भारत में 2015 के दौरान निजी-सार्वजनिक भागीदारी वाले क्षेत्रों में निवेश 10 साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया। ग्लोबल निवेश भी और सिकुड़कर पांच साल के औसत स्तर 124.1 अरब डॉलर से कम रह गया। विश्व बैंक ने अपनी ताजा रिपोर्ट में यह बात कही है। इस रिपोर्ट के अनुसार, 2015 में ग्लोबल निवेश घटकर 111.6 अरब डॉलर रह गया। वर्ष 2010 से 2014 तक इसका औसत 124.1 अरब डॉलर रहा। विश्व बैंक ने इंफ्रास्ट्रक्चर डाटाबेस में निजी भागीदारी पर रिपोर्ट जारी की है। इसमें कहा गया है कि यह संकुचन ब्राजील, चीन और भारत में निवेश कम होने के कारण हुआ है।विश्व बैंक ने कहा कि भारत में निवेश 10 साल के न्यूनतम स्तर पर इसलिए रहा क्योंकि सिर्फ छह सड़क परियोजनाओं में ही वित्त की व्यवस्था हो सकी। सड़क परियोजनाएं 10 साल से निजी-सार्वजनिक निवेश का बड़ा स्रोत रही हैं। दक्षिण एशिया में इस क्षेत्र में 5.6 अरब डॉलर के कुल 43 सौदे हुए। यह रकम कुल निवेश का पांच फीसद है। इससे पिछले पांच साल के 30.5 अरब डॉलर के औसत से यह 82 फीसद कम है। बैंक के मुताबिक, ऐतिहासिक रुझान बरकरार रखते हुए इनमें से यादातर परियोजनाएं भारत में सामने आईं (43 में से 36), पाकिस्तान में चार, नेपाल में दो और बांग्लादेश में एक परियोजना में निवेश आया। खास बात यह है कि 36 परियोजनाओं में से दो अरब डॉलर की 26 परियोजनाएं नवीकरणीय ऊर्जा से जुड़ी हैं। जबकि पाकिस्तान की 74.99 करोड़ डॉलर की सभी परियोजनाएं इससे संबंधित हैं। रिपोर्ट कहती है कि बीते पांच साल के औसत के मुकाबले सौर ऊर्जा निवेश 72 फीसद उछला है। जबकि प्राइवेट पार्टनरशिप के साथ करीब दो-तिहाई निवेश नवीकरणीय ऊर्जा ने आकर्षित किया।
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