Thursday 28 December 2017

7. विशेषज्ञों को आशंका: जैविक हथियार बना रहा उत्तर कोरिया!

• अपने परमाणु और मिसाइल परीक्षणों से दुनियाभर के लिए खतरा पैदा करने वाले उत्तर कोरिया पर गुपचुप तरीके से जैविक हथियार बनाने का भी शक जताया जा रहा है। 
• दक्षिण कोरिया के स्थानीय मीडिया ने दक्षिण कोरियाई खुफिया अधिकारी के हवाले से दावा किया है कि हाल ही में उत्तर कोरिया से भागकर दक्षिण कोरिया पहुंचे एक सैनिक के खून में खतरनाक ‘एंथ्रेक्स’ वायरस पाया गया है। 
• सैनिक की पहचान उजागर नहीं की गई है, लेकिन माना जा रहा है कि यह वही है, जो नवंबर में प्योंगयांग से भाग आया था। उसके भागने का वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें साथी सैनिक उस पर गोली चलाते देखा जा सकता है। 
• इस सैनिक को चार गोलियां भी लगी थीं, लेकिन वह जिंदा बचकर दक्षिण कोरिया पहुंचने में सफल रहा था। फिलहाल उसका यहां के अस्पताल में इलाज चल रहा है। जानकारी के मुताबिक भागने से पहले या तो वह इस खतरनाक वायरस की चपेट में आ गया या फिर उसके शरीर में इंजेक्शन के जरिए ‘एंथ्रेक्स’ को डाला गया है। 
• हाल ही में ऐसी खबरें उत्तर कोरिया जैविक हथियार बना रहा है। इसके तहत वह अपनी बैलिस्टिक मिसाइल में वह ‘एंथ्रेक्स’ वायरस का इस्तेमाल कर सकता है।
• विशेषज्ञों को आशंका है कि प्योंगयांग एक दशक से जैविक हथियार बनाने की जुगत में है। सैनिक के शरीर में हेपेटाइटिस-बी के लक्षण और 10 इंच लंबा परजीवी भी पाया गया है, जिससे विशेषज्ञों का शक गहरा गया है।
• माना जा रहा है कि वह आर्मी स्टाफ सार्जेंट है, जिसकी तैनाती संयुक्त राष्ट्र के युद्धविराम संधि वाले गांव में तैनात था। हालांकि एक संभावना यह भी है कि यह जवान 23 दिसंबर को फरार हुआ सैनिक भी हो सकता है।
• जापान जता चुका है आशंका :-पिछले हफ्ते ही जापान के एक समाचार पत्र ने उत्तर कोरिया के जैविक हथियार विकसित करने की आशंका जताई थी। उसने दक्षिण कोरियाई खुफिया एजेंसी से जुड़े एक अज्ञात व्यक्ति के हवाले से कहा था कि उत्तर कोरिया एंथ्रेक्स वायरस वाले जैविक हथियार का परीक्षण करने की तैयारी में है। 
• जापानी समाचार पत्र ने यह भी दावा किया था कि अमेरिका भी इसे लेकर सतर्क है। इसलिए इस बात की जांच की जा रहा है कि एंथ्रेक्स वायरस उच्च तापमान में जीवित रह सकता है या नहीं। हालांकि उत्तर कोरिया इन सभी आरोपों को खारिज करता रहा है। 
• एंथ्रेक्स का कैसे हो सकता है इस्तेमाल: -एंथ्रेक्स एक खतरनाक बीमारी का वायरस है, जिसका इस्तेमाल मिसाइल, बम और रॉकेट में रखकर किया जा सकता है। यही नहीं एंथ्रेक्स वायरस को विमान के जरिए बहुत बड़े क्षेत्र में फैलाया जा सकता है। 
• दशकों तक रहेगा असर : -यह वायरस इतना खतरनाक है कि एक बार फैलने के बाद इसका असर दशकों तक रहेगा। यह कितना घातक साबित हो सकता है, यह इसकी मात्रा पर निर्भर करेगा। 
• दो दिन में हो सकती है मौत : --शुरुआत में इसकी वजह से फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देंगे। इसके बाद तेज बुखार, छाती में दर्द और सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। 2 से 3 दिनों के भीतर इस वायरस की वजह से मौत हो सकती है।

6. यरुशलम में दूतावास स्थानांतरित करने का फैसला स्वायत्त: ग्वाटेमाला

• ग्वाटेमाला का कहना है कि इजरायल स्थित अपने दूतावास को यरुशलम स्थानांतरित करने के अमेरिका के फैसले को मानना एक स्वायत मामला है। इससे अन्य देशों के साथ संबंध प्रभावित नहीं होने चाहिए।
• विदेश मंत्री सैंड्रा जोवेल ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘यह ग्वाटेमाला की विदेश नीति है और यह एक स्वायत्त निर्णय है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी मामले में, हम उन देशों के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं जो ऐसा चाहते हैं, लेकिन मेरा मानना है कि इससे किसी भी अन्य देशों के साथ संबंध प्रभावित नहीं होंगे।’’
• ग्वाटेमाला के राष्ट्रपति जिमी मोराल्स ने अपने देश के दूतावास को तेल अवीव से यरुशलम स्थानांतरित करने की घोषणा की थी। वहीं, संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों ने पिछले सप्ताह अमेरिका के राष्ट्रपति के इस निर्णय के खिलाफ वोट किया था। 
• बता दें कि अमेरिका के बाद अपने दूतावास को यरुशलम स्थानांतरित करने की घोषणा करने वाला ग्वाटेमाला पहला देश है।

5. सऊदी अरब और यूएई में कर छूट खत्म, महंगी होंगी रोजमर्रा की वस्तुएं

• सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में रोजमर्रा में इस्तेमाल किए जाने वाली वस्तुओं को मिलने वाली कर छूट अब खत्म होगी। वहां अगले साल की शुरुआत से अधिकांश सामान और सेवाओं पर पांच फीसद मूल्य वर्धित कर (वैट) लगेगा। इससे आम उपयोग की चीजें महंगी हो जाएंगी। 
• तीन वर्षों में तेल की कीमतों में गिरावट से राजस्व में हुई कमी को पूरा करने के लिए दोनों देशों ने यह कदम उठाया है। भारत से वहां गए लाखों कामगारों पर वस्तुएं और सेवाएं महंगी होने का असर पड़ेगा। 1सऊदी अरब और यूएई लंबे समय से रहन-सहन में कर छूट का वादा कर विदेशी कामगारों को आकर्षित करते रहे हैं। लेकिन अब उन्होंने कई चीजों पर मूल्य वर्धित कर (वैट) लगा दिया है।
• इससे कपड़ा, इलेक्ट्रॉनिक्स, गैसोलिन, फोन, पानी, बिजली बिल और होटल रिजर्वेशन महंगा हो जाएगा। हालांकि किराया, रियल एस्टेट बिक्री, कुछ दवाइयों, हवाई जहाज के टिकट और स्कूल ट्यूशन फीस में कुछ छूट मिलेगी। यूएई में उच्च शिक्षा पर कर लगेगा। इसके अलावा बच्चों के स्कूल यूनिफॉर्म, किताबों, स्कूल बस फीस और लंच पर भी वैट लगेगा।
• माना जा रहा है कि आने वाले समय में खाड़ी के अन्य देश भी अपने यहां वैट लागू कर सकते हैं। अबू धाबी के अखबार के मुताबिक, एक जनवरी 2018 को वैट लागू होने के बाद रहन-सहन करीब 2.5 फीसद महंगा हो सकता है।
• वैट से यूएई को करीब 12 अरब दिरहम यानी 3.3 अरब डॉलर (करीब 21160 करोड़ रुपये) मिलने की उम्मीद है।
• इस बीच सऊदी अरब ने आने वाले वित्त वर्ष के लिए अब तक का अपना सबसे बड़ा बजट पेश किया है। इसमें 978 अरब रियाल यानी 261 अरब डॉलर (करीब 1673401 करोड़ रुपये) खर्च करने की योजना है। सऊदी सरकार ने वैट लागू करने से आय बढ़ने और सब्सिडी कम करने की बात कही है।
• गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) ने भी खाड़ी के देशों को गैर-तेल राजस्व बढ़ाने के लिए कर लगाने का सुझाव दिया है।

4. लघु बचत पर ब्याज घटा

• सरकार ने बुधवार को राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र और लोक भविष्य निधि (पीपीएफ) समेत लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दर में 0.2 फीसद की कटौती की। यह कटौती जनवरी-मार्च अवधि के लिए है। इससे बैंक जमा पर मिलने वाले ब्याज में कमी कर सकते हैं।
• दूसरी तरफ पांच वर्षीय वरिष्ठ नागरिक बचत योजना पर ब्याज दर 8.3 फीसद पर बरकरार रखी गई है। वरिष्ठ नागरिकों को ब्याज दर तिमाही आधार पर दी जाती है।वित्त मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र (एनएससी), सुकन्या समृद्धि योजना, किसान विकास पत्र (केवीपी) तथा पीपीएफ जैसी योजनाओं पर ब्याज दर कम की गई हैं। 
• हालांकि, बचत जमा पर ब्याज दर को सालाना चार फीसद पर बरकरार रखा गया है।पिछले वर्ष अप्रैल से लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में तिमाही आधार पर बदलाव किया जा रहा है। अधिसूचना के मुताबिक पीपीएफ तथा एनएससी पर ब्याज दर 7.6 फीसद मिलेगी जबकि केवीपी पर 7.3 फीसद होगी। 
• बालिकाओं से जुड़ी बचत योजना सुकन्या समृद्धि खाते पर ब्याज दर 8.1 फीसद होगी जो अभी 8.3 फीसद है। एक से पांच साल की अवधि के लिए मियादी जमा पर ब्याज दर 6.6 से 7.4 फीसद होगी। यह ब्याज तिमाही आधार पर मिलेगा। वहीं आवर्ती जमा पर ब्याज दर 6.9 फीसद होगी।

3. CA नहीं कर सकेंगे हेरफेर, रोकने के लिए सरकार गठित करेगी NFRA

• मुखौटा कंपनियों की अवैध कारगुजारियों में शामिल चार्टर्ड अकाउंटेंट्स पर शिकंजा कसने के लिए केंद्र सरकार राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (एनएफआरए) का गठन करने की तैयारी में है। कॉरपोरेट मंत्रालय नए साल में इसके गठन पर अधिसूचना जारी करेगा।
• इस प्राधिकरण को अवैध गतिविधि पर जुर्माना लगाने और कार्य पर रोक लगाने के अधिकार होंगे। प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा मुखौटा कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए गठित कार्यबल ने कंपनी अधिनियम 2013 में शामिल एनएफआरए को अधिसूचित करने की सिफारिश की है। 
• राजस्व सचिव हसमुख अधिया इस कार्यबल का नेतृत्व कर रहे हैं। कॉर्पोरेट मंत्रालय और कार्यबल के बीच हाल में हुई बैठक में प्राधिकरण को अधिसूचित करने पर निर्णय लिया गया। कार्यबल की ओर से बैठक में तर्क रखा गया कि चार्टर्ड अकाउंटेंट्स की व्यवसायिक अनियमितता और धोखाधड़ी से निपटने में मौजूदा कानून सक्षम नहीं है। कानून पर पुनर्विचार कर प्रभावी व्यवस्था लागू की जानी चाहिए, जिसमें इनके खिलाफ दीवानी और आपराधिक कानून के तहत कार्रवाई की जा सके। 
• बैठक में शामिल मंत्रालय के सचिव ने सुझाव दिया था कि इन पेशेवरों (सीए) से निपटने के लिए एनएफआरए को लागू किया जाए। 
• कंपनी अधिनियम की धारा 132 के तहत आने वाला यह प्राधिकार ऐसे पेशेवरों से निपटने में सक्षम होगा। एनएफआरए को खाता मानकों के अनुपालन के लिए विभिन्न अधिकार प्राप्त हैं। प्राधिकरण के पास मानकों को लागू कराने, निगरानी और सिफारिश का अधिकार है। 
• इस सुझाव को स्वीकारते हुए कार्यबल ने कहा कि जल्द से जल्द प्राधिकरण के संबंध में अधिसूचना जारी की जाए, ताकि कालेधन को सफेद करने जैसी कारगुजारियों में शामिल पेशेवरों पर अंकुश लगाया जा सके। गौरतलब है कि एक जुलाई को आईसीएआई के स्थापना दिवस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि देश की आर्थिक सेहत के लिए सीए डॉक्टर की तरह हैं। जैसे इलाज में गड़बड़ी के लिए डॉक्टर की जिम्मेदारी तय होती है, वैसे ही कंपनियों में गड़बड़ी होने पर सीए की जिम्मेदारी भी तय होगी। 
• प्रैक्टिक पर रोक लगेगी:-नए नियम लागू होने के बाद उन पेशेवरों की मुश्किलें बढ़ जाएंगी हैं, जो अनियमित और अवैध कारगुजारियों में लिप्त हैं। यह प्राधिकार को खातों के हिसाब और लेखा परीक्षा नीतियों व मानकों के बारे में ना सिर्फ सिफारिश करने, बल्कि गलत करने वाले पेशेवर के खिलाफ कार्रवाई करने का भी अधिकार देगा। 
• कंपनी अधिनियम के तहत इसके पास दीवानी अदालत जैसी शक्तियां होंगी। प्राधिकरण समन जारी करने के साथ जांच के आदेश, आर्थिक दंड और 6 महीने से 10 साल तक प्रैक्टिस पर रोक भी लगा सकेगा। 
• पांच गुना तक जुर्माना:-किसी व्यक्तिगत मामले में प्राधिकरण एक लाख से लेकर फीस की पांच गुना राशि तक का जुर्माना लगा सकता है। इसी तरह फर्म के मामले में वह कम से कम 10 लाख रुपये और अधिकतम फीस की 10 गुना राशि तक जुर्माना ठोक सकता है। हालांकि उसके निर्णय को चुनौती देने के लिए एक अपीलीय प्राधिकरण भी होगी। 
• राजस्व बढ़ेगा, कर की दर घटेगी
नए अधिनियम लागू होने के बाद करों में हेराफेरी पर रोक लगाना संभव होगा, जिससे सीधे तौर पर राजस्व में वृद्धि होगी। इससे विकास कार्यों को बढ़ावा देने के साथ सरकार को कर की दर घटाने में भी मदद मिलेगी।

2. मौजूदा आरक्षण प्रणाली समाप्त नहीं होगी- केंद्र सरकार

• सरकार ने बुधवार को जोर देकर कहा कि आरक्षण की मौजूदा व्यवस्था को समाप्त करने अथवा जनसंख्या के आधार पर आनुपातिक आरक्षण नीति की समीक्षा करने का कोई प्रस्ताव नहीं है।
• लोकसभा में फग्गन सिंह कुलस्ते और सदाशिव लोखंडे के एक सवाल के जवाब में कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन एवं प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेन्द्र सिंह ने बताया कि आरक्षण की मौजूदा व्यवस्था को समाप्त करने का सरकार के पास कोई प्रस्ताव नहीं है।
• कुलस्ते और लोखंडे ने पूछा था कि क्या सरकार का विचार आरक्षण व्यवस्था को समाप्त करने या वर्ष 2015 को आधार वर्ष मानते हुए समानुपातिक आरक्षण पर सहमति प्रदान करने का है।
• केंद्रीय मंत्री ने बताया कि संविधान के अनुच्छेद 16 (4) में पिछड़े वर्ग के ऐसे लोगों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई है जिनको राज्य के अधीन सेवाओं में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिला है।
• सिंह ने कहा कि मौजूदा अनुदेशों के मुताबिक, खुली प्रतियोगिता द्वारा अखिल भारतीय आधार पर सीधी भर्ती के मामले में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए क्रमश: 15 फीसदी, 7.5 फीसदी और 27 फीसदी आरक्षण का प्रावधान है।
• उन्होंने कहा कि खुली प्रतियोगिता के अलावा अखिल भारतीय स्तर पर सीधी भर्ती के मामले में अनुसूचित जातियों के लिए 16.66 प्रतिशत, अनुसूचित जनजातियों के लिए 7.5 प्रतिशत और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 25.84 प्रतिशत आरक्षण निर्धारित है।
• उन्होंने बताया कि समूह ग के पदों पर सीधी भर्ती के मामले में सामान्यत: किसी स्थान या क्षेत्र के उम्मीदवारों को संबंधित राज्यों या संघ शासित प्रदेश की जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण दिया जाता है।
• आरक्षण का है दायरा :- इंदिरा साहनी मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले के मुताबिक आरक्षण की कुल सीमा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती है। अदालत के फैसले का हवाला देते हुए सिंह ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 16 खंड (4) में पर्याप्त आरक्षण का उल्लेख है न कि आनुपातिक आरक्षण का।

28 December 2017 1.गैर-वन क्षेत्र में उगाया बांस अब नहीं है पेड़


• कांग्रेस समेत कुछ विपक्षी सदस्यों के बहिर्गमन के साथ ही भारतीय वन (संशोधन) विधेयक राज्यसभा से पारित हो गया। इसी के साथ अब गैर-वन क्षेत्रों में उगाए गए बांस को वृक्ष नहीं माना जाएगा तथा इसकी खेती की जा सकेगी।
• भारतीय वन संशोधन विधेयक को लोकसभा 20 दिसंबर को पारित कर चुकी थी। बुधवार को राज्यसभा ने भी इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया। हालांकि कांग्रेस, समाजवादी पार्टी तथा बीजू जनता दल के सदस्यों ने विधेयक का विरोध करते हुए सदन से वॉकआउट किया। उनका कहना था कि सरकार उद्योगपतियों के फायदे के लिए विधेयक को बिना समुचित विचार-विमर्श के जल्दबाजी में पारित करवा रही है और इसीलिए पहले अध्यादेश लेकर आई थी।
• विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने विपक्ष के आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया। उन्होंने कहा इससे आदिवासियों, वनवासियों तथा किसानों को फायदा होगा क्योंकि उनकी आमदनी बढ़ेगी।
• विधेयक गैर-वन क्षेत्रों में उगाए गए बांस को काटने और ढुलाई करने की अनुमति देता है। हालांकि वन क्षेत्र में उगाए गए बांस को अभी भी वृक्ष माना जाएगा तथा उस पर मौजूदा प्रतिबंधात्मक प्रावधान लागू रहेंगे।
• इससे पहले चर्चा में भाग लेते हुए पूर्व पर्यावरण मंत्री व कांग्रेस सदस्य जयराम रमेश ने विधेयक का ये कहते हुए विरोध किया कि यह बेहद भ्रामक है तथा इससे दीर्घकाल में आदिवासियों को नुकसान होगा। उन्होंने विधेयक को लेकर सरकार की हड़बड़ी पर सवाल उठाया और कहा कि जब संसद चल रही थी तो अध्यादेश लाने की क्या जरूरत थी।

Wednesday 27 December 2017

4. भारत-रूस में खेती के लिए सहयोग

• बदलते वैश्विक माहौल में भारत और रूस के बीच रिश्ते पहले जैसे गर्माहट वाले नहीं रहे लेकिन दोनो देश सहयोग के नए आयाम तलाश रहे हैं। इसमें कृषि ऐसा क्षेत्र है, जहां रिश्तों की नई कहानी लिखी जा सकती है। खास तौर पर रूस में खाली पड़े जमीन पर खेती कर भारत अपनी खाद्यान्न जरूरत को पूरी करने पर विचार कर रहा है। 
• इस बारे में दोनों देशों के बीच पहले भी बात हुई है। वैसे चीन पहले ही रूस में पट्टे पर जमीन लेकर अपनी आबादी के लिए अनाज व फल-सब्जियां उपजा रहा है। इसी तर्ज पर भारत भी कुछ वर्षो बाद रूस की मदद ले सकता है।
• पिछले हफ्ते विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और रूस के उप प्रधानमंत्री दिमित्री रोगोजिन के बीच हुई द्विपक्षीय बातचीत में कृषि एक अहम मुद्दा रहा है। बैठक में कृषि से जुड़े तमाम क्षेत्रों में सहयोग को प्रगाढ़ करने पर सहयोग देने के लिए एक समिति गठित की गई है। 
• विदेश मंत्रलय के सूत्रों का कहना है कि कृषि और फार्मास्युटिकल्स दो ऐसे क्षेत्र हैं जो आने वाले दिनों में भारत व रूस के द्विपक्षीय रिश्तों को बिल्कुल नया आयाम देंगे। भारत व रूस के द्विपक्षीय रिश्ते अभी तक बहुत हद तक रक्षा व ऊर्जा तक ही सीमित हैं। 
• दोनो देश अब दूसरे क्षेत्रों में विस्तार करना चाहते हैं। वैसे भी भारत अपनी रक्षा जरूरत के लिए अब दूसरे देशों पर रूस से भी ज्यादा निर्भर रहने लगा है। 
• स्वराज और रोगोजिन के बीच हुई मुलाकात में इस संदर्भ में कई मुद्दों पर चर्चा हुई है जिसके आधार पर आने वाले दिनों में कदम उठाए जाएंगे
• भारत हाल के दिनों में अन्य देशों में भी खाद्यान्न उत्पादन कर अपनी जरूरत पूरी करने पर योजना पर गंभीर हुआ है। दो वर्ष पहले जब भारत में दाल का संकट हुआ था तब भारत ने म्यांमार, मोजाम्बिक और नामीबिया में दलहन उपजाने पर वहां की सरकारों से बात की थी। 
• खाद्य तेल का उत्पादन दूसरे देशों में करने के लिए भी भारत इच्छुक है। इसके लिए थाईलैंड, मलेशिया और इंडोनेशिया के साथ चर्चा की जा रही है। लेकिन जानकार मान रहे हैं रूस के पास काफी खाली जमीन है और भविष्य में खाद्यान्न की भारी मांग को देखते हुए वहां खेती कर अनाज भारत लाने का तरीका एक बढ़िया नुस्खा हो सकता है। 
• रूस खुद चीन को साइबेरिया और पूर्वी सीमा के राज्यों में कृषि में निवेश करने के लिए आकर्षित कर रहा है। रूस की जमीन कुछ खास तरह के कृषि उत्पादों के लिए काफी उपजाऊ है। भारत वहां खेती कर उत्पादों को घरेलू बाजार के लिए ला सकता है। पिछले वर्ष दोनों देशों के बीच कृषि स्तरीय अंतरमंत्रलयी आयोग की बैठक में भी इस बारे में चर्चा हुई थी। 
• यह काम चीन पहले से ही रूस की पूर्वी सीमा पर कर रहा है। पिछले वर्ष संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत व चीन को आने वाले कुछ दशकों में अपनी जरूरत के कृषि उत्पादों का एक बड़ा हिस्सा दूसरे देशों में उपजाना पड़ेगा। बढ़ती आबादी, जमीन की उर्वरा शक्ति में हो रहे क्षरण आदि की वजह से भारत के लिए भी अपनी घरेलू जमीन से पूरी आबादी का पेट भरना मुश्किल होगा। 
• इन दोनो देशों में बड़े पैमाने पर होने वाले औद्योगीकरण को भी एक कारण बताया गया था। दाल और खाद्य तेल उत्पादन में यह स्थिति अभी ही बन गई है। भारत अपनी जरूरत का लगभग 60 फीसद खाद्य तेल बाहर से आयात कर रहा है। दलहन भी बड़े पैमाने पर आयात किया जाता रहा है।

3. लाभ वाले उपक्रमों की भी बिक्री संभव

• सरकार वैसे तो अगले साल के दौरान घाटे वाले केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों को बेचने की तैयारी कर रही है लेकिन विनिवेश होने वाले उपक्रमों की सूची में वह ऐसे कुछ लाभ कमाने वाले उपक्रमों को भी शामिल कर सकती है जिनका कोई रणनीतिक महत्व नहीं है। यह जानकारी एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने दी है।
• अधिकारी के अनुसार उपक्रमों को निजी क्षेत्र को सौंपने की प्रक्रिया जारी रहेगी। नीति आयोग को घाटे वाले उपक्रमों को बेचने की योजना बनाने का काम सौंपा गया है। लेकिन कुछ लाभ कमाने वाले उपक्रमों को भी बेचा जा सकता है। इनके लिए अच्छा खरीदार मिलने की संभावना होने पर यह कदम उठाया जाएगा। लाभ कमाने वाले उन्हीं उपक्रमों को बेचने पर विचार होगा जिनमें रणनीतिक दृष्टि से कोई दिलचस्पी नहीं है।
• नीति आयोग निजीकरण के लिए पहले ही 23 उपक्रमों की पहचान करके सिफारिश दे चुका है। अब निवेश एवं सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) इन मामलों पर विचार कर रहा है। अधिकारी के अनुसार जल्दी ही विभाग इन्हें बेचने के लिए पहल कर सकता है। 
• गौरतलब है कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने रणनीतिक विनिवेश के लिए उपक्रमों की पहचान करने का निर्देश दिया है। इसके लिए आयोग ने उपक्रमों को उच्च और निम्न प्राथमिकता की दो श्रेणियों में उपक्रमों को बांटा है। निम्न प्राथमिकता वाली सूची के उपक्रमों में रणनीतिक विनिवेश की कोशिश की जाएगी।
• सरकार चालू वित्त वर्ष में अब तक उपक्रमों के विनिवेश से 52500 करोड़ रुपये जुटा चुकी है। इनमें सूचीबद्ध सरकारी बीमा कंपनियां भी शामिल हैं। 
• सरकार ने चालू वित्त वर्ष में विनिवेश के जरिये धन जुटाने में पिछले साल के आंकड़े को पीछे छोड़ दिया है। पिछले वित्त वर्ष में 45500 करोड़ रुपये जुटाए गए थे। हालांकि सरकार ने बजट में चालू वित्त वर्ष के दौरान 72500 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा था।

4. चीन ने किया दूरसंवेदी उपग्रह का सफल प्रक्षेपण

• चीन ने विद्युत चुंबकीय पर्यावरणीय जांच के लिए आज एक दूरसंवेदी उपग्रह का सफल प्रक्षेपण किया। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की एक रिपोर्ट के अनुसार लॉन्ग मार्च रॉकेट श्रृंखला का यह 260वां मिशन है।
• दक्षिण पश्चिम सिचुआन प्रांत के शिचांग उपग्रह प्रक्षेपण केंद्र से लॉन्ग मार्च-2सी वाहक रॉकेट के जरिये इस दूरसंवेदी उपग्रह का प्रक्षेपण किया गया।
• खबर के अनुसार, उपग्रह अपनी निर्धारित कक्षा में प्रवेश कर गया। हालांकि खबर में यह नहीं बताया गया है कि कुल कितने उपग्रहों का प्रक्षेपण किया गया। खबर के अनुसार योगान-30 योजना के तीसरे बैच के तहतअउपग्रह विद्युत चुंबकीय पर्यावरणीय जांच और अन्य प्रयोग करेगा।
• दूरसंवेदी से यहां तात्पर्य वस्तुओं का पता लगाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सेंसर तकनीक से है। दूरसंवेदी उपग्रह का इस्तेमाल पृवी से परावर्तित ऊर्जा का पता लगा डाटा एकत्रित करने के लिए किया जाता है।

3. ताइवान ने चीनी सैन्य अभ्यास को बताया बड़ा खतरा


• ताइवान और चीन से तनातनी बढ़ती जा रही है। ताइवान ने चीन के हालिया सैन्य अभ्यास को देश के लिए खतरा बताया है। ज्ञात हो, चीन ने इस साल ताइवान के इर्द-गिर्द 20 सैन्य अभ्यास किए हैं। 2016 में यह संख्या आठ थी। चीन ने ताजा अभ्यास एक हफ्ते पहले ही पूरा किया है जिसमें चीन के लड़ाकू सहित अन्य विमानों ने हिस्सा लिया। 
• ताइवान की ओर मंगलवार को अपनी 14वीं वार्षिक सुरक्षा समीक्षा रिपोर्ट जारी की गई। इसमें चीन से मिल रही चुनौतियों पर चिंता व्यक्त की गई है। चीन ताइवान को अपना क्षेत्र मानता है और जरूरत पड़ने पर बल प्रयोग कर चीन में मिलाने की धमकी देता रहा है। 
• ताइवान के रक्षामंत्री फेंग शी-कुआन ने कहा, ‘ताइवान रक्षा बजट और सैन्य विकास में चीन का मुकाबला नहीं कर सकता है।’
• ताइवान की ओर से जारी की गई इस रिपोर्ट के अनुसार, वामपंथी शासन वाले देश चीन की सेना में करीब 20 लाख सैनिक हैं जबकि ताइवान के पास मात्र दो लाख दस हजार सैनिक। रक्षामंत्री फेंग शी-कुआन ने कहा कि ताइवान अपनी सीमित क्षमता के बावजूद चीन से मुकाबले के लिए अपनी सैन्य रणनीति पर गंभीरता से विचार कर रहा है। 
• चीन के जवाब में ताइवान ने अपनी साइबर आर्मी कमांड खड़ी कर ली है। इस कमांड में वर्तमान में एक हजार लोग हैं।
• बता दें कि 1949 में हुए गृहयुद्ध के बाद ताइवान चीन से अलग हो गया था। हालांकि ताइवान एक स्वशासित लोकतंत्र है लेकिन उसने औपचारिक रूप से अपनी स्वतंत्रता की कभी घोषणा नहीं की है। 
• साई इंग-वेन के ताइवानी राष्ट्रपति की कुर्सी संभालने के बाद से चीन ताइवान के सटे इलाकों में लगातार सैन्य अभ्यास कर रहा है। ताइवान ने ‘वन चाइना’ नीति को मानने से इन्कार कर दिया है।

2. पाकिस्तान-अफगानिस्तान के बीच मध्यस्थ बनना चाहता है चीन

• अफगानिस्तान में भारत की बढ़ती भूमिका से चीन और पाकिस्तान की बेचैनी बढ़ गई है। चीन मध्यस्थ बनकर पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनातनी को दूर कर युद्ध प्रभावित इस देश में अपनी मौजूदगी बढ़ाना चाहता है। 
• इसी प्रयास में चीन ने पाकिस्तान और अफगानिस्तान के विदेश मंत्रियों को बीजिंग आमंत्रित किया और मंगलवार को उनके साथ पहली त्रिपक्षीय बैठक की। गौरतलब है कि हाल ही में संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान के दूत ने पाकिस्तान पर डूरंड सीमा पर गोलीबारी करने का आरोप लगाया था।
• पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के अनुसार, इस बैठक में तीनों देशों के बीच विकास, सुरक्षा और आतंकवाद के रोकथाम के मसले पर चर्चा हुई। इस बात को लेकर सहमति बनी कि किसी भी देश, समूह या व्यक्ति को अपने क्षेत्र का उपयोग आतंकवाद के लिए नहीं करने दिया जाएगा। 
• तीनों पक्षों ने आतंकवाद के खतरे से मुकाबले के अपने संकल्प को दोहराया। तीनों देशों में इस साल जून में त्रिपक्षीय वार्ता की सहमति बनी थी। इसी के तहत चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष ख्वाजा मुहम्मद आसिफ और अफगानिस्तानी समकक्ष सलाहुद्दीन रब्बानी के साथ पहली बैठक की।
• तीनों विदेश मंत्रियों में सभी आतंकी संगठनों से मुकाबले में बिना किसी भेदभाव के आतंक रोधी समन्वय और सहयोग को मजबूत करने पर सहमति भी बनी।

27 December 2017:- 1.दुनिया की पांचवीं बड़ी इकोनामी बनेगा भारत

• भारत में एनडीए सरकार के आर्थिक सुधार का असर दिखने लगा है। इन सुधारों के बूते भारत की अर्थव्यवस्था वर्ष 2018 में ब्रिटेन और फ्रांस को पछाड़ सकती है। वैश्विक शोध एजेंसी सीईबीआर की रिपोर्ट में दावा किया गया कि भारत अगले साल विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन जाएगा। 
• सुधारों से आएगी मजबूती : सेंटर फार इकनामिक एंड बिजनेस रिसर्च (सीईबीआर) कंसल्टेंसी के 2018 र्वल्ड इकोनामिक लीग टेबल में ऊर्जा एवं तकनीक के सस्ते साधनों की बदौलत नियंतण्र अर्थव्यवस्था में तेज वृद्धि का अनुमान जताया गया है।
• चूंकि भारत भी इसी तरह के सुधारों पर आगे बढ़ रहा है इससे अगले 15 वर्षो तक शीर्ष 10 अर्थव्यवस्थाओं में एशियाई देशों का दबदबा बढ़ता रहेगा।
• अमेरिका को पछाड़ देगा चीन : रपट में कहा गया है कि चीन वर्ष 2032 में अमेरिका को पछाड़ कर दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन सकता है। पिछले कुछ समय से ब्रिटेन फ्रांस से पिछड़ता दिखाई दे रहा है लेकिन ब्रिटेन पर ब्रेग्जिट का असर आशंका से कम होगा।
• लिहाजा ऐसा अनुमान लगाया जा सकता है कि वर्ष 2020 तक यह फ्रांस को फिर से पछाड़ देगा।रिपोर्ट में कच्चे तेल की गिरती कीमतों के कारण रूस की अर्थव्यवस्था कमजोर पड़ने की आशंका जताई गई है जो अपनी वृद्धि के लिए ऊर्जा क्षेत्र पर काफी हद तक निर्भर है।
• रूस वर्ष 2032 तक 11वें स्थान से गिरकर 17वें स्थान पर आ सकता है।

Tuesday 26 December 2017

5. अब ग्वाटेमाला भी इजरायल का अपना दूतावास यरुशलम में करेगा स्थानांतरित

• अमेरिका का अनुसरण करते हुए ग्वाटेमाला ने भी इजरायल का अपना दूतावास यरुशलम में स्थानांतरित करने का फैसला किया है। इजरायल ने ग्वाटेमाला के इस फैसले पर खुशी जताई है और वहां के राष्ट्रपति जिमी मोरेल्स के प्रति आभार जताया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूतावास स्थानांतरित करने के फैसले का दुनिया भर में विरोध हुआ है। 
• ग्वाटेमाला अकेला देश है जिसने अमेरिका के कदम का समर्थन करते हुए अपना दूतावास यरुशलम ले जाने का फैसला किया है। ग्वाटेमाला के राष्ट्रपति मोरेल्स ने फेसबुक के जरिये बताया कि उन्होंने इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से विचार-विमर्श के बाद दूतावास स्थानांतरित करने का फैसला किया है। फिलहाल ग्वाटेमाला का दूतावास भी इजरायल की मौजूदा राजधानी तेल अवीव में है।
• जवाब में इजरायली संसद के अध्यक्ष यूली एडेलस्टीन ने राष्ट्रपति मोरेल्स के साहसी फैसले की सराहना की है। कहा है कि आपने साबित कर दिया है कि ग्वाटेमाला इजरायल का सच्चा दोस्त है। ग्वाटेमाला में इजरायल के राजदूत मैटी कोहेन ने रेडियो पर दिए संदेश में कहा है कि दूतावास के स्थानांतरण के लिए अभी कोई तारीख निश्चित नहीं की गई है, लेकिन ग्वाटेमाला स्थानांतरण का कदम तभी उठाएगा जब अमेरिकी दूतावास तेल अवीव से यरुशलम स्थानांतरित हो जाएगा।
• संयुक्त राष्ट्र में भी किया था समर्थन : संयुक्त राष्ट्र महासभा में यरुशलम की स्थिति को लेकर पेश प्रस्ताव का ग्वाटेमाला और उसके पड़ोसी देश होंडूरास ने ही अमेरिका का साथ दिया है। कुल 193 देशों वाली इस महासभा में 128 देशों ने ट्रंप के फैसले से असहमति जताई है। असहमति जताने वाले देशों में ब्रिटेन, जापान और फ्रांस जैसे अमेरिका के मित्र राष्ट्र भी शामिल हैं। ग्वाटेमाला और होंडूरास अमेरिकी सहायता पाने वाले प्रमुख देश हैं।

2. बैंक में लोगों के जमा पैसे की गारंटी पर आएगा नया कानून, ऐसा बोर्ड बनेगा जिसके फैसले को सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती नहीं दी जा सकेगी

• बैंक में जमाकर्ता का पैसा कितना सुरक्षित रहेगा, यह विवाद का विषय बना हुआ है। वजह है फाइनेंशियल रिजॉल्यूशन डिपोजिट इंश्योरेंस (एफआरडीआई) बिल। यह डिपोजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (डीआईसीजीसी) एक्ट की जगह लेगा।
• कहा जा रहा है कि इससे बैंक में जमाकर्ताओं का पैसा वापस मिलने की गारंटी नहीं रहेगी। उद्योग संगठन और बैंकर्स भी इसके खिलाफ हैं। हालांकि प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री कह चुके हैं कि पैसा पूरी तरह सुरक्षित है। बिल पर संसदीय समिति को शीत सत्र में सिफारिशें देनीं थीं, लेकिन इसे बजट सत्र तक का समय दे दिया गया है। 
• विशेषज्ञों के मुताबिक वित्तीय ढांचा रिजर्व बैंक के बजाय सरकार के हाथों में जाएगा। इसमें विशेष बोर्ड बनाने का प्रावधान है। इसके फैसले को सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती नहीं दी जा सकेगी। इसमें अध्यक्ष के अलावा आरबीआई, सेबी, इरडा, पीएफआरडीए और वित्त मंत्रालय के प्रतिनिधि, 3 होल-टाइम और 2 स्वतंत्र डायरेक्टर रहेंगे। यानी बोर्ड के 11 सदस्यों में से 7 को सरकार नियुक्त करेगी। 
• कैबिनेट ने 14 जून को बिल को मंजूरी दी थी। मानसून सत्र में इसे लोकसभा में पेश किया गया। अभी यह संसद की संयुक्त समिति के पास है। समिति के एक सदस्य ने बताया कि बैंकर बिल को लेकर ज्यादा चिंतित हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि इसके प्रावधानों से बैंक डूब जाएंगे। 
• बैंक डूबने के कगार पर आता है तो उसे बचाने का मैकेनिज्म होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि बिल जी-20 के दबाव में नहीं लाया गया है।
• नए बिल के मुताबिक रिजॉल्यूशन कॉरपोरेशन क्या काम करेगा? 
• यहबैंक और बीमा जैसी वित्तीय कंपनियों के जोखिम की मॉनिटरिंग करेगा। बैंक बंद होने की नौबत आती है तो उसका रिजॉल्यूशन प्लान बनाएगा। 
• बेल-इनप्रावधान क्या है? 
• वित्तीय कंपनी दिवालिया होने की नौबत आई तो उसकी एसेट-लायबिलिटी किसी और को दी जा सकती है, दूसरी कंपनी में विलय हो सकता है या कंपनी खत्म भी की जा सकती है। एक और प्रावधान है देनदारी की आंतरिक रिस्ट्रक्चरिंग का। इसी को बेल-इन कहते हैं। 
• बेल-आउटसे कैसे अलग है बेल-इन? 
• बेलआउटपैकेज में बाहर से पैसे देकर मदद की जाती है। यह करदाताओं का पैसा होता है। बेल-इन में जमाकर्ता के पैसे का इस्तेमाल होता है। 
• बेल-इनमें क्या किया जाएगा? 
• दो बातें हो सकती हैं। बैंक की देनदारी खत्म की जा सकती है या उसकी देनदारी को कर्ज या इक्विटी में बदला जा सकता है। 
• इसेलेकर विवाद क्यों है?: विवादकी वजह है प्रायरिटी। यह इस तरह है- डिपोजिट इंश्योरेंस, सिक्योर्ड जमाकर्ता, कर्मचारियों का वेतन, अन-इन्श्योर्ड डिपोजिट, अन-सिक्योर्ड जमाकर्ता, सरकार का बकाया और शेयरहोल्डर।
• जमाकर्ता को शेयरहोल्डर बनाया तो वह पैसे लौटाने की प्राथमिकता में अंत में होगा। हालांकि इसके लिए उसकी सहमति लेनी पड़ेगी। 
• अभी बेल-इन का प्रावधान नहीं है? :- नहीं।अभी बैंक फेल होने पर या तो उसका दूसरे बैंक में विलय होता है या बंद कर दिया जाता है। 
• किसीऔर देश में है ऐसा कानून? :- वित्तीय संकट के बाद अमेरिका और यूरोप के इंग्लैंड और जर्मनी समेत कई देशों में इसका प्रावधान किया गया है। 
• अबतक कहीं बेल-इन लागू हुआ है? :- 2013में साइप्रस में बेल-इन प्रावधान का इस्तेमाल किया गया था। तब जमाकर्ताओं को अपनी आधी रकम गंवानी पड़ी थी।

26 December 2017:- 1.मानव तस्करी पर होगी और सख्त सजा


• मानव तस्करी जैसे अपराध पर अंकुश लगाने को सरकार कड़े प्रावधान करने जा रही है। इसके लिए एक अलग से कानून बनाने की कवायद चल रही है जिसमें एक लाख की पेनाल्टी के अतिरिक्त सात से दस साल की कड़ी सजा का प्रावधान होगा। कानून के मसौदे पर विचार करने को मंगलवार को मंत्रि समूह की बैठक भी प्रस्तावित है।
• ट्रैफिकिंग ऑफ पर्सन्स (प्रिवेंशन, प्रोटेक्शन एंड रिहैबिलिटेशन) एक्ट के नाम से बन रहे इस कानून में पीड़ितों खासतौर पर महिलाओं को नौकरी दिलाने के नाम पर वेश्यावृति में धकेलने जैसे कार्यो को भी मानव तस्करी के दायरे में शामिल करने पर विचार हो रहा है।
• इसके अतिरिक्त ऐसी सभी प्लेसमेंट एजेंसियों के लिए इस कानून के तहत पंजीकरण कराना आवश्यक होगा जो महिलाओं के लिए रोजगार उपलब्ध कराने का काम करती हैं। मसौदे में इस बात का भी प्रावधान किया जा रहा है कि जिस पीड़िता को वेश्यावृति के धंधे में धकेला जाता है उसे मानव तस्करी का शिकार माना जाए।
• अभी ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। यह पहला मौका है जब देश में इस तरह का कानून बनाया जा रहा है। महिला एवं बाल विकास मंत्रलय की तरफ से तैयार इस कानून के मसौदे में दो बार बदलाव किया जा चुका है। संशोधित मसौदे पर मंगलवार को मंत्रियों का समूह विचार कर सकता है।
• मसौदे में एक एंटी ट्रैफिकिंग फंड बनाने का प्रस्ताव भी किया गया है, जिसका इस्तेमाल पीड़ितों के पुनर्वास के लिए किया जा सकेगा।
• दोषियों को कड़ी सजा के प्रावधान वाले इस कानून को जल्दी ही संसद में पेश किए जाने की संभावना है। सूत्र बताते हैं कि मौजूदा शीतकालीन सत्र में इसके सदन में आने की संभावना नहीं है, इसलिए अब इसके बजट सत्र में ही संसद में आने की उम्मीद है।
• मानव तस्करी पर रोक लगाने के उद्देश्य से मसौदे में जिला स्तर से लेकर राज्य स्तर पर देश भर में एंटी ट्रैफिकिंग कमेटियां गठित करने का उपाय किया गया है। केंद्र के स्तर पर एक केंद्रीय एंटी ट्रैफिकिंग एडवाइजरी बोर्ड के गठन का प्रस्ताव किया गया है। इसके अलावा पीड़ितों को तुरंत संरक्षण देने के उद्देश्य से देश भर में प्रोटेक्शन होम स्थापित करने का प्रावधान भी कानून में किया जा रहा है।
• पीड़ितों के स्थायी पुनर्वास के लिए राज्यों से ऐसी स्कीमें बनाने की अपेक्षा कानून में की गई है, जिससे मानव तस्करों के चंगुल से निकाली गई पीड़िताओं को पुनर्वासित कर सकें। भारत समेत दुनिया के तमाम देशों में मानव तस्करी एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है।
• भारत के कुछ राज्य इस समस्या से ज्यादा प्रभावित हैं, लेकिन अब तक उन पर अंकुश के तमाम सरकारी उपाय नाकाफी साबित हुए हैं।

6. दक्षिण कोरिया में आबादी को मिलेगा आराम का अधिकार

• दक्षिण कोरिया जल्द ही अपनी कामगार आबादी को आराम का अधिकार (राइट टू रेस्ट) की सौगात देने की तैयारी में है। दक्षिण कोरिया में लोग सालाना 2069 घंटे काम करते हैं। 
• सरकार की कोशिश है कि लोग सप्ताह में सिर्फ 52 घंटे ही काम करें। काम के लंबे घंटों की वजह से कोरिया में जन्म दर और प्रजनन क्षमता में कमी के अलावा दूसरी कई सामाजिक समस्याएं सामने आने लगी हैं।
• तेज आर्थिक विकास के के लिए दक्षिण कोरिया में सप्ताह में 68 घंटे काम करने का चलन शुरु हुआ।
• ऑर्गनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) समूह के देशों में दक्षिण कोरिया दूसरा सबसे ज्यादा काम के घंटों वाला देश है। 
• ओईसीडी देशो में पहले नंबर पर मैक्सिको है, यहां लोग सालाना 2 हजार 300 घंटे काम करते हैं। 
• सबसे कम काम के घंटे जर्मनी में है, यहां लोग सालाना 1,371 घंटे ही काम करते हैं। 
• भारत में एक हफ्ते में 48 घंटे ही काम करने का प्रावधान है।

6. दक्षिण कोरिया में आबादी को मिलेगा आराम का अधिकार

• दक्षिण कोरिया जल्द ही अपनी कामगार आबादी को आराम का अधिकार (राइट टू रेस्ट) की सौगात देने की तैयारी में है। दक्षिण कोरिया में लोग सालाना 2069 घंटे काम करते हैं। 
• सरकार की कोशिश है कि लोग सप्ताह में सिर्फ 52 घंटे ही काम करें। काम के लंबे घंटों की वजह से कोरिया में जन्म दर और प्रजनन क्षमता में कमी के अलावा दूसरी कई सामाजिक समस्याएं सामने आने लगी हैं।
• तेज आर्थिक विकास के के लिए दक्षिण कोरिया में सप्ताह में 68 घंटे काम करने का चलन शुरु हुआ।
• ऑर्गनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) समूह के देशों में दक्षिण कोरिया दूसरा सबसे ज्यादा काम के घंटों वाला देश है। 
• ओईसीडी देशो में पहले नंबर पर मैक्सिको है, यहां लोग सालाना 2 हजार 300 घंटे काम करते हैं। 
• सबसे कम काम के घंटे जर्मनी में है, यहां लोग सालाना 1,371 घंटे ही काम करते हैं। 
• भारत में एक हफ्ते में 48 घंटे ही काम करने का प्रावधान है।

Monday 25 December 2017

6. चीन के स्वदेशी एंफीबियस विमान ने भरी पहली उड़ान

• चीन के पहले एंफीबियस विमान ने रविवार को अपनी पहली उड़ान पूरी की। विमान ने दक्षिण चीन सागर के विवादित तटीय शहर झुहाई से उड़ान भरी। इस विमान को दुनिया का सबसे बड़ा विमान माना जा रहा है। 
• चीन सैन्य क्षमता बढ़ाने में जुटा हुआ है और इस विमान की सफल उड़ान से चीन की शक्ति में वृद्धि होगी। विमान एजी 600 ने सफलतापूर्वक जिनवान असैन्य हवाईअड्डे से उड़ान भरी। इसका कूट नाम ‘‘कुनलांग’ है। यह उड़ान एक घंटे तक चली। 
• ग्वांगदोंग प्रांत में झुहाई एक बंदरगाह है।समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, एजी600 के चीफ डिजाइनर हुआंग लिंगकाई ने कहा, इस सफल उड़ान ने चीन को दुनिया के बड़े एंफीबियस विमान विकसित करने में सक्षम कुछ देशों में शुमार कर दिया है। 
• विमान को विकसित करने वाले सरकारी एविएशन इंडस्ट्री कॉरपोरेशन चाइना (एवीआईसी) ने कहा, विमान चार घरेलू टबरेप्राप इंजन द्वारा संचालित है और इसका ढांचा 39.6 मीटर लंबा है। 
• एवीआईसी सूत्रों के अनुसार, एंफीबियस विमान अधिकतम 53.5 टन भार वहन कर सकता है और इसकी रफ्तार 500 किमी प्रति घंटा है। विमान एक बार में 12 घंटे तक उड़ान भर सकता है।

5. रूस में राष्ट्रपति चुनाव में व्लादिमीर पुतिन को चुनौती देंगे नेवलनी


• अलेक्साई नेवलनी को रूस के राष्ट्रपति चुनाव में मौजूदा राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को चुनौती देने वाले एकमात्र विपक्षी नेता के रूप में देखा जा रहा है। नेवलनी ने मार्च में होने वाले चुनाव में खुद को प्रत्याशी बनाए जाने की मांग की है। पूरे रूस में उनके इस फैसले के समर्थन में लोग जुट रहे हैं।
• चुनाव अधिकारियों की मौजूदगी में रूस के 20 शहरों में 41 वर्षीय वकील नेवलनी के समर्थन में हजारों लोग बैठक कर रहे हैं। वे नेवलनी को आधिकारिक तौर पर प्रत्याशी बनाने की मांग कर रहे हैं। जबकि चुनाव अधिकारी उन्हें चुनाव लड़ने के अयोग्य मानते हैं क्योंकि उन्हें आपराधिक मामले में दोषी ठहराया गया है।
• अधिकारियों का कहना है कि केवल चमत्कार ही नेवलनी को प्रत्याशी बनाने में मदद करेगा। लेकिन नेवलनी ने कहा कि वह पीछे हटने वाले नहीं हैं। उन्हें चुनाव लड़ने से रोकना असंभव है। पश्चिम में पढ़े-लिखे नेवलनी ने मौजूदा शासन को लेकर युवा पीढ़ी के गुस्से का साथ दिया। उन्होंने रूस में एक मजबूत विरोध आंदोलन खड़ा किया।
• कानून के मुताबिक, विधिवत प्रत्याशी बनने के लिए नेवलनी के पास हर शहर में कम से कम 500 लोगों का समर्थन होना जरूरी है। मॉस्को में रविवार को आयोजित कार्यक्रम में करीब 700 लोगों ने उनका समर्थन किया।
• इस कार्यक्रम के लिए स्थान नहीं मिलने पर उन्होंने पार्क में बड़ा टेंट लगाकर चुनाव अभियान चलाया। इससे पहले शनिवार को व्लादिवोस्तोक, इरकुत्सक, क्रैस्नोयार्कस्क, नोवोसाइबिरस्क और अन्य शहरों में समर्थकों ने उनकी उम्मीदवारी की पुष्टि की।
• गौरतलब है कि पुतिन ने चौथी बार राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने की इस घोषणा की है। अगर वह चुनाव जीत गए तो तानाशाह जोसेफ स्टालिन के बाद वह सबसे लंबे समय तक पद संभालने वाले रूसी नेता बन जाएंगे।

4. अगले साल 7.5 फीसद रहेगी भारत की आर्थिक विकास दर

• जापान की वित्तीय सेवा फर्म नोमुरा ने भारत की मजबूत आर्थिक स्थिति पर भरोसा जताया है। फर्म की रिपोर्ट में जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान तेज आर्थिक विकास का अनुमान लगाया गया है। इसके मुताबिक 2018 में देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 7.5 फीसद रह सकती है।
• नोमुरा ने कंपोजिट लीडिंग इंडेक्स में बाजार में नकदी की स्थिति सुधरने और ग्लोबल स्तर पर मांग में सुधार के दम पर अर्थव्यवस्था में तेजी की उम्मीद जताई है। नोमुरा ने शोध रिपोर्ट में कहा, ‘हम विकास परिदृश्य को लेकर उत्साहित हैं।
• इस साल की तीसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में 6.3 फीसद विकास दर की तुलना में चौथी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में यह 6.7 फीसद रह सकती है। 2018 में मजबूत सुधार के साथ 7.5 फीसद विकास दर की उम्मीद है।’ रिपोर्ट में महंगाई का दबाव बढ़ने और कच्चे तेल की ऊंची कीमत को देखते हुए मौद्रिक नीति को सख्त किए जाने की संभावना व्यक्त की गई है।
• छह दिसंबर को रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में भी अधिकतर सदस्यों ने महंगाई के दबाव पर चिंता जताई थी। इसी कारण नीतिगत दरों को यथावत रखा गया था।
• रिपोर्ट में कहा गया है कि 2018 की दूसरी तिमाही में मौद्रिक नीति समिति की ओर से थोड़ा आक्रामक रुख की उम्मीद है। उस समय विकास और महंगाई दोनों की दर ज्यादा रह सकती हैं। हालांकि हमें उम्मीद है कि केंद्रीय बैंक उस दौरान भी नीतिगत दरों को यथावत रखेगा।’
• रिजर्व बैंक ने छह दिसंबर को चालू वित्त वर्ष की पांचवी मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो रेट (वह दर जिस पर बैंक अतिरिक्त फंड कुछ समय के लिए जमा कर आरबीआइ से ब्याज प्राप्त करते हैं) को छह फीसद पर बरकरार रखा था।

3. शिक्षा ऋण से भी बढ़ी रही एनपीए की समस्या


• बैंकों के लिए शिक्षा कर्ज भी अब समस्या बनती जा रही है। कर्ज लौटाने में चूक बढ़कर मार्च 2017 में कुल बकाए का 7.67 प्रतिशत हो गया जो दो साल पहले 5.7 प्रतिशत था।
• भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के आंकड़े के अनुसार वित्त वर्ष 2016-17 के अंत में कुल शिक्षा कर्ज 67,678.5 करोड़ रूपये पहुंच गया। इसमें 5,191.72 करोड़ रूपये एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) हो गया। सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में बढ़े फंसे कर्ज से पहले ही जूझ रही है और उन्हें मजबूत करने के लिए पूंजी डालने की बड़ी योजना तैयार की है।
• आईबीए के आंकड़े के अनुसार क्षेत्र में गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) कुल कर्ज के प्रतिशत के रूप में लगातार बढ़ रही है।वित्त वर्ष 2014-15 में एनपीए 5.7 प्रतिशत थी जो 2015-16 में 7.3 प्रतिशत तथा पिछले वित्त वर्ष में 7.67 प्रतिशत पहुंच गई।
• उल्लेखनीय है कि सरकार ने पूर्व में आईबीए की शिक्षा कर्ज योजना के माडल में संशोधन किया जिसका मकसद इस क्षेत्र में एनपीए के प्रभाव को कम करना था।
• योजना में जो बदलाव किए गए, उसमें भुगतान की अवधि बढ़ाकर 15 साल करना तथा 7.5 लाख रूपये तक के शिक्षा ऋण के लिए क्रेडिट गारंटी फंड स्कीम फार एजुकेशन लोन की शुरुआत शामिल हैं।
• सरकारी बैंकों का एनपीए 7.34 लाख करोड़ है जिसमें सबसे ज्यादा हिस्सा कारपोरेट जगत का है।

2. पड़ोसी देशों से व्यापार बढ़ाने के लिए बनेंगे राजमार्ग


• पड़ोसी देशों के साथ व्यापार बढ़ाने व सुगम बनाने के लिए भारत प्रमुख राजमार्ग गलियारों (हाईवे कोरिडोर) को अंतरराष्ट्रीय व्यापार स्थलों से जोड़ेगा। इस परियोजना पर 25 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे और दो हजार किमी लंबे राजमार्गो का निर्माण किया जाएगा।
• केंद्रीय परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि इसके जरिये नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और म्यांमार के साथ व्यापार को सुगम बनाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि यह प्रोजेक्ट ‘भारतमाला परियोजना’ का हिस्सा होगा यानी उसी के अंतर्गत बनाया जाएगा।
• केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 25 अक्टूबर को मार्च 2022 तक 83,677 किलोमीटर लंबे राजमार्ग बनाने के मेगा प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी। इस मेगा प्रोजेक्ट पर कुल सात लाख करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है। इसके तहत सरकार की महत्वाकांक्षी ‘भारतमाला परियोजना’ भी आती है, जिस पर 5.35 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
• कहां से आएगा पैसा : प्रोजेक्ट के लिए धन के बारे में पूछे जाने पर गडकरी ने बताया कि भारतमाला परियोजना की कुल लागत 5.35 लाख करोड़ रुपये में से 2.37 लाख करोड़ रुपये केंद्रीय सड़क कोष से, 2.05 लाख करोड़ रुपये बाजार से ऋण लेकर, 34 हजार करोड़ रुपये राजमार्ग परियोजनाओं के मुद्रीकरण से और 60 हजार करोड़ रुपये बजट आवंटन से प्राप्त होंगे।
• अंतरराष्ट्रीय संपर्क बेहतर होगा : गडकरी ने बताया कि राजमार्ग गलियारों को अंतरराष्ट्रीय व्यापार स्थलों से जोड़ने के अलावा कई और परियोजनाएं भी पूरी की जाएंगी। इनका उद्देश्य दक्षिण एशिया और आसियान देशों के साथ भारत के अंतरराष्ट्रीय संपर्क को बेहतर करना है।
• उन्होंने बताया कि नेपाल के तराई इलाकों में सड़क ढांचे को मजबूत करने का समझौता 2016 में हुआ था।

25 December 2017:- 1.पर्सनल लॉ बोर्ड ने किया तीन तलाक पर विधेयक का विरोध, कहा

• ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने तीन तलाक के खिलाफ प्रस्तावित विधेयक के मसौदे को मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों तथा संविधान के खिलाफ करार दिया है। बोर्ड का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को तलाक ही नहीं माना है। ऐसे में सजा देने का कोई औचित्य नहीं है। बोर्ड ने तीन तलाक के मुद्दे पर केंद्र सरकार के प्रस्तावित विधेयक को नामंजूर कर दिया है। 
• बिल को वापस ले केंद्र:बोर्ड ने केंद्र सरकार से अपील की है कि वह इस बिल को वापस ले। इस मामले में पर्सनल लॉ बोर्ड के चेयरमैन मौलाना राबे हसनी नदवी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल शीघ्र ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलकर उनको स्थिति से अवगत कराएगा।
• जब तलाक होगा ही नहीं, तो सजा क्यों: यहां नदवा कालेज में बोर्ड कार्यकारिणी की हुई आपातकालीन बैठक के बाद बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना खलीलुर्रहमान सज्जाद नोमानी ने संवाददाताओं से कहा कि बैठक में केंद्र सरकार के प्रस्तावित विधेयक के बारे में विस्तार से र्चचा की गई। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा है कि तीन तलाक नहीं माना जाएगा।
• मौलाना नोमानी ने सवाल उठाया कि जब तीन तलाक होगा ही नहीं, तो सजा क्यों? अब सरकार तीन तलाक देने वालों को सजा का प्रावधान करने जा रही है। दूसरी तरफ तलाक के बाद बच्चों की देखरेख की जिम्मेदारी महिला पर छोड़ी गयी है, जब तलाक देने वाला शौहर जेल में होगा, तो वह उनकी मदद कैसे करेगा।
• उन्होंने कहा कि बिल में ऐसी व्यवस्था है कि अगर कोई व्यक्ति झूठ-मूठ यह शिकायत कर दे कि फलां व्यक्ति ने अपनी पत्नी को तलाक दे दिया है, तो पुलिस उस व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में यह कैसा कानून है।
• विधेयक का मसौदा शरीयत व संविधान के खिलाफ: मौलाना ने कहा कि बोर्ड का यह मानना है कि तीन तलाक संबंधी विधेयक का मसौदा मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों, शरीयत तथा संविधान के खिलाफ है। तीन तलाक की आड़ में अन्य विधि से तलाक देने का हक पुरु षों से छीनने का प्रयास किया जा रहा है।

Sunday 24 December 2017

दैनिक समसामयिकी 24 December 2017(Sunday)


1.सरकारी बैंकों को उबारने के लिए नौ सूत्र

• यह बात तो किसी से भी छिपी हुई नहीं है कि सरकारी बैंक बेहद चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रहे हैं। कुछ ही दिन पहले स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक और मूडीज ने भारतीय बैंकों पर जारी अपनी रिपोर्ट में तो मौजूदा हालात को अभी तक की सबसे खराब दौर करार दिया है। अब भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने परोक्ष तौर पर कुछ ऐसी ही बातें कही हैं। 
• आरबीआइ ने सीधे तौर पर तो नहीं कहा है लेकिन बैंकों के ढांचे को सुधारने के लिए उसने एक नौ सूत्रीय फॉमरूला दिया है जिसका लब्बोलुबाव यही है कि इन बैंकों के स्तर पर हालात को बेहतर बनाने के लिए कई स्तरों पर काम करना होगा।
• आरबीआइ का पहला फार्मूला यह है कि ग्राहकों की मांग और जरूरत के मुताबिक इन बैंकों को वित्तीय सेवा उत्पाद उतारने होंगे। इन्हें हर कीमत पर कर्ज की रफ्तार बढ़ानी होगी ताकि निवेश की प्रक्रिया को बढ़ावा मिले। यह सुझाव इसलिए अहम है कि वर्ष 2016-17 में सरकारी बैंकों की तरफ से दिए जाने वाले कर्ज की रफ्तार पिछले कई दशकों के मुकाबले सबसे सुस्त रही है। 
• दूसरा सुझाव यह है कि बैंकों को अपनी बैलेंस सीट को दुरुस्त करना होगा। इसके लिए इन्हें सरकार की तरफ से तैयार दिवालिया कानून इंसॉल्वेंसी व बैंक्रप्सी कोड (आइबीसी) का सहारा लेना होगा। 
• बैंकों को कहा गया है कि वे नियामक एजेंसियों और कानून बनने का इंतजार नहीं करें बल्कि हिसाब-किताब किस तरह से दुरुस्त रखा जाए, इसका इंतजाम वे अपने स्तर पर ही करें। 
• सनद रहे कि आरबीआइ पूर्व गर्वनर रघुराम राजन के कार्यकाल में बैंकों को सभी तरह के फंसे कर्जे (एनपीए) को सार्वजनिक करने का निर्देश दिया गया था। अभी तक बैंकों के स्तर पर एनपीए छिपाने का काम किया जा रहा था। 
• आरबीआई की तरफ से तीसरा सुझाव यह है कि वे ग्राहकों की शिकायतों को सुलझाने के लिए विशेष निकाय का गठन करें। यह निकाय ग्राहकों के हितों की रक्षा के मौजूदा तंत्र को मजबूत बनाएगा। चौथा सुझाव केंद्रीय बैंक ने कॉरपोरेट गवर्नेस के बारे में देते हुए कहा है कि इसे बढ़ावा देने से बैंक और देश का वित्तीय ढांचा दोनो मजबूत होंगे। इसके लिए बैंकों को सारे नियम कानूनों को मजबूती से लागू करने का सुझाव दिया गया है। 
• इसके बाद पांचवा सुझाव यह है कि अप्रैल, 2018 से बैंक लागू होने वाले एकाउंटिंग स्टैंडर्ड को सही तरीके से लागू करें। माना जा रहा है कि इससे बैंकों के लिए भविष्य में फंसे कर्जे को छिपाना असंभव हो जाएगा। 
• छठा सुझाव यह है कि ग्राहकों से तमाम तरह की जो फीस वसूली जाती है उसको तय करने और उसे लागू करने को लेकर पूरी तरह से पारदर्शिता बरती जाए।
• सातवां सुझाव यह है कि बैंकों को अब तकनीक को अपनाने में कोई देरी नहीं करनी चाहिए। सनद रहे कि सरकारी बैंक तकनीक को अपनाने में अभी भी काफी सुस्त हैं। 
• आरबीआइ का कहना है कि बैंकों को ऐसी तकनीक लानी होगी जिससे आम ग्राहकों को बेहतरीन सेवा दी जा सके। आने वाले दिनों में बैंकिंग कारोबार में सफल होने का यही मंत्र होगा। तकनीक में सुधार न होने पर बैंक पिछड़ जाएंगे। 
• आठवां सुझाव यह है कि लघु और मझोले उद्योगों पर फोकस बढ़ाना होगा। बैंकों को इन उद्योगों को कर्ज देने के लिए प्राथमिकता देनी चाहिए। 
• इसके बाद नौवां और अंतिम सुझाव यह है कि बैंकों को साइबर अपराध रोकने के लिए मुकम्मल तैयारी करनी होगी।

2. पुरानी बुलंदी पर पहुंचेगा भारत और रूस का कारोबार

• वर्ष 1991 में आर्थिक उदारीकरण लागू होने के बाद भारत के कारोबारी रिश्ते अगर किसी देश के साथ सबसे ज्यादा प्रभावित हुए तो वह रूस है। तब तक रूस भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साङोदार था लेकिन आज की तारीख में रूस-भारत का द्विपक्षीय कारोबार महज 10 अरब डॉलर का है जबकि अमेरिका के साथ भारत का कारोबार 100 अरब डॉलर को पार कर गया है। 
• चीन के साथ कारोबार 70 अरब डॉलर के करीब है। ऐसे में भारत और रूस आपसी कारोबार के हालात की नए सिरे से समीक्षा कर रहे हैं। शनिवार को नई दिल्ली में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और रूस के उप प्रधानमंत्री दिमित्री रोगोजिन के नेतृत्व में आर्थिक सहयोग से जुड़े हर मुद्दे पर बात हुई। 
• माना जा रहा है कि इस बैठक में 30 अरब डॉलर के द्विपक्षीय कारोबार के लक्ष्य को हासिल करने को लेकर दोनो पक्षों में अहम बातचीत हुई है।
• भारत और रूस ने पहले ही वर्ष 2025 तक द्विपक्षीय कारोबार के लक्ष्य को 30 अरब डॉलर करने और द्विपक्षीय निवेश के स्तर को बढ़ा कर 15 अरब डॉलर करने का लक्ष्य रखा हुआ है। लेकिन अभी दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय कारोबार की स्थिति बेहद खराब है। 
• भारत और रूस की अर्थव्यवस्था का आकार संयुक्त तौर पर 3.3 लाख करोड़ डॉलर का है। लेकिन भारत के कुल कारोबार में रूस की हिस्सेदारी महज एक फीसद है जबकि रूस के कारोबार में भारत की हिस्सेदारी 1.2 फीसद है। 
• दोनो देशों के बीच द्विपक्षीय कारोबार को नई दिशा देने के लिए इंडिया-यूरेशियन इकोनॉमिक फ्री ट्रेड जोन बनाने पर भी बात हो रही है। इसमें इन दोनों देशों के अलावा बेलारुस, अर्मेनिया, कजाखस्तान व किर्गिस्तान जैसे कुछ अन्य देश शामिल होंगे। लेकिन इसको लेकर बातचीत की प्रगति की रफ्तार बेहद धीमी है। 
• जानकार मानते हैं कि ईरान में भारत की मदद से तैयार हो रहे चाबहार पोर्ट का काम होने के बाद भारत के लिए इन देशों के साथ कारोबार करना ज्यादा आसान हो जाएगा। स्वराज और रोगोजिन के बीच इस बारे में भी विमर्श हुआ है।
• सनद रहे कि जून, 2017 में सेंट पीट्सबर्ग में भारत-रूस सालाना बैठक में भी आपसी कारोबारी रिश्ते को लेकर बेहद अहम बातचीत हुई थी। तब पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने कारोबारी रिश्तों में सुस्ती को दूर करने की बात कही थी। 
• भारत रूस के ऊर्जा क्षेत्र में बढ़-चढ़ कर निवेश करने को तैयार है लेकिन वहां रूस की तरफ से उसे पूरा सहयोग नहीं मिलता। इसकी एक वजह यह बताई जाती है कि रूस उसे गैर आधिकारिक तौर पर भारत के साथ रक्षा सौदों के साथ जोड़ता है। 
• भारत अभी तक रूस के तेल उद्योग में 5.5 अरब डॉलर का निवेश कर चुका है। देखना है कि इन सब मुद्दों को स्वराज और रोगोजिन के बीच हुई बातचीत कितना सुलझा पाती है।

3. यूएन ने उत्तर कोरिया पर और प्रतिबंध लगाए

• संयुक्त राष्ट्र (यूएन) सुरक्षा परिषद ने उत्तर कोरिया द्वारा 29 नवंबर को किए गए अंतरमहाद्वीप बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण को लेकर उस पर नए प्रतिबंध लगा दिए हैं। नए प्रतिबंधों के तहत पेट्रोलियम पदाथरें तक उत्तर कोरिया की पहुंच और विदेश में रहने वाले उसके नागरिकों से होने वाली कमाई को सीमित कर दिया गया है।
• अमेरिका द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव को 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद ने सर्वसम्मति से मंजूरी दी। इसके तहत उत्तर कोरिया के लिए लगभग 90 प्रतिशत रिफाइंड पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात पर प्रतिबंध रहेगा। इसकी सालाना अधिकतम सीमा पांच लाख बैरल तय होगी। इसके चलते उत्तर कोरिया में पेट्रोलियम उत्पादों का संकट पैदा हो सकता है। 
• इसके अलावा उत्तर कोरिया के लिए कच्चे तेल के निर्यात को कम कर एक साल में 40 लाख बैरल पर लाने का भी प्रस्ताव है। अगर उसने फिर परमाणु या मिलाइल परीक्षण किए इसे और कम किया जा सकता है। 
• प्रस्ताव में 24 महीनों के भीतर विदेश में काम कर रहे उत्तर कोरियाई नागरिकों को स्वदेश भेजना शामिल है। साथ ही उत्तर कोरिया के लिए खाद्य उत्पादों, मशीनरी, लकड़ी, जहाजों और बिजली के उपकरण के निर्यात पर रोक लगेगी। 
• यूएन में अमेरिकी राजदूत निकी हेली ने कहा कि यह प्रतिबंध उत्तर कोरिया को स्पष्ट संदेश है। अगर उसने फिर उल्लंघन किया तो उसे और सजा का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने कहा, ‘29 नवंबर को अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण अंतरराष्ट्रीय समुदाय को उत्तर कोरिया द्वारा दी गई अभूतपूर्व चुनौती है। इसलिए हमने भी अभूतपूर्व प्रतिक्रिया दी है।’ 
• यूएन में ब्रिटेन के राजदूत मैथ्यू रिक्रॉफ्ट ने कहा कि उत्तर कोरिया अधिकांश पेट्रोलियम पदाथोर्ं का इस्तेमाल अपने अवैध परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम के लिए करता है। पेट्रोलियम उत्पादों की आपूर्ति रोकने से वह अब इस तरह के हथियार नहीं बना पाएगा।
• यूएन महासचिव एंतोनियो गुतेरस ने सुरक्षा परिषद के इस प्रस्ताव का स्वागत किया है।

4. भारत के पूर्वोत्तर पर पड़ेगा गर्म जलवायु का सर्वाधिक असर

• पृथ्वी के बढ़ते ताप और आद्र्रता से इस सदी के अंत तक भारत का पूवरेत्तर इलाका सर्वाधिक प्रभावित होगा। इसका अनुमान अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने वैश्विक तापमान मॉडल का अध्ययन कर लगाया है। 
• पुराने अध्ययनों में आद्रता जैसे महत्वपूर्ण कारक को नजरअंदाज किया गया था जबकि यह गर्मी के प्रभाव को बढ़ाकर स्थितियां बिगाड़ सकता है। इंवायरमेंटल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित शोध में बताया गया है कि आद्र्रता का आने वाले समय में कई इलाकों में प्रभाव बढ़ेगा। 
• दुनियाभर के करोड़ों लोगों को इसकी वजह से परेशानी उठानी होगी लेकिन इसका सबसे ज्यादा भारत के पूर्वोत्तर इलाकों में रहने वाले लोगों पर असर पड़ेगा। इसके अतिरिक्त दक्षिणी अमेरिका, मध्य और पश्चिमी अफ्रीका, अरब प्रायद्वीप, पूर्वी चीन आदि भी प्रभावित होंगे।
• शोधकर्ता इथान कोफेल ने बताया कि इन जगहों पर फिलहाल ऐसी समस्या दिखाई नहीं दे रही है लेकिन आने वाले समय के लिए पहले से तैयार रहना होगा। ग्लोबल क्लाइमेट मॉडल की मदद से वैज्ञानिकों ने वर्तमान और भविष्य के ‘वेट बल्ब’ तापमान (इसमें गर्मी के साथ आद्रता भी शामिल होती है) का अध्ययन किया। 
• थर्मामीटर के बल्ब पर गीले कपड़े को लपेटकर तापमान मापा गया था। वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी साल के एक या दो दिन वेट बल्ब तापमान अधिक होता है। 2070 आते-आते 100 से 250 दिनों के लिए वेट बल्ब तापमान अधिकतम रहेगा। 
• आद्रता बढ़ने के कारण वर्तमान के सूखे इलाके और सूखे जाएंगे। साथ ही तटीय इलाके अधिक आद्र्रता से प्रभावित होंगे।

Saturday 23 December 2017

दैनिक समसामयिकी 23 December 2017(Saturday)


1.व्यापक हित देख अरब देशों के साथ खड़ा हुआ भारत

• अमेरिका और इजरायल के साथ हाल के वर्षो में प्रगाढ़ होते रिश्तों के बावजूद भारत ने यरुशलम के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में अरब देशों के साथ खड़े होकर यह दिखा दिया है कि उसकी विदेश नीति अभी भी पूरी तरह से स्वतंत्र है। 
• वैसे इस बारे में फैसला करना भारतीय कूटनीतिकारों के लिए आसान नहीं था। गुरुवार को देर शाम न्यूयार्क स्थित यूएन मुख्यालय में वोटिंग शुरू होने से कुछ घंटे पहले तक भारत पसोपेश में था, लेकिन यूरोपीय देशों और खाड़ी देशों के बड़े तबके के इस प्रस्ताव के पक्ष में खड़ा होते देख भारत ने भी इसका समर्थन करने का फैसला कर लिया। 
• विदेश मंत्रालय को भरोसा है कि अमेरिका यह समङोगा कि फलस्तीन और इजरायल के बीच विवाद पर भारत ने अपनी दशकों पुरानी नीति पर ही अमल किया है।
• अमेरिका की तरफ से यरुशलम को इजरायल की राजधानी घोषित करने के खिलाफ अरब देशों ने एक प्रस्ताव यूएनजीए में पेश किया था। इसके समर्थन में भारत समेत 128 देशों ने वोट किया जबकि सिर्फ नौ देश अमेरिका के साथ खड़े हुए हैं। 35 देश वोटिंग से बाहर रहे जिसे एक तरह से अमेरिका का समर्थक ही माना जा रहा है। 
• अमेरिका की तरफ से उसके खिलाफ जाने वाले देशों को आर्थिक मदद रोकने और उनका नाम सार्वजनिक करने समेत कई तल्ख बयान देने के बावजूद इतनी बड़ी संख्या में देशों ने उसकी इस नीति का विरोध किया। 
• भारत पर अमेरिका व इजरायल के साथ ही अरब देशों की तरफ से भारी दबाव था। अमेरिका चार दिन पहले ही अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में भारत को एक वैश्विक शक्ति करार देते हुए उसके साथ गहरे ताल्लुक स्थापित करने की बात कर चुका है। जबकि इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतान्याहू अगले महीने भारत आने की तैयारियां कर रहे हैं।
• क्या इस फैसले का असर अमेरिका या इजरायल के साथ प्रगाढ़ हो रहे रिश्तों पर पड़ेगा। विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर से जब इस बारे में पूछा तो उनका जवाब था कि, ‘हम फलस्तीन मुद्दे पर दशकों पुरानी अपनी नीति को आगे बढ़ा रहे हैं। 
• हम इजरायल के साथ अपने रिश्तों को लेकर पूरी तरह से पारदर्शिता रखते हैं और दुनिया को डंके की चोट पर बताते हैं कि हमारे साथ बेहद करीब है। लेकिन कुछ नीतियों को बेहद व्यापकता में देखा जाना चाहिए। भारत नहीं चाहता कि इजरायल व फलस्तीन के बीच समझौता होने से पहले ही यरुशलम पर फैसला हो जाए।’ 
• यूएन में फलस्तीन पर 16 बार मतदान हुआ है और इनमें 15 बार भारत ने फलस्तीन के पक्ष में वोट किया है। बताते चलें कि 50 से ज्यादा अरब देशों के राजदूतों ने पिछले दिनों अकबर से मुलाकात की थी और अपना पक्ष रखा था। 
• विदेश सचिव एस जयशंकर के मुताबिक, ‘हमने अमेरिका या इजरायल के खिलाफ वोट नहीं किया बल्कि भारत ने अरब देशों के प्रस्ताव का समर्थन किया है।’ कूटनीतिक सूत्रों के मुताबिक अमेरिका और इजरायल के साथ रिश्तों को इस वोटिंग से नहीं जोड़ा जा सकता। भारत यह साफ कर चुका है कि अगर फलस्तीन मुद्दे के समाधान में यरुशलम को इजरायल को सौंपा जाता है तो वह उसका स्वागत करेगा। 
• इसी तरह से भारत अमेरिका के साथ तमाम वैश्विक मुद्दों पर सहयोग को प्रगाढ़ करने की अपनी नीति को जारी रखेगा। इसके अलावा अरब देशों को इस मुश्किल वक्त में साथ देकर भारत आने वाले दिनों में उनका समर्थन भी हासिल करने की कोशिश करेगा। ये देश कई बार कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान की हां में हां मिलाते हैं।

2. दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की अगुआई में हुई बैठक : सहमति से विवाद हल करेंगे भारत-चीन

• भारत और चीन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (एनएसए) की अगुआई में शुक्रवार को सीमा विवाद सुलझाने समेत तमाम द्विपक्षीय मुद्दों का सर्वमान्य हल निकालने पर अहम बातचीत हुई। डोकलाम विवाद के बाद पहली बार एनएसए स्तर पर होने वाली इस बातचीत में यह सहमति बनी कि सीमा से जुड़े तमाम विवादित मुद्दों का आपसी सहमति के आधार पर समाधान निकाला जाएगा। 
• यह भी सहमति बनी कि सीमा पर शांति बनाए रखी जाएगी ताकि सीमा विवादों का स्थायी समाधान निकाला जा सके। बैठक के बाद भारतीय एनएसए अजीत डोभाल व चीन के एनएसए यान जइची ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात और उन्हें बैठक में हुई बातचीत का ब्यौरा दिया। 
• विदेश मंत्रालय ने इस बातचीत को ‘सकारात्मक’ करार दिया है, लेकिन विदेश मंत्रालय के अधिकारी मानते हैं कि इस तरह की अभी कई दौर की बैठकें करनी होगी तभी तकरीबन 4000 किलोमीटर लंबी द्विपक्षीय सीमा से जुड़े विवादों का समाधान निकाला जा सकेगा।
• भारत और चीन ने वर्ष 2003 में एनएसए स्तर की बातचीत शुरू करने का फैसला किया था। इसे विशेष प्रतिनिधि स्तरीय वार्ता का नाम दिया गया है, जिसकी यह 20वीं बैठक थी। विदेश मंत्रलय का कहना है कि बैठक का मुख्य उद्देश्य यह था कि किस तरह से दोनों देश आपसी रिश्तों को मजबूत बनाकर उसका ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाए। 
• वैसे भारत और चीन के विदेश मंत्रालयों ने इस सवाल का कोई जवाब नहीं दिया कि इस बैठक में डोकलाम मुद्दे पर बात हुई या नहीं। भूटान की सीमा पर स्थित डोकलाम को लेकर दोनों देशों के बीच जुलाई से लेकर अक्टूबर तक तनाव की स्थिति बनी रही। इसे हाल के दशकों के दौरान दोनों देशों के बीच सबसे तनाव वाला समय करार दिया गया है। 
• माना जा रहा है कि एनएसए स्तरीय बातचीत में इस तरह के तनावपूर्ण स्थिति दोबारा न हो, इसकी भी कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए क्या-क्या करना होगा, इन उपायों पर भी बात हुई है। बहरहाल, यह तो सहमति बन गई है कि दोनों देश लगातार संपर्क में रहेंगे और बातचीत का सिलसिला बनाए रखेंगे। विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी सूचना के मुताबिक विवादों का सर्वमान्य हल निकालने की कोशिश में दोनों देश एक-दूसरे की संवेदनाओं का भी ख्याल रखेंगे। 
• भारत और चीन ने यह भी स्वीकार किया है कि एशिया और विश्व में शांति, स्थायित्व व विकास के लिए जरूरी है कि इनके बीच रिश्ते भी बेहतर हों।

3. नीली भेड़ों की रहस्यमयी बीमारी पर एनजीटी सख्त

• नेशनल ग्रीन टिब्यूनल (एनजीटी) ने दिल्ली सरकार एवं अन्य संबंधित अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि यमुना में सीधे किसी प्रकार का रक्त न बहे। वध किए गए पशुओं का रक्त यमुना में बहाए जाने पर टिब्यूनल ने यह निर्देश दिया है। 
• एनजीटी के कार्यकारी अध्यक्ष यूडी साल्वी की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि यह निर्विवाद है कि पशुओं का रक्त नदी में जाता है। यह जल (संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण) अधिनियम 1974 के प्रावधानों का उल्लंघन है। इसे अनिवार्य रूप से रोका जाना चाहिए। 
• पीठ ने कहा, ‘इसीलिए हम 24 सितंबर 2015 के अंतरिम आदेश को पूर्ण के रूप में निर्देश दे रहे हैं। सभी प्रतिवादी यह सुनिश्चित करें कि वध किए गए पशु के रक्त का एक कतरा भी सीधे यमुना में प्रभावित होने की अनुमति नहीं दी जाएगी।’ 
• धार्मिक समूह ओजस्वी पार्टी की याचिका पर सुनवाई के दौरान एनजीटी ने यह निर्देश दिया। याची ने पशुओं के वध के कारण यमुना में हो रहे प्रदूषण के खिलाफ ग्रीन टिब्यूनल में याचिका दायर की थी। याचिका में वध किए गए पशु का रक्त नदी में प्रवाहित होने पर सवाल उठाया गया था।

4. लोन डिफॉल्टरों के नाम उजागर हों: समिति

• बढ़ते फंसे कर्जो (एनपीए) की चिंता के बीच एक संसदीय समिति ने बैंकिंग कानून में संशोधन का सुझाव दिया है। समिति का कहना है कि कानून में डिफॉल्टरों के नाम सार्वजनिक करने का प्रावधान जोड़ा जाना चाहिए। 
• समिति की रिपोर्ट शुक्रवार को सदन के पटल पर रखी गई।रिपोर्ट में कहा गया कि बैंकों की दबावग्रस्त संपत्तियां यानी फंसे कर्ज नियंत्रित करने और उनकी बैलेंस शीट में सुधार की सख्त जरूरत है। इससे उनकी विश्वसनीयता बढ़ेगी और पूंजी जुटाना आसान होगा। 
• समिति ने एनपीए की समस्या से निपटने के लिए सरकार और रिजर्व बैंक के स्तर पर उठाए जा रहे कदमों पर संतोष जताया है। समिति ने कहा कि एसबीआइ कानून और अन्य संबंधित बैंकिंग कानूनों में संशोधन के जरिये कर्ज नहीं चुकाने वालों के नाम सार्वजनिक करने का रास्ता साफ होना चाहिए। रिजर्व बैंक भी ऐसे लोगों के नाम सार्वजनिक करने के पक्ष में है। 
• हालांकि वित्त मंत्रलय का मानना है कि ऐसा करने से डिफॉल्टरों की ऐसी कंपनियों का पुनरुद्धार भी मुश्किल हो जाएगा, जिन्हें बेहतर स्थिति में लाया जा सकता है।
• एमटीएनएल व बीएसएनएल का हो विलय : संसदीय समिति ने घाटे में चल रही सरकारी टेलीकॉम कंपनियों एमटीएनएल और बीएसएनएल के विलय का सुझाव दिया है। 
• समिति ने रिपोर्ट में कहा है कि ऐसा करने से इन कंपनियों को निजी कंपनियों के सामने खड़े होने का मौका मिल सकता है।

5. कैटेलोनिया के मध्यावधि चुनाव में अलगाववादियों को मिला बहुमत

• कैटेलोनिया में हुए मध्यावधि चुनावों में अलगाववादियों ने बहुमत हासिल कर लिया है। इससे स्पेन की केंद्रीय सरकार को करारा झटका लगा है। साथ ही कैटेलोनिया संकट और गहरा गया है। स्पेन के साथ रहने की पक्षधर सिटीजंस पार्टी को 25 फीसद वोट ही मिले हैं। 135 सदस्यों वाली संसद में उसे 37 सीटें मिली हैं।
• कैटेलोनिया की आजादी की समर्थक टूगेदर फॉर कैटेलोनिया पार्टी, रिपब्लिकन लेफ्ट ऑफ कैटेलोनिया और पापुलर यूनिटी ने कुल 70 सीटें जीती हैं। 1गत अक्टूबर में कैटेलोनिया की आजादी के लिए हुए जनमत संग्रह को स्पेन सरकार ने अवैध करार देते हुए अलगाववादियों की सरकार को बर्खास्त कर दिया था। 
• यही नहीं, स्पेनिश प्रधानमंत्री मारियानो राखोय ने कैटेलोनिया के राष्ट्रपति चाल्र्स पुइगदेमोंत के खिलाफ विद्रोह का मुकदमा चलाने का आदेश दिया था। इसके बाद पुइगदेमोंत ने खुद को ब्रसेल्स में स्वनिर्वासित कर लिया। कैटेलोनिया में 21 दिसंबर को मध्यावधि चुनाव कराए गए। 
• चुनाव नतीजों में अलगाववादी पार्टियों के धड़े में ही चाल्र्स पुइगदेमोंत की टूगेदर फॉर कैटेलोनिया, रिपब्लिकन लेफ्ट ऑफ कैटेलोनिया से थोड़ा आगे है। पुइगदेमोंत ने ब्रसेल्स में कहा कि कैटेलन रिपब्लिक ने चुनाव जीत लिया है। उन्होंने नतीजों को स्पेन सरकार की हार करार दिया है।

6. भारत ने यूएन में कहा- आतंकियों के पनाहगाह को नष्ट किया जाना चाहिए

• भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कहा है कि आतंकी संगठनों को मिलने वाले समर्थन पर रोक लगाई जाए और आतंकवादियों के पनाहगाहों को नष्ट किया जाना चाहिए। यूएन में भारत के अधिकारी तन्मय लाल ने कहा कि तालिबान, हक्कानी नेटवर्क और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों के समर्थकों को रोकने के तत्काल कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। 
• यूएन सुरक्षा परिषद में अफगानिस्तान में सुरक्षा को लेकर खुली बहस में तन्मय लाल ने कहा कि आतंकी अस्पतालों में बीमार लोगों, स्कूलों में बच्चों और मस्जिदों में नमाजियों सहित हर जगह को निशाना बना रहे हैं। उन्होंने अफगानिस्तान में सुरक्षा के हालात पर चिंता जताते हुए कहा कि आतंकवादी संगठनों को सुरक्षित ठिकाना उपलब्ध कराने वाले देशों पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।

7. सूर्य जैसा नया तारा मिला अपने ही ग्रहों को निगल रहा

• अनंत रहस्यों को खुद में छिपाए ब्रह्माण्ड हमेशा से खोगलविदों को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है। दुनियाभर के वैज्ञानिक भी विशाल दूरबीनों की मदद से आसमान की निगरानी करते रहते हैं और नए ग्रहों और तारों का पता लगाते रहते हैं। इसी कड़ी में वैज्ञानिकों ने एक बड़ी खोज की है। इस बार वैज्ञानिकों ने एक ऐसा तारा खोज निकाला है जो हमारे सूर्य जैसा है।
• कई सौर मंडल के बारे में सामने आएंगे नए तथ्य : सूर्य जैसा यह तारा हमारी धरती से 550 प्रकाश वर्ष दूर है। यह तारा परिक्रमा कर रहे अपने ही ग्रहों को धीरे-धीरे निगल रहा है। इसे खोजने वाले खगोलविदों का कहना है कि यह तारा इन ग्रहों को गैस के विशाल बादलों या धूल में तब्दील कर रहा है। 
• इस दूरवर्ती तारे को आरजे पिसियम नाम दिया गया है। इस खोज से हमारे समेत कई सौर मंडल की परिवर्तनशील अवधि के इतिहास पर नई रोशनी पड़ सकती है।
• नए ग्रहों के बनने का पता चला : अमेरिका की इंडियाना यूनिवर्सिटी की शोधकर्ता कैथरीन पिलाचोवस्की के मुताबिक, हम जानते हैं कि नए सौर मंडल में ग्रहों के आंतरिक विस्थापन की घटना असामान्य नहीं है। यह तारामंडल के क्रमिक विकास का बेहद रोचक चरण है। हम सौभाग्यशाली हैं कि हम एक सौर मंडल को उसकी प्रक्रिया के बीच में देखने में सफल हुए हैं।
• पिलाचोवस्की के अनुसार, इस खोज से यकीनन हमें दुर्लभ और रोचक झलक मिली है कि नए ग्रहों के बनने में क्या होता है। वे नए सौर मंडल के गतिशील उतार-चढ़ाव में बच नहीं पाते हैं। इससे हमें यह समझने में मदद मिली है कि क्यों कुछ नए सौर मंडल का अस्तित्व बना रहता है, जबकि कुछ का खत्म हो जाता है।
• ग्रह ऐसे बचाए रखते हैं अपना अस्तित्व: एस्ट्रोनॉमिकल नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, खगोलविदों ने इस पर नजर रखने के दौरान पाया कि ऐसे ग्रह जो अपने सूर्य के बहुत पास घूम या उड़ रहे होते हैं, वो केवल अपने ज्वारीय बलों द्वारा ही फट जाते हैं या सूर्य के गुरुत्व बल द्वारा अपनी ओर खींच लिए जाते हैं। यदि वे निश्चित दूरी पर निश्चित पथ पर गति करते हैं तभी अपने अस्तित्व को बनाए रखने में सफल होते हैं।

Friday 22 December 2017

दैनिक समसामयिकी 22 December 2017(Friday)


1.यरुशलम पर भारत ने अमेरिका के खिलाफ डाला वोट

• संयुक्त राष्ट्र महासभा ने गुरुवार को एक प्रस्ताव पारित कर अमेरिका से यरुशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता देने के फैसले को वापस लेने को कहा है। तुर्की और यमन की ओर से पेश इस प्रस्ताव का भारत समेत 128 देशों ने समर्थन किया। जबकि अमेरिका समेत सिर्फ नौ देशों ने ही प्रस्ताव के विरोध में वोट दिया। 35 देशों ने प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया।
• अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने धमकी दी थी कि जो भी देश प्रस्ताव के पक्ष में वोट देंगे, उन्हें अमेरिका की तरफ से दी जाने वाली आर्थिक मदद में कटौती की जाएगी। लेकिन, उनकी धमकी का कोई खास असर नहीं पड़ा और सिर्फ नौ देशों ने ही प्रस्ताव के खिलाफ वोट दिया।
• इन देशों में अमेरिका के अलावा ग्वाटेमाला, होंडुरास, इजरायल, मार्शल आइलैंड्स, माइक्रोनेशिया, पलाउ, टोगो और नोरू शामिल हैं।
• न्यूयॉर्क स्थित महासभा की बैठक में भारत ने हालांकि इस मसले पर कुछ नहीं कहा था। लेकिन ट्रंप द्वारा यरुशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता देने के बाद भारत ने कहा था कि फलस्तीन पर उसकी स्थिति पहले की तरह और स्वतंत्र है।
• संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक से इतर गुट निरपेक्ष देशों की मंत्रिस्तरीय बैठक में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा था कि इजरायल-यरुशलम शांति का मार्ग आपसी मान्यता और सुरक्षा प्रबंधों पर आधारित इजरायल और फलस्तीन के बीच जल्द से जल्द बातचीत से ही निकल सकता है।
• प्रस्ताव में सभी देशों से यरुशलम पर सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का पालन करने की मांग की गई है। उनसे अनुरोध किया गया है कि वे इन प्रस्तावों के खिलाफ किसी भी कदम को मान्यता न दें। उधर, संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत निकी हेली ने महासभा के प्रस्ताव की आलोचना की है।
• हेली ने कहा कि अमेरिका इस दिन को याद रखेगा जब एक संप्रभु देश के तौर पर अपने अधिकारों का इस्तेमाल करने की वजह से संयुक्त राष्ट्र महासभा में उस पर हमला हुआ। उन्होंने कहा कि अमेरिका यरुशलम में अपना दूतावास खोलेगा। बता दें कि सोमवार को अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ऐसे ही एक प्रस्ताव को वीटो किया था।
• अमेरिका को छोड़कर सुरक्षा परिषद के बाकी सभी 14 सदस्य प्रस्ताव के पक्ष में थे। अमेरिका द्वारा प्रस्ताव को वीटो किए जाने के बाद उसे महासभा में भेजा गया था।

2. जजों के वेतन में वृद्धि का विधेयक लोकसभा में पेश

• लोकसभा में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट और 24 हाई कोर्ट के जजों के वेतन में वृद्धि संबंधी विधेयक पेश किया गया। इससे जजों के वेतन में करीब दोगुनी बढ़ोतरी होगी। 1कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने हाई कोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट जज (वेतन एवं सेवा शर्ते) संशोधन विधेयक 2017 सदन में पेश किया। वह थोड़े विलंब से सदन पहुंचे थे, जिसके लिए लोकसभा अध्यक्ष ने टोका भी। 
• विधेयक को मंजूरी मिलने के बाद जजों का वेतन सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों के वेतन के बराबर हो जाएगा। जजों का बढ़ा हुआ वेतन एक जनवरी 2016 से लागू होगा। इसके अलावा मकान किराया भत्ता एक जुलाई और व्यय संबंधी भत्ता 22 सितंबर 2017 से लागू होगा। 
• सेवानिवृत्त जजों को भी वेतनवृद्धि का लाभ मिलेगा। गौरतलब है कि 2016 में देश के तत्कालीन चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों का वेतन बढ़ाने के लिए सरकार को पत्र लिखा था। सुप्रीम कोर्ट में जजों के 31 स्वीकृत पद हैं, जबकि मौजूदा समय में वहां 25 जज हैं। इसी तरह हाई कोर्ट में जजों के स्वीकृत पद 1,079 हैं, लेकिन अभी 682 जज ही काम देख रहे हैं।

3. केंद्र ने लौटाया झारखंड का भूमि अर्जन संशोधन विधेयक

• केंद्र सरकार ने झारखंड विधानसभा से पारित कराकर भेजे गए भूमि अर्जन एवं पुनर्वास संशोधन विधेयक-2017 को वापस कर दिया है। राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने इस बाबत केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए दस्तावेज गुरुवार को सार्वजनिक किए। 
• उन्होंने दावा किया कि केंद्रीय गृह मंत्रलय ने संशोधन विधेयक पर पुनर्विचार की गुजारिश राज्य सरकार से की है। इससे पूर्व छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम और संताल परगना काश्तकारी अधिनियम में फेरबदल की राज्य सरकार की सिफारिश को भी गवर्नर ने पुनर्विचार के लिए वापस कर दिया था।
• अपने आवास पर मीडिया से रूबरू हेमंत सोरेन ने कहा कि यह झारखंड के लोगों की जीत है। सरकार बड़े घरानों को जमीन सौंपना चाहती है। सीएनटी-एसपीटी कानून में परिवर्तन का भी प्रयास हुआ था। राज्यपाल ने उसे वापस कर झारखंड को लोगों का सम्मान हासिल किया। इस प्रयास में असफल रहने के बाद मुख्यमंत्री ने रैयतों की जमीन हड़पने का दूसरा तरीका निकला। 
• भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को संशोधित करने का प्रस्ताव बहुमत से पारित कराया गया। बकौल हेमंत सोरेन, केंद्र सरकार ने स्पष्ट कहा है कि सरकार के संशोधन को सहमति देने से कृषि योग्य भूमि में कमी आएगी। यह राष्ट्रीय कृषि नीति और राष्ट्रीय पुनर्वास नीति के भी खिलाफ है।

4:- 40 निष्क्रिय रिजर्व फंड में पड़े हैं 703 करोड़ रुपये

• आम तौर पर सरकारी विभाग विकास के लिए पैसे की कमी का रोना रोते हैं लेकिन जब कई साल से उनके पास धनराशि पड़ी हो और उसका कोई इस्तेमाल नहीं हुआ तो नौकरशाही की मंशा पर सवाल उठना लाजिमी है। सरकार के 40 रिजर्व फंडों और डिपॉजिट में भारी भरकम 703.68 करोड़ रुपये पड़े हैं। ये फंड आठ साल से लेकर 28 साल तक समय से निष्क्रिय पड़े हैं। यह अहम खुलासा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने एक ऑडिट रिपोर्ट में किया है।
• वित्त वर्ष 2016-17 के लिए केंद्र सरकार के वित्तीय खातों का परीक्षण करने के बाद तैयार की गई इस ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि पब्लिक अकाउंट में 40 ऐसे रिजर्व फंड और डिपॉजिट हैं जो निष्क्रिय हैं। इनमें 703.68 करोड़ रुपये आठ से 28 साल से पड़े हैं। इसका अब तक कोई इस्तेमाल नहीं हुआ है। 
• कैग के मुताबिक अधिकांश फंड में कुछ न कुछ धनराशि पड़ी है। इससे कोई उद्देश्य पूरा नहीं हो रहा है, इसलिए इन फंड्स की समीक्षा कर इन्हें बंद कर धनराशि को भारत की संचित निधि में स्थानांतरित करने की जरूरत है। ये फंड गृह मंत्रलय व कृषि और किसान कल्याण मंत्रलय जैसे केंद्रीय मंत्रलयों से संबंधित हैं।
• दरअसल जब सरकार को किसी विशेष उद्देश्य के लिए धनराशि आवंटित करनी होती है तो वह भारत की संचित निधि से राशि निकालकर उसका एक फंड बना देती है। वह रकम पब्लिक अकाउंट में जमा रहती है, ताकि जब भी उसमें से धनराशि खर्च करने की आवश्यकता हो, उसे खर्च किया जा सके। 
• कैग के मुताबिक निष्क्रिय पड़े फंड में सबसे ज्यादा राशि 261 करोड़ रुपये जनरल इंश्योरेंस फंड में जमा है। इसी तरह निर्यात व्यापार जमा राशि के रूप में 15.25 करोड़ रुपये जमा हैं।

5. 2जी मामले में राजा, कनीमोरी समेत सभी बरी

• नौ साल पहले 2जी मामला देश के सबसे बड़े घोटाले के रूप में सामने आया था। गुरुवार को सीबीआइ की विशेष अदालत ने उसे एक झटके में आरोपियों को बरी कर खारिज कर दिया। जांच एजेंसियों की मंशा पर सवाल खड़ा करते हुए न्यायमूर्ति ओपी सैनी ने पूर्व संचार मंत्री ए राजा और द्रमुक नेता कनीमोरी समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया। 
• यह फैसला तब आया है जब चार्जशीट दाखिल होने तक जांच की निगरानी सुप्रीम कोर्ट भी कर रहा था। इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने स्पेक्ट्रम आवंटन में भ्रष्टाचार के आरोपों को देखते हुए टेलीकॉम कंपनियों के 122 लाइसेंस भी रद कर दिए थे। इसलिए सीबीआइ और ईडी अब इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील करने की बात कर रही हैं। 
• जांच एजेंसियों के मुताबिक, अदालत को साक्ष्य पूरे दिए गए थे लेकिन उन पर गौर ही नहीं किया गया।
• न्यायाधीश ओपी सैनी ने कहा, ‘मैं सुबूतों के लिए सात वर्षो तक इंतजार करता रहा, लेकिन एक भी नहीं मिला। इसलिए मुङो यह कहने में कोई ङिाझक नहीं है कि अभियोजन पक्ष आरोपियों पर लगाए गए सभी आरोपों को साबित करने में बुरी तरह से विफल रहा है। लिहाजा सभी आरोपियों को बरी किया जाता है।’ 
• न्यायाधीश सैनी 14 मार्च, 2011 से इस मामले की सुनवाई कर रहे थे। इस तरह भ्रष्टाचार के सीबीआइ के दो और मनी लांडिंग के ईडी के एक मामले से सभी आरोपी मुक्त हो गए। 
• हाल के वर्षो का यह सबसे बड़ा फैसला इसलिए माना जा रहा है, क्योंकि मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार के जाने में एक बड़ा कारण इस घोटाले को भी माना जाता रहा है।
• तत्कालीन कैग विनोद राय ने सरकारी खजाने को एक लाख 76 हजार करोड़ के नुकसान का अनुमान लगाया था। 
• 135 लोग थे आरोपी : पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा, द्रमुक नेता करुणानिधि की पुत्री और सांसद कनीमोरी के अलावा तत्कालीन सूचना सचिव सिद्धार्थ बेहुरा, राजा के पूर्व निजी सचिव आरके चंदौलिया, स्वैन टेलीकॉम के प्रमोटर शाहिद उस्मान बलवा, विनोद गोयनका, यूनिटेक लिमिटेड के प्रबंध निदेशक संजय चंद्रा, रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप के शीर्ष कार्यकारी गौतम दोशी, सुरेंद्र पिपारा और हरि नायर समेत इस मामले में 35 आरोपी थे।
• एस्सार समूह के प्रमोटर रविकांत रुइया व अंशुमान रुइया, लूप टेलीकॉम के प्रोमोटर आइपी खेतान व किरण खेतान, एस्सार समूह के निदेशक विकास सर्राफ के अलावा लूप टेलीकॉम, लूप मोबाइल (इंडिया) लिमिटेड और एस्सार टेलीहोल्डिंग लिमिटेड भी इस मामले में आरोपी बनाए गए थे।

6. 2030 तक 7000 अरब डालर की होगी इकोनामी

• प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) के अध्यक्ष विवेक देबराय ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था 2030 तक 6500 से 7,000 अरब डालर की हो जाने का अनुमान है। वहीं 2035-40 तक यह 10,000 अरब डालर की हो जाएगी। 
• उन्होंने कहा कि लेकिन प्रति व्यक्ति आय काफी कम ही रहेगी।देबराय ने यहां स्काच शिखर सम्मेलन में कहा कि वर्ष 2030 तक देश की राष्ट्रीय आय 6,500 से 7,000 अरब डालर होगी। अगर विनिमय दर वही रहती है जो आज है तो देश की अर्थव्यवस्था 2035-40 तक 10,000 अरब डालर की हो जाएगी।
• नीति आयोग के सदस्य ने यह भी कहा, अगर विनिमय दर बढ़ती है तो देश की अर्थव्यवस्था 2035 से पहले ही 10,000 अरब डालर की हो जाएगी। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था का आकार बढ़ने के साथ भारत उल्लेखनीय रूप से एक अलग देश होगा और वैश्विक मंच पर इसकी भूमिका बढ़ेगी।
• देबराय ने यह भी कहा कि लोग सरकारी नौकरी नहीं तलाश रहे, बल्कि अब ज्यादा से ज्यादा लोग दूसरे को रोजगार उपलब्ध करा रहे हैं। 
• जमीन से जुड़े मुद्दे का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह एक जटिल मुद्दा है और भारत में इसका अकुशल तरीके से उपयोग हुआ है।देबराय ने कहा, हमारे पास जमीन के स्वामित्व के संदर्भ में स्पष्ट प्रणाली नहीं है।

7. 2025 तक गुरुत्वीय तरंगें मापने वाला यंत्र ‘लिगो’ बना लेगा भारत

• भारत 2025 तक गुरुत्वाकर्षण तरंगों को मापने वाला लिगो (लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रेविएशनल वेव आब्जर्वेटरी डिटेक्टर) यंत्र बना लेगा। अभी तक यह सुविधा केवल अमेरिका के पास मौजूद है। वहां इसकी दो प्रयोगशालाएं काम कर रही हैं। यंत्र को बनाने के बाद भारत अमेरिका के बाद इस उपलब्धि को पाने वाला विश्व का दूसरा देश बन जाएगा। 
• भारत में यंत्र की स्थापना के लिए जगह का चयन कर लिया गया है, लेकिन नाम अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है। लिगो यंत्र ने पहली बार गुरुत्वीय तरंगों को खोजा था। 2016 में एक सुरंग में प्रयोग करके इसका पता लगाया था। 2017 का नोबल पुरस्कार इसी शोध के लिए दिया गया है।
• आइंस्टीन ने 100 साल पहले बताया था इन तरंगों के बारे में : नोबल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने तकरीबन 100 साल पहले पहली बार इन तरंगों के बारे में बताया था। उसके बाद ही इस दिशा में शोध कार्य शुरू हो सके। 
• अमेरिका ने दो लिगो यंत्रों को लंबे शोध के बाद तैयार किया था। इन्हें स्थापित भी कर लिया गया है। अमेरिकी वैज्ञानिकों का मानना है कि तीसरे यंत्र को पृथ्वी में किसी और जगह पर लगाया जाए तो बेहतरीन परिणाम हासिल होंगे।
• ऐसे की जा रही तैयारी : पुणो स्थित इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रो फिजिक्स (आइयूसीएए) के निदेशक सोमेक रॉय चौधरी का कहना है कि लिगो यंत्र तैयार होने के बाद उनकी संस्था इसके संचालन व निगरानी का काम करेगी। इसके लिए भारी तादाद में युवाओं की जरूरत होगी। 
• उनका कहना है कि इंदौर का राजा रमन्ना सेंटर व अहमदाबाद का प्लाज्मा रिसर्च सेंटर यंत्र के कल पुर्जो को तैयार कर रहा है। इसमें इस्तेमाल होने वाला दर्पण व अन्य जरूरी चीजें अमेरिका से आएंगी।

8. वरिष्ठ साहित्यकार रमेश कुंतल मेघ को साहित्य अकादमी सम्मान

• साहित्य अकादमी पुरस्कार-2017 की घोषणा कर दी गई है। हंिदूी में यह सम्मान प्रसिद्ध लेखक रमेश कुंतल मेघ को उनकी कृति विश्वमिथकसरित्सागर के लिए दिया जाएगा। इस पुस्तक को साहित्यिक समीक्षा के वर्ग में चुना गया है। 
• उर्दू में यह पुरस्कार बेग एहसास को उनके कहानी संग्रह दखमा व अंग्रेजी में ममंग दई को उनकी कृति द ब्लैक हिल के लिए दिया जाएगा। 
• साहित्य अकादमी अनुवाद पुरस्कार प्रतिभा अग्रवाल को दिया जाएगा।
• साहित्य अकादमी पुरस्कार के रूप में एक उत्कीर्ण ताम्रफलक, शॉल और एक लाख रुपये की राशि प्रदान की जाती है। पुरस्कारों की अनुशंसा 24 भारतीय भाषाओं की निर्णायक समितियों द्वारा की गई है और साहित्य अकादमी के अध्यक्ष प्रो. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी की अध्यक्षता में हुई अकादमी के कार्यकारी मंडल की बैठक में गुरुवार को इसे अनुमोदित किया गया। 
• इन्हे मिला पुरस्कार : जिन पांच कवियों को उनके कविता संग्रह के लिए पुरस्कृत किया जाएगा उनमें उदय नारायण सिंह (मैथिली), श्रीकांत देशमुख (मराठी), भुजंग टुडु (संताली), स्व. इंकलाब (तमिल) और देवीप्रिया (तेलुगु) शामिल हैं। वहीं, उपन्यास के लिए जयंत माधव बरा (असमिया), आफसार आमेद (बांग्ला), रीता बर (बोडो), ममंग दई (अंग्रेजी) केपी रामनुन्नी (मलयालम), निरंजन मिश्र (संस्कृत) और नछत्तर (पंजाबी) को पुरस्कृत किया जाएगा। 
• इसके अलावा कहानी संग्रह के लिए शिव मेहता (डोगरी), औतार कृष्ण रहबर (कश्मीरी), गजानन जोग (कोंकणी), गायत्री सराफ (उड़िया) और बेग एहसास (उर्दू) को पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। उर्मि घनश्याम देसाई (गुजराती), रमेश कुंतल मेघ (हिंदी), टीपी अशोक (कन्नड़), वीणा हांगखिम (नेपाली) और नीरज दइया (राजस्थानी) को समालोचना के लिए पुरस्कृत किया जाएगा। 
• राजेन तोइजांबा (मणिपुरी) को उनके नाटक और जगदीश लछाणी (सिंधी) को उनके निबंध के लिए पुरस्कृत किया जाएगा। 
• इन पुस्तकों को संबंधित भाषा के त्रिसदस्यीय निर्णायक मंडल ने निर्धारित चयन-प्रक्रिया का पालन करते हुए पुरस्कार के लिए चुना है। कार्यकारी मंडल ने निर्णायकों के बहुमत अथवा सर्वसम्मति के आधार पर चयनित पुस्तकों के लिए घोषणा की है।