प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कर विभागों के अधिकारियों से कहा कि वे करदाताओं के मन से उत्पीड़न या परेशानी का भय दूर करें। उन्होंने कहा कि कर पण्राली को सुगम बनाने के लिए वह प्रशासन के पांच स्तंभों- राजस्व, उत्तरदायित्व, ईमानदारी, सूचना और डिजिटलीकरण (रैपिड) पर ध्यान केंद्रित करें।प्रधानमंत्री ने यहां दो दिन के पहले राजस्व ज्ञान-संगम का उद्घाटन करते हुए अधिकारियों से प्रशासन को बेहतर और दक्ष बनाने के लिए डिजिटलीकरण की दिशा में कदम बढ़ाने तथा ‘‘अविश्वास की खाई’ पाटने का कार्य करने को कहा। राजस्व ज्ञान संगम में वित्त मंत्री अरुण जेटली और केद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) और कंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क (सीबीईसी) के वरिष्ठ अधिकारी भी भाग ले रहे हैं। प्रधानमंत्री ने करदाताओं की संख्या बढ़ाकर 10 करोड़ करने की जरूरत पर भी बल दिया। अभी देश में आयकरदाताओं की संख्या 5.43 करोड़ है। प्रधानमंत्री ने कहा कि राजस्व विभाग के अधिकारियों को पता है कि कर संग्रह के संबंध में समस्या कहां है। उन्होंने कहा कि दो दिन के ज्ञान संगम के बाद क्षेत्र में काम करने वाले अफसरों को इसे कर्म संगम में तब्दील करना चाहिए ताकि यहां जो विचार हुआ उसका जमीनी स्तर पर पालन हो सके।प्रधानमंत्री ने कहा कि सभी नागरिकों में कानून के प्रति श्रद्धा होनी चाहिए और कर चोरी करने वालों में कानून के लंबे हाथ के प्रति भय होना चाहिए लेकिन लोगों में कर अधिकारियों के प्रति डर नहीं होना चाहिए। अधिकारियों के साथ घंटे भर के बातचीत में मोदी ने यह भी कहा कि कर अधिकारी पण्राली में भरोसा पैदा करें ताकि कर का आधार बढ़े। मोदी ने इस बातचीत के दौरान कहा कि यदि कोई गूगल पर देखे कि भारत में कर भुगतान कैसे करें तो इस संबंध में सात करोड़ सूचनाएं मिलती हैं। यदि गूगल पर यह देखें कि ‘‘भारत में कर का भुगतान कैसे न करें’ ये करीब 12 करोड़ होंगे। सीबीडीटी के अध्यक्ष अतुलेश जिंदल ने कहा कि विभाग करदाताओं के साथ भरोसे की कमी को पाटने के लिए पहल करेगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कर अधिकारियों को संबोधित करते हुए सुझाव दिया कि विभागों को डिजिटलीकरण की ओर बढ़ना चाहिए।
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