चुनावों के लिए आदर्श आचार संहिता की एक संसदीय समिति समीक्षा कर रही है, जो चुनाव के दौरान मतदाताओं को लुभाने के लिए नकद राशि और अन्य तोहफों के इस्तेमाल पर रोक लगाने के तरीके सुझाएगी। कार्मिक, जन शिकायत, कानून एवं न्याय मामलों से संबंधित संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष ईएमएस नचियप्पन ने बताया, हमने आदर्श आचार संहिता के क्रि यान्वयन का अध्ययन के लिए एक कार्य शुरू किया है। समिति इस बारे में विभिन्न हितधारकों से बात करने के लिए तीन राज्यों की यात्रा कर रही है। जल्द ही हम अन्य राज्यों को भी इसके तहत लाएंगे। उन्होंने कहा कि समिति ने तीन साल पहले सौंपी गई एक शुरुआती रिपोर्ट में यह सिफारिश की थी कि आचार संहिता लागू होने और मतदान की तारीख के बीच अवधि घटाई जाए। यह अब सरकार और चुनाव आयोग पर निर्भर है कि वह इस पर काम करे।नचियप्पन ने कहा कि समिति ने सुझाव दिया कि आचार संहिता को अधिूसचना की तारीख से प्रभावी होना चाहिए, न कि चुनाव कार्यक्र म की घोषणा की तारीख से। उन्होंने कहा, यह प्रस्ताव सरकार के समक्ष लंबित है। समिति की सिफारिशों को पिछले तीन साल से लागू नहीं किए जाने पर लोगों की हताशा को दूर करने के लिए इसे इस पर शीघ्रता से गौर करना होगा। समिति ने चुनाव से पहले नकद राशि और तोहफे बांटे जाने को रोकने के लिए तरीके सुझाने का भी फैसला किया है। हाल ही में मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए रपए और तोहफे के इस्तेमाल के सबूत मिलने के बाद तमिलनाडु में अरावकुरिची और तंजौर विधानसभा क्षेत्रों में मतदान रद्द किए जाने पर इसके संज्ञान लेने के बाद यह कदम उठाया गया है। नचियप्पन ने बताया कि यह लोकतंत्र को बचाने और निष्पक्ष चुनाव के लिए तथा चुनाव प्रक्रि या में लोगों का विास सुनिश्चित रखने का कार्य होगा। यह संसदीय स्थायी समिति पर निर्भर है कि वह हितधारकों के साथ र्चचा और गहन अध्ययन के बाद चुनाव के दौरान रूपये और तोहफे बांटे जाने को रोकने के तरीके सुझाए। नचियप्पन ने बताया कि केंद्र द्वारा नियुक्त किए गए पर्यवेक्षकों ने कुछ खास बाधाओं का सामना किया और समिति निष्पक्ष चुनावों को सुनिश्चित करने के तरीकों को सुझाने के लिए हितधारकों के साथ र्चचा करेगी। उन्होंने कहा कि समिति ने पिछले साल अपनी रिपोर्ट संसद के दोनों सदनों में रखी थी जिसमें लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के एक साथ चुनाव कराने का समर्थन किया गया था।
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