लड़ाकू मिग-27 विमानों की ताबड़तोड़ दुर्घटनाओं ने भारतीय वायुसेना में चिंता की लकीरें एक बार फिर गहरी कर दी हैं। वायुसेना मिग-27 के बाकी बचे तीन स्क्वाड्रनों (तकरीबन 60 विमान) को 2018 तक सेवानिवृत्त कर देगी। भारतीय वायुसेना ने बीते दस सालों में दुर्घटनाओं में अपने 95 लड़ाकू विमान खोये हैं, जिसमें अकेले मिग-27 की संख्या एक दर्जन है। वर्ष 1985 में इन विमानों (मिग-27) को भारतीय वायुसेना की सेवा में शामिल किया गया था, तबसे कई दुर्घटनाओं के चलते इसके सभी स्क्वाड्रनों को कई बार अंडरग्राउंड (भूमिगत) किया जा चुका है। भारतीय वायुसेना में मिग-27 विमानों की कुल संख्या 150 थी, जबकि मौजूदा समय में इसके कुल तीन स्क्वाड्रन (तकरीबन 60 विमान) ही बचे हैं।मिग-27 के बचे हुए कुल तीन स्कवाड्रन में से दो स्क्वाड्रन जोधपुर (राजस्थान) तथा एक स्क्वाड्रन कलाईकुंडा (पश्चिम बंगाल) में हैं। जोधपुर में मौजूद मिग-27 के दोनों स्क्वाड्रन अपग्रेड किए हुए हैं। जबकि कलाईकुंडा में स्थित स्क्वाड्रन नानअपग्रेटेड हैं। भारतीय वायुसेना की प्रवक्ता रोशेल डी सिल्वा ने इस संवाददाता से बातचीत में कहा कि मिग-27 के मौजूद सभी तीन स्कवाड्रन वर्ष 2018 तक फेज आउट (सेवानिवृत्त) कर दिए जाएंगे। मिग-27 विमानों की दुर्घटनाओं में जांचोपरान्त जो सामान्य बात सामने आई है, वह है इसके इंजन में ऐसी खराबी, जो लाख प्रयास के बाद भी ठीक नहीं की जा सकी। रूसी और भारतीय तकनीशियनों के दल के एक कमेटी ने संयुक्त रूप से मिग-27 के इंजनों की पड़ताल की थी। रूस से तकनीकी हस्तांतरण के तहत हिन्दुस्तान एयरोनाटिक्स लि. (एचएएल) द्वारा असेम्बल किए गए 150 मिग-27 विमान अपने जमाने में चौथी पीढ़ी के विमानों में सबसे अव्वल माने गए थे।वायुसेना के अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि अगले दो-तीन सालों में भारतीय वायुसेना में मिग श्रेणी (मिग 21 बायसन, मिग 23 तथा मिग 27) के सभी विमानों को सेवानिवृत्त कर दिया जाएगा, जिनकी संख्या मौजूदा समय में 12 स्क्वाड्रन है। भारतीय वायुसेना के लड़ाकू बेड़े के लिए भारत सरकार द्वारा स्वीकृत कुल 42 स्क्वाड्रन लड़ाकू विमानों के बदले में फिलहाल 33 स्क्वाड्रन ही मौजूद है। अगले दो-तीन सालों में मिग श्रेणी के विमानों की 12 स्क्वाड्रन रिटायर कर दिए जाने के बाद कुल 21 स्क्वाड्रन ही बचेंगे, जो कि स्वीकृत स्क्वाड्रन की आधी ही होगी।
No comments:
Post a Comment