संयुक्त राष्ट्र की इकाई यूनाइटेड नेशंस कांफ्रेंस ऑन ट्रेड एंड डेवलपमेंट (अंकटाड) ने कहा कि वर्ष 2016 से 2018 के बीच भारत अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा एफडीआई डेस्टिनेशन होगा। अंकटाड की नियंतण्र निवेश रिपोर्ट 2016 में कहा गया है कि पिछले साल देश में कुल 44 अरब डालर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आया और भारत दुनिया में 10वां सबसे बड़ा एफडीआई डेस्टिनेशन रहा। वर्ष 2014 में भी वह 10वें स्थान पर ही रहा था। हालांकि उस साल 35 अरब डालर का एफडीआई आया था। वर्ष 2015 में 380 अरब डालर के साथ अमेरिका एक बार फिर पहले स्थान पर वापसी करने में सफल रहा। 2014 में वह तीसरे स्थान पर फिसल गया था। वहीं, आर्थिक विकास की रफ्तार सुस्त पड़ने से चीन पहले स्थान से खिसक कर 136 अरब डालर के निवेश के साथ वर्ष 2015 में तीसरे स्थान पर चला गया।नियंतण्र एफडीआई वर्ष 2015 में 38 फीसद बढ़कर 1762 अरब डालर पर पहुंच गया। लेकिन, इसमें मुख्य योगदान सीमाओं के आर-पार विलय एवं अधिग्रहण सौदों का रहा। विलय एवं अधिग्रहण सौदे विकसित देशों में ज्यादा देखे गए। इन सौदों को हटा दिया जाए तो गत वर्ष शुद्ध रूप से एफडीआई में 15 फीसद की वृद्धि दर्ज की गई। रिपोर्ट में कहा गया है एफडीआई का बढ़ना नियंतण्र वृहद आर्थिक वातावरण को देखते हुए कुछ अजीब बात रही। नियंतण्र स्तर पर उभरते बाजार वाले देशों की विकास दर घट रही है और कमोडिटी की कीमतें निचले स्तर पर हैं।
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