यूरोप, अमेरिका और खाड़ी देशों के साथ रिश्तों को मजबूत आधार देने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कूटनीति के अगले चरण में पूर्वी एशियाई देश हैं। मोदी पहले से ही लुक ईस्ट नीति को एक्ट ईस्ट नीति में तब्दील करने का नारा दे चुके हैं। अब इसे आजमाने की तैयारी है। थाईलैंड के प्रधानमंत्री प्रयुत चान-ओ-चा गुरुवार को आए और यह भारत की इस आजमाइश की शुरुआत भर है। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जाको विदोदो और सिंगापुर के पीएम ली सियन लूंग अगले महीने भारत की यात्र करने वाले हैं। इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी की अगस्त में पूर्वी एशिया के कुछ देशों की यात्र पर जाने की तैयारी है। विदेश मंत्रलय में पूर्वी एशियाई नीति से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि भारत के लिए दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों का महत्व बढ़ा है तो इन देशों के लिए भी भारत के साथ रिश्ते पहले से यादा प्रासंगिक हो चुके हैं। यूरोप और अमेरिका के हाल-फिलहाल मंदी से निकलने की संभावना नहीं है। ऐसे में भारत और पूर्वी एशियाई देश एक-दूसरे को बड़े बाजार के तौर पर देख रहे हैं। पिछले कुछ वर्षो में अपने रक्षा उपकरणों के विकास पर काफी खर्च कर चुका भारत इन देशों को अपने अस्त्र-शस्त्र के बाजार के तौर पर भी देख रहा है। पिछले कुछ वर्षो के दौरान थाईलैंड, वियतनाम और इंडोनेशिया समेत कुछ और देशों ने भारत से रक्षा उपकरण खरीदने में काफी रुचि दिखाई है। इंडोनेशियाई राष्ट्रपति की आगामी भारत यात्र को इस संदर्भ में काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
रक्षा समझौतों की तैयारी : सूत्रों के मुताबिक, आने वाले दिनों में भारत इन देशों के साथ कई रक्षा सहयोग समझौतों पर हस्ताक्षर करने वाला है। खास तौर पर थाईलैंड, वियतनाम, फिलीपींस और इंडोनेशिया के साथ संयुक्त तौर पर कुछ अहम शस्त्रों के निर्माण को लेकर बातचीत काफी आगे बढ़ चुकी है। दूसरी तरफ इन देशों के साथ भारत का द्विपक्षीय कारोबार भी लगातार बढ़ रहा है। सिंगापुर हाल के वर्षो में भारत में सबसे यादा निवेश करने वाले देश के तौर पर स्थापित हुआ है। भारत को उम्मीद है कि इन देशों की कंपनियों की तरफ से काफी निवेश होगा।
रक्षा समझौतों की तैयारी : सूत्रों के मुताबिक, आने वाले दिनों में भारत इन देशों के साथ कई रक्षा सहयोग समझौतों पर हस्ताक्षर करने वाला है। खास तौर पर थाईलैंड, वियतनाम, फिलीपींस और इंडोनेशिया के साथ संयुक्त तौर पर कुछ अहम शस्त्रों के निर्माण को लेकर बातचीत काफी आगे बढ़ चुकी है। दूसरी तरफ इन देशों के साथ भारत का द्विपक्षीय कारोबार भी लगातार बढ़ रहा है। सिंगापुर हाल के वर्षो में भारत में सबसे यादा निवेश करने वाले देश के तौर पर स्थापित हुआ है। भारत को उम्मीद है कि इन देशों की कंपनियों की तरफ से काफी निवेश होगा।
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