राज्यों में निवेश के अनुकूल माहौल बनाने की दिशा में अहम कदम बढ़ाते हुए सरकार अब प्रदेश स्तर पर कारोबार की प्रक्रिया आसान बनाने में जुट गई है। केंद्र ने यह जिम्मा नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पानगड़िया को सौंपा है। पानगड़िया ने राज्यों को साथ लेकर उनके यहां व्यवसाय की प्रक्रिया सरल बनाने की कोशिश शुरू भी कर दी है। राज्यों में अगर व्यवसाय की प्रक्रिया सुगम होती है तो अंतरराष्ट्रीय निवेशक उनके यहां का रुख कर सकेंगे। सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने राज्यों में ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ के लिए राज्य स्तर पर वांछित उपाय सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी पानगड़िया को सौंपी है। पानगड़िया ने इसकी शुरुआत भी कर दी है। उन्होंने बुधवार को राज्यों के नोडल अधिकारियों की बैठक कर उनके यहां कारोबार की राह में अड़चन बन रहे मौजूदा प्रावधानों पर चर्चा की। असल में सरकार ने राज्यों में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस करने के लिए यह महत्वपूर्ण कदम इसलिए उठाया है, क्योंकि पिछले साल सितंबर में विश्व बैंक और औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआइपीपी) के एक अध्ययन में पता चला था कि उत्तर प्रदेश, केरल, बिहार, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल जैसे कई राज्यों ने अपने यहां कारोबार की प्रक्रिया सरल बनाने को वांछित उपाय नहीं किए थे। कारोबार की प्रक्रिया सरल बनाने के लिए जरूरी उपाय नहीं कर पाने वालों में यादातर राज्य गैर भाजपा शासित थे। इस तथ्य के मद्देनजर यह जरूरी है कि सभी राज्यों को साथ लेकर व्यवसाय के अनुकूल माहौल बनाया जाए, ताकि वहां अधिकाधिक निवेश हो औरराज्य तेजी से प्रगति कर सकें। कारोबार की प्रक्रिया सरल बनाने के लिए जरूरी है कि राज्यों में निर्माण परमिट, बिजली कनेक्शन और संपत्ति पंजीकरण जैसे कार्य देर किए बगैर आसानी से होने चाहिए। जहां तक विश्व बैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग का सवाल है तो यह दस मानकों के आधार पर तय होती है। इसमें से कई महत्वपूर्ण मानक राज्यों के दायरे में आते हैं। इसलिए राज्यों में व्यवसाय की प्रक्रिया सरल होना जरूरी है। विश्व बैंक की सालाना ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट-2016’ में 189 देशों की सूची में भारत 130वें नंबर पर है।
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