शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में भारत को पूर्ण सदस्य के तौर पर शामिल करने की अंतिम प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस मौके पर शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह साङोदारी क्षेत्र को कट्टरता, हिंसा और आतंकवाद के खतरों से बचाएगी। साथ ही क्षेत्र में आर्थिक विकास तेज होगा। एससीओ सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि ऊर्जा और प्राकृतिक संसाधनों के क्षेत्र में समूह की ताकत से भारत को महत्वपूर्ण तरीके से लाभ होगा। बदले में भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था और बड़ा बाजार एससीओ क्षेत्र में आर्थिक विकास को संचालित कर सकता है। उन्होंने कहा कि एससीओ में भारत की सदस्यता क्षेत्र में खुशहाली लाने के साथ-साथ सुरक्षा को भी मजबूत करेगी। इससे पहले समूह में प्रवेश प्रक्रिया को शुरू करते हुए भारत ने ‘दायित्वों के सहमति पत्र’ पर दस्तखत किए। इस महत्वपूर्ण दस्तावेज के जरिए भारत नाटो के मुकाबले में खड़े होने वाले शक्तिशाली सुरक्षा संगठन एससीओ में औपचारिक रूप से शामिल हो जाएगा। इस दस्तावेज पर दस्तखत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में विदेश मंत्रलय (पूर्व) की सचिव सुजाता मेहता ने एससीओ सम्मेलन में किए। इस संगठन में सदस्यता लेने की प्रक्रिया को पूरा होने में अभी एक साल है। इस दौरान भारत को करीब तीस अन्य दस्तावेजों पर दस्तखत करने होंगे। भारत की तरह ही पाकिस्तान को भी पूर्णकालिक सदस्य के तौर पर एससीओ में शामिल किया जा रहा है। एससीओ की सदस्यता के जरिए भारत की सुरक्षा, आतंकवाद के खिलाफ युद्ध पर विचार होगा। एससीओ को स्थापना वर्ष 2001 में शंघाई में हुई थी। तब इसके सम्मेलन में रूस, चीन, किर्गिज रिपब्लिक, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उबेकिस्तान के राष्ट्रपति शामिल हुए थे। 2005 के अस्टाना सम्मेलन में भारत, ईरान और पाकिस्तान को बतौर पयर्वेक्षक शामिल किया गया था।
No comments:
Post a Comment