देश में अभी तक के सबसे बड़े स्पेक्ट्रम नीलामी का स्टेज तैयार है। केंद्रीय कैबिनेट स्पेक्ट्रम नीलामी के प्रस्ताव को अगले हफ्ते मंजूरी दे सकती है। इस बार की नीलामी अपने आप में संपूर्ण होगी क्योंकि सरकार का दावा है कि इसके बाद देश की मोबाइल कंपनियों के पास स्पेक्ट्रम की कोई कमी नहीं रहेगी। लिहाजा कंपनियां अब स्पेक्ट्रम का रोना रोकर कॉल ड्रॉप के लिए बहाना भी नहीं बना पाएंगी। वैसे इस बार की नीलामी से सरकार भी खूब मालामाल होगी क्योंकि उसे सिर्फ चालू वित्त वर्ष के दौरान ही तकरीबन डेढ़ लाख करोड़ रुपये की आमदनी की उम्मीद है। दूरसंचार सचिव जे. एस. दीपक की अगुवाई में संचार मंत्रलय के अधिकारियों ने शुक्रवार को मोबाइल सेवा देने वाली कंपनियों के साथ स्पेक्ट्रम नीलामी लंबे समय तक विचार विमर्श किया। कंपनियां स्पेक्ट्रम खरीदने के लिए अभी से वित्तीय संसाधन जुटाना शुरू कर चुकी हैं लेकिन उनके सामने लोन लेना बड़ी चुनौती है। सेल्यूलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के डायरेक्टर जनरल राजन एस. मैथ्यू ने दैनिक जागरण को बताया कि एक तो भारतीय बैंकों की हालात बहुत अछी नहीं है दूसरा हमने पहले से स्पेक्ट्रम खरीद के लिए जो कर्ज ले रखा है, उस पर भारी भरकम ब्याज देना पड़ रहा है। ऐसे में यह बहुत ही अछा होगा कि सरकार लाइसेंस फीस की राशि बहुत यादा नहीं रखे। अगर सरकार ऐसा करती है तो देश में डिजिटल क्रांति को तेजी से आगे बढा़ने में मदद मिलेगी। बताते चलें कि इस बार की स्पेक्ट्रम नीलामी से मोदी सरकार की डिजिटल इंडिया की रफ्तार पर भी असर पड़ेगा। क्योंकि जब कंपनियों के पास पर्याप्त स्पेक्ट्रम होगा तो वे मोबाइल फोन पर तेजी से इंटरनेट सेवा दे सकेंगे। अभी देश में 25 करोड़ लोगों के पास स्मार्ट फोन है। माना जा रहा है कि दो से तीन वर्षो में 50 करोड़ भारतीयों के पास स्मार्ट फोन होगा। स्मार्ट फोन को तेजी से चलने वाले इंटरनेट से जोड़कर सरकार की तमाम कार्यक्रमों को सीधे जनता तक पहुंचाया जा सकेगा। इससे जन धन योजना, सब्सिडी हस्तांतरण, ई-गवर्नेस से जुड़ी तमाम योजनाएं व कैशलेस सोसायटी जैसी एनडीए सरकार की सोच को अमली जामा पहनाना आसान होगा। यही वजह है कि इस बार की स्पेक्ट्रम नीलामी को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। डॉट के अधिकारियों ने बताया कि इस बार 600 मेगाहट्र्ज, 700 मेगाहट्र्ज, 900 मेगाहट्र्ज, 1800 मेगाहट्र्ज, 2100 मेगाहट्र्ज, 2300 मेगाहट्र्ज और 2500 मेगाहट्र्ज के स्पेक्ट्रम की एकमुश्त नीलामी होगी। रक्षा मंत्रलय से अतिरिक्त स्पेक्ट्रम हासिल भी हासिल होगी। इसमें सबसे यादा 700 मेगाहट्र्ज को लेकर कंपनियों के बीच उत्साह है क्योंकि इस पर हर तरह की मोबाइल व इंटरनेट सेवाओं की गुणवत्ता काफी बेहतर मानी जा रही है। इसकी कीमत भी सबसे यादा तय होने के आसार हैं। दूरसंचार नियामक प्राधिकरण यानी ट्राई के प्रस्ताव के मुताबिक पूरे देश में 700 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम खरीदने के लिए कंपनियों को कम से कम 11,500 करोड रुपये देने होंगे।
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