सरकार ने राष्ट्रीय पवन-सौर हाइब्रिड नीति का मसौदा जारी कर दिया है। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रलय ने इस पर लोगों से राय मांगी है। नीति का लक्ष्य 2022 तक विंड-सोलर हाइब्रिड क्षमता को 10 गीगावॉट तक पहुंचाना है। इसका मकसद ट्रांसमिशन इंफ्रास्ट्रक्चर ग्रिड से जुड़े बड़े विंड-सोलर फोटोवोल्टेइक सिस्टम का अनुकूलतम इस्तेमाल सुनिश्चित करना है। मंत्रलय ने अपनी वेबसाइट पर कहा है कि सभी लोग अपनी टिप्पणियां, सुझाव अथवा विचार 30 जून तक भेज दें। इस नीति के लागू होने से पवन और सौर फोटोवोल्टेइक (पीवी) प्लांटों के संयुक्त संचालन से जुड़ी नई तकनीकों, विधियों और तरीकों को बढ़ावा मिलेगा। अध्ययनों से पता चला है कि सौर और पवन ऊर्जा एक दूसरे की पूरक हैं। इसलिए दोनों तकनीकों के मिलन (हाइब्रिड बनाने) से धूप और हवा के बदलावों के असर को न्यूनतम रखने में मदद मिलेगी। अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए लंबे समय तक सस्ती ब्याज दर पर उधारी केवल उनकी क्षमता और प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए दी जानी चाहिए, न कि बाजार को बिगाड़ने के लिए। जैसे ही अक्षय ऊर्जा से उत्पादित बिजली के लिए विद्युत वितरण कंपनियां उसकी सीमांत लागत से अधिक भुगतान करने लगें, वैसे ही सस्ते कर्ज देने बंद कर देने चाहिए। नीति आयोग के विशेषज्ञ समूह ने एक रिपोर्ट में यह बात कही है। यह समूह 2022 तक अक्षय ऊर्जा के जरिये 175 गीगावॉट बिजली उत्पादन के लक्ष्य को हासिल करने के सुझाव देने के लिए बनाया गया है।
No comments:
Post a Comment