भारत परमाणु आपूर्तिकर्ता देशों के समूह (एनएसजी) का सदस्य बन पाएगा या नहीं यह अगले 48 घंटे में तय हो जाएगा। कूटनीति के लिहाज से अगले 24 घंटे बेहद अहम होंगे। दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में गुरुवार से एनएसजी के 48 देशों की बैठक शुरू होगी। भारत ने स्वीकारा है कि राह आसान नहीं है, लेकिन उसने ऐन वक्त पर पूरी ताकत झोंक दी है। विदेश सचिव एस जयशंकर की अगुआई में मजबूत टीम सियोल पहुंच चुकी है। फ्रांस के समर्थन से भारतीय खेमे में नये उत्साह का संचार हुआ है। फ्रांस ने कहा है परमाणु, जैविक और अन्य तकनीकी हस्तांतरण से जुड़े चारों अंतरराष्ट्रीय समझौतों में भारत के शामिल होने से परमाणु तकनीकी के गलत इस्तेमाल पर रोक लगेगी। भारत की हिस्सेदारी परमाणु, रासायनिक, जैविक, बैलास्टिक व पारंपरिक संवेदनशील उत्पादों व तकनीकी निर्यात को नियंत्रण करने में मदद मिलेगी। रूस, ब्रिटेन और अमेरिका के बाद फ्रांस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का चौथा देश हो गया है जिसने अन्य सभी देशों से भारत के समर्थन में वोटिंग करने का आग्रह किया है। भारतीय खेमा का आकलन है कि 25 देश पूरी तरह से उसके साथ हैं जबकि 23 ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। उनमें से पांच या छह को छोड़ कर अन्य वोटिंग की स्थिति में भारत के साथ खड़े होंगे। बहरहाल, अभी भी सबसे बड़ी अड़चन चीन ही है। पीएम नरेंद्र मोदी कल ताशकंद में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से दोपहर में भेंट करेंगे। तब तक सिओल में बैठक शुरू हो चुकी होगी। वैसे तो इस बैठक में मोदी और चिनफिंग के बीच हर मुद्दे पर वार्ता होगी, लेकिन माना जा रहा है कि वार्ता के केंद्र में एनएसजी ही होगा।
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