दक्षिण चीन सागर पर तनातनी के बीच अमेरिका और चीन के बीच आठवीं आर्थिक एवं रणनीतिक वार्ता शुरू हो गई है। राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने दोनों देशों से आपसी मतभेदों को सही तरीके से निपटाने का आह्वान किया। इस बैठक में भारत को एनएसजी की सदस्यता का मुद्दा भी उठ सकता है। अमेरिका की ओर से बैठक में विदेश मंत्री जॉन केरी शिरकत कर रहे हैं। राष्ट्रपति बराक ओबामा इस बैठक की आखिरी बार सह-अध्यक्षता करेंगे। चिनफिंग ने सोमवार को उद्घाटन संबोधन में दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य होने की भी बात कही है। उन्होंने कहा, ‘दोनों पक्षों को सभी मतभेदों और संवेदनशील मसलों का आपसी सम्मान और समानता के आधार पर निपटाना चाहिए। इससे द्विपक्षीय संबंधों के आड़े आने वाली बड़ी बाधाओं को टाला जा सकेगा। प्रशांत महासागर का विशाल क्षेत्र प्रतिद्वंद्विता का नहीं, बल्कि सम्मिलित सहयोग का प्लेटफॉर्म होना चाहिए।’ रणनीतिक, राजनीतिक और आर्थिक मसलों पर विचार-विमर्श करने के लिए वर्ष 2009 में इस वार्ता की शुरुआत की गई थी। बैठक में ताइवान, तिब्बत और परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की दावेदारी जैसे मुद्दों के भी उठने की संभावना है। अमेरिका, नई दिल्ली की दावेदारी का पुरजोर समर्थन कर रहा है। चीन परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले देशों की दावेदारी पर सर्वसम्मति से निर्णय लेने की बात कर रहा है। भारत ने अभी तक एनपीटी पर दस्तखत नहीं किए हैं। अपना पक्ष मजबूत करने के लिए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने हाल में ही बीजिंग की यात्र की थी।
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