आकाश अनंत है। इसका कोई ओर-छोर नहीं है। ये कितना बड़ा है इसका कोई ठोस अंदाजा अब से पहले तक नहीं था। मगर बरसों की मेहनत के बाद अब कुछ वैज्ञानिक ये दावा करने लगे हैं कि उन्होंने ब्रह्मांड को नाप लिया है। ताजा अनुमान कहते हैं कि ब्रह्मांड 93 अरब प्रकाश वर्ष चौड़ा है। प्रकाश वर्ष वो पैमाना है जिससे हम लंबी दूरियां नापते हैं। प्रकाश की रफ्तार बहुत तेज होती है। वो एक सेकेंड मंा करीब दो लाख किलोमीटर की दूरी तय कर लेता है। तो एक साल में प्रकाश जितनी दूरी तय करता है उसे पैमाना बनाकर दूरी को प्रकाश वर्ष में नापते हैं। इतनी लंबी दूरी को किलोमीटर या मील में बताना बेहद मुश्किल है। इसीलिए प्रकाश वर्ष को पैमाना बनाया गया है।हम जिस धरती पर रहते हैं, वो सौर मंडल का हिस्सा है। सौर मंडल में नौ ग्रह हैं, जो सूरज का चक्कर लगाते हैं। सूरज एक तारा है, जो हमारी आकाशगंगा, ‘‘मिल्की वे’ का हिस्सा है। आकाशगंगा बहुत सारे तारों और उनका चक्कर लगाने वाले ग्रहों, उल्कापिंडों और धूमकेतुओं को मिलाकर बनती है। ब्रह्मांड में हमारी ‘‘मिल्की वे’ आकाशगंगा जैसी बहुत सी आकाशगंगाएं हैं। ये कितनी हैं, इनका आकार कैसा है, इस बारे में बरसों से वैज्ञानिक कोई ठोस अंदाजा लगाने में जुटे हैं। इनकी पड़ताल से ही हमें अपने ब्रह्मांड के सही आकार का अंदाजा हो सकेगा। बीसवीं सदी की शुरु आत में अमेरिकी वैज्ञानिक हार्लो शेपले और उनके साथी हेबर र्कटसि के बीच इस बात पर बहस छिड़ी थी कि हमारी आकाशगंगा कितनी बड़ी है। शेपले का कहना था कि ‘‘मिल्की वे’ आकाशगंगा, करीब तीन लाख प्रकाश वर्ष चौड़ी है। वहीं हेबर र्कटसि कहते थे कि आकाशगंगा इतनी बड़ी नहीं है।ब्रह्मांड में इसके जैसी कई आकाशगंगाएं हैं, जिनकी दूरी नापकर ही हम ब्रह्मांड के सही आकार के बारे में जान सकते हैं। शेपले के उलट, र्कटसि का कहना था कि हमारी आकाशगंगा सिर्फ तीस हजार प्रकाश वर्ष बड़ी है। वैसे ये बहस करीब एक सदी पुरानी हो चुकी है। आज वैज्ञानिकों के बीच इस बात पर एक राय है कि हमारी आकाशगंगा एक लाख से डेढ़ लाख प्रकाश वर्ष चौड़ी है। ब्रह्मांड तो इससे न जाने कितने गुना बड़ा है। ताजा अनुमान कहते हैं कि हमारा ब्रह्मांड 93 अरब प्रकाश वर्ष बड़ा है और ये तेजी से फैल रहा है। इतने बड़े ब्रह्मांड में हमारी धरती कुछ वैसी ही है जैसे कि प्रशांत महासागर में पानी की एक बूंद।नासा के वैज्ञानिक कार्तिक सेठ इसे कुछ इस तरह समझाते हैं। वो कहते हैं कि आप एक गुब्बारे में कुछ बिंदु बना दें। फिर इसमें हवा भरकर फुलाएं। हमारा ब्रह्मांड कुछ वैसे ही फैल रहा है। और जो निशान आपने बनाए हैं, वो हमारी ‘‘मिल्की वे’ जैसी आकाशगंगाएं हैं, जिनके बीच दूरी बढ़ती जा रही है। वैज्ञानिकों की पड़ताल के मुताबिक धरती से जो सबसे दूर सितारा है, वो करीब चौदह अरब साल पुराना है। यानी उसकी रोशनी को धरती तक पहुंचने में इतना वक्त लगा। इस वक्त ब्रह्मांड और फैल चुका है। तो इस आधार पर वैज्ञानिक कहते हैं कि आज वो तारा धरती से करीब 46.5 प्रकाश वर्ष दूर है। इस हिसाब से ब्रह्मांड आज 93 अरब प्रकाश वर्ष चौड़ा हो चुका है। अब इस दूरी पर भी बहुत से किंतु-परंतु हैं।
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