Sunday 21 August 2016

12 Aug 2016..5. 12 के बजाए 26 सप्ताह के मातृत्व अवकाश को रास की मंजूरी:-

 मातृत्व अवकाश को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह करने के प्रावधान वाले एक महत्वपूर्ण विधेयक को बृहस्पतिवार को राज्यसभा की मंजूरी मिल गई। श्रम एवं रोजगार मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने प्रसूति प्रसुविधा (संशोधन) विधेयक 2016 पर हुई र्चचा के जवाब में कहा कि कामकाजी महिलाओं की आवश्यकताओं को देखते हुए इसमें यह प्रावधान किया गया है। विधेयक में मातृत्व अवकाश की अधिकतम अवधि 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह किए जाने का प्रावधान किया गया है ताकि माताएं अपने बच्चों की बेहतर देखभाल कर सकें। दो बच्चों के मामलों में यह सुविधा 26 सप्ताह की होगी। इसके बाद यह सुविधा 12 हफ्ते की होगी। साथ ही प्रसूति सुविधाएं किसी ‘‘अधिकृत माता’ या ‘‘दत्तक माता’ के लिए भी होंगी जो वे बालक के हस्तगत करने की तारीख से 12 सप्ताह की प्रसूति लाभ की हकदार होंगी।इससे पूर्व दत्तात्रेय ने कहा कि प्रसूता मां और बच्चों को बेहतर जीवन प्रदान करना एक बहुत ही गंभीर और महत्वपूर्ण मुद्दा है तथा यह विधेयक इस दिशा में काफी मददगार साबित होगा। उन्होंने कहा कि विधेयक का उद्देश्य है कि कार्यबल और कार्मिक बल में महिलाओं की संख्या बढ़ाई जाए। संशोधनों से 18 लाख महिलाओं को लाभ होगा। प्रसूति अवकाश के दौरान वेतन भी मिलेगा और तीन हजार रपए का मातृत्व बोनस भी दिया जाएगा। 26 सप्ताह के प्रसूति अवकाश की सुविधा दो बच्चों के मामले में ही लागू होगी और अन्य मामलों में यह सुविधा 12 सप्ताह की ही रहेगी।50 से ज्यादा कर्मचारी वाले संस्थान को रखनी होगी क्रेच की व्यवस्था : मंत्री ने कहा कि 50 या अधिक कर्मचारी रखने वाले संस्थानों को शिशुओं के लिए क्रेच की सुविधा भी रखनी होगी जहां कोई भी मां चार बार अपने बच्चे से मिलने के लिए जा सकेगी। कोई भी नियोक्ता न तो कानून का उल्लंघन कर पाएगा और न ही इस वजह से किसी को निकाल पाएगा। अवकाश के मामले में भारत का तीसरा स्थान : मातृत्व अवकाश के बारे में भारत का दुनिया में तीसरा स्थान है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका में 12 सप्ताह का मातृत्व अवकाश दिया जाता है। मेक्सिको में 15, स्पेन में 16, फ्रांस में 16, ब्रिटेन में 20, नॉव्रे में 44 और कनाडा में 50 सप्ताह का मातृत्व अवकाश दिया जाता है। असंगठित क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं के मामले में भी गौर हो : इससे पूर्व विधेयक पर हुयी र्चचा में लगभग सभी दलों ने विधेयक के प्रावधानों का स्वागत किया और किराए की कोख वाली माताओं को भी इसका लाभ देने पर प्रबल दिया। इसके अलावा उन्होंने असंगठित क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं और के मुद्दों पर भी गौर करने का आग्रह किया। र्चचा में कई सदस्यों ने पितृत्व अवकाश का भी प्रावधान किए जाने का आग्रह किया।

12 Aug 216..4. 6 और आईआईटी को मिली मंजूरी:

- जम्मू और तिरूपति जैसे स्थानों पर छह नए आईआईटी की स्थापना की जाएगी औीर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस संबंध में मंजूरी दे दी है। प्रणब ने मंगलवार को ‘‘प्रौद्योगिकी संस्थान (संशोधन) अधिनियम, 2016’ को मंजूरी दे दी। इस अधिनियम के तहत पलक्कड (केरल), गोवा, धारवाड़ (कर्नाटक) और भिलाई में भी आईआईटी शुरू किए जाएंगे।इस कानून के दायरे में इंडियन स्कूल ऑफ माइन्स :आईएसएम:, धनबाद भी आया है। आईएसएम को अब इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलोजी :आईएसएम:, धनबाद के नाम से जाना जाएगा। इसमें नए और पुराने दोनों नामों का समावेश किया गया है। अधिनियम के अनुसार ये तमाम संस्थान राष्ट्रीय महत्व के संस्थान होंगे। लोकसभा ने गत 25 जुलाई को ‘‘प्रौद्योगिकी संस्थान (संशोधन) विधेयक, 2016’ पारित किया था। दो अगस्त को इसे राज्यसभा की मंजूरी मिल गई। राष्ट्रपति ने आंध्रप्रदेश में एक एनआईटी की स्थापना के लिए कानून को मंजूरी दे दी। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान :संशोधन: अधिनियम, 2016 के तहत यह संस्थान राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के रूप में काम करेगा।

12 Aug 2016..3. जीएसटी लागू होने पर खत्म हो सकते हैं सेस:-

 बहुप्रतीक्षित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने पर स्वछ भारत सेस और कृषि कल्याण सेस खत्म हो सकते हैं। फिलहाल ये दोनों सेस सेवा कर पर लगाए जाते हैं और माना जा रहा है कि एक अप्रैल 2017 से जीएसटी लागू होने पर सरकार इन्हें खत्म कर देगी। जीएसटी के अमल में आने के बाद सेस लगाए जाएंगे या नहीं, इसका फैसला केंद्र सरकार नहीं बल्कि जीएसटी काउंसिल करेगी। सूत्रों ने कहा कि केंद्र और राज्यों के अन्य परोक्ष करों की तरह सेस भी समाप्त हो जाएंगे। इससे कर नियमों का पालन करने में कारोबारियों को सुगमता रहेगी। केंद्र सरकार फिलहाल कई प्रकार के सेस लगाती है। सेवा कर पर लगने वाले कृषि कल्याण सेस और स्वच्छ भारत सेस से चालू वित्त वर्ष में सरकार ने 15,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। इसी तरह कोयला के उत्पादन पर स्वच्छ पर्यावरण सेस लगाया जाता है। सरकार ने इससे 26,148 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। सूत्रों ने कहा कि जीएसटी के लागू होने के बाद सरकार को अगर सेस लगाने की जरूरत पड़ती है तो इसका फैसला केंद्र नहीं बल्कि जीएसटी काउंसिल करेगी जिसमें सभी राज्यों के वित्त मंत्री बतौर सदस्य शामिल होंगे। इस समिति की सहमति के बिना कोई नया सेस लागू नहीं किया जा सकेगा। हालांकि सेस किसी विशेष प्रयोजन से लागू किया जाता है, ऐसे में भविष्य में अगर कोई ऐसी विशिष्ट आवश्यकता खड़ी होती है तो जीएसटी काउंसिल यह फैसला करेगी। उल्लेखनीय है कि सरकार ने एक अप्रैल 2017 से जीएसटी लागू करने का लक्ष्य रखा है। इसके लागू होने पर केंद्र सरकार के केंद्रीय उत्पाद शुल्क, अतिरिक्त उत्पाद शुल्क, सेवा कर, अतिरिक्त सीमा शुल्क, विशेष अतिरिक्त सीमा शुल्क और रायों के वैट, मनोरंजन कर, केंद्रीय बिक्री कर, चुंगी और प्रवेश कर, क्रय कर, विलासिता कर और लॉटरी तथा सट्टेबाजी पर कर जैसे कई प्रकार के परोक्ष टैक्स समाप्त हो जाएंगे। जीएसटी के लिए जरूरी संविधान संशोधन विधेयक संसद ने पारित कर दिया है। अब इसे राज्यों के विधानमंडलों के पास मंजूरी के लिए भेजा गया है। 50 प्रतिशत राज्य विधानमंडलों की मंजूरी मिलने के बाद राष्ट्रपति इसे मंजूरी देकर अधिसूचना जारी कर देंगे जिसके बाद जीएसटी काउंसिल गठित करने का रास्ता तैयार हो जाएगा। यही काउंसिल जीएसटी की दरें तय करने और सेस लगाने जैसे मुद्दों पर फैसला करेगी।

12 Aug 2016.2. नागरिकता संशोधन विधेयक : संसद की संयुक्त समिति विचार करेगी:-

 पड़ोसी देश से आए शरणार्थियों को राहत प्रदान करने के वायदे को आगे बढ़ाने एवं नागरिकता प्रदान करने से संबंधित नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 पर संसद की संयुक्त समिति विचार करेगी। लोकसभा में नागरिकता अधिनियम में और संशोधन करने वाले इस विधेयक को संसद की स्थायी समिति या संयुक्त समिति को भेजने के बीजद, कांग्रेस, वामदलों के आग्रह पर गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि अगर सदन का विचार इसे संयुक्त समिति को भेजने का है, तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। वह इसके लिए तैयार हैं। राजनाथ ने कहा कि अगर सदन सहमत हो तो वह आज ही इसके लिए प्रस्ताव पेश करेंगे। सदस्यों ने इस पर सहमति व्यक्त की। इससे पहले बीजद के भर्तृहरि महताब ने कहा कि आज की कार्यसूची में नागरिकता संबंधी विधेयक सूचीबद्ध है। जब नागरिकता की बात आती है तो इससे हर नागरिक की संवेदनाएं जुड़ जाती है। भारत ने हमेशा से ही हर वर्ग और स्थान से आने वाले लोगों का अंगीकार किया है। इस विधेयक में उसी दिशा में पहल की गई है। कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि भारत ने सदैव दूसरों को अपनाया है। इस विधेयक में नागरिकता पात्रता और समय से जुड़े विषयों का उल्लेख किया गया है। इसमें कुछ विसंगतियां हैं। इसे संसद की स्थाई समिति या संयुक्त समिति के समक्ष विचार के लिए भेजा जाए। माकपा के मोहम्मद सलीम ने कहा कि बांग्लादेश से घुसपैठ एवं असम की समस्या को देखते हुए इस विधेयक पर विचार किये जाने की जरूरत है। तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि यह महत्वपूर्ण विधेयक है और इसे संयुक्त समिति को भेजा जाए। नागरिकता अधिनियम 1955 का और संशोधन करने वाले नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 में पड़ोसी देश से आए हिन्दू, सिख एवं अन्य अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करने की बात कही गई है, चाहे उनके पास जरूरी दस्तावेज हो या नहीं। विधेयक के कारण और उद्देश्यों में कहा गया है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के कई भारतीय मूल के लोगों ने नागरिकता के लिए आवेदन किया है।

12 Aug 2016..1.एशियाई अर्थव्यवस्था का नया टाइगर वियतनाम:-

 पिछली 20-25सालों में एशिया के कौन-से देश ने ज्यादा तरक्की की, किस देश के लाखों लोग गरीबी रेखा से बाहर आए? ज्यादातर लोग इन सवालों का जवाब चीन और भारत को मानते होंगे। लेकिन इसके उत्तरों में एक ऐसे देश का नाम भी है, जिसने केवल अच्छी तरक्की हासिल की, बल्कि अब वह उज्जवलभविष्य के सपने संजो रहा है। यह वियतनाम है, 9 करोड़ की आबादी वाला देश। 1990 के बाद उसकी प्रति व्यक्ति ग्रोथ रेट विश्व में चीन के बाद दूसरे नंबर पर रही है। अगर यह अगले दशक में 7 फीसदी की ग्रोथ रेट बनाए रखता है, तो यह अर्थव्यवस्था के 'एशियन टाइगर' कहलाने वाले दक्षिण कोरिया और ताइवान के रास्ते पर चल पड़ेगा। फैक्ट्रियों के आधुनिकीकरण से इसे उन परिस्थितियों से उबरने में मदद मिली, जहां कभी विनिर्माण क्षेत्र मानव श्रम पर निर्भर था। वियतनाम ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के खुलेपन का भी लाभ उठाया। यह देश खुशनसीब है कि वह चीन के प्रवेश द्वार पर स्थित है, जहां कंपनियां कम लागत के विकल्प तलाशती हैं। विदेशी कंपनियों को आकर्षित करने के लिए उसने कारोबार नियम आसान किए। इससे विदेशी कंपनियों को कम लागत पर निर्माण ईकाईयां स्थापित करने में सुविधा हुई। ऐसी राहत मिलने के चलते वियतनाम में विदेशी कंपनियों की भरमार हो गई और निर्यात दो-तिहाई बढ़ गया। वहां की सरकार ने सभी 63 राज्यों को प्रतिस्पर्धा के लिए आगे कर दिया। इससे हो ची मिह्न सिटी ने इंडस्ट्रीयल पार्क में बाजी मारी, तो दानांग ने हाई-टेक सिटी का दर्जा हासिल किया। इसी तरह उत्तरी राज्यों ने मैन्यूफैक्चरिंग में समृद्धि हासिल की। इस तरह की विविध अर्थव्यवस्था के परिणामस्वरूप पूरे देश में समृद्धि आई और 2011 से ही देश के प्रॉपर्टी मार्केट में उछाल गया। यह भी संयोग है कि यह देश शिक्षा के क्षेत्र में भी उतना ही ध्यान दे रहा है। 15 वर्षीय वियतनामी किशोर अपने जर्मन समकक्ष के बराबर ही गणित और विज्ञान जानता है। वियतनाम स्कूलों पर भी दूसरे समकक्षों के बराबर राशि खर्च करता है। उसका पूरा ध्यान बेसिक्स पर है, यानी ज्यादा से ज्यादा बच्चों का स्कूलों में प्रवेश और अध्यापकों को समय-समय पर प्रशिक्षण।

11 Aug 2016 9. जीका विषाणु से मस्तिष्क विकार एवं माइक्रोसेफली होने का रहस्य खुला:

- उम्दा सर्जरी एवं मेडिकल क्षेत्र में खोज के मामले में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के वैज्ञानिकों का जवाब नहीं। अब एम्स में स्थित डॉ. बीआर अम्बेडकर जैव औषधीय शोध केंद्र एवं राष्ट्रीय मस्तिष्क शोध केंद्र ने संयुक्त रूप से जीका विषाणु द्वारा बच्चे के सिर के विकास को रोकने की विधि का रहस्य खोजा है। इसमें रेटिनोइक अम्ल की भागीदारी की ओर संकेत किया है। जीका विषाणु एक अनेक प्रकार से रोगजनक विषाणु है जो नवजात शिशुओं में कुरूपता और मुंड संकुचन जैसे रोगों को जन्म देता है। यह विषाणु कई मस्तिष्क संबंधी समस्याओं और गंभीर जन्म दोष उत्पन्न करता है। यह गर्भवती महिला से उसके भ्रूण में चला जाता है तथा यह तीव्र मस्तिष्क विकृतियों और माइक्रोसेफली पैदा कारक है इसलिए विश्व स्वस्य संगठन ने इस महामारी को ‘‘जन स्वास्य आपातकालीन अंतर्राष्ट्रीय चिंता’ घोषित किया है। अध्ययन फ्रंटियर्स इन ह्यूमन न्यूरोसाइंस में प्रकाशित हुआ है। एम्स के डा. आशुतोष, डा. मुनीब की अगुवाई में हुए अध्ययन में कई देशों को यह सलाह दी गई है कि जब तक इस बीमारी के निदान के कारण न ढूंढें जाएं तब तक गर्भधारण को टाल दिया जाये। खोज में : जीका विषाणु द्वारा ग्रसित महिला के गर्भ में पल रहे भ्रूण में माइक्रोसेफली के उत्पन्न होने की संभावित विधि के बारे में बताया है। जीका विषाणु रेटिनोइक अम्ल के संकेतन के साथ हस्तक्षेप से भ्रूण के मस्तिष्क की कोशिकाओं के विकास में अपनी जीनोम अनुक्रम दोहराता है जिसे रेटिनोइक प्रत्युत्तर तत्व और सामान्यत: आरएआरई सहमति प्रत्युत्तर कहा जाता है। शोध में शामिल अन्य वैज्ञानिकों में डा. हिमांशु सिंह, डा. खुर्शीद और डा. सुब्रमण्यम दंतम ने बताया कि जीका विषाणु और माइक्रोसेफली के सम्बन्ध का सिद्धांत जीका विषाणु के पित्रैक समूह के अनुक्रमों तथा मनुष्य के डीएनए में प्रारंभिक तंत्रिका नाल के विकासात्मक तत्त्व संकेतक (रेटिनोइक अम्ल) की अनुक्रिया की समरूपता पर आधारित है।लाभ टीका बने : यह अध्ययन संभवत: शोध के नए क्षेत्र खोलता है और जीका विषाणु द्वारा उत्पन्न माइक्रोसेफली के खिलाफ निर्णायक सिद्ध हो सकता है। वैज्ञानिकों द्वारा प्रस्तुत विचारों निश्चित रूप से यह निष्कर्ष निकल जा सकता है कि जीका विषाणु के संक्रमण को रोकने के लिए अवश्य ही प्रभावी और उत्कृष्ट टीका बनाया जायेगा। यह अध्ययन माइक्रोसेफली को रोकने के लिए की गई पहल में मील का पत्थर साबित हो सकता है।

11 Aug 2016..8. नासा ने मंगल पर मानव बस्तियों के लिए बढ़ाए कदम:-

 नासा ने मंगल ग्रह पर मानव बस्तियां बसाने की कल्पना को साकार करने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। नासा ने प्रोटोटाइप बस्तियां विकसित करने में मदद के लिए छह कंपनियों का चुनाव किया है। नासा के एडवांस्ड एक्सप्लोरेशन सिस्टम्स के निदेशक जेसन क्रूसन ने कहा, ‘महत्वाकांक्षी अभियान के लिए सरकार और निजी क्षेत्र की क्षमता और अनुभव का उपयोग किया जा रहा है। हमने अब ऐसी अंतरिक्ष बस्तियों पर ध्यान केंद्रित किया है जहां पर इंसान महीनों और कई साल तक स्वतंत्र रूप से निवास और काम कर सकेंगे।’ इस काम के लिए जिन छह अमेरिकी कंपनियों को चुना गया है उनमें बिगेलो एयरोस्पेस, बोइंग, लॉकहीड मार्टिन, आर्बिटल एटीके, सिएरा नेवादा कापरेरेशन स्पेस सिस्टम्स और नैनोरॉक्स हैं। इनको प्रोटोटाइप बस्तियां विकसित करने और अंतरिक्ष बस्तियों की कल्पना के अध्ययन के लिए करीब 24 महीने का वक्त दिया गया है। नासा का अनुमान है कि इस पूरे काम पर 6.5 करोड़ डॉलर (करीब 434 करोड़ रुपये) खर्च आएगा। इन कंपनियों के लिए इस प्रस्तावित काम के कुल लागत का 30 फीसद योगदान करना आवश्यक किया गया है।

11 Aug 2016..7. एनबीएफसी के एफडीआइ नियम उदार:-

 देश के गैर बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र (एनबीएफसी) में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) का प्रवाह बढ़ाने को इस क्षेत्र का दायरा बढ़ा दिया है। सरकार ने एफडीआइ के नियमों को उदार बनाते हुए ऑटोमेटिक मंजूरी के दायरे में आने वाली अन्य वित्तीय सेवाएं देने वाली एनबीएफसी को भी शामिल कर लिया है। लेकिन इन कंपनियों में एफडीआइ की ऑटोमेटिक मंजूरी का नियम तभी लागू होगा जब वे कंपनियां भारतीय रिजर्व बैंक अथवा सेबी जैसे नियामकों के दायरे में आती हों। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गई। मौजूदा नियमों में केवल 18 विशिष्ट प्रकार की सेवाएं देने वाली एनबीएफसी में ही एफडीआइ के लिए ऑटोमेटिक मंजूरी की अनुमति थी। बाकी अन्य वित्तीय सेवाओं की श्रेणी में आने वाली कंपनियों को एफडीआइ के लिए पहले मंजूरी लेनी होती थी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2016-17 के बजट में अन्य वित्तीय सेवाएं देने वाली गैर बैंकिंग कंपनियों के लिए भी एफडीआइ नियमों को उदार बनाने का एलान किया था। नवंबर 2015 के बाद एफडीआइ नियमों को सरल बनाने के क्रम में यह तीसरा बड़ा फैसला है। इसी साल जून में सरकार ने रक्षा और नागरिक उड्डयन समेत आठ क्षेत्रों के लिए एफडीआइ के नियमों को आसान बनाने का फैसला किया था। एफडीआइ नियमों को उदार बनाने की दिशा में सरकार ने न्यूनतम पूंजी की शर्तो को हटा लिया है क्योंकि अधिकांश नियामक इसके लिए खुद नियम तय कर चुके हैं। सरकार के इस फैसले से न केवल देश में एफडीआइ का प्रवाह बढ़ेगा बल्कि इससे आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार भी बढ़ेगी। सरकार के बयान के मुताबिक इसका असर पूरे देश पर होगा और किसी राज्य या जिले तक सीमित नहीं रहेगा। वर्तमान में 18 प्रकार की वित्तीय सेवाएं देने वाली एनबीएफसी में सौ फीसद एफडीआइ ऑटोमेटिक मंजूरी के तहत आता है।

11 Aug 2016..6. ई-गवर्नेस के बगैर संशोधित मोटर बिल का लाभ मुश्किल:

 परिवहन विशेषज्ञों का कहना है कि मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक, 2016 में सारा फोकस जुर्माना बढ़ाने पर है। जबकि कार्यान्वयन को लेकर स्थिति अस्पष्ट है। जब तक कार्यान्वयन सुनिश्चित नहीं होता है और जानबूझकर लापरवाही वाले यातायात उल्लंघनों से होने वाली मौतों के मामले में मोटर एक्ट के अलावा आइपीसी के प्रावधान भी लागू करने की व्यवस्था नहीं होती, तब तक सड़क हादसों पर अंकुश लगना मुश्किल है। परिवहन विशेषज्ञों को खासकर दो बातों पर विशेष आपत्ति है। पहली, विधेयक में ई-गवर्नेस की बात तो कही गई है, लेकिन कोई समय-सीमा निर्धारित नहीं की गई है। कहने को तो वाहन और सारथी पोर्टल चालू हो गए हैं। लेकिन अभी तक पूरे देश में इनका इस्तेमाल शुरू नहीं हुआ है। जहां हुआ भी है वहां अनेक खामियां हैं। परिणामस्वरूप अधिकांश आरटीओ में आरसी व डीएल बनाने में दलालों का धंधा बदस्तूर जारी है। इंडियन फाउंडेशन ऑफ ट्रांसपोर्ट रिसर्च एंड ट्रेनिंग के संयोजक एसपी सिंह के मुताबिक, महज कानून बदलने से हालात सुधरने वाले नहीं हैं। मोटर एक्ट में पहले भी कई बार संशोधन हो चुके हैं। इसके बावजूद हादसे घटने की जगह बढ़ गए हैं। ओवरलोडिंग के खिलाफ पहले से काफी सख्त नियम बने हुए हैं। यदि इनका पालन होता तो ओवरलोडिंग की समस्या खत्म हो गई होती। लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। अभी भी केवल टोल वसूल कर ट्रकों को छोड़ दिया जाता है। नियमानुसार ओवरलोडेड ट्रकों का सारा अतिरिक्त माल ट्रांसपोर्टर के ही खर्चे और जोखिम पर टोल प्लाजा पर ही उतार लिया जाना चाहिए। इसलिए जब तक ओवरलोडेड और ओवरसाइज ट्रक चलाने वालों के ड्राइविंग लाइसेंस और उन्हें चलवाने वाले बिचौलियों के परमिट रद नहीं किए जाते, तब तक हादसों को न्यौता देने वाली इस बुराई का अंत संभव नहीं है। इसके लिए यातायात अनुपालन व्यवस्था को मानवीय हस्तक्षेप की संभावनाओं को खत्म या न्यूनतम करना पड़ेगा। यह सभी टोल प्लाजाओं पर इलेक्ट्रानिक टोलिंग लागू करने व सभी वाहनों पर फास्टैग लगवाने के अलावा आरसी व डीएल जारी करने की ऑनलाइन व्यवस्था को दुरुस्त कर तथा देश की सभी प्रमुख सड़कों पर चौराहों/नाकों पर इंटीग्रेटेड सीसीटीवी लगाकर ही संभव हो सकता है। दूसरा अहम मुद्दा वाहन चालकों की नीयत और वाहन चलाने में की जाने वाली लापरवाही का है। यदि कोई व्यक्ति शराब पीकर अथवा मोबाइल पर बात करते हुए गाड़ी चलाता है या ओवरलोडेड या ओवरसाइज वाहन लेकर सड़क पर उतरता है तो इसका साफ मतलब है कि वह जानबूझकर दुर्घटना की स्थितियां पैदा कर रहा है। ऐसी स्थितियां जिनसे किसी की जान भी जा सकती है। ऐसे में उस व्यक्ति पर केवल जुर्माना लगाना या लाइसेंस निलंबित करना पर्याप्त नहीं है। उस पर तो आपराधिक दंड संहिता के प्रावधान भी लागू होने चाहिए। क्योंकि केवल मोटर एक्ट का दंड लोगों में कानून का भय पैदा करने में नाकाम साबित हुआ है।

11 Aug 2016..5. 36 विदेशी कंपनियों को भारत में रक्षा उत्पादन की मंजूरी:-

 भारत सरकार ने 36 विदेशी रक्षा कंपनियों को भारत में प्रोडक्शन यूनिट लगाने की मंजूरी अब तक दी है। ये कम्पनियां एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) या फिर भारतीय कम्पनी के साथ ज्वाइंट वेन्चर के तहत रक्षा उपकरणों और सैन्य साजोसामान का उत्पादन करेंगी। खास बात यह है कि इनमें से सर्वाधिक 12 विदेशी कम्पनियां कर्नाटक राज्य में और नौ महाराष्ट्र में अपनी-अपनी यूनिट्स लगाने जा रही हैं। रक्षा मंत्रालय के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि भारत सरकार की नई रक्षा पालिसी जारी होने के बाद विदेशी कम्पनियों ने भारत में अपनी इकाइयां स्थापित करने में खास रुचि दिखाई है। उनके आवेदन पर जांचोपरान्त पिछले माह तक छत्तीस कम्पनियों को सरकार ने स्वीकृति प्रदान कर दी है। इनमें से 12 प्रपोजल कर्नाटक राज्य में लगाने के लिए, नौ महाराष्ट्र, पांच नई दिल्ली, चार तेलंगाना, तीन तमिलनाडु और एक-एक हरियाणा, हिमाचल प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश में लगाने के लिए प्राप्त हुए हैं। इधर, अनिल अंबानी का रिलायंस ग्रुप विदेशी रक्षा कम्पनी के साथ मिलकर यहां डिफेंस प्रोजेक्ट्स पर काम करने जा रहा है। दरअसल, कम्पनी के मालिक अनिल अंबानी रिलायंस को बड़ी डिफेंस कम्पनी के तौर पर स्थापित करना चाहते हैं। कम्पनी के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि रिलायंस अभी तक 84 हजार करोड़ Rs की डिफेंस बिडिंग में हिस्सा ले चुकी है। हालांकि, अभी तक एक भी प्रोजेक्ट हासिल नहीं कर पायी है। रिलायंस डिफेंस के चीफ एग्जीक्युटिव आरके ढींगरा ने कहा कि हम भारत सरकार के ‘‘मेक इन इंडिया’ कान्ट्रैक्ट में अहम हिस्सेदारी उम्मीद रखते हैं। उन्होंने कहा कि डिफेंस सेक्टर में कम्पनी कुछ सालों में बड़े प्लेयर के तौर पर सामने आएगी। रिलायंस इस्रइल की एक कम्पनी के साथ मिलकर भारत में ज्वांइट वेंचर बना रही है। उसके साथ मिसाइल, डिफेंस सिस्टम और एडवांस हेलीकाप्टर बनाने की कोशिश में है। वेंचर की शुरुआती कैपिटल पूंजी 13 हजार करोड़ Rs होगी। कम्पनी में रिलायंस की हिस्सेदारी 51 फीसद और विदेशी कम्पनी की हिस्सेदारी 49 फीसद होगी। नया वेंचर मध्य प्रदेश के इंदौर में धीरूभाई अंबानी लैंड सिस्टम्स पार्क में शुरू होगा।

11 Aug 2016..4. लोकसभा में कराधान विधि संशोधन विधेयक पेश:-

 लोकसभा में बुधवार को आयकर अधिनियम 1961 और सीमाशुल्क अधिनियम 1975 में और संशोधन करने वाला एक विधेयक पेश किया गया। इसमें किसी पूर्ववर्ती सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी का पुनर्गठन करने या उसे अलग कंपनियों के रूप में विभाजित करने को ‘‘विभाजन’ की परिभाषा के दायरे में लाने का प्रावधान किया गया है। निचले सदन में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कराधान विधि संशोधन विधेयक 2016 पेश किया। विधेयक के कारणों एवं उद्देश्यों में कहा गया है कि किसी पूर्ववर्ती सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी का पुनर्गठन करने या उसे अलग कंपनियों के रूप में विभाजित करने और सरकार से शेयरों का हस्तांतरण करने की शतरे को प्रभाव में लाने के लिए इस तरह के पुनर्गठन या अलग कंपनियों के रूप में विभाजित करने को ‘‘विभाजन’ की परिभाषा के दायरे में लाने की जरूरत है। इसके तहत आयकर अधिनियम 1961 की धारा 80 जेजेएए को वित्त अधिनियम 2016 से बदला गया। इसमें परिधान निर्माण कारोबार की मौसमी प्रकृति को देखते हुए कर्मचारियों की कार्यावधि से जुड़े विषय भी शामिल हैं। इसमें कहा गया है कि अभी मार्बल ब्लाक, ग्रेनाइट ब्लाक, स्लैब गैर तटकर या शुल्क व्यवस्था के तहत आते हैं जो सीमाशुल्क अधिनियम 1975 की पहली अनुसूची के तहत 10 प्रतिशत की दर से सीमा शुल्क से संबंधित है। इसमें तटकर या शुल्क को लचीला बनाने के लिए विधेयक में व्यवस्था की गई है और इसे डब्ल्यूटीओ से जुड़ी दर के अनुरूप बनाने की बात कही गई है।

11 Aug 2016..3. कारखाना संशोधन विधेयक लोस से मंजूर : श्रमिकों की ओवरटाइम की अवधि 50 से बढ़ाकर 100 घंटे करने का प्रावधान :-

 निर्माण क्षेत्र में रोजगार सृजन और उद्योगों की सहूलियत के उद्देश्य से कारखाना मजदूरों के ओवरटाइम के घंटे तिमाही दोगुने करके 100 करने संबंधी विधेयक ‘फैक्ट्रीज (अमेंडमेंट) बिल, 2016’ को लोकसभा ने बुधवार को मंजूरी दे दी। हालांकि कांग्रेस, वामदलों, तृणमूल कांग्रेस, जनता दल (यू) और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने विधेयक का विरोध किया। विपक्ष ने विधेयक को कारपोरेट के हित में, श्रमिक विरोधी और राज्यों के अधिकारों का अतिक्रमण करने वाला करार दिया। विधेयक पेश करते हुए श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि कानून में संशोधन से श्रमिकों को ‘ज्यादा काम करके ज्यादा कमाने’ का मौका मिलेगा। उन्होंने बताया कि ओवरटाइम समेत एक दिन में काम के घंटे 10 से ज्यादा और एक हफ्ते में 60 से ज्यादा नहीं होंगे। ये संशोधन किसी भी तरह अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के मानकों का उल्लंघन नहीं करते। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने ओवरटाइम की उच्चतम सीमा 144 घंटे तय की है। श्रम मंत्री ने स्पष्ट किया कि ओवरटाइम के घंटों में वृद्धि बाध्यकारी नहीं है। यह श्रमिक का अपना फैसला होगा। यह सिर्फ दोगुना मेहनताना पाने का एक अवसर है। अन्य परिवर्तनों के साथ विधेयक में ओवरटाइम के घंटे जनहित में तिमाही 125 तक बढ़ाने की अनुमति प्रदान की गई है। साथ ही केंद्र और राज्य सरकारों को ओवरटाइम घंटों से संबंधित नियमों में छूट देने का अधिकार दिया गया है। सदस्यों ने जानना चाहा कि इस विधेयक को लाने की जल्दबाजी क्या थी, जबकि इस संबंध में व्यापक विधेयक सदन के समक्ष लंबित है, इस पर श्रम मंत्री ने कहा कि यह समय की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सरकार ने मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया और डिजिटल इंडिया जैसी पहल की हैं, जिसके लिए बड़ी संख्या में श्रमिकों की जरूरत पड़ेगी। माकपा के शंकर प्रसाद दत्ता ने कहा कि मोदी सरकार गुप्त एजेंडे के तहत श्रम कानूनों पर प्रहार कर रही है। राज्य सरकारों के अधिकारों का अतिक्रमण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक देश के कारपोरेट वर्ग और बड़े औद्योगिक घरानों के साथ-साथ अडानी और अंबानी को खुश करने के लिए लाया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि एक भी श्रम संगठन इस विधेयक के पक्ष में नहीं है। बीजद के रविन्द्र कुमार जेना ने कहा कि ओवरटाइम के घंटों में वृद्धि से महिलाओं में अल्कोहल व तंबाकू का उपभोग बढ़ेगा और उनमें मोटापे व तनाव में भी वृद्धि होगी। यह बाद में बड़ी सामाजिक समस्या में तब्दील हो सकती है। हालांकि, बाद में कांग्रेस और वामदलों के सदन से बहिर्गमन के बाद विधेयक को लोकसभा ने पारित कर दिया।

11 Aug. 2016.. 2. ब्राजील की पहली महिला राष्ट्रपति पर 25 अगस्त से चलेगा महाभियोग :-

 ब्राजील की पहली महिला राष्ट्रपति दिल्मा रूसेफ के खिलाफ महाभियोग का रास्ता बुधवार को साफ हो गया। सीनेट ने उन्हें दोषी करार देते हुए 21 के मुकाबले 59 वोटों से इसे मंजूरी दे दी। बैठक की अध्यक्षता चीफ जस्टिस रिकार्डो लिवानदोवस्की ने की।
रूसेफ अभी वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में निलंबित हैं। निलंबित होने वाली भी वे पहली राष्ट्रपति हैं। रूसेफ पर महाभियोग की कार्रवाई रियो में ओलिंपिक खेलों के समापन के चार दिन बाद 25 अगस्त से शुरू होगी। उसके पांच दिन में पूरा हो जाने की उम्मीद है। रूसेफ के खिलाफ महाभियोग को मंजूरी के लिए सीनेट में 81 वोटों की जरूरत होगी जो आसानी से मिलने की उम्मीद है। महाभियोग द्वारा हटाई जाने वाली भी रूसेफ ब्राजील की पहली राष्ट्रपति होंगी। उन पर महाभियोग का मामला ऐसे समय चल रहा है, जब देश में दुनियाभर के खिलाड़ी ओलिंपिक खेलने आए हैं। उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव की कार्रवाई संसद के निचले सदन में पिछले साल दिसंबर में शुरू की गई थी। वहां से इसे मंजूर किए जाने के बाद सीनेट भेजा गया था।

11 Aug. 2016..1.कुडनकुलम संयंत्र-1 राष्ट्र को समर्पित:-

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने कुडनकुलम परमाणु बिजली संयंत्र की पहली यूनिट संयुक्त रूप से बुधवार को राष्ट्र को समर्पित की। इस मौके पर दोनों नेताओं ने इसे खास और विशेषाधिकार प्राप्त भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी की बेहतरीन मिसाल करार दिया। इस यूनिट की क्षमता 1000 मेगावाट की है। नई दिल्ली से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए मोदी ने कहा कि भारत-रूस परियोजना कुडनकुलम-1 भारत में स्वच्छ ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ाने के प्रयासों में महत्वपूर्ण कदम है। इसकी पांच यूनिट और बनाए जाने की योजना है। उधर, मॉस्को से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े पुतिन ने कहा कि यूनिट का निर्माण उच्च सुरक्षा मानकों को अपनाते हुए सबसे आधुनिक रूसी प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करके किया गया है, जबकि मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि भारत परमाणु ऊर्जा उत्पादन के महत्वाकांक्षी एजेंडा को आगे बढ़ने को प्रतिबद्ध है।प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘कुडनकुलम सयंत्र-1 को राष्ट्र को समर्पित किया जाना भारत-रूस संबंधों के संदर्भ में एक और ऐतिहासिक कदम है। इसका सफलतापूर्वक पूरा होना हमारे खास और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी की मजबूती का एक और सुंदर उदाहरण है। यह हमारी गहरी दोस्ती का जश्न भी है। यह इस क्षेत्र में हमारे सहयोग की शुरुआत भर है।’ तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता भी चेन्नई से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए इस कार्यक्र म में जुड़ीं। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘कुडनकुलम में ही पांच और यूनिट स्थापित करने की योजना है।

दैनिक समसामयिकी 10 August 2016(Wednesday)

1.जजों की नियुक्ति के नए कानून पर प्रतिबद्धता से इन्कार:- सरकार ने जजों की नियुक्ति के लिए किसी नए कानून पर प्रतिबद्धता से इन्कार किया है। सरकार की ओर से लाए गए न्यायिक नियुक्ति आयोग कानून को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राज्य सभा में कहा, ‘सरकार ने न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम 2014 पर फैसले को स्वीकार कर लिया है। कई बार सवाल पूछा जाता है कि क्या हम फिर इस दिशा में कोई कानून लाने वाले हैं। राजनीति इस बात का फैसला करेगी। मैं आज की तारीख में इसको लेकर कोई वादा नहीं कर सकता।’ मंत्री ने अपनी बात के समर्थन में जीएसटी का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि जीएसटी पर सहमति बनाने के लिए सरकार को कई कदम उठाने पड़े। सुप्रीम कोर्ट ने कोलेजियम व्यवस्था को बेहतर करने के लिए सुझाव मांगे हैं। सरकार ने इस मामले में अपना सुझाव दे दिया है। इधर, कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ल ने राज्य सभा में यह मांग की कि संसद सर्वोच्च है और सरकार को डरने के बजाय न्यायपालिका में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए दोबारा यह बिल लाना चाहिए। राजीव शुक्ल ने कहा कि अमेरिका सहित कहीं भी जजों की नियुक्ति जज नहीं करते। अमेरिका में जज की नियुक्ति सीनेट के जरिए होती है। जबकि हमारे यहां मौजूदा कोलिजियम सिस्टम में काफी खामियां हैं। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका में खामियों को लेकर जज चिंता जाहिर करते हैं पर हकीकत यह है कि शीर्ष न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति जज ही करते हैं। इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं होती।
2. कश्मीर मामला : प्रधानमंत्री ने तोड़ी चुप्पी, संवाद की वकालत की:- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीर में 32 दिनों से जारी उपद्रव पर मंगलवार को चुप्पी तोड़ते हुए इसे कुछ लोगों की साजिश का नतीजा बताया। लोकतंत्र और संवाद के रास्ते शांति बहाली की वकालत करते हुए मोदी ने कहा-‘जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे, उन्होंने इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत का मार्ग अपनाया था। हम इस पर कायम रहेंगे।’ प्रधानमंत्री मोदी अमर शहीदों की शहादत को याद करने के लिए नौ से 23 अगस्त तक मनाए जा रहे ‘जरा याद करो कुर्बानी’ महोत्सव का शुभारंभ करने मध्य प्रदेश में आलीराजपुर जिले के भाबरा पहुंचे थे। भाबरा शहीद चंद्रशेखर आजाद की जन्मस्थली है। यहां पहली बार कोई प्रधानमंत्री पहुंचा है। इस दौरान जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा-‘कभी-कभी पीड़ा होती है कि जिन बच्चों और युवाओं के हाथों में लैपटॉप, वालीबॉल, क्रिकेट के बैट और मन में सपने होने चाहिए, उनके हाथों में पत्थर पकड़ा दिया जाता है। इससे कुछ लोगों की राजनीति तो चल जाएगी लेकिन इन भोलेभाले बचों का क्या होगा। हम इंसानियत और कश्मीरियत पर दाग नहीं लगने देंगे।’
कश्मीरियों को बराबर की आजादी : प्रधानमंत्री ने कहा कि कश्मीर मसले पर बातचीत के रास्ते हमेशा खुले हैं। हर हिन्दुस्तानी का सपना होता है कि कभी न कभी कश्मीर जाए। उसके मन में उस देवभूमि को देखने की इछा होती है। लेकिन जहां पूरा हिन्दुस्तानी कश्मीर को प्यार करता है, वहीं मुट्ठीभर लोग कश्मीर की इस महान परंपरा को ठेस पहुंचा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा-‘चंद्रशेखर आजाद की इस महान पवित्र भूमि से कश्मीरियों को संदेश देना चाहता हूं कि आजादी के दीवानों ने जो ताकत हिन्दुस्तानी को दी है, वहीताकत कश्मीर को भी दी है। जो आजादी हर हिन्दुस्तानी महसूस करता है वही आजादी हर कश्मीरी को भी नसीब है। हम कश्मीर को विकास के नई ऊंचाइयों तक ले जाना चाहते हैं। कश्मीर की युवा पीढ़ी को रोजगार के अवसर देना चाहते हैं।’
कांग्रेस के प्रति जताया आभार : हमेशा कांग्रेस को निशाने पर लेने वाले मोदी ने कांग्रेस सहित अन्य विपक्षों दलों की तारीफ भी की, आभार जताया। कहा, कश्मीर मुद्दे पर सभी ने एकजुटता दिखाई और आज भी दिखा रहे हैं। जम्मू-कश्मीर सरकार पूरी तरह केंद्र के साथ है। देश का दो किमी रास्ता कम बनेगा तो मंजूर कर लेंगे, लेकिन कश्मीर के विकास में कोई कमी नहीं आने देंगे।
बंदूकें छोड़ हल उठाएं युवा : प्रधानमंत्री ने देश में माओवाद और उग्रवाद के नाम पर कंधे पर बंदूक उठाने वाले नौजवानों से कहा कि कितना लहू बहा दिया, कितने निदरेषों को गवां दिया, लेकिन किसी ने क्या पाया। ऐसे युवा कंधे से बंदूक उतारें और हल ले लें तो ये धरती ‘सुजलाम-सुफलाम’ हो जाएगी।
3. राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति का वेतन बढ़ेगा:- सातवें वेतन आयोग के बाद कैबिनेट सचिव के मुकाबले कम वेतन पा रहे राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का वेतन बढ़ाया जाएगा। सरकार ने इसके लिए अंदरुनी प्रक्रिया शुरू कर दी है। राष्ट्रपति के वेतन में करीब ढाई से तीन गुनी बढ़ोतरी के संकेत हैं। वहीं सांसदों के वेतन वृद्धि का मसला शीत सत्र तक टल सकता है। सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार राष्ट्रपति के मौजूदा डेढ लाख रुपए प्रति महीने के वेतन को बढ़ाकर तीन से चार लाख रुपए प्रति माह करने के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है। वहीं उपराष्ट्रपति का वेतन भी मौजूदा 1.25 लाख रुपए से इसी अनुपात में बढाने का प्रस्ताव है। सरकार का मानना है कि राष्ट्रपति का मौजूदा वेतन अभी के आर्थिक मानकों के अनुकूल नहीं है। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद कैबिनेट सचिव का वेतन उनसे यादा हो गया है। अभी कैबिनेट सचिव का वेतन 2.50 लाख रुपए महीना है। यहां तक कि संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी का वेतन भी राष्ट्रपति से यादा हो गया है। इसीलिए सरकार ने राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति की वेतन वृद्धि के मामले को तबज्जो देने का फैसला किया है। सरकारी सूत्रों के अनुसार इन दोनों शीर्ष संवैधानिक पदों के वेतन में वृद्धि के बाद ही सांसदों के वेतन बढ़ाने के प्रस्ताव पर फैसला होगा। मानसून सत्र शुक्रवार को समाप्त हो रहा है, ऐसे में सांसदों की वेतन वृद्धि के बिल के संसद में पारित होने के आसार कम हैं। राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति के वेतन में इससे पहले 2008 में बढ़ोतरी की गई थी। जब छठे वेतन आयोग के लागू होने के बाद राष्ट्रपति की तनख्वाह 50 हजार से बढ़ाकर डेढ लाख रुपए महीने की गई थी। उपराष्ट्रपति का वेतन 1.25 लाख रुपए महीने किया गया था। राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति को पेंशन में भी फायदा मिलेगा। कार्यकाल खत्म होने के बाद पूर्व राष्ट्रपति के रूप में उन्हें वेतन का 50 फीसदी बतौर पेंशन मिलेगा। इसके अलावा पूर्व राष्ट्रपति को आजीवन सरकारी आवास के साथ एक निजी सचिव और एक चपरासी मुहैया कराया जाता है। इसके अलावा फोन, मोबाइल फोन, इंटरनेट के साथ कार्यालय खर्च के लिए हर साल 60 हजार रुपए का प्रावधान है। पूर्व उपराष्ट्रपति को भी आजीवन सरकारी आवास मिलता है तथा कार्यालय खर्च के लिए 60 हजार रुपये सालाना मिलते हैं।
4. नवंबर तक 14 राज्यों में तैयार होगा जीएसटीएन सिस्टम:- बहुप्रतीक्षित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के लिए जरूरी संविधान संशोधन विधेयक संसद से पारित होने के बाद सरकार अब इसे धरातल पर उतारने को बुनियादी ढांचागत सूचना प्रौद्योगिकी (आइटी) तंत्र तैयार करने में जुट गयी है। केंद्र ने नवंबर तक 14 राज्यों में जीएसटी नेटवर्क के बैक-एंड सिस्टम को चालू करने का लक्ष्य रखा है। वहीं देशभर में सभी उपयोगकर्ताओं के लिए जीएसटीएन का परीक्षण अगले साल जनवरी से शुरू हो जाएगा। सूत्रों ने कहा कि नवंबर 2016 तक 14 रायों के लिए जीएसटी नेटवर्क का बैक-एंड सिस्टम बनकर तैयार हो जाएगा। बैक-एंड सिस्टम का मतलब यह है कि इन राज्यों में जीएसटी के लिए पंजीकरण, रिटर्न, ऑडिट और अपील जैसे कार्यो को परीक्षण के तौर पर करके देखा जा सकेगा। इसी समय सीमा में बैंकों, आरबीआइ और लेखा अधिकारियों के लिए भी जीएसटीएन परीक्षण के लिए उपलब्ध होगा। वहीं दिसंबर 2016 तक 17 रायों के लिए जीएसटी का फ्रंट-एंड और बैक-एंड सिस्टम तैयार हो जाएगा। वैसे अन्य सभी संबंधित पक्षों के लिए जीएसटी का परीक्षण जनवरी 2017 से शुरू होगा। सूत्रों ने कहा कि जीएसटी के भुगतान से लेकर रिटर्न दाखिल होने तक का कार्य जीएसटी नेटवर्क से होगा इसलिए सरकार की कोशिश है कि यह प्रणाली त्रुटिरहित हो। इसीलिए जीएसटी नेटवर्क को पेशेवर ढंग से स्थापित करने के लिए सरकार ने कंपनी कानून की धारा 25 के तहत एक निजी कंपनी का गठन किया है जिसमें केंद्र और राज्यों के साथ-साथ कई अन्य वित्तीय संस्थाओं की हिस्सेदारी भी है। वहीं जानी मानी सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी इन्फोसिस इस सिस्टम को तैयार कर रही है। सरकार ने एक अप्रैल 2017 से जीएसटी लागू करने का लक्ष्य रखा है। इसके लागू होने पर केंद्र सरकार के केंद्रीय उत्पाद शुल्क, अतिरिक्त उत्पाद शुल्क, सेवा कर, अतिरिक्त सीमा शुल्क, विशेष अतिरिक्त सीमा शुल्क और राज्यों के वैट, मनोरंजन कर, केंद्रीय बिक्री कर, चुंगी और प्रवेश कर, क्रय कर, विलासिता कर और लॉटरी तथा सट्टेबाजी पर कर जैसे कई प्रकार के परोक्ष टैक्स समाप्त हो जाएंगे। जीएसटी के लिए जरूरी संविधान का 122वां संशोधन विधेयक सोमवार को लोकसभा से पारित हो गया है।
5. मौद्रिक नीति समीक्षा पेश : जाते-जाते नहीं दिया सस्ते कर्ज का तोहफा:- मंगलवार को मुंबई स्थित रिजर्व बैंक मुख्यालय में आरबीआइ गवर्नर रघुराम राजन ने अपने कार्यकाल की अंतिम मौद्रिक नीति समीक्षा पेश की। महंगाई के फिर से बढ़ने के खतरे को देखते हुए उन्होंने नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया। लेकिन यह सिर्फ राजन की अंतिम मौद्रिक नीति के तौर पर ही नहीं जानी जाएगी, बल्कि गवर्नर के ‘वीटो पावर’ के अधिकार वाली भी यह अंतिम पॉलिसी होगी। आगामी चार अक्टूबर को रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के नए गवर्नर और केंद्र की तरफ से गठित मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की अगुआई में मौद्रिक नीति की समीक्षा होगी। अब ब्याज नीतिगत दरों को समिति के सभी सदस्यों के मताधिकार के आधार पर तय किया जाएगा न कि आरबीआइ गवर्नर के विवेक के पर। बहरहाल, राजन ने रेपो रेट और बैंक दर को मौजूदा स्तर क्रमश: 6.50 और सात फीसद पर बरकरार रखा है। रेपो रेट वह दर है जिस पर बैंक आरबीआइ से कम अवधि के कर्ज लेते हैं और बैंक दर पर लंबी अवधि के लोन प्राप्त करते हैं। इन वैधानिक दरों में कटौती होती तो आम जनता व उद्योग को सस्ते कर्ज मिलने की राह खुलती। लेकिन राजन ने कहा कि अभी महंगाई का खतरा पूरी तरह टला नहीं है। हालांकि उन्होंने यह भी माना कि महंगाई के बेकाबू होने का खतरा भी फिलहाल नहीं है। यही वजह है कि मार्च, 2017 तक महंगाई दर को पांच फीसद पर स्थिर रखने को लेकर वह आश्वस्त दिखे। मानसून की स्थिति को देखते हुए खरीफ उत्पादन में काफी बढ़ोतरी होने के आसार हैं। इससे महंगाई में कुछ नरमी भी आ सकती है। जानकार भी मान रहे हैं कि चालू वित्त वर्ष के शेष महीनों में ब्याज दरों में कटौती के पूरे आसार हैं। औद्योगिक उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार भी यही चाहती है। अपने कार्यकाल के अंतिम कुछ महीनों के दौरान कुछ लोगों की तरफ से आलोचना का शिकार बने राजन ने उन्हें खास तवजो नहीं दी। आलोचना करने वालों पर तो नहीं, लेकिन राजन ने बैंकों के रवैये पर जरूर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि बैंकों ने आरबीआइ की तरफ से पिछले वित्त वर्ष के दौरान रेपो रेट में 1.50 फीसद की कमी का पूरा फायदा ग्राहकों को नहीं दिया। बैंकों ने कर्ज दरों में सिर्फ 0.60 फीसद की कटौती की है। बैंक इसके लिए हमेशा एक नया बहाना लेकर आ रहे हैं। आरबीआइ गवर्नर राजन का कार्यकाल चार सितंबर को समाप्त हो रहा है। उनकी जगह पर आरबीआइ के नए गवर्नर के चयन की प्रक्रिया जारी है। राजन ने 18 जून को ही सरकार को बता दिया था कि वह गवर्नर पद पर आगे नहीं बने रहना चाहते हैं।अपने तीन वर्ष के कार्यकाल के दौरान मैंने एक-एक दिन का आनंद उठाया है। हर दिन कुछ बेहतर करने की कोशिश की है। आलोचना करने वाले हमेशा होते हैं, लेकिन मुझे कई लोगों ने ‘थैंक यू’ नोट भी भेजा है।
• रेपो दर 6.50 फीसद और रिवर्स रेपो छह फीसद पर बरकार
• नकद आरक्षी अनुपात (सीआरआर) चार फीसद पर बरकार
• मुद्रास्फीति मार्च 2017 तक पांच फीसद के लक्ष्य से ऊपर जाने का जोखिम
• मानसून सामान्य, सातवें वेतन के लागू होने से आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहन मिलेगा
• जीएसटी से कारोबारियों का विश्वास , निवेश बढ़ेगा
• जीएसटी को अप्रैल 2017 से लागू करना चुनौतीपूर्ण
• जीएसटी से महंगाई बढ़ने की अभी से बात करना जल्दबाजी दविदेशी बांडों (एफसीएनआर-बी) के भुगतान से बाजार में उथल पुथल का डर नहीं
• बैंकों ने नीतिगत दरों में कटौती का अब तक ग्राहकों मामूली फायदा ही दिया है
• अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी) संबंधी नियमों पर सामान्य प्रश्नों के तैयार उत्तर आरबीआई की वेबसाइट पर
• धन की सीमांत लागत पर आधारित ऋण की ब्याज दर के नियमों में बदलाव होगा
• विदेशी मुद्रा भंडार 365.7 अरब डालर के रिकार्ड स्तर पर
• चौथी द्वैमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा चार अक्टूबर को होगी
6. बैंकों के ऋण वसूली संबंधी बिल पर संसद की मुहर:- सरकारी बैंकों में गैर निष्पादित परसंपत्तियों (एनपीए) में कमी लाने तथा जानबूझकर ऋण नहीं चुकाने वालों से वसूली को आसान बनाने के प्रावधानों वाले विधेयक को मंगलवार को राज्यसभा से मंजूरी मिलने के साथ ही इस पर संसद की मुहर लग गयी। लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है। लोकसभा से पारित प्रतिभूति हितों का प्रवर्तन और ऋण वसूली विधि एवं प्रकीर्ण उपबंध (संशोधन) विधेयक 2016 को राज्यसभा ने ध्वनिमत से पारित कर दिया। इससे पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस विधेयक पर हुई र्चचा का जबाव देते हुए कहा कि सरकारी बैंकों की वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए सरकार कटिबद्ध है और ऋण देना नकारात्मक गतिविधि नहीं है। बैंकिंग कारोबार की यह सामान्य प्रक्रिया है। बैंकों के ऋण नहीं देने से आर्थिक गतिविधियां थम जाएंगी और ऋण की मांग बढ़ना अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी बात है। उन्होंने कहा कि बैंकों की वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए ही पिछले दो वित्त वर्षो में बैंकों को 50 हजार करोड़ रूपये की पूंजी दी गई है। उन्होंने कहा कि ऋण के गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) में बदलना और जोखिम में फंसना चिंता की बात है। छोटे ऋण लेने वाले भुगतान करते हैं और यही कारण है कि देश में माइक्रोफाइनेंस कंपनियां सफल हो रही है। मुद्रा ऋण भी इसी वजह से सफल रहा है। हालांकि कृषि ऋण और शिक्षा ऋण में कुछ समस्याएं हैं, लेकिन फसल बीमा के जरिये किसानों को राहत पहुंचाने के उपाय किये गये हैं। जेटली ने कहा कि कुछ क्षेत्र हैं, जिसकी वजह से एनपीए में बढ़ोतरी हुयी है। चीन के सस्ते स्टील की वजह से भारतीय कंपनियों पर दबाव बना है और इसकी वजह से इस क्षेत्र में एनपीए बढ़ा है। इसके साथ ही पावर क्षेत्र में भी एनपीए बढ़ा है। कोयला ब्लाकों के रद्द होने से और सरकारी बिजली वितरण कंपनियों के खरीद से कम मूल्य पर बिजली बेचने की वजह से इस क्षेत्र में एनपीए बढ़ा है। इसके साथ ही हाइवे, इन्फ्रास्ट्रक्चर और कपड़ा जैसे क्षेत्र भी एनपीए बढ़ाने में शामिल हैं। हालांकि अब इनके लिए उपाय किए गए हैं और तनाव वाले क्षेत्रों में सुधार होने लगा है। उन्होंने उद्योगपति विजय माल्या का नाम लिए बगैर कहा कि कोई व्यक्ति ऋण लेकर विदेश में जाकर रहने लगता है और अब उसका वकील अदालतों में उसका प्रतिनिधित्व कर रहा है। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए इस संशोधित विधेयक में इलेक्ट्रानिक अदालतें बनाने का प्रस्ताव है, जहां सिर्फ आनलाइन आवदेन करने की जरूरत होगी। ऋण वसूली अपीलीय न्यायाधिकरण में किसी को जाने की जरूरत नहीं होगी और पूरी प्रक्रिया आनलाइन हो जायेगी। संबंधित व्यक्ति को आनलाइन जवाब देना होगा और 180 दिनों में अपीलीय न्यायाधिकरण को अपना निर्णय देना होगा।


7. स्प्रैटली द्वीप समूह पर लड़ाकू विमानों के लिए बनाए हैंगर:- अंतरराष्ट्रीय टिब्यूनल के फैसले के बाद से चीन दक्षिण चीन सागर को सैन्य ठिकाने के तौर पर तब्दील करने में जुटा है। उसने विवादित क्षेत्र के स्प्रैटली द्वीप समूह के फायरी क्रॉस, सुबी और मिसचीफ रीफ पर लड़ाकू विमानों के रुकने के लिए हैंगर बनाए हैं। लड़ाकू विमान न केवल यहां उतर सकते हैं, बल्कि डेरा भी डाल सकते हैं। सुरक्षा मामलों पर नजर रखने वाले अमेरिकी थिंक टैंक ने यह बात कही है। करीब एक महीने पहले अंतरराष्ट्रीय टिब्यूनल ने इस क्षेत्र पर चीन का एकाधिकार खारिज कर दिया था, लेकिन बीजिंग ने इस फैसले को ठुकरा दिया था। सेंटर फॉर स्ट्रैटजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (सीएसआइएस) के मुताबिक यहां पर चीनी वायुसेना के विमान लैंड करने के साथ ही ठहर भी सकते हैं। यह एयरफोर्स स्टेशन के तौर पर काम कर सकेगा। जुलाई में द्वीप समूह के लिए गए चित्रों के विश्लेषण से इसका पता चला है। संस्था ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘इस साल की शुरुआत में सैन्य मालवाहक विमान फायरी क्रॉस रीफ पर उतरा था। इसके बाद से विवादित द्वीप पर सैन्य विमानों को तैनात करने के कोई सुबूत नहीं मिले हैं। लेकिन, तीनों द्वीपों पर तेज गति से हैंगर के निर्माण को देखते हुए परिस्थितियां जल्द ही बदल सकती हैं।’ मालूम हो कि बीजिंग दक्षिण चीन सागर के अधिकांश हिस्से पर अपना दावा ठोकता है। फिलीपींस, वियतनाम, मलेशिया, ताइवान और ब्रुनेई भी इसके अलग-अलग हिस्सों पर अपना दावा बताते हैं। वहीं, अमेरिका इस पूरे क्षेत्र को स्वतंत्र नौवहन क्षेत्र मानता है। चीनी क्षा मंत्रलय ने मंगलवार को भी इन द्वीपों पर अधिकार की बात दोहराई।
पूर्वी चीन सागर पर जापान सख्त : पूर्वी चीन सागर में चीन की घुसपैठ पर जापान ने कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। टोक्यो ने मंगलवार को चीन को स्पष्ट शब्दों में संबंध और बिगड़ने की चेतावनी दी है। सेनकाकू द्वीप के समीप चीनी तटरक्षक बल की गतिविधियां बढ़ने के बाद दोनों देशों के बीच तनाव गहरा गया है। जापान के विदेश मंत्री फुमियो किशिदा ने मंगलवार को चीनी राजदूत चेंग योंगहुआ को दोबारा तलब किया और सख्त नाराजगी जताई। योंगहुआ को शुक्रवार को भी तलब किया गया था। दक्षिण चीन सागर पर चीन ने भारत को स्पष्ट तौर पर चेतावनी दी है। उसने नई दिल्ली को इस विवाद से दूर रहने और अपने आर्थिक हितों पर ध्यान देने की सलाह दी है। चीन के विदेश मंत्री वेंग येई 13 अगस्त को भारत दौरे पर आने वाले हैं। सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने कहा है, ‘अगर भारत आर्थिक सहयोग के लिए अनुकूल माहौल की इछा रखता है तो उसे वेंग की यात्र के दौरान दक्षिण चीन सागर के मसले पर अनावश्यक रूप से उलझने से बचना होगा। दोनों देशों के बीच फिलहाल भारत निर्मित वस्तुओं पर चुंगी कम करने को लेकर बातचीत चल रही है। यदि भारत, चीन से उदार रवैया अपनाने की अपेक्षा रखता है तो ऐसे मौके पर बीजिंग के साथ संबंधों को खराब करना मूर्खता होगी।’ अगले महीने चीन में जी-20 की बैठक प्रस्तावित है। इसे देखते हुए चीन दक्षिण सागर पर ज्यादा से ज्यादा देशों को अपनी तरफ करने की कोशिशों में जुटा है।

दैनिक समसामयिकी 09 August 2016(Tuesday)


1.जीएसटी के लिए जरूरी संविधान संशोधन (122वां) विधेयक लोस से भी पारित:- अब जबकि देश में जीएसटी लागू कर एक टैक्स व्यवस्था लाने की दिशा में एक और कदम बढ़ा दिया गया है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे ग्राहकों को ‘किंग’ बनाने वाला विधेयक बताया है। लोकसभा में इस विधेयक पर जारी चर्चा में हिस्सा लेते हुए मोदी ने जीएसटी को देश में टैक्स आतंक खत्म करने वाला बताया जो अप्रत्यक्ष कर संग्रह की पूरी व्यवस्था को पारदर्शी बनाएगा और भ्रष्टाचार को कम करने में भी मदद करेगा। दशक भर की राजनीतिक जद्दोजहद के बाद पिछले हफ्ते राज्य सभा से पारित जीएसटी संविधान (122वां) विधेयक सोमवार को लोकसभा में करीब छह घंटे की चर्चा के बाद सर्वसम्मति से पास हो गया। कांग्रेस की ओर से 18 फीसद कैपिंग और इसे मनी बिल के रूप में न लाने की मांग को परोक्ष तौर पर फिर से नकार दिया गया। संविधान संशोधन का यह विधेयक लोकसभा में 443 मतों से पारित हुआ। अन्नाद्रमुक के सदस्यों ने वित्त मंत्री के जवाब से असंतुष्टि प्रकट करते हुए सदन से बहिर्गमन किया। फिर भी पिछले कई वर्षो में सोमवार को ऐतिहासिक सर्वसम्मति दिखी। एक संशोधन को छोड़कर किसी भी मुद्दे पर कोई नकारात्मक वोटिंग नहीं हुई, हालांकि इसकी वजह गफलत ज्यादा रही। अब सरकार की कोशिश इस विधेयक को जल्दी से जल्दी रायों के विधानमंडलों से पारित करवाने की होगी। देश के 16 से ज्यादा राज्यों के विधानमंडलों को इसकी मंजूरी देनी होगी। सरकार ने पहले ही तैयारी कर ली है कि राजग शासित राज्यों इसी महीने इसे अपनी विधानसभा से पारित करा देंगे। जबकि सितंबर तक बाकी के जरूरी राज्यों से भी सहमति के आसार हैं। सरकार की मंशा इसे अप्रैल, 2017 से लागू करने की है। लोकसभा में चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने यह आश्वासन देने से एक तरह से मना कर दिया कि जीएसटी विधेयक मनी बिल के रूप में नहीं लाया जाएगा। साथ ही उन्होंने स्थानीय निकायों के राजस्व के संबंध में क्षेत्रीय दलों की चिंता दूर करते हुए कहा कि राज्य अपने हिस्से के जीएसटी से इन निकायों को राशि दे सकते हैं। लोकसभा में संशोधन विधेयक पेश किया गया तो प्रधानमंत्री करीब ढाई घंटे तक वहां उपस्थित रहे। कांग्रेस की तरफ से जीएसटी विधेयक के असली ‘जन्मदाता’ होने का दावा पेश करने के बीच पीएम ने कहा कि इसका पारित होना न तो किसी दल की सफलता है और न ही किसी सरकार की।
पांच तरीके से मदद
• छोटे उद्यमियों को दूसरे तरीके से भी फायदा होगा क्योंकि इससे औसतन 13 किस्मों के कर खत्म होंगे। मोदी ने जीएसटी को अर्थव्यवस्था को पांच तरीके से मदद पहुंचाने की बात कही।
• अपने अंदाज में उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए पांच एम की जरूरत होगी जिसे जीएसटी पूरा करता है।
• ये हैं: मनी (निवेश), मैन (श्रम), मशीन, मेटेरियल (उत्पाद) और मिनट (समय)। एक अंतरराष्ट्रीय शोध का हवाला देते हुए मोदी ने कहा कि सिर्फ चुंगी प्रथा खत्म होने की वजह से ही 1.40 लाख करोड़ रुपये की बचत होगी।
• चुंगी की वजह से ट्रकों का काफी समय बर्बाद होता है जो अब नहीं होगा। इससे पर्यावरण को लाभ होगा। देश को कम पेट्रोलियम उत्पाद आयात करना होगा जिससे भी बचत होगी।
2. अब जीएसटी कौंसिल के हाथों में होगी कमान :- जीएसटी की दर क्या होगी? जीएसटी के दायरे में किन उत्पादों को रखा जाएगा या कौन से उत्पाद बाहर रहेंगे? इसे लेकर राजनीतिक दलों में अब भी स्पष्टता नहीं है। लोकसभा में जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान कई सदस्यों ने इन सवालों को उठाया। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने चर्चा का जवाब देते हुए विस्तार से सदन को समझाया कि अब सारी कमान जीएसटी काउंसिल के हाथों में होगी और वही इन सब मसलों के जवाब तलाशेगी। वित्त मंत्री ने बताया कि राज्यों की विधानसभाओं और फिर राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद इस कानून को धरातल पर उतारने की जिम्मेदारी जीएसटी काउंसिल के हाथों में होगी। निर्णय लेने की शक्तियां केंद्र और राज्य से निकलकर जीएसटी काउंसिल में आ जाएंगी जो सामूहिक तौर पर महत्वपूर्ण निर्णय करेगी। सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों की सदस्यता वाली इस काउंसिल की अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री करेंगे। यह काउंसिल कितनी महत्वपूर्ण है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रस्तावित जीएसटी विधेयक का मसौदा भी यही तैयार करेगी। जीएसटी दर 18 प्रतिशत निर्धारित करने की कांग्रेस सदस्यों की मांग के संबंध में भी वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी दरें तय करने का अधिकार जीएसटी काउंसिल के पास होगा। गौरतलब है कि तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक जैसे मैन्यूफैक्चरिंग राज्यों से एक फीसद अतिरिक्त कर की दर वापस लेने के फैसले की आंच जीएसटी काउंसिल में दिख सकती है। यही कारण है कि तमिलनाडु की अन्नाद्रमुक ने दोनों सदनों में विरोध जताते हुए वाकआउट किया। विभिन्न वस्तुओं पर कर की दर तय करने में ऐसे कई मुद्दे जीएसटी काउंसिल के लिए चुनौती बनेंगे। दर की अधिकतम सीमा तय करने की मांग पर कांग्रेस नेता मल्लिकाजरुन खड़गे पर कटाक्ष करते हुए कहा कि कांग्रेस 2015 से पहले खुद नहीं जानती थी कि टैक्स दर क्या रखी जाए और आज वह कैपिंग की बात कर रही है। उन्होंने कहा कि टैक्स दर ऐसी होनी चाहिए जिससे राज्यों और केंद्र को राजस्व का नुकसान न हो। टैक्स की अधिकतम सीमा तय करवाने से पहले कांग्रेस को खुद कांग्रेस शासित राज्यों के वित्त मंत्रियों से पूछना चाहिए कि वे जीएसटी की दर कितने प्रतिशत रखना चाहते हैं। जेटली ने कहा कि केरल के वित्त मंत्री ने जीएसटी की दरें 22 प्रतिशत रखने की बात कही है, वहीं कुछ अन्य रायों ने 20 प्रतिशत की बात कही है। लेकिन हकीकत यह है कि यह दर कितनी होगी, इसका फैसला सभी राज्य मिलकर जीएसटी परिषद में करेंगे। जेटली ने कहा कि अभी हम संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा करे रहे हैं जो केवल जीएसटी काउंसिल के गठन का अधिकार देता है। लेकिन अधिकांश सदस्य उन सभी विषयों को उठा रहे हैं जिन्हें इस काउंसिल के जरिए ही हल होना है। दो या दो से अधिक राज्यों या केंद्र और रायों के बीच होने वाले विवाद का निपटारा कैसे हो, इसका तंत्र भी इसी जीएसटी काउंसिल को तय करना है। वित्त मंत्री ने कहा कि इन सब सवालों के जवाब उनके पास नहीं हैं। इन्हें जीएसटी काउंसिल को ही ढूंढना है और उसमें तकरीबन सभी राजनीतिक दलों के नुमाइंदे वित्त मंत्री के तौर पर शामिल होंगे।
3. 7000 भारतीयों को मिली मलयेशिया की नागरिकता:- मलाया को ब्रिटेन से आजादी मिलने से पहले वहां जन्मे लगभग 7,000 भारतीयों को अफसरशाही से कई साल तक लड़ने के बाद अंतत: मलेशियाई नागरिकता मिल गई है।मलयेशियन इंडियन कांग्रेस (एमआईसी) के अध्यक्ष एस सुब्रमण्यम ने कहा, अब तक लगभग 7,000 भारतीयों को नागरिकता मिल गई है लेकिन बहुत से लोगों का पंजीकरण अभी बाकी है। उन्होंने कहा, औसत तौर पर, नागरिकता हासिल करने के लिए संभवत: 15 हजार से ज्यादा भारतीयों का पंजीकरण अभी बाकी है। इस मुद्दे के हल तक यह प्रक्रि या जारी रहेगी। रविवार को यहां मुरूगन सेंटर द्वारा आयोजित धार्मिक उत्सव ‘‘कल्वी यथिरई’ में शामिल होने के बाद उन्होंने कहा, हम इसे तत्काल सुलझाने के तरीके खोजेंगे। प्रधानमंत्री नजीब रजाक ने हाल ही में कहा था कि जिन्हें अभी नागरिकता नहीं मिली है, उन्हें अपना अधिकार प्राप्त करना चाहिए।सुब्रमण्यम ने उम्मीद जताई के सरकार जातीय भारतीयों के लिए नागरिक पंजीकरण प्रक्रि या को आसान बनाएगी। इसके लिए वह मौजूदा प्रक्रिया तेजी लाने के लिए मौजूदा लालफीताशाही को कम करेगी।
4. अब सुपरफास्ट मालगाड़ी :नागालापल्ली और तुगलकाबाद के बीच सारणीबद्ध ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर किया रवाना:- रेल बजट में पहली बार माल भाड़े में कटौती की घोषणा के मद्देनजर भारतीय रेलवे ने माल ढुलाई क्षेत्र में बड़े पैमाने पर सुधारों की तैयारी शुरू कर दी है। सुधारों की रफ्तार बढ़ने से आने वाले दिनों में रेलवे को बहुत फायदा होगा।रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने सोमवार कहा, ‘‘हमारे देश में समय-सारणी के मुताबिक माल गाड़ी नहीं चलने की वजह से ज्यादातर माल रेलवे के पास नहीं आता। मालगाड़ी कब पहुंचेगी यह कोई नहीं जानता।’ प्रभु ने यहां सकिंदराबाद स्टेशन पर नागलपल्ली-तुगलकाबाद के बीच समय-सारणीबद्ध (साप्ताहिक) ट्रेन को हरी झंडी दिखाने के बाद कहा, ‘‘इस स्थिति में बदलाव के लिए हमने एक कार्यक्र म शुरू किया है और दो जोड़ी समय-सारणीबद्ध रेलगाड़ियां (कागरे एक्सप्रेस) चली हैं और मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि वे अपने गंतव्य तक सुपरफास्ट तरीके से चलते हुए तय समय से पहले पहुंचीं।’उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, रेलवे की दो तिहाई आमदनी माल ढुलाई से होती है, लेकिन हमने इस पर कभी ध्यान नहीं दिया और इसकी उपेक्षा करने से रेलवे की माल ढुलाई में हिस्सेदारी कम हुई है और आने वाले दिनों में यह चिंता का विषय होगा कि रेलवे इसमें अपनी मदद कैसे करेगी।’ प्रभु ने कहा, ‘‘इस तरह, रेलवे बजट के इतिहास में पहली बार इस साल से हमने माल ढुलाई में कटौती की प्रक्रि या शुरू की है। देश में माल ढुलाई क्षेत्र में सुधार कल्पनातीत है और सुधार से आने वाले दिनों में रेलवे को फायदा होगा।’उन्होंने कहा कि देश में रेलवे ऊर्जा का सबसे बड़ा उपयोक्ता है। ऊर्जा का उपयोग उचित तरीके से किया जाना चाहिए और बिजली की लागत कम करने के लिए कई पहलें करने की जरूरत है। मंत्री ने कहा, ‘‘रेलवे के अस्तित्व के लिए (ऊर्जा पर व्यय घटाकर) लागत कम करना जरूरी है। यह अस्तित्व का सवाल है और हमने ऊर्जा की बचत के लिए बड़ी नीतियां बनाई हैं।’ उन्होंने कहा कि पिछले दो साल में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने रेल बजट यात्रियों की सुविधाओं को ध्यान में रखकर बनाया है और बजट में आम आदमी के लिए सब कुछ है। रेल मंत्री ने कहा, ‘‘यात्रियों के लिए लिफ्ट, एलीवेटर, ई-टिक, मांग के अनुरूप खानपान की व्यवस्था, मशीनों से कपड़ों की धुलाई, नए दीन दयाल डब्बे जैसी सुविधाओं पर बड़ा निवेश किया जा रहा है।’प्रभु ने इस समारोह में ही 11,307 गुलबर्गा-हैदराबाद दैनिक इंटरसिटी एक्सप्रेस और 11,083 मुंबई एलटीटी-काजीपेट साप्ताहिक तादोबा एक्सप्रेस को वीडियो रिमोट लिंक के जरिए झंडी दिखाकर रवाना किया। उन्होंने कहा कि लंबे समय से लटकी पड़ी ये दोनों मांग अब पूरी हो गई हैं।
5. देश में 111 नदियों में बनाए जाएंगे जलमार्ग : सरकार:- सरकार ने सोमवार को कहा कि देश में 111 नदियों में जलमार्ग बनाए जाएंगे जिससे काफी फायदा होगा। राज्यसभा में पोत परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने पूरक प्रश्नों के जवाब में कहा कि देश में गंगा सहित 111 नदियों में जलमार्ग बनाने का प्रस्ताव है जो एक क्रांतिकारी बदलाव होगा। यह काफी लाभकारी साबित होगा। उन्होंने कहा कि अभी देश में जलमागरे की हिस्सेदारी महज 3.6 प्रतिशत की है और 2018 तक इसे सात प्रतिशत से अधिक तक ले जाने के प्रयास किए जा रहे हैं।मंत्री ने कहा कि नए जलमागरे के विकास से मछुआरों पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा, बल्कि इसके विपरीत उन्हें लाभ होगा। उन्होंने कहा कि चीन में जलमार्ग परिवहन की हिस्सेदारी 47 प्रतिशत है। कोरिया और जापान में यह 40 प्रतिशत से अधिक है। यूरोपीय देशों में भी जलमार्ग महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। गडकरी ने कहा कि सरकार 2018 तक जलमागरे की हिस्सेदारी को सात प्रतिशत से अधिक तक ले जाना चाहती है।उन्होंने गंगा नदी से जुड़ी परियोजनाओं का ब्योरा भी दिया और कहा कि लक्ष्य यह है कि 2020 तक इससे 200 लाख टन माल का निर्यात होगा। मंत्री ने नदियों के पानी में संचालित विभिन्न क्र ूजों का भी ब्योरा दिया और कहा कि इस महीने 12 अगस्त को वह वाराणसी से दो और पोतों का उद्घाटन करेंगे।जलमागरे के विकास से मछुआरा समुदाय को नुकसान होने की आशंकाओं पर गडकरी ने कहा कि वह यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि जलमागरे के विकास का मछुआरों के लिए सकारात्मक असर होगा क्योंकि वे अपने मछली उत्पादन को बढ़ा सकेंगे जिससे इसका निर्यात भी बढ़ेगा। उन्होंने यह भी कहा कि नदी यातायात पण्राली लगाए जाने से मछुआरों को जीपीएस के जरिए बाढ़ आदि की संभावना की बेहतर सूचना मिल सकेगी। मंत्री ने बताया कि मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड एक प्रायोगिक संचालन शुरू करेगी जिसके तहत इस महीने राष्ट्रीय जलमार्ग-। के जरिए वाराणसी से कोलकाता तक इसकी कारों को परिवहन किया जाएगा।

दैनिक समसामयिकी 08 August 2016(Monday)

1. सुप्रीम कोर्ट का जाट आरक्षण रद करने का फैसला पूर्व प्रभाव से लागू:- केंद्रीय नौकरियों में जाटों को आरक्षण पर केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) ने महत्वपूर्ण फैसला दिया है। कैट ने कहा है कि जाट आरक्षण रद करने वाला सुप्रीम कोर्ट का फैसला पूर्व प्रभाव से लागू माना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय नौकरियों में जाटों को आरक्षण देने वाली अधिसूचना शुरुआत से ही यानी जारी होने की तिथि से रद घोषित की है। ऐसे में जिन्हें अधिसूचना जारी होने के बाद नियुक्ति के लिए पेशकश पत्र (ऑफर लैटर) मिला था वह भी खत्म और शून्य माना जाएगा। इस व्याख्या के साथ कैट ने एम्स कर्मी दीपक तुशीर की नौकरी बहाली की गुहार लगाने वाली याचिका खारिज कर दी। इस मामले में खास बात ये थी कि तुशीर को दिल्ली एम्स में ओबीसी कोटे में फार्मेसिस्ट ग्रेड टू पद का ऑफर लैटर 31 मार्च, 2014 को जारी हुआ था। इससे पहले 4 मार्च, 2014 को केंद्र सरकार ने नौ रायों के जाटों को ओबीसी की केंद्रीय सूची में शामिल करने की अधिसूचना जारी की थी। यानी कि जिस समय तुशीर को ऑफर लैटर जारी हुआ जाट आरक्षण की अधिसूचना लागू थी। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने 17 मार्च, 2015 को जाट आरक्षण रद कर दिया था। जाट कोटे से नौकरी मांग रहा तुशीर तय समय में क्रीमी लेयर न होने का ओबीसी प्रमाणपत्र नहीं दे पाया था जिसके चलते एम्स ने उसका नियुक्ति ऑफर वापस ले लिया था। तुशीर ने ढाई महीने देरी से प्रमाणपत्र दिया था जिसे एम्स ने नहीं माना। एम्स के वकील राजकुमार गुप्ता का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट जाट आरक्षण रद कर चुका है। इस संबंध में अधिसूचना जारी होने की तिथि से निरस्त हुई है। जिसका मतलब है कि जाट आरक्षण कभी लागू ही नहीं था। ऐसे में उसके तहत कोटे की मांग नहीं की जा सकती। जबकि, तुशीर के वकील का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला उसे ऑफर लैटर जारी होने के बाद आया है इसलिए वह फैसला उस पर लागू नहीं होगा। कैट ने तुशीर की दलीलें खारिज करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय कानून के मुताबिक आज की तारीख में जाट केंद्रीय नौकरियों में नियुक्ति के लिए ओबीसी श्रेणी में नहीं आते। फैसला सिर्फ आगे की तिथि से लागू होगा ये घोषित करने का अधिकार केवल सुप्रीम कोर्ट को है। टिब्यूनल या अन्य अदालत ऐसा घोषित नहीं कर सकती। जाट आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ये नहीं कहा है कि उसका फैसला सिर्फ आगे की तिथि से लागू होगा। ऐसे में जाटों को आरक्षण देने वाली केंद्र सरकार की 4 मार्च, 2014 की अधिसूचना जारी होने की तिथि से ही रद मानी जाएगी।
2. जीएसटी पर आज लगेगी संसद की मुहर:- बहुप्रतीक्षित जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक पर सोमवार को संसद की मुहर लग जाएगी। राज्य सभा से 11 संशोधनों के साथ पारित इस विधेयक को दोबारा लोकसभा में पेश किया जाएगा। विधेयक पर होने वाली चर्चा को ऐतिहासिक बनाने के लिए खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी हिस्सा लेने की संभावना है।देश में अप्रत्यक्ष कर की एक व्यवस्था लागू करने के लिए संविधान में 122वां संशोधन किया जा रहा है। लोकसभा में जीएसटी विधेयक के मूल स्वरूप को मई 2015 में पारित किया गया था। बीते सप्ताह तीन अगस्त को राज्य सभा ने इसे 11 संशोधनों के साथ सर्वसम्मति से पारित किया। इन संशोधनों को लोकसभा की मंजूरी लेनी है। इसके बाद ही इसे राज्यों की विधानसभाओं में पारित कराने के लिए भेजा जा सकेगा। सरकार ने विपक्ष के साथ सहमति बनाने के बाद ही इसमें संशोधनों का प्रस्ताव किया था। सदन ने उसके सभी संशोधनों को स्वीकार कर लिया था। सोमवार को लोकसभा की कार्यवाही में अन्य किसी महत्वपूर्ण विधायी कार्य को शामिल नहीं किया गया है। दोपहर 12 बजे दस्तावेजों के पटल पर रखे जाने के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली रायसभा से पारित विधेयक पेश करेंगे। आमतौर पर किसी दूसरे सदन से विधेयक की वापसी पर चर्चा नहीं कराई जाती है। लेकिन जीएसटी के महत्व को देखते हुए लोकसभा में इस पर चर्चा होगी। सरकार खुद चाहती है कि यह ऐतिहासिक अवसर बने और ज्यादा से ज्यादा सांसद इस कार्यवाही में हिस्सा लें। इस मौके को विपक्ष भी हाथ से नहीं गंवाना चाहता। लिहाजा कांग्रेस ने भी अपने सभी सांसदों को लोकसभा में उपस्थित रहने के लिए व्हिप जारी की है। कांग्रेस के मुख्य सचेतक जयोतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि जीएसटी देश के लिए महत्वपूर्ण है। हम इस विधेयक में संशोधन का लोकसभा में समर्थन करेंगे। उधर भाजपा ने अपने सभी सांसदों को सदन में उपस्थित रहने को कहा है। इसके साथ ही वह चाहती है कि सभी दलों के अधिक-से-अधिक सांसद उपस्थित रहें। हालांकि राज्य सभा की भांति लोकसभा में भी अन्नाद्रमुक सांसदों के वाकआउट करने की संभावना है।
ये हैं अहम संशोधन
• उत्पादक राज्यों के लिए एक फीसद अतिरिक्त दर के प्रावधान को वापस लिया जाएगा
• रायों के हिस्से वाले जीएसटी के संग्रह को केंद्र की समेकित निधि का हिस्सा नहीं बनाया जाएगा।
• केंद्र द्वारा संग्रह किया जाने वाला केंद्रीय जीएसटी का हिस्सा राज्यों और केंद्र में वितरित किया जाएगा।
• सरकार ने आइजीएसटी (इंटीग्रेटेड जीएसटी) का नाम बदलकर अंतररायीय व्यापार पर लगने वाला जीएसटी कर दिया है।
• आइजीएसटी में राज्यों की हिस्सेदारी भारत की संचित निधि का हिस्सा नहीं होगी।
• केंद्र को जीसीएसटी और आइजीएसटी के रूप में जो राशि प्राप्त होगी उसका वितरण केंद्र और राज्यों के बीच में होगा।
• केंद्र और राज्यों तथा विभिन्न राज्यों के बीच विवाद की स्थिति में निर्णय करने वाले तंत्र की स्थापना जीएसटी काउंसिल करेगी।
3. नए संविधान पर थाइलैंड की जनता की मुहर:- थाइलैंड की जनता ने रविवार को सेना समर्थित नए संविधान के पक्ष में मतदान किया। आलोचकों ने यह संदेह जाहिर किया है कि इस संविधान से सत्ता पर सेना की अपनी पकड़ और मजबूत कर सकती है। जनमत संग्रह में देश के करीब पांच करोड़ मतदाताओं से यह पूछा गया कि ‘क्या आप मसौदा संविधान को स्वीकार करते हैं?’ इसका जवाब ‘हां’ या ‘नहीं’ में देना था। ‘हां’ के पक्ष में मतदाताओं का बहुमत मिलने से यह मसौदा संविधान बन जाएगा। इसके लिए रविवार को मतदान कराया गया और उसी दिन मतों की गिनती भी शुरू हो गई। चुनाव आयोग के अनुसार, अब तक 86 फीसद मतों की गिनती हो चुकी है। इसमें से 62 फीसद ने इसका समर्थन किया है। नए संविधान से अगले साल चुनाव कराए जाने का मार्ग प्रशस्त हो सकता है। नए संविधान के समर्थकों का कहना है कि इससे राजनीतिक उथल-पुथल खत्म करने में मदद मिलेगी। जबकि आलोचकों के मुताबिक, इससे सेना की पकड़ मजबूत होगी। इस मसौदे के खिलाफ अभियान चलाने वाले दर्जनों लोगों को हिरासत में लिया गया। देश की बड़ी राजनीति पार्टियां इस संविधान को खारिज कर चुकी हैं। बैंकाक में पोलिंग स्टेशन पर मत डालने के बाद प्रधानमंत्री प्रयुथ चान-ओ-चा ने कहा, ‘मतदान करने के लिए निकलें क्योंकि देश के भविष्य के लिए आज का दिन महत्वूपर्ण है।’ देश में 2014 में सैन्य तख्तापलट के बाद पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर चुनाव कराया गया है।
4. जलवायु परिवर्तन से विश्व धरोहरों को खतरा :- आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आइएस) से ही धरोहर स्थलों को खतरा नहीं है बल्कि जलवायु परिवर्तन भी इनका विनाश कर सकता है। वेनिस जैसे शहर, स्टैयू ऑफ लिबर्टी और मानव इतिहास की ऐसी अन्य धरोहरों पर जलवायु परिवर्तन का खतरा मंडरा रहा है।यूनेस्को के वल्र्ड हेरिटेज सेंटर की निदेशक मेशटिल्ड रॉसलर ने कहा कि संभवत: मेरे जीवनकाल में ही प्राकृतिक और सांस्कृतिक विश्व धरोहर स्थल नष्ट हो जाएंगे या समुद्र में समा जाएंगे। फ्लोरिडा डूब सकता है और वेनिस रहने लायक नहीं रह जाएगा। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी में स्मारकों को सबसे बड़ा खतरा आतंकियों से है लेकिन वैश्विक तौर पर जलवायु परिवर्तन भी हमारे जीवन को प्रभावित करेगा। रॉसलर हाल ही में भारत दौरे पर थीं। इसके अलावा यूनेस्को ने वल्र्ड हेरिटेज एंड टूरिम रिपोर्ट में कहा है कि जलवायु परिवर्तन प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहर स्थलों के लिए तेजी से बड़ा खतरा बनता जा रहा है। इसका प्रभाव व्यापक है। प्रशांत या अंडमान क्षेत्र में मूल निवासियों के स्थानों पर आने वाले खतरों के प्रति तैयार रहना चाहिए। रिपोर्ट में जिन स्थानों पर खतरा मंडरा रहा है, उसमें अमेरिका में स्टैयू ऑफ लिबर्टी, येलोस्टोन पार्क और पेरू तथा ब्राजील के कई जंगलों को शामिल किया गया है। रॉसलर ने सीरिया के पाल्मीरा में आतंकियों द्वारा नष्ट की गई कलाकृतियों और धरोहरों का हाल ही में जायजा लिया है। उन्होंने कहा सीरिया का अलेप्पो शहर पूरी तरह बर्बाद हो गया है। उन्होंने युद्धग्रस्त क्षेत्रों में पुनर्निर्माण की बात कही। दुनियाभर में कुल 1,052 विश्व धरोहर स्थल हैं। इनमें करीब 50 को लुप्तप्राय स्थलों की सूची में शामिल किया गया है।
5. कुपोषण के खिलाफ निर्णायक जंग की तैयारी:- केंद्र सरकार शिशुओं और महिलाओं में कुपोषण की समस्या के खिलाफ निर्णायक जंग लड़ने के लिए एकीकृत बाल विकास योजना (आईसीडीएस)में आमूलचूल बदलाव की तैयारी कर रही है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मांलय के सूत्रों के अनुसार सरकार ने इस योजना में बदलाव की तैयारी करते हुए राज्यों और संबंधित मंत्रालयों के साथ विचार विमर्श शुरू कर दिया है। इसके लिए हाल में ही राज्यों के महिला एवं बाल विकास के प्रभारी प्रधान सचिवों और सचिवों के एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें इस योजना के साथ-साथ महिलाओं, बच्चों की देखभाल और बच्चों के संरक्षण से संबंधित अन्य योजनाओं की समीक्षा भी की गयी थी। सूत्रों ने बताया कि सरकार आईसीडीएस कार्यक्रम का पूरी तरह कायाकल्प कर रही है, क्योंकि देश में कुपोषण का स्तर लगातार ऊंचा बना हुआ है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय नीति आयोग, स्वास्य एवं परिवार कल्याण तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय व अन्य पक्षकारों के साथ तालमेल से कुपोषण की समस्या से युद्धस्तर पर निपटने के लिए कार्य कर रहा है। इसके लिए आंगनवाड़यिों का डिजिटलीकरण किया जा रहा है। प्रत्येक बच्चे, गर्भवती महिलाओं और दूध पिलाने वाली माताओं की वास्तविक समय निगरानी का समुचित इंतजाम किया जा रहा है। आईसीडीएस योजना के दायरे में छह साल के तक बच्चें आते हैं। यह योजना अक्टूबर, 1975 को शुरू की गयी जो सरकार के प्रमुख कार्यक्रमों में से एक है और बचपन की देखभाल और विकास के लिए दुनिया का सबसे बड़ा और अनूठा कार्यक्रम है।निगरानी व्यवस्था मजबूत करने के लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को स्मार्ट फोन देने की योजना बनाई गयी है और सुपरवाइजरों को टैबलेट प्रदान किए जाएंगे। राज्य सरकार नई आईटी आधारित पण्राली अपनाने में मदद देने के लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देगी। महिला एवं बाल विकास मांलय ने सूक्ष्म पोषक तत्वों की पर्याप्त उपलब्धता वाला साफ-सुथरा भोजन तैयार करने के संबंध में राज्यों को सख्त निर्देश जारी किये हैं। पूरक पोषण के मानकीकरण का प्रयास किया जा रहा है। इससे पकाने और वितरण की मानकीकृत प्रक्रिया के माध्यम से बच्चों और महिलाओं को स्वच्छ, पोषक और स्थानीय रूप से स्वीकार्य खाना उपलब्ध कराया जा सकेगा। सूत्रों का कहना है कि स्थानीय स्तर पर खरीदारी और खाना तैयार करने की वर्तमान पण्रालियां कुपोषण घटाने में सफल नहीं हुई हैं। सरकार वर्तमान लागत मानदंडों का स्तर बढ़ाने का प्रयास कर रही है, ताकि लाभार्थियों को बेहतर खाना उपलब्ध कराया जा सके। सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष में मातृत्व सहयोग योजना के लिए 400 करोड़ रुपये का आवंटन किया है जबकि बीते साल अंतिम आवंटन 233 करोड़ रपए रहा था। इसी तरह से इसी वित्त वर्ष में राष्ट्रीय कुपोषण मिशन के अंतर्गत 360 करोड़ रपए का आवंटन किया गया है। पिछले साल यह आंकडा 65 करोड़ रपए का आवंटन हुआ था। इसके साथ ही विश्व बैंक से सहायता प्राप्त आईसीडीएस‘‘स्ट्रेंथे¨नग प्रोजेक्ट’के अंतर्गत 450 करोड़ रपए का आवंटन किया गया है जबकि बीते वित्त वर्ष इसके लिए अंतिम तौर पर 35 करोड़ रपए का ही आवंटन हुआ था। देश में चार क्षेत्रीय स्थानों पर विशेष प्रयोगशालाओं की स्थापना के लिए खाद्य एवं कुपोषण विभाग को अतिरिक्त 15 करोड़ रपए का आवंटन किया गया है।
6. मानव कोशिकाओं पर रिसर्च की फन्डिंग फिर शुरू होगी :- अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हैल्थ (एनआईएच) उस रिसर्च की फन्डिंग पर लगा बैन हटाने वाला है, जिसमें मानव कोशिकाएं वन्य जीवों के भ्रूण में इंजेक्ट कर बीमारी के कारण खोजे जाते हैं। यह घोषणा साइंस पॉलिसी के एसोसिएट डाइरेक्टर कैरी वॉलिनेट्ज ने ब्लॉग पोस्ट में की है। इसका तरह की रिसर्च में मानव कोशिकाएं या अंगों को वन्य जीवों में विकसित करने की कोशिशें की जाती हैं। ताकि बीमारी के मूल कारण बेहतर तरीके से समझकर उनकी उचार थैरेपी विकसित की जा सके। बैन हटने के बाद एनआईएच भी इस रिसर्च में फन्डिंग कर सकता है। शोधकर्ता पहले भी मानव कोशिकाएं वन्य जीवों में लगाते रहे हैं। एक केस में मानव ट्यूमर चूहे में इंजेक्ट किया गया था ताकि उन दवाओं का परीक्षण हो सके, जो ट्यूमर नष्ट करती हैं। स्टेम कोशिकाओं की रिसर्च मूल रूप अलग होती है। इस रिसर्च की फन्डिंग पर बैन हटने से मरीजों को भी लाभ मिल सकता है। उदाहरण के तौर पर अगर किसी मरीज की किडनी फेल हो गई है, तो वन्य जीव में उसे विकसित किया जा सकेगा। हालांकि इस आइडिया से सभी सहमत हों, यह संभव नहीं है क्योंकि वैश्विक स्तर पर इसकी स्वीकार्यता नहीं है। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के स्टेम सेल रिसर्चर पॉल नोएफ्लर कहते हैं- जब मानव कोशिकाएं किसी वन्य जीव के भ्रूण में इंजेक्ट की जाती हैं, तब वे उस वन्य जीव के दिमाग से जुड़ी होती हैं। ऐसे में उनके सही कार्य करने का सवाल उठता है, जो गंभीर है। जॉन होपकिन्स बर्मन इंस्टीट्यूट ऑफ बायोएथिक्स के डाइरेरक्टर जैफ्री पी. काहन कहते हैं- जब दो प्रकार के जीवों में विकसित कोशिकाओं को मिलाया जाएगा, तो क्या वह मानव कोशिकाएं कहलाएंगी। यहां दूसरा बड़ा सवाल यह उठता है कि लोग उसे कितना स्वीकारेंगे। लोग आनुवांशिकी रूप से परिवर्तित ऑर्गेनिज्म स्वीकार कर सकते हैं, लेकिन मानव और वन्य जीव के मिश्रण वाले ऑर्गेनिज्म की स्वीकार्यता अभी स्पष्ट नहीं है।

दैनिक समसामयिकी 07 August 2016(Sunday)


1.मोदी ने आर्थिक लक्ष्यों को लेकर बहुत स्पष्ट ढंग से रखी अपनी राय : स्वास्थ्य के प्रति भारतीयों की उदासीनता पर पीएम ने जताया क्षोभ:- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि उन्हें 125 करोड़ भारतीयों के सपने पूरा करने की धुन है और इसलिए वह थकते नहीं हैं। शनिवार को टाउनहॉल कार्यक्रम में उनसे पूछा गया कि लंबी यात्रओं के तुरत बाद भी वह तत्काल काम पर जुट जाते हैं, इसका राज क्या है। क्या वह थकते नहीं हैं। मोदी ने कहा कि यह सवाल उनसे कई बार पूछा जाता रहा है। विदेश में रहने वाले भारतीय यात्र के बाद थकान की बात भी करते हैं। मोदी ने कहा कि वह देश के लोगों के सपनों और उनकी स्थितियों से हर वक्त दिल से जुड़े रहते हैं। इसलिए उन्हें लगता है कि उनके पास जो भी समय है, शक्ति है, वह उन्हें इसे पूरा करने के लिए लगा देना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘कई लोग कहते हैं कि आपमें अतिरिक्त ऊर्जा है। लेकिन ईश्वर ने सबको समान ऊर्जा दी है। मुझमें भी उतनी ही है। मैं उसका उपयोग कर इसे बढ़ाता रहता हूं। स्वस्थ जीवन को बहुत तवजो नहीं देने के लोगों के रवैये पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्षोभ प्रकट किया है। उन्होंने खास तौर पर इस बात पर नाराजगी जताई कि सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद लाखों बचों का अभी भी टीकाकरण नहीं हो सका है। अपने पहले टाउनहॉल कार्यक्रम में मोदी ने संकेत दिए कि सरकार स्वास्थ्य बीमा को लेकर एक बड़ी योजना तैयार कर रही है जो देश के हर व्यक्ति के लिए होगी।
मोदी ने कहा कि हाल ही में किए गए सर्वेक्षण में पाया गया है कि लाखों बचों का टीकाकरण अब भी नहीं हो पाया है। अब सरकार इंद्रधनुष योजना के तहत लोगों के घर जाकर बचों के टीकाकरण का कार्यक्रम चलाने जा रही है। साथ ही सरकार हेल्थ बीमा पर भी काम कर रही है। इसकी घोषणा पिछले बजट में ही की गई थी।
कई समस्याएं सरकार की वजह से भी : मोदी काफी बेबाक रहे। जब उनसे गवर्नेस पर सवाल किया गया तो उन्होंने गुड गवर्नेस को भारत की कई समस्याओं का समाधान बताया। लेकिन साथ ही यह भी कहा कि भारत में कई समस्याओं की जड़ में तो सरकार ही होती है। यह भांपते हुए कि उनके इस बयान का राजनीतिकरण हो सकता है, मोदी ने कहा कि ‘उन्हें मालूम है कि इस बयान के बाद क्या क्या होगा।’
खादी फॉर नेशन, खादी फॉर फैशन : नए नारे देने के लिए मशहूर प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को खादी सेक्टर के लिए एक नया स्लोगन दे दिया। उनसे सवाल पूछा गया था कि हैंडलूम सेक्टर के लिए सरकार क्या कर रही है। इसके जवाब में पीएम मोदी ने हैंडलूम और खादी सेक्टर को नए फैशन से जोड़ने की वकालत की और ‘खादी फॉर नेशन, खादी फॉर फैशन’ का नारा दिया। मोदी पहले भी हर भारतीय से खादी निर्मित एक समान खरीदने की बात कह चुके हैं।
हर एनआरआइ पांच विदेशियों को भेजे भारत : मोदी ने सभी प्रवासी भारतीयों से आग्रह किया है कि वे साल में पांच विदेशी परिवारों को भारत भ्रमण के लिए भेजें। इससे भारत में आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या काफी बढ़ सकती है। पीएम ने बताया कि पहले छह महीने में भारत में 40 लाख पर्यटक आ चुके हैं जो काफी अछी स्थिति है। उन्होंने भारत की हजारों साल परंपरा और खान-पान की विविधता की विदेशी पर्यटकों में यादा मार्केटिंग करने की जरूरत बताई।
माइगाव मर्केडाइज : इस अवसर पर मोदी ने मर्केडाइज का भी उद्घाटन किया। इस पर उपहार जैसे कई तरह के सामान बिकेंगे। मोदी ने कहा कि वह पहले तो घबड़ा गए थे लेकिन यह जानकर संतुष्टि हुई कि इससे होने वाली आमदनी का गंगा की सफाई के लिए उपयोग किया जाएगा।ठ्ठ जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली
पिछले कुछ दिनों के दौरान आर्थिक सुधार से जुड़े कई कदमों को उठाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संकेत दिए हैं कि उनकी सरकार लंबे समय तक आठ फीसदी आर्थिक विकास दर का लक्ष्य रख सकती है। मोदी ने शनिवार को अपने पहले टाउनहॉल कार्यक्रम में अपनी सरकार के आर्थिक लक्ष्यों को लेकर यादा स्पष्टता से राय रखी। मोदी ने कहा कि अगर तीस वर्षो तक अर्थव्यवस्था में लगातार आठ फीसदी की विकास दर बनाई जाए तो दुनिया की हर सुविधा भारतीयों के कदमों में रखी जा सकती है। चालू वित्त वर्ष के दौरान सरकार ने साढ़े सात फीसद विकास दर का लक्ष्य रखा है। जीएसटी लागू होने के बाद इसमें अतिरिक्त एक फीसद और जुड़ने की बात कही जा रही है।
मोदी ने लगातार दो वर्षो के सूखे और जबरदस्त वैश्विक मंदी के बावजूद पिछले वित्त वर्ष के दौरान साढ़े सात फीसद की विकास दर हासिल करने को लेकर देश के हर नागरिक को बधाई का पात्र बताया। उन्होंने कहा कि दुनिया के प्रमुख देशों में भारत आज सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाला देश बन गया है। दरअसल, मोदी से यह सवाल पूछा गया था कि तेज आर्थिक विकास दर से देश को क्या हासिल होगा? इसके जबाव में ही उन्होंने देश की आर्थिक विकास दर को तेज करने की जरूरत बताई। मोदी ने कहा कि अगर तीस साल तक 8 फीसद से यादा का ग्रोथ रेट हासिल किया जाता है तो इससे दुनिया में जो भी अछी चीजें हैं, उसे भारतीयों के कदमों में रखा जा सकता है।
मारुति, मेट्रो के उदाहरण दिए : मोदी ने साफ किया कि इस ग्रोथ रेट को हासिल करने के लिए हर भारतीय को अपनी भूमिका निभानी होगी। मसलन, मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र को वैश्विक बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने पर ध्यान देना होगा। इस क्रम में उन्होंने मारुति का जिक्र किया कि किस तरह से भारत में बनीं मारुति सुजुकी की कारें जापान की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रही हैं। भारत में बने मेट्रो टेन के डिब्बे आस्ट्रेलिया को निर्यात किए जा रहे हैं। उन्होंने रक्षा उपकरणों के निर्माण में घरेलू उत्पादन बढ़ाने पर खास जोर दिया और कहा कि अभी काफी राशि के रक्षा उपकरणों का आयात करना पड़ता है। घरेलू उत्पादन बढ़ने से आयात कम होगा जिससे अर्थव्यवस्था को फायदा होगा।
नए एजेंडे का संकेत : पीएम मोदी की तरफ से पहली बार लंबी अवधि के विकास दर के लक्ष्यों की बात कही गई है। माना जा रहा है कि आर्थिक विकास दर बढ़ाने का जो नया एजेंडा तैयार हो रहा है, उसमें आठ फीसद का ही लक्ष्य रखा जाएगा। सनद रहे कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी वर्ष 2030 तक लगातार दस फीसद की विकास दर हासिल करने की बात कही थी। इससे देश में गरीबी को दूर किया जा सकता था। हाल के दिनों में केंद्र सरकार ने जिस तरह से आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाया है, उससे आर्थिक विकास दर में एक से दो फीसद तक का इजाफा होने की बात की जा रही है।
2. ग्रोथ रेट का नया ‘चैंपियन’ झारखंड:- साल भर पहले ईज ऑफ डूइंग बिजनेस कार्ययोजना लागू करने की रैंकिंग में तीसरे नंबर पर आकर सबको चौंकाने वाले झारखंड ने तरक्की के मामले में लंबी छलांग लगाई है। वित्त वर्ष 2015-16 में 12.14 फीसद विकास दर के साथ झारखंड ने ग्रोथ रेट का नया ‘चैंपियन’ बनकर उभरने का संकेत दिया है। विकास दर के मामले में झारखंड न सिर्फ अपने पड़ोसी बीमारू प्रदेशों बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश को पछाड़ा है बल्कि कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे संपन्न राज्यों को भी पीछे छोड़ा है। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने नए आधार वर्ष 2011-12 पर राज्य सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के आंकड़े संकलित किए हैं। राज्यों की विकास दर के ये आंकड़े संबंधित राज्य सरकारों ने ही सीएसओ के पास भेजे हैं। इन आंकड़ों पर नजर डालने से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2015-16 में झारखंड की विकास दर 12.14 प्रतिशत रही है जबकि परंपरागत तौर पर बेहतर माने जाने वाले राज्यों तमिलनाडु की विकास दर 8.79 प्रतिशत और कर्नाटक की 6.45 प्रतिशत रही। गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, पश्चिम बंगाल और पूवरेत्तर सहित कई राज्यों ने वित्त वर्ष 2015-16 के आंकड़े अब तक उपलब्ध नहीं कराये है। हालांकि जिन राज्यों के आंकड़े उपलब्ध हैं उनमें झारखंड की विकास दर सर्वाधिक है। वहीं झारखंड के साथ ही बने उत्तराखंड की विकास दर 8.79 प्रतिशत रही है जबकि छत्तीसगढ़ के ताजे आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। वैसे वित्त वर्ष 2014-15 में झारखंड की विकास दर 12.47 प्रतिशत रही थी और इस मामले में यह देशभर में बिहार के बाद दूसरे नंबर पर था।
बिहार की विकास दर घटी : ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में सर्वाधिक विकास दर हासिल करने वाले बिहार की विकास दर बारहवीं पंचवर्षीय योजना में आकर डगमगाने लगी है। हाल यह है कि वित्त वर्ष 2015-16 में बिहार की विकास दर तेजी से नीचे आते हुए मात्र 7.14 प्रतिशत रह गयी है जबकि वित्त वर्ष 2014-15 में यह 13.02 प्रतिशत थी। वैसे बारहवीं पंचवर्षीय योजना के शुरुआती दो वर्षो में तो बिहार की विकास दर पांच वर्ष के स्तर को भी पार नहीं कर पायी थी।
पिछड़ रहा उत्तर प्रदेश : आबादी के लिहाज से देश में सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश विकास दर के मामले में पिछड़ रहा है। 12वीं पंचवर्षीय योजना के पहले चार वर्षो में उत्तर प्रदेश एक बार भी राष्ट्रीय जीडीपी वृद्धि के बराबर विकास दर हासिल नहीं कर पाया है। बिहार, मध्य प्रदेश और झारखंड जैसे बीमारू राज्यों ने हाल में जहां दहाई के अंक में विकास दर हासिल की है वहीं इस मामले में उत्तर प्रदेश का प्रदर्शन बेहद सुस्त रहा है। हाल यह है कि वित्त वर्ष 2015-16 में देश की विकास दर 7.56 प्रतिशत थी वहीं उत्तर प्रदेश की विकास दर मात्र 7.13 प्रतिशत रही। इस तरह वित्त वर्ष 2012-13 से लेकर 2015-16 के दौरान चार वर्षो में एक भी वर्ष में उत्तर प्रदेश की विकास दर देश के बराबर नहीं रही है।
3. बेहतर रेटिंग के लिए भारत का दावा:- बहुप्रतीक्षित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और महंगाई दर का लक्ष्य तय करने जैसे अहम सुधार लागू करने के बाद सरकार ने अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से देश की रेटिंग में सुधार का दावा ठोंका है। सरकार का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों को बीते एक सप्ताह में देश में हुए महत्वपूर्ण आर्थिक सुधारों को मान देकर रेटिंग में सुधार करना चाहिए। केंद्र का यह दावा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि लंबे समय से अटके जीएसटी के लिए जरूरी संविधान संशोधन विधेयक रायसभा से पारित होने को अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों फिच और मूडीज ने सकारात्मक करार दिया है। ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों पर भारत की रेटिंग सुधारने का दवाब बढ़ जाएगा। वित्त मंत्रलय के आर्थिक कार्य विभाग के सचिव शक्तिकांत दास ने शनिवार को ट्वीट कर कहा कि अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों को भारत में लागू किए गए सुधारों को उसी प्रकार मान देना चाहिए, जिस प्रकार वे विकसित देशों के संबंध में करती हैं। दास ने कहा कि यह पूरा सप्ताह बड़े सुधारों से भरा रहा है। पहले जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक संसद से पारित हुआ, उसके बाद सरकार ने महंगाई दर का लक्ष्य तय करते हुए मौद्रिक नीति से संबंधित सुधारों के नए दौर में प्रवेश किया। उन्होंने कहा कि भारत सुधारों की राह पर बढ़ रहा है और आने वाले समय में और भी कदम उठाए जाएंगे। दास ने कहा कि सरकार सुधारों के लिए प्रतिबद्ध है और मौद्रिक नीति फ्रेमवर्क निवेश और विकास दर का सही माहौल बनाने की दिशा में कदम है। उल्लेखनीय है कि अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजंेसी मूडीज ने फिलहाल भारत को सकारात्मक परिदृश्य के साथ बीएए3 रेटिंग दी है। मूडीज ने जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक सकारात्मक करार दिया है। मूडीज का कहना है कि मध्यावधि में विकास दर और राजस्व पर जीएसटी का सकारात्मक असर पड़ेगा, इससे सोवरिन क्रेडिट प्रोफाइल को मदद मिलेगी। साथ ही इससे वस्तुओं और सेवाओं के निर्वाध हस्तांतरण में बाधा भी दूर होगी और सरकार तथा कॉरपोरेट के लिए टैक्स पर व्यय भी कम होगा। साथ ही इससे कर नियमों का पालन बेहतर होने से राजस्व में भी वृद्धि होगी। इसी तरह फिच ने भी जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक पारित होने को सकारात्मक कदम करार दिया है। फिच ने पिछले महीने भारत को स्थिर परिदृश्य के साथ बीबीबी रेटिंग दी थी।
4. राज्यों के राजस्व आधार का आकलन बड़ी चुनौती:- पूरे देश को एक तरह की कर प्रणाली के सूत्र में बांधने वाले जीएसटी ने भले ही संवैधानिक बाधा पार कर ली हो, लेकिन इसे धरातल पर उतारने की राह में अभी कई चुनौतियां हैं। ऐसी ही एक बड़ी चुनौती केंद्र और राज्यों के राजस्व आधार का आकलन है। जब तक केंद्र और राज्यों के राजस्व का आकलन नहीं हो जाता, तब तक वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को अमल में लाने की दिशा में ठोस कदम उठाना मुश्किल होगा। यही वजह है कि वित्त मंत्रलय राज्यों के साथ मिलकर राजस्व आधार का आकलन करने के लिए तत्परता से कदम उठाने की तैयारी कर रहा है। माना जा रहा है कि जल्द ही राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति और केंद्र के अधिकारी इस दिशा में कोई ठोस पहल करेंगे। राजस्व सचिव हसमुख अढिया भी इस बात को स्वीकार कर चुके हैं कि जीएसटी को लागू करने की राह में सात चुनौतियां हैं। इनमें से एक केंद्र व राज्यों के राजस्व आधार का आकलन करना है। केंद्र और रायों के राजस्व आधार का आकलन होने पर ही तय होगा कि राज्यों को जीएसटी लागू होने पर राजस्व की क्षतिपूर्ति कितनी की जानी है। सरकार ने एक अप्रैल, 2017 से जीएसटी लागू करने का लक्ष्य रखा है। इसके लागू होने पर केंद्र सरकार के उत्पाद शुल्क, अतिरिक्त उत्पाद शुल्क, सेवा कर, अतिरिक्त सीमा शुल्क, विशेष अतिरिक्त सीमा शुल्क और राज्यों के वैट, मनोरंजन कर, केंद्रीय बिक्री कर, चुंगी और प्रवेश कर, क्रय कर, विलासिता कर और लॉटरी तथा सट्टेबाजी पर टैक्स जैसे कई प्रकार के परोक्ष कर समाप्त हो जाएंगे। एक अनुमान के अनुसार केंद्र और राज्यों को फिलहाल इन करों से वर्ष 2013-14 में लगभग सात लाख करोड़ रुपये राजस्व प्राप्त हुआ है। जीएसटी लागू होने पर यह राशि उपलब्ध नहीं होगी। इसलिए यह जरूरी है कि जीएसटी की दर इतनी रखी जाए, जिससे इस राशि से अधिक राजस्व प्राप्त होता रहे। रायों को अगर अधिक राजस्व हानि होती है तो केंद्र को उन्हें क्षतिपूर्ति देनी होगी। राज्य सभा से पारित जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक में क्षतिपूर्ति के भुगतान की जिम्मेदारी बाकायदा केंद्र पर डाली गई है। केंद्र को पांच वर्षो तक राज्यों को भुगतान करना होगा। इसके अलावा जीएसटी की प्रस्तावित दरें भी इस बात पर निर्भर करेंगी कि केंद्र को राज्यों को कितनी क्षतिपूर्ति करनी है। सूत्रों ने कहा कि इसलिए यह जरूरी है कि पहले केंद्र और राज्यों के राजस्व आधार का आकलन किया जाए। इसलिए केंद्र और राज्य को किस कर से कितनी राशि प्राप्त हो रही है, इसका विस्तृत अध्ययन किया जाएगा।

दैनिक समसामयिकी 06 August (Saturday)

1.रेल के जरिये तिब्बत-नेपाल को भारत से जोड़ना संभव:- चीन अब दुर्गम हिमालय क्षेत्र में रेलवे का जाल बिछाने की परियोजना पर काम कर रहा है। नेपाल और भारत को रेल से जोड़ने की योजना है। चीन की नजर खासतौर पर हर चीज के लिए भारत की ओर ताकने वाले नेपाल पर है। हालांकि, चीन समर्थक केपी शर्मा ओली के प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद बीजिंग की चिंताएं बढ़ गई हैं। बीजिंग यूनिवर्सिटी में विज्ञान और तकनीक विभाग के उप निदेशक जोंग गंग ने हिमालय क्षेत्र में रेलवे नेटवर्क को आर्थिक और तकनीकी रूप से संभव बताया है। सरकारी समाचार पत्र ‘चाइना डेली’ की रिपोर्ट में विशेषज्ञों के हवाले से कहा गया है कि रेल के जरिये पहले शीगेज शहर (तिब्बत) को जीरोंग और फिर नेपाल से जोड़ा जा सकता है। वर्ष 2006 में तिब्बत को रेल लाइन से चीन के शेष हिस्से से जोड़ा गया था। बाद में शीगेज भी लहासा से जुड़ गया था। चीन अब नेपाल और तिब्बती काउंटी यादोंग को रेल से जोड़ने की तैयारी में है। यह क्षेत्र सिक्किम के समीप है। चीनी अधिकारियों ने भविष्य मंा भारत को भी इस नेटवर्क से जोड़ने की बात कही है। पत्र में शगेज-यादोंग-बुरांग के बीच संभावित रेल लाइन का नक्शा भी प्रकाशित किया गया है। यह क्षेत्र भारत के दो रायों सिक्किम उत्तराखंड की सीमा से लगता है। ओली ने चीन के साथ ट्रांजिट संधि पर हस्ताक्षर किए थे। बीजिंग को लगता है कि प्रचंड के प्रधानमंत्री बनने से नेपाल में भारत का प्रभाव फिर से बढ़ जाएगा। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि समझौते से मुकरना प्रचंड के लिए आसान नहीं होगा।
2. खुदरा महगाई का लक्ष्य तय :- आम लोगों को बढ़ती कीमतों के दंश से राहत दिलाने को सरकार ने अगले पांच साल के लिए खुदरा महंगाई दर का लक्ष्य चार प्रतिशत तय किया है। महंगाई के इस लक्ष्य में सिर्फ दो प्रतिशत उतार-चढ़ाव की इजाजत होगी। इस मुद्रास्फीति दर के लगातार तीन तिमाहियों में औसतन छह प्रतिशत से ऊपर या दो प्रतिशत से नीचे रहने पर रिजर्व बैंक (आरबीआइ) को महंगाई काबू रखने में विफल माना जाएगा। ऐसी स्थिति में आरबीआइ को सरकार को महंगाई बढ़ने की वजह बतानी होगी। साथ ही, यह भी बताना होगा कि कौन-कौन से उपायों से और कितने समय में इसे लक्ष्य के भीतर लाया जा सकता है। वित्त मंत्रलय ने शुक्रवार को यह लक्ष्य तय करते हुए एक अधिसूचना संसद के पटल पर रखी। सरकार ने खुदरा महंगाई दर का लक्ष्य तय करने को बीत वर्ष फरवरी में आरबीआइ के साथ मौद्रिक नीति फ्रेमवर्क समझौता किया था। इसके बाद ही रिजर्व बैंक कानून 1934 की धारा 45जेडए में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए 31 मार्च, 2021 तक के लिए महंगाई का यह लक्ष्य तय किया है। केंद्र सरकार छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) नियुक्त करेगी। यह समिति महंगाई के लक्ष्य को ध्यान में रखकर ब्याज दरें तय करेगी। इस समिति के अध्यक्ष आरबीआइ के गवर्नर होंगे। नीतिगत ब्याज दरें तय करने का फैसला बहुमत के आधार पर होगा। सरकार ने 2021 तक के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा महंगाई दर का जो लक्ष्य तय किया है, उसमें सिर्फ दो प्रतिशत ऊपर या नीचे उतार-चढ़ाव की गुंजाइश होगी। इसका मतलब यह है कि पांच साल में महंगाई दर अधिकतम छह प्रतिशत तक ही जा सकेगी। लगातार तीन तिमाही तक अगर खुदरा महंगाई दर इससे अधिक या दो प्रतिशत से नीचे रहती है तो महंगाई नियंत्रित करने का लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सका है। ऐसी स्थिति में रिजर्व बैंक को केंद्र सरकार को बताना होगा कि आखिर किस वजह से महंगाई का लक्ष्य हासिल नहीं हो पाया है। साथ ही महंगाई नीचे लाने के उपाय भी बताने होंगे। इसके लिए समयसीमा भी बतानी होगी। खुदरा महंगाई दर इस साल जून में बढ़कर 5.77 प्रतिशत रही। माना जा रहा है कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने पर महंगाई दर और ऊपर जा सकती है।
3. एडीआर की रिपोर्ट : केंद्र के 18%; राज्यों के 19% मंत्री अपहरण, हत्या के आरोपी :- राज्य सरकारों के 34 प्रतिशत मंत्रियों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं जबकि 76 प्रतिशत मंत्री करोड़पति हैं। उनकी औसत सम्पत्ति 8.59 करोड़ रपए है। यह निष्कर्ष एक नए अध्ययन में आया है जिसमें यह बात भी सामने आयी है कि केंद्रीय मंत्रिपरिषद के 31 प्रतिशत मंत्रियों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। यह रपट 29 राज्य विधानसभाओं और दो संघशासित प्रदेशों के 620 में से 609 मंत्रियों और केंद्रीय मंत्रिपरिषद के 78 मंत्रियों द्वारा घोषित विवरणों के विश्लेषण पर आधारित है।दिल्ली की अनुसंधान संस्था एसोसिएशन आफ डेमोक्रेटिक रिफार्म्स (एडीआर) ने अपनी इस रपट में कहा है, ‘‘राज्यों की विधानसभाओं से 609 मंत्रियों के विश्लेषण में 462 (76 प्रतिशत) करोड़पति पाए गए हैं।’ इनमें सबसे अधिक संपत्ति आंध्र प्रदेश में तेलगु देशम पाटी सरकार के मंत्री पोंगुरू नारायण हैं जिनके पास 496 करोड़ रपए की परिसंपत्ति है। उनके बाद कर्नाटक में कांग्रेस मंत्री के डी के शिवकुमार आते हैं जिनके पास 251 करोड़ रपए की परिसंपत्ति है।रपट में कहा गया, ‘‘609 मंत्रियों में से 210 (34 प्रतिशत) मंत्रियों ने जानकारी दी है कि उनके खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं।’ केंद्रीय मंत्रिपरिषद 78 मंत्रियों में से 24 (31 प्रतिशत) ने अपने खिलाफ आपराधिक मामलों का खुलासा किया है।’ राज्य सरकारों के 113 मंत्रियों के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण और महिलाओं के प्रति हिंसा समेत गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। लोकसभा और राज्यसभा से केंद्र सरकार में मंत्री बनाए गए 78 सदस्यों में से 14 ने अपने खिलाफ गंभीर आपराधिक मामलों का खुलासा किया है। जिन राज्यों के मंत्रियों के खिलाफ सबसे अधिक गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं उनमें झारखंड (नौ), दिल्ली (चार), तेलंगाना (नौ), महाराष्ट्र (18), बिहार (11) और उत्तराखंड (दो) शामिल हैं। एडीआर ने कहा कि राज्य की विधानसभाओं से मंत्री बनाए गए हर मंत्री के पास औसतन 8.59 करोड़ रपए की सम्पत्ति है। इसके मुकाबले केंद्रीय मंत्रिपरिषद के मंत्रियों की औसत सम्पत्ति 12.94 करोड़ रपए है। राज्यों में आपराधिक मामलों का सामना करने वाले मंत्रियों की औसत सम्पत्ति 9.52 करोड़ रपए और किसी प्रकार के आपराधिक मामलों से मुक्त मंत्रियों की औसत सम्पत्ति 8.10 करोड़ रपए है। आंध्र प्रदेश में मंत्रियों (20 मंत्री) की औसत सम्पत्ति 45.49 करोड़ रपए है। उसके बाद कर्नाटक (31 मंत्री) 36.96 करोड़ रपए और अरणाचल प्रदेश (सात मंत्री) औसत सम्पत्ति 32.62 करोड़ रपए है। उक्त 609 मंत्रियों में से 51 महिलाएं हैं और सबसे अधिक महिला मंत्री मध्य प्रदेश से हैं जिसके बाद तमिलनाडु का स्थान है।सबसे अमीर और सबसे गरीब, दोनों मंत्रियों के नाम में 'नारायण' जुड़ा है। लेकिन इनकी संपत्ति में करीब 75 हजार गुना का अंतर है। इनमें आंध्र में टीडीपी के पोंगुरु नारायण सबसे अमीर, जबकि यूपी में सपा के तेज नारायण पांडे सबसे गरीब हैं।
4. गुजरात : रूपाणी नए मुख्यमंत्री, नितिन पटेल होंगे राज्य के पहले उप मुख्यमंत्री:- गुजरात का नया मुख्यमंत्री चुनने के लिए शुक्रवार को दो घंटे चली विधायक दल की बैठक में खासा उलटफेर हो गया। दौड़ में आगे नजर आ रहे नितिन पटेल की जगह भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विजय रूपाणी को नया मुख्यमंत्री चुना गया। पटेल उप मुख्यमंत्री होंगे। गुजरात में पहली बार किसी को उप मुख्यमंत्री बनाया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री के चयन पर पूर्व सीएम आनंदीबेन और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के बीच बहस भी हो गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हस्तक्षेप के बाद रूपाणी के नाम पर सर्वसम्मति से मुहर लगी। शपथ ग्रहण समारोह रविवार को होगा।


5. दिल्ली की दो याचिकाओं पर एकसाथ होगी सुनवाई:- उच्चतम न्यायालय दिल्ली के आप सरकार की दो याचिकाओं पर अब एकसाथ सुनवाई करेगा। एक याचिका दिल्ली को राज्य घोषित करने की मांग से जुड़ी है जो पहले से ही सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन है। दूसरी अपील दिल्ली को एक केंद्र शासित प्रदेश एवं उपराज्यपाल को उसका प्रशासनिक प्रमुख बताने वाले उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ होगी। केजरीवाल सरकार ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया है कि वह उच्च न्यायालय के बृहस्पतिवार के निर्णय के खिलाफ जल्द ही एक याचिका दायर करेगी। इसके बाद न्यायमूर्ति एके सीकरी एवं न्यायमूर्ति एनवी रमण की पीठ ने यह बात कही। आप सरकार का पहले का एक मुकदमा जब सुनवाई के लिए आया तो न्यायालय ने कहा कि आप सरकार को अपने पहले के दीवानी मुकदमे को आगे बढ़ाने के बजाए दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली एक याचिका दायर करनी चाहिए। न्यायमूर्ति एके सीकरी और न्यायमूर्ति एनवी रमन की पीठ ने कहा, ‘‘‘‘ आपको दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देनी होगी। उच्च न्यायालय ने मुद्दे पर सही फैसला दिया है या गलत, उस पर उच्चतम न्यायालय एक विशेष अनुमति याचिका के तहत फैसला करेगा। इस मुकदमे का अब क्या मतलब रह जाता है? कार्यवाही को दोहराने का क्या मतलब है?’’ न्यायालय की ओर से यह टिप्पणी तब की गई, जब अरविंद केजरीवाल की ओर से पेश हुई वकील इंदिरा जयसिंह ने पीठ को बताया कि उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ जल्दी ही एक ताजा याचिका शीर्ष अदालत में दायर की जाएगी। उन्होंने दिल्ली सरकार की ओर से पहले दायर मूल दीवानी मामले की कार्यवाही को स्थगित करने की मांग की। इस मूल मामले के तहत दिल्ली सरकार ने कई राहतों की मांग की थी, जिनमें राष्ट्रीय राजधानी को केंद्र शासित प्रदेश के स्थान पर राज्य घोषित करने की मांग शामिल थी। उन्होंने कहा कि मुकदमे और जल्दी ही दायर की जाने वाली विशेष अवकाश याचिका पर एकसाथ सुनवाई की जाए। केंद्र का पक्ष रखते हुए अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी और सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने दिल्ली सरकार की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि वे एक ही चीज के लिए दो समानांतर रास्ते नहीं अपना सकते।

दैनिक समसामयिकी 05 August 2016(Friday)

1.दिल्ली सरकार तथा उपराज्यपाल की प्रशाशनिक शक्तियों पर दिल्ली हाई कोर्ट की महत्वपूर्ण व्यवस्था:- अरविंद केजरीवाल सरकार को एक तगड़ा झटका देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को फैसला सुनाया कि उप राज्यपाल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के प्रशासनिक प्रमुख हैं और आप सरकार की यह दलील कि उप राज्यपाल को मंत्रिपरिषद की सलाह पर काम करना चाहिए, ‘‘आधारहीन’ है। यह निर्णय उप राज्यपाल नजीब जंग और केजरीवाल सरकार के बीच पिछले कई महीनों से जारी इस रस्साकशी के बाद सामने आया है कि दिल्ली की बागडोर किसके हाथ में है। मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायाधीश जयंत नाथ ने केन्द्र द्वारा 21 मई 2015 को जारी अधिसूचना को चुनौती देने वाली आप सरकार की याचिका को खारिज कर दिया। केन्द्र ने अधिसूचना में राष्ट्रीय राजधानी में उप राज्यपाल को नौकरशाहों की नियुक्ति की पूर्ण शक्तियां प्रदान की थीं। अदालत ने पिछले साल सत्ता में आने के बाद केजरीवाल द्वारा जारी कई अधिसूचनाओं को भी खारिज करते हुए कहा कि यह अवैध हैं, क्योंकि इन्हें उप राज्यपाल की सहमति के बिना जारी किया गया है। 194 पेज के अपने निर्णय में खंडपीठ ने कहा कि आप सरकार की यह दलील कि उप राज्यपाल मंत्रिपरिषद की सलाह और सहायता पर काम करने के लिए बाध्य हैं ‘‘आधारहीन है और इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।’ अपने फैसले में उच्च न्यायालय ने कहा कि 21 मई 2015 को केन्द्र की अधिसूचना में दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधी शाखा को केन्द्र सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने से रोकना ना तो गैर-कानूनी था और ना ही गलत। इसमें यह भी कहा गया है कि सेवा का मामला दिल्ली विधानसभा के न्यायाधिकार क्षेत्र से बाहर है और ऐसे मामले में उप राज्यपाल का शक्तियों का इस्तेमाल ‘‘असंवैधानिक नही’ है।
2. गुजरात में आर्थिक आधार पर आरक्षण रद्द:- गुजरात उच्च न्यायालय ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए अनारक्षित श्रेणी के तहत दस फीसद आरक्षण अध्यादेश को बृहस्पतिवार को रद्द कर दिया। आंदोलनरत पटेल समुदाय को शांत करने के लिए राज्य की भाजपा सरकार ने यह कदम उठाया था। गुजरात सरकार ने कहा कि उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ वह उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगी। न्यायमूर्ति आर. सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति वीएम पंचोली की खंडपीठ ने एक मई को जारी अध्यादेश को ‘‘अनुपयुक्त और असंवैधानिक’ बताते हुए कहा कि सरकार के दावे के मुताबिक इस तरह का आरक्षण कोई वर्गीकरण नहीं है बल्कि वास्तव में आरक्षण है। अदालत ने यह भी कहा कि अनारक्षित श्रेणी में गरीबों के लिए दस फीसद का आरक्षण देने से कुल आरक्षण 50 फीसद के पार हो जाता है जिसकी उच्चतम न्यायालय के पूर्व के निर्णय के तहत अनुमति नहीं है।उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि राज्य सरकार ने ईबीसी को बिना किसी अध्ययन या वैज्ञानिक आंकड़े के आरक्षण दे दिया। राज्य सरकार के वकील ने अदालत से आग्रह किया कि अपने आदेश पर स्थगन दे ताकि वे उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकें। इसके बाद उच्च न्यायालय ने अपने आदेश पर दो हफ्ते का स्थगन दे दिया।
3. जीएसटी समय से, दरें होंगी अनुकूल : जेटली:- सरकार बहुप्रतीक्षित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को एक अप्रैल, 2017 से लागू करेगी। जीएसटी के 18 फीसद से ऊपर रहने के संकेतों के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि इस कर की दरें सबसे उपयुक्त होंगी। राजस्व आवश्यकताओं और कर दरों को नीचा रखने की जरूरत को ध्यान में रखते हुए जीएसटी काउंसिल दरें तय करेगी। खास बात यह है कि जीएसटी लागू होने के बाद कारोबारियों को मात्र एक आवेदन करने पर ही तीन दिन के भीतर जीएसटी रजिस्ट्रेशन मिल जाएगा।यह पूछने पर कि क्या जीएसटी दर 18 प्रतिशत से अधिक रहेगी, वित्त मंत्री ने कहा, फिलहाल अधिकांश वस्तुओं पर 27 से 32 फीसद टैक्स लगता है, इसमें गिरावट आएगी। हालांकि इस संबंध में अंतिम निर्णय जीएसटी परिषद लेगी। जीएसटी लागू होने पर महंगाई बढ़ने की आशंका दूर करते हुए कहा, दीर्घावधि में टैक्स की दरें नीचे आएंगी। जब दरें घटेंगी तो स्वाभाविक है कि वस्तुओं की कीमतें नीचे आएंगी। जीएसटी के अमल में आने पर कारोबार की प्रक्रिया सरल हो जाएगी। एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स और वैट सहित केंद्र व रायों के कई परोक्ष कर समाप्त हो जाएंगे। पूरे देश में एक ही परोक्ष कर होगा।रायसभा से बुधवार को जीएसटी के लिए जरूरी संविधान संशोधन (122वां) विधेयक पारित होने के एक दिन बाद राजस्व सचिव हसमुख अढिया ने इस कर को मूर्तरूप देने का रोडमैप जारी किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि इसमें मौजूदा कारोबारियों के लिए राहत की खबर यह है कि उन्हें अलग से जीएसटी का पंजीकरण लेने को आवेदन की जरूरत नहीं पड़ेगी। वैट, सेवा कर और केंद्रीय उत्पाद शुल्क के तहत आने वाले मौजूदा डीलरों का डाटा जीएसटी सिस्टम में ट्रांसफर हो जाएगा। इससे उन्हें स्वत: ही पंजीकरण मिल जाएगा। नया पंजीकरण लेने वाले व्यवसाइयों को सिर्फ एक आवेदन करना होगा। इसके बाद उसे पैन (परमानेंट अकाउंट नंबर) पर आधारित 15 अंकों का जीएसटी रजिस्ट्रेशन नंबर मिलेगा। आवेदन करने वाले कारोबारियों को तीन दिन में ही रजिस्ट्रेशन मिल जाएगा। अगर तीन दिन में यह नहीं मिलता है तो माना जाएगा कि कारोबारी का पंजीकरण हो गया है।
किस देश में कितना जीएसटी
नाईजीरिया 5% मलयेशिया 6%
मालदीव 6% सिंगापुर 7%
थाईलैंड 7% अमेरिका 7.5%
स्विट्जरलैंड 8% जापान 8%
सूरीनाम 10% इंडोनेशिया 10%
फिलीपींस 12% द. अफ्रीका 14%
मारीशस 15% न्यूजीलैंड 15%
जिंबाब्वे 15% केन्या 16%
पाकिस्तान 17% तुर्की 18%
ब्रिटेन 20% फ्रांस 20%
स्पेन 21%
फिलहाल दुनिया के 165 देशों में जीएसटी लागू किया जा चुका है। हर देश में जीएसटी की दर अलग-अलग है। भारती के पड़ोसी देशों व दुनिया के कुछ प्रमुख देशों में जीएसटी कर दर नीचे दी जा रही है।
4. प्रचंड ने ली शपथ, 8 साल में नेपाल को मिला नौवां पीएम:- माओवादी प्रमुख पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड ने गुरुवार को नेपाल के नये प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। वे देश के 39वें और 2008 में लोकतंत्र की स्थापना के बाद से नौवें प्रधानमंत्री हैं। बुधवार को 595 सदस्यीय संसद ने 210 के मुकाबले 363 मतों से उन्हें प्रधानमंत्री चुना था। वे दूसरी बार प्रधानमंत्री बने हैं। इससे पहले 8 अगस्त 2008 से 25 मई 2009 तक वे इस पद पर रहे थे। राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने सीपीएन-माओवादी के 61 वर्षीय अध्यक्ष प्रचंड को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। उन्होंने छह सदस्यीय कैबिनेट का गठन किया है। इसमें दो उप प्रधानमंत्री हैं। माओवादी नेता कृष्ण बहादुर महरा उप प्रधानमंत्री के साथ-साथ वित्त मंत्री बनाए गए हैं। सबसे बड़े दल नेपाली कांग्रेस के बिमलेंद्र निधि भी उप प्रधानमंत्री बनाए गए हैं। उन्हें गृह मंत्रलय की भी जिम्मेदारी दी गई है। तीन अन्य मंत्रियों को भी पद की शपथ दिलाई गई। इनमें नेपाली कांग्रेस के रमेश लेकहक को भौतिक योजना एवं परिवहन, माओवादी नेताओं दलजीत श्रीपाली को युवा एवं खेल और गौरी शंकर चौधरी को कृषि मंत्रलय सौंपा गया है।अगले हफ्ते कैबिनेट का विस्तार होने की संभावना है। सूत्रों के अनुसार नये कैबिनेट में कांग्रेस के 13 और आठ माओवादी चेहरे को जगह मिलेगी। मधेशी दल फिलहाल सरकार में शामिल नहीं होंगे। प्रचंड ने कैबिनेट का स्वरूप छोटा रखने का वादा किया है। उनके पूर्ववर्ती केपी शर्मा ओली की कैबिनेट में 38 सदस्य थे, जिनमें छह उप प्रधानमंत्री थे। इसको लेकर उन्हें खासी आलोचना का सामना करना पड़ा था।
5. मेक इन इंडिया अभियान का असर :एफ-16 संयंत्र भारत लाने की पेशकश:- अमेरिका की प्रमुख रक्षा उपकरण कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने कहा कि उसने अपने युद्धक विमान एफ-16 के अत्याधुनिक संस्करण एफ-16 ब्लाक-70 की विनिर्माण सुविधा टेक्सास से भारत स्थानांतरित करने की पेशकश की है। उसका इरादा भारत से ही इन विमानों की स्थानीय और नियंतण्र मांग को पूरा करना है।लॉकहीड मार्टिन के पास एफ-16 ब्लाक-70 विमान की अभी केवल एक ही उत्पादन लाइन है। हालांकि भारत के लिए की गई पेशकश के साथ शर्त यह है कि वह भारतीय वायुसेना के लिए इन विमानों का चयन करे। कंपनी के एफ-16 कारोबार के प्रभारी रैंडल एल. हार्वड ने यहां पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा, ‘‘हमने भारत के सामने जो प्रस्ताव रखा है वह बेजोड़ है। हमने ऐसा प्रस्ताव कभी किसी के सामने नहीं रखा।’लेकिन उन्होंने साथ-साथ यह भी कहा कि उनकी कंपनी चाहती है कि एफ-16 ब्लाक-70 विमान का भारत में भारत के लिए निर्माण हो और यहीं से इसका दुनिया में निर्यात किया जाए। पर उन्होंने इस सवाल को टाल दिया कि क्या वह यह आश्वासन देगी कि एफ-16 विमान पाकिस्तान को नहीं बेचे जाएंगे। उन्होंने बस इतना कहा कि यह बातें भारत और अमेरिका की सरकारों के बीच बातचीत का विषय होंगी।उन्होंने कहा कि यह पेशकश भारतीय वायुसेना की तरफ से सुनिश्चित ऑर्डर मिलने की शर्त पर है जो अपनी ताकत बढ़ाने के लिए नए लड़ाकू विमान खरीदने की फिराक में है। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर कह चुके हैं कि भारत, भारतीय वायुसेना के लिए देश में ही विकसित तेजस विमान के अलावा ‘‘मेक इन इंडिया’ के माध्यम से कम से कम एक और विमान चुनेगा।भारतीय वायुसेना के ठेके लिए लॉकहीड मार्टिन को अमेरिका की ही अपनी प्रतिस्पर्धी कंपनी बोइंग (एफए-18ई), फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन (राफेल), स्वीडन की साब कंपनी के ग्रिपेन के अलावा यूरोफाइटर से भी प्रतिस्पर्धा मिल रही है। इन सभी कंपनियों ने भारत में अपना विमान कारखाना लगाने की पेशकश की है। लॉकहीड मार्टिन के अधिकारी हॉर्वड ने कहा, ‘‘पर हम न केवल अपनी एकमात्र उत्पादन सुविधा भारत में स्थानांतरित करने की पेशकश कर रहे हैं बल्कि उसी से हम दुनिया के बाकी बाजारों की जरूरत को भी पूरा करना चाहते हैं।’उन्होंने कहा कि भारतीय क्षेत्र के लिए एफ-16 ब्लॉक-70 सबसे अच्छा लड़ाकू विमान है। भारत के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह एक ऐसा भागीदार चुने जो अपने वायदे को पूरा कर सके। उन्होंने संकेत दिया कि इस पेशकश के बारे में बातचीत चल रही है। कंपनी भारत में सरकार और कंपनियों के साथ विभिन्न प्रकार की र्चचाएं कर रही है। उन्हें ‘‘जाने को नहीं कहा गया है।’ उन्होंने कहा कि इस विमान का विनिर्माण भारत में होने पर इसकी लागत कम होगी और इससे इसकी दुनिया में मांग बढ़ेगी।


6. पाक को अमेरिका नहीं देगा 30 करोड़ डॉलर की मदद:- अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली 30 करोड़ डॉलर की सैन्य मदद रोक कर उसे एक बड़ा झटका दिया है। यह सैन्य मदद इसलिए रोकी गई है क्योंकि रक्षामंत्री एश्टन कार्टर ने कांग्रेस को इस बात का प्रमाण पत्र देने से इनकार कर दिया है कि पाकिस्तान खूंखार आतंकी संगठन हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ पर्याप्त कार्रवाई कर रहा है।कांग्रेशनल प्रमाणपत्र के अभाव में पेंटागन ने गठबंधन सहयोग कोष के तहत पाकिस्तान को दी जाने वाली 30 करोड़ डॉलर की मदद को रोक दिया है। यह राशि दरअसल अफगानिस्तान में अमेरिकी अभियानों के सहयोग के लिए पाकिस्तानी सेना की ओर से किए गए खर्च की अदायगी के लिए होती है। पेंटागन के प्रवक्ता एडम स्टंप ने कहा, इस बार पाकिस्तान की सरकार को कोष (30 करोड़ डॉलर) जारी नहीं किया जा सका क्योंकि रक्षामंत्री ने अब तक इस बात को प्रमाणित नहीं किया है कि पाकिस्तान ने वित्तीय वर्ष 2015 राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकार कानून (एनडीएए) के अनुरूप पर्याप्त कदम उठाए हैं। पाकिस्तान के लिए गठबंधन सहयोग कोष (सीएसएफ) के तहत वित्तीय वर्ष 2015 में एक अरब डॉलर मंजूर किए गए थे। इसमें से वह 70 करोड़ डॉलर ले चुका है।पेंटागन के प्रवक्ता एडम स्टंप ने कहा, रक्षामंत्री के फैसले के चलते, पाकिस्तान के लिए वित्तीय वर्ष 2015 सीएसएफ के तहत और राशि उपलब्ध नहीं है। इस बारे में सबसे पहले खबर देने वाले द वाशिंगटन पोस्ट ने पाकिस्तान को दी जाने वाली सैन्य मदद रोके जाने को अमेरिका और पाकिस्तान के संबंधों के लिए एक ‘‘झटका’ बताया है। रक्षा मंत्रालय को 30 जून तक कांग्रेस के समक्ष पुनर्निर्धारण का अनुरोध पेश करना था। स्टंप ने कहा, इस समयसीमा के अनुरूप चलने के लिए कार्टर ने वर्ष 2015 में बाकी बची सीएसएफ की 30 करोड़ डॉलर की राशि के पुनर्निर्धारण का अनुरोध किया। यह राशि मूल रूप से पाकिस्तान के लिए मंजूर की गई थी।स्टंप ने कहा, इस फैसले से पाकिस्तानी सेना द्वारा बीते दो साल में किए गए त्यागों का महत्व ‘‘कम नहीं हो जाता है’। स्टंप ने कहा, हम उत्तरी वजीरिस्तान और संघ प्रशासित कबायली इलाकों (एफएटीए) में पाकिस्तान के अभियानों से प्रोत्साहित हैं। पाकिस्तान के प्रयासों से कुछ आतंकी समूहों द्वारा उत्तरी वजीरिस्तान और एफएटीए का इस्तेमाल सुरक्षित पनाह के तौर पर किए जाने के मामलों में कमी आई है। हालांकि अफगान तालिबान और हक्कानी नेटवर्क पाकिस्तान के कुछ अन्य इलाकों में अब भी सक्रि य हैं। वित्तीय वर्ष 2016 में पाकिस्तान के लिए सीएसएफ के तहत 90 करोड़ डॉलर मंजूर किए गए हैं। इसमें से 35 करोड़ डॉलर तभी दिए जा सकते हैं, जब रक्षामंत्री यह प्रमाणपत्र देंगे कि पाकिस्तान ने हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ पर्याप्त कार्रवाई की है। स्टंप ने कहा, पाकिस्तान सीएसएफ अदायगी का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता है। वर्ष 2002 के बाद से उसे लगभग 14 अरब डॉलर मिल चुके हैं। उन्होंने कहा, यह पहली बार है जब रक्षा मंत्री के प्रमाणपत्र की जरूरत पड़ी है।हक्कानी नेटवर्क अफगानिस्तान में अमेरिकी हितों, अफगान सरकार और नागरिक ठिकानों के खिलाफ कई हमलों और अपहरणों को अंजाम दे चुका हैं। यह समूह अफगानिस्तान में भारतीय हितों के खिलाफ भी कई घातक हमलों के लिए जिम्मेदार बताया जाता है।