चीन ने एयरशो में अपनी ताकत से दुनिया को रूबरू करा दिया। मंगलवार को पहली बार दक्षिणी शहर झुहाई में आयोजित एयरशो में स्टील्थ लड़ाकू विमान चेंगदू जे-20 को पेश किया गया। इस दौरान विमान निर्माता और खरीदार भी बड़ी संख्या में मौजूद थे। चीन की नजर लड़ाकू के अलावा यात्री विमान के बढ़ते बाजार पर भी है।
कमर्शियल एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन ऑफ चाइना ने अगले 20 वर्षो में विमान की मांग 40 हजार तक पहुंचने का अनुमान लगाया है। चीन एयरशो के जरिये दुनिया को सामरिक के अलावा तकनीकी क्षमता से भी रूबरू कराना चाहता है। प्रदर्शनी के दौरान जे-20 ने एक मिनट की फ्लाई-पास्ट की। रक्षा विशेषज्ञों ने इसे चीन की लंबी छलांग करार दिया है। कुछ विशेषज्ञों ने विमान की स्टील्थ क्षमता (रडार की पकड़ में न आना) पर भी सवाल उठाए हैं।
गौरतलब कि चीन का यह लड़ाकू विमान अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन द्वारा विकसित एफ-35 की तरह लगता है। दक्षिण और पूर्वी चीन सागर में बढ़ते तनाव को देखते हुए बीजिंग के इस कदम को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। स्टील्थ विमान विकसित कर चीन, अमेरिका के साथ रक्षा संसाधन अंतर को कम करना चाहता है। विशेषज्ञों की राय में चीन को अमेरिका की कतार में लाना फिलहाल जल्दबाजी होगी। विमानों के लिए चीन अगले दशक में अमेरिका से यादा बड़ा बाजार हो जाएगा।
कमर्शियल एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन ऑफ चाइना ने अगले 20 वर्षो में विमान की मांग 40 हजार तक पहुंचने का अनुमान लगाया है। चीन एयरशो के जरिये दुनिया को सामरिक के अलावा तकनीकी क्षमता से भी रूबरू कराना चाहता है। प्रदर्शनी के दौरान जे-20 ने एक मिनट की फ्लाई-पास्ट की। रक्षा विशेषज्ञों ने इसे चीन की लंबी छलांग करार दिया है। कुछ विशेषज्ञों ने विमान की स्टील्थ क्षमता (रडार की पकड़ में न आना) पर भी सवाल उठाए हैं।
गौरतलब कि चीन का यह लड़ाकू विमान अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन द्वारा विकसित एफ-35 की तरह लगता है। दक्षिण और पूर्वी चीन सागर में बढ़ते तनाव को देखते हुए बीजिंग के इस कदम को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। स्टील्थ विमान विकसित कर चीन, अमेरिका के साथ रक्षा संसाधन अंतर को कम करना चाहता है। विशेषज्ञों की राय में चीन को अमेरिका की कतार में लाना फिलहाल जल्दबाजी होगी। विमानों के लिए चीन अगले दशक में अमेरिका से यादा बड़ा बाजार हो जाएगा।