना चाहिए।’ इस बैठक में दोनों देशों के उद्योगपति शामिल हुए। राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा कि सुधारों से भारत के प्रति विदेशी निवेशकों की रुचि फिर जगी है। वर्ष 2014 में भारत में निवेश में 32 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। वहीं वर्ष 2015 में भारत सबसे बड़े वैश्विक निवेश गंतव्य के रूप में उभरा है। मुखर्जी ने कहा कि हम चीन का अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश चाहेंगे जो अब 100 अरब डालर के आंकड़े को पार कर चुका है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार औद्योगिक गलियारे, राष्ट्रीय निवेश एवं विनिर्माण क्षेत्र तथा प्रतिबद्ध मालढुलाई गलियारा स्थापित कर रही है, जिससे इस क्षेत्र में निवेश बढ़ाया जा सके। ‘100 स्मार्ट सिटी’ की पहल से भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदला जा सकेगा। मुखर्जी ने कहा, ‘भारत आपको इन कार्यक्रमों में भागीदारी का न्योता देता है। चीन की कंपनियां बुनियादी ढांचे तथा विनिर्माण की ताकत से भारत को अपनी ‘गोइंग ग्लोबल’ रणनीति के लिए महत्वपूर्ण गंतव्य के रूप में देख सकती हैं।’ भारत अपनी ओर से चीन के उपक्रमों को नए डोमेन ‘इंटरनेट ऑफ थिंग्स’ में सहयोग दे सकता है। 
राष्ट्रपति ने कहा कि हम चीन के बाजार में भारतीय उत्पादों की अधिक पहुंच चाहते हैं जिससे द्विपक्षीय व्यापार में संतुलन हो, जो अभी चीन के पक्ष में झुका हुआ है। यह उन क्षेत्रों में अधिक जरूरी है जहां दोनों देश स्वाभाविक रूप से एक-दूसरे के पूरक हैं। इन क्षेत्रों में फार्मा, आइटी और आइटी संबद्ध सेवाएं और कृषि उत्पाद शामिल हैं। मुखर्जी ने इस बात पर संतोष जताया कि दोतरफा निवेश प्रवाह पर ध्यान बढ़ाया जा रहा है। राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा कि वर्ष 2000 में जहां यह 2.91 अरब डॉलर था, वहीं पिछले साल यह 71 अरब डॉलर पर पहुंच गया। ग्वांगदोन प्रांत की 1,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था है जहां बड़े विनिर्माण और अन्य उद्योग स्थित हैं। इसे चीन का निर्यात का ‘पावर हाउस’ भी कहा जाता है। गुजरात और महाराष्ट्र के साथ इस प्रांत का करीबी रिश्ता है।

26 May 2016,,,,1.पहली कैपिटल गुड्स नीति को मंजूरी:-

 देश की औद्योगिक विकास दर रसातल में है। रोजगार के बिना तेज विकास दर हासिल करने की बातें हो रही हैं। ऐसे समय में केंद्र सरकार ने भारत में पहली बार पूंजीगत सामान उद्योग (कैपिटल गुड्स इंडस्ट्री) के लिए नीति का एलान किया है। बुधवार को कैबिनेट ने नेशनल कैपिटल गुड्स पॉलिसी को मंजूरी दे दी। इसका उद्देश्य अगले दस वर्षो में इस उद्योग में निवेश को तीन गुना करके लगभग सवा दो करोड़ रोजगार के नए अवसर पैदा करना है। कैबिनेट के फैसलों के बारे में रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने बताया कि अभी देश में कैपिटल गुड्स उद्योग का उत्पादन 2.30 लाख करोड़ रुपये है। इसे वर्ष 2025 तक बढ़ाकर 7.50 लाख करोड़ रुपये किया जाएगा। इससे बड़ी संख्या में नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे। फिलहाल, इस उद्योग में तकरीबन 84 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है। जबकि नई नीति का मकसद तीन करोड़ लोगों को रोजगार देने का है। निर्यात के मामले में भी सरकार ने महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखे हैं। अभी कैपिटल गुड्स उद्योग के कुल उत्पाद का 27 फीसद निर्यात होता है। नई पॉलिसी के तहत इस हिस्सेदारी को बढ़ाकर 40 फीसद किया जाएगा। यह नीति सरकार की मेक इन इंडिया के तहत ही लागू होगी। कैपिटल गुड्स उद्योग को बढ़ावा देने से भारत में तेजी से औद्योगिकीकरण को बल मिलेगा।
इसके साथ ही कैबिनेट ने हिंदुस्तान फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचएफसीएल) के वित्तीय पुनर्गठन के प्रस्ताव को भी हरी झंडी दिखा दी। इसका सबसे ज्यादा फायदा बरौनी खाद फैक्ट्री को होगा। इस फैक्ट्री को नए सिरे से चालू किया जा सकेगा। एचएफसीएल पर बकाया 9,079 करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया जाएगा। कंपनी पर बिहार राज्य बिजली निगम की बकाया राशि चुकाने के लिए 56 एकड़ का एक प्लाट (एश डाइक लैंड) निगम को हस्तांतरित करने का फैसला किया गया है। कैबिनेट के फैसले के बाद एचएफसीएल बीमार कंपनियों के पुनरुद्धार के लिए बनी संस्था बीएफआइआर की सूची से भी निकाला जा सकेगा। कंपनी पर कोई कर्ज नहीं रहेगा। यह नए सिरे से वित्तीय लेनदेन शुरू कर सकेगी। सरकार की तरफ से दी गई सूचना के मुताबिक सीधे तौर पर 400 और परोक्ष रूप से 1,200 लोगों को रोजगार मिलेगा। बरौनी खाद कारखाने के शुरू होने से देश के पूर्वी हिस्से में उर्वरकों की आपूर्ति सुधारने में मदद मिलेगी। इसे जगदीशपुर-हल्दिया गैस पाइपलाइन से गैस की आपूर्ति हो सकेगी। देश के पूर्वी हिस्से में सिर्फ असम में दो छोटे-छोटे खाद कारखाने हैं।
इसके साथ ही एक अन्य बीमार सरकारी उपक्रम हिंदुस्तान स्टील वर्क्से कंस्ट्रक्शन (एचएसडब्ल्यूसीएल) के वित्तीय पुनर्गठन का प्रस्ताव भी मंजूर कर लिया गया है। सरकारी कंपनी नेशनल बिल्डिंग्स कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन लिमिटेड (एनबीसीसी) इसका अधिग्रहण करेगी। कंपनी पर बकाया 1,502.2 करोड़ रुपये के कर्ज को इक्विटी में बदल दिया जाएगा। इससे कंपनी का पूंजी आधार बढ़कर 1,619.3 करोड़ रुपये हो जाएगा।
कैबिनेट ने जापान की मदद से भारत में कम प्रदूषण फैलाने वाले ताप बिजली घर स्थापित करने को लेकर हुए एक समझौते के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है। इस समझौते के तहत जापान भारत को कोयला साफ करने और उससे बिजली मानने में मौजूदा तकनीकी को उन्नत बनाने में मदद करेगा।

Tuesday 24 May 2016

दैनिक समसामयिकी 25 May 2016(Wednesday)

1.लखनऊ, रांची समेत 13 और शहर बनेंगे स्मार्ट:- सरकार ने मंगलवार को लखनऊ, भागलपुर, रांची, इंफाल तथा वारंगल सहित 13 और शहरों को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने की घोषणा की। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने यहां अपने मंत्रालय के पिछले दो साल की उपलब्धियों का ब्योरा देते हुए बताया कि विभिन्न राज्यों के 23 शहरों में और 13 शहरों को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने का फैसला किया गया है। इससे पहले सरकार ने 20 शहरों को स्मार्ट बनाने की घोषणा की थी। उन्होंने बताया कि 23 शहरों की प्रतिस्पर्धा में प्रथम स्थान उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ ने प्राप्त किया है। उन्होंने बताया कि प्रथम स्थान पर आए लखनऊ ने प्रतिस्पर्धा में 19 प्रतिशत अंक प्राप्त किए है। इस अवसर पर नायडू ने एक पुस्तिका ‘‘अर्बन रेनैसांस) मई 2014-मई 2016’भी जारी की और कहा कि पिछले दो साल में शहरों के नियोजन और प्रशासन के दृष्टिकोण के आमूल चूल बदलाव आया है। वेंकैया ने बताया कि देश के 98 शहरों को स्मार्ट सिटी मिशन में और 497 शहरों को अटल मिशन में शामिल किया गया है। इन क्षेत्रों में लगभग 70 प्रतिशत आबादी निवास करती है। शहरों की आधारभूत ढांचा सुविधाओं को विकसित करने के लिए सरकार ने एक लाख, 13 हजार 143 करोड़ रपए आवंटित किए हैं।
2. ब्रिटेन ने मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति को दी शरण:- ब्रिटेन ने मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद को राजनीतिक शरणार्थी का दर्जा दे दिया है। यह दावा नशीद के वकील ने किया है। नशीद के चार साल तक राष्ट्रपति रहने के बाद उनका तख्तापलट कर दिया गया था।मानवाधिकारों के एक प्रसिद्ध अभियानकर्ता और मालदीव के पहले लोकतांत्रिक तौर पर निर्वाचित राष्ट्रपति नशीद (49) को श्रीलंका, भारत और ब्रिटेन की मध्यस्थता वाले एक समझौते के बाद जनवरी में रीढ़ से जुड़ी सर्जरी कराने के लिए ब्रिटेन जाने की अनुमति दे दी गई थी।
3. बिहार तक रेल चलाना चाहता है चीन :- तिब्बत के रास्ते रेल व सड़क नेटवर्क के जरिये नेपाल में अपने प्रभाव का विस्तार कर रहे चीन की नजर अब भारत पर है। वह तिब्बत-नेपाल के बीच प्रस्तावित अपने रेल संपर्क को बिहार की सीमा तक बढ़ाने का इछुक है। बीजिंग चाहता है कि तिब्बत से सटे रसुवागढ़ी के लिए प्रस्तावित उसके रेल मार्ग का विस्तार बिहार से लगे नेपाली सीमावर्ती शहर बीरगंज तक हो जाए। बीरगंज की सीमा बिहार में पूर्वी चंपारण के रक्सौल शहर से लगती है। यहां भारत-नेपाल बॉर्डर चेकपोस्ट भी है। चीन का तर्क है कि इससे भारत और दक्षिण एशिया के साथ उसका परिवहन संपर्क बढ़ेगा। चीन के सरकारी अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने मंगलवार को यह जानकारी दी है।अखबार के मुताबिक तिब्बत के काइरांग शहर से सटे रसुवागढ़ी तक रेल पटरी बिछाने को लेकर नेपाल और चीन के बीच बातचीत पहले ही पूरी हो चुकी है। काइरांग से नेपाल तक रेललाइन 2020 तक पहुंचने की उम्मीद है। खबर में बताया गया है कि इस रेललाइन को भारत की सीमा तक भी पहुंचाया जा सकता है क्योंकि रसुवागढ़ी से भारत की सीमा पर स्थित नेपाली शहर बीरगंज की दूरी महज 240 किलोमीटर है।ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, बिहार के लिए कोलकाता की बजाय इस रेल लिंक (काइरांग-रसुवागढ़ी-बीरगंज) के जरिये चीन के साथ व्यापार करना बेहद आसान होगा। इससे समय, लागत और दूरी की बचत होगी। ध्यान रहे कि नेपाल के साथ अपने रेल और सड़क नेटवर्क के विस्तार को चीन रणनीतिक तौर पर काफी महत्वपूर्ण मान रहा है क्योंकि इसके जरिये ही नेपाल में भारत के वर्चस्व को कम किया जा सकता है। वैसे विशेषज्ञों का कहना है कि हिमालय के दुर्गम पहाड़ी रास्तों से होते हुए इतने महंगे बुनियादी ढांचे के निर्माण का तभी कोई महत्व होगा, जब इससे भारत भी जुड़े।
4. भारत में चीन के निवेश में छह गुना तक बढ़ोतरी:- भारत में चीन के निवेश में बड़ी बढ़ोतरी हुई है। सालाना आधार पर वर्ष 2015 में यह छह गुना बढ़कर 87 करोड़ डॉलर हो गया। चीन की कंपनियों पर प्रतिबंधों में ढील और अनुकूल टैक्स दरों के चलते और निवेश की उम्मीद है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की चीन यात्र से पहले सरकारी अखबार में इस बाबत खबर दी गई। चीन के व्यापार विशेषज्ञों के हवाले से ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि चीन की कंपनियों का भारत में निवेश 2015 में 2014 की तुलना में छह गुना हो गया। इसकी मुख्य वजहों में निवेश प्रतिबंधों में रियायत, अनुकूल टैक्स और भूमि किराया नीतियां शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में चीन का निवेश 2015 में बढ़कर लगभग 87 करोड़ डॉलर हो गया जो कि 2014 की तुलना में छह गुना है। भारत सरकार ने पिछले साल से मेक इन इंडिया कैंपेन में चीन का ज्यादा से ज्यादा निवेश हासिल करने के प्रयास शुरू किए हैं। 
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी बुधवार को गुआंगझू शहर में भारत-चीन बिजनेस फोरम को संबोधित करेंगे। इसमें 300 से अधिक चीनी निवेशकों और उद्योगपतियों के शिरकत करने की उम्मीद है। आधिकारिक भारतीय आंकड़ों के मुताबिक, भारत में चीन से कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) अभी तक करीब 1.24 अरब डॉलर है। चीन के अधिकारियों ने बताया कि भारत में कई परियोजनाओं में निवेश की प्रतिबद्धता जताई गई है। इस लिहाज से यह आंकड़ा और बढ़ सकता है। भारत में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की यात्रा के दौरान 20 अरब डॉलर के निवेश की प्रतिबद्धता जताई गई थी। चीनी निवेशकों के लिए निवेश के माहौल को सुगम बना रहा भारत चीन से अधिक निवेश के लिए जोर देता रहा है। इसकी बड़ी वजह द्विपक्षीय व्यापार घाटा है। यह चीन की तरफ झुका हुआ है। बीते साल दोनों देशों के बीच करीब 71 अरब डॉलर का व्यापार हुआ। इसमें से करीब 48 अरब डॉलर चीन के पक्ष में रहा। हाल के वर्षो में चीन की कंपनियों ने भारत में मौजूदगी बढ़ाई है।
5. पाक को दो हजार करोड़ की मदद रोकने पर सीनेट समिति की मुहर:- अमेरिकी सीनेट की एक समिति ने पाकिस्तान को 30 करोड़ डॉलर (करीब दो हजार करोड़ रुपये) की सैन्य मदद रोकने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी है। यह रोक तब तक लागू रहेगी जब तक पाकिस्तान आतंकी संगठन हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई नहीं करता। रोक हटने से पहले अमेरिकी विदेश मंत्री को संसद में यह प्रमाणित करना होगा कि इस्लामाबाद ने हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ कठोर कदम उठाए हैं। सीनेट की सशस्त्र सेवा समिति ने गठबंधन सहायता कोष से मिलने वाली इस मदद पर रोक लगाते हुए पाकिस्तान को सुरक्षा मदद जारी रखने की बात कही है। पिछले हफ्ते इस मामले में नेशनल डिफेंस अथॉराइजेशन एक्ट (एनडीएए) पास किया गया था। सीनेट में जल्द ही इस पर मतदान होना है। उम्मीद की जा रही है कि उस समय कई सीनेटर इस विधेयक में संशोधन का प्रस्ताव रख सकते हैं। सशस्त्र सेवा समिति ने एनडीएए-2017 को पिछले हफ्ते तब पास किया था जब अमेरिकी ड्रोन हमले में अफगान तालिबान चीफ मुल्ला मंसूर नहीं मारा गया था। इससे पहले कांग्रेस में जो बिल पास किया गया था उसमें गठबंधन सहायता कोष की रकम 90 करोड़ डॉलर और सैन्य मदद 45 करोड़ डॉलर थी। सीनेट की समिति ने दोनों रकम को कम कर दिया है। उसने गठबंधन सहायता कोष को 80 करोड़ डॉलर और सैन्य मदद को 30 करोड़ डॉलर पर सीमित कर दिया है। एनडीएए-2016 इस साल 30 सिंतबर को खत्म हो रहा है। नए सिरे से मदद पाने के लिए पाकिस्तान को इससे पहले साबित करना होगा कि वह हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है। पेंटागन के प्रवक्ता कैप्टन जेफ डेविस ने बताया कि अमेरिकी रक्षा मंत्री एश्टन कार्टर ने अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया है। ओबामा प्रशासन पाकिस्तान को दी जाने वाली सैन्य मदद रोकने के पक्ष में नहीं है। पिछले हफ्ते कांग्रेस के इस कदम का व्हाइट हाउस ने यह कहते हुए विरोध किया था कि इससे संबंधों में जटिलता आएगी। सशस्त्र सेवा समिति ने भी अपनी रिपोर्ट में पाकिस्तान को अमेरिका का लंबे समय से रणनीतिक साङोदार और 9/11 के आतंकी हमले के बाद से दक्षिण एशिया में बेहद अहम साथी बताया है। इसमें कहा गया है कि दोनों देशों के बीच मजबूत और टिकाऊ संबंध बने रहने चाहिए। लेकिन, इसके लिए आतंकी संगठनों के खिलाफ लड़ाई में उसे प्रतिबद्धता दिखाने को कहा गया है।
6. बदतर हो गई बैंकों की ग्राहक सेवा:- देश के बैंक आजकल बढ़ते एनपीए (फंसे कर्जे), विजय माल्या से कर्ज वसूली या खराब होते वित्तीय प्रदर्शन के लिए ही सुर्खियों में जगह पाते हैं। लेकिन इस दौरान बैंकों की ग्राहक सेवा भी बद से बदतर हो गई है। खुद रिजर्व बैंक (आरबीआइ) मान रहा है कि ग्राहकों की सेवा की गुणवत्ता एकदम खराब होती जा रही है। आरबीआइ ने अपने सर्वे में पाया है कि एक तिहाई एटीएम काम नहीं करते। ग्राहक सेवा गुणवत्ता को सुधारने संबंधी कोड को लागू करने में लगभग 90 फीसद बैंक विफल रहे हैं। यह स्थिति तब है जब केंद्रीय बैंक ने छह वर्ष पहले ग्राहक सेवा बेहतर बनाने के लिए गठित एम दामोदरन की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों को लागू करने का दावा भी किया था। बैंकों की इस हरकत की वजह से रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एसएस मुंद्रा को कहना पड़ा है कि ग्राहक सेवा के मुद्दे पर कोताही करने वाले बैंकों के ऊपर पेनाल्टी लगाने पर विचार हो रहा है। ग्राहकों की सेवा की गुणवत्ता संबंधी कोड पर वर्ष 2014-15 का सर्वेक्षण बताता है कि सिर्फ 14 फीसद बैंकों ने ग्राहक सेवा के सभी मानकों को शानदार तरीके से लागू किया है। 49 फीसद बैंकों ने औसत से बेहतर प्रदर्शन किया है। औसत प्रदर्शन वाले बैंकों का अनुपात 21 फीसद रहा है। आरबीआइ ने जब देश के 4,000 एटीएम का सर्वे किया तो पाया कि इनमें से एक तिहाई काम नहीं कर रहे थे। एटीएम के पास तमाम सूचनाओं को देने और आरबीआइ के ऐसे ही अन्य निर्देशों का पालन नहीं किया गया है। यही नहीं, ग्राहकों को गलत सूचना देकर बैंकिंग व बीमा उत्पाद बेचने को लेकर भी कोई सुधार नहीं हुआ है। रिजर्व बैंक ने इस बारे में भी कई अध्ययन किया है। इसके नतीजे भी काफी निराश करने वाले हैं। ग्राहकों को फोन पर बढ़ा-चढ़ा कर बीमा उत्पाद बेचने की बात छह वर्ष पहले भी उठी थी। तब केंद्रीय बैंक ने इसमें सुधार के लिए दिशानिर्देश भी निकाला था, लेकिन अभी तक उसका खास नतीजा निकलता नहीं दिख रहा है। ऐसे में बैंकों के ऊपर भारी भरकम पेनाल्टी लगाने के विकल्प पर केंद्रीय बैंक विचार कर रहा है। पिछले 12 वर्षो में ग्राहकों की सेवा की गुणवत्ता को बढ़ाने को लेकर आरबीआइ दो बार समिति गठित कर चुकी है। पहली बार तारापोर समिति गठित की गई और बाद में दामोदरन समिति। दोनों की रिपोर्टे लागू भी हो चुकी हैं। आरबीआइ के डिप्टी गवर्नर की यह स्वीकारोक्ति से साफ है कि ग्राहक सेवा बैंकों की वरीयता में अभी भी नहीं आ पाई है।
7. खाद्य उत्पादों में पोटेशियम ब्रोमेट मिलाने पर लगेगी रोक:- सरकार अगले 15 दिन में पोटेशियम ब्रोमेट के खाद्य मिशण्रके रूप में इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी में है क्योंकि खाद्य मानक विनियामक ने स्वीकृत खाद्य मिशण्रों की सूची से इसे हटा दिया है।गौरतलब है कि सेंटर फार साइंस एंड एन्वायर्नमेंट (सीएसई) के एक अध्ययन में दावा किया गया है कि ब्रेड या डबलरोटी में कैंसर पैदा करने वाले रसायनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के मुख्य कार्यकारी पवन कुमार अग्रवाल ने कहा कि खाद्य कारोबार में पोटेशियम ब्रोमेट उन 11,000 मिशण्रों में है जिनकी अनुमति खाद्य उत्पादों में मिलाने की है। सावधानी से विचार के बाद एफएसएसएआई ने पोटेशियम ब्रोमेट को मिशण्रवाली सूची से हटाने का फैसला किया है।’नियामक ने स्वास्य मंत्रालय से पोटेशियम ब्रोमेट को अनुमति वाले खाद्य मिशण्रकी सूची से हटाने की सिफारिश की है। सीएसई ने कहा था कि आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले 38 ब्रेड ब्रांडों (पाव और बंद सहित) में से 84 में पोटेशियम ब्रोमेट और पोटेशियम आयोडेट पाया गया है। कई देशों में इनके इस्तेमाल पर प्रतिबंध है। इस बीच, स्वास्य मंत्री जेपी नड्डा ने यहां संवाददाताओं से कहा कि उनके मंत्रालय ने एफएसएसएआई से मामले को गंभीरता से लेते हुए रिपोर्ट देने को कहा है। वे रिपोर्ट पेश करने जा रहे हैं। मंत्रालय उसी के आधार पर उचित कदम उठाएगा। रिपोर्ट आने के तत्काल बाद हम कार्रवाई करेंगे।’अधिसूचना के बारे में अग्रवाल ने कहा कि एफएसएसएआई ने इस बारे में अपनी सिफारिश स्वास्य मंत्रालय को भेज दी है। इसे मंत्रालय जारी करेगा।

दैनिक समसामयिकी 24 May 2016(Tuesday)

1.भारत, ईरान रिश्तों में चाबहार:- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्र के दूसरे दिन सोमवार को भारत, ईरान और अफगानिस्तान ने चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए ऐतिहासिक समझौते पर दस्तखत किया। दक्षिण ईरान स्थित चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए भारत 50 करोड़ डॉलर (3376 करोड़ रुपये) का निवेश करेगा। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी के अलावा ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी और अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी भी मौजूद थे। इस समझौते से भारतीय कारोबारियों की अफगानिस्तान और रूस तक सीधी पहुंच हो जाएगी। इसके लिए उन्हें पाकिस्तान नहीं जाना पड़ेगा। 
भारत और ईरान के बीच हुए ये 12 समझौते
• चाबहार बंदरगाह पर विकास एवं अन्य कार्यो के लिए समझौता।
• चाबहार बंदरगाह परियोजना में विशेष नियमों के लिए एमओयू।
• चाबहार के विकास और स्टील रेल आयात करने के लिए 3000 करोड़ रुपये का क्रेडिट देने पर सहमति।
• चाबहार जाहेदान रेलमार्ग के निर्माण के लिए सेवाएं देने के लिए एमओयू।
• भारत व ईरान का सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम।
• विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में परस्पर सहयोग।
• दोनों देशों के बीच कूटनीतिज्ञों के प्रशिक्षण और प्रख्यात वक्ताओं के आदान-प्रदान के लिए सहयोग बढ़ाने पर समझौता।
• दोनों सरकारों के बीच नीतिगत बातचीत और थिंक टैंक के बीच परिचर्चा आयोजित करने पर समझौता।
• सांस्कृतिक आदान--प्रदान बढ़ाने के लिए संस्थागत सहयोग।
• विदेशी व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने कि लिए सहयोग का ढांचा तैयार करने पर सहमति।
• पुराने मुद्दों पर जानकारियों के आदान-प्रदान में सहयोग के लिए एमओयू।
• अल्यूमीनियम के संयुक्त उत्पादन की संभावनाओं का पता लगाने के लिए एमओयू।
क्यों अहम है चाबहार
• ईरान के साथ चाबहार समझौते को चीन और पाकिस्तान को भारत के जवाब के रूप में देखा जा रहा है।
• चीन इस समय पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह का विकास कर रहा है। उसकी मंशा इसके जरिये भारत को घेरने की है।
• चाबहार ईरान के दक्षिणी तट पर सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में पड़ता है। यह रणनीतिक दृष्टि से भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
• भारत के पश्चिमी तट से चाबहार तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। इसके लिए पाकिस्तान से रास्ता मांगने की जरूरत नहीं होगी।
• चाबहार के जरिये अफगानिस्तान, मध्य एशिया, रूस और यूरोप तक के बाजार में भारतीय कारोबारियों की पहुंच आसान हो जाएगी।
• अफगानिस्तान में भारत का हित किसी से छिपा नहीं है। भारत की यहां मजबूती पाकिस्तान और चीन के लिए बहुत बड़ा झटका है।
समझौते से क्या होंगे फायदे
• ये समझौता इसलिए अहम है क्योंकि चीन, पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट का इस्तेमाल कर रहा है। चाबहार पोर्ट पर करार पाक-चीन को भारत का माकूल जवाब होगा।
• चाबहार पोर्ट के तैयार हो जाने के बाद भारत और ईरान सीधे व्यापार कर सकेंगे। भारतीय या ईरानी जहाजों को पाकिस्तान के रूट से नहीं जाना पड़ेगा।
• इस डील में अफगानिस्तान का भी अहम रोल होगा। भारत के जहाज सीधे अफगानिस्तान पहुंच सकेंगे।
• भारत की अफगानिस्तान में मजबूती पाकिस्तान और चीन के लिए बहुत बड़ा झटका है।
• यह पोर्ट ट्रेड और स्ट्रैटेजिक लिहाज से भारत के लिए काफी अहम है। इसलिए क्योंकि सी रूट से होते हुए भारत के जहाज ईरान में दाखिल हो सकते हैं और इसके जरिए अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया तक के बाजार भारतीय कंपनियों और कारोबारियों के लिए खुल जाएंगे।
2. 1400 किमी लंबे सड़क मार्ग से जुड़ेंगे भारत थाइलैंड और म्यांमार:- वह दिन दूर नहीं, जब लोग सड़क मार्ग से भी थाइलैंड और म्यांमार की यात्र कर सकेंगे। अगले डेढ़ वर्ष में भारत, थाइलैंड और म्यांमार 1400 किलोमीटर लंबे सड़क मार्ग के जरिये एक-दूसरे से जुड़ने की तैयारी में हैं। बैंकाक स्थित भारतीय राजदूत भगवंत सिंह बिश्नोई के अनुसार तीनों देश इस सड़क परियोजना को अमली जामा पहनाने के लिए मोटर यातायात समझौता करने के करीब हैं। परियोजना के पूरा हो जाने के बाद यह पहला मौका होगा, जब भारत दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों के साथ सड़क मार्ग से जुड़ जाएगा। बिश्नोई ने बताया, ‘तीनों देशों के बीच सड़क यातायात जल्द से जल्द शुरू हो, इसके लिए भारत, म्यांमार में 73 पुराने पुलों की मरम्मत करा रहा है। इन पुलों को दूसरे विश्व युद्ध के समय बनाया गया था।’ बकौल बिश्नोई, ‘18 महीनों में म्यांमार में पुलों की मरम्मत का काम जब पूरा हो जाएगा, तब तीनों देशों के बीच सड़क यातायात शुरू हो जाएगा।’तीन देशों को जोड़ने वाली 1400 किमी लंबी यह सड़क परियोजना मणिपुर के चंदेल जिले में सीमावर्ती शहर मोरेह से शुरू होकर म्यांमार के तामू कस्बा होते हुए थाइलैंड के टाक मेई सोट जिले पहुंचेगी। बिश्नोई के मुताबिक सड़क यातायात से जुड़ने के बाद तीनों देशों के बीच व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में और बढ़ोतरी होगी। इससे पूवरेत्तर भारत के रायों का विकास भी सुनिश्चित होगा।
3. ताजिकिस्तान : राष्ट्रपति की बड़ी जीत:- ताजिकिस्तान में मतदाताओं ने देश के संविधान में संशोधन का जबरदस्त अनुमोदन किया जिसके तहत राष्ट्रपति इमाम अली रहमान को अनिश्चित बार चुनाव में खड़े होने की इजाजत होगी।केंद्रीय चुनाव आयोग ने एक बयान में बताया कि रविवार के जनमत संग्रह में 94.5 प्रतिशत मतदाताओं ने 40 संवैधानिक संशोधनों का समर्थन किया जबकि सिर्फ 3.3 प्रतिशत मतदाताओं ने इसका विरोध किया। आयोग ने बताया कि जनमत संग्रह में 92 प्रतिशत मतदाताओं ने हिस्सा लिया। इन संशोधनों के जरिए रहमान के लिए ना सिर्फ कार्यकाल की संख्या की सीमा खत्म कर दी गई, बल्कि राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए न्यूनतम आयु सीमा 35 से घटा कर 30 कर दी गई। साथ ही, देश में धर्म आधारित पार्टियों के गठन पर प्रतिबंध लगा दिया गया। रहमान (63) तकरीबन 25 साल से सत्ता में हैं और आलोचकों का कहना है हाल के वर्षो में वहां धार्मिक आजादी, राजनीतिक बहुवाद और नागरिक समाज की अनदेखी हो रही है। बहरहाल, रविवार को जनमत संग्रह के अवसर पर राजधानी दुशांबे में लोगों में उत्साह का माहौल दिखा। 53 साल के मतदाता नजीर सईदजादा ने कहा, ‘‘रहमान शांति लाए। उन्होंने जंग खत्म की और जब तक उनमें ताकत है, उन्हें देश पर राज करना चाहिए।
4. बराक ओबामा ने हटाया वियतनाम से प्रतिबंध:- अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने वियतनाम पर लगे सभी प्रतिबंध हटाने की घोषणा की है। अमेरिका ने करीब 50 साल पहले ये प्रतिबंध लगाए थे। वियतनाम एकमात्र देश है जहां से अमेरिका लड़ते-लड़ते थक कर लौट गया था। वियतनाम के राष्ट्रपति त्रान दाई क्वांग के साथ सोमवार को राष्ट्रपति ओबामा ने संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित किया। ओबामा ने कहा, 'अमेरिका वियतनाम को फौजी उपकरण बेचने पर लगे सभी प्रतिबंध हटा रहा है। ये करीब 50 साल पहले लगे थे।' किसी जमाने में दुश्मन रहे अमेरिका और वियतनाम अब चीन के बढ़ते प्रभाव के कारण करीब रहे हैं। ओबामा दक्षिण चीन सागर और वियतनाम को हथियार देने को अलग अलग मानकर चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रतिबंध हटाने का फैसला चीन को ध्यान में रख कर नहीं किया है। ओबामा का तीन दिवसीय वियतनाम दौरा उस घटना के करीब 41 साल बाद हुआ है जब उत्तरी वियतनाम की सेना और वियतकांग लड़ाकों ने सैगोन में प्रवेश कर अमेरिका जैसी महाशक्ति को अपमानित किया था। फिलहाल वियतनाम के पास सोवियत संघ के जमाने के पुराने जंग लगे हथियार हैं। पिछले एक दशक में उसने हथियार खरीद के बजट में 130 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है।
5. भारत ने किया पुन: उपयोग वाले स्पेस शटल का परीक्षण:- भारत ने सोमवार को स्वदेशी आरएलवी यानी पुन: प्रयोग किए जा सकने वाले प्रक्षेपण यान के पहले प्रौद्योगिकी प्रदर्शन का आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से सफल प्रक्षेपण कर लिया है। आरएलवी पृवी के चारों ओर कक्षा में उपग्रहों को प्रक्षेपित करने और फिर वापस वायुमंडल में प्रवेश करने में सक्षम है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रवक्ता ने आरएलवी-टीडी एचईएक्स-1 के सुबह सात बजे उड़ान भरने के कुछ ही समय बाद ‘‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, अभियान सफलतापूर्वक पूरा किया गया। यह पहली बार है,जब इसरो ने पंखों से युक्त किसी यान का प्रक्षेपण किया है। यह यान बंगाल की खाड़ी में तट से लगभग 500 किलोमीटर की दूरी पर उतरा। हाइपरसोनिक उड़ान प्रयोग कहलाने वाले इस प्रयोग में उड़ान से लेकर वापस पानी में उतरने तक में लगभग 10 मिनट का समय लगा। आरएलवी-टीडी पुन: प्रयोग किए जा सकने वाले प्रक्षेपण यान का छोटा प्रारूप है। आरएलवी को भारत का अपना अंतरिक्ष यान कहा जा रहा है। इसरो के वैज्ञानिकों के अनुसार यह लागत कम करने, विश्वसनीयता कायम रखने और मांग के अनुरूप अंतरिक्षीय पहुंच बनाने के लिए एक साझा हल है। इसरो ने कहा कि आरएलवी-टीडी प्रौद्योगिकी प्रदर्शन अभियानों की एक श्रृंखला है, जिन्हें एक समग्र पुन: प्रयोग योग्य यान ‘‘ टू स्टेज टू ऑर्बिट’ (टीएसटीओ) को जारी करने की दिशा में पहला कदम माना जाता रहा है। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार इसे एक ऐसा उड़ान परीक्षण मंच माना जा रहा है, जिस पर हाइपरसोनिक उड़ान, स्वत: उतरने और पार्वड क्र ूज फ्लाइट जैसी विभिन्न अहम प्रौद्योगिकियों का आकलन किया जा सकता है।
6. सामाजिक क्षेत्र में साङोदारी बढाएंगे केंद्र व राज्य :- प्रस्तावित ‘राष्ट्रीय विकास एजेंडा’ को मूर्तरूप देने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए नीति आयोग ने सामाजिक क्षेत्र में केंद्र और राज्यों के बीच साङोदारी बढ़ाने की शुरुआत कर दी है। आयोग शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे सामाजिक क्षेत्रों में अनुकरणीय उदाहरणों को भी एक दूसरे राज्य के साथ साझा कर रहा है, ताकि दूसरी जगह उन्हें इस्तेमाल किया जा सके। इसी सिलसिले में नीति आयोग ने सोमवार को सामाजिक क्षेत्र की सेवाओं की डिलीवरी के अनुकरणीय उदाहरणों पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। इस अवसर पर नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पानगड़िया ने कहा कि सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं को लागू करने के संबंध में केंद्र और राज्यों को एक-दूसरे के साथ अनुकरणीय उदाहरण साझा करने चाहिए। नीति आयोग को राज्यों के साथ अनुभव साझा करने को इस तरह के सम्मेलन बार-बार आयोजित करने चाहिए। एक राज्य की सामाजिक पूंजी, दूसरे से भिन्न है, लेकिन अनुभव साझा करने से शिक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में बेहतर हल निकल सकते हैं। यह भी कहा कि सरकार को निजी क्षेत्र के साथ मिलकर सामाजिक क्षेत्र की सेवाओं की डिलीवरी मजबूत बनानी चाहिए। नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत का कहना है कि राज्यों के साथ शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में विचार-विमर्श बहुत उपयोगी है। नीति आयोग शिक्षा के मानकीकरण में कमी को पूरा करने के लिए राज्यों के साथ मिलकर काम करेगा। प्राथमिक शिक्षा में पढ़ाई की गुणवत्ता खराब है। ड्रॉप आउट रेट भी 30 प्रतिशत है। इसे जल्द से जल्द दुरुस्त करने की जरूरत है, क्योंकि प्राथमिक शिक्षा ही आधार है। कांत ने माध्यमिक शिक्षा में व्यावसायिक कार्यक्रमों की जरूरत पर बल दिया। कहा कि माध्यमिक शिक्षा में ड्रॉप आउट लगभग 40 प्रतिशत है। नीति आयोग में एडवाइजर आलोक कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय विकास के एजेंडा को हासिल करने के लिए केंद्र और राज्यों के बीच साङोदारी बेहद महत्वपूर्ण है। राज्य जो प्रयास कर रहे हैं, उस पर फोकस करना बेहद जरूरी है। नीति आयोग ढांचागत क्षेत्र की विभिन्न परियोजनाओं के समय पर क्रियान्वयन पर नजर रखने को समय-समय पर केंद्र के विभिन्न मंत्रलय के साथ समन्वय कर प्रधानमंत्री कार्यालय के साथ निगरानी करता रहता है। आयोग अब ऐसा ही तरीका सामाजिक क्षेत्र में भी अपनाने जा रहा है। यही वजह है कि राज्यों के बीच आपस में अछे उदाहरणों को साझा करने के लिए आयोग ने यह बैठक बुलाई थी।
7. बीटी कॉटन पर फैसले से पलटी सरकार:- बायोटेक कंपनियों के दबाव में सरकार झुक गई है। उसने नए जेनेटिकली मोडिफाइड (जीएम) ट्रेट्स पर रॉयल्टी की सीमा तय करने संबंधी अधिसूचना वापस ले ली है। उसका कहना है कि इस बाबत कोई भी फैसला अब हितधारकों की राय के बाद लिया जाएगा। सरकार इस बारे में लोगों से राय मांगेगी। सूत्रों ने बताया कि बायोटेक इंडस्ट्री और कृषि विशेषज्ञों की तीखी आलोचना को देखते हुए सरकार ने ताजा निर्णय लिया है। उनका मानना था कि सरकार के फैसले से कृषि अनुसंधान में विदेशी निवेश प्रभावित होगा। साथ ही देश में नई तकनीकों का आना भी हतोत्साहित होगा। बीटी कॉटन टेक्नोलॉजी की खातिर दिशानिर्देश के संबंध में 18 मई को अधिसूचना जारी हुई थी। आधिकारिक वक्तव्य में कहा गया कि इस पर राय ली जाएगी। 90 दिनों में सभी हितधारकों को अपने सुझाव देने हैं। अलबत्ता कृषि राय मंत्री संजीव बालियान ने कहा है कि अधिसूचना को वापस लिया गया है, फैसले पर रोलबैक नहीं हुआ है। बीते शुक्रवार को केंद्र सरकार ने बीटी कॉटन बीजों के बाजार को नियंत्रित करने के लिए नियम और कड़े करते हुए नए जीएम ट्रेट्स पर पहले पांच साल के लिए रॉयल्टी 10 फीसद तय की थी। यह रॉयल्टी बीटी कॉटन के अधिकतम बिक्री मूल्य पर दी जानी थी। इससे बीटी कॉटन बीजों की दिग्गज मोन्सेंटो का भारतीय कारोबार बुरी तरह प्रभावित होता। इन नियमों के तहत नए जीएम बीजों पर पांच साल बाद रॉयल्टी हर वर्ष 10 फीसद की दर से कम होनी थी। इसके अलावा यह भी इंतजाम किया गया था कि अगर जीएम टेक्नोलॉजी कारगर नहीं रह जाती है, तो इस तकनीकी को मुहैया कराने वाली कंपनी को कोई रॉयल्टी नहीं मिलेगी।
8. बैंकिंग फ्रॉड में ग्राहकों की होगी सीमित जवाबदेही:- बैंकों में होने वाली धोखाधड़ी में ग्राहकों की जवाबदेही को सीमित रखने पर विचार हो रहा है। रिजर्व बैंक जल्द ही इसके लिए एक फ्रेमवर्क तैयार करेगा। आरबीआइ के डिप्टी गवर्नर एसएस मूंदड़ा ने सोमवार को यह जानकारी दी। मूंदड़ा यहां बैंकिंग कोड्स एंड स्टैंडर्डस बोर्ड ऑफ इंडिया (बीसीएसबीआइ) के एक कार्यक्रम में पहुंचे थे। वह बोले कि जालसाजी और इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन के जरिये ग्राहकों के साथ होने वाली धोखाधड़ी में ग्राहकों की जवाबदेही सीमित रखने के संदर्भ में केंद्रीय बैंक पहले ही विचार कर रहा है। वह देख रहा है कि क्या इस मामले में नियामकीय निर्देश जारी किया जाना चाहिए। बीसीएसबीआइ का मकसद बैंकों के लिए व्यापक संहिता और मानदंड की योजना बनाना, विकसित करना, बढ़ावा देना और उन्हें प्रकाशित करना है। इससे ग्राहकों के साथ बैंक में उचित व्यवहार हो सकेगा। इसके पीछे विचार यह है कि ऐसे मामलों में जहां धोखाधड़ी हुई है, ग्राहक की जवाबदेही एक सीमा से यादा नहीं हो। डिप्टी गवर्नर की मानें तो इस बारे में विचार-विमर्श चल रहा है। यादा जोर एक सीमा तय किए जाने पर है। इसके लिए रिजर्व बैंक की ओर से रूपरेखा जल्द ही घोषित कर दी जाएगी। मूंदड़ा ने बताया कि ऑनलाइन ट्रांजैक्शन बढ़ने के साथ इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन संबंधी शिकायतों में बढ़ोतरी हुई है। इनमें अनधिकृत फंड ट्रांसफर, डुप्लीकेट कार्डो का इस्तेमाल कर एटीएम से पैसों की निकासी और फर्जी ई-मेल की शिकायतें शामिल हैं। मोबाइल नेट बैंकिंग में धोखाधड़ी के मामलों की रोकथाम के लिए मजबूत प्रणाली का होना जरूरी है। डिलीवरी चैनलों में ग्राहकों का भरोसा बनाए रखने के लिए ऐसा करना आवश्यक है। आरबीआइ ने हाल ही में चार हजार एटीएम का एक सर्वे किया। इनमें विभिन्न बैंकों के एटीएम शामिल थे। उसने पाया कि इनमें सुविधाएं संतोषजनक नहीं थीं। आरबीआइ ने बैंकों की ओर से उत्पादों की गलत तरीके से बिक्री पर भी चिंता जताई है।

Sunday 22 May 2016

दैनिक समसामयिकी 23 May 2016(Monday)

1.प्रधानमंत्री के मन की बात में पर्यावरण संरक्षण का आह्वान :- पर्यावरण संरक्षण को हर व्यक्ति की जिम्मेदारी बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पानी की एक-एक बूंद बचाने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि हमें ऐसी फसलों को अपनाना होगा, जिनमें कम पानी का इस्तेमाल होता है। यह सिर्फ सरकारों या राजनेताओं का ही नहीं, जन-सामान्य का भी काम है। प्रधानमंत्री ने सूखे की समस्या के स्थायी समाधान के अलावा खेती में सूक्ष्म सिंचाई एवं प्रौद्योगिकी के महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, ‘पानी परमात्मा का प्रसाद है। एक बूंद भी बर्बाद हो, तो हमें पीड़ा होनी चाहिए।’ रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘जून, जुलाई, अगस्त और सितंबर इन चार महीनों में हम तय करें कि पानी की एक बूंद भी बर्बाद नहीं होने देंगे। अभी से प्रबंध करें। पानी बचाने की जगह क्या हो सकती है? पानी रोकने की जगह क्या हो सकती है?’ उन्होंने कहा, ‘और पानी सिर्फ किसानों का विषय नहीं है। यह गांव, गरीब, मजदूर, किसान, शहरी, ग्रामीण, अमीर गरीब हर किसी से जुड़ा है। बारिश का मौसम आ रहा है, तो पानी हमारी प्राथमिकता रहे।’ गर्मी का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पारा आसमान छू रहा है। पशु हो, पक्षी हो, इंसान हो, हर कोई परेशान है। पर्यावरण असंतुलन के कारण ही तो ये समस्याएं बढ़ती चली जा रही हैं। जंगल कम होते गए, पेड़ कटते गए। मानवजाति ने प्रकृति का विनाश करके स्वयं के विनाश का मार्ग प्रशस्त कर दिया। हमें पेड़-पौधों और पानी की भी चर्चा करनी है, ताकि हमारे जंगल बढ़ें। पिछले दिनों उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर के जंगलों में लगी आग का हवाला देते हुए मोदी ने कहा आग का मूल कारण भी हमारी लापरवाही ही थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले दिनों उन्हें अधिक सूखे वाले 11 रायों के मुख्यमंत्रियों से बातचीत करने का अवसर मिला। इनमें उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा जैसे राय शामिल थे। मोदी ने कहा कि मेरे लिए वह सीखने वाला अनुभव था। मैंने नीति आयोग को कहा है कि जो सर्वश्रेष्ठ कदम हैं, उन्हें सभी रायों में लागू करने के लिए काम होना चाहिए। कुछ रायों, खासकर आंध्र और गुजरात ने प्रौद्योगिकी का भरपूर उपयोग किया है। मैं चाहूंगा कि इन सफल प्रयासों को अन्य रायों में भी पहुंचाया जाए।
2. स्वदेशी स्पेस शटल की पहली उड़ान से आज बनेगा इतिहास:- अंतरिक्ष के क्षेत्र में सोमवार का दिन भारत के लिए बेहद अहम है। इस दिन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का पूरी तरह से ‘मेड इन इंडिया’ स्पेस शटल अपनी पहली प्रायोगिक परीक्षण उड़ान भरेगा। यह पहला मौका है जब भारत डेल्टा पंखों से लैस स्वदेशी स्पेस शटल यानी आरएलवी को प्रक्षेपित करने जा रहा है। इसरो ने मौसम सही होने के मद्देनजर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से इसके प्रक्षेपण की उल्टी गिनती शुरू कर दी है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अध्यक्ष आरसी किरण कुमार के अनुसार, ‘अगर मौसम अनुकूल रहा तो सोमवार सुबह 9 मीटर लंबे और 11 टन भारी रॉकेट के जरिये पुनरुपयोगी प्रक्षेपण यान (रीयूजेबल लांच व्हीकल-आरएलवी-टीडी) श्रीहरिकोटा उपग्रह प्रक्षेपण केंद्र से उड़ान भर देगा।’ सुबह सात से 11 बजे के बीच किसी भी समय प्रस्तावित प्रक्षेपण के बाद विमान के आकार वाला यह यान अंतरिक्ष में 70 किलोमीटर की दूरी तय कर बंगाल की खाड़ी में लौट आएगा। प्रक्षेपण के बाद आरएलवी-टीडी का सुपरसोनिक फ्लाइट टेस्ट नामक यह अभियान महज दस मिनट में ही संपन्न हो जाएगा। इसरो प्रमुख आरएलवी के पहले प्रायोगिक परीक्षण उड़ान से बेहद उत्साहित हैं। उनका कहना है कि अगर प्रायोगिक उड़ान तय मानकों पर खरी उतरी तो इससे उपग्रह प्रक्षेपण लागत में भारी कमी आएगी। ‘एयरोप्लेन’ के आकार के 6.5 मीटर लंबे और 1.75 टन वजनी आरएलवी अंतरिक्ष यान को एक विशेष रॉकेट बूस्टर की मदद से वायुमंडल में भेजा जाएगा। इसरो के वैज्ञानिकों के अनुसार उपग्रहों को कक्षा में प्रक्षेपित करने की लागत को कम करने के लिए ही आरएलवी को दोबारा इस्तेमाल के लायक बनाया गया है। उनका कहना है कि अगर आरएलवी का प्रयोग सफल हुआ तो इससे प्रक्षेपण की लागत 10 गुना कम होकर 2000 डॉलर प्रति किलो पर आ सकती है। इस स्वदेशी स्पेस शटल के निर्माण में पांच साल लगे हैं। सरकार ने इस परियोजना में 95 करोड़ रुपयों का निवेश किया है।
3. जल को समवर्ती सूची में रखने पर बहस:- भूजल स्तर में लगातार गिरावट आने, शहरों का विस्तार होने के बावजूद बुनियादी सुविधाओं की कमी, जलवायु परिवर्तन, देश के 20 राज्यों में जल विषाक्तता के बीच जल के समुचित उपयोग एवं संरक्षण को लेकर एक समग्र, व्यापक राष्ट्रीय नीति बनाने की मांग के साथ ही जल को संविधान की समवर्ती सूची में रखने पर बहस शुरू हो गई है। जल के उपयोग के बारे में भारत के गांव-समाज को अपना दायित्व हमेशा से स्पष्ट था। जब तक हमारे शहरों में पानी की पाइप लाइन नहीं पहुंची थी, तब तक यह दायित्वपूर्ति शहरी भारतीय समुदाय को भी स्पष्ट थी, किन्तु पानी के अधिकार को लेकर अस्पष्टता हमेशा बनी रही। इनोवेटिव इंडिया फाउंडेशन के संयोजक सुधीर जैन ने कहा कि जल का विषय किसके पास रहे, इसको लेकर अस्पष्टता रही है। कई सवाल आज भी कायम हैं कि कौन सा पानी किसका है ? बारिश की बूंदों पर किसका हक है? नदी-समुद्र का पानी किसका है ? तल, भूतल, सतह, पाताल का पानी किसका है ? सरकार का पानी पर स्वामित्व है या वह सिर्फ ट्रस्टी है? यदि ट्रस्टी, सौंपी गई संपत्ति की ठीक से देखभाल न करे, तो क्या हमें हक है कि हम ट्रस्टी बदल दें?पर्यावरणविद उमा राउत ने कहा कि हमें जल को समवर्ती सूची के अंतर्गत ले लेना चाहिए ताकि केंद्र के हाथ में कुछ संवैधानिक शक्ति आ जाएं। इससे देश में जल से जुड़ी समस्याओं से निपटने में मदद मिलेगी। साथ ही राष्ट्रीय संसाधनों का राष्ट्रीय हित में उपयोग निश्चित ही लाभकारी रहेगा। बुंदेलखंड विकास मोर्चा के आशीष सागर ने कहा कि हमारे सामने यह यक्ष प्रश्न है कि बाढ़ और सूखे से निपटने में राज्य क्या वाकई बाधक हैं? पानी के प्रबंधन का विकेन्द्रित होना अच्छा है या केंद्रीकरण होना? समवर्ती सूची में आने से पानी पर एकाधिकार, तानाशाही बढ़ेगी या घटेगी? बाजार का रास्ता आसान हो जाएगा या कठिन? वर्तमान संवैधानिक स्थिति के अनुसार जमीन के नीचे का पानी उसका है, जिसकी जमीन है। सतही जल के मामले में अलग-अलग राज्यों में थोड़ी भिन्नता जरूर है, किन्तु सामान्य नियम है कि निजी भूमि पर बनी जल संरचना का मालिक, निजी भूमिधर होता है। केंद्र सरकार, पानी को लेकर राज्यों को मार्गदर्शन निर्देश जारी कर सकती है।
4. खाड़ी देशों के साथ कम हुआ व्यापार घाटा:- खाड़ी देशों को होने वाले निर्यात एवं वहां से आने वाले पैसे दोनों में गिरावट आने के बावजूद पिछले तीन साल में भारत का व्यापार घाटा 77 प्रतिशत कम हुआ है।शोध एवं सलाह सेवा देने वाली कंपनी क्रिसिल के अनुसार खाड़ी देशों को होने वाले निर्यात के कम होने तथा वहां से आने वाले पैसों में कमी आने के बावजूद स्थिति बेहतर बनी हुई है। उसने कहा कि वित्त वर्ष 2015-16 में खाड़ी देशों को भारत का निर्यात 18.70 प्रतिशत कम हुआ है। भारत खाड़ी देशों को मुख्यत: पेट्रालियम उत्पाद निर्यात करता है। कच्चे तेल की कीमतों में आयी गिरावट के कारण निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।कच्चे तेल की कीमतें गिरने के कारण खाड़ी देशों का राजस्व भी कम हुआ है। इसके कारण वहां लोगों के खर्च में भी गिरावट देखी जा रही है। इस वजह से ही खाड़ी देशों से भारत भेजे जाने वाले पैसे में भी पिछले छह साल में पहली बार कमी हुई है और वित्त वर्ष 2015-16 में यह 2.20 प्रतिशत कम हुआ है। क्रिसिल ने कहा कि कच्चे तेल के सस्ता होने से खाड़ी देशों के साथ व्यापार संतुलन पर सकारात्मक प्रभाव भी पड़ा है। इससे खाड़ी देशों का आयात बुरी तरह प्रभावित हुआ है और वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान इसमें 34.50 प्रतिशत की बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। आयात गिरने से पिछले तीन साल में व्यापार घाटा 46 अरब डालर से 77 प्रतिशत कम होकर 14 अरब डालर पर आ गया है।उसने कहा कि भारत में वर्ष 2014 में खाड़ी देशों से कुल 70.40 अरब डालर आए थे जो वर्ष 2015 में कम होकर 68.90 अरब डालर रह गया था। उसने कहा कि यदि आने वाले समय में लंबे अंतराल तक कच्चे तेल की कीमत में नरमी बनी रही तो खाड़ी देशों की आर्थिक गतिविधियां प्रभावित होंगी जिससे वहां से आने वाले पैसे में भी कमी आ सकती है।
5. केरी ने म्यांमार में बदलावों को ‘असाधारण’ बताया:- अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने म्यांमार में आंग सान सू की की ओर से चलाई जा रही असैन्य सरकार के तहत वहां हुए बदलावों को ‘असाधारण’ करार दिया है। उनके अनुसार, यह वैश्विक लोकतंत्र के मकसद को मजबूती प्रदान करेगा। सू की और उनके प्रशासन के इसी साल मार्च में कार्यभार संभालने के बाद जॉन केरी की उनके साथ यह पहली उचस्तरीय बैठक थी। केरी ने नोबेल पुरस्कार विजेता से कहा कि दशकों के सैन्य शासन के बाद उनके देश के लोकतंत्र की ओर बढ़ने से उम्मीद की एक किरण जगी है। केरी ने सू की के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘आज मेरा संदेश बहुत साधारण है। हम उस लोकतांत्रिक परिवर्तन का मजबूती के साथ समर्थन करते हैं, जो यहां हो रहा है।’ देश में राजनीतिक बदलाव के कदमों के चलते सू की और उनकी पार्टी ने दशकों के जुंटा शासन के बाद हुए ऐतिहासिक चुनावों में भारी जीत दर्ज की थी। केरी ने कहा, ‘दुनिया भर के लोगों के लिए यह एक ‘असाधारण बात’ है। नई सरकार पहले से ही असाधारण काम करने में पारंगत है।’ केरी और सू की यह मुलाकात अमेरिका द्वारा पिछले सप्ताह म्यांमार से कई वित्तीय व व्यापार प्रतिबंधों को हटाए जाने के बाद हुई है। अमेरिका ने म्यांमार में नाटकीय राजनीतिक परिवर्तन के चलते प्रतिबंध हटाए थे। हालांकि केरी ने कहा कि उनका देश म्यांमार के लोकतांत्रिक विकास के आधार पर कुछ सेक्टरों पर प्रतिबंध जारी रखेगा, क्योंकि कुछ लोगों को बदलने की जरूरत है। केरी ने लोकतंत्र और विदेशी निवेश में म्यांमार की मदद करने की इछा जाहिर की। उन्होंने कहा कि 2012 में अमेरिका, शांति व राष्ट्रीय सुलह के लिए सामाजिक संगठनों को 1.20 करोड़ डॉलर से अधिक की राशि दे चुका है। सू की ने कहा, ‘म्यांमार उन अमेरिकी प्रतिबंधों से नहीं डरता, जिन्हें खास स्थिति के तहत लगाया गया था।’ उन्होंने विश्वास जताया कि एक दिन ये सभी प्रतिबंध वापस ले लिए जाएंगे। सू की म्यांमार की विदेश मंत्री हैं। जुंटा ने उन्हें राष्ट्रपति बनने से रोकने के लिए संविधान में नियम बनाए थे। इसके बावजूद उनके लिए स्टेट काउंसलर का नया पद सृजित किया गया, ताकि वह सरकार का संचालन कर सकें। म्यांमार के राष्ट्रपति लंबे समय तक सू की के सहयोगी रहे तिन क्या हैं।
6. पोस्टल पेमेंट बैंक अगले साल शुरू होने की उम्मीद :- केंद्रीय संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद के मुताबिक डाक विभाग का पेमेंट बैंक मार्च 2017 से काम करना शुरू कर देगा। यह वित्तीय समावेशन के लिए एक बड़ा प्लेटफार्म होगा। पोस्टल पेमेंट बैंक को शुरू करने की तैयारी की जा रही है। जल्द ही केंद्रीय मंत्रिमंडल में इसका प्रस्ताव रखा जाएगा। प्रस्तावित पोस्टल पेमेंट बैंक के पास दूसरे वित्तीय संस्थानों के उत्पाद सेवाएं बेचने के विकल्प होंगे।
7. किरण बेदी:- भाजपा नेता और पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी को रविवार को पुडुचेरी का उपराज्यपाल नियुक्त किया गया। अभी इस पद का अतिरिक्त प्रभार अंडमान निकोबार द्वीपसमूह के उपराज्यपाल देख रहे हैं।राष्ट्रपति भवन की एक विज्ञप्ति के अनुसार, श्रीमती किरण बेदी को उनके पदभार संभालने की तारीख के प्रभाव से पुडुचेरी का राज्यपाल नियुक्त करते हुए राष्ट्रपति प्रसन्नता महसूस करते हैं। देश की पहली महिला आईपीएस अधिकारी और 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में भाजपा के अभियान की कमान संभालने वाली 66 साल की किरण ने कहा, मैं इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए अपना शत प्रतिशत दूंगी। मैं देश के फायदे के लिए काम करूंगी। मैं हर दिन अपना सर्वश्रेष्ठ दूंगी।
8. अनुराग ठाकुर:- अनुराग ठाकुर रविवार को बीसीसीआई की विशेष आम बैठक में सर्वसम्मति से बोर्ड के अध्यक्ष चुने गए, जबकि अजय शिर्के को सचिव चुना गया है। ठाकुर इस तरह स्वतंत्रता के बाद सबसे कम उम्र के बीसीसीआई अध्यक्ष बन गए हैं। यह चुनाव ऐसे समय में हुआ जब दुनिया का सबसे अमीर बोर्ड उतार-चढ़ाव के दौर से गुजर रहा है।41 वर्षीय ठाकुर ने शंशाक मनोहर की जगह ली है, जिन्होंने आईसीसी चेयरमैन का पदभार संभालने के लिए इस पद से इस्तीफा दे दिया था।