26 मिनट के मिशन में एक साथ 20 उपग्रहों का प्रक्षेपण करके भारत अरबों डॉलर के वैश्विक अंतरिक्ष मार्केट की प्रमुख शक्ति बन गया है। श्रीहरिकोटा के धवन स्पेस सेंटर से बुधवार को सुबह नौ बज कर 26 मिनट पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान यानी इसरो का उपग्रह प्रक्षेपण वाहन पीएसएलवी-सी 34 तीन भारतीय और 17 विदेशी उपग्रहों को लेकर रवाना हुआ और तय समय पर मिशन पूरा करके भारत का नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज कर दिया। सभी उपग्रह 505 किलोमीटर ऊपर सूर्य स्थैतिक कक्षा यानी सन सिंक्रोनस ऑर्बिट (एसएसओ) में स्थापित हो गए। इसके साथ ही इसरो ने विभिन्न कक्षाओं में उपग्रहों को स्थापित करने की क्षमता भी दिखाई। इसके लिए रॉकेट चौथे और अंतिम चरण के बाद दो बार प्रवलित कर और कुछ किलोमीटर आगे दूसरी कक्षाओं में भेजा गया। इसरो इससे पहले एक साथ दस उपग्रहों का प्रक्षेपण भी कर चुका है। यह उपलब्धि 2008 में अर्जित की गई थी।
कुल उपग्रह छोड़े- 20
भारतीय - 3
विदेशी- 17
अमेरिका के- 13
कनाडा के-- दो
जर्मनी - 1
इंडोनेशिया- 1
तीन अरब डॉलर का अंतरिक्ष बाजार
विश्व में इस समय तीन अरब डॉलर का अंतरिक्ष मार्केट है। उपग्रह प्रक्षेपण की दरें भारत में अन्य देशों के मुकाबले बेहद कम हैं। नई उपलब्धियों से अनेक अन्य देश अब भारत से संपर्क कर सकते हैं। अब तक 20 देश भारत से सेवाएं ले चुके हैं जिससे भारत को छह सौ करोड़ रुपये की आय हुई। बुधवार को प्रक्षेपित सभी 17 विदेशी उपग्रह कॉमर्शियल हैं। इससे इसरो की आय में बढ़ोतरी होगी। पीएएसलवी प्रक्षेपण की सफलता दर भी प्रभावशाली रही है।
कुल उपग्रह छोड़े- 20
भारतीय - 3
विदेशी- 17
अमेरिका के- 13
कनाडा के-- दो
जर्मनी - 1
इंडोनेशिया- 1
तीन अरब डॉलर का अंतरिक्ष बाजार
विश्व में इस समय तीन अरब डॉलर का अंतरिक्ष मार्केट है। उपग्रह प्रक्षेपण की दरें भारत में अन्य देशों के मुकाबले बेहद कम हैं। नई उपलब्धियों से अनेक अन्य देश अब भारत से संपर्क कर सकते हैं। अब तक 20 देश भारत से सेवाएं ले चुके हैं जिससे भारत को छह सौ करोड़ रुपये की आय हुई। बुधवार को प्रक्षेपित सभी 17 विदेशी उपग्रह कॉमर्शियल हैं। इससे इसरो की आय में बढ़ोतरी होगी। पीएएसलवी प्रक्षेपण की सफलता दर भी प्रभावशाली रही है।
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