Friday 24 June 2016

24 June 2016...1.एनएसजी पर गतिरोध कायम:-

परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में शामिल होने के भारत के अथक प्रयासों के बावजूद सामने गतिरोध ही नजर आ रहा है। दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में एनएसजी के सदस्य देशों ने भारतीय दावेदारी पर विचार करने का प्रस्ताव तो स्वीकारा लेकिन चीन समेत छह देशों के विरोध के चलते भारत को निराशा हाथ लगने की आशंका है। देर रात तक मिली सूचना के मुताबिक चीन के अलावा ब्राजील, न्यूजीलैंड, आस्टिया, टर्की, आयरलैंड ने मौजूदा नियमों के आधार पर भारत के प्रवेश का विरोध किया। जाहिर है कि ताशकंद में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और पीएम नरेंद्र मोदी की मुलाकात रंग नहीं ला सकी। 48 देशों के इस समूह में भारत भले ही शामिल नहीं हो पा रहा हो लेकिन गुरुवार को भारतीय कूटनीति टॉप गियर में रही। ताशकंद से सियोल तक हर तीर आजमाया। सियोल में विदेश सचिव एस. जयशंकर की अगुवाई में पहुंची टीम की कोशिश यह थी कि भारत को प्रवेश दिलाने के प्रस्ताव पर चर्चा हो। चूंकि यह तय नहीं था कि परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर न करने वाले देश के प्रवेश पर विचार होगा या नहीं। भारत को इसमें दक्षिण कोरिया, जापान व अर्जेटीना से मदद मिली। यह देश की बड़ी सफलता रही। रात्रिभोज के बाद तीन घंटे चली विशेष बैठक में चीन ने एनएसजी में भारत के प्रवेश का विरोध किया। भारतीय समयानुसार, रात आठ बजे यह बैठक इस मुद्दे पर गतिरोध के साथ खत्म हुई। फिलहाल भारत के एनएसजी का सदस्य बनाने पर सहमति नहीं बनी है। वैसे एनएसजी सदस्य देशों की शुक्रवार को भी बैठक है जिसमें इस विषय पर चर्चा हो सकती है। सूत्रों के मुताबिक चीन, न्यूजीलैंड, आस्टिया, आयरलैंड, ब्राजील व टर्की ने भारत समेत किसी भी देश को बगैर एनपीटी पर हस्ताक्षर किए एनएसजी में शामिल करने का विरोध किया। ब्राजील का विरोध भारतीय कूटनीति के लिए हताशा भरा था। चूंकि भारतीय विदेश सचिव की ब्राजील के प्रतिनिधि से सकारात्मक वार्ता हुई थी। सनद रहे कि एनएसजी में प्रवेश के लिए भारत को इसके हर सदस्य देश का समर्थन चाहिए। भारत पिछले महीने से ही इन सभी देशों से संपर्क साधने के अभियान में जुटा है। जानकारों की मानें तो आज की बैठक से यह तय हो गया है कि एनएसजी की राह भारत के लिए उम्मीद से भी ज्यादा कठिन है। भारत को अब नए सिरे से कोशिश शुरू करनी होगी।इससे पूर्व ताशकंद में शंघाई कोऑपरेशन आर्गेनाइजेशन (एससीओ) की बैठक में भाग लेने ताशकंद पहुंचे पीएम नरेंद्र मोदी ने डेढ़ घंटे बाद ही चीनी राष्ट्रपति चिनफिंग से भेंट की। विदेश मंत्रलय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने बताया कि भारत की ओर आग्रह किया गया कि चीन एनएसजी में उसके दावे पर निष्पक्षता से विचार करे और भारत की सदस्यता के सर्वमान्य मत के मुताबिक कदम उठाए।

No comments:

Post a Comment