Saturday 25 June 2016

26 June 2016..1.प्रधानमंत्री ने की स्मार्ट सिटी के लिए 20 शहरों की 69 परियोजनाओं की शुरुआत:-

स्मार्ट सिटी के लिए पहली खेप में चुने गए 20 शहरों की प्रस्तावित 69 परियोजनाओं को लांच करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि शहरों में गरीबी को पचाने और गरीबों को आर्थिक अवसर मुहैया कराने की ताकत है। इसलिए शहरीकरण को संकट के रूप में नहीं बल्कि अवसर समङों। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि स्मार्ट सिटी का स्वरूप कैसा हो, इसका फैसला वहां के लोग करें, दिल्ली में बैठकर इसका फैसला नहीं हो सकता है। पुणो में आयोजित इस कार्यक्रम में मोदी ने कहा कि हमें शहरों को सामथ्र्य देने की जरूरत है ताकि वह गरीबी को पचा (मिटा) सके और विकास के नए आयाम पैदा कर सके। आर्थिक क्षेत्र के लोग इसे ग्रोथ सेंटर के रूप में देखते हैं। लेकिन शहरों की क्षमता को सिर्फ इमारतों और सड़कों की चौड़ाई से नहीं नापा जा सकता है। उन्होंने कहा कि ‘हर शहर की आत्मा और उसकी पहचान होती है। जयपुर में नाइट हेरिटेज वॉक की परियोजना शुरू की जा रही है। यानी जयपुर की जय जयकार रात में भी होती रहेगी।. बनारस को उसकी धार्मिक विरासत के लिए तो जाना ही जाता है। लेकिन वहां की साड़ी के बारे में हर महिला को पता होता है।’ उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी बीते हुए कल के अनुभव पर उवल भविष्य का एक प्रयोग है। इसी पहचान को 21वीं सदी में नई ऊर्जा देने की जरूरत है, ताकि शहर की आत्मा वही रहे और उसका कायाकल्प हो जाए। उन्होंने कहा कि व्यवस्थाएं गति चाहती हैं।
ये हैं 20 शहर
1. नई दिल्ली (एनडीएमसी) 2. लुधियाना 3. इंदौर 4. भोपाल 5. जबलपुर 6. अहमदाबाद
7. पुणो 8. विशाखापट्टनम 9. शोलापुर 10. धवनगिरी 11. जयपुर 12. भुवनेश्वर
13. कोयंबटूर 14. काकीननाड़ा 15. बेलगाम 16. उदयपुर 17. गुवाहाटी
18. चेन्नई 19. कोचि 20. सूरत

26 June 2016...2. पहली बार ब्रह्मोस को लेकर उड़ा सुखोई :-

सुपर सोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस को पहली बार भारतीय वायुसेना के सुखोई लड़ाकू विमान के साथ जोड़कर उड़ाया गया। विंग कमांडर प्रशांत नायर और एमएस राजू ने शनिवार को यहां हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के हवाई अड्डे से एसयू30 एमकेआइ विमान से उड़ान भरी और 45 मिनट तक ब्रह्मोस को साथ लेकर हवा में रहे। ब्रह्मोस एयरोस्पेस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुधीर कुमार मिश्र ने बताया कि ढाई हजार किलोग्राम वजन के प्रक्षेपास्त्र को लड़ाकू विमान के साथ जोड़कर उड़ाने वाला भारत पहला देश बन गया है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के मुख्य महाप्रबंधक टी. सुवर्ण राजू ने कहा कि आज की सफलता के बाद अब इस तरह के कई और परीक्षण किए जाएंगे। इसके बाद ही ब्रह्मोस और सुखोई के एकीकरण को हरी झंडी दी जाएगी। आने वाले महीनों में सुखोई के जरिये हवा से जमीन पर ब्रह्मोस द्वारा हमला करने का परीक्षण किया जाएगा। राजू ने कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ का यह एक शानदार उदाहरण है और भारत के विमानन इतिहास में भी यादगार दिन है। इससे साबित होता है कि यदि सभी एजेंसियां एक साथ मिलकर किसी खास मिशन पर काम करने लगें, तो असंभव कुछ भी नहीं है। राजू ने कहा कि ब्रह्मोस एयरोनॉटिक्स के साथ हमने 2014 में इसको लेकर समझौता किया था। हमें दो सुखोई विमानों की डिजायन को बदलना था, ताकि वह ब्रह्मोस को लेकर उड़ान भर सके। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने इसे एक चुनौती के रूप में लिया था।
परीक्षण का यह है उद्देश्य
• इस परीक्षण का उद्देश्य ब्रह्मोस को सुखोई विमान के जरिये हवा से जमीन पर दागने में सक्षम बनाना है।
• सुखोई विमान में जब ब्रह्मोस प्रक्षेपास्त्र लगा दिया जाएगा, तो वायुसेना की मारक क्षमता काफी बढ़ जाएगी।
• भारतीय वायुसेना दुनिया की अकेली ऐसी वायुसेना होगी, जिसके पास सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल प्रणाली होगी।
• वायुसेना दृश्यता सीमा से बाहर के लक्ष्यों पर भी हमला कर सकेगी। लगभग 40 विमानों में ब्रह्मोस लगाने की योजना है।
• ब्रह्मोस : भारत और रूस ने मिलकर इस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का विकास किया है। इसे पनडुब्बी, युद्धपोत, जमीन और विमान से दागा जा सकता है।
• सुखोई : सुखोई 30 एमकेआइ भारतीय वायुसेना का अग्रिम लड़ाकू विमान है। यह विमान रूसी कंपनी सुखोई और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स के सहयोग से बना है।

26 June 2016..3. ब्रेक्जिट से एफडीआइ की राह में बिछे कांटे:-

केंद्र सरकार ने इस सप्ताह के शुरू में ही नौ क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) की सीमा बढ़ाने के साथ नियम आसान किये थे। इसके चंद दिनों बाद ही ब्रिटेन में हुए जनमत संग्रह में यूरोपीय यूनियन (ईयू) से अलग होने का फैसला आ गया और दुनिया भर के आर्थिक हालत और चुनौतीपूर्ण हो गए। इसके बाद देश में एफडीआइ बढ़ने की उम्मीदों पर पानी फिरने का अंदेशा जताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि फिलहाल तो विदेशी निवेश बढ़ाना अत्यंत कठिन है। खासतौर ब्रिटेन व यूरोपीय संघ का एफडीआइ घटने की भी आशंका है।वित्त वर्ष 2015-16 में भारत में 55.46 अरब डॉलर एफडीआइ आया था जो 2013-14 के 36.04 अरब डॉलर के मुकाबले काफी अधिक था। हालांकि दुनियाभर के पूंजी, मुद्रा और शेयर बाजारों पर ‘ब्रेक्जिट’ के प्रभाव तथा अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के ब्याज दरें बढ़ाने की संभावनाओं के बीच माना जा रहा है कि इस सप्ताह के शुरू में प्रतिरक्षा सहित नौ क्षेत्रंे में एफडीआइ की नीति उदार बनाने का पूरा फायदा शायद फिलहाल न मिल पाये। ब्रेक्जिट की खबर आते ही शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्य में गिरावट और शेयर बाजार में गिरावट से निवेशकों के रुख का संकेत मिलता है। रेटिंग एजेंसी इक्रा की वरिष्ठ अर्थशास्त्री अदिति नायर का कहना है कि सरकार ने हाल ही में एफडीआइ को उदार बनाने के जो कदम उठाए हैं, ब्रेक्जिट उसके फायदे पर असर डाल सकता है क्योंकि पूरे यूरोप में राजनीतिक अस्थिरता आने का अंदेशा है।वैसे बीते 15 वर्षो में भारत में निवेश करने के मामले में मॉरीशस और सिंगापुर के बाद ब्रिटेन तीसरे नंबर पर रहा है। ऐसे में ब्रिटेन में अनिश्चितता आने से भारत में एफडीआइ आने की उम्मीदों पर तात्कालिक दृष्टि से पानी फिर सकता है। वहीं मॉरीशस और सिंगापुर के साथ दोहरा कराधान निवारण संधि (डीटीएए) में संशोधन के बाद इन देशों की कंपनियांे पर आने वाले वर्षों में कैपिटल गेन टैक्स लगने लगेगा जिससे मध्यावधि में वहां से आने वाले एफडीआइ पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। इस बीच विश्व बैंक ने वैश्विक विकास दर के अपने अनुमान को घटा दिया है जो दुनियाभर में सुस्ती का संकेत है। इसका एक मतलब यह भी है कि दुनियाभर में निवेश की रफ्तार सुस्त रहने वाली है। इसे देखते हुए भारत में एफडीआइ बढ़ने की संभावना फिलहाल मुश्किल नजर आ रही है। हालांकि सरकार यह मानकर चल रही है कि दुनिया में भले ही उथल-पुथल हो, लेकिन भारत सर्वाधिक तेज विकास दर हासिल करने वाला अकेला बड़ा देश है। इसलिए वैश्विक निवेशक भारत का रुख कर सकते हैं।

26 June 2016...4. अब यूरोपीय संघ को ब्रिटेन से तलाक की जल्दी:-

 ब्रेक्जिट के कारण उपजे अनिश्चितता का माहौल खत्म करने के लिए यूरोपीय संघ (ईयू) सक्रिय हो गया है। ईयू में शामिल देशों के नेता चाहते हैं कि समूह से बाहर होने की प्रक्रिया पर ब्रिटेन जल्द से जल्द अमल शुरू करे। यूरोपीय आयोग के प्रमुख यां क्लाउड जंकर ने कहा है कि इसके लिए लिस्बन संधि की धारा 50 के तहत जल्द बातचीत शुरू होनी चाहिए।दूसरी ओर, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन चाहते हैं कि उनका उत्तराधिकारी उस जटिल समझौता वार्ता का नेतृत्व करे जिसके तहत समूह छोड़ने के लिए दो साल की समय सीमा निर्धारित की गई है। ईयू की सदस्यता को लेकर ब्रिटेन में हुए ऐतिहासिक जनमत संग्रह का शुक्रवार को नतीजा आने के बाद कैमरन ने अक्टूबर तक अपना पद छोड़ने की घोषणा की थी। ब्रिटेन की जनता ने 52 फीसद मतों के साथ ब्रेक्जिट के पक्ष में फैसला सुनाया था। कैमरन ब्रिटेन के ईयू में बने रहने के पक्ष में थे। हालांकि ईयू के सदस्य देश ब्रिटेन को अक्टूबर तक का मोहलत देने को राजी नहीं हैं। जंकर ने कहा कि वे समझ नहीं पा रहे हैं कि समूह से अलग होने का पत्र भेजने के लिए ब्रिटेन को अक्टूबर तक का समय क्यों चाहिए। इस बीच, शनिवार को बर्लिन में जर्मनी, फ्रांस, नीदरलैंड, इटली, बेल्जियम और लक्जमबर्ग के विदेश मंत्रियों की बैठक भी हुई। इन्हीं छह देशों ने 1957 में यूरोपीय आर्थिक समूह बनाया था। मौजूदा ईयू इसी समूह का विस्तार है। मंगलवार से ब्रसेल्स में दो दिवसीय बैठक शुरू होने की संभावना है। इसमें ईयू के 27 देशों के नेता भाग लेंगे। दूसरी ओर, ईयू छोड़ने की प्रक्रिया जल्द शुरू करने के लिए बढ़ते दबाव के बीच में ब्रिटेन को जर्मनी से बड़ी राहत मिली है। जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने इस मसले पर जल्दबाजी नहीं दिखाने की बात कही है। उन्होंने कहा कि जल्द से जल्द प्रक्रिया शुरू करने के लिए किसी तरह के तकरार के पक्ष में नहीं हैं। जर्मनी इस समूह का सबसे ताकतवर देश है। मर्केल ने कहा कि समझौते की प्रक्रिया अछे माहौल में शुरू होनी जरूरी है। समूह से निकलने के बाद भी ब्रिटेन हमारा करीबी साङोदार रहेगा और वह आर्थिक रूप से हमसे जुड़ा है। जर्मनी सहित छह संस्थापक देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए मर्केल ने यह बात कही। इस बैठक में जल्द से जल्द बातचीत के लिए ब्रिटेन पर दबाव बढ़ाने का फैसला किया गया था।

25 June 2016...6. जुबैदा बाई:-



 महिलाओं की बेहतरी के लिए काम करने वाली जुबैदा बाई को संयुक्त राष्ट्र में सम्मानित किया गया है। यूएन महासचिव बान की मून ने जुबैदा को सतत कारपोरेट पहल के तहत दुनिया के दस अग्रदूतों में शामिल किया है। पहल के तहत कंपनियां मानवाधिकार, पर्यावरण, भ्रष्टाचार विरोधी सिद्धांतों पर काम करती हैं। भारतीय व्यवसायी जुबैदा ‘अयाझ’ नामक सामाजिक कंपनी की संस्थापक हैं। वह दुनिया भर की साधन हीन महिलाओं को स्वास्थ्य, आजीविका का समाधान मुहैया कराती हैं। उन्हें ‘ग्लोबल कांपैक्ट एसडीजी पायनियर्स, 2016’ की सूची में शामिल किया गया है। यूएन ग्लोबल कांपैक्ट दुनिया की सबसे बड़ी सतत कारपोरेट पहल है। निर्धारित मानकों के आधार पर काम करने वाली कंपनियों को इसके तहत मदद दी जाती है।

25 June 2016....5. क्यूरियोसिटी रोवर ने खोजा मंगल पर खनिज:-

 नासा के क्यूरियोसिटी रोवर ने मंगल पर एक चट्टान के नमूने में अप्रत्याशित खनिज की खोज की है। खनिज मिलने से इस बात का पता चलता है कि आरंभिक दिनों में लाल ग्रह पर विस्फोटक ज्वालामुखी थे। मंगल विज्ञान प्रयोगशाला रोवर क्यूरियोसिटी अगस्त 2012 में उतरने के बाद से गाले क्रेटर के भीतर अवसादी चट्टानों की खोज में जुटा है। पिछले वर्ष जुलाई में सोल 1060 (उतरने के बाद से मंगल दिनों की संख्या) पर रोवर ने ‘बकस्किन’ नाम के स्थान पर चट्टान से पाउडर एकत्र किया। रोवर पर एक एक्स-रे विवर्तन उपकरण के विश्लेषण आंकड़े से खनिज की पहचान की गई। वैज्ञानिकों ने उपयुक्त मात्र में सिलिका खनिज का पता लगाया। सिलिका को टिडामाइट कहा जाता है। टिडामाइट आम तौर पर सिलिसिक ज्वालामुखी घटना से जुड़ा है। यह धरती पर भी ज्ञात है, लेकिन इसे महत्वपूर्ण नहीं माना जाता है। मंगल पर इसके मौजूद होने की जानकारी भी नहीं है। टिडामाइट संभवत: वैज्ञानिकों को मंगल पर ज्वालामुखी के इतिहास पर फिर से विचार करने पर मजबूर कर सकता है। इससे यह अनुमान सामने आता है कि इस ग्रह पर किसी समय विस्फोटक ज्वालामुखी थे। जान्सन में नासा के ग्रह वैज्ञानिक रिचर्ड मोरिस ने कहा, ‘धरती पर टिडामाइड एक विस्फोटक प्रक्रिया में उच तापमान पर तैयार होता है। विस्फोटक प्रक्रिया को सिलिसिक वालामुखीय घटना कहा जाता है। वाशिंगटन स्टेट में माउंट सेंट लेलेन्स सक्रिय वालामुखी और जापान में सत्सुमा-इवोजिमा वालामुखी इस तरह के ज्वालामुखियों के उदाहरण हैं।

25 June 2016...4. सेवा व्यापार बढ़ाने को आएगी उदार वीजा नीति :-

 भारत जल्द ही सेवाओं के व्यापार को बढ़ावा देने की खातिर उदार वीजा नीति लाने जा रहा है। इसके जरिये विदेशियों और विदेशी मुद्रा को आकर्षित कर सालाना 80 अरब डॉलर की कमाई की जा सकती है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रलय सेवा निर्यात बढ़ाने को वीजा नियमों में व्यापक बदलाव के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए है। इससे जुड़े प्रस्ताव को आगे बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) भी दबाव बनाए हुए है। गृह मंत्रलय इस प्रस्ताव पर अपनी सैद्धांतिक सहमति दे चुका है। कुछ सुरक्षा चिंताओं के मसले का समाधान होने के बाद इसे लागू करने के लिए तैयार है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मंत्रलय इस प्रस्ताव पर काम कर रहा है। उम्मीद है कि उदार वीजा नीति को जल्द ही अमल में लाया जाएगा। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रलय के इस प्रस्ताव के मुताबिक टूरिस्ट, बिजनेस, मेडिकल और कांफ्रेंस जैसी अलग-अलग वीजा श्रेणियों को एक ही में मिला दिया जाएगा। इसके साथ ही 10 वर्ष तक की लंबी अवधि का बहु-प्रवेश यात्र वीजा जारी किया जाएगा। हालांकि, विजिटर को अपने बायोमीटिक डिटेल्स उपलब्ध कराने होंगे। इसके अलावा उसे कुछ सुरक्षा दायित्वों को भी पूरा करना होगा।

25 June 2016...3. शंघाई सहयोग संगठन में भारत के प्रवेश की अंतिम प्रक्रिया शुरू:-

 शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में भारत को पूर्ण सदस्य के तौर पर शामिल करने की अंतिम प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस मौके पर शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह साङोदारी क्षेत्र को कट्टरता, हिंसा और आतंकवाद के खतरों से बचाएगी। साथ ही क्षेत्र में आर्थिक विकास तेज होगा। एससीओ सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि ऊर्जा और प्राकृतिक संसाधनों के क्षेत्र में समूह की ताकत से भारत को महत्वपूर्ण तरीके से लाभ होगा। बदले में भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था और बड़ा बाजार एससीओ क्षेत्र में आर्थिक विकास को संचालित कर सकता है। उन्होंने कहा कि एससीओ में भारत की सदस्यता क्षेत्र में खुशहाली लाने के साथ-साथ सुरक्षा को भी मजबूत करेगी। इससे पहले समूह में प्रवेश प्रक्रिया को शुरू करते हुए भारत ने ‘दायित्वों के सहमति पत्र’ पर दस्तखत किए। इस महत्वपूर्ण दस्तावेज के जरिए भारत नाटो के मुकाबले में खड़े होने वाले शक्तिशाली सुरक्षा संगठन एससीओ में औपचारिक रूप से शामिल हो जाएगा। इस दस्तावेज पर दस्तखत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में विदेश मंत्रलय (पूर्व) की सचिव सुजाता मेहता ने एससीओ सम्मेलन में किए। इस संगठन में सदस्यता लेने की प्रक्रिया को पूरा होने में अभी एक साल है। इस दौरान भारत को करीब तीस अन्य दस्तावेजों पर दस्तखत करने होंगे। भारत की तरह ही पाकिस्तान को भी पूर्णकालिक सदस्य के तौर पर एससीओ में शामिल किया जा रहा है। एससीओ की सदस्यता के जरिए भारत की सुरक्षा, आतंकवाद के खिलाफ युद्ध पर विचार होगा। एससीओ को स्थापना वर्ष 2001 में शंघाई में हुई थी। तब इसके सम्मेलन में रूस, चीन, किर्गिज रिपब्लिक, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उबेकिस्तान के राष्ट्रपति शामिल हुए थे। 2005 के अस्टाना सम्मेलन में भारत, ईरान और पाकिस्तान को बतौर पयर्वेक्षक शामिल किया गया था।

25 June 2016..2. एनएसजी : चीन ने खड़ी की दीवार:-

 भारत को परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता मिलने में चीन की दीवार आड़े आ गई है। एनएसजी की राह में पड़ोसी देश चीन सबसे बड़ा विलेन बन गया। यहां तक कि ताशकंद में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात भी काम नहीं आई। भारत ने वैसे तो चीन का नाम नहीं लिया है, लेकिन साफ कर दिया कि 48 देशों के समूह में चर्चा के दौरान एक देश ने लगातार ‘बाधाएं’ खड़ी कीं। विदेश मंत्रलय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि एनएसजी में भारत की भागीदारी से परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) को और मजबूती मिलती और पूरी दुनिया में परमाणु व्यवसाय यादा सुरक्षित बनता है। चीन की अगुवाई में भारत की सदस्यता के विरोध के बीच एनएसजी ने एनपीटी को अंतरराष्ट्रीय परमाणु अप्रसार की धुरी बताया। एनएसजी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि एनएसजी के ‘पूर्ण और प्रभावी’ क्रियान्वयन के लिए वे काम करते रहेंगे। साफ है कि भारत के मामले में कोई रियायत नहीं बरती जाएगी। हालांकि भारत के लिए एनएसजी के दरवाजे पूरी तरह बंद नहीं हुए हैं। बयान में यह भी कहा गया कि उन देशों की भागीदारी पर विचार जारी रखेगा, जिन्होंने एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। भारतीय अधिकारियों के अनुसार, 48 सदस्यीय एनएसजी में कल तक चीन समेत महज छह देश ही विरोध में खड़े थे। लेकिन शुक्रवार को एनएसजी की दूसरे दिन की बैठक में भारत के समर्थन में महज 38 देश ही आगे आए। चीन के अलावा, ब्राजील, स्विटजरलैंड, टर्की, आस्टिया, आयरलैंड और न्यूजीलैंड ने भी भारत के खिलाफ वोट किया। बताया जाता है कि स्विटजरलैंड समर्थन देने का वादा करके ऐन वक्त पर मुकर गया। वैसे समूह ने चीन के उस दावे को खारिज कर दिया कि बैठक के एजेंडे में भारत की सदस्यता का मुद्दा है ही नहीं। एनएसजी ने स्वीकार किया कि भारत के साथ असैन्य परमाणु सहयोग संबंधी करार 2008 के सभी पहलुओं और एनएसजी के साथ रिश्तों पर विचार-विमर्श किया गया। इसके पहले एक विशेष बैठक में गुरुवार की रात को भारत के आवेदन पर चर्चा हुई जहां चीन और कई अन्य देशों ने एनएसजी में इसके प्रवेश का विरोध करते हुए कहा कि वह एनपीटी का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है। 2017 से 2018 के लिए एनएसजी की कमान स्विटजरलैंड के हाथों में रहेगी और वह अगली बैठक की मेजबानी करेगा। एनपीटी पर स्विटजरलैंड के रवैये को देखते हुए भारत के लिए इस दौरान सदस्यता की दावेदारी को मनवाना आसान नहीं होगा। विकास स्वरूप ने कहा कि एक देश की ओर लगातार अड़ंगा लगाए जाने के बावजूद एनएसजी में न सिर्फ भारत की सदस्यता को लेकर चर्चा हुई, बल्कि बड़ी संख्या में सदस्य देशों ने इसका समर्थन किया है। भारत ने उन सभी देशों का आभार जताया है। एनएसजी की सदस्यता के लिए एनपीटी की अनिवार्यता की दलील को खारिज करते हुए स्वरूप ने कहा कि सितंबर 2008 में एनएसजी ने खुद ही इस मुद्दे का समाधान कर दिया था और एनपीटी और एनएसजी के साथ भारत की प्रतिबद्धता में कोई विरोधाभास नहीं है। वहीं भारत के तीखे तेवर को देखते हुए चीन को सफाई देनी पड़ी। चीन ने बयान जारी कर कहा कि वह किसी खास देश की सदस्यता का विरोधी नहीं है, बल्कि एनएसजी के नियमों के पालन की कोशिश करता है।

25 June 2016...1.यूरोपीय यूनियन से हटेगा ब्रिटेन:-

 पूर्वानुमानों को झुठलाते हुए ब्रिटेन के लोगों ने आखिर शुक्रवार को यूरोपीय संघ से बाहर होने का फैसला कर दिया। उम्मीद के उलट आए इस फैसले के बाद पीएम डेविड कैमरन ने पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर दी। हैरत में डालने वाले इस फैसले से दुनिया भर के बाजारों में जोरदार उठा-पटक देखने को मिली। इसके साथ ही ब्रिटेन में आव्रजन जैसे मुद्दों पर फिर से बहस छिड़ गई। ऐसी अटकलें हैं कि कैमरन के संभावित उत्तराधिकारी लंदन के पूर्व मेयर 52 वर्षीय बोरिस जॉनसन होंगे, जिन्होंने ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से बाहर निकलने (ब्रेक्जिट) के पक्ष में झंडा उठाया। वह कंजव्रेटिव पार्टी के वरिष्ठ नेता चांसलर जार्ज ओसबर्न तथा गृह मंत्री थेरेसा मई जैसे वरिष्ठ नेताओं के बीच शीर्ष दावेदार के रूप में उभरे हैं।यूरोपीय संघ से अलग होने के निर्णय के बाद ब्रिटेन को यूरोप एवं भारत समेत अन्य देशों के साथ बाजार पहुंच तथा सेवाओं समेत व्यापार को लेकर नए सिरे से चीजों को देखना पड़ सकता है। जनमत संग्रह के परिणाम की आधिकारिक घोषणा के कुछ ही देर बाद अपना संक्षिप्त बयान देने के लिए कैमरन अपने 10 डाउनिंग स्ट्रीट कार्यालय से बाहर निकले और उन्होंने यह कहते हुए इस्तीफा देने की अपनी मंशा जता दी कि नए प्रधानमंत्री यूरोपीय संघ से बाहर निकलने की प्रक्रि या शुरू करने के लिए अक्टूबर में पदभार ग्रहण करेंगे। इससे पहले ब्रिटेन चुनाव आयोग की प्रमुख गणना अधिकारी जेनी वाटसन ने अंतिम परिणाम की घोषणा करते हुए कहा कि जनमत संग्रह में ईयू से अलग होने के पक्ष में 51.9 प्रतिशत मत पड़े जबकि विपक्ष में 48.1 प्रतिशत वोट पड़े। इसके साथ ही यूरोपीय संघ के चार दशक से सदस्य रहे ब्रिटेन ने अलग होने का फैसला सुना दिया। यूरोप में जर्मनी के बाद ब्रिटेन दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और वह ग्रीनलैंड के बाद दूसरा देश है, जिसने ईयू से हटने का फैसला किया है। जनमत संग्रह में तीन करोड़ से अधिक मतदाताओं ने हिस्सा लिया, जो कुल मतदाताओं का 72.2 प्रतिशत है। 1992 के बाद सर्वाधिक मतदान हुआ है। ब्रिटेन के 49 वर्षीय नेता जब इस्तीफे की घोषणा कर रहे थे तो उनकी पत्नी सामंता उनके पास खड़ी थीं। कैमरन ने अपने दूसरे पांच साल के कार्यकाल में एक साल से कुछ ही अधिक समय बिताया है। उन्होंने दुनिया भर के निवेशकों तथा बाजारों को यह भरोसा दिलाया कि ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था मूल रूप से मजबूत है। कैमरन ने विश्व और विशेष तौर पर यूरोपीय देशों को आास्त किया कि इससे तुरंत कोई बदलाव नहीं आने वाला है। लोग जैसे पहले यात्रा करते थे और ब्रिटेन में सेवाएं बेची जाती थीं, उसमें कोई बदलाव तुरंत नहीं आएगा। उन्होंने भावुक होकर कहा, ‘‘इस आगे ले जाने के लिए नए नेतृत्व की जरूरत होगी। यह महत्वपूर्ण है कि मैं जहाज को संतुलित रखने के लिए रुकूंगा, लेकिन इसका कप्तान बने रहना ठीक नहीं होगा। मैं मदद करने के लिए सब कुछ करूंगा।’ मंत्रिमंडल की सोमवार को बैठक होगी और उनके इस्तीफे के लिए समयसीमा तय की जाएगी। कैमरन ने कहा कि नये प्रधानमंत्री को यूरोपीय संघ से अलग होने की प्रक्रि या शुरू करने के लिए अक्टूबर तक पदभार संभालना चाहिए। जनमत संग्रह के परिणाम के बाद अमेरिकी डालर के मुकाबले पौंड 10 प्रतिशत लुढ़ककर 31 वर्ष के न्यूनतम स्तर 1.3229 पर आ गया। यूरोपीय शेयर बाजारों में शुरुआती कारोबार में करीब आठ प्रतिशत की गिरावट आई।

Friday 24 June 2016

24 June 2016...7. अनिल कुंबले टीम इंडिया के मुख्य कोच नियुक्त:-

 फिरकी के जादूगर और पूर्व कप्तान अनिल कुंबले को एक साल के लिए भारतीय क्रि केट टीम का नया मुख्य कोच नियुक्त किया गया है। कुंबले को अगले महीने भारतीय टीम के वेस्ट इंडीज दौरे से ही नई जिम्मेदारी संभालनी होगी। बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने संवाददाता सम्मेलन में कुंबले को नया भारतीय कोच बनाए जाने की घोषणा की। 
• कुंबले का चयन बीसीसीआई की क्रि केट सलाहकार समिति ने किया जिसमें सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण शामिल थे। इस 45 वर्षीय पूर्व लेग स्पिनर को पूर्व टीम निदेशक रवि शास्त्री, आस्ट्रेलिया के टॉम मूडी और स्टुअर्ट लॉ पर तरजीह दी गई। 
• कुंबले का चयन उन 57 उम्मीदवारों में से किया गया, जिन्होंने इस पद के लिए आवेदन किया था। बाद में इस सूची को 21 उम्मीदवारों तक सीमित कर दिया गया था। कुंबले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोचिंग का कोई अनुभव नहीं है। हालांकि आईपीएल में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू और मुंबई इंडियंस के मेंटर रहे हैं। 
• अंतरराष्ट्रीय क्रि केटर के रूप में उनका अपार अनुभव ही कुंबले के पक्ष में गया। उन्होंने लगभग दो दशक के कॅरियर में 132 टेस्ट मैच और 271 वनडे मैच खेले। 
• कुंबले ने टेस्ट मैचों में 619 विकेट और वनडे में 337 विकेट लिए। इस तरह से दोनों प्रारूपों में उनके नाम पर 956 विकेट दर्ज हैं। 
• कुंबले इंग्लैंड के जिम लेकर के बाद अकेले ऐसे गेंदबाज हैं जिन्होंने किसी एक टेस्ट पारी में दस विकेट लिए।

24 June 2016...6. सस्ते कृषि ऋण के लिए ब्याज सहायता जल्द:-

 कृषि मंत्रालय ने चालू वित्त वर्ष के लिए बैंकों को तीन प्रतिशत ब्याज सहायता प्रदान करने हेतु मंत्रिमंडल नोट आगे बढ़ाया है ताकि किसानों को सस्ता अल्पकालिक फसल ऋण सात प्रतिशत ब्याज दर पर देना सुनिश्चित किया जा सके।मंत्रालय इस वर्ष समय पर ऋण चुकाने वाले किसानों को तीन प्रतिशत की अतिरिक्त सहायता देने के बारे में विभिन्न मंत्रालयों की टिप्पणियां भी मांगी हैं। ब्याज सहायता योजना के तहत किसानों को एक वर्ष की अवधि के लिए सात प्रतिशत की ब्याज दर पर तीन लाख रपए तक की अल्पकालिक ऋण प्राप्त होते हैं। जो किसान समय पर ऋण चुकाते हैं उन्हें चार प्रतिशत की ब्याज दर ही अदा करनी होती है। सूत्रों ने बताया, ‘‘इस प्रस्ताव को अंतर मंत्रालयीय टिप्पणियों के लिए वितरित किया गया है। कृषि मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2016-17 के लिए अल्पकालिक ऋण के लिए तीन प्रतिशत की मौजूदा ब्याज सहायता का विस्तार करने का प्रस्ताव किया है।’इस ब्याज सहायता योजना को पहले वित्त मंत्रालय द्वारा लागू किया गया था। इसे इस वर्ष कृषि मंत्रालय को हस्तांतरित किया गया। इस वर्ष के बजट में सरकार ने कृषि ऋण के लक्ष्य को बढ़ाकर नौ लाख करोड़ रपए किया है और चालू वित्त वर्ष में ब्याज सब्सिडी के लिए 15,000 करोड़ रपए आवंटित किए हैं। आरंभ में कृषि मंत्रालय सारंगी समिति की प्रमुख सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए इस योजना में कुछ सुधार करने के बारे में सोच रहा था। सारंगी समिति इस कार्यक्र म को बेहतर ढंग से लक्षित करने के लिए विभिन्न सुधारों का सुझाव किया था। मंत्रालय समिति के सुझावों को अगले वित्त वर्ष में ध्यान मं् लेने की योजना बना रही है।

24 June 2016...5. अमीरी में पहली बार अमेरिका से आगे निकला एशिया-प्रशांत :-

 एशिया-प्रशांतक्षेत्र अब अमेरिका की तुलना में ज्यादा अमीर हो गया है। अमीरों की संख्या और उनकी संपत्ति, दोनों मामले में। ऐसा पहली बार हुआ है। अभी तक सबसे ज्यादा अमीर उत्तर अमेरिका में ही हुआ करते थे। यहां अमीर का मतलब उन लोगों से है जिनकी नेटवर्थ कम से कम एक मिलियन डॉलर यानी 6.7 करोड़ रुपए है। 
यह जानकारी अंतर्राष्ट्रीय कंसल्टेंसी फर्म केपजेमिनी ने 'वर्ल्ड वेल्थ रिपोर्ट' में दी है। इस रिपोर्ट के मुताबिक साल 2015 में एशिया-प्रशांत में करोड़पतियों की संख्या 51 लाख हो गई, जबकि उत्तरी अमेरिका में इनकी तादाद सिर्फ 48 लाख थी। एशिया-प्रशांत के करोड़पतियों की संपत्ति भी अमेरिका के 1,120 लाख करोड़ रुपए की तुलना में 1,175 लाख करोड़ रुपए हो गई। पूरी दुनिया की बात करें तो कुल 1.54 करोड़ अमीर हैं और इनकी नेटवर्थ 3,962 लाख करोड़ रुपए आंकी गई है। इसमें से 35% कैश है। 32% संपत्ति का प्रबंधन वेल्थ मैनेजर करते हैं। 
बीते 10 साल में यहां अमीर दोगुने हो गए। अगले 10 साल में दुनिया के 40% अमीर यहीं होंगे। यहां इनकी तादाद यूरोप, लैटिन अमेरिका, मध्य पूर्व और अफ्रीका के कुल अमीरों से ज्यादा होगी। अभी यहां 33% हैं। 2015 में पूरी दुनिया के अमीरों की संपत्ति 4% बढ़ी, लेकिन एशिया-प्रशांत क्षेत्र में 10% इजाफा हुआ। विश्व में 1.54 करोड़ अमीर हैं। एक साल में इनकी संख्या 4.9% बढ़ी है। 
कहां से आई संपत्ति 
एशिया-प्रशांतमें संपत्ति खासकर वित्तीय सेवाओं, आधुनिक टेक्नोलॉजी और हेल्थकेयर इंडस्ट्री में बढ़ी। पुरानी कंपनियों की तुलना में स्टार्टअप्स की वेल्थ में ज्यादा इजाफा हुआ। 
भारत में अमीर बढ़े, रैंकिंग घटी 
भारतमें दो लाख अमीर हैं। 2014 में 1.98 लाख थे। लेकिन ओवरऑल रैंकिंग 11वीं से घटकर 12वीं हो गई। अमेरिका में 45 लाख, जापान में 27 लाख और चीन में 10 लाख अमीर हैं। चीन में सबसे ज्यादा ग्रोथ रही। वहां इनकी संख्या 16.2% बढ़ी।

24 June 2016...4. ब्रह्मांड 93 अरब प्रकाश वर्ष चौड़ा:-

आकाश अनंत है। इसका कोई ओर-छोर नहीं है। ये कितना बड़ा है इसका कोई ठोस अंदाजा अब से पहले तक नहीं था। मगर बरसों की मेहनत के बाद अब कुछ वैज्ञानिक ये दावा करने लगे हैं कि उन्होंने ब्रह्मांड को नाप लिया है। ताजा अनुमान कहते हैं कि ब्रह्मांड 93 अरब प्रकाश वर्ष चौड़ा है। प्रकाश वर्ष वो पैमाना है जिससे हम लंबी दूरियां नापते हैं। प्रकाश की रफ्तार बहुत तेज होती है। वो एक सेकेंड मंा करीब दो लाख किलोमीटर की दूरी तय कर लेता है। तो एक साल में प्रकाश जितनी दूरी तय करता है उसे पैमाना बनाकर दूरी को प्रकाश वर्ष में नापते हैं। इतनी लंबी दूरी को किलोमीटर या मील में बताना बेहद मुश्किल है। इसीलिए प्रकाश वर्ष को पैमाना बनाया गया है।हम जिस धरती पर रहते हैं, वो सौर मंडल का हिस्सा है। सौर मंडल में नौ ग्रह हैं, जो सूरज का चक्कर लगाते हैं। सूरज एक तारा है, जो हमारी आकाशगंगा, ‘‘मिल्की वे’ का हिस्सा है। आकाशगंगा बहुत सारे तारों और उनका चक्कर लगाने वाले ग्रहों, उल्कापिंडों और धूमकेतुओं को मिलाकर बनती है। ब्रह्मांड में हमारी ‘‘मिल्की वे’ आकाशगंगा जैसी बहुत सी आकाशगंगाएं हैं। ये कितनी हैं, इनका आकार कैसा है, इस बारे में बरसों से वैज्ञानिक कोई ठोस अंदाजा लगाने में जुटे हैं। इनकी पड़ताल से ही हमें अपने ब्रह्मांड के सही आकार का अंदाजा हो सकेगा। बीसवीं सदी की शुरु आत में अमेरिकी वैज्ञानिक हार्लो शेपले और उनके साथी हेबर र्कटसि के बीच इस बात पर बहस छिड़ी थी कि हमारी आकाशगंगा कितनी बड़ी है। शेपले का कहना था कि ‘‘मिल्की वे’ आकाशगंगा, करीब तीन लाख प्रकाश वर्ष चौड़ी है। वहीं हेबर र्कटसि कहते थे कि आकाशगंगा इतनी बड़ी नहीं है।ब्रह्मांड में इसके जैसी कई आकाशगंगाएं हैं, जिनकी दूरी नापकर ही हम ब्रह्मांड के सही आकार के बारे में जान सकते हैं। शेपले के उलट, र्कटसि का कहना था कि हमारी आकाशगंगा सिर्फ तीस हजार प्रकाश वर्ष बड़ी है। वैसे ये बहस करीब एक सदी पुरानी हो चुकी है। आज वैज्ञानिकों के बीच इस बात पर एक राय है कि हमारी आकाशगंगा एक लाख से डेढ़ लाख प्रकाश वर्ष चौड़ी है। ब्रह्मांड तो इससे न जाने कितने गुना बड़ा है। ताजा अनुमान कहते हैं कि हमारा ब्रह्मांड 93 अरब प्रकाश वर्ष बड़ा है और ये तेजी से फैल रहा है। इतने बड़े ब्रह्मांड में हमारी धरती कुछ वैसी ही है जैसे कि प्रशांत महासागर में पानी की एक बूंद।नासा के वैज्ञानिक कार्तिक सेठ इसे कुछ इस तरह समझाते हैं। वो कहते हैं कि आप एक गुब्बारे में कुछ बिंदु बना दें। फिर इसमें हवा भरकर फुलाएं। हमारा ब्रह्मांड कुछ वैसे ही फैल रहा है। और जो निशान आपने बनाए हैं, वो हमारी ‘‘मिल्की वे’ जैसी आकाशगंगाएं हैं, जिनके बीच दूरी बढ़ती जा रही है। वैज्ञानिकों की पड़ताल के मुताबिक धरती से जो सबसे दूर सितारा है, वो करीब चौदह अरब साल पुराना है। यानी उसकी रोशनी को धरती तक पहुंचने में इतना वक्त लगा। इस वक्त ब्रह्मांड और फैल चुका है। तो इस आधार पर वैज्ञानिक कहते हैं कि आज वो तारा धरती से करीब 46.5 प्रकाश वर्ष दूर है। इस हिसाब से ब्रह्मांड आज 93 अरब प्रकाश वर्ष चौड़ा हो चुका है। अब इस दूरी पर भी बहुत से किंतु-परंतु हैं।

24 June 2016..3. अमेरिका के जवाब में परमाणु मिसाइलें तैनात करेगा रूस:-

बाल्टिक क्षेत्र में रूस अमेरिका समर्थित नाटो के मिसाइल कवच की जवाबी तैयारी में जुट गया है। मास्को कालिनिनग्राद में वर्ष 2019 तक परमाणु क्षमता संपन्न मिसाइल तैनात करने की योजना बना रहा है। भविष्य में क्रीमिया में भी मिसाइलें तैनात करने की संभावना जताई गई है। कालिनिनग्राद की सीमा से नाटो के सदस्य देशों पोलैंड और लिथुआनिया से लगती है। अमेरिका के समर्थन से नाटो ने पोलैंड में मिसाइल शील्ड बनाया है। अमेरिका का कहना है कि यह रूस को निशाना बनाने के लिए नहीं है बल्कि ईरान से सुरक्षा के लिए यह कदम उठाया गया है। रूस इससे इत्तेफाक नहीं रखता है। विशेषज्ञों ने शीतयुद्ध के बाद सबसे खतरनाक तनाव की स्थिति उत्पन्न होने की आशंका जाहिर की है। रूस द्वारा नाटो के सदस्य देशों से घिरे कालिनिनग्राद में पांच सौ किलोमीटर तक मार करने में सक्षम अत्याधुनिक इस्कंदेर मिसाइल तैनात करने की बात कही जा रही है। ऐसी स्थिति में पोलैंड का दो तिहाई हिस्सा इसकी जद में आ जाएगा।रूस के आक्रामक रवैये को देखते हुए नाटो के सदस्य देश जुलाई में वारसा में बैठक करने वाले हैं। अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी पहले ही पोलैंड और बाल्टिक क्षेत्र में नया सैन्य कमान गठित करने की घोषणा कर चुका है, ताकि रूस को सख्त संदेश दिया जा सके। हालांकि, वारसा में नाटो के सदस्य देशों की बैठक से रूस के तेवर उग्र होने की संभावना जताई गई है।

24 June 2016...2. डीआरडीओ विदेशी कंपनियों से प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार:-

 प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआइ से जुड़े नियमों में बदलाव के मद्देनजर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान (डीआरडीओ) ने भी कमर कस ली है। डीआरडीओ के महानिदेशक एस क्रिस्टोफर ने कहा कि उनका संगठन न सिर्फ विदेशी कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार है, बल्कि अपने उत्पादों को निर्यात भी करेगा। रक्षा मंत्रलय के अधीन डीआरडीओ भारतीय सेना के तीनों अंगों की जरूरतों के मुताबिक उत्पादों और तकनीकों की डिजाइन व विकास के काम को अंजाम देता है। केंद्र सरकार ने सोमवार को ही रक्षा क्षेत्र में 100 फीसद एफडीआइ की इजाजत देने का एलान किया था। क्रिस्टोफर ने कहा, ‘इस बात की पूरी संभावना है कि किसी दिन कोई बड़ी विदेशी कंपनी 100 फीसद एफडीआइ के साथ आ सकती है। इससे हमारे सामने प्रतिस्पर्धा खड़ी हो सकती है। हम भी इस प्रतिस्पर्धा का लाभ उठाने के लिए तैयार हो रहे हैं।’ महानिदेशक के मुताबिक, मेक इन इंडिया भी डीआरडीओ के लिए भी यह एक बड़े तोहफे के समान है। उनके संगठन की तकनीक स्वदेशी है। इसलिए बड़े अवसर मिलेंगे। वह खुद भी कई बार सरकार से डीआरडीओ के उत्पादों के निर्यात की इजाजत देने के लिए कह चुके हैं। जहां तक तकनीकी का सवाल है, तो हो सकता है कुछ मामलों में हम थोड़े पीछे हों, मगर दुनिया में कई गरीब देश हैं, जिन्हें हमारे उत्पादों की जरूरत है। डीआरडीओ की ओर से तमाम परियोजनाओं के क्रियान्वयन में देरी के सवाल पर क्रिस्टोफर ने कहा कि जब उन प्रोजेक्टों और उत्पादों को हाथ में लिया गया था तब उनकी जटिलताओं पर ध्यान नहीं दिया गया था। साथ ही कई बार जब परियोजना अंजाम पर पहुंचने वाली होती है, तो सेना की उस खास उत्पाद को लेकर जरूरतें और अपेक्षाएं बढ़ जाती हैं। इस वजह से और अधिक समय लग जाता है। अन्य देशों में भी किसी नए उत्पाद के विकास पर खासा समय लगता है। पनडुब्बियों को ही ले लीजिए, इन पर तीन दशक तक का वक्त लग जाता है। हवाई निगरानी प्रणाली के विकास में अमेरिका को भी 15 साल लग जाते हैं।

24 June 2016...1.एनएसजी पर गतिरोध कायम:-

परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में शामिल होने के भारत के अथक प्रयासों के बावजूद सामने गतिरोध ही नजर आ रहा है। दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में एनएसजी के सदस्य देशों ने भारतीय दावेदारी पर विचार करने का प्रस्ताव तो स्वीकारा लेकिन चीन समेत छह देशों के विरोध के चलते भारत को निराशा हाथ लगने की आशंका है। देर रात तक मिली सूचना के मुताबिक चीन के अलावा ब्राजील, न्यूजीलैंड, आस्टिया, टर्की, आयरलैंड ने मौजूदा नियमों के आधार पर भारत के प्रवेश का विरोध किया। जाहिर है कि ताशकंद में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और पीएम नरेंद्र मोदी की मुलाकात रंग नहीं ला सकी। 48 देशों के इस समूह में भारत भले ही शामिल नहीं हो पा रहा हो लेकिन गुरुवार को भारतीय कूटनीति टॉप गियर में रही। ताशकंद से सियोल तक हर तीर आजमाया। सियोल में विदेश सचिव एस. जयशंकर की अगुवाई में पहुंची टीम की कोशिश यह थी कि भारत को प्रवेश दिलाने के प्रस्ताव पर चर्चा हो। चूंकि यह तय नहीं था कि परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर न करने वाले देश के प्रवेश पर विचार होगा या नहीं। भारत को इसमें दक्षिण कोरिया, जापान व अर्जेटीना से मदद मिली। यह देश की बड़ी सफलता रही। रात्रिभोज के बाद तीन घंटे चली विशेष बैठक में चीन ने एनएसजी में भारत के प्रवेश का विरोध किया। भारतीय समयानुसार, रात आठ बजे यह बैठक इस मुद्दे पर गतिरोध के साथ खत्म हुई। फिलहाल भारत के एनएसजी का सदस्य बनाने पर सहमति नहीं बनी है। वैसे एनएसजी सदस्य देशों की शुक्रवार को भी बैठक है जिसमें इस विषय पर चर्चा हो सकती है। सूत्रों के मुताबिक चीन, न्यूजीलैंड, आस्टिया, आयरलैंड, ब्राजील व टर्की ने भारत समेत किसी भी देश को बगैर एनपीटी पर हस्ताक्षर किए एनएसजी में शामिल करने का विरोध किया। ब्राजील का विरोध भारतीय कूटनीति के लिए हताशा भरा था। चूंकि भारतीय विदेश सचिव की ब्राजील के प्रतिनिधि से सकारात्मक वार्ता हुई थी। सनद रहे कि एनएसजी में प्रवेश के लिए भारत को इसके हर सदस्य देश का समर्थन चाहिए। भारत पिछले महीने से ही इन सभी देशों से संपर्क साधने के अभियान में जुटा है। जानकारों की मानें तो आज की बैठक से यह तय हो गया है कि एनएसजी की राह भारत के लिए उम्मीद से भी ज्यादा कठिन है। भारत को अब नए सिरे से कोशिश शुरू करनी होगी।इससे पूर्व ताशकंद में शंघाई कोऑपरेशन आर्गेनाइजेशन (एससीओ) की बैठक में भाग लेने ताशकंद पहुंचे पीएम नरेंद्र मोदी ने डेढ़ घंटे बाद ही चीनी राष्ट्रपति चिनफिंग से भेंट की। विदेश मंत्रलय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने बताया कि भारत की ओर आग्रह किया गया कि चीन एनएसजी में उसके दावे पर निष्पक्षता से विचार करे और भारत की सदस्यता के सर्वमान्य मत के मुताबिक कदम उठाए।

23 June 2016...6. देश में होंगे सिर्फ पांच सरकारी बैंक बैंकिंग सुधार:-

सरकार का इरादा सार्वजनिक क्षेत्र के 27 बैंकों के बीच एकीकरण के जरिये 4-5 बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक बनाने का है। इस प्रक्रि या की शुरुआत चालू वित्त वर्ष में एसबीआई में उसके सहयोगी बैंकों के विलय से होगी।वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि आईडीबीआई बैंक में भी अपनी हिस्सेदारी 80 से घटाकर 60 प्रतिशत पर लाना चाहती है। यदि हिस्सेदारी बिक्री क्यूआईपी के जरिये होती है, तो सरकार की हिस्सेदारी कम होगी। अधिकारी ने कहा, ‘‘वित्त मंत्रालय का मानना है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के एकीकरण के बाद कुल 4-5 बड़े बैंक होंगे। शुरुआत में एसबीआई और उसके सहयोगी बैंकों का विलय होगा। अन्य बैंकों पर फैसला समय के साथ किया जाएगा।’ अधिकारी ने कहा कि एसबीआई का उसके सहयोगी बैंकों के साथ विलय इस वित्त वर्ष के अंत तक होगा। पिछले सप्ताह केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एसबीआई और सहयोगी बैंकों के विलय को मंजूरी दी है। अधिकारी ने कहा कि एकीकरण की प्रक्रि या से पहले ट्रेड यूनियनों के साथ सहमति बनाई जाएगी। देश के बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, केनरा बैंक और बैंक आफ इंडिया शामिल हैं।वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में कहा था कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के एकीकरण की रूपरेखा जारी करेगी। इन बैंकों को चालू वित्त वर्ष में 25,000 करोड़ रपए का निवेश मिलने की उम्मीद है। सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पुनर्गठन के लिए ‘‘इंद्रधनुष’ योजना की घोषणा की है जिसके तहत चार साल में इन बैंकों में 70,000 करोड़ रपए की पूंजी डाली जाएगी। वहीं इन बैंकों को नियंतण्र जोखिम नियम बासेल तीन के लिए पूंजी की जरूरत को पूरा करने को बाजारों से 1.1 लाख करोड़ रपए जुटाने पड़ेंगे। रूपरेखा के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को पिछले वित्त वर्ष में 25,000 करोड़ रपए की पूंजी मिली है। इस वित्त वर्ष में भी इतनी की राशि डाली जाएगी।योजना के तहत 2017-18 और 2018-19 में इन बैंकों को 10,000-10,000 करोड़ रपए का निवेश मिलेगा। सरकार ने यह भी कहा है कि जरूरत होने पर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को और पूंजी दी जा सकती है।

23 June 2016...5. ब्रेक्जिट के खतरों से निपटने को आरबीआई तैयार:-

ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से बाहर निकलने (ब्रेक्जिट) से जुड़ी अनिश्चितता के घटनाक्र म के बीच रिजर्व बैंक ने कहा कि वह स्थिति पर करीब से निगाह रखे हुए है और नकदी समर्थन समेत हर तरह की पर्याप्त पहल करेगा ताकि बाजारों में सुव्यवस्था बनी रहे।रिजर्व बैंक ने बयान में कहा, ‘‘ब्रिटेन के यूरोपीय संघ में बने रहने से जुड़े जनमत संग्रह (ब्रेक्जिट) की आशंका के बीच भारत समेत नियंतण्र वित्तीय बाजारों में कुछ हद तक उतार-चढ़ाव हुआ है।’ बयान में कहा गया, ‘‘आरबीआई इन घटनाक्र मों में करीब से निगाह रखे हुए है और नकदी समर्थन प्रदान करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा ताकि यह सुनिश्चित हो कि वित्तीय बाजार की स्थितियां सुव्यवस्थित रहें।’ब्रिटेन में 23 जून को 28 देशों के संगठन यूरोपीय संघ में बने रहने या इससे बाहर निकलने के बारे में जनमत संग्रह है। विश्व भर में ब्रेक्जिट पर र्चचा हो रही है क्योंकि इसका अंतरराष्ट्रीय वित्तीय बाजारों और विनिमय दर पर असर हो सकता है। भारत का ब्रिटेन और यूरोपीय संघ दोनों के साथ अच्छा-खासा कारोबार है। यूरोप से भारत में भारी-भरकम निवेश होता है। फेडरल रिजर्व की प्रमुख जेनेट येलेन ने कहा कि ब्रेक्जिट का उल्लेखनीय आर्थिक परिणाम हो सकता है।भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड तथा शेयर बाजारों ने भी ‘‘ब्रेक्जिट’ पर जनमत संग्रह के मद्देनजर अत्यधिक उतार-चढ़ाव की किसी स्थिति से निपटने के लिए अपनी निगरानी पण्राली को मजबूत किया है। निवेशक इस जनमत संग्रह के नतीजों का बेचैनी से इंतजार कर रहे हैं। जनमत संग्रह से पहले दोपहर के कारोबार में शेयरों तथा रपए में भारी गिरावट देखी गई। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि घरेलू पूंजी बाजार में मजबूत निगरानी तथा जोखिम प्रबंधन ढांचा है। ब्रेक्जिट जनमत संग्रह से पैदा होने वाली किसी स्थिति से निपटने को इसे और मजबूत किया गया है।पूंजी बाजार को प्रतिकूल स्थिति से बचाने के लिए सभी कदम उठाए गए हैं। यह भी सुनिश्चित किया गया है कि अत्यधिक उतार-चढ़ाव को नियंतण्रमें रखा जा सके।

23 June 2016..4. पनामा पेपर्स : बहु-एजेंसी समूह ने सौंपी तीन रिपोर्ट :-

 पनामा पेपर्स लीक मामले की जांच करने वाले बहु-एजेंसी समूह ने सरकार को तीन रिपोर्ट सौंपी हैं। पनामा पेपर्स में विदेशी इकाइयों में गुप्त रूप से धन जमा करने वाले 500 भारतीयों के नाम उजागर किए गए थे। राजस्व विभाग के मुताबिक, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) भी विशेष जांच दल (एसआइटी) को नई सूचनाएं मुहैया कराता रहा है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर काले धन से जुड़े मामलों की निगरानी के लिए एसआइटी का गठन किया गया था। राजस्व विभाग के दस्तावेज के मुताबिक, ‘बहु-एजेंसी समूह (एमएजी) ने सरकार को अब तक तीन रिपोर्टे सौंपी हैं। काले धन पर गठित एसआइटी को इन मामलों में लगातार सूचनाएं मुहैया कराई जा रही हैं।’ गत अप्रैल में सरकार ने यह पता लगाने के लिए एमएजी का गठन किया था कि कर चोरी के पनाहगाह पनामा में जमा धन कानूनी है या गैरकानूनी। एमएजी में आरबीआइ, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, वित्तीय खुफिया इकाई तथा विदेशी कर व कर अनुसंधान विभाग के अधिकारी शामिल हैं। राजस्व विभाग ने बताया, ‘एमएजी के गठन का उद्देश्य था पनामा पेपर्स में जो नाम उजागर हुए हैं, उनके मामलों में तेजी से मिलकर जांच करना। ऐसे मामलों की जांच संबंधित जांच एजेंसियां कर रही हैं, जबकि एमएजी प्रगति की निगरानी कर रही है। विभाग के अनुसार, कर अधिकारियों के क्षेत्रीय सम्मेलन में अघोषित विदेशी आय के मुद्दे पर चर्चा हुई। इसमें फैसला किया गया कि तेज कार्रवाई, अभियोजक पक्ष की शिकायत वाले मामलों पर उचित जानकारी हासिल की जाएगी। मांग वसूली के लिए प्रभावी कदम उठाने को लेकर भी चर्चा हुई।

23 June 2016...3. मेगा स्पेक्ट्रम नीलामी को मंजूरी:-

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को बड़े पैमाने पर स्पेक्ट्रम नीलामी योजना को मंजूरी दे दी। इससे सरकारी खजाने में 5.66 लाख करोड़ रपए आने की उम्मीद है। इसके अलावा मंत्रिमंडल ने कई अन्य महत्वपूर्ण फैसले भी लिए।आधिकारिक सूत्र ने बताया कि स्पेक्ट्रम नीलामी प्रस्ताव को मंजूर कर लिया गया है। सरकार को 2300 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम नीलामी से कम से कम 64,000 करोड़ रपए मिलने की उम्मीद है। इसके अलावा दूरसंचार क्षेत्र में विभिन्न शुल्कों तथा सेवाओं से 98,995 करोड़ रपए प्राप्त होंगे।सूत्रों ने बताया कि नीलामी के लिए मुख्य दस्तावेज, आवेदन आमंत्रित करने का नोटिस संभवत: एक जुलाई को जारी किया जाएगा। इसके बाद छह जुलाई को बोली पूर्व सम्मेलन होगा। बोलियां एक सितम्बर से लगनी शुरू होने की उम्मीद है। हालांकि, योजना की आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं हुई है। अंतर मंत्रालयी समिति द्वारा मंजूर नियमों के तहत नीलामी में 700 मेगाहट्र्ज का प्रीमियम बैंड भी शामिल रहेगा। इस बैंड के लिए आरक्षित मूल्य 11,485 करोड़ रपए प्रति मेगाहट्र्ज रखा गया है। इस बैंड में सेवा प्रदान करने की लागत अनुमानत: 2100 मेगाहट्र्ज बैंड की तुलना में 70 फीसद कम है, जिसका इस्तेमाल 3जी सेवाएं प्रदान करने के लिए किया जाता है।स्टार्टअप के लिए सौ अरब का कोष :सरकार ने बुधवार को स्टार्टअप के लिए 10,000 करोड़ रपए के ‘‘कोषों के कोष’ को मंजूरी दे दी। इस कोष का इस्तेमाल स्टार्ट अप की मदद के लिए किया जाएगा। इसका मकसद 18 लाख लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना है।एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि इस कोष के पूर्ण इस्तेमाल के जरिए करीब 18 लाख लोगों को रोजगार उपलब्ध हो सकेगा। एक 10,000 करोड़ रपए के कोष से 60,000 करोड़ रपए का इक्विटी निवेश तथा इससे दोगुना ऋण निवेश हासिल किया जा सकेगा।राज्यों के उदय योजना से जुड़ने की समय सीमा बढ़ी:सरकार ने राज्यों के लिए उदय योजना से जुड़ने की समय सीमा बढ़ा दी है। यह योजना ऋण के बोझ से दबी बिजली वितरण कंपनियों के पुनरोद्धार से संबंधित है। इसके अलावा राज्यों के लिए मार्च, 2017 में समाप्त हो रहे वित्त वर्ष में डिस्काम के ऋण के अधिकांश हिस्से के भुगतान के लिए बांड जारी करने की समय सीमा भी बढ़ाई गई है।

23 June 2016...2. एनएसजी के लिए झोंकी ताकत:-

 भारत परमाणु आपूर्तिकर्ता देशों के समूह (एनएसजी) का सदस्य बन पाएगा या नहीं यह अगले 48 घंटे में तय हो जाएगा। कूटनीति के लिहाज से अगले 24 घंटे बेहद अहम होंगे। दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में गुरुवार से एनएसजी के 48 देशों की बैठक शुरू होगी। भारत ने स्वीकारा है कि राह आसान नहीं है, लेकिन उसने ऐन वक्त पर पूरी ताकत झोंक दी है। विदेश सचिव एस जयशंकर की अगुआई में मजबूत टीम सियोल पहुंच चुकी है। फ्रांस के समर्थन से भारतीय खेमे में नये उत्साह का संचार हुआ है। फ्रांस ने कहा है परमाणु, जैविक और अन्य तकनीकी हस्तांतरण से जुड़े चारों अंतरराष्ट्रीय समझौतों में भारत के शामिल होने से परमाणु तकनीकी के गलत इस्तेमाल पर रोक लगेगी। भारत की हिस्सेदारी परमाणु, रासायनिक, जैविक, बैलास्टिक व पारंपरिक संवेदनशील उत्पादों व तकनीकी निर्यात को नियंत्रण करने में मदद मिलेगी। रूस, ब्रिटेन और अमेरिका के बाद फ्रांस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का चौथा देश हो गया है जिसने अन्य सभी देशों से भारत के समर्थन में वोटिंग करने का आग्रह किया है। भारतीय खेमा का आकलन है कि 25 देश पूरी तरह से उसके साथ हैं जबकि 23 ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। उनमें से पांच या छह को छोड़ कर अन्य वोटिंग की स्थिति में भारत के साथ खड़े होंगे। बहरहाल, अभी भी सबसे बड़ी अड़चन चीन ही है। पीएम नरेंद्र मोदी कल ताशकंद में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से दोपहर में भेंट करेंगे। तब तक सिओल में बैठक शुरू हो चुकी होगी। वैसे तो इस बैठक में मोदी और चिनफिंग के बीच हर मुद्दे पर वार्ता होगी, लेकिन माना जा रहा है कि वार्ता के केंद्र में एनएसजी ही होगा।

23 June 2016...1.एक साथ 20 उपग्रह प्रक्षेपित कर इसरो ने रचा इतिहास:-

 26 मिनट के मिशन में एक साथ 20 उपग्रहों का प्रक्षेपण करके भारत अरबों डॉलर के वैश्विक अंतरिक्ष मार्केट की प्रमुख शक्ति बन गया है। श्रीहरिकोटा के धवन स्पेस सेंटर से बुधवार को सुबह नौ बज कर 26 मिनट पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान यानी इसरो का उपग्रह प्रक्षेपण वाहन पीएसएलवी-सी 34 तीन भारतीय और 17 विदेशी उपग्रहों को लेकर रवाना हुआ और तय समय पर मिशन पूरा करके भारत का नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज कर दिया। सभी उपग्रह 505 किलोमीटर ऊपर सूर्य स्थैतिक कक्षा यानी सन सिंक्रोनस ऑर्बिट (एसएसओ) में स्थापित हो गए। इसके साथ ही इसरो ने विभिन्न कक्षाओं में उपग्रहों को स्थापित करने की क्षमता भी दिखाई। इसके लिए रॉकेट चौथे और अंतिम चरण के बाद दो बार प्रवलित कर और कुछ किलोमीटर आगे दूसरी कक्षाओं में भेजा गया। इसरो इससे पहले एक साथ दस उपग्रहों का प्रक्षेपण भी कर चुका है। यह उपलब्धि 2008 में अर्जित की गई थी।
कुल उपग्रह छोड़े- 20
भारतीय - 3
विदेशी- 17
अमेरिका के- 13
कनाडा के-- दो
जर्मनी - 1
इंडोनेशिया- 1
तीन अरब डॉलर का अंतरिक्ष बाजार

विश्व में इस समय तीन अरब डॉलर का अंतरिक्ष मार्केट है। उपग्रह प्रक्षेपण की दरें भारत में अन्य देशों के मुकाबले बेहद कम हैं। नई उपलब्धियों से अनेक अन्य देश अब भारत से संपर्क कर सकते हैं। अब तक 20 देश भारत से सेवाएं ले चुके हैं जिससे भारत को छह सौ करोड़ रुपये की आय हुई। बुधवार को प्रक्षेपित सभी 17 विदेशी उपग्रह कॉमर्शियल हैं। इससे इसरो की आय में बढ़ोतरी होगी। पीएएसलवी प्रक्षेपण की सफलता दर भी प्रभावशाली रही है।

22 June 2016..4. एसोचैम की रिपोर्ट : ब्रेग्जिट के जोखिम से निपटने के लिए तैयार रहे भारत:-

 उद्योग एवं वाणिज्य संगठन एसोचैम ने कहा कि गुरुवार को होने वाले जनमत संग्रह में ब्रिटेन के यूरोपीय संघ (ईयू) से बाहर निकलने के लिए मतदान करने की स्थिति में भारत सहित नियंतण्र वित्तीय बाजार में मचने वाले कोहराम से निपटने के लिए सरकार और रिजर्व बैंक दोनों को तैयार रहना चाहिए।एसोचैम ने जारी रिपोर्ट में कहा कि जनमत संग्रह के दिन ब्रिटेन के ईयू में शामिल रहने या नहीं रहने (ब्रेग्जिट) के लिए होने वाले मतदान में बहुत मामूली अंतर रहने की उम्मीद है। यह नियंतण्र अर्थव्यवस्था के लिए बड़े जोखिम के रूप में उभरेगा। लघु अवधि के लिए इससे वित्तीय बाजार में भारी उथल-पुथल होने की भी आशंका है।रिपोर्ट के अनुसार, ब्रेग्जिट का जोखिम ऐसे समय में उभरा है जब फॉरेन करेंसी नॉन रेजिडेंट (एफसीएनआर) खातों की अवधि पूरी होने से देश से 20 अरब डालर निकाले जाने की आशंका है। हालांकि पिछले 18 महीनों में कच्चे तेल के आयात पर हुए व्यय में कमी आने से चालू खाते की स्थिति बेहतर बनी हुई है।एसोचैम ने कहा, अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के लिए लंदन मुख्य केंद्र रहा है। ब्रेग्जिट से उत्पन्न होने वाले जोखिम का असर नियंतण्र वित्तीय बाजार पर अवश्य पड़ेगा। ऐसे में महत्वपूर्ण उभरते बाजार वाली अर्थव्यवस्था और नियंतण्र फंड मैनेजर्स की प्राथमिकता वाले देश भारत में भी रपए में अस्थिरता या डालर की निकासी का जोखिम बना हुआ है। एसौचेम ने कहा कि एफसीएनआर खातों से डालर की निकासी के बाद देश में डालर की आपूत्तर्ि बाधित होने की स्थिति से निपटने के लिए आरबीआई को एक प्रभावशाली योजना के साथ तैयार रहना चाहिए।उसने कहा कि मध्यम एवं दीर्घ अवधि में ब्रिटेन एवं यूरोपीय बाजारों की अनिश्चितता को देखते हुए निवेशक भारत का रुख कर सकते हैं, लेकिन अल्पावधि में कुछ भी हो सकता है। एक विश्वसनीय अर्थव्यवस्था के रूप में देश को ऐसे हालात से निपटने का बेहतर समाधान ढूँढना के लिए प्रयासरत रहना चाहिए।यूरोपीय संघ संधि की धारा 50 के तहत ब्रिटेन के पास अलग होने की शतरें पर वार्ता के लिए दो साल का समय होगा। ऐसे में यूरोप के बदलते परिदृश्य के मद्देनजर भारत के नीति निर्माताओं के पास एक मजबूत नीति बनाने के लिए पर्याप्त समय होगा।

22 June 2016..3. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के मामले में टॉप तीन डेस्टिनेशन में शामिल होगा भारत:-

 संयुक्त राष्ट्र की इकाई यूनाइटेड नेशंस कांफ्रेंस ऑन ट्रेड एंड डेवलपमेंट (अंकटाड) ने कहा कि वर्ष 2016 से 2018 के बीच भारत अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा एफडीआई डेस्टिनेशन होगा। अंकटाड की नियंतण्र निवेश रिपोर्ट 2016 में कहा गया है कि पिछले साल देश में कुल 44 अरब डालर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आया और भारत दुनिया में 10वां सबसे बड़ा एफडीआई डेस्टिनेशन रहा। वर्ष 2014 में भी वह 10वें स्थान पर ही रहा था। हालांकि उस साल 35 अरब डालर का एफडीआई आया था। वर्ष 2015 में 380 अरब डालर के साथ अमेरिका एक बार फिर पहले स्थान पर वापसी करने में सफल रहा। 2014 में वह तीसरे स्थान पर फिसल गया था। वहीं, आर्थिक विकास की रफ्तार सुस्त पड़ने से चीन पहले स्थान से खिसक कर 136 अरब डालर के निवेश के साथ वर्ष 2015 में तीसरे स्थान पर चला गया।नियंतण्र एफडीआई वर्ष 2015 में 38 फीसद बढ़कर 1762 अरब डालर पर पहुंच गया। लेकिन, इसमें मुख्य योगदान सीमाओं के आर-पार विलय एवं अधिग्रहण सौदों का रहा। विलय एवं अधिग्रहण सौदे विकसित देशों में ज्यादा देखे गए। इन सौदों को हटा दिया जाए तो गत वर्ष शुद्ध रूप से एफडीआई में 15 फीसद की वृद्धि दर्ज की गई। रिपोर्ट में कहा गया है एफडीआई का बढ़ना नियंतण्र वृहद आर्थिक वातावरण को देखते हुए कुछ अजीब बात रही। नियंतण्र स्तर पर उभरते बाजार वाले देशों की विकास दर घट रही है और कमोडिटी की कीमतें निचले स्तर पर हैं।

22 June 2016...2. एनएसजी के बाद होगा मिशन संयुक्त राष्ट्र:-

 परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता के लिए चीन को साधने में जुटा भारत, आगे की तैयारी में भी लगा है। एनएसजी के बाद भारत की नजर संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता पर है। जिस तरह से एनएसजी की बेहद कठिन राह होते हुए भी सरकार की तरफ से हरसंभव कोशिश की जा रही है उसी तरह की आजमाइश सुरक्षा परिषद की स्थायी सीट के लिए भी होगी। इसी उद्देश्य से भारत ने अभी तक अनछुए 65 देशों के साथ संपर्क साधने की तैयारी की है। ये देश अनछुए इसलिए हैं कि भारत की तरफ से अभी तक किसी भी राष्ट्राध्यक्ष या बड़े मंत्री ने इनकी यात्रा नहीं की है। वैसे तो ये देश छोटे देश हैं, लेकिन संयुक्त राष्ट्र सुधार में हर सदस्य देश की अहमियत को देखते हुए भारत इनके साथ करीबी रिश्ता रखने की नींव डाल रहा है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने स्वयं ही पिछले रविवार को इस बारे में जानकारी दी। स्वराज ने बताया, ‘भारत के तमाम दूतावासों ने बताया है कि दुनिया में 65 ऐसे देश हैं जहां आज तक भारत से कोई उचस्तरीय प्रतिनिधिमंडल नहीं गया। हम इसे समाप्त करने जा रहे हैं। विदेश मंत्रलय एक विस्तृत कार्ययोजना बना रहा है कि दिसंबर, 2016 तक इन सभी देशों की यात्रा पर कोई न कोई मंत्री जाए। इसके लिए कैबिनेट मंत्रियों और स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्रियों की मदद ली जाएगी।’ विदेश मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि एक साथ इतनी बड़ी संख्या में देशों के साथ संपर्क साधने की पहली बार कोशिश हो रही है। सनद रहे कि मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से भारत अभी तक 101 देशों के साथ संपर्क साध चुका है। यह भी अपने आप में एक रिकार्ड है क्योंकि इसके पहले किसी भी सरकार ने सिर्फ दो वर्षो के भीतर 101 देशों के साथ रिश्तों को मजबूत बनाने की कोशिश नहीं की है। संपर्क साधने में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति की भी भरपूर मदद ली जा रही हैं। इन अधिकारियों के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बात तो अभी दूर है लेकिन यह जब भी होगा तब इसके छोटे से छोटे देश के वोट का भी महत्व होगा। चूंकि अभी तक बड़े और प्रमुख देशों के साथ ही संपर्क साधा गया है लेकिन छोटे-छोटे दर्जनों ऐसे देश हैं जो संयुक्त राष्ट्र के सदस्य हैं और समय आने पर उनका सहयोग काफी अहम साबित हो सकता है।

22 June 2016...1.एनएसजी पर चीन को मनाने की कोशिश:-

परमाणु आपूर्तिकर्ता देशों के प्रतिष्ठित समूह एनएसजी का भारत सदस्य बन पाता है या नहीं यह अब पूरी तरह से ताशकंद में होने वाली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच होने वाली बातचीत पर निर्भर करेगी। पीएम मोदी वैसे तो ताशकंद में शंघाई कोऑपरेशन संगठन (एससीओ) की बैठक में हिस्सा लेने जा रहे हैं लेकिन इसका मुख्य उद्देश्य एनएसजी पर चीन को मनाने की कोशिश करना होगा।मोदी गुरुवार यानी 23 जून, 2016 को उबेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में एससीओ की बैठक में हिस्सा लेने पहुंचेंगे। वैसे इस बैठक में भारत को भी एससीओ का पूर्णकालिक सदस्य बनाने की घोषणा भी की जाएगी। उधर, भारत के एनएसजी सदस्य बनने को लेकर चीन के रवैये में कोई खास अंतर नहीं आया है। चीन के विदेश मंत्रलय की तरफ से गुरुवार को दिए गए बयान से साफ है कि वह भी अंत में ही अपने पत्ते खोलेगा। एक तरफ तो चीन ने कहा कि वह भारत या पाकिस्तान या किसी भी अन्य देश के लिए एनएसजी के दरवाजे को बंद नहीं करना चाहता लेकिन उसने भारत को बढ़ावा दे रहे अमेरिका व अन्य देशों पर कटाक्ष भी किया। चीन के विदेश मंत्रलय के प्रवक्ता ने कहा है कि परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले किसी भी देश को एनएसजी में शामिल नहीं करने के नियम तो अमेरिका ने ही तय किए थे। सनद रहे कि अमेरिका अब इस नियम को खास तवजो नहीं देते हुए सभी देशों से आग्रह कर रहा है कि वह भारत को एनएसजी में प्रवेश दिलाने में मदद करे। अमेरिका के व्हाइट हाउस और विदेश मंत्रलय ने अलग-अलग बयान जारी कर भारत की दावेदारी का न सिर्फ जोरदार समर्थन किया बल्कि सभी सदस्य देशों से भी भारतीय दावे का समर्थन करने की वकालत की है। व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जॉन अर्नेस्ट ने कहा है कि भारत एनएसजी का सदस्य बनने के लिए पूरी तरह से तैयार है। उधर, विदेश सचिव एस. जयशंकर का एनएसजी बैठक में हिस्सा लेने के लिए सियोल (दक्षिण कोरिया) जाना तय हो गया है। विदेश मंत्रलय के सूत्र मानते हैं कि चीन के विरोध की वजह से विदेश सचिव की बीजिंग यात्र से जो उम्मीद बनी थी वह धुंधली हो गई है लेकिन फिर भी हम हरसंभव कोशिश करने में जुटे हैं। यही वजह है कि चीन को मनाने के लिए अब पीएम मोदी भी आजमाइश करेंगे। पीएम मोदी लगातार एनएसजी के लिए व्यक्तिगत कोशिश कर रहे हैं। इसके पहले वह अमेरिका यात्र के दौरान बीच में स्विटजरलैंड और मैक्सिको की यात्र कर इन दोनों देशों का समर्थन हासिल कर चुके हैं। पीएम मोदी की लगातार यह कोशिश रही है हर अंतरराष्ट्रीय बैठक में वह चीनी राष्ट्रपति के साथ द्विपक्षीय बैठक करें। मोदी और चिनफिंग के बीच पिछले दो वर्षो में सात मुलाकातें हो चुकी हैं। ताशकंद में आठवीं मुलाकात होगी लेकिन इसका भारत के लिए महत्व यादा होगा। जानकारों की मानें तो 23 जून को मोदी और चिनफिंग की मुलाकात होगी और उसके एक दिन बाद 24 जून को सियोल में एनएसजी की बैठक में नए सदस्य के शामिल होने पर फैसला होगा। अभी तक के जो आंकड़े हैं उसके मुताबिक एनएसजी के 48 देशों में से तकरीबन 24 देश भारत के साथ खुल कर आ चुके हैं। जबकि चीन, तुर्की, आयरलैंड, दक्षिण अफ्रीका, आस्टिया अभी भी भारत के पक्ष में नहीं हैं। शेष बचे देश अभी अनिर्णय की स्थिति में तो हैं लेकिन भारत उनको अपने साथ मान कर चल रहा है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पहले ही कह चुकी हैं कि भारत के लिए एनएसजी में शामिल होना देश की ऊर्जा सुरक्षा के लिहाज से बहुत अहम है। भारत वर्ष 2030 तक 65 हजार मेगावाट बिजली परमाणु ऊर्जा पर आधारित रखना चाहता है। इसके लिए भारत को बड़े पैमाने पर विदेशों से परमाणु ऊर्जा से जुड़ी तकनीक चाहिए। यह काम एनएसजी का सदस्य बनने के बाद आसान हो जाएगा।

Tuesday 21 June 2016

21 June 2016...5. चीनी सनवे तेहुलाइट दुनिया का सबसे तेज सुपर कंप्यूटर:-

 चीन के एक नए कंप्यूटर सिस्टम को दुनिया का सबसे तेज सुपर कंप्यूटर आंका गया है। सुपर कंप्यूटर ‘सनवे तेहुलाइट’ प्रति सेकेंड 930 लाख अरब गणनाएं करने में सक्षम है। इसे नेशनल रिसर्च सेंटर ऑफ पैरलल कंप्यूटर इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी ने तैयार किया है। इसे पूरी तरह से चीन निर्मित प्रोसेसरों की मदद से बनाया गया है। इस सुपर कंप्यूटर को चीन के नेशनल सुपर कंप्यूटिंग सेंटर में रखा गया है। इसने इंटेल आधारित ‘तियानहे-2’ को पछाड़ा है, जो टॉप 500 सुपर कंप्यूटरों की सूची में पिछले छह साल से नंबर एक पर था। यह सूची साल में दो बार जारी की जाती है। ‘सनवे तेहुलाइट’ ‘तियानहे-2’ की तुलना में दोगुना तेज और तीन गुना यादा क्षमता वाला है। ‘तियानहे-2’ प्रति सेकेंड 338.6 लाख अरब गणनाएं करने में सक्षम है। अमेरिकी ऊर्जा विभाग (डीओई) के ओक रिज नेशनल लैबोरेटरी में लगा ‘टाइटन’ 175.9 लाख अरब गणना प्रति सेकेंड की क्षमता के साथ इस सूची में तीसरे नंबर पर है। डीओई के लॉरेंस लिवरमोर नेशनल लैबोरेटरी में लगे ‘सिक्यूओइया’ और जापान के रिकेन एंडवांस्ड इंस्टीट्यूट फॉर कंप्यूटेशनल साइंस में लगे फुजित्सु के ‘के कंप्यूटर’ को क्रमश: चौथे और पांचवे स्थान पर रखा गया है।

21 June 2016...4. देश को मिला पहला आवासीय कौशल विकास विश्वविद्यालय:-

 इंदौर में सिमबायोसिस यूनिवर्सिटी ऑफ अप्लाइड साइंसेस को देश के पहले आवासीय कौशल विकास विश्वविद्यालय का गौरव प्राप्त हुआ है। मध्य प्रदेश सरकार ने उसे इसके लिए अधिनियमित किया है। सिमबायोसिस के प्रेसीडेंट व संस्थापक डॉ एसबी मजूमदार और सिमबायोसिस फाउंडेशन की वाइस प्रेसीडेंट डॉ स्वाति मजूमदार के नेतृत्व में स्थापित यह विश्वविद्यालय अपनी तरह का पहला कौशल विकास विश्वविद्यालय है। यह जर्मनी के मॉडल पर आधारित है। यूनिवर्सिटी ने विशेष कौशल प्रशिक्षण मशीनरी और सिमुलेटरों का आयात किया है ताकि छात्रों को व्यावहारिक प्रशिक्षण हासिल हो सके। इस अकादमिक वर्ष के लिए यूनिवर्सिटी जल्द ही प्रोग्राम लांच करेगी। सामाजिक स्वीकार्यता के अभाव के चलते छात्र कौशल आधारित कोर्सो से दूरी बनाते हैं। जबकि उद्योगों को बड़ी संख्या में कुशल कामगारों की जरूरत है। सिमबायोसिस यूनिवर्सिटी ऑफ अप्लाइड साइंसेस ऑटोमोबाइल, कंस्ट्रक्शन, मैन्यूफैक्चरिंग, आइटी, रिटेल, बैंकिंग और फाइनेंस में शॉर्ट टर्म कौशल आधारित कोर्सो के साथ डिग्री प्रोग्राम ऑफर करेगी।

21 June 2016..3. 2018 में रिटायर कर दिए जाएंगे मिग-27:-

लड़ाकू मिग-27 विमानों की ताबड़तोड़ दुर्घटनाओं ने भारतीय वायुसेना में चिंता की लकीरें एक बार फिर गहरी कर दी हैं। वायुसेना मिग-27 के बाकी बचे तीन स्क्वाड्रनों (तकरीबन 60 विमान) को 2018 तक सेवानिवृत्त कर देगी। भारतीय वायुसेना ने बीते दस सालों में दुर्घटनाओं में अपने 95 लड़ाकू विमान खोये हैं, जिसमें अकेले मिग-27 की संख्या एक दर्जन है। वर्ष 1985 में इन विमानों (मिग-27) को भारतीय वायुसेना की सेवा में शामिल किया गया था, तबसे कई दुर्घटनाओं के चलते इसके सभी स्क्वाड्रनों को कई बार अंडरग्राउंड (भूमिगत) किया जा चुका है। भारतीय वायुसेना में मिग-27 विमानों की कुल संख्या 150 थी, जबकि मौजूदा समय में इसके कुल तीन स्क्वाड्रन (तकरीबन 60 विमान) ही बचे हैं।मिग-27 के बचे हुए कुल तीन स्कवाड्रन में से दो स्क्वाड्रन जोधपुर (राजस्थान) तथा एक स्क्वाड्रन कलाईकुंडा (पश्चिम बंगाल) में हैं। जोधपुर में मौजूद मिग-27 के दोनों स्क्वाड्रन अपग्रेड किए हुए हैं। जबकि कलाईकुंडा में स्थित स्क्वाड्रन नानअपग्रेटेड हैं। भारतीय वायुसेना की प्रवक्ता रोशेल डी सिल्वा ने इस संवाददाता से बातचीत में कहा कि मिग-27 के मौजूद सभी तीन स्कवाड्रन वर्ष 2018 तक फेज आउट (सेवानिवृत्त) कर दिए जाएंगे। मिग-27 विमानों की दुर्घटनाओं में जांचोपरान्त जो सामान्य बात सामने आई है, वह है इसके इंजन में ऐसी खराबी, जो लाख प्रयास के बाद भी ठीक नहीं की जा सकी। रूसी और भारतीय तकनीशियनों के दल के एक कमेटी ने संयुक्त रूप से मिग-27 के इंजनों की पड़ताल की थी। रूस से तकनीकी हस्तांतरण के तहत हिन्दुस्तान एयरोनाटिक्स लि. (एचएएल) द्वारा असेम्बल किए गए 150 मिग-27 विमान अपने जमाने में चौथी पीढ़ी के विमानों में सबसे अव्वल माने गए थे।वायुसेना के अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि अगले दो-तीन सालों में भारतीय वायुसेना में मिग श्रेणी (मिग 21 बायसन, मिग 23 तथा मिग 27) के सभी विमानों को सेवानिवृत्त कर दिया जाएगा, जिनकी संख्या मौजूदा समय में 12 स्क्वाड्रन है। भारतीय वायुसेना के लड़ाकू बेड़े के लिए भारत सरकार द्वारा स्वीकृत कुल 42 स्क्वाड्रन लड़ाकू विमानों के बदले में फिलहाल 33 स्क्वाड्रन ही मौजूद है। अगले दो-तीन सालों में मिग श्रेणी के विमानों की 12 स्क्वाड्रन रिटायर कर दिए जाने के बाद कुल 21 स्क्वाड्रन ही बचेंगे, जो कि स्वीकृत स्क्वाड्रन की आधी ही होगी।

21 June 2016...2. दहाई विकास दर के लिए विश्व बैंक के सुझाव:-

चालू वित्त वर्ष में भारत की विकास दर 7.6 प्रतिशत रहने की उम्मीद जताते हुए विश्व बैंक ने आर्थिक वृद्धि दर को दहाई के अंक यानी डबल डिजिट में ले जाने के लिए कई महत्वपूर्ण सुधार लागू करने का सुझाव दिया है। बैंक का कहना है कि लगातार दो वर्ष तक मानसून कमजोर रहने के बावजूद भारत ने वित्त वर्ष 2015-16 में तेज विकास दर हासिल की है और मैन्यूफैक्चरिंग व सेवा क्षेत्रों की उच वृद्धि रहने से नौकरियां सृजित हुई हैं।
निवेश पर जोर
विश्व बैंक के भारत में निदेशक ओनो रुहल ने ‘इंडिया डवलपमेंट अपडेट’ जारी करते हुए कहा कि भारत की संभावनाओं के संबंध में भरोसा करने के कई अछे कारण हैं। हालांकि दीर्घावधि में आर्थिक विकास को जारी रखने के लिए निवेश की रफ्तार बढ़ानी होगी।
नौकरियों पैदा हुईं
विश्व बैंक ने कहा कि वित्त वर्ष 2015-16 में मैन्यूफैक्चरिंग की वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत तथा सेवा क्षेत्र की 8.9 प्रतिशत रही जिससे शहरों में नौकरियां सृजित हुईं। साथ ही मुद्रास्फीति काबू में रही जिससे लोगों की वास्तविक आय में वृद्धि हुई। महंगाई निचले स्तर पर रहने से रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में कटौती की जिससे वित्तीय तंत्र से जुड़े शहरी परिवारों को फायदा हुआ।
टैक्स बढ़ाने का समर्थन
विश्व बैंक ने कचे तेल की कीमतों में गिरावट होने पेट्रोलियम उत्पादों पर टैक्स बढ़ाने की सरकार की नीति का समर्थन करते हुए कहा कि केंद्र ने इससे प्राप्त हुए राजस्व को उपभोग पर खर्च होने देने के बजाय ढांचागत क्षेत्र में निवेश करने का अछा निर्णय किया है।
सब्सिडी तर्कसंगत हो
बैंक ने कहा कि मानसून सामान्य रहने से भी सरकार को एक अछा अवसर मिलेगा। हालांकि सरकार को ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर संपर्क सुविधा देने के साथ-साथ उवर्रक सब्सिडी को तर्कसंगत और शहरी क्षेत्रों में सेवाओं की डिलीवरी बेहतर बनाने पर जोर देना चाहिए।
गांव से मिलेगी रफ्तार
विश्व बैंक का कहना है कि मानसून सामान्य रहने पर कृषि क्षेत्र की विकास दर अगर 3.5 प्रतिशत रहती है तो जीडीपी में अतिरिक्त 0.35 प्रतिशत वृद्धि हो सकती है। इसके अलावा ग्रामीण उपभोग बढ़ने और निर्यात में गिरावट थमने से भी विकास दर को बल मिलेगा।

21 June 2016...1.रक्षा, उड्डयन, पेंशन और बीमा में 100 प्रतिशत FDI को मिली मंजूरी:-

 भारत ने एफडीआई की नीति में बहुत बड़े बदलाव किए हैं। इसके तहत अब रक्षा, उड्डयन से लेकर ई कॉमर्स तक के क्षेत्र में 100 फ़ीसदी विदेशी निवेश का रास्ता खुल गया है।
जिन अन्य क्षेत्रों में एफडीआई नियमों को उदार किया गया है उनमें खाद्य उत्पादों का ई-कामर्स क्षेत्र, प्रसारण कैरेज सेवाएं, निजी सुरक्षा एजेंसियां तथा पशुपालन शामिल हैं।
हवाई परिवहन सेवा में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति
इन प्रमुख फैसलों के तहत सरकार ने अनुसूचित (नियमित समय-सारिणी पर चलने वाली) हवाई परिवहन सेवाओं - नियमित समय सारिणी के अनुसार परिचालित यात्री-सेवा एयरलाइनों तथा क्षेत्रीय हवाई परिवहन सेवा में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी है। इस नई व्यवस्था में 49 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति स्वत: मंजूर मार्ग से तथा उसके ऊपर की हिस्सेदारी सरकार की मंजूरी लेकर की जा सकेगी। फिलहाल अनुसूचित एयरलाइंस में 49 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति है। प्रवासी भारतीयों के लिए स्वत: मंजूर मार्ग से 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति बनी रहेगी।
मौजूदा हवाई अड्डों के आधुनिकीकरण तथा उच्च मानदंड स्थापित करने और हवाई अड्डों का दबाव कम करने के लिए पुराने अड्डों की परियोजनाओं में स्वत: मंजूर मार्ग से 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी गई है। अभी तक पुराने हवाई अड्डों में 74 प्रतिशत से अधिक एफडीआई के लिए सरकार की मंजूरी लेनी होती थी।
रक्षा क्षेत्र में भी हो सकेगी 49 फीसदी से अधिक एफडीआई
रक्षा क्षेत्र के लिए उन मामलों में मंजूरी मार्ग से 49 प्रतिशत से ऊपर भी एफडीआई की अनुमति दी गई है जिनसे देश को आधुनिक प्रौद्योगिकी प्राप्त हो सकती है। सरकार ने ‘अत्याधुनिक’ प्रौद्योगिकी के प्रावधान को समाप्त कर दिया है। रक्षा क्षेत्र में अब तक 49 प्रतिशत से अधिक एफडीआई के प्रस्ताव पर पहले मामला दर मामला आधार पर मंजूरी मार्ग से किया जा सकता था बशर्ते उससे देश को ‘अत्याधुनिक’ प्रौद्योगिकी मिल सके। रक्षा क्षेत्र के लिए एफडीआई की सीमा को शस्त्र अधिनियम, 1959 के तहत छोटे हथियारों और अन्य युद्ध सामग्रियों गोला बारूद आदि बनाने वाले उद्योगों पर भी लागू किया गया है। एकल ब्रांड खुदरा क्षेत्र (एसबीटीआर) के बारे में स्थानीय स्तर पर खरीद के नियम को उदार कर छूट की अवधि तीन साल की गई है। वहीं ऐसी इकाइयों के लिए, जो ऐसे उत्पादों का एकल ब्रांड खुदरा कारोबार कर रही हैं जो ‘अत्याधुनिक’ प्रौद्योगिकी वाले हैं, यह सीमा पांच साल की गई है।
फार्मास्युटिकल क्षेत्र में 74 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति
फार्मास्युटिकल क्षेत्र के संवर्धन तथा विकास के लिए पुरानी परियोजनाओं में स्वत: मंजूर मार्ग से 74 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति देने का फैसला किया गया है। वहीं 74 प्रतिशत से अधिक के लिए मंजूरी मार्ग की मौजूदा प्रणाली जारी रहेगी। मौजूदा नीति के तहत नई फार्मा परियोजना में स्वत: मंजूर मार्ग से 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति होगी। वहीं पुरानी परियोजनाओं में सरकार से मंजूरी के बाद 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति होगी।
निजी सुरक्षा एजेंसियों के लिए कुल 74 फीसदी एफडीआई
निजी सुरक्षा एजेंसियों के संदर्भ में स्वत: मंजूरी मार्ग से अब 49 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति होगी, जबकि सरकार से मंजूरी के मार्ग के जरिये 74 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति होगी। अभी मौजूदा नीति के तहत निजी सुरक्षा एजेंसियों में सरकारी मंजूरी मार्ग से 49 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति है।
सरकार ने इसके साथ ही टेलीपोर्ट्स, डायरेक्ट टु होम (डीटीएच), केबल नेटवर्क, मोबाइल टीवी और हेडएंड इन द स्काई प्रसारण सेवा जैसी प्रसारण-कैरेज (वाहक) सेवाओं की कई शाखाओं में स्वत: मंजूर मार्ग से 100 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति दी है। हालांकि, बयान में स्पष्ट किया गया है ऐसी कंपनी में 49 प्रतिशत से अधिक निवेश के लिए विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) से अनुमति लेनी पड़ेगी जो इसके लिए संबंधित मंत्रालय से लाइसेंस-अनुमति नहीं मांग रही हो और उसमें इस तहर के निवेश स्वामित्व का स्वरूप बदलता हो या वर्तमान निवेशक अपनी हिस्सेदारी विदेशी निवेशक को दे रहा हो। खाद्य उत्पादों के विनिर्माण को प्रोत्साहन के लिए सरकार ने देश में विनिर्मित उत्पादों की ट्रेडिंग (ई-कामर्स सहित) में सरकारी मंजूरी मार्ग से 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति देने का फैसला किया है।
सरकार ने पशुपालन से जुड़ी गतिविधियों में एफडीआई के लिए ‘नियंत्रित शर्तों’ को भी समाप्त करने का फैसला किया है। मौजूदा नीति के तहत पशुपालन (डॉग ब्रीडिंग सहित), मत्स्य पालन तथा मधुमक्खी पालन जैसे क्षेत्रों में नियंत्रित शर्तों के साथ स्वत: मंजूर मार्ग से 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति है।
सरकार ने रक्षा, निर्माण विकास, बीमा, पेंशन, प्रसारण, चाय, कॉफी, रबड़, इलायची, पाम तेल और जैतून तेल पौधरोपण, एकल ब्रांड खुदरा कारोबार, विनिर्माण क्षेत्र, सीमित देनदारी भागीदारी, नागर विमानन, क्रेडिट सूचना कंपनियों, सैटेलाइट तथा संपत्ति पुनर्गठन कंपनियों के क्षेत्र में प्रमुख एफडीआई सुधार किए हैं।

Monday 20 June 2016

20 June 2016...2. संसदीय समिति करेगी आचार संहिता की समीक्षा:-

 चुनावों के लिए आदर्श आचार संहिता की एक संसदीय समिति समीक्षा कर रही है, जो चुनाव के दौरान मतदाताओं को लुभाने के लिए नकद राशि और अन्य तोहफों के इस्तेमाल पर रोक लगाने के तरीके सुझाएगी। कार्मिक, जन शिकायत, कानून एवं न्याय मामलों से संबंधित संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष ईएमएस नचियप्पन ने बताया, हमने आदर्श आचार संहिता के क्रि यान्वयन का अध्ययन के लिए एक कार्य शुरू किया है। समिति इस बारे में विभिन्न हितधारकों से बात करने के लिए तीन राज्यों की यात्रा कर रही है। जल्द ही हम अन्य राज्यों को भी इसके तहत लाएंगे। उन्होंने कहा कि समिति ने तीन साल पहले सौंपी गई एक शुरुआती रिपोर्ट में यह सिफारिश की थी कि आचार संहिता लागू होने और मतदान की तारीख के बीच अवधि घटाई जाए। यह अब सरकार और चुनाव आयोग पर निर्भर है कि वह इस पर काम करे।नचियप्पन ने कहा कि समिति ने सुझाव दिया कि आचार संहिता को अधिूसचना की तारीख से प्रभावी होना चाहिए, न कि चुनाव कार्यक्र म की घोषणा की तारीख से। उन्होंने कहा, यह प्रस्ताव सरकार के समक्ष लंबित है। समिति की सिफारिशों को पिछले तीन साल से लागू नहीं किए जाने पर लोगों की हताशा को दूर करने के लिए इसे इस पर शीघ्रता से गौर करना होगा। समिति ने चुनाव से पहले नकद राशि और तोहफे बांटे जाने को रोकने के लिए तरीके सुझाने का भी फैसला किया है। हाल ही में मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए रपए और तोहफे के इस्तेमाल के सबूत मिलने के बाद तमिलनाडु में अरावकुरिची और तंजौर विधानसभा क्षेत्रों में मतदान रद्द किए जाने पर इसके संज्ञान लेने के बाद यह कदम उठाया गया है। नचियप्पन ने बताया कि यह लोकतंत्र को बचाने और निष्पक्ष चुनाव के लिए तथा चुनाव प्रक्रि या में लोगों का विास सुनिश्चित रखने का कार्य होगा। यह संसदीय स्थायी समिति पर निर्भर है कि वह हितधारकों के साथ र्चचा और गहन अध्ययन के बाद चुनाव के दौरान रूपये और तोहफे बांटे जाने को रोकने के तरीके सुझाए। नचियप्पन ने बताया कि केंद्र द्वारा नियुक्त किए गए पर्यवेक्षकों ने कुछ खास बाधाओं का सामना किया और समिति निष्पक्ष चुनावों को सुनिश्चित करने के तरीकों को सुझाने के लिए हितधारकों के साथ र्चचा करेगी। उन्होंने कहा कि समिति ने पिछले साल अपनी रिपोर्ट संसद के दोनों सदनों में रखी थी जिसमें लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के एक साथ चुनाव कराने का समर्थन किया गया था।

20 June 2016...1.एनएसजी में सदस्यता के मसले पर सक्रिय हुई केंद्र सरकार:-

 विदेश सचिव एस.जयशंकर ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता के लिए भारत की दावेदारी के प्रति समर्थन जुटाने के लिए 16-17 जून को पेइचिंग का अघोषित दौरा किया। चीन भारत को इस समूह की सदस्यता दिए जाने का विरोध कर रहा है। जयशंकर का यह दौरा परमाणु व्यापार ब्लॉक से जुड़े 48 देशों की समग्र बैठक से एक सप्ताह पहले हुआ है। सियोल में 24 जून को होने वाली इस बैठक में भारत की सदस्यता पर र्चचा किए जाने की संभावना है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा, हां, मैं इस बात की पुष्टि कर सकता हूं कि विदेश सचिव ने 16-17 जून को अपने चीनी समकक्ष के साथ द्विपक्षीय विमर्श के लिए पेइचिंग की यात्रा की। भारत की एनएसजी सदस्यता समेत सभी बड़े मुद्दों पर र्चचा की गई। चीन इस प्रतिष्ठित क्लब की सदस्यता भारत को दिए जाने का कड़ा विरोध कर रहा है। उसकी दलील है कि भारत ने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। इस सप्ताह की शुरुआत में चीन के आधिकारिक मीडिया ने कहा था कि भारत को एनएसजी की सदस्यता मिलने से चीन के राष्ट्रीय हित खतरे में पड़ जाएंगे और साथ ही साथ यह पाकिस्तान की एक दुखती रग को भी छेड़ देगा

Sunday 19 June 2016

17 June 2016.....5. गुरुत्वीय तरंग का पता लगा:-



 वैज्ञानिकों ने 1.4 अरब प्रकाश वर्ष दूर दो ब्लैक होल की टक्कर से उत्पन्न गुरुत्वीय तरंग का पता लगाया है। ऐसा दूसरी मर्तबा हुआ है, जब सीधे तौर पर इन तरंगों का पता लगाया गया है। इससे एक बार फिर आइंस्टीन के सामान्य सापेक्षता के सिद्धांत की पुष्टि हुई है।अमेरिका में वैज्ञानिकों ने दो ‘‘लेजर इंफेरोमीटर ग्रेविटेशनल वेव ऑब्जव्रेटरी’ (लिगो) की मदद से गुरुत्वीय तरंगों का पता लगाया। पिछले वर्ष 26 दिसम्बर को 3,000 किलोमीटर से भी अधिक दूरी पर स्थित दोनों डिडेक्टर ने बहुत ही हल्के संकेत का पता लगाया था। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा है कि इस वर्ष 11 फरवरी को जब पहली बार ‘‘लिगो’ ने गुरुत्वीय तरंग का पता लगाया तो उसमें आंकड़े बहुत स्पष्ट थे। यह दूसरा संकेत बहुत सूक्ष्म था और इसमें तरंग की तीव्रता बहुत कम थी और इसे केवल आंकड़ों में दर्ज किया जा सका। उन्नत डेटा विश्लेषण तकनीक के जरिये टीम ने इस बात का पता लगाया कि तरंग गुरुत्वीय थे। अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार दो ब्लैक होल जिनकी टक्कर से गुरुत्वीय तरंग पैदा हुई थी उनका द्रव्यमान सूर्य से क्र मश: 14.2 और 7.5 गुना अधिक था। इस अध्ययन का प्रकाशन ‘‘फिजिकल रिव्यू लेर्ट्स’ में किया गया है।

17 June 2016..4. भारत, नामीबिया यूरेनियम आपूर्ति की बाधा दूर करेंगे:-

 भारत और नामीबिया ने इस संसाधन संपन्न अफ्रीकी देश से यूरेनियम की आपूत्तर्ि की राह में आ रही बाधाओं को दूर करने का बृहस्पतिवार को फैसला किया। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और उनके नामीबियाई समकक्ष के बीच हुई बातचीत में यह फैसला किया गया।नामीबिया से यूरेनियम आपूत्तर्ि की राह में रोड़े अटका रहे मसलों को सुलझाने के लिए भारत परमाणु ऊर्जा विशेषज्ञों की एक संयुक्त तकनीकी टीम यहां भेजेगा। नामीबिया दुनिया में यूरेनियम का चौथा सबसे बड़ा उत्पादक है। प्रणब और नामीबिया के राष्ट्रपति हेज जी गिनगॉब के बीच हुई द्विपक्षीय वार्ता के दौरान इस मुद्दे पर र्चचा हुई। प्रणब ने नामीबिया के राष्ट्रपति को बताया कि भारत ने भले ही परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर दस्तख्त न किए हों, लेकिन इसके बावजूद 12 देशों से उसने परमाणु ईंधन आपूर्ति इंतजाम किए हैं। विदेश मंत्रालय में सचिव (आर्थिक संबंध) अमर सिन्हा ने यहां द्विपक्षीय बातचीत का ब्योरा देते हुए पत्रकारों को बताया, इसके बाद नामीबियाई पक्ष ने उन इंतजामों के अध्ययन की इच्छा जताई। सिन्हा ने इसे ‘‘सकारात्मक कदम’ बताया कि नामीबिया इस मुद्दे पर भारत के साथ संपर्क कायम करने को तैयार है। भारत ने परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण इस्तेमाल के लिए 2009 में नामीबिया के साथ एक संधि की थी, लेकिन यह अब तक लागू नहीं हो सकी है।अमर सिन्हा ने कहा, नामीबिया ने इसे लागू करने के लिए ‘‘ठोस इच्छा’ जाहिर की है। उनके मुताबिक, नामीबियाई पक्ष ने कहा कि उनकी खदानों में खनिज से उन्हें राजस्व की प्राप्ति नहीं होती। यहां की यात्रा करने वाला भारतीय दल नामीबिया को अन्य देशों के साथ इंतजाम का तकनीकी और आर्थिक विवरण बताएगा और यह भी बताएगा कि शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए परमाणु ईंधन की आपूत्तर्ि के संबंध में दोनो पक्षों के बीच समझौते पर कैसे पहुंचा जा सकता है। नामीबियाई पक्ष से एक सुझाव यह दिया गया कि कोई भारतीय कंपनी ईंधन का खनन करे लेकिन अब तक इसका मूल्यांकन नहीं हो सका है। यूरेनियम के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक होने और परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण इस्तेमाल के लिए भारत के साथ समझौता करने के बावजूद नामीबिया ‘‘पलिंडाबा संधि’ की वजह से भारत को ईंधन की आपूर्ति नहीं करता है ।

17 June 2016..3. सुरक्षा परिषद में भारत को स्थाई सीट के लिए यूएस कांग्रेस में प्रस्ताव पेश:-

 संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सीट के लिए भारत की दावेदारी का समर्थन करने के लिए अमेरिकी कांग्रेस के सदन प्रतिनिधिसभा में एक प्रस्ताव पेश किया गया है और सांसदों ने कहा है कि परिषद में भारत को स्थाई सीट दिए जाने से विश्वभर में लोकतंत्र को मजबूती मिलेगी। कांग्रेस के सदस्य और भारत एवं भारतीय अमेरिकियों से जुड़ी कांग्रेशनल कॉकस के सह संस्थापक फ्रैंक पालोने तथा कांग्रेस में एक मात्र भारतीय अमेरिकी और भारत एवं भारतीय अमेरिकियों पर कांग्रेशनल कॉकस के मौजूदा सह अध्यक्ष एमी बेरा ने सदन में कल यह प्रस्ताव पेश किया।भारत एकमात्र ऐसा देश है जिसका ओबामा प्रशासन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता के लिए समर्थन किया है। पालोने ने सदन में विधेयक पेश करने के बाद एक बयान में कहा, जब अंतरराष्ट्रीय समय को पुनर्परिभाषित किया जा रहा है, तो हमें ऐसे में हमारे स्थाई बुनियादी लक्ष्यों को साझा करने वाले देशों को सशक्त बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसी सुरक्षा परिषद होना अमेरिका और दुनिया के हित में है जिसके सदस्य लोकतंत्र एवं बहुलवाद के समर्थन में हों और दुष्ट राष्ट्रों एवं आतंकी समूहों से पैदा होने वाले खतरे से निपटने के लिए सैन्य ताकत को एकजुट करते हैं।पालोने एवं बेरा ने कांग्रेस के संयुक्त सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन के दौरान अमेरिका और भारत के बीच संबंधों को मजबूत करने के आह्वान के लिए उनकी प्रशंसा की थी। मोदी के भाषण के मद्देनजर उन्हें सदन के चैंबर में लाने के लिए उनकी अगवानी करने वाली समिति में बेरा के साथ शामिल पालोने ने कहा, मैं प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के दौरान उनसे मिलकर सम्मानित महसूस कर रहा हूं और मैं दोनों देशों के बीच संबंधों एवं संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद पर भारत की ओर से पड़ सकने वाले सकारात्मक प्रभाव को लेकर पहले से और भी अधिक प्रतिबद्ध हूं।बेरा ने कहा, विश्व का सबसे पुराना लोकतंत्र और विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के नाते अमेरिका और भारत के मूल्य साझे हैं और उनके बीच सभी मोर्चों, खासकर रक्षा सहयोग के मोर्चे पर साझीदारी बढ़ रही है। उन्होंने कहा, भारत अमेरिका के रणनीतिक साझीदार एवं दक्षिण एशिया में स्थिरता के स्तम्भ के रूप में अहम भूमिका निभाता है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को स्थाई सदस्यता मिलना भारत और अमेरिका के लिए लाभप्रद होगा और इससे विश्वभर में लोकतंत्र मजबूत होगा।

17 June 2016..2. कर प्रणाली सुगम हो :मोदी:-

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कर विभागों के अधिकारियों से कहा कि वे करदाताओं के मन से उत्पीड़न या परेशानी का भय दूर करें। उन्होंने कहा कि कर पण्राली को सुगम बनाने के लिए वह प्रशासन के पांच स्तंभों- राजस्व, उत्तरदायित्व, ईमानदारी, सूचना और डिजिटलीकरण (रैपिड) पर ध्यान केंद्रित करें।प्रधानमंत्री ने यहां दो दिन के पहले राजस्व ज्ञान-संगम का उद्घाटन करते हुए अधिकारियों से प्रशासन को बेहतर और दक्ष बनाने के लिए डिजिटलीकरण की दिशा में कदम बढ़ाने तथा ‘‘अविश्वास की खाई’ पाटने का कार्य करने को कहा। राजस्व ज्ञान संगम में वित्त मंत्री अरुण जेटली और केद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) और कंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क (सीबीईसी) के वरिष्ठ अधिकारी भी भाग ले रहे हैं। प्रधानमंत्री ने करदाताओं की संख्या बढ़ाकर 10 करोड़ करने की जरूरत पर भी बल दिया। अभी देश में आयकरदाताओं की संख्या 5.43 करोड़ है। प्रधानमंत्री ने कहा कि राजस्व विभाग के अधिकारियों को पता है कि कर संग्रह के संबंध में समस्या कहां है। उन्होंने कहा कि दो दिन के ज्ञान संगम के बाद क्षेत्र में काम करने वाले अफसरों को इसे कर्म संगम में तब्दील करना चाहिए ताकि यहां जो विचार हुआ उसका जमीनी स्तर पर पालन हो सके।प्रधानमंत्री ने कहा कि सभी नागरिकों में कानून के प्रति श्रद्धा होनी चाहिए और कर चोरी करने वालों में कानून के लंबे हाथ के प्रति भय होना चाहिए लेकिन लोगों में कर अधिकारियों के प्रति डर नहीं होना चाहिए। अधिकारियों के साथ घंटे भर के बातचीत में मोदी ने यह भी कहा कि कर अधिकारी पण्राली में भरोसा पैदा करें ताकि कर का आधार बढ़े। मोदी ने इस बातचीत के दौरान कहा कि यदि कोई गूगल पर देखे कि भारत में कर भुगतान कैसे करें तो इस संबंध में सात करोड़ सूचनाएं मिलती हैं। यदि गूगल पर यह देखें कि ‘‘भारत में कर का भुगतान कैसे न करें’ ये करीब 12 करोड़ होंगे। सीबीडीटी के अध्यक्ष अतुलेश जिंदल ने कहा कि विभाग करदाताओं के साथ भरोसे की कमी को पाटने के लिए पहल करेगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कर अधिकारियों को संबोधित करते हुए सुझाव दिया कि विभागों को डिजिटलीकरण की ओर बढ़ना चाहिए।

17 June 2016..1.एक्ट ईस्ट पर और सक्रिय होगा भारत:-

 यूरोप, अमेरिका और खाड़ी देशों के साथ रिश्तों को मजबूत आधार देने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कूटनीति के अगले चरण में पूर्वी एशियाई देश हैं। मोदी पहले से ही लुक ईस्ट नीति को एक्ट ईस्ट नीति में तब्दील करने का नारा दे चुके हैं। अब इसे आजमाने की तैयारी है। थाईलैंड के प्रधानमंत्री प्रयुत चान-ओ-चा गुरुवार को आए और यह भारत की इस आजमाइश की शुरुआत भर है। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जाको विदोदो और सिंगापुर के पीएम ली सियन लूंग अगले महीने भारत की यात्र करने वाले हैं। इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी की अगस्त में पूर्वी एशिया के कुछ देशों की यात्र पर जाने की तैयारी है। विदेश मंत्रलय में पूर्वी एशियाई नीति से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि भारत के लिए दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों का महत्व बढ़ा है तो इन देशों के लिए भी भारत के साथ रिश्ते पहले से यादा प्रासंगिक हो चुके हैं। यूरोप और अमेरिका के हाल-फिलहाल मंदी से निकलने की संभावना नहीं है। ऐसे में भारत और पूर्वी एशियाई देश एक-दूसरे को बड़े बाजार के तौर पर देख रहे हैं। पिछले कुछ वर्षो में अपने रक्षा उपकरणों के विकास पर काफी खर्च कर चुका भारत इन देशों को अपने अस्त्र-शस्त्र के बाजार के तौर पर भी देख रहा है। पिछले कुछ वर्षो के दौरान थाईलैंड, वियतनाम और इंडोनेशिया समेत कुछ और देशों ने भारत से रक्षा उपकरण खरीदने में काफी रुचि दिखाई है। इंडोनेशियाई राष्ट्रपति की आगामी भारत यात्र को इस संदर्भ में काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। 
रक्षा समझौतों की तैयारी : सूत्रों के मुताबिक, आने वाले दिनों में भारत इन देशों के साथ कई रक्षा सहयोग समझौतों पर हस्ताक्षर करने वाला है। खास तौर पर थाईलैंड, वियतनाम, फिलीपींस और इंडोनेशिया के साथ संयुक्त तौर पर कुछ अहम शस्त्रों के निर्माण को लेकर बातचीत काफी आगे बढ़ चुकी है। दूसरी तरफ इन देशों के साथ भारत का द्विपक्षीय कारोबार भी लगातार बढ़ रहा है। सिंगापुर हाल के वर्षो में भारत में सबसे यादा निवेश करने वाले देश के तौर पर स्थापित हुआ है। भारत को उम्मीद है कि इन देशों की कंपनियों की तरफ से काफी निवेश होगा।

Friday 17 June 2016

16 June 2016...6. अंतरिक्ष में मिला पहला जटिल कार्बनिक अणु:-

अंतरिक्ष में पहली बार एक जटिल कार्बनिक अणु पाया गया है। यह अणु जीवन के लिए मूलभूत है। इस खोज से ब्रह्माण्ड में जीवन की उत्पत्ति को समझने में सहायता मिलेगी। मनुष्य के दो हाथों की तरह कुछ कार्बन अणु एक दूसरे के प्रतिबिंब की तरह होते हैं। विज्ञान की भाषा में इसे चिरेलिटी कहा जाता है। इस तरह के अणुओं को जीवन के लिए जरूरी माना जाता है। धरती पर उल्कापिंडों और हमारे सौरमंडल में धूमकेतुओं पर इन अणुओं को देखा जा चुका है। हालांकि अब तक सौरमंडल से परे अंतरिक्ष में ऐसे अणु नहीं मिले थे। अंतरिक्ष में पहली बार वैज्ञानिकों ने उच संवेदनशील रेडियो दूरबीन की मदद से ऐसे अणु को खोजा है। यह अणु प्रोपिलीन ऑक्साइड है। इसे हमारी आकाशगंगा के केंद्र के नजदीक सैगीटेरियस बी2 में पाया गया। अमेरिका की नेशनल रेडियो एस्ट्रोनॉमी ऑब्जर्वेटरी के ब्रेट मैकगायर ने कहा, ‘प्रोपिलीन ऑक्साइड ब्रrांड में खोजा गया अब तक का सबसे जटिल अणु है। इस अणु की खोज से यह समझना संभव होगा कि ब्रrांड में ऐसे अणु कैसे बनते हैं और जीवन की उत्पत्ति पर इनका क्या प्रभाव पड़ता है।’

16 June 2016..5. आइवरी कोस्ट ने दिया निवेश का न्योता:-

 कोको के सबसे बड़े उत्पादक देश आइवरी कोस्ट ने भारत के साथ अपने व्यापार और निवेश संबंध मजबूत करने की इच्छा जताते हुए भारतीय उद्यमियों को खास कर कोको प्रसंस्करण क्षेत्र में निवेश के लिए आमंत्रित किया। कोको चाकलेट की प्रमुख सामग्री है।दक्षिण अफ्रीकी देश आइवरी कोस्ट के राष्ट्रपति आलासान वातारा ने यहां दो दिन की यात्रा पर आए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के साथ वार्ता के दौरान भारत से निजी क्षेत्र के निवेश में रुचि जाहिर की। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी इस समय अफ्रीका के तीन देशों की यात्रा पर निकले हैं। विदेश मंत्रालय में सचिव (आर्थिक संबंध) अमर सिन्हा ने दोनों राष्ट्राध्यक्षों की बैठक के बाद कहा, ‘‘आइवरी कोस्ट भारतीय निजी क्षेत्र को अपने देश के साथ जोड़ने के लिए बेहद उत्सुक है। एक अन्य क्षेत्र का जिक्र वह (मेजबान) गर्व के साथ कर रहे थे, वह चॉकलेट का क्षेत्र है। वे कोको का उत्पादन करते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय निजी क्षेत्र इसमें उपयोगी हो सकता है क्योंकि वे हर चीज निर्यात करते हैं।’आइवरी कोस्ट कोको के दानों के उत्पादन और निर्यात में विश्व में सबसे आगे है और इसकी एक तिहाई आपूत्तर्ि यही देश करता है। कोको का इस्तेमाल चाकलेट बनाने में होता है। उन्होंने यह भी कहा कि इस साल जनवरी के आंकड़ों के अनुसार दोनों देशों के बीच व्यापार 84.10 करोड़ डालर के बराबर था और अनुमान है कि 31 मार्च तक यह एक अरब डालर तक पहुंच गया होगा। जो अहम समझौते किए गए हैं, उनमें से एक के तहत एग्जिम बैंक यहां अपना दफ्तर दोबारा खोल रहा है। देश में राजनीतिक अस्थिरता के कारण इसे वर्ष 1992 में सूडान स्थानांतरित कर दिया गया था। भारत के एक्जिम बैंक का मुख्यालय मुंबई में है। मेजबान राष्ट्रपति वातारा ने इस यात्रा के लिए प्रणब मुखर्जी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने अपने व्यस्त कार्यक्र म में से आईवरी कोस्ट की यात्रा करने का समय निकाला है जो उनके लिए सम्मान की बात है।

16 June 2016...4. भारत को चिप उत्पादन हब बनाने में अड़चनें:-

 भारत को सेमीकंडक्टर हब बनाने की महत्वाकांक्षी योजना कई अड़चनों का शिकार हो गई है। जेपी इंफ्राटेक के कुछ हफ्तों बाद एसटीटी माइक्रो ने भी भारी-भरकम निवेश वाली चिप उत्पादन परियोजना से हाथ खींच लिया है। इस तरह देश को स्मार्टफोन के लिए सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में चीन और ताइवान के बरक्स खड़ा करने की कोशिशें परवान चढ़ने से पहले ही दम तोड़ती नजर आ रही हैं। अब केंद्र सरकार की ओर से नए सिरे से प्रयास करने की बात कही जा रही है। सरकार ने करीब तीन साल पहले देश में निजी क्षेत्र की ओर से 5-5 अरब डॉलर के निवेश वाले दो चिप प्लांट लगाने का एलान किया था। ये प्लांट भारत को ग्लोबल मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाने योजना का हिस्सा थे। इन प्लांटों के लगने से चिप आयात में कमी आने के साथ ही हजारों की तादाद में नौकरियां पैदा होतीं। देश भी सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में चीन और ताइवान को टक्कर देने की स्थिति में होता। मगर इस महात्वाकांक्षी योजना की राह भी खराब बुनियादी ढांचे, लालफीताशाही, बिजली आपूर्ति की बदतर व्यवस्था और लचर प्लानिंग जैसी अड़चनों ने रोक ली। पहले जेपी इंफ्राटेक ने अपने चिप मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट से हटने की घोषणा की। जेपी समूह की यह कंपनी अमेरिका की आइबीएम कॉर्प और इजरायल की टावर जैज के साथ मिलकर यह प्लांट लगा रही थी। वहीं, दूसरा प्लांट स्टार्ट अप फर्म हिंदुस्तान सेमीकंडक्टर मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी (एचएसएमसी) की अगुआई में यूरोप की एसटीमाइक्रो इलेक्ट्रॉनिक्स और मलेशिया की सिल्टेरा का कंसोर्टियम लगा रहा था। इस प्लांट के लिए कंसोर्टियम जरूरी फंड का इंतजाम नहीं कर पाया।इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना तकनीकी विभाग के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि तीन साल में सेमीकंडक्टर से जुड़ी टेक्नोलॉजी में खासा बदलाव आया है। अब सेमीकंडक्टर उद्योग में 14 नैनोमीटर जितने छोटे चिप का जोर है। आगे इसके 10 नैनोमीटर से भी कम पर आने की उम्मीद है। इस वजह से निवेशक भी भारत सरकार की 22 नैनोमीटर की चिप फैब्रिकेटर स्थापित करने की योजना पर संदेह करने लगे हैं। अब सरकार इसके लिए नए सिरे से प्रयास करेगी। इसी तरह एचएसएमसी के संस्थापक देवेन वर्मा ने कहा कि चिप मांग को लेकर हमारे मूल अनुमान गलत थे। अब हमने अपने प्लांट स्थापित करने की योजना को टाल दिया है, क्योंकि भारत में अभी सेमीकंडक्टर का कोई बाजार ही नहीं है।

16 June 2016...3. विलय के बाद महाबैंक बनेगा एसबीआइ:-

 भारतीय बैंकिंग जगत में एकीकरण की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए सरकार ने देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक और उसके सहयोगी पांच बैंकों के विलय के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है। अपने तरह के अकेले ‘भारतीय महिला बैंक’ (बीएमबी) का भी विलय एसबीआइ में हो जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी। अपने सहयोगी बैंकों और बीएमबी को मिलाने के बाद एसबीआइ की परिसंपत्तियां बढ़कर 37 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो जाएंगी और यह दुनिया के 50 सबसे बड़े बैंकों की सूची में शुमार हो जाएगा। एसबीआइ की प्रमुख अरुंधती भट्टाचार्य ने इस विलय को एसबीआइ और उसके सहयोगी बैंकों के लिए फायदे का सौदा बताया है। उन्होंने कहा कि फिलहाल एक भी भारतीय बैंक दुनिया के टॉप 50 बैंकों में शामिल नहीं है। इस तरह विलय के बाद वैश्विक स्तर पर बैंक की धमक बढ़ेगी। इससे सहयोगी बैंकों के ग्राहकों को भी फायदा होगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली पहले ही मौजूदा छोटे-छोटे सरकारी बैंकों को मिलाकर बड़े बैंक में तब्दील करने के प्रस्ताव को स्वीकृति दे चुके हैं। अन्य बैंकों के लिए आगे का रोडमैप बनाने का काम बैंक बोर्ड ब्यूरो कर रहा है। एसबीआइ ने पिछले महीने ही अपने पांच सहयोगी बैंकों और भारतीय महिला बैंक के विलय का प्रस्ताव दिया था। एसबीआइ की इन पांचों सहयोगी कंपनियों की 6400 शाखाएं, 38000 कर्मचारी हैं। वहीं एसबीआइ के खुद अपनी 14000 शाखाएं और 2,22,033 कर्मचारी हैं। विलय के बाद एसबीआइ के 50 करोड़ से अधिक ग्राहक, 22,500 शाखाएं और 58,000 एटीएम हो जाएंगे। इस तरह विलय के बाद एसबीआइ दुनिया में 45वां सबसे बड़ा बैंक बन जाएगा। फिलहाल एसबीआइ का स्थान 52वां है। तत्कालीन यूपीए सरकार ने 2013 में 1000 करोड़ रुपये की पूंजी के साथ भारतीय महिला बैंक शुरू किया था। इससे पहले एसबीआइ 2008 में स्टेट बैंक ऑफ सौराष्ट्र और 2010 में स्टेट बैंक ऑफ इंदौर का विलय कर चुका है। इस बीच एसबीआइ और उसके सहयोगी बैंकों के विलय की खबर की भनक लगते ही शेयर बाजार में एसबीआइ के सहयोगी बैंकों के शेयरों में जबर्दस्त उछाल आया है। बुधवार को एसबीआइ के कई सहयोगी बैंकों के शेयर मूल्य में 20 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई।

16 June 2016...2. भारत को खास रक्षा सहयोगी का दर्जा देने वाला बिल गिरा:-

भारत को नाटो गठबंधन के देशों जैसे रक्षा सहयोगी का दर्जा देने वाला विधेयक अमेरिकी संसद में पारित नहीं हो सका है। ऐसा निर्यात नियंत्रण से संबंधित एक प्रमुख संशोधन प्रस्ताव गिर जाने की वजह से हुआ। यह संशोधन प्रस्ताव वरिष्ठ रिप}िलकन सांसद जॉन मैक्केन ने पेश किया था। इस पर मैक्केन ने संसद में नाखुशी जाहिर की। उन्होंने कहा, यह खेदजनक है कि हम राष्ट्रीय सुरक्षा के व्यापक हितों को ध्यान में रखकर संसद में बहस और मतदान नहीं करते। जबकि इस तरह के मामलों को हमें यादा समर्थन के साथ पारित कराना चाहिए। इस सिलसिले में उन्होंने अफगानिस्तान के लोगों के लिए जारी होने वाली वीजा अनुमति का भी उदाहरण दिया। यह वाकया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिकी संसद को संबोधित करने के बाद का है। पेश संशोधन प्रस्ताव मतदान के बाद हाल ही में गिरा है। मैक्केन का मूल प्रस्ताव तो सीनेट ने भारी बहुमत से पारित कर दिया था लेकिन उसमें संशोधन के अन्य महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित नहीं हो सके। इसके चलते भारत को खास दर्जा देने की मुहिम फिलहाल टल गई है। भारत को संवेदनशील रक्षा तकनीकी भी देना अमेरिका के लिए मुश्किल हो गया है। वैसे अमेरिका ने भारत को अपना बड़ा रक्षा सहयोगी बताया है। यह बात राष्ट्रपति बराक ओबामा ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ बीती सात जून को जारी संयुक्त बयान में कही है।

16 June 2016...1.ईयू पर ब्रिटेन में जनमत संग्रह पर भारत की भी नजर:-

आगामी 23 को ब्रिटिश जनता जनमत संग्रह में हिस्सा लेकर यह बता देगी कि ब्रिटेन यूरोपीय संघ का हिस्सा रहेगा या नहीं। जनमत संग्रह के पहले के अधिकांश सर्वेक्षण में यह बताया जा रहा है कि ब्रिटिश जनता यूरोपीय संघ के साथ रहने में अब यादा इछुक नहीं है। ऐसे में भारतीय कूटनीति तय करने वाले आला अधिकारी और देश का उद्योग जगत भी मानने लगा है कि ब्रिटेन के यूरोपीय संघ (ईयू) से अलग होने का भारत पर भी कई तरह से असर होना तय है। यह असर कूटनीति से लेकर अर्थव्यवस्था तक में महसूस किया जाएगा। देश के शेयर व मुद्रा बाजार और यूरोपीय संघ के साथ द्विपक्षीय कारोबार पर भी इसके बड़े असर की संभावना जताई जा रही है। जानकार यह भी मानते हैं कि इस तरह का फैसला आगे चलकर देश की रक्षा, राजनीति, आव्रजन समेत अन्य नीतियों पर भी असर डालेंगी।
वैश्विक मंदी का खतरा : ब्रिटेन के यूरोपीय संघ में नहीं रहने पर भारतीय कूटनीति पर क्या असर पड़ेगा इस बारे में पूछने पर विदेश मंत्रलय के अधिकारी बताते हैं कि डिप्लोमेसी के तौर पर बहुत यादा असर नहीं पड़ेगा क्योंकि ईयू का सदस्य होने के बावजूद ब्रिटेन के साथ भारत के द्विपक्षीय रिश्ते अपने हिसाब से आगे बढ़ रहे थे। हां, ब्रिटेन अगर ईयू का सदस्य बना रहता है तो हो सकता है कि आगे कुछ वर्षो बाद इनके बीच द्विपक्षीय रिश्ते ईयू व भारत के आधार पर तय हो। लेकिन यह स्थिति अभी तक नहीं है। हां, ब्रिटेन के अलग होने से वैश्विक मंदी के और गहराने की आशंका जताई जा रही है क्योंकि ब्रिटेन के कुल निर्यात का आधा यूरोपीय यूनियन को ही होता है। अगर ऐसा होता है तो जाहिर है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था का हिस्सा होने की वजह से भारत पर भी असर पड़ेगा। यह भी देखना होगा कि भारत और यूरोपीय संघ के बीच विशेष द्विपक्षीय व्यापार समझौते (मुक्त व्यापार समझौते जैसा) को लेकर जो बात चल रही है उसका भविष्य क्या होगा। ब्रिटेन पहले ही भारत के साथ अलग मुक्त व्यापार समझौता करने की ख्वाहिश जता चुका है। यह सब बातें भविष्य के गर्भ में हैं।
शेयर व मुद्रा बाजार संशय में : कई अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थागत अपनी रिपोर्ट में यह चेतावनी दे चुकी हैं कि ब्रिटेन के बाहर होने से वैश्विक मंदी यादा लंबी खिंच सकती है। खासतौर पर यूरोपीय देशों की मंदी यादा गहरा सकती है। जानकार इसे 2008 की वैश्विक मंदी के बाद सबसे बड़े वित्तीय घटनाक्रम के तौर पर देख रहे हैं। इससे वैश्विक बाजार में अस्थिरता फैलने का भी खतरा है। शेयर बाजार से पैसा निकालने की होड़ शुरू हो सकती है। 
कोटक सिक्यूरिटीज के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट दीपेन शाह का कहना है कि आने वाले दिनों में शेयर व मुद्रा बाजार पर ब्रिटेन में जनमत संग्रह का काफी असर पड़ेगा। खास तौर पर इससे मुद्रा बाजार में काफी अस्थिरता फैलने के आसार हैं। मैकलाइ फाइनेंशियल के सीईओ जमाल मैकलाई भी मानते हैं कि भारत के सामने बड़ी चुनौती मुद्रा बाजार की अस्थिरता ला सकती है। यूरो और ब्रिटिश पाउंड स्टर्लिग की अस्थिरता से डॉलर पर भी असर पड़ेगा। ऐसे में भारतीय रुपये में और कमजोरी आने की आशंका है। माना जाता है कि इस तरह की स्थिति देश में होने वाले निवेश पर भी असर डालेगा।
सकते में ब्रिटिश भारतीय उद्यमी : पिछले एक दशक के भीतर ब्रिटेन भारतीय कंपनियों के लिए निवेश का सबसे पसंदीदा स्थल बन गया है। हाल ही में ब्रिटेन में रहने वाले 81 भारतीय उद्यमियों ने कहा है कि ब्रिटेन का ईयू में रहना ही उनके हित में है। अभी तकरीबन सौ भारतीय कंपनियां वहां ब्रिटेन में अरबों डॉलर का निवेश कर चुकी हैं और भारत वहां निवेश करने वाला तीसरा सबसे बड़ा देश है। ऐसे में वहां होने वाले बदलाव से ये कंपनियां सीधे तौर पर प्रभावित होंगी।

Wednesday 15 June 2016

15 June 2016..5. पवन-सौर हाइब्रिड नीति का मसौदा हुआ जारी:

 सरकार ने राष्ट्रीय पवन-सौर हाइब्रिड नीति का मसौदा जारी कर दिया है। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रलय ने इस पर लोगों से राय मांगी है। नीति का लक्ष्य 2022 तक विंड-सोलर हाइब्रिड क्षमता को 10 गीगावॉट तक पहुंचाना है। इसका मकसद ट्रांसमिशन इंफ्रास्ट्रक्चर ग्रिड से जुड़े बड़े विंड-सोलर फोटोवोल्टेइक सिस्टम का अनुकूलतम इस्तेमाल सुनिश्चित करना है। मंत्रलय ने अपनी वेबसाइट पर कहा है कि सभी लोग अपनी टिप्पणियां, सुझाव अथवा विचार 30 जून तक भेज दें। इस नीति के लागू होने से पवन और सौर फोटोवोल्टेइक (पीवी) प्लांटों के संयुक्त संचालन से जुड़ी नई तकनीकों, विधियों और तरीकों को बढ़ावा मिलेगा। अध्ययनों से पता चला है कि सौर और पवन ऊर्जा एक दूसरे की पूरक हैं। इसलिए दोनों तकनीकों के मिलन (हाइब्रिड बनाने) से धूप और हवा के बदलावों के असर को न्यूनतम रखने में मदद मिलेगी। अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए लंबे समय तक सस्ती ब्याज दर पर उधारी केवल उनकी क्षमता और प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए दी जानी चाहिए, न कि बाजार को बिगाड़ने के लिए। जैसे ही अक्षय ऊर्जा से उत्पादित बिजली के लिए विद्युत वितरण कंपनियां उसकी सीमांत लागत से अधिक भुगतान करने लगें, वैसे ही सस्ते कर्ज देने बंद कर देने चाहिए। नीति आयोग के विशेषज्ञ समूह ने एक रिपोर्ट में यह बात कही है। यह समूह 2022 तक अक्षय ऊर्जा के जरिये 175 गीगावॉट बिजली उत्पादन के लक्ष्य को हासिल करने के सुझाव देने के लिए बनाया गया है।