भारत के लिए आगामी सप्ताह ऐतिहासिक साबित होने वाला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे पर भारत को मिसाइल तकनीक नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) में शामिल करने की औपचारिक घोषणा हो सकती है। ऐसा होने पर प्रीडेटर ड्रोन और अत्याधुनिक मिसाइलों की खरीद संभव हो सकेगी। मोदी राष्ट्रपति बराक ओबामा के निमंत्रण पर सोमवार को वाशिंगटन पहुंचेंगे। सूत्रों के मुताबिक दोनों के बीच मुलाकात के दौरान एमटीसीआर में भारत की सदस्यता की घोषणा होने की संभावना है। विशेषज्ञों के मुताबिक भारत की ओर से हेग आचार संहिता स्वीकार करने का एलान सदस्यता हासिल करने में महत्वपूर्ण साबित हुआ है। यह संहिता बैलिस्टिक मिसाइल प्रसार के खिलाफ काम करती है। एमटीसीआर की सदस्यता के लिए संहिता को स्वीकार करना जरूरी माना जाता है। भारत कई साल से इस समूह में शामिल होने के लिए प्रयास कर रहा है। भारत ने 2008 में ही एमटीसीआर के प्रावधानों को एकतरफा स्वीकार कर लिया था। सदस्यता के बाद भारत को प्रीडेटर ड्रोन मुहैया कराने की प्रक्रिया तेज हो सकेगी। अमेरिका ने इसी ड्रोन की मदद से पाकिस्तान में तालिबान प्रमुख को मार गिराया था। वर्ष 1987 में स्थापित एमटीसीआर में मिसाइल तकनीक में दक्ष 34 देश शामिल हैं। इसके प्रावधानों के तहत गैर सदस्य राष्ट्रों को 500 किलोग्राम विस्फोटकों के साथ तीन सौ किलोमीटर या उससे भी यादा दूरी तक मार करने में सक्षम मिसाइलों का निर्यात नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा व्यापक विनाश के हथियार के प्रक्षेपण में मददगार उपकरण मुहैया नहीं कराए जा सकते हैं। इस समूह के सभी सदस्य 48 सदस्यीय परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) के भी सदस्य हैं। चीन एमटीसीआर का सदस्य नहीं है, लेकिन एनएसजी में शामिल है। ऐसे में एनएसजी की सदस्यता की राह में सिर्फ चीन रोड़ा है, जिसे तैयार करने की कोशिशें की जा रही हैं।
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