स्मार्ट शहर बनाने की महत्वाकांक्षी योजना शुरू करने के बाद सरकार अब इन शहरों में स्मार्ट बैंकिंग सुविधा देने की भी तैयारी कर रही है। इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए वित्त मंत्रलय ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकांे से कहा है कि वे स्मार्ट शहरों के लिए अभी से अपने कामकाज का तरीका स्मार्ट बनाने में जुट जाएं। आधिकारिक सूत्रों का कहना है सरकारी बैंकों और वित्तीय संस्थानांे के प्रमुखों की सोमवार को हुई उच स्तरीय बैठक में मंत्रलय ने यह निर्देश दिया। इस बैठक में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सरकारी बैंकों के कामकाज की समीक्षा की थी। सूत्रों के मुताबिक वित्त मंत्रलय ने बैंकों को स्पष्ट कहा है कि स्मार्ट सिटी ‘टेक सेवी’ होंगे और उनमें पर्याप्त डिजिटल सुविधाएं होंगी। ऐसे में सरकारी बैंकांे अभी इन शहरों के लिए अपनी योजनाएं बनानी शुरू कर देनी चाहिए। मंत्रलय ने कहा कि सरकारी बैंकों को इन शहरों की क्रियान्वयन एजंेसियों के साथ संपर्क कर साङोदारी करनी चाहिए ताकि वे शहरों में डिजिटल पेमेंट का ईको सिस्टम प्रदान कर सकें। सूत्रों ने कहा कि दुनियाभर के स्मार्ट शहरों का अनुभव बताता है कि वहां कैश लेन-देन कम होता है। पार्किग से लेकर, बिजली-पानी के बिल, परिवहन, खरीददारी जैसे देन-देन के लिए कार्ड या ऑनलाइन भुगतान होता है। स्मार्ट शहरों में सभी परिवारांे के पास बैंकिंग सुविधा होने और सूचना प्रौद्योगिकी की सुविधाएं होने से लोग नकद में लेन-देन करने से बचते हैं। इस बीच सरकार बैंकों के डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने के लिए कुछ प्रोत्साहन दे सकती है। वैसे भी अगर डिजिटल लेन-देन बढ़ता है तो बैंकों की लागत भी कम होगी। बैंकों को प्रौद्योगिकी के बेहतर इस्तेमाल के साथ-साथ सभी एटीएम मशीनों को ‘आधार’ से जुड़ने योग्य बनाने को कहा है। ऐसा होने पर सभी मौजूदा एटीएम मशीनों और नए एटीएम को ऐसा बनाना होगा जो ग्राहक की अंगुलियों की छाप (बॉयोमैटिक्स) को पहचान सकें। ऐसा होने पर एटीएम कार्ड की सुरक्षा बढ़ जाएगी और फ्रॉड की संभावना भी लगभग खत्म हो जाएगी। उल्लेखनीय है कि सरकार ने 100 शहरों को स्मार्ट बनाने की घोषणा की है जिसमें से पहले चरण में 20 शहरों को स्मार्ट सिटी के तौर पर विकसित किया जा रहा है।
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