कभी फसल चौपट होने तो कभी बाजार में बहुतायत में आपूर्ति के चलते उपज के भाव घटने से बार-बार नुकसान उठाने वाले किसानांे को संकट से उबारने के लिए सरकार ‘मुद्रा’ योजना का सहारा देने की तैयारी कर रही है। केंद्र इस योजना के जरिये गांवों में ऐसी गैर-कृषि काम-धंधों को बढ़ावा देगा जिससे किसानों को अतिरिक्त आमदनी होती रहे और वे कृषि आय में अनायास कमी से उत्पन्न संकट में न फंसें। इसके तहत प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के जरिये गांवों में सूक्ष्म और लघु स्तर पर खाद्य प्रसंस्करण, ग्रामीण परिवहन सेवा और टैक्सटाइल व हैंडलूम आधारित काम-धंधों को बढ़ावा दिया जाएगा। वित्त मंत्रलय के सूत्रों ने कहा कि खेती से होने वाली आय पर अचानक संकट आने से किसानों का बजट बिगड़ जाता है। इसलिए मंत्रलय ने मुद्रा योजना के तहत ऐसे काम-धंधों के लिए कर्ज देने की दिशा में कदम उठाया है जिससे किसानों को अतिरिक्त आय हो सके। फिलहाल किसानों की मात्र आठ प्रतिशत आय ही गैर-कृषि कारोबार से होती है। ऐसे में इस क्षेत्र से आय बढ़ाने की काफी संभावनाएं हैं। सूत्रों ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में परिवहन सेवा के लिए ई-रिक्शा, ऑटो रिक्शा, सामान ढुलाई के लिए छोटे व्यावसायिक वाहन व टैक्सी खरीदने, सैलून व ब्यूटी पार्लर, ड्राईक्लीन और मोटर साइकिल मरम्मत की दुकानों के लिए भी कर्ज उपलब्ध कराया जाएगा। इसके अलावा खाद्य प्रसंस्करण पर भी जोर दिया जाएगा। इनमें पापड़ बनाना, अचार बनाना, मिठाई दुकानें खोलना, आइसक्रीम, बिस्कुट और ब्रेड बनाने जैसी काम-धंधों के लिए कर्ज दिया जाएगा। लगातार दो साल सूखे की मार के चलते किसानों की स्थिति बहुत खराब हो गयी है। हाल यह है कि एक किसान परिवार की औसत मासिक आय मात्र 6426 रुपये है जबकि महीने का खर्च 6,223 रुपये है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि किसान परिवार की औसत मासिक आय का 60 प्रतिशत खेती से और 32 प्रतिशत मजदूरी से आता है जबकि मात्र आठ प्रतिशत ही गैर-कृषि काम-धंधों से आता है। ऐसे में सरकार की कोशिश है कि सूक्ष्म और लघु व्यवसायों को प्रोत्साहित कर किसानों की आय को इतना बढ़ाया जाए जिससे खेती पर संकट आने पर उनकी आय में अचानक भारी गिरावट न हो। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की शुरुआत 8 अप्रैल 2015 को हुई। इसके तहत छोटे-मोटे काम-धंधों के लिए तीन प्रकार का लोन बिना कुछ गिरवी रखे दिया जाता है। पहला 50,000 रुपये तक का लोन जिसे ‘शिशु’ कहते हैं, दूसरा ‘किशोर’ लोन होता है जिसके तहत 50 हजार रुपये से 5 लाख रुपये तक लोन मिलता है और तीसरा ‘तरुण’ लोन होता है जिसके तहत पांच लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक का लोन दिया जाता है। 2015-16 में इस योजना के तहत 3.5 करोड़ को 1.32 लाख करोड़ रुपये का ऋण मुहैया कराया जा चुका है।
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