Sunday 10 July 2016

11 July 2016..4. ऑस्ट्रेलिया में बची रहेगी मैलकम टर्नबुल की कुर्सी:-

 ऑस्ट्रेलिया में प्रधानमंत्री मैलकम टर्नबुल की कुर्सी बची रहेगी। विपक्षी लेबर पार्टी के नेता बिल शॉर्टन ने रविवार को अपनी हार स्वीकार कर ली। कड़े मुकाबले वाले इस आम चुनाव में मैलकम टर्नबुल ने अपने कंजरवेटिव गठबंधन की जीत की घोषणा की है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, शॉर्टन ने टर्नबुल को बधाई देते हुए चुनाव में हार मान ली। इसके कुछ समय बाद टर्नबुल ने विजय भाषण दिया। उन्होंने कहा कि यह देश के लिए महत्वपूर्ण है कि राजनीति के सभी पक्ष मिलकर काम करें और संसद को काम करने दें। 61 वर्षीय टर्नबुल ने कहा, ‘हम चुनाव जीत गए हैं। हमें जीत दिलाने और शांतिपूर्वक चुनाव संपन्न कराने के लिए ऑस्ट्रेलिया की जनता का धन्यवाद। यह महत्वूपर्ण है कि संसद काम करे। यह जरूरी है कि हम साथ काम करें और यह सुनिश्चित कर सकें कि हम सब अपनी उन नीतियों को लेकर एकमत हों जिन्हें लेकर हमने चुनाव लड़ा था।’ मीडिया खबरों के मुताबिक टर्नबुल कम से कम एक हफ्ते तक शपथ नहीं ले सकेंगे, क्योंकि गर्वनर जनरल विदेश में हैं। प्रधानमंत्री ने संकेत दिया है कि उनके कुछ कैबिनेट सदस्यों की हार के चलते मंत्रिमंडल में कुछ बदलाव किया जाएगा। गौरतलब है कि ऑस्ट्रेलिया में 150 सदस्यीय निचले सदन प्रतिनिधि सभा के लिए दो जुलाई को मतदान हुआ था। आठ दिनों की मतगणना के बाद टर्नबुल के गठबंधन को 74 सीटें पर जीत मिली है जबकि लेबर के खाते में 66 सीटें गई हैं। पांच सीटों पर अभी भी मतगणना जारी है।

11 july..5. इराक युद्ध गैरकानूनी था : प्रेस्कॉट:-

 इराक युद्ध में ब्रिटेन के शामिल होने के दौरान देश के प्रधानमंत्री रहे टोनी ब्लेयर के एक सहायक का मानना है कि यह युद्ध गैरकानूनी था। गौरतलब है कि एक बहुप्रतीक्षित ‘‘शिलकॉट रिपोर्ट’ में इराक युद्ध में ब्रिटेन की भूमिका के खिलाफ टिप्पणी की गई है। यह रिपोर्ट बुधवार को जारी की गई है। वर्ष 2003 में जब ब्रिटेन ने अमेरिका के नेतृत्व में इराक के खिलाफ युद्ध में हिस्सा लिया, तब की लेबर सरकार में दूसरे नंबर की हैसियत रखने वाले जॉन प्रेस्कॉट ने ‘‘संडे मिरर’ अखबार में प्रकाशित एक लेख में कहा है कि इराक युद्ध गैरकानूनी था। इराक युद्ध को लेकर हुई एक जांच की शिलकॉट रिपोर्ट में जंग में शामिल होने के तत्कालीन प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर के फैसले को दोषपूर्ण ठहराते हुए कहा गया है कि साल 2003 में इराक के तानाशाह सद्दाम हुसैन को अपदस्थ करने के लिए अमेरिका के नेतृत्व में हुए हमले में ब्रिटेन का शामिल होना अंतिम उपाय नहीं था और यह दोषपूर्ण खुफिया जानकारी पर आधारित था।साल 2009 में शुरू की गई आधिकारिक जांच के अध्यक्ष जॉन शिलकॉट ने कहा, ब्रिटेन ने इराक पर हमले में शामिल होने से पहले सभी शांतिपूर्ण विकल्पों को नहीं तलाशा था। शिलकॉट की जांच रिपोर्ट में कहा गया कि ब्लेयर ने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश को हमले से आठ माह पहले एक संदेश भेजा था, जिसमें ब्लेयर ने लिखा था, जो भी हो, मैं आपके साथ रहूंगा।प्रेस्कॉट फिलहाल हाउस ऑफ लॉर्ड्स के सदस्य हैं।

11 July..6. जो खतरा है नहीं, उसके खिलाफ एकजुट हुए नाटो देश : पुतिन:-

 यूरोपीय शहर वारसा में आयोजित नाटो शिखर सम्मेलन में रूस के खिलाफ भी जमकर हमला बोला गया। यूरोप को रूस से खतरा बताया गया। जवाब में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रविवार को कहा कि नाटो शिखर सम्मेलन में उस खतरे पर चर्चा की गई जिसका अस्तित्व ही नहीं है। उल्लेखनीय है कि नाटो का गठन रूस (तत्कालीन सोवियत संघ) के खिलाफ ही हुआ था। नाटो अब रूस के मामले में 13 जुलाई को ब्रसेल्स में चर्चा करेगा। पुतिन ने कहा, बैठक के शुरुआती विश्लेषण से लगता है कि नाटो का अस्तित्व अब भी दुनिया को फौजी-राजनीतिक तरीके से देखने के लिए है।' नाटो का शिखर सम्मेलन शनिवार को पोलैंड की राजधानी वारसा में समाप्त हुआ। इसमें ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने चेतावनी दी कि ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से निकलने के बाद पूरे यूरोप को एकजुट रहना होगा। वरना रूस हमला कर सकता है। सम्मेलन में अमेरिका राष्ट्रपति बराक ओबामा, यूक्रेन के राष्ट्रपति पेट्रो पोरोशेंको , जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन त्रुदो, फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद भी थे।

11 July ...7. एंडी मरे:-

 दुनिया के दूसरे नंबर के टेनिस खिलाड़ी एंडी मरे ने रविवार को दूसरी बार विंबलडन का खिताब जीत लिया। ब्रिटिश खिलाड़ी ने फाइनल में कनाडा के मिलोस राओनिक को 6-4, 7-6, 7-6 से पराजित किया। मरे के करियर का यह तीसरा ग्रैंडस्लैम खिताब है। इस जीत के साथ ही 29 वर्षीय मरे ने फाइनल में हारने का कलंक भी धो दिया। मरे को आठ ग्रैंडस्लैम टूर्नामेंट के खिताबी मुकाबले में शिकस्त ङोलनी पड़ी है। इनमें से सात बार सर्बियाई खिलाड़ी नोवाक जोकोविक और एक बार स्विट्जरलैंड के रोजर फेडरर ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेरा। इस बार जोकोविक जहां क्वार्टर फाइनल में हारकर बाहर हो गए थे वहीं फेडरर का अभियान सेमीफाइनल में थम गया। इससे मरे की राह आसान हो गई थी।

11 july ...8. सेरेना-वीनस:-

 दुनिया की नंबर एक टेनिस खिलाड़ी सेरेना विलियम्स ने सातवीं बार विंबलडन चैंपियन बनने और 22वां ग्रैंडस्लैम खिताब जीतने के बाद अपनी बड़ी बहन वीनस के साथ मिलकर महिला डबल्स खिताब भी जीता। वीनस और सेरेना की गैरवरीयता प्राप्त जोड़ी ने हंगरी की टिमिया बाबोस और कजाखिस्तान की यारोस्लावा श्वेदोवा की पांचवीं वरीयता प्राप्त जोड़ी को 6-3, 6-4 से हराकर छठी बार विंबलडन डबल्स खिताब जीता। यह उनका 14वां डबल्स ग्रैंडस्लैम खिताब है।यह दोनों बहनें ओवरऑल 23वीं बार फाइनल में पहुंची हैं, जिसमें से 22 बार उन्होंने खिताब जीता। उन्हें एकमात्र हार 1999 में सैन डियगो में डबल्स फाइनल में हार ङोलनी पड़ी थी।

10 July 2016..5. सेरेना विलियम्स:-

दुनिया की नंबर एक टेनिस खिलाड़ी सेरेना विलियम्स ने शनिवार को सातवीं बार विंबलडन का खिताब जीत लिया। इसके साथ ही अमेरिकी खिलाड़ी ने जर्मनी की स्टेफी ग्राफ के ओपन युग में रिकॉर्ड 22 ग्रैंडस्लैम खिताब जीतने के रिकॉर्ड की भी बराबरी कर ली। 28वीं बार ग्रैंडस्लैम फाइनल खेलने उतरी सेरेना ने जर्मनी की एंजेलिक कर्बर को 7-5, 6-3 से शिकस्त दी। यह मुकाबला 81 मिनट तक चला। हालांकि कुछ मौकों पर कर्बर ने सेरेना को कड़ी टक्कर दी, लेकिन जर्मनी खिलाड़ी ने अंतत: गत चैंपियन सेरेना के 39 विनर और 13 ऐस के सामने घुटने टेक दिए। पिछले साल विंबलडन के रूप में 21वां ग्रैंडस्लैम खिताब जीतने के बाद सेरेना को अमेरिकी ओपन के सेमीफाइनल और फिर ऑस्ट्रेलियाई ओपन और फ्रेंच ओपन के फाइनल में शिकस्त का सामना करना पड़ा था।

10 July 2016..4. जीएसटी का दायरा तय करेगा केंद्र!:-

 सरकार संवैधानिक दस्तावेजों में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दर निश्चित करने की बजाय इसका दायरा तय करने पर सहमत हो सकती है। राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा द्वारा सुझाये गये इस विकल्प पर सरकार ने संकेत दिया है कि इस पर सहमति बन सकती है।विपक्षी दल कांग्रेस के विरोध के कारण अब तक वस्तु एवं सेवा कर विधेयक राज्यसभा में पारित नहीं हो पाया है। राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत नहीं है। कांग्रेस जीएसटी दर संवैधानिक दस्तावेज में तय करने की मांग करती रही है जबकि सरकार का कहना है कि ऐसा करने से भविष्य में इस दर में बदलाव के लिए संविधान संशोधन की जटिल प्रक्रिया अपनानी पड़ेगी जो देश के हित में नहीं होगा। शर्मा ने एक नया रास्ता सुझाते हुए एक अंग्रेजी अखबार में प्रकाशित साक्षात्कार में कहा, हम कर की दर का दायरा निश्चित करने के बारे में सरकार से आश्वासन चाहते हैं। सरकार को विकल्पों के साथ हमसे बात करने दीजिये। इस बारे में पूछे जाने पर सरकार के एक उच्च पदस्थ सूत्र ने कहा उन्होंने (श्री शर्मा ने) तार्किक बयान दिया है। हम हमेशा बातचीत के लिए तैयार हैं। शर्मा ने आरोप लगाया कि डेढ़ साल बाद सरकार ने फरवरी 2016 में जीएसटी पर विपक्षी दलों की पहली बैठक बुलायी और इसके बाद अब तक कोई बैठक नहीं हुई है।

10 July 2016..3. अब आएगा निजी निवेश का दौर:-

 लंबित आर्थिक सुधारों को लागू करने और विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआइ) की नीति उदार बनाने के बाद सरकार आने वाले समय में देश में निजी निवेश बढ़ने की उम्मीद कर रही है। वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि हाल के वर्षो में देश के विकास में सार्वजनिक निवेश और एफडीआइ की अहम भूमिका रही है लेकिन निजी निवेश का सर्वश्रेष्ठ दौर अभी आना बाकी है। जेटली ने महंगे कर्ज का जिक्र करते हुए बचत पर मिलने वाले उच ब्याज दर को लेकर सवाल भी उठाए हैं। उनका कहना है कि बचत पर उच ब्याज दरों से कर्ज महंगा हो जाता है जिससे अर्थव्यवस्था में सुस्ती आती है। जेटली ने यह बात शनिवार को यहां बांबे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के 140 वर्ष पूरे होने पर आयोजित एक कार्यक्रम में कही। जेटली ने कहा कि देश में औद्योगिक और ढांचागत अभाव को दूर करने के लिए दीर्घावधि तक काफी निवेश की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि इस काम में निजी कंपनियों और सार्वजनिक-निजी (पीपीपी) निवेश की अहम भूमिका होगी। भारत ने कुछ वर्षो में सार्वजनिक निवेश और विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की मदद से अच्छी प्रगति की है लेकिन निजी क्षेत्र के निवेश का सर्वश्रेष्ठ दौर अभी आना बाकी है। उन्होंने कहा कि अक्सर निजी निवेश में सुस्ती की वजह मांग की कमी बताई जाती है। जेटली ने उम्मीद जतायी इस बार मानसून बेहतर रहने से गांव और शहरों में मांग में वृद्धि होगी जो निजी क्षेत्र के लिए अच्छा अवसर होगा।

10 July 2016..2. सुरक्षा सहयोग बढ़ाने को 17 से राजनाथ का अमेरिका दौरा:-

आपसी सुरक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए गृह मंत्री राजनाथ सिंह 17 जुलाई से अमेरिका के पांच दिवसीय दौरे पर जा रहे हैं। वह वाशिंगटन में आयोजित भारत-अमेरिका आंतरिक सुरक्षा वार्ता में हिस्सा लेंगे। इसमें दोनों देश आतंकवाद के खिलाफ पहले से जारी सहयोग को बढ़ाने तथा खुफिया जानकारियां और साझा करने के उपायों पर विचार-विमर्श करेंगे। दोनों देशों के नागरिकों की एक-दूसरे के यहां आवाजाही आसान करने के उपाय भी इस वार्ता में सुनिश्चित किए जाएंगे। गृह मंत्रलय के एक अधिकारी के अनुसार, सिंह वार्ता में भारतीय दल का नेतृत्व करेंगे। जबकि अमेरिकी पक्ष की अगुआई वहां के आंतरिक सुरक्षा मंत्री जे चाल्र्स जॉनसन करेंगे। अधिकारी का कहना है कि भारत और अमेरिका के बीच इस उचस्तरीय बातचीत से आंतरिक सुरक्षा को लेकर सामरिक साङोदारी को मजबूती मिलेगी। साथ ही आतंकवाद विरोधी अभियान के तहत जांच में सहयोग बढ़ाने और संभावित खतरों को विफल करने की रणनीति पर कारगर कदम भी उठाए जाएंगे। जिन अन्य मुद्दों पर द्विपक्षीय वार्ता में चर्चा होने की संभावना है, उनमें साइबर सुरक्षा, सामरिक महत्व के ठिकानों की रक्षा के लिए तंत्र विकसित करना, आतंकी फंडिंग और उनके वैश्विक आपूर्ति चैनल को ध्वस्त करना प्रमुख है। विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में आपसी सहयोग और बढ़ाने के उपायों पर भी इसमें चर्चा हो सकती है। उक्त अधिकारी ने कहा, ‘बैठक इस लिहाज से भी अहम है क्योंकि इसमें आतंकी हमला या प्राकृतिक आपदा की स्थिति का प्रभावी तरीके से मुकाबला करने के मौजूदा उपायों में और सुधार पर भी चर्चा होनी है। साथ ही पुलिस प्रशिक्षण में आपसी सहयोग बढ़ाना भी एजेंडे में है।’ इनके अलावा ग्लोबल इंट्री और एचएसपीडी-6 को लेकर दोनों देशों के बीच हाल में हुए करार पर भी वार्ता में चर्चा होगी। ग्लोबल इंट्री के तहत भारत के पूर्व राष्ट्रपति, पूर्व पीएम, पूर्व केंद्रीय मंत्री, फिल्म अभिनेता और उद्योगपति अमेरिका बगैर किसी दिक्कत के आ सकेंगे। वार्ता में इसके तहत शुरू में करीब 2,000 नामचीन भारतीय नागरिकों के नामों पर चर्चा होगी।

10 July 2016..1.भारत की तरक्की का लाभ अफ्रीका के लिए भी : मोदी:-

भारत को विश्व के ‘‘सर्वाधिक दीप्तिमान केंद्रों में से एक’ बताते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को देश की आर्थिक तरक्की के लाभों की पेशकश अफ्रीका, विशेषकर दक्षिण अफ्रीका को उसके व्यापक हित में की।भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच सहयोग को बढ़ाने की पैरवी करते हुए उन्होंने कहा, दोनों देशों के बीच संबंधों का इतिहास आधुनिक समय की हमारी साझेदार को निर्मित करने के लिए एक मजबूत आधारशिला उपलब्ध कराता है। उनके सम्मान में डरबन के मेयर द्वारा आयोजित एक स्वागत समारोह में प्रधानमंत्री ने कहा, भारत और दक्षिण अफ्रीका को उन महान अवसरों का फायदा उठाना चाहिए जिनमें हमारा उज्ज्वल भविष्य है। उन्होंने कहा, आज भारत आर्थिक कायाकल्प के दौर से गुजर रहा है और दक्षिण अफ्रीका, अफ्रीका की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। हमारी कारोबार और निवेश साझेदारी पहले ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने इस देश की अपनी दो दिवसीय यात्रा को समाप्त करने से ठीक पहले यह बात कही।प्रधानमंत्री ने कहा, आज हमारी एक दूसरे पर निर्भर दुनिया में भारत की तरक्की की कहानी दीप्तिमान केंद्रों में से एक है। लेकिन भारत की आर्थिक तरक्की केवल हमारे समाज के फायदे के लिए नहीं है। हमारी साझेदारी अफ्रीका और दक्षिण अफ्रीका जैसे हमारे मित्रों के व्यापक हित के लिए खुली है। दक्षिण अफ्रीका के साथ महात्मा गांधी के विशेष लगाव और अपने दक्षिण अफ्रीकी साथियों के बारे में उनकी चिंता का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘21वीं सदी में हमारी चुनौतियां हो सकता है बदल गई हों लेकिन हमारी विकास चिंताएं साझा हैं। यह मेरा प्रयास होगा कि हमारी विकास साझेदारी के परिणाम हमारे समाज के उन वगरे तक पहुंचें जिन्हें इनकी सर्वाधिक जरूरत है, खासतौर से युवाओं तक।’दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा के साथ विस्तार से बातचीत करने वाले मोदी ने बताया, दोनों पक्ष रणनीतिक संबंधों को नया विस्तार देने पर राजी हो गए हैं जिनमें सामाजिक आर्थिक सेक्टर, कारोबार और निवेश, लघु और मझौले कारोबार का विकास, सूचना और संचार तकनीक तथा क्षमता और संस्थान निर्माण शामिल है। उन्होंने इसके साथ ही कहा, इनमें से कुछ क्वाजुलू नटाल (वह प्रांत जहां डरबन स्थित है) की अहम ताकत हैं और इससे डरबन के साथ हमारे पारंपरिक संबंध और मजबूत होंगे।प्रधानमंत्री ने कहा, हम मजबूत सुरक्षा और रक्षा संबंधों के लिए मिलकर काम करने पर भी सहमत हुए हैं। दोनों देशों के बीच घनिष्ठ संबंधों का जिक्र करते हुए मोदी ने क्रि केट के बारे में भी बात की और कहा, इस खेल के लिए दीवानगी और प्यार हमारे समाजों में बहुत अधिक और गहरे तक है। दक्षिण अफ्रीका में सर्वाधिक आबादी वाले भारतीय समुदाय की सराहना करते हुए उन्होंने कहा, वह इस देश के ‘‘गौरवशाली, सफल और वफादार नागरिक हैं’, जो विभिन्न तरह से इसके लिए योगदान कर रहे हैं। उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि 16 नवम्बर 1860 को 342 भारतीयों का पहला समूह नटाल बंदरगाह के तट पर उतरा था। उन्होंने कहा, आज डेढ़ सदी बाद, डरबन भारत के बाहर सबसे बड़ा भारतीय शहर है। यह दक्षिण अफ्रीका में भारतीय मूल के लोगों की सर्वाधिक आबादी का घर है। रंगभेदी और औपनिवेशिक शासन के तहत भारतीयों की शुरूआती पीढ़ियों की यातनाएं सर्वविदित हैं। लेकिन सारी मुसीबतों के बावजूद उन्होंने अपनी संस्कृति और मूल्यों को संरक्षित रखा है।

Saturday 9 July 2016

9 July 2016..7. 344 फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन दवाओं पर लगा प्रतिबंध:-



सरकार ने इस साल मार्च में 344 फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन (एफडीसी) पर प्रतिबंध लगा दिया है क्योंकि चिकित्सा की दृष्टि से न तो ये उपयुक्त थे और न ही इनका कोई औचित्य था। एफडीसी से तात्पर्य है कि संक्रमण को नियंत्रित करने, दर्द निवारक दवाओं के अवयव शामिल होते हैं जिन्हें विभिन्न ब्रांड्स के नाम पर बेचा जा रहा था। दिल्ली सरकार के स्वास्य विभाग ने इन दवाओं पर 25 जून से पाबंदी लगाने का फरमान जारी किया है। इस साल के जनवरी से लेकर मई माह के दौरान औषध नियंत्रक विभाग को 890 शिकायतें मिली थीं जिसमें से 70 फीसद उपभोक्ता ऐसे थे जिन्होंने दवाओं के बेअसर होने की संभावना जताई थी जबकि 30 फीसद ऐसे लोग थे जो इन दवाओं को पहले प्रेसक्राइब करते थे लेकिन रोगियों ने दवाओं के असर नहीं होने की बार-बार जानकारी अपने डॉक्टरों से की। यही नहीं इस मामले में नामचीन कंपनियों के मालिकों तक से ढेरों प्रश्न किए लेकिन इनसे से संतोषजनक जवाब नहीं मिला। इन सबको स्वास्य विभाग ने गंभीरता से लेते हुए औषधि नियंत्रक विभाग को जांच के आदेश दिए थे। ड्रग टेस्टिंग एडवाइजरी बोर्ड (डीटीएबी) की मदद से औषधि जांच लेबोरेटरी ने 5678 नमूने विभिन्न क्षेत्रों से उठाए। उनकी जांच में से 344 फिक्स्ड डोज कॉब्मिनेशन कैटेगरी की दवाएं तय मानकों पर खरी नहीं उतरीं। नतीजतन इन शिकायतों और लैबोरेटरी की एनालेटिकल रिपोर्ट्स केंद्रीय स्वास्य मंत्रालय को भेजी गई। स्वास्य मंत्रालय ने इन नमूनों में से कुछ की पुर्नसमीक्षा की जिसके आधार पर इन दवाओं को प्रतिबंधित करने संबंधी निर्देश जारी कर दिए। फार्मास्यूटकिल कंपनी मालिकों को निर्देश दिया गया है कि वे प्रतिबंधित दवाओं को 65 दिन के अन्तराल में बाजार से उठा लें जिन्हें वे नष्ट कर दें। इस अवधि के बाद यदि दवाएं कैमिस्ट शॉप्स या फिर अन्य माध्यमों के जरिए मरीजों तक आपूत्तर्ि करते पाई जाएंगी तो उनके खिलाफ औषधि प्रशाधन अधिनियम 1940 के तहत कार्रवाई की जाएगी। स्वास्य सचिव डा. तरून सीम ने कहा कि प्रतिबंधित औषधि की ब्रिक्री एवं आपूत्तर्ि के निर्देश जारी कर दिए गए हैं। प्रतिबंधित की गई कुछ औषधियों की सुरक्षा और उनके प्रभाव संबंधी मामलों की जांच की गई है। जो तय मानकों पर खरी नहीं उतरी।यह दवाएं : इनमें ‘‘निमोसुलाइड’ शामिल है और 12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए निमोसुलाइड फामरूलेशन के विनिर्माण, बिक्री और वितरण पर रोक लगा दी गई है। इसके अलावा शरीर एवं सिर में दर्द कम करने वाले फार्माल्यूशन, खून को पतला करने वाली दवाएं, आंतों के संक्रमण को रोकने, आई ड्राप्स (कन्जेक्टिवाइटिस), डिहाइड्रेशन, ट्यूमर के कारण होने वाले दर्द, कैंसर में कीमो देने के बाद होनी वाली विकृति संबंधी दवाओं के अवयव शामिल किए गए हैं जो बाजार में विभिन्न ब्रांड्स व रैपरों में बेची जा रही थी।

9 July 2016..6. मणिपुर मुठभेड़ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा : सेना नहीं कर सकती अत्यधिक बल प्रयोग:-

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि सेना और अर्धसैनिक बल मणिपुर में ‘‘अत्यधिक एवं प्रतिशोध स्वरूप बल’ का प्रयोग नहीं कर सकते। ऐसी घटनाओं की जांच की जानी चाहिए। न्यायमूर्ति एम बी लोकुर तथा न्यायमूर्ति आर के अग्रवाल की पीठ ने सहायक वकील (एमिकस क्यूरी) से मणिपुर में हुईं कथित फर्जी मुठभेड़ों का ब्यौरा देने को भी कहा। पीठ ने कहा कि मणिपुर में कथित फर्जी मुठभेड़ों के आरोपों की जांच सेना चाहे तो, खुद भी कर सकती है। न्यायालय ने कहा कि वह राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के इस दावे की जांच करेगी कि वह ‘‘शक्तिविहीन’ है और उसे कुछ और शक्तियों की जरूरत है। उच्चतम न्यायालय जिस याचिका पर सुनवाई कर रहा था वह याचिका सुरेश सिंह ने दाखिल की है और उन्होंने ‘‘अशांत इलाकों में’ भारतीय सैन्य बलों को विशेष अधिकार देने वाले सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून को निरस्त करने की मांग की है। पूर्व में न्यायालय ने कहा था कि मणिपुर में मुठभेड़ में मारे गए लोगों के परिजन को सुरक्षा बलों द्वारा मुआवजा दिए जाने संबंधी तय ‘‘संकेत’ देते हैं कि यह मुठभेड़ें फर्जी थीं। पीठ ने मणिपुर सरकार से कहा कि मृतकों के परिजन को मुजावजा देने के बाद उठाए गए कदमों के बारे में वह न्यायालय को जानकारी दे।

9 July 2016..5. सरकार ने शुरू की 51 कंपनियों में हिस्सेदारी की बिक्री:-

 सरकार ने रिलायंस इंडस्ट्रीज, आईसीआईसीआई बैंक, एक्सिस बैंक और एलएंडटी समेत 51 कंपनियों में अपनी अल्पांश हिस्सेदारी बेचने के लिये मर्चेंट बैंकरों को आमंत्रित किया है। सरकार का इरादा तीन साल के भीतर इन कंपनियों में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचकर बाहर निकलने का है।सरकार की ‘‘दि स्पेसिफाइड अंडरटेकिंग ऑफ यूटीआई (एसयूयूटीआई)’ के जरिये इन 51 कंपनियों में थोड़ी बहुत हिस्सेदारी है। यह हिस्सेदारी हिंदुस्तान यूनिलीवर, आईटीसी लिमिटेड, जयप्रकाश एसोसिएट्स सहित कई सूचीबद्ध और गैर-सूचीबद्ध कंपनियों में है। एसयूयूटीआई का गठन 2003 में पूर्ववर्ती यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया (यूटीआई) के बाद हुआ था। सरकार इन कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी को अब खुली बिक्री पेशकश, थोक सौदे या शेयर बाजार में नियमित बिक्री के जरिए बेचने पर विचार कर रही है।हिस्सेदारी बेचने के प्रस्ताव के मुताबिक एसयूयूटीआई ने अगले तीन साल के लिए एसयूयूटीआई होल्डिंग्स पर सलाह देने के लिए तीन मर्चेंट बैंकरों और बिक्री ब्रोकरों को नियुक्त करने की योजना बनाई है।उधर नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि सरकार को अगले छह महीने में सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों में रणनीतिक विनिवेश की प्रक्रि या आगे बढ़ाने की उम्मीद है। इसके अलावा सरकार उन बीमार कंपनियों को बंद करने पर भी विचार कर रही है जिनका पुनरद्धार संभव नहीं है। पनगढ़िया ने कहा, ‘‘मैं कहना चाहूंगा कि रणनीतिक विनिवेश के संबंध में अगले छह महीने में आप गतिविधियां देखेंगे जिसका अर्थ है कि प्रक्रि या जारी है सरकार ने नीति आयोग को रणनीतिक निवेश के लिए केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्र मों की पहचान का जिम्मा दिया है। इसके तहत बिक्री के तौर तरीके, सीपीएसई की बेची जाने वाली हिस्सेदारी का अनुपात और मूल्यांकन की प्रक्रि या भी शामिल है।पनगढ़िया ने कहा कि नीति आयोग ने उन बीमार इकाइयों की पहचान के संबंध में एक रपट तैयार की है जिन्हें बंद करने की जरूरत है। सरकार के 2016-17 के बजट प्रस्तावों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में सरकारी हिस्सेदारी बेचकर 56,500 करोड़ रु. जुटाये जायेंगे। इसमें से 36,000 करोड़ रु. सार्वजनिक उपक्रमों में अल्पांश हिस्सेादरी बेचकर जबकि शेष 20,500 करोड़ रु रणनीतिक बिक्री के जरिये जुटाये जायेंगे।

9 July 2016..4. कोरियाई प्रायद्वीप में ‘थाड’ से चीन बेचैन:-

 उत्तर कोरिया से बढ़ते सुरक्षा खतरों के चलते अमेरिका और दक्षिण कोरिया रक्षात्मक कदम उठाने जा रहे हैं। वे कोरियाई प्रायद्वीप में उन्नत मिसाइल रोधी प्रणाली तैनात करेंगे। इस कदम से चीन बेचैन हो गया है। उसने अमेरिका और दक्षिण कोरिया के राजदूत को तलब कर अपना कड़ा विरोध जाहिर किया। इस फैसले का रूस ने भी विरोध किया है।पेंटागन ने गुरुवार देर रात बयान में कहा कि टर्मिनल हाई एल्टीटूड एरिया डिफेंस (थाड) को तैनात करने का फैसला अमेरिका और दक्षिण कोरिया ने संयुक्त रूप से लिया है। दोनों देशों ने यह फैसला दक्षिण कोरिया और उसके नागरिकों के साथ गठबंधन सेना को उत्तर कोरिया के विनाशकारी हथियारों और बैलिस्टिक मिसाइलों के खतरे से बचाने के लिए लिया है। थाड की तैनाती के मुद्दे पर फरवरी में उस समय बात शुरू हुई जब उत्तर कोरिया ने लंबी दूरी के राकेट का परीक्षण किया। इसके पहले जनवरी में उसने चौथा परमाणु परीक्षण किया था। तब से अमेरिका और दक्षिण कोरिया थाड की शीघ्र तैनाती सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं। पेंटागन ने यह जाहिर नहीं किया कि मिसाइल रक्षा प्रणाली कब तैनात की जाएगी। उसने कहा कि तैनाती स्थल के चयन को लेकर वार्ता अंतिम दौर में है। चीन ने इस योजना को लेकर आगाह किया है। विदेश मंत्रलय ने कहा कि चीन इसका दृढ़ता से विरोध करता है। इससे क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ सकता है। जबकि रूस ने कहा, मिसाइल डिफेंस सिस्टम की तैनाती से क्षेत्र का सामरिक संतुलन बिगड़ जाएगा।

9 July 2016..3. यूरोपीय कारोबार का संयुक्त उद्यम बनाएगी टाटा स्टील:-

टाटा स्टील ने अपने यूरोपीय कारोबार ने जर्मन कंपनी थाइसेनक्रुप एजी के साथ संयुक्त उद्यम बनाने की संभावना को लेकर बातचीत शुरू कर दी है। इसके दायरे में भारतीय कंपनी का ब्रिटिश कारोबार भी आएगा। कंपनी की शुक्रवार को हुई बोर्ड बैठक के बाद यह एलान किया गया। टाटा स्टील ने ब्रिटेन के घाटे वाले कारोबार की खरीद के लिए आए 200 संभावित निवेशकों के प्रस्तावों की छानबीन करने के बाद यह घोषणा सामने आई है।बैठक में कंपनी के साउथ यॉर्कशायर स्थित स्पेशलिटी स्टील बिजनेस और हार्टलेपूल पाइप मिल्स की अलग से बिक्री शुरू करने का भी फैसला किया गया है। हालांकि तत्काल यह पता नहीं चला पाया है कि कंपनी अपने ब्रिटिश कारोबार की बिक्री आगे बढ़ाएगी या इसे रोक देगी। कंपनी ने मार्च में अपने घाटे वाले ब्रिटिश कारोबार की बिक्री का एलान किया था।शुक्रवार को बोर्ड बैठक से पहले ब्रिटिश व्यापार मंत्री साजिद जावेद ने टाटा समूह के चेयरमैन साइरस मिस्त्री और ग्रुप के शीर्ष प्रबंधन से मुलाकात की थी। इसमें कंपनी के ब्रिटिश कारोबार को लेकर दीर्घकालीन समाधान खोजने पर बातचीत हुई। बीते दिन ऐसी खबरें आई थीं कि टाटा स्टील ब्रिटेन में अपने यादातर संकटग्रस्त प्लांटों की बिक्री की योजना को रोक सकती है। इनमें कंपनी का सबसे बड़ा ब्रिटिश स्टील प्लांट पोर्ट टालबोट शामिल है।

9 July 2016..2. नीति आयोग में नई गरीबी रेखा तय करने को विशेषज्ञ समिति बनाने पर विचार :

 गरीबों के हित में बाधा नहीं बनेगी नई गरीबी रेखा:- मोदी सरकार संप्रग के कार्यकाल में विवादों में घिरी तेंदुलकर और रंजराजन समिति की गरीबी रेखाओं को हमेशा के लिए तिलांजलि देने की तैयारी कर रही है। माना जा रहा है कि नीति आयोग नई गरीबी रेखा तय करने को एक विशेषज्ञ समूह गठित करने पर विचार कर रहा है। बताया जाता है कि ‘नई गरीबी रेखा’ गरीबों के हितों में बाधा नहीं बनेगी, क्योंकि न तो इसका इस्तेमाल गरीबी निवारण कार्यक्रमों के लिए धन आवंटन के लिए होगा और न ही इसके जरिए गरीबों की पहचान की जाएगी। नई गरीबी रेखा का इस्तेमाल सिर्फ देश की तरक्की के आकलन और अकादमिक मकसद के लिए किया जाएगा। सूत्रों ने कहा कि नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पानगड़िया ने नई गरीबी रेखा तय करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति बनाने का सुझाव दिया है। इसके बाद आयोग में इस दिशा में विचार-विमर्श शुरू हो गया है। आयोग इसके लिए उपयुक्त अर्थशास्त्रियों की पहचान करने में जुटा है, जिन्हें गरीबी रेखा सुझाने के लिए रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी जा सके। आयोग को नई गरीबी रेखा तय करने की जरूरत इसलिए पड़ रही है, क्योंकि मौजूदा तेंदुलकर और रंगराजन समिति की रेखाएं देश में गरीबी की तस्वीर सही से पेश नहीं कर पाती हैं। इतना जरूर है कि नई गरीबी रेखा राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ) के मासिक उपभोक्ता खर्च सर्वे के आधार पर ही तय होगी। पूर्ववर्ती संप्रग सरकार ने तेंदुलकर समिति के फॉमरूले के आधार पर गरीबी रेखा गांव में 28 रुपये और शहर में 32 रुपये रोजाना प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय के रूप में तय की थी। इसकी चौतरफा आलोचना हुई थी। इसके बाद संप्रग सरकार ने रंगराजन समिति का गठन किया था। इस समिति ने शहर में गरीबी रेखा 47 रुपये और गांवों में 32 रुपये रोजाना प्रति व्यक्ति उपभोक्ता खर्च के तौर पर तय की थी। नई गरीबी रेखा के आधार पर आयोग को राष्ट्रीय विकास का विजन तैयार करने में मदद मिलेगी। हालांकि इसका इस्तेमाल गरीबों को मिलने वाले सरकारी योजनाओं के फायदे के लिए नहीं होगा। इसका मतलब है कि कोई भी गरीब गरीबी रेखा के दायरे में नहीं आने के कारण सरकारी योजनाओं का लाभ पाने से वंचित नहीं होगा।

9 July 2016...1.भारत और दक्षिण अफ्रीका बढ़ाएंगे रक्षा सहयोग:-

 पारंपरिक संबंधों को गति देने के लिए भारत और दक्षिण अफ्रीका ने रक्षा उत्पादन, निर्माण व खनन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का फैसला किया है। इसके अलावा दोनों देशों ने आतंकवाद के खिलाफ मिलकर लड़ने और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर सक्रिय सहयोग का संकल्प लिया है। दक्षिण अफ्रीका की यात्र पर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को राष्ट्रपति जैकब जुमा से मुलाकात की। इस दौरान मोदी ने उन्हें बताया कि भारत रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में एक आकर्षक देश के तौर पर उभर रहा है। दोनों देश न केवल अपनी जरूरतों बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक मांगों को भी पूरा कर सकते हैं। उल्लेखनीय है कि दक्षिण अफ्रीका रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में दुनिया का एक बड़ा खिलाड़ी है। जुमा के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता करते हुए मोदी ने एनएसजी मुहिम में भारत का समर्थन करने के लिए भी अफ्रीकी राष्ट्रपति को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, ‘हम दक्षिण अफ्रीका जैसे मित्र देशों को अपना समर्थक मान सकते हैं।’ पहले इस तरह की खबरें आ रही थीं कि दक्षिण अफ्रीका को भारत की एनएसजी सदस्यता पर आपत्ति है। मोदी ने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन का सदस्य बनने के लिए भी जुमा को धन्यवाद दिया। प्रेस से बात करते हुए मोदी ने महात्मा गांधी को भी याद किया। उन्होंने कहा कि गांधीजी का जितना संबंध भारत से है, उतना ही संबंध दक्षिण अफ्रीका से भी है। उन्होंने कहा कि मेरे लिए यह यात्र विश्व की दो महानतम आत्माओं को श्रद्धांजलि अर्पित करने का अवसर जैसा है। राष्ट्रपति जुमा ने प्रधानमंत्री का स्वागत करते हुए दक्षिण अफ्रीका को उनका दूसरा घर बताया। उन्होंने कहा कि दोनों देश ब्रिक्स, जी-20 और जी-77 जैसे मंचों पर मिलकर काम करने के लिए सहमत हैं।

Friday 8 July 2016

8 July 2016..5. फ्रांस ने तेजस के लिए कावेरी इंजन को शुरू करने की पेशकश की:-



 फ्रांस ने अंतिम चरण में पहुंच चुके अरबों यूरो के राफेल लड़ाकू विमान सौदे में अतिरिक्त फायदे के तहत स्वदेशी तेजस विमान की नाकाम कावेरी इंजन परियोजना को फिर से पटरी पर लाने तथा अन्य उच्च स्तरीय सहयोग के लिए भारत को मदद की पेशकश है।रक्षा सूत्रों ने बताया कि फ्रांस से उड़ान भर सकने की स्थिति वाले 36 राफेल विमानों की खरीद संबंधी फाइल तैयार हो चुकी है और इसे जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने रखे जाने की संभावना है। सौदे की अनुमानित लागत तकरीबन 7.89 अरब यूरो है और इसमें 50 प्रतिशत ऑफसेट (अतिरिक्त फायदे) शतार्ें को अपरिहार्य बनाया गया है।पिछले साल र्चचा किये गए ऑफसेट सौदे (सौदे के अलावा अतिरिक्त फायदा) के तहत फ्रांसीसी पक्ष की तरफ से सैन्य अंतरिक्ष अनुसंधान और विकास कार्यक्र मों के लिए 30 प्रतिशत ऑफसेट प्रतिबद्धता तथा बाकी 20 प्रतिशत यहां राफेल के वास्ते कल पुर्जा बनाने की है। ऑफसेट समझौता पूरी तरह राफेल परियोजना के तहत फ्रांस की कंपनियां - सफरन, थलेस, एमबीडीए और दसॉल्ट करेंगी। एक रक्षा सूत्र ने बताया, फ्रांस सरकार सैद्धांतिक रूप से ऑफसेट प्रतिबद्धताओं के तहत इन बिंदुओं पर सहमत हो गयी है। इन 36 राफेल विमानों के लिए निर्णायक अनुंबध हो जाने के बाद फ्रांस सरकार विषयगत मंजूरी देगी और ठोस बातचीत शुरू होगी। फ्रांस सैद्धांतिक तौर पर कावेरी इंजन पर भी तालमेल के लिए राजी हुआ है। यह इंजन तेजस की उड़ान के लिए पूरी तरह से ताकतवर नहीं है।फ्रांस के सहयोग से मौजूदा 72 केएन की तुलना में 90 केएन के साथ उन्नत कावेरी इंजन को विकसित किया जा सकता है जिसे आखिरकार तेजस के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें अभी अमेरिकी इंजन का प्रयोग होता है। एक सूत्र ने कहा, डीआरडीओ और कुछ अन्य एजेंसियों के साथ ऑफसेट (अतिरिक्त फायदे) पर पिछले साल बातचीत हुयी थी। राफेल के लिए एक बार अनुंबध होने पर ऑफसेट तय करने में छह महीने का वक्त लगेगा। फ्रांस को उम्मीद है कि भारतीय रक्षा बाजार में उसे बड़ी हिस्सेदारी मिलेगी और राफेल सौदे को वह बड़ी सफलता के तौर पर देखता है। उसे यह भी उम्मीद है कि भारत और ज्यादा राफेल विमानों के लिए फैसला करेगा, जो ‘‘मेक इन इंडिया’ पहल के जरिए हो सकता है।

8 july 2016..4. हिलेरी ईमेल मामले की जांच बंद, कोई आरोप तय नहीं:-

 हिलेरी क्लिंटन को एक बड़ी राहत देते हुए अटॉर्नी जनरल लॉरेटा लिंच ने कहा है कि राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार पर इस बात को लेकर कोई आरोप तय नहीं किए जाएंगे कि उन्होंने विदेशमंत्री होने के दौरान निजी ईमेल सर्वर का इस्तेमाल करके नियमों का उल्लंघन किया।क्लिंटन के प्रचार अभियान को एक बड़ी राहत देते हुए लिंच ने बुधवार को एक बयान में कहा कि उन्होंने इस संदर्भ में संघीय जांच ब्यूरो की सिफारिश को स्वीकार कर लिया है। उन्होंने कहा, बृहस्पतिवार दोपहर को मैंने एफबीआई निदेशक जेम्स कॉमे, अभियोजकों और मामले की जांच करने वाले एजेंटों से मुलाकात की।पूर्व विदेशमंत्री के खिलाफ दायर मामले को कानूनी तौर पर बंद करते हुए लिंच ने एक बयान में कहा, मुझे उनकी एकमत सिफारिश मिली और मैंने यह स्वीकार कर ली। इसमें कहा गया कि एक साल तक चली पूर्ण जांच को बंद कर दिया जाना चाहिए और जांच के दायरे में आने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ आरोप तय नहीं किए जाने चाहिए। हालांकि रिपब्लिकन पार्टी नवम्बर में होने वाले आम चुनाव तक चलने वाले प्रचार में इसे राजनीतिक मुद्दा बनाने की योजना बना रही है। यह बात रिपब्लिकन नेशनल कमेटी के अध्यक्ष आर प्रीबस और पार्टी के कुछ नेताओं की ओर से जारी बयान में स्पष्ट हो गई।प्रीबस ने कहा, राष्ट्रपति ओबामा की अटॉर्नी जनरल का यह फैसला गोपनीय जानकारी से जुड़े उन कई अमेरिकियों के मुंह पर तमाचा है, जो नियमों के साथ चलते हैं और जिन्हें इससे छोटे अपराधों के लिए दंडित किया जाता रहा है। उन्होंने कहा, अटॉर्नी जनरल द्वारा बिल क्लिंटन के साथ गुप्त बैठक किए जाने पर और हिलेरी के अभियान की ओर से लिंच के एटॉर्नी जनरल बने रहने की बात और कई दिन पहले ही आरोपों को तय न किए जाने की बात कही जाने को देखते हुए, बहुत से अमेरिकी लोगों को इस बात पर यकीन करने में मुश्किल हो रही होगी कि ओबामा के न्याय मंत्रालय ने निष्पक्ष और न्यायसंगत जांच की है। उन्होंने आरोप लगाया, जिन लोगों ने गोपनीय जानकारी का कुप्रबंधन किया है, उन्हें अपनी नौकरियां छोड़नी पड़ीं, जुर्माने भरने पड़े और उन्हें जेल भी जाना पड़ा। फिर भी हिलेरी क्लिंटन को कुछ अलग ही नियमों के तहत चलने दिया जा रहा है।एफबीआई को लिखे पत्र में, सीनेट की न्यायिक समिति के अध्यक्ष चक ग्रासले ने एफबीआई के फैसले पर और अधिक जानकारी मांगी। एक अन्य बयान में सीनेटर टिम स्कॉट ने कहा, एफबीआई के निष्कर्ष इस बात को स्पष्ट करते हैं कि हिलेरी ने अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा और गोपनीय जानकारी को जोखिम में डाला और उनका ईमेल संभवत: विदेशी संचालकों ने हैक भी किया था। उन्होंने कहा, हमने ऐसे कई लोगों के उदाहरण देखे हैं, जिन्होंने गोपनीय जानकारी को जोखिम में डाला है और उनके साथ ऐसा बर्ताव नहीं हुआ।

8 July 2016..3. किसानों को बेहतर मूल्य मिलने से थमेगी महंगाई :-

 किसानों को उपज का बेहतर मूल्य मिलेगा तो देश में उत्पादन बढ़ेगा और मुद्रास्फीति खासकर दलहन और सब्जियों जैसी खाद्य वस्तुओं की महंगाई पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी। सरकार को उम्मीद है कि इस साल दलहन का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ने से देश में दालों का रकबा और उत्पादन बढ़ेगा जिससे खाद्य महंगाई दर को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। वित्त मंत्रलय के आर्थिक कार्य विभाग के सचिव शक्तिकांत दास का कहना है कि सरकार ने दलहन फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में जो वृद्धि की है उसके परिणाम दिखने शुरू हो गए हैं। इससे दलहन का रकबा और उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है। सरकार ने दालों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए हाल में खरीफ की दलहन फसलांे के एमएसपी में 425 रुपये प्रति क्विंटल तक की वृद्धि की है। इसके अलावा विदेशों से सरकारी स्तर पर दाल आयात करने के भी प्रयास किए गये हैं ताकि घरेलू बाजार में दालों की उपलब्धता बढ़ायी जा सके। देश में 2.48 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र पर दलहन की खेती होती है। देश में दलहन उत्पादन फिलहाल 170 लाख टन और मांग 236 लाख टन है। यही वजह है कि पिछले साल देश में दालों की घरेलू मांग को पूरा करने के लिए 58.8 लाख टन दलहन का आयात किया गया था। इसके अलावा जमाखोरों के ठिकानों पर छापेमारी कर 1.34 लाख टन दालें भी पिछले साल जब्त की गई थीं। असल में खाद्य महंगाई के बढ़ने की बड़ी वजह दालों की आसमान छूती कीमतें हैं जो 200 रुपये प्रति किलो का आंकड़ा छू चुकी हैं। थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर मई में बढ़कर 0.79 प्रतिशत हो गयी जबकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा महंगाई दर बढ़कर 5.76 प्रतिशत हो गई। हालांकि मई में खाद्य वस्तुओं की खुदरा महंगाई दर बढ़कर 7.55 प्रतिशत हो गयी है जबकि अप्रैल में यह 6.40 प्रतिशत तथा पिछले साल मई में 4.80 प्रतिशत थी। जहां तक दालों की महंगाई दर का सवाल है तो यह जनवरी 2015 से ही दहाई के अंक में बनी हुई है। मई में तो दलहन की महंगाई दर 35.56 प्रतिशत पर थी।

8 July 2016..2. 231 परियोजनाओं के साथ सात रायों में नमामि गंगे का शुभारंभ :-

 मोक्षदायिनी मां गंगा को अविरल और निर्मल बनाने के लिए केंद्र सरकार ने गुरुवार को सात राज्यों में अपने महत्वाकांक्षी कार्यक्रम नमामि गंगे के पहले चरण का 231 परियोजनाओं के साथ शुभारंभ कर दिया। इस पर 1500 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इनमें नदी को स्वछ करने के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने और इसके बहाव को अवरोध मुक्त करना शामिल है। शुरुआत नदी के किनारों को सुंदर बनाने से होगी। साथ ही घाटों और श्मशान घाटों का निर्माण और मरम्मत भी होगी। इसी के साथ गंगा किनारे वाले पांच राज्यों में 104 स्थानों पर अधिक क्षमता वाले सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जाएंगे। गंगा ग्राम योजना में नदी से लगे 400 गांवों को वेस्ट मैनेजमेंट में शामिल किया जाएगा। 13 आइआइटी ने गंगा ग्राम विकास के लिए पांच गांवों को गोद लिया है।
क्या होगा इस परियोजना से
• पवित्र नदी गंगा को स्वछ करने के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने और गंगा के बहाव को अवरोध मुक्त करना शामिल है
• सफाई का पहला चरण अक्टूबर, 2016 में होगा पूरा
• दूसरा चरण उसके दो साल बाद पूरा हो जाएगा 
• एक एप भी लांच। इससे की जा सकेगी नदी में प्रदूषण के स्तर की निगरानी
• परियोजना के तहत उप्र में 112, उत्तराखंड में 47, बिहार में 26, प. बंगाल में 20 और झारखंड में 19 योजनाएं चलेंगी। इसमें दिल्ली-हरियाणा में यमुना के लिए सात योजनाएं भी शामिल की गई हैं
• आठ बायोडायवर्सिटीज सेंटर बनाए जाएंगे। इन्हें ऋषिकेश, देहरादून, नरोरा, इलाहाबाद, वाराणसी, भागलपुर, साहिबगंज और बैरकपुर में स्थापित किया जाएगा 
• गंगा ग्राम योजना में नदी से लगे 400 गांवों को वेस्ट मैनेजमेंट में शामिल किया जाएगा 
• नदी से सटे 30 हजार हेक्टेयर इलाके में पेड़-पौधे लगाए जाएंगे। 113 रीयल टाइम वाटर क्वालिटी मॉनीटरिंग स्टेशन बनाए जाएंगे
• गंगा के किनारे बसे गांवों में स्वछता पर जोर देने के साथ शौचालयों के निर्माण पर भी ध्यान केंद्रित किया जा रहा
• श्मशान घाटों पर भी ऐसी व्यवस्था पर जोर है ताकि अधजले या बिना जले शव नदी में न बहाए जाएं

8 July 2016..1.मोजाम्बिक से दीर्घकालीन समझौता, भारत दाल खरीदेगा, बदले में एड्स उपचार की दवाएं देगा:-

 विभिन्न देशों में आतंकी हमलों में आई तेजी के संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि आतंकवाद दुनिया के समक्ष ‘‘सबसे बड़ा खतरा’ है, साथ ही भारत और मोजांबिक के बीच सुरक्षा और रक्षा सहयोग को मजबूत बनाने की वकालत भी की जो हिंद महासागर से जुड़े हुए हैं। मोजांबिक के राष्ट्रपति फिलिप न्यूसी के साथ मोदी की विविध विषयों पर र्चचा के बाद एक महत्वपूर्ण ‘‘दीर्घकालीन’ समझौते पर हस्ताक्षर किया गया जिसके तहत भारत इस देश से दाल खरीदेगा ताकि इसकी कमी को पूरा किया जा सके और कीमतों को नियंत्रित किया जा सके।भारत को मोजांबिक का ‘‘विश्वस्त मित्र’ और ‘‘भरोसेमंद सहयोगी’ करार देते हुए प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि अफ्रीकी देश में जन स्वास्य पण्राली को मजबूत बनाने के प्रयास के हिस्से के तौर पर एड्स के उपचार समेत अन्य आवश्यक दवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। भारत, मोजांबिक में सुरक्षाबलों की क्षमता के निर्माण में मदद करेगा। प्रधानमंत्री ने इस अफ्रीकी देश को विकास और प्रगति के मार्ग पर आगे बढ़ाने में सहयोग का संकल्प व्यक्त किया।मोजांबिक के राष्ट्रपति न्यूसी के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में मोदी ने कहा, हम अपने लोगों के फायदे के लिए विकास और आर्थिक प्रगति चाहते हैं। हम अपने लोगों की सुरक्षा चाहते हैं। दोनों नेताओं ने आपसी कारोबार और निवेश बढ़ाने और अन्य क्षेत्रों में सहयोग के विभिन्न आयामों पर र्चचा की। उन्होंने कहा, आतंकवाद आज दुनिया की सुरक्षा के समक्ष सबसे बड़ा खतरा है। प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी बांग्लादेश और सऊदी अरब समेत दुनिया के विभिन्न हिस्सों में आतंकी हमलों की घटनाओं में हुई वृद्धि की पृष्ठिभूमि में सामने आई है।प्रधानमंत्री ने कहा, आतंकवाद का नेटवर्क मादक पदार्थो की तस्करी समेत अन्य अपराधों से जुड़ा हुआ है और इस पर लगाम लगाने के लिए भारत और मोजांबिक ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किया है। भारत और मोजांबिक के हिंद महासागर से जुड़े होने का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने नौवहन क्षेत्र समेत अन्य क्षेत्रों में उभरती हुई सुरक्षा चुनौतियों पर र्चचा की और कहा कि दोनों देश सुरक्षा और रक्षा सहयोग बढ़ाएंगे। मोदी ने कहा कि भारत, मोजांबिक के सुरक्षाबलों की क्षमता निर्माण में मदद करेगा और प्रशिक्षण एवं उपकरण मुहैया कराएगा।प्रधानमंत्री चार अफ्रीकी देशों की पांच दिवसीय यात्रा के पहले चरण में बृहस्पतिवार सुबह मोजांबिक पहुंचे। मोदी ने कहा, हमारा सहयोग हमारी साझी क्षमताओं और हितों से संचालित है..मोजांबिक की ताकत भारत की जरूरत है और मोजांबिक की जरूरत की पूर्ति भारत कर सकता है ।

Thursday 7 July 2016

7 July 2016..5. अमेरिका ने भारत की तरक्की पर उठाए सवाल:-

अमेरिका ने कहा कि भारत की वृद्धि दर बढ़ा-चढ़ाकर बताई गई हो सकती है। साथ ही कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार आर्थिक सुधार के संबंध में अपने वादों को पूरा करने की दिशा में धीमी रही है। हालांकि उसने नौकरशाही और एफडीआई की रोक कम करने की प्रशंसा की है।विभिन्न किस्म के आर्थिक सुधार और विशेष तौर पर नौकरशाही के फैसलों को व्यवस्थित करने और कुछ क्षेत्रों में एफडीआई सीमा बढ़ाने की प्रशंसा करते हुए अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कल एक रपट में कहा कि प्रस्तावित आर्थिक सुधार के संबंध में मोदी सरकार की प्रगति धीमी रही है जो उसके वादे के अनुरूप हो। रपट में कहा गया कि कई प्रस्तावित सुधारों को संसद में पारित होने के लिए संघर्ष करना पड़ा। इसमें कहा गया कि इसके कारण भाजपा नीत सरकार के समर्थन में आगे आए कई निवेश पीछे हट रहे हैं।रपट के मुताबिक सरकार संसद में भूमि अधिग्रहण विधेयक पर पर्याप्त समर्थन हासिल करने में नाकाम रही और वस्तु एवं सेवा कर के ब्योरों के संबंध में विपक्षी दलों के साथ अभी भी विचार-विमर्श कर रही है। यदि इसे कमजोर न बना दिया गया तो यह भारत के पेचीदे कर ढांचे का व्यवस्थित कर सकता है और सकल घरेलू उत्पाद को तुरंत प्रोत्साहन प्रदान कर सकता है। विदेश विभाग के आर्थिक एवं कारोबार ब्यूरो की इस रपट में कहा गया, ‘‘स्पष्ट रूप से भारत विश्व की सबसे अधिक तेजी से वृद्धि दर्ज करती अर्थव्यवस्था है लेकिन निवेशकों के रझान में नरमी से संकेत मिलता है कि करीब 7.6 फीसद की वृद्धि दर वास्तविकता से अधिक बताई गई हो सकती है।’

7 July 2016..4. एलएचसी ने खोजे तीन अनोखे कण:-

गॉड पार्टिकल यानी ईश्वरीय कण की तलाश में लगे लार्ज हेड्रॉन कोलाइडर (एलएचसी) ने तीन अनोखे कणों का पता लगाया है। इसके अतिरिक्त पहले खोजे गए एक अनोखे कण की पुष्टि भी हुई है। ब्रह्माण्ड में हर परमाणु का मूल कण क्वार्क होता है। 1964 में मुरे गेल-मैन और जॉर्ज वेग ने इस संदर्भ में सर्वाधिक स्वीकार्य क्वार्क मॉडल दिया था। आमतौर पर सभी कण क्वार्क और एंटीक्वार्क के एक जोड़े (मेसन) या तीन क्वार्क (बार्यन) से बने होते हैं। एलएचसी से खोजे गए कण इस मामले में अनोखे हैं। इनका निर्माण दो क्वार्क और दो एंटी क्वार्क से हुआ है। पिछले दशक में हुए अध्ययनों में पहली बार इस बात के प्रमाण मिले थे कि कुछ कण तीन से यादा क्वार्क से बने होते हैं। 2009 में वैज्ञानिकों ने ऐसे पहले कण एक्स(4140) का पता लगाया था। एलएचसी के ताजा अध्ययन में इस कण की संरचना की पुष्टि हुई है। इसके अतिरिक्त तीन कणों एक्स(4274), एक्स (4500) और एक्स(4700) की भी पहचान हुई है। पिछले साल वैज्ञानिकों ने पांच क्वार्क वाले दो कणों की भी खोज की थी। वैज्ञानिकों के लिए अब भी यह शोध का विषय बना हुआ है कि एक जैसी क्वार्क संरचना वाले इन चारों कणों की आंतरिक संरचना और द्रव्यमान आदि में भिन्नता क्यों है। सामान्य कणों के संदर्भ में भी विज्ञान के समक्ष यह प्रश्न है कि क्वार्क संरचना के मामले में एक जैसे होते हुए भी कणों के गुणधर्म में भिन्नता क्यों होती है।

7 July 2016..3. नागरिक कानून में संशोधन करेगी राजग सरकार:-

 केंद्र की भाजपानीत राजग सरकार अपने वादे को पूरा करने की कोशिश में नागरिक कानून में संशोधन करने जा रही है। ताकि बिना किसी वैध दस्तावेज के भारत में प्रवेश करने वाले हिंदुओं और सिखों को लंबी अवधि का वीजा और भारतीय नागरिकता मिल सके। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय बैठक में इस मुद्दे के हर पहलू पर गहन चर्चा की गई है। इस बैठक में अन्य लोगों के साथ ही विदेश सचिव एस. जयशंकर शामिल हुए थे। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में सताए जाने के बाद हजारों हिंदुओं और सिखों ने बिना किसी वैध दस्तावेज के भारत में प्रवेश किया है। वर्तमान नियम-कानूनों के चलते इन शरणार्थियों को लंबी अवधि का वीजा या भारतीय नागरिकता हासिल करने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि इसीलिए सरकार ने नागरिकता कानून में संशोधन का फैसला लिया है। ताकि ऐसे शरणार्थियों को बिना किसी परेशानी के लंबी अवधि का वीजा या नागरिकता मिल जाए। लोकसभा चुनाव से पहले 2014 में भाजपा के चुनाव घोषणापत्र में भी इसका उल्लेख था। भाजपा ने घोषणापत्र में कहा था कि किसी अन्य देश से बेदखल हिंदुओं के लिए भारत स्वाभाविक घर है। अत: बतौर शरणार्थी उनका देश में स्वागत किया जाना चाहिए। मोदी सरकार जब से सत्ता में आई है, तब से पड़ोसी देशों से आए हिंदू और सिख शरणार्थियों को छोटी-बड़ी सुविधाओं देने वाले कई फैसले किए गए हैं। उन्हें लंबी अवधि के वीजा की छूट, रिहाइशी घर खरीदने की इजाजत दी गई है। इसके अलावा पैन कार्ड, आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, बैंक खाता खुलवाना और वीजा लेने की फीस कम करने के फैसले लिए हैं।

7 July 2016..2. बदलेगा अंग्रेजों के जमाने का वित्त वर्ष:-

 भाजपा की एनडीए सरकार अंग्रेजों के जमाने की एक और परंपरा को तोड़ने की तैयारी कर रही है। मोदी सरकार वित्तीय लेखा-जोखा की मौजूदा व्यवस्था में बड़ा बदलाव लाते हुए अंग्रेजों के जमाने से चल रहे वित्त वर्ष (अप्रैल-मार्च) को बदलने की तैयारी कर रही है। ऐसा होने पर एक अप्रैल से अगले वर्ष 31 मार्च तक चलने वाली वित्त वर्ष की मौजूदा व्यवस्था बदले जाने पर फरवरी में आम बजट पेश करने की परिपाटी भी बदल जाएगी। सूत्रों ने कहा कि वित्त मंत्रालय ने पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार शंकर आचार्य की अध्यक्षता में एक चार सदस्यीय समिति का गठन कर नए वित्त वर्ष की व्यावहारिकता परखने को कहा है। मंत्रालय की बजट डिवीजन की ओर से बनायी गयी इस समिति में पूर्व कैबिनेट सचिव के एम. चंद्रशेखर, तमिलनाडु के पूर्व वित्त सचिव पीवी राजारमन और सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च के सीनियर फेलो डा. राजीव कुमार बतौर सदस्य शामिल हैं। मंत्रालय ने इस समिति को इस साल 31 दिसंबर तक रिपोर्ट सौंपने को कहा है। इन स्थितियों को ध्यान में रखते हुए ही समिति इस बात पर विचार करेगी कि नया वित्त वर्ष किस तारीख से शुरू किया जाए। संभावित तारीखों और वित्त वर्ष की मौजूदा तारीख की अछाइयों और कमियों दोनों पर चर्चा की जाएगी। इसके अलावा समिति मौजूदा वित्त वर्ष की शुरुआत तथा विगत में वित्त वर्ष में बदलाव के लिए हुए प्रयासों का अध्ययन भी करेगी। सूत्रों ने कहा कि समिति केंद्र और राय सरकारों की प्राप्तियों और व्यय के सटीक आकलन की दृष्टि से वित्त वर्ष की उपयोगिता, विभिन्न कृषि फसलों के अंतराल, कार्यकारी सत्र (वर्किंग सीजन) और कारोबार पर इसके प्रभावों के बारे में विचार विमर्श करेगी। समिति को कहा गया है कि वह इन सभी विषयों पर विचार करने के बाद देश के लिए उपयुक्त नया वित्त वर्ष शुरू करने की तारीख की सिफारिश कर सकती है। इसके अलावा समिति यह भी बताएगी कि वित्त वर्ष में बदलाव कब से किया जाए और जब तक नया वित्त वर्ष शुरू न हो तब तक कर तथा अन्य मामलों के संबंध में क्या व्यवस्था अपनायी जाए। सूत्रों ने कहा कि पहले एक विकल्प यह भी सुझाया गया था कि वित्त वर्ष अप्रैल में शुरू होने के बजाय मानसून के बाद शुरू होना चाहिए ताकि सड़क सहित विभिन्न योजनाओं के निर्माण कार्य में रुकावट न आए। इसके पीछे विचार यह है कि फिलहाल अप्रैल से नया वित्त वर्ष होता है लेकिन जून से सितंबर तक मानसूनी मौसम होने के कारण देश के विभिन्न भागों में निर्माण कार्य नहीं हो पाते इसलिए महत्वपूर्ण समय ऐसे ही चला जाता है। कई देशों में कैलेंडर ईयर (जनवरी से दिसंबर) को ही वित्त वर्ष माना जाता है।

7 July 2016...1.अफ्रीका देशों के साथ संबंधों को सुदृढ़ करना मकसद : मोदी:-

 अफ्रीकी देशों की यात्रा पर रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को कहा कि अफ्रीका के चार देशों की यात्रा का मकसद संबंधों को प्रगाढ़ बनाना है, विशेष तौर पर आर्थिक क्षेत्र में और लोगों के बीच संबंधों को मजबूत बनाना है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पांच दिवसीय यात्रा की शुरुआत मोजांबिक से होगी और इसके बाद वे दक्षिण अफ्रीका, तंजानिया और केन्या जाएंगे। मोदी की यात्रा का मकसद इन देशों के साथ हाइड्रोकार्बन, नौवहन सुरक्षा, कारोबार और निवेश तथा कृषि एवं खाद्य क्षेत्र में सहयोग को गहरा बनाना है। प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर कहा, ‘‘दक्षिण अफ्रीका में मेरा कार्यक्र म प्रीटोरिया, जोहांसबर्ग, डरबन और पीटरमारिट्जबर्ग में होगा।’ उन्होंने कहा, ‘‘तंजानिया में मैं राष्ट्रपति डा. जान मागुफली के साथ र्चचा करूंगा, साथ ही भारतीय समुदाय के साथ भी बातचीत करूंगा।’ केन्या यात्रा की र्चचा करते हुए उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘राष्ट्रपति यूकेन्यात्ता के साथ आर्थिक और लोगों के स्तर पर सम्पर्क मेरी केन्या यात्रा के केंद्र में होंगा।’ अपनी यात्रा का ब्योरा फेसबुक पोस्ट में जारी करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि मोजांबिक यात्रा का मकसद सहयोग बढ़ाना और सांस्कृतिक संबंध को गति प्रदान करना है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं वहां के राष्ट्रपति फिलिप न्यूसी के साथ बैठक करूंगा और व्यापक र्चचा करूंगा।’ अन्य कार्यक्र मों में उनका नेशनल एसेम्बली के अध्यक्ष वेरोनिका माकामो के साथ बैठक के अलावा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पार्क का दौरा करने के साथ छात्रों से बातचीत करने का भी कार्यक्र म है। उनका संक्षिप्त रूप से भारतीय समुदाय से भी मुलाकात करने का कार्यक्र म है। बृहस्पतिवार शाम को मोदी प्रीटोरिया के लिए रवाना होंगे, जिसे उन्होंने ‘‘सामरिक’ रूप से महत्वपूर्ण सहयोगी बताया है और जिसके साथ हमारे ऐतिहासिक और गहरे संबंध हैं।

6 July 2016...5. ऊर्जा बचत, शोध पर ध्यान देगा ब्रिक्स:-



ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) विभिन्न पहलों के जरिए ऊर्जा बचत और दक्षता पर ध्यान केंद्रित करने के लिए शोध एवं प्रौद्योगिकी विकास के क्षेत्र में संयुक्त रूप से काम करने को कार्रवाई योजना का मसौदा बनाया है। इन पहलों को ब्रिक्स समूह का विकास बैंक समर्थन देगा।इस कार्रवाई योजना के मसौदे को आज यहां कार्यसमूह की दो दिन की बैठक के दौरान स्वीकार किया गया। इसे ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका को इस साल बाद में मंजूरी के लिए सौंपा जाएगा। कार्यसमूह में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले अतिरिक्त सचिव (बिजली) बीपी पांडे ने पत्रकारों से कहा कि बैठक में व्यापक पहलुओं मसलन क्षमता निर्माण, बेहतर व्यवहार और नीतियों को साझा करना, प्रौद्योगिकी का विकास, ऊर्जा दक्षता को प्रोत्साहन व बचत के तरीकों पर सहमति बनी। उन्होंने कहा कि चीन में 10 सर्वश्रेष्ठ व्यवहार हैं। इनमें सौर ऊर्जा भी शामिल है। रूस ने स्कूली स्तर पर जागरूकता के लिए कार्यक्र म शुरू किया है। ब्राजील ने ऊर्जा दक्ष लाइटिंग तथा उपकरणों के इस्तेमाल के बारे में कुछ नियमन बनाए हैं। पांडे ने कहा, ‘‘दक्षिण अफ्रीका ऊर्जा दक्ष लाइटिंग कार्यक्र म को समर्थन दे रही है।

6 July 2016..4. आयोग लोक-विस चुनाव एक साथ कराने को तैयार : जैदी:-

 भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने कहा है कि वे लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ करवाने के लिए तैयार हैं। लेकिन इसके लिए सभी राजनीतिक दलों में सहमति जरूरी है। क्योंकि इसके लिए संविधान में संशोधन करना होगा। जैदी ऑस्ट्रेलियाई चुनाव आयोग के निमंत्रण पर इंटरनेशनल इलेक्शन विजिटर्स प्रोग्राम के लिए मेलबर्न पहुंचे हैं। जैदी ने कहा, 'आयोग के रूप में कानून मंत्रालय को हमने सिफारिश की है कि देश में राज्य विधानसभाओं और लोकसभा के चुनाव एकसाथ कराए जाएं। एक साथ चुनाव कराने के लिए हमें ज्यादा ईवीएम खरीदनी होंगी। अस्थायी कर्मचारी नियुक्त करने होंगे। और कई व्यवस्थाएं करनी होंगी।' उन्होंने बताया, 'हमने ऐसी ही एक सिफारिश इस मुद्दे की जांच करने वाली संसदीय समिति से भी की थी। समिति ने भी यह सुझाव दिया था कि इस मुद्दे पर सभी राजनीतिक दलों के बीच पर्याप्त बहस होनी चाहिए। क्योंकि कुछ राज्यों (की तिथियों) को आगे लाने और कुछ को पीछे खिसकाने के लिए संविधान में संशोधन करना होगा।'

6 July 2016..3. निक्केई की रिपोर्ट : सेवा क्षेत्र की सुस्त चाल:-

सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर लगातार तीसरे महीने गिरावट में रही। जून में सेवा क्षेत्र की वृद्धि सात महीने के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई। आज जारी एक मासिक सव्रेक्षण के मुताबिक ऐसा मुख्य तौर पर नए आर्डर में कमी के मद्देनजर हुआ। इससे आरबीआई द्वारा दरों में कटौती की मांग को बल मिलेगा।भविष्य की कारोबारी वृद्धि को लेकर संभावनाएं फरवरी के बाद से अब तक न्यूनतम स्तर पर हैं जिससे आर्थिक गतिविधियों में तेजी बनाए रखने को लेकर चिंता बढ़ी है। विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि लागत वृद्धि को देखते हुए रिजर्व बैंक के लिए नीतिगत दर कम करना मुश्किल हो सकता है क्योंकि मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखना केंद्रीय बैंक की प्राथमिकता है। सेवा क्षेत्र की गतिविधि का आकलन करने वाले निक्केई सेवा कारोबार गतिविधि सूचकांक जून में गिरकर 50.3 रहा जो मई में 51 पर था। यह सूचकांक में पिछले सात महीने का न्यूनतम और पिछले एक साल का दूसरा न्यूनतम स्तर है। सूचकांक का 50 से ऊपर रहना वृद्धि और इससे कम रहना संकुचन का संकेतक है। इस सव्रेक्षण का संकलन करने वाली संस्था मार्किट की अर्थशास्त्री पालियाना डी लीमा ने कहा, ‘‘भारत के सेवा क्षेत्र की वृद्धि रफ्तार में जून महीने में कमी आई और लगातार तीसरे महीने नए आर्डर में कम बढ़ोतरी से गतिविधियों में धीमापन आया है।’ रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने जून में अपनी नीतिगत समीक्षा में मुद्रास्फीतिक दबाव के मद्देनजर नीतिगत दर को अपरिवर्तित रखा था लेकिन संकेत दिया था यदि मानसून से मुद्रास्फीति कम करने में मदद मिलती है तो इस साल बाद में ब्याज दर में कटौती संभव है।उद्योग को अभी भी निवेश बढ़ाने के लिए केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दरों में और कटौती की उम्मीद है। मौद्रिक नीति की अगली समीक्षा नौ अगस्त को होनी है। रोजगार के लिहाज से भारतीय सेवा प्रदाताओं की ओर से जून में कर्मचारियों की भर्ती के स्तर में थोड़ी बढ़ोतरी का संकेत मिला। इस बीच विनिर्माण और सेवा दोनों क्षेत्रों का आकलन करने वाला निक्केइ इंडिया मिश्रित पीएमआई उत्पादन सूचकांक जून में बढ़कर 51.1 पर पहुंच गया जो मई में 50.9 पर था लेकिन यह लंबे समय के औसत से कमतर रहा और इसमें धीमी वृद्धि का संकेत मिलता है।

6 July 2016...2. जूनो बृहस्पति में दाखिल :

5 अगस्त, 2011 को फ्लोरिडा स्थित केप केनेवरेल एयरफोर्स स्टेशन से प्रक्षेपित किया गया था:- नासा का सौर-ऊर्जा से संचालित अंतरिक्षयान जूनो पृथ्वी से प्रक्षेपण के पांच साल बाद मंगलवार को बृहस्पति की कक्षा में प्रवेश कर गया। इस उपलब्धि को ग्रहों के राजा और हमारे सौरमंडल के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति की उत्पत्ति और विकास को समझने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।अमेरिका में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर जश्न के माहौल के बीच ही, जूनो के बृहस्पति की कक्षा में प्रवेश कर जाने की सूचना मिलने पर नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी में इस अभियान के नियंत्रक खुशी से झूम उठे। 35 मिनट तक ईजन के प्रज्जवलन के बाद यह यान ग्रह के चारों ओर बनी तय कक्षा में प्रवेश कर गया। इस अभियान की लागत 1.1 अरब डॉलर है। जूनो अपने साथ नौ वैज्ञानिक उपकरण लेकर गया है। जूनो बृहस्पति की ठोस सतह के अस्तित्व का अध्ययन करेगा, ग्रह के बेहद शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र को मापेगा, गहरे वातावरण में मौजूद जल और अमोनिया की मात्रा नापेगा और इसकी सुबहों का विश्लेषण करेगा। नासा ने कहा कि यह अभियान बड़े ग्रहों के निर्माण और सौरमंडल के बाकी ग्रहों को एकसाथ रखने में इनकी भूमिका को समझने में एक बड़ा कदम उठाने में हमारी मदद करेगा। बृहस्पति बड़े ग्रह के रूप में हमारे सामने एक प्रमुख उदाहरण है। वह अन्य नक्षत्रों के आसपास खोजे जा रहे अन्य ग्रह तंत्रों को समझने के लिए भी अहम जानकारी उपलब्ध करवा सकता है।जूनो अंतरिक्षयान को पांच अगस्त 2011 को फ्लोरिडा स्थित केप केनेवरेल एयरफोर्स स्टेशन से प्रक्षेपित किया गया था। नासा के प्रशासक चार्ली बोल्डेन ने कहा कि जूनो की मदद से, हम बृहस्पति के व्यापक विकीरण वाले क्षेत्रों से जुड़े रहस्यों को सुलझाएंगे, इससे ग्रह की आंतरिक संरचना को तो समझने में मदद मिलेगी ही साथ ही साथ बृहस्पति की उत्पत्ति और हमारे पूरे सौरमंडल के विकास को भी समझने में मदद मिलेगी।

6 July 2016..1.ईरानी कपड़ा, जावड़ेकर एचआरडी, रविशंकर कानून और वेंकैया सूचना व प्रसारण मंत्री:-

सुबह विस्तार और देर शाम तक फेरबदल के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह संदेश दे दिया है कि वह खुद अपने कुछ मंत्रियों के कामकाज और कार्यशैली से पूरी तरह संतुष्ट नहीं थे। दो साल के कार्यकाल के साथ ही वह अपने मंत्रियों और मंत्रलयों को भी झकझोर कर पूरी व्यवस्था दुरुस्त करना चाहते हैं। शिक्षा, कानून, नागर विमानन, ग्रामीण विकास, संसदीय कार्य मंत्रालय जैसे बड़े मंत्रालयों के प्रभारी मंत्रियों को हटाकर मोदी ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह नई सोच और नई कार्यशैली के साथ इन मंत्रालयों में बदलाव देखना चाहते हैं। ऊपर के चार-पांच बड़े मंत्रालयों को छोड़कर मोदी ने अधिकतर मंत्रालयों में या तो प्रभार बदला है या फिर छोटे बदलाव के साथ यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह बचे हुए तीन साल में सही दिशा में तेजी से काम चाहते हैं। विस्तार में शामिल हुए 19 नए मंत्रियों को उनकी योग्यता और रुचि के अनुसार समाहित किया गया है। राज्य मंत्री निहालचंद, रामशंकर कठेरिया, सांवरलाल जाट, मनसुखभाई डी. वसावा और एम के कुंडारिया की छुट्टी कर दी गई है। प्रधानमंत्री ने दोपहर को ही अपने कैबिनेट सहयोगियों को यह संदेश दे दिया था कि वह बड़ा बदलाव करने वाले हैं। सूत्रों के अनुसार कैबिनेट बैठक में उन्होंने कहा, ‘मैं कुछ बड़े बदलाव करने वाला हूं। आप इसे लेकर दुखी न हों और न ही निराश हों। आपको इसकी जानकारी मिल जाएगी।’ उसी वक्त से सरकार के कई मंत्रालयों में खलबली मची थी। सबसे बड़ा बदलाव शिक्षा में दिखा। स्मृति ईरानी को वहां से हटाकर कपड़ा मंत्री बनाया गया और शिक्षा का प्रभार प्रकाश जावड़ेकर को सौंपा गया। ध्यान रहे कि पिछले दिनों वह विवादों में रही थीं। उनकी कार्यशैली को लेकर भी शिकायतें रही थीं। संसद में उन पर अलग-अलग जवाब देने का आरोप लगा था। वहीं कानून मंत्रालय का प्रदर्शन पिछले दिनों में सरकार के लिए संतोषप्रद नहीं रहा था। मोदी ने फिर से यह जिम्मा तेजतर्रार मंत्री रविशंकर प्रसाद को दे दिया है। जबकि दूरसंचार का प्रभार उनके पास पहले से था। लेकिन एक झटका भी दिया गया। अब उनके पास कानून के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी का मंत्रालय रहेगा। संचार मंत्रालय अलग से गढ़कर उसका जिम्मा उत्तर प्रदेश से आने वाले मनोज सिन्हा को दिया गया है। रेल राज्य मंत्री का पद भी उनके पास बना रहेगा। ध्यान रहे कि रविशंकर के कॉल में कॉल ड्राप को लेकर काफी चर्चा रही थी। ग्रामीण विकास मंत्री चौधरी वीरेंद्र सिंह और इस्पात मंत्री नरेंद्र तोमर के मंत्रालय में अदला-बदली हो गई है। मानसून सत्र से पहले संसदीय कार्य मंत्रलय में भी बदलाव किया गया है जो इसका संकेत है कि इस बार सरकार उग्र रहने के बजाय तालमेल बिठाकर चलना चाहती है। वेंकैया नायडू से संसदीय कार्य लेकर अनंत कुमार को सौंपा गया और राज्य मंत्री के रूप में उनके साथ एसएस अहलूवालिया को जोड़ा गया है। अहलूवालिया को ग्रामीण विकास में भी राज्य मंत्री की जिम्मेदारी दी गई है। सिविल एविएशन के राज्य मंत्री महेश शर्मा के पर भी कतरे गए हैं। उनकी जगह जयंत सिन्हा को राज्य मंत्री बनाया गया है।

Tuesday 5 July 2016

5 July 2016..6. बैंक नेटवर्क से जुड़ेंगे डाक बैंक के एटीएम:-



विश्व का सबसे बड़ा डाक नेटवर्क, इंडिया पोस्ट, बैंक सेवाओं के प्रबंधन के लिए एक अलग इकाई बना रहा है जिससे उसे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के एटीएम नेटवर्क के साथ अपने एटीएम को जोड़ने में मदद मिलेगी।इंडिया पोस्ट को पिछले साल भुगतान बैंक के परिचालन के लिए लाइसेंस मिला था और वह परिचालन शुरू करने की दिशा में ज्यादा आगे नहीं बढ़ पाया है। वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘हम डाक घरों के एटीएम को अन्य बैंकों के साथ जोड़ना चाहते थे। आरबीआई ने कहा कि हम इसकी मंजूरी तभी दे सकते हैं जबकि डाक घर एक अलग बैंक इकाई बनाएं क्योंकि आरबीआई के अधिकार क्षेत्र में सिर्फ बैंक हैं। डाक विभाग ने सकारात्मक रवैया अपनाया है और एक अलग इकाई बनाई है।’एटीएम नेटवर्क से संपर्क होने के बाद लोगों को अपने डाक घर खाते से किसी बैंक के खाते में धन हस्तांतरण की सुविधा होगी। इसके अलावा डाकघर के एटीएम का उपयोग बैंक खातों से धन निकाले जाने के लिए भी किया जा सकेगा। अधिकारी ने कहा कि इस इकाई को पोस्ट बैंक लाइसेंस को परिचालन में लाने के लिए बनाया गया है और आखिरकार इसका पोस्ट बैंक में विलय कर दिया जायेगा। डाक विभाग के देश भर में 28,000 विभागीय डाक घर और 1.50 लाख ग्रामीण इलाकों में डाक घर हैं। डाक विभाग ग्रामीण डाक घरों में एटीएम और छोटे एटीएम लगा रहा है ताकि वित्तीय समावेश के लिए विस्तृत नेटवर्क का फायदा उठाया जा सके।

5 July 2016..5. एसोचैम का ई डाटा बैंक बनाने का सुझाव:-

 उद्योग संगठन एसोचैम ने प्रधानमंत्री कार्यालय तथा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल को पत्र लिखकर राष्ट्रीय ई-सूचना डाटा बैंक बनाने का प्रस्ताव किया है।संगठन ने सोमवार को बताया कि उसने पीएमओ तथा एनएसए को एक जैसे लिखे पत्र में कहा है कि वह राष्ट्रीय अभिलेखागार के लिए विरासती तथा क्लासीफाइड दस्तावेजों वाला ‘‘राष्ट्रीय ई-सूचना डाटा बैंक’ बनाने की पेशकश की है। डाटा बैंक बनाने के लिए उसने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद् सचिवालय (एनएससीएस) के मार्गदर्शन में ‘‘केंद्रीय संयोजन समिति’ बनाने की भी सलाह दी है। एसोचैम के महासिचव डीएस रावत ने बताया कि संगठन ने पिछले साल दिसम्बर में ही डाटाबैंक बनाने की योजना का खाका सरकार को दे दिया था। इस बीच नियंत्रक एवं महालेखा परिक्षक (कैग) ने भी इसी तरह की अवधारणा प्रस्तावित की है।पत्र में कहा गया है कि सूचनाओं के सुपर हाईवे का दौर शुरू होने के बाद असली मुद्दा बेकार सूचनाओं में से उन काम की सूचनाओं को छांटना है जो विभिन्न संबद्ध पक्षों के लिए महत्वपूर्ण हो सकती हैं। सूचनाओं का मिलान, उनका अन्वेषण, विश्लेषण तथा राष्ट्रीय महत्व की सूचनाओं को आगे भेजना कई सरकारी तथा निजी एजेंसियों के संसाधन प्रबंधन का महत्वपूर्ण हिस्सा है।एसोचैम ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि ई-सूचनाओं के राष्ट्रीय डाटा बैंक के लिए स्पष्ट वैधानिक दिशा-निर्देशों का होना जरूरी है। इन नियमों को राष्ट्रीय सूचना नीति में शामिल किया जाना चाहिए।

5 July 2016..4. 2020 से पूर्व की जलवायु संबंधी कार्रवाइयां जरूरी:-

भारत ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सोमवार को देशों द्वारा 2020 से पहले उत्सर्जन पर लगाम लगाने के लिए जलवायु संबंधी कार्रवाइयां करने की जरूरत पर जोर दिया और कहा कि देशों के बीच धन और प्रौद्योगिकी में सहयोग अपेक्षित है।पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, जलवायु संबंधी कार्रवाइयों के लिए सहयोग प्रमुख कुंजी है। प्रत्येक देश विकास के भिन्न स्तर पर है। हमें सहयोग चाहिए। हममें कार्रवाई करने की दृढ़ता है। उन्होंने कहा, भारत पहले ही पेरिस जलवायु समझौते के सत्यापन की प्रक्रि या शुरू कर चुका है और हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के बीच मुलाकात के दौरान दोनों ने इस बात पर जोर दिया था कि प्रक्रि या जल्द से जल्द पूरी होनी चाहिए।मंत्री ने बर्लिन में सातवें सेंट पीटर्सबर्ग डायलॉग में जर्मन मंत्री बार्बरा हेंड्रिक्स के साथ कहा, लेकिन हमारे पास इसे करने के साधन नहीं हैं, न केवल वित्तीय स्थिति के संबंध में, बल्कि प्रौद्योगिकी के संबंध में विशेष रूप से। जब हम प्रौद्योगिकी की बात करते हैं तो जर्मनी कई क्षेत्रों में सर्वाधिक विश्वसनीय नाम है और इसलिए वहां वित्त, प्रौद्योगिकी और आपसी सहयोग है।

5 July 2016..3. ब्रेक्जिट पर ब्रिटिश सरकार की राह में कानूनी बाधा:-

यूरोपीय संघ (ईयू) से निकलने की प्रक्रिया की शुरुआत को लेकर ब्रिटेन की सरकार कानूनी चुनौतियों से घिर गई है। लंदन की विधि कंपनी मिशकॉन डी रेया ने कहा है कि संसदीय अधिनियम के बिना इस प्रक्रिया की शुरुआत नहीं की जा सकती है। कंपनी के अनुसार संसदीय बहस और इस प्रक्रिया के लिए दोनों सदनों में मतदान के बिना सरकार ईयू छोड़ने की कानूनी प्रक्रिया यानी अनुछेद 50 को लागू नहीं कर सकती। 23 जून के ऐतिहासिक जनमत संग्रह में ब्रिटेन की जनता ने 48 के मुकाबले 52 फीसद मतों से ब्रेक्जिट का समर्थन किया था। मिशकॉन डी रेया के एक साङोदार कासरा नौरूजी ने रविवार को कहा कि जनमत संग्रह के परिणाम पर कोई संदेह नहीं है, लेकिन इसे लागू करने के लिए ब्रिटिश कानून के अनुसार प्रक्रिया अपनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जनमत संग्रह का परिणाम कानूनी तौर पर बाध्यकारी नहीं हैं। ऐसे में संसद की मंजूरी के बिना मौजूदा या भावी प्रधानमंत्री की ओर से अनुछेद 50 को लागू किया जाना अवैध होगा। ब्रिटेन के अधिकतर सांसद 28 सदस्यीय ईयू में ब्रिटेन के बने रहने के पक्ष में हैं। ऐसे मंु यह कानूनी चुनौती इस प्रक्रिया को जटिल बना सकती है। बीबीसी के अनुसार विधि कंपनी की इस पहल के पीछे कारोबारियों और शिक्षाविदों का समूह है। कंपनी 27 जून से ही मसले पर सरकार के वकीलों से पत्र-व्यवहार कर रही है। गौरतलब है कि ईयू से बाहर निकलने के लिए लिस्बन संधि की धारा 50 को के तहत प्रक्रिया की शुरुआत जरूरी है। इसके बाद ब्रिटेन के पास निकासी की शतोर्ं पर मोल-तोल करने के लिए दो साल का समय होगा। प्रधानमंत्री डेविड कैमरन का कहना है कि उनका उत्तराधिकारी इस प्रक्रिया की शुरुआत करेगा। इस्तीफा नहीं देने पर अड़े लेबर पार्टी प्रमुख जेरोमी कॉरबिन पर पद छोड़ने का दबाव बढ़ता जा रहा है। पार्टी की महिला सांसद एंजेला ईगल ने उन्हें नेतृत्व का चुनाव कराने की चुनौती दी है। ईगल ने कहा कि इसके लिए उनके पास जरूरी सांसदों का समर्थन हासिल है। कॉरबिन के विरोध में शैडो कैबिनेट के कई सदस्य पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं। पिछले हफ्ते उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी पास किया गया था। कॉरबिन पर जनमत संग्रह के दौरान पार्टी का पक्ष प्रभावी तरीके से नहीं रखने का आरोप है।

5 July 2016..2. यूरोप को हिला राजनीति से की तौबा:-

 यूरोप को हिलाने वाले फैसले ब्रेक्जिट के प्रबल समर्थक नाइजल फराज ने राजनीति को अलविदा कह दिया है। 52 वर्षीय फराज ने सोमवार को ब्रिटेन के धुर दक्षिणपंथी दल यूके इंडिपेंडेंस पार्टी (यूकेआइपी) के प्रमुख के पद से इस्तीफा दे दिया। फैसले की घोषणा करते हुए उन्होंने कहा कि ब्रेक्जिट के साथ ही उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा पूरी हो गई। ब्रिटेन के यूरोपीय संघ की सदस्यता छोड़ने के समर्थन में उन्होंने काफी जबर्दस्त अभियान चलाया था। इस मसले पर 23 जून के जनमत संग्रह के बाद से फैसले से चौंकाने वाले वे तीसरे ब्रिटिश राजनेता हैं। जनमत संग्रह के नतीजों के बाद प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने अक्टूबर तक अपना पद छोड़ने की घोषणा की थी। उसके बाद लंदन के पूर्व मेयर बोरिस जॉनसन ने पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री पद की दौड़ से हटने का एलान किया था। राजनीति में नहीं लौटने का संकेत देते हुए फराज ने कहा कि वे कभी राजनीति में करियर नहीं बनाना चाहते थे। ब्रिटेन को यूरोपीय संघ से बाहर निकालने के मकसद से वे इस क्षेत्र में आए थे और यह लक्ष्य पूरा हो गया है। अब वह अपनी पुरानी जिंदगी वापस चाहते हैं। उन्होंने कहा, ‘मुङो अब महसूस हो रहा है कि मैंने अपना योगदान दे दिया। मैं और ज्यादा कुछ हासिल नहीं कर सकता। मुझे लगता है कि यह सही है कि मैं अब यूकेआइपी के प्रमुख का पद छोड़ दूं।’ पार्टी ने 1999 में उन्हें यूरोपीय संसद का सदस्य निर्वाचित किया था। इससे पहले 2009 और 2015 में भी उन्होंने पार्टी के प्रमुख पद से इस्तीफा दिया था। लेकिन, दोनों मौकों पर उन्होंने राजनीति से दूरी नहीं बनाई थी। इस बार उन्होंने फैसले से पीछे नहीं हटने की बात कही है। गौरतलब है कि यूरोपीय संघ के घोर विरोधी फराज की पत्नी इस समूह के सबसे ताकतवर देश जर्मनी से ताल्लुक रखती हैं। कभी वे प्रधानमंत्री डेविड कैमरन के भी काफी करीब थे। ईयू विरोध को लेकर उन्हें कई मौकों पर कटु आलोचना का भी सामना करना पड़ा। पिछले सप्ताह यूरोपीय संसद की बैठक में भी यह स्थिति उनके सामने पैदा हो गई थी।

5 July 2016...1.अब थल सेना में अलग से महिला बटालियन खड़ी करने पर विचार:-

सरकार अब थल सेना में अलग से महिला बटालियन खड़ी करने पर विचार कर रही है। नौसेना के जहाजों, राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) और सैनिक स्कूलों में भी महिलाओं को मौका मिल सके, इसके लिए तैयारी की जा रही है। इसी तरह रक्षा क्षेत्र में निजी कंपनियों के साथ रणनीतिक साङोदारी के लिए नीति की घोषणा भी अगले दो महीनों में हो जाएगी। रक्षा मंत्री मनोहर र्पीकर ने सोमवार को कहा कि दुर्गा और झांसी की रानी के इस देश में सैन्य बलों में अब तक महिलाओं को पर्याप्त अहमियत नहीं मिल सकी है। उन्होंने कहा, ‘बहुत से लोगों को लगता है कि अगर महिला कमांडिंग अफसर हुई तो फौजी उनकी बातें नहीं सुनेंगे। लेकिन मैं इस बात को नहीं मानता। क्यों नहीं सिर्फ महिलाओं की एक बटालियन तैयार की जाए? कुछ लोगों को अगर पुरुषों के बटालियन का नेतृत्व महिला कमांडिंग अफसर को देने को लेकर शुरुआती हिचकिचाहट है तो ऐसे में वह भी दूर हो जाएगी।’नौ सेना के जहाजों पर महिलाओं की तैनाती को लेकर भी उन्होंने जल्दी ही पहल का भरोसा दिलाया। र्पीकर ने कहा कि पनडुब्बियों में तैनाती में तो वक्त लग सकता है, क्योंकि ये इस तरह नहीं बनी हैं कि इनमें महिलाओं को अलग से जगह मिल सके। लेकिन जहाजों में जरूरी बदलाव कर महिलाओं को इन पर तैनात किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि वायु सेना के लड़ाकू दस्ते में शामिल किए जाने के बाद सैन्य बलों में महिलाओं को लेकर मौजूद मानसिक दीवार गिराई जा चुकी है। अब इस पहल को लगातार आगे बढ़ाना है। उन्होंने सैनिक स्कूलों और एनडीए में भी महिलाओं को मौका दिए जाने का भरोसा दिलाया।

Sunday 3 July 2016

4 July 2016..5. सोना आयात में 51 फीसद की गिरावट:-



 सोने का आयात चालू वित्त वर्ष के अप्रैल-मई में करीब 51 फीसद घटकर 2.7 अरब डालर रहा। इससे चालू खाते के घाटे (कैड) पर अंकुश लगने की उम्मीद है। इससे पूर्व वित्त वर्ष 2015-16 में इसी अवधि के दौरान सोने का आयात 5.55 अरब डालर था।वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार सोने का आयात मई में 39.14 प्रतिशत घटकर 1.47 अरब डालर रहा। यह लगातार चौथा महीना है जब सोने का आयात कम हुआ है। आयात में कमी से पिछले महीने व्यापार घाटा कम होकर 6.27 अरब डालर रहा। इससे पूर्व वर्ष की इसी अवधि में यह 10.4 अरब डालर था।उल्लेखनीय है कि भारत दुनिया में सोने का सबसे बड़ा आयातक है और मुख्य रूप से आयात आभूषण उद्योग की मांग को पूरा करने के लिये होता है। भारत का चालू खाते का घाटा 2015-16 की तीसरी तिमाही में कम होकर जीडीपी का 1.3 फीसद रहा जो पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में 1.5 प्रतिशत था। इसका मुख्य कारण कम व्यापार घाटा है।

4 July 2016..4. एमओपी के संशोधित खाके के अनुच्छेद पर चीफ जस्टिस ने खारिज किया पैनल का सुझाव:-

प्रधान न्यायाधीश ने न्यायाधीशों की नियुक्ति या उनके पदोन्नयन की सिफारिश कालेजियम को भेजे जाने से पहले उम्मीदवारों के आवेदनों को आकलन के लिए अवकाशप्राप्त न्यायाधीशों की एक समिति के समक्ष पेश करने के सरकार के कदम को खारिज कर दिया है।प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने मेमोरंडम ऑफ प्रोसीजर (एमओपी) के संशोधित खाके के अनुच्छेद पर तब एतराज जताया जब विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और कानून मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने बुधवार की शाम ठाकुर से उनके निवास पर मुलाकात की। सुषमा एमओपी तैयार करने वाले मंत्रिसमूह की अध्यक्ष हैं। संसद ने दो दशक से चली आ रही कालेजियम पण्राली को खत्म करने के लिए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम (एनजेएसीए) बनाया था। उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल 16 अक्टूबर को इस कानून को निरस्त कर दिया था।उच्चतम न्यायालय की एक पीठ ने कालेजियम पण्राली को ज्यादा पारदर्शी बनाने के तरीकों पर फैसला करते हुए केन्द्र सरकार से कहा था कि वह राज्य सरकारों से सलाह-मशविरा कर फिर से एमओपी तैयार करे। एमओपी एक दस्तावेज है जो उच्चतम न्यायालय और 24 उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति का मार्गदर्शन करता है। अभी दो एमओपी हैं - एक उच्चतम न्यायालय के लिए और दूसरा उच्च न्यायालयों के लिए। सरकार ने मार्च में उच्चतम न्यायालय कालेजियम को एमओपी भेजा था। प्रधान न्यायाधीश ने एमओपी के विभिन्न अनुच्छेदों पर एतराज जताते हुए मई में सरकार को दस्तावेज लौटा दिया था।प्रधान न्यायाधीश के साथ केन्द्र के मंत्रियों की बुधवार की बैठक एमओपी पर कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच के मतभेदों को कम करने पर लक्षित थी। उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि इस मुलाकात में न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा कि नियुक्तियों के लिए उम्मीदवारों के आवेदनपत्रों के आकलन के लिए अवकाशप्राप्त न्यायाधीशों की समिति अस्वीकार्य है। सरकार चाहती है कि प्रस्तावित समिति अंतिम फैसले के लिए उम्मीदवारों की सिफारिश कालेजियम को करने से पहले अभ्यार्थियों के अनुभवों का विस्तार से आकलन कर ले। इस संबंध में उच्चतम न्यायालय के स्तर पर एक समिति का प्रस्ताव किया गया है जबकि हरेक उच्च न्यायालय के लिए 24 अन्य समितियों का प्रस्ताव किया गया है। न्यायिक नियुक्तियों की प्रक्रि याएं पूरी करने के लिए उच्च न्यायालयों में सचिवालय के गठन के मुद्दे पर सरकार और कालेजियम के बीच सहमति है, न्यायपालिका ने प्रस्तावित सचिवालय की भूमिका परिभाषित करने के कदम का पहले विरोध किया था। बहरहाल, बैठक में प्रस्तावित सचिवाल की भूमिका और कार्य परिभाषित करने पर सहमति थी।

4 July 2016..3. स्विस बैंकों में जमा धन के मामले में भारत 75वें स्थान पर फिसला:-

 काले धन के खिलाफ सरकार की कोशिशों का असर दिखने लगा है। स्विट्जरलैंड के बैंकों में विदेशी नागरिकों के जमा धन के मामले में भारत खिसककर 75वें पायदान पर पहुंच गया है। इस सूची में ब्रिटेन शीर्ष पर है। पिछले साल भारत इस सूची में 61वें नंबर पर था। स्विस बैंकों में जमा धन के मामले में 2007 तक भारत शीर्ष 50 देशों में होता था। 2004 में भारत इस सूची में अपनी शीर्ष रैंकिंग 37वें स्थान पर था। स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक स्विस नेशनल बैंक (एसएनबी) के वार्षिक आंकड़ों के मुताबिक स्विस बैंकों में विदेशी ग्राहकों की जमा राशि में गिरावट आई है। 2015 के अंत तक यह लगभग चार फीसद घटकर 1,420 अरब स्विस फ्रैंक (लगभग 98 लाख करोड़ रुपये) रह गई। अलग-अलग देशों की बात करें तो स्विस बैंकों में जमा विदेशी धन में करीब 25 फीसद यानी 350 अरब स्विस फ्रैंक ब्रिटेन के नागरिकों का है। करीब 196 अरब स्विस फ्रैंक के साथ अमेरिका दूसरे स्थान पर है। उसकी हिस्सेदारी करीब 14 फीसद है। इनके अलावा किसी देश का हिस्सा दहाई में नहीं है। भारतीय नागरिकों का स्विट्जरलैंड के बैंकों में 1.2 अरब स्विस फ्रैंक (8,392 करोड़ रुपये) जमा है। स्विस बैंकों में जमा विदेशी धन का यह 0.1 फीसद से भी कम है। सूची में पाकिस्तान भारत से ऊपर 69वें स्थान पर है। उसके नागरिकों का स्विस बैंकों में 1.5 अरब स्विस फ्रैंक जमा है। ब्रिक्स देशों में रूस 17वें स्थान (17.6 अरब स्विस फ्रैंक) पर है। चीन 28वें (7.4 अरब), ब्राजील 37वें (4.8 अरब) और दक्षिण अफ्रीका 60वें (2.2 अरब) नंबर पर है। स्विस बैंकों में भारत से अधिक धन रखने वाले देशों में मॉरीशस, कजाखिस्तान, ईरान, चिली, अंगोला, फिलीपींस, इंडोनेशिया और मेक्सिको भी हैं।

4 July 2016..2. शिक्षा का सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म ‘स्वयं’ शुरू करने की तैयारी:-

केंद्र सरकार ऑनलाइन शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक अभियान शुरू करने की तैयारी में है। मानव संसाधन विकास मंत्रलय स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देश भर में मैसिव ओपन ऑनलाइन कोर्सेज (एमओओसी) प्लेटफॉर्म ‘स्वयं’ शुरू करने की तैयारी में है। माइक्रोसॉफ्ट इस योजना का तकनीकी सहयोगी होगा। ‘स्वयं’ प्लेटफॉर्म पर दो हजार से ज्यादा पाठ्यक्रम उपलब्ध होंगे। इससे देश भर के तकरीबन तीन करोड़ छात्रों के लाभान्वित होने की उम्मीद जताई गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 15 अगस्त को विशेष समारोह में इसका उद्घाटन करने की संभावना है। मंत्रलय को ‘स्वयं’ से भारत की शिक्षा प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव आने की उम्मीद है। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से स्कूल के अलावा स्नातक और पीजी के छात्र भी लाभान्वित होंगे। छात्र विभिन्न विषयों के बेहतरीन शिक्षकों की सामग्रियों का इस्तेमाल कर सकेंगे। इस नेटवर्क की क्षमता एक बार में दस लाख लोगों की होगी। देश के किसी भी हिस्से में रहने वाले छात्र किसी भी वक्त इसका इस्तेमाल कर सकेंगे। केंद्र सरकार इस योजना के जरिये स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को उच गुणवत्ता वला ई-कंटेंट मुफ्त में उपलब्ध कराया जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि अस्तित्व में आने के बाद 2.5 लाख घंटे से यादा की क्षमता वाला एमओओसी दुनिया का सबसे बड़ा इंटरएक्टिव ई-लर्निग संसाधन बन जाएगा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इसे अधिसूचित भी कर दिया है। ‘स्वयं’ प्लेटफॉर्म से अर्जित क्रेडिट को संबंधित शिक्षण संस्थानों के अकादमिक रिकॉर्ड से जोड़ दिया जाएगा। इस प्लेटफॉर्म से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की खाई को पाटने में मदद मिलेगी। शिक्षा के स्तर को ऊपर उठाने में भी मदद मिलेगी।

4 July 2016..1.केरल के चर्च ने समान नागरिक संहिता का समर्थन किया:-

 कैथोलिक समुदाय में अपना प्रभाव रखने वाले सायरो-मालाबार चर्च ने केंद्र सरकार के समान नागरिक संहिता लागू करने संबंधी प्रस्तावित कदम का समर्थन किया है। चर्च ने कहा है कि ऐसी प्रणाली से देश मजबूत होगा और लोगों के बीच एकता बढ़ेगी।देशभर में समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर बहस जारी रहने के बीच इस अल्पसंख्यक समुदाय ने अपना पक्ष साफ कर दिया है। मोदी सरकार ने पिछले हफ्ते विधि आयोग को संघ परिवार और भाजपा के इस पसंदीदा मुद्दे पर गौर करने की जवाबदेही सौंपी है। सरकार की इस पहल का स्वागत करते हुए सायरो-मालाबार कैथोलिक चर्च के प्रमुख कार्डिनल जॉर्ज एलनचेरी ने कहा, ‘समान नागरिक संहिता देश की मजबूती और देशवासियों के बीच एकता के लिए उपयोगी है।’ उन्होंने संहिता तैयार करने के दौरान पंरपराओं और मान्यताओं का ध्यान रखने की अपील की। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा था कि ‘तीन बार तलाक’ की संवैधानिक वैधता पर कोई भी फैसला करने से पहले वह जनता के बीच और अदालत में व्यापक बहस चाहता है। दरअसल ‘तीन बार तलाक’ के बारे में कई लोगों की शिकायत है कि इसकी आड़ में मुस्लिम पुरुष अपनी पत्नी को एकतरफा तलाक दे देते हैं। इस फैसले को देखते हुए सरकार का यह कदम महत्वपूर्ण है। समान नागरिक संहिता भाजपा के चुनावी घोषणापत्र का हिस्सा है। लेकिन राष्ट्रीय जनतांत्रितक गठबंधन सरकार ने 1998 और 1999 में और इस बार नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सत्ता में आने के बाद समान नागरिक संहिता जैसे विवादास्पद मुद्दों को ठंडे बस्ते में डाल दिया। भाजपा का कहना है कि देश के संविधान में जिक्र होने के बावजूद समान नागरिक संहिता का वोट बैंक की राजनीति की वजह से विरोध किया जाता है।

3 July 2016..4. एसबीआइ का विश्व बैंक के साथ करार:-



 देश में छत पर सोलर पैनल से जुड़े ग्रिड आधारित ऊर्जा कार्यक्रम को सहायता देने के लिए भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) ने विश्व बैंक के साथ एक करार पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके अंतर्गत विश्व बैंक से उसे 62.50 करोड़ डॉलर (लगभग 4,200 करोड़ रुपये) की रकम प्राप्त होगी। इससे देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआइ को ग्रिड कनेक्टेड रूफटॉप सोलर फोटोवोल्टेइक (जीआरपीवी) प्रोजेक्ट की फाइनेंसिंग में मदद मिलेगी। बैंक बेहद प्रतिस्पर्धी दरों पर फंड मुहैया करा सकेगा। छतों पर इस तरह के पैनल संस्थापित करके सरकार का 40 गीगावॉट बिजली उत्पादन करने का लक्ष्य है। एसबीआइ की ओर से बताया गया कि करार से इस लक्ष्य को तेजी से हासिल करने में मदद मिलेगी। यह बाजार में मांग पैदा करेगा। सुविधा के तहत ऐसे डेवलपर्स, एग्रीगेटर्स और एंड-यूजर्स पात्र लाभार्थी होंगे जो वाणियिक, औद्योगिक और संस्थागत स्तर पर सोलर पीवी प्रोजेक्ट लगाना चाहते हैं। इस पहल से देश में कम से कम 400 मेगावॉट सौर क्षमता तैयार होगी। सोलर पीवी के लिए निवेश माहौल को सुधारना भी इस कार्यक्रम का मकसद है। यह परियोजना प्रमुख संस्थानों की क्षमता बढ़ाने के साथ सौर पीवी बाजार के विकास को सहायता उपलब्ध कराएगी। करार पर एसबीआइ के डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर करनाम सेकर और भारत में विश्व बैंक के कंट्री हेड ओनो रुल ने हस्ताक्षर किए। इस मौके पर वित्त मंत्री अरुण जेटली, ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल, विश्व बैंक के प्रेसीडेंट जिम योंग किम और आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास मौजूद रहे।

3 July 2016...3. ढाका में बंधक संकट खत्म, 20 विदेशी मारे गए:-

 बांग्लादेश की राजधानी ढाका के उच्च सुरक्षा वाले राजनयिक क्षेत्र के एक रेस्तरां में बंधक संकट शनिवार को खत्म हो गया। यहां आईएसआईएस के आतंकवादियों के निर्मम हमले में 20 विदेशी नागरिकों की हत्या कर दी गई। बांग्लादेशी कमांडो ने छह आतंकवादियों को भी मार गिराया और एक को जिंदा पकड़ लिया।सैन्य अभियान महानिदेशक ब्रिगेडियर जनरल नईम अशफाक चौधरी ने बताया कि सशस्त्र बलों के नेतृत्व में साझा अभियान शुरू होने से पहले ही आतंकवादियों ने 20 बंधकों की निर्मम हत्या कर दी। जिन लोगों को मौत के घाट उतारा गया उनमें से ज्यादातर का गला काटा गया था।चौधरी ने कहा, आर्मी पैरा कमांडो यूनिट-1 ने अभियान का नेतृत्व किया और 13 मिनट के भीतर छह आतंकवादी मारे गए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने बंधक संकट खत्म करने के लिए सेना को दखल देने का निर्देश दिया, जिसके बाद ‘‘ऑपरेशन थंडरबोल्ट’ अभियान शुरू किया गया। मारे गए सभी 20 बंधक विदेशी नागरिक थे, जिनमें ज्यादा जापानी या इतालवी हैं। शुक्रवार रात गोलीबारी शुरू होने के बाद दो वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मारे गए थे। चौधरी ने कहा कि होले आर्टिजन बेकरी के परिसर में तलाशी के दौरान इन विदेशी नागरिकों के शव बरामद किए गए। शवों को पोस्टमार्टम और उनकी पहचान की पुष्टि के लिए संयुक्त सैन्य अस्पताल भेजा गया है।

3 July 2016..2. आतंकवाद पर भारत का कड़ा रुख : संयुक्त राष्ट्र में कहा, आतंकियों को पनाह देने वाले देशों को बनाया जाए जिम्मेदार:-

 भारत ने संयुक्त राष्ट्र से मांग की है कि आतंकी हमलों के जिम्मेदार लोगों और आतंक को पनाह देने वाले देशों को जिम्मेदार बनाया जाए। संयुक्त राष्ट्र नियंतण्र आतंकवाद निरोधी रणनीति के पांचवी समीक्षा के मौके पर शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरूद्दीन ने कहा, नियंतण्र स्तर के और हमें प्रभावित करने वाले सभी खतरों में से आतंकवाद सबसे गंभीर खतरा है। यह दुनियाभर के निदरेष लोगों के जीवन को प्रभावित करता है।अकबरूद्दीन ने यहां भारत के दृढ़ विास को जताया कि कोई भी धर्म, औचित्य, राजनैतिक उद्देश्य या तर्क आतंकवाद को सही नहीं ठहराती है। उन्होंने कहा, आतंकी हमलों के जिम्मेदार लोग और वे देश जो आतंकवाद को बढ़ावा और पनाह देते हैं उन्हें जिम्मेदार बनाए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कोई भी देश आतंकवाद के खिलाफ अकेला लड़ाई नहीं लड़ सकता है। उन्होंने कहा, इस खतरे से कोई भी देश अछूता नहीं है। ऐसे जघन्य हमलों के पीड़ित किसी एक देश, जाति या विचारधारा के नहीं हैं। 193 सदस्यीय महासभा ने आतंकवाद निरोधी रणनीति की पांचवी समीक्षा जारी रखते हुए आतंक को जड़ से खत्म करने की दिशा में तेजी से, संयुक्त रूप से और प्रभावशाली ढंग से काम करने और ऐसे प्रयासों को दोगुना करने के तरीकों के प्रस्ताव को स्वीकार किया। अकबरूद्दीन ने कहा कि भारत स्वीकार किए गए ज्यादातर प्रस्तावों के साथ व्यापक सहमति में है लेकिन उन्होंने आतंक पर समग्र सम्मेलन के ‘‘अधूरे एजेंडे’ पर निराशा जताई। उन्होंने कहा, हमारे विचार से इससे ऐसा संदेश जाता है कि दुनियाभर में तेजी से बढ़ रही आतंकी गतिविधियों से हम अब तक अछूते हैं।उन्होंने सभी प्रतिनिधि मंडलों से सम्मेलन को जल्द से जल्द और यूएनजीए के 71वें सत्र से पहले पूरा करने के लिए समझौत पर सहमति बनाने के लिए गंभीर प्रयास करने का अनुरोध किया।

3 July 2016..1.ऑस्ट्रेलिया में त्रिशंकु संसद के आसार:-

ऑस्ट्रेलिया में त्रिशंकु संसद गठित होने के आसार हैं। शनिवार रात तक आधे से यादा मतों की गणना के बाद प्रधानमंत्री मैल्कम टर्नबुल के कंजरवेटिव गठबंधन और विपक्षी लेबर पार्टी के नेता बिल शॉर्टेन के बीच कांटे की टक्कर दिख रही थी। 1600 प्रत्याशी चुनाव में किस्मत आजमा रहे हैं। 55 दलों के इन प्रत्याशियों में पांच भारतीय मूल के भी हैं। सिडनी में 61 वर्षीय टर्नबुल ने अपनी पत्नी लूसी के साथ डबल बे पब्लिक स्कूल जाकर मतदान किया। प्रधानमंत्री टर्नबुल द्वारा दोनों सदनों को भंग किए जाने की घोषणा के बाद आठ सप्ताह तक प्रचार चला। 45वीं संसद के सभी 226 सदस्यों का चुनाव करने के लिए मतदान कराया गया है। चुने जाने वाले सदस्यों में 150 सदस्य निचले सदन प्रतिनिधि सभा के लिए चुने जाएंगे। भंग हुई प्रतिनिधि सभा में लेबर के पास 55 सीटें थीं, जबकि गठबंधन के पास 90 और पांच सीटें छोटी पार्टियों या निर्दलीय के खाते में थीं। सत्ताधारी गठबंधन को राष्ट्रीय स्तर पर विरोधी हवा का सामना करना पड़ रहा है। राष्ट्रीय स्तर पर उसे 3.6 फीसदी मतों का नुकसान होने का अनुमान है। गठबंधन को न्यू साउथ वेल्स, दक्षिण आस्ट्रेलिया और तस्मानिया में नुकसान तय माना जा रहा है। 70 फीसदी से यादा मतगणना होने तक गठबंधन 73 सीटों पर जीत की ओर था, जबकि 66 सीटों पर लेबर की जीत तय थी। शॉर्टेन ने विक्टोरिया में अपने पार्टी समर्थकों से कहा कि परिणाम लेबर की नीतियों पर मुहर लगाने के करीब पहुंचने जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘एक बात तय है कि लेबर पार्टी सत्ता में लौट रही है।’

2 July 2016....7. बृहस्पति के चुंबकीय क्षेत्र में पहुंचा नासा का जूनो अंतरिक्ष यान:-



 अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का जूनो अंतरिक्ष यान बृहस्पति के चुंबकीय क्षेत्र में पहुंच गया है। इस क्षेत्र की गतिविधियां ग्रह के भीतर होने वाली क्रियाओं पर निर्भर करती हैं। जूनो के प्रमुख शोधकर्ता स्कॉट बोल्टन ने बताया कि जूनो ग्रह की सीमा के भीतर पहुंच गया है। साउथवेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट के बोल्टन ने कहा, ‘हम ग्रह की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं और हमें कई महत्वपूर्ण जानकारियां भी मिल रही हैं।’ जूनो चार जुलाई को ग्रह की कक्षा में पहुंचकर चक्कर लगाना शुरू करेगा। ग्रह के चुंबकीय क्षेत्र में पहुंचते ही यान पर लगे विभिन्न उपकरणों ने आसपास के वातावरण और कणों में बदलाव महसूस किया। यान से मिलने वाले तरंगीय आंकड़ों से उसकी स्थिति और चुंबकीय प्रभाव का पता चल रहा है। बृहस्पति सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। वैज्ञानिकों के अनुसार, अगर बृहस्पति का चुंबकीय क्षेत्र किसी रोशनी से प्रकाशित हो जाए तो धरती से यह पूर्णिमा के चांद के आकार का दिखाई देगा।

2 July 2016..6. अरिहंत’ को जल्द लोकार्पित करेंगे मोदी:-

 भारत की पहली स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी ‘‘आई.एन.एस. -अरिहन्त’ अगले कुछ महीनों में भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल कर दी जाएगी। पिछले आठ माह से चल रहे अपने सभी अन्तिम परीक्षणों में यह पनडुब्बी कामयाब रही। बताया जा रहा है कि अब यह आपरेशन के लिए पूरी तरह तैयार है और शीघ्र ही इसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा राष्ट्र की सेवा में लोकार्पित किया जाएगा। फिलहाल इसकी सभी योजनाओं को गोपनीय रखा गया है। अधिकारिक सूत्रो ने बताया कि रूस की मदद से आईएनएस-अरिहंत के फाइनल टेस्ट के दौरान वहां की डाइविगं सपोर्ट शिप ने मदद की। ‘‘एप्रांन’ नाम की यह शिप एक पिछले अक्टूबर माह से ही भारत में है। इसका इस्तेमाल युद्धपोतों और पनडुब्बियों के डूबने के हालत में उन्हें बाहर निकालने के लिए किया जाता है। भारतीय नौसेना को यह पनडुब्बी कब तक प्राप्त होगी, इस बारे में नौसेना को भी नहीं पता है। नौसेना के प्रवक्ता कमांडर डी के शर्मा इस संवाददाता के सवाल पर बस इतना कहते हैं कि ‘‘‘‘अरिहंत के बारे में सिर्फ पीएमओ ही कुछ बता सकता है कि उसकी क्या स्थिति है और वह कब तक नौसेना के आपरेशन बेड़े में शामिल होगी।’’ हालांकि छह हजार टन वजन की इस पनडुब्बी की कम्युनिकेशन टेक्नोलांजी (सीटी) नौसेना को पहले ही सौंपी जा चुकी है। विशाखापत्तनम् में बीते फरवरी माह में आयोजित नौसेना की इंटरनेशनल फ्लीट रिव्यू में ‘‘अरिहंत’ को शामिल नहीं किया गया था। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि भारत ने इस प्रोग्राम में अरिंहत को इसलिए शामिल नहीं किया, क्यों कि वहां आए विदेशी युद्धपोतों में सेंसर और सर्विलांस डिवाइसेस मौजूद थीं। ये अरिहंत के फीर्चस को ट्रेस कर सकती थीं। नौसेना इसके हर फीचर को बिल्कुल ही सीक्रेट रखना चाहती है। इस पनडुब्बी से पानी के अंदर और पानी की सतह से न्यूक्लियर मिसाइल दागी जा सकती है। पानी के अंदर से किसी एयरक्राफ्ट को भी निशाना बना सकती है। अरिहंत से छोड़ी जाने वाली परमाणु मिसाइल के-15 पूरी तरह विकसित कर ली गई है। इसके दस से अधिक परीक्षण हुए हैं। इस मिसाइल की रेंज 700 किलोमीटर है जिसे 3500 किलोमीटर तक बढ़ाने के प्रयास जारी हैं। पानी के भीतर से परमाणु वार करने की क्षमता किसी भी परमाणु देश के लिए महत्वपूर्ण है क्यों कि परमाणु हमला होने की स्थिति में पलटवार करने के लिए पानी के भीतर के अस्त्र सुरक्षित रहते हैं। पानी के भीतर होने के कारण दुश्मन पर बेहद अनजान जगह से परमाणु वार किया जा सकता है। आईएनएस-अरिहंत का जलावतरण 26 जुलाई 2009 को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और रक्षा मंत्री ए के एंटनी की मौजूदगी में किया गया था। परंपरा के अनुसार जलावतरण की रस्म महिला द्वारा पूरी की जाती है और इसका पालन करते हुए प्रधानमंत्री की पत्नी गुरशरण कौर ने इसका जलावतरण किया था। पिछले आठ वर्षो में आईएनएस-अरिहंत के हार्बर और समुद्री परीक्षण चलते रहे हैं। इसके हजारों उपकरणों को कड़े परीक्षणों के दौर से गुजारा गया। नौसेना की सेवा में शामिल होने के बाद यह भारत की दूसरी परमाणु पनडुब्बी बन जाएगी। रूस से लीज पर ली गई परमाणु पनडुब्बी आईएनएस- चक्र पहले ही समुद्र के भीतर कहीं चुपचाप दुश्मन पर निगाह जमाए हुए बैठी है।

2 July 2016..5. कैग की राय रिजर्व बैंक का भी किया जाए आडिट:-

 नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) शशिकांत शर्मा ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) जैसे वित्तीय नियामकों का भी आडिट किए जाने पर विचार करने की जरूरत है।शर्मा ने यहां एसोचैम द्वारा वित्तीय एवं कारपोरेट धोखाधड़ी पर आयोजित तीसरे राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ करते हुए कहा कि कैग बाजार नियामक सेबी, बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीए) और पेंशन कोष नियामक जैसे वित्तीय नियामकों का ऑडिट करता है, लेकिन परफॉम्रेंश ऑडिट नहीं किया जाता है। उनका संगठन रिजर्व बैंक का आडिट नहीं करता है। केंद्र सरकार आरबीआई अधिनियम के तहत उसके आडिटर नियुक्त करती है।उन्होंने कहा कि वित्तीय धोखाधड़ी की घटनाओं में हो रही बढ़ोतरी के मद्देनजर भविष्य में कैग को हमारे वित्तीय क्षेत्र के जोखिम और अति संवेदनशीलता पर गौर करने के साथ ही नियामकों की इस तरह की स्थिति से निपटने की क्षमता और प्रभावशीलता पर भी ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि अमेरिका व ब्रिटेन में जो घटनाएं हुईं उनके बीच देश के वित्तीय क्षेत्र पर भी गौर करना पड़ेगा। इसका लक्ष्य सिर्फ वित्तीय क्षेत्र के नियामकों की प्रभावशीलता व कार्यपण्राली के क्षेत्र में वांछित स्तर का अशुअरेंस हासिल करना है। शर्मा ने कहा कि बैंकों, विशेषकर सरकारी बैंकों के साथ हुई धोखाधड़ी पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। ये बैंक अभी गैर निष्पादित परिसंपत्तियों में बढ़ोतरी की समस्या से जूझ रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि एनपीए का बहुत बड़ा हिस्सा धोखाधड़ी कर लिए गए ऋण का है। ऐसा भी माना जा रहा है कि इस तरह के ऋण का बड़ा हिस्सा विदेशों में भेजे गए हैं और उसकी कभी भी वसूली होने वाली नहीं है।उन्होंने कहा कि आम लोगों के हितों के साथ ही वित्तीय तंत्र की गरिमा की संरक्षा के लिए इस तरह के मामलों से निपटने के उद्देश्य से समग्र रणनीति बनाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे देश में जहां वित्तीय निक्षरता अधिक है वहां इस तरह की धोखाधड़ी होने की आशंका अधिक होती है। वित्तीय साक्षरता बढ़ाकर इस तरह के जोखिम से निपटा जा सकता है। इसके साथ ही नियामकों को वित्तीय धोखाधड़ी से निपटने के लिए आपस में मिलकर अपनी क्षमता बढ़ानी चाहिए।

2 July 2016..4. केंद्र-राज्य के बीच फंसा उत्तर भारत का सबसे बड़ा गैसीय बिजली संयंत्र:-

 उत्तरभारत का सबसे बड़ा गैस आधारित बवाना बिजली संयंत्र केंद्र-राज्य के उलझन में फंस कर रह गया है। स्थिति ऐसी है कि गैस के अभाव में यह संयंत्र अपनी उत्पादन क्षमता का पांचवां हिस्सा भी उत्पादित नहीं कर रहा है। खास बात यह है कि पिछले छह सालों में इस संयंत्र से मात्र उतनी ही बिजली तैयार हुई, जितनी की इसकी लागत थी। दिल्ली को बिजली क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए आठ साल पहले 1500 मेगावाट क्षमता वाले गैस आधारित बवाना बिजली संयंत्र की नींव रखी गई। संयंत्र के निर्माण में 31 दिसंबर 2015 तक 4717 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। सूचना के अधिकार के तहत ऊर्जा विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस संयंत्र के निर्माण हेतु लिए गए कर्ज का 15 करोड़ रुपए प्रतिमाह ब्याज के तौर पर भुगतान करना पड़ रहा है। इस संयंत्र के निर्माण पर 31 दिसंबर 2015 तक 4717 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। 
बवानासंयंत्र के संचालन पर हर महीने खर्च हो जाते हैं 52.43 करोड़ रुपए बवानासंयंत्र के अनुरक्षण एवं संचालन पर हर महीने 52.43 करोड़ रुपए खर्च होते हैं। इस मद में 31 मार्च 2015 तक 1452.93 करोड़ रुपए खर्च हो गए। इसमें कर्मचारियों का वेतन, ब्याज आदि शामिल है। संयंत्र के निर्माण के लिए विभिन्न संस्थाओं से 2515.58 करोड़ रुपए कर्ज लिए गए। जिनके पर हर महीने 15 करोड़ रुपए ब्याज के तौर पर भुगतान किया जाता है। छह सालों में मात्र उतनी ही बिजली तैयार हुई, जितनी इसकी लागत थी राजधानी की सबसे महात्वाकांक्षी इस परियोजना को कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान शुरू किया गया, ताकि अंतरराष्ट्रीय खेलों के आयोजन के समय राजधानी में किसी तरह की बिजली संकट उत्पन्न हो। वर्ष 2011-12 से फरवरी 2015-16 तक 4949.10 करोड़ रुपए की बिजली बेची जा चुकी है, जो कि संयंत्र के निर्माण लागत के लगभग बराबर है। दिल्ली की बिजली कंपनियों की दलील है कि इस संयंत्र से बिजली की खरीद उन्हें महंगी पड़ती है।

2 July 2016..3. साइप्रस से निवेश पर अप्रैल से टैक्स :-

 भारत और साइप्रस टैक्स संबंधी समझौते में संशोधन के लिए सहमत हो गए हैं। इसके तहत एक अप्रैल 2017 के बाद साइप्रस से पी-नोट्स के जरिये शेयर खरीद से होने वाली आय पर केपिटल गेन्स टैक्स लगेगा। इसके साथ ही साइप्रस के मामले में भी मॉरीशस जैसा समझौता हो जाएगा। मॉरीशस और सिंगापुर के बाद साइप्रस भी प्रमुख देश है जहां से भारतीय शेयर बाजार में पी-नोट्स के जरिये निवेश किया जाता है और अभी तक दोहरा कराधान निवारण संधि (डीटीएए) के तहत भारत में कैपिटल गेन्स पर टैक्स नहीं सकता है।वित्त मंत्रलय के एक बयान के अनुसार दोनों देशों के बीच हुए समझौते को मंजूरी के लिए कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा। इसके बाद दोनों देशों के बीच नए समझौते पर विधिवत हस्ताक्षर होंगे। नए समझौते के तहत कैपिटल गेन्स टैक्स उस देश में लगेगा जहां शेयरों का ट्रांसफर किया गया हो। हालांकि इस समझौते में एक प्रावधान किया गया है जिसके तहत एक अप्रैल 2017 से पहले किये गये निवेश पर टैक्स उसी देश में लगेगा, जहां निवेशक रहता है।दोहरा करारोपण रोकने और टैक्स की चोरी पर अंकुश लगाने के लिए हुए इस समझौते के बाद साइप्रस उन अधिसूचित देशों की सूची से हट जाएगा, जहां नवंबर 2013 में रेट्रो टैक्स (पूर्ववर्ती टैक्स) लगाने का प्रावधान किया गया था।

2 July 2016..2. तेजस विमान का पहला स्क्वाड्रन वायुसेना में शामिल:-

 देश के सैन्य विमानन क्षेत्र में बड़ा आयाम तय करते हुए देश में ही बने हल्के लड़ाकू विमान तेजस की पहली स्क्वाड्रन को वायुसेना में शामिल किया गया है। पहली खेप में दो विमान वायुसेना में शामिल किए गए हैं।सरकारी कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने यहां ‘‘एयरक्राफ्ट सिस्टम टेस्टिंग इस्टैबलिशमेंट’ में एक कार्यक्र म के दौरान वायुसेना के दो तेजस विमान सौंपे। पहली स्क्वाड्रन ‘‘ फ्लाइंग डैगर्स’ नाम दिया गया है। विमानों को वायुसेना में शामिल किए जाने के समारोह के दौरान कमांडिंग ऑफिसर ग्रुप कैप्टन माधव रंगचारी ने एक तेजस विमान को उड़ाया। इस समारोह में दक्षिणी वायु कमान के एयर ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ एयर मार्शल जसबीर वालिया तथा एचएएल के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। इस हल्के लड़ाकू विमान का विकास तीन दशक से अधिक समय पहले शुरू हुआ था। अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री रहते इस विमान का नाम ‘‘ तेजस’ रखा गया था। यह स्क्वाड्रन पहले दो वर्ष बेंगलुरू आधारित होगा। इसके बाद इसे तमिलनाडु के सुलूर स्थानांतरित किया जाएगा। वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अरूप राहा ने इस ‘‘ देसी’ विमान की तारीफ करते हुए इसे वायुसेना में शामिल करने के लिए अच्छा बताया। उन्होंने बीते 17 मई को तेजस से पहली उड़ान भरी थी। वायुसेना ने इस वित्तीय वर्ष में 6 और अगले वित्त वर्ष में करीब आठ तेजस विमानों को शामिल करने की योजना बनाई है।

2 July 2016..1.समान नागरिक संहिता की ओर बढ़े कदम :

 कानून मंत्रालय के विधिक विषयक विभाग ने विधि आयोग से कहा समान नागरिक संहिता का अध्ययन करे:- समान नागरिक संहिता पर कोई फैसला करने से पहले व्यापक विचार विमर्श की जरूरत का संकेत देते हुए सरकार ने विधि आयोग से इस मुद्दे का अध्ययन करने को कहा है। कानून मंत्रालय के विधिक विषयक विभाग ने आयोग से इस संबंध में रिपोर्ट भी देने को कहा है।कानून मंत्री डी वी सदानंद गौड़ा ने पहले कहा था कि इस मुद्दे को अध्ययन के लिए विधि आयोग के पास भेजा जा सकता है। आमसहमति कायम करने के लिए विभिन्न पर्सनल लॉ बोडरें और अन्य पक्षों के साथ व्यापक परामर्श किया जाएगा और इस प्रक्रि या में कुछ वक्त लग सकता है। उन्होंने कहा था, ‘‘यहां तक कि संविधान की प्रस्तावना और अनुच्छेद 44 भी कहते हैं कि एक समान नागरिक संहिता होनी चाहिए.. उसके लिए व्यापक परामर्श करने की जरूरत है।’उन्होंने कहा था कि निर्णय एक या दो दिन में नहीं लिया जा सकता। उसमें वक्त लगेगा। एक समान संहिता का क्रि यान्वयन भाजपा के चुनावी घोषणापत्र का हिस्सा है। विधि आयोग से इस मुद्दे के अध्ययन के लिए कहा जाना इस मायने में अहम है क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में कहा था कि वह तीन बार तलाक की संवैधानिक वैधता पर निर्णय करने से पहले आम लोगों और अदालत में व्यापक बहस पसंद करेगा। कई लोगों की शिकायत है कि तीन बार तलाक बोलने की व्यवस्था का मुस्लिम पुरूष अपनी पत्नियों को मनमाने ढंग से तलाक देने के लिए दुरूपयोग करते हैं।