चालू वित्त वर्ष में भारत की विकास दर 7.6 प्रतिशत रहने की उम्मीद जताते हुए विश्व बैंक ने आर्थिक वृद्धि दर को दहाई के अंक यानी डबल डिजिट में ले जाने के लिए कई महत्वपूर्ण सुधार लागू करने का सुझाव दिया है। बैंक का कहना है कि लगातार दो वर्ष तक मानसून कमजोर रहने के बावजूद भारत ने वित्त वर्ष 2015-16 में तेज विकास दर हासिल की है और मैन्यूफैक्चरिंग व सेवा क्षेत्रों की उच वृद्धि रहने से नौकरियां सृजित हुई हैं।
निवेश पर जोर
विश्व बैंक के भारत में निदेशक ओनो रुहल ने ‘इंडिया डवलपमेंट अपडेट’ जारी करते हुए कहा कि भारत की संभावनाओं के संबंध में भरोसा करने के कई अछे कारण हैं। हालांकि दीर्घावधि में आर्थिक विकास को जारी रखने के लिए निवेश की रफ्तार बढ़ानी होगी।
नौकरियों पैदा हुईं
विश्व बैंक ने कहा कि वित्त वर्ष 2015-16 में मैन्यूफैक्चरिंग की वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत तथा सेवा क्षेत्र की 8.9 प्रतिशत रही जिससे शहरों में नौकरियां सृजित हुईं। साथ ही मुद्रास्फीति काबू में रही जिससे लोगों की वास्तविक आय में वृद्धि हुई। महंगाई निचले स्तर पर रहने से रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में कटौती की जिससे वित्तीय तंत्र से जुड़े शहरी परिवारों को फायदा हुआ।
टैक्स बढ़ाने का समर्थन
विश्व बैंक ने कचे तेल की कीमतों में गिरावट होने पेट्रोलियम उत्पादों पर टैक्स बढ़ाने की सरकार की नीति का समर्थन करते हुए कहा कि केंद्र ने इससे प्राप्त हुए राजस्व को उपभोग पर खर्च होने देने के बजाय ढांचागत क्षेत्र में निवेश करने का अछा निर्णय किया है।
सब्सिडी तर्कसंगत हो
बैंक ने कहा कि मानसून सामान्य रहने से भी सरकार को एक अछा अवसर मिलेगा। हालांकि सरकार को ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर संपर्क सुविधा देने के साथ-साथ उवर्रक सब्सिडी को तर्कसंगत और शहरी क्षेत्रों में सेवाओं की डिलीवरी बेहतर बनाने पर जोर देना चाहिए।
गांव से मिलेगी रफ्तार
विश्व बैंक का कहना है कि मानसून सामान्य रहने पर कृषि क्षेत्र की विकास दर अगर 3.5 प्रतिशत रहती है तो जीडीपी में अतिरिक्त 0.35 प्रतिशत वृद्धि हो सकती है। इसके अलावा ग्रामीण उपभोग बढ़ने और निर्यात में गिरावट थमने से भी विकास दर को बल मिलेगा।
निवेश पर जोर
विश्व बैंक के भारत में निदेशक ओनो रुहल ने ‘इंडिया डवलपमेंट अपडेट’ जारी करते हुए कहा कि भारत की संभावनाओं के संबंध में भरोसा करने के कई अछे कारण हैं। हालांकि दीर्घावधि में आर्थिक विकास को जारी रखने के लिए निवेश की रफ्तार बढ़ानी होगी।
नौकरियों पैदा हुईं
विश्व बैंक ने कहा कि वित्त वर्ष 2015-16 में मैन्यूफैक्चरिंग की वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत तथा सेवा क्षेत्र की 8.9 प्रतिशत रही जिससे शहरों में नौकरियां सृजित हुईं। साथ ही मुद्रास्फीति काबू में रही जिससे लोगों की वास्तविक आय में वृद्धि हुई। महंगाई निचले स्तर पर रहने से रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में कटौती की जिससे वित्तीय तंत्र से जुड़े शहरी परिवारों को फायदा हुआ।
टैक्स बढ़ाने का समर्थन
विश्व बैंक ने कचे तेल की कीमतों में गिरावट होने पेट्रोलियम उत्पादों पर टैक्स बढ़ाने की सरकार की नीति का समर्थन करते हुए कहा कि केंद्र ने इससे प्राप्त हुए राजस्व को उपभोग पर खर्च होने देने के बजाय ढांचागत क्षेत्र में निवेश करने का अछा निर्णय किया है।
सब्सिडी तर्कसंगत हो
बैंक ने कहा कि मानसून सामान्य रहने से भी सरकार को एक अछा अवसर मिलेगा। हालांकि सरकार को ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर संपर्क सुविधा देने के साथ-साथ उवर्रक सब्सिडी को तर्कसंगत और शहरी क्षेत्रों में सेवाओं की डिलीवरी बेहतर बनाने पर जोर देना चाहिए।
गांव से मिलेगी रफ्तार
विश्व बैंक का कहना है कि मानसून सामान्य रहने पर कृषि क्षेत्र की विकास दर अगर 3.5 प्रतिशत रहती है तो जीडीपी में अतिरिक्त 0.35 प्रतिशत वृद्धि हो सकती है। इसके अलावा ग्रामीण उपभोग बढ़ने और निर्यात में गिरावट थमने से भी विकास दर को बल मिलेगा।
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