बैंकों में साइबर अपराध से जुड़ी घटनाओं में तेज बढ़ोतरी और इसे रोकने में नाकामी को देखते हुए रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने अब सख्ती करने का फैसला किया है। आरबीआइ ने गुरुवार को सभी बैंकों को यह निर्देश दिया है कि वह अपने स्तर पर साइबर अपराध व फ्रॉड रोकने के लिए नीति बनाएं। यह नीति उनकी मौजूदा सूचना तकनीकी यानी आइटी नीति से अलग होनी चाहिए। साथ ही इसे बैंक के बोर्ड की मंजूरी मिलनी चाहिए। पिछले हफ्ते ही आरबीआइ ने साइबर फ्रॉड रोकने में बैंकों की सुस्ती पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई थी। उसने यहां तक कहा था कि भारतीय बैंकों के एटीएम में अभी तक नकली एटीएम कार्ड को रोकने की भी व्यवस्था नहीं है। आरबीआइ ने कहा है कि हर बैंक में अलग-अलग तकनीकी का इस्तेमाल हो रहा है। हर बैंक के समक्ष साइबर फ्रॉड की अलग चुनौती है। इसलिए बैंकों के पास इनसे निपटने की नीति भी अलग-अलग होनी चाहिए। आरबीआइ ने कहा है कि उत्पादों, सूचना तकनीकी के इस्तेमाल वगैरह की समीक्षा करते हुए बैंक अपने समक्ष जोखिम व उससे निपटने के उपायों की समीक्षा करें। इसके आधार पर ही अपनी साइबर फ्रॉड रोकने वाली नीति बनाएं। इस सदंर्भ में बैंकों को कहा गया है कि वे साइबर ऑपरेशन सेंटर (सीओसी) का गठन करें। यह सेंटर साइबर फ्रॉड की चुनौतियों से निपटने के लिए कदम उठाएगा। बैंक अपने नेटवर्क और डाटाबेस को सुरक्षित करने की भी पूरी व्यवस्था करें। नई नीति में इस बारे में रणनीति का जिक्र होना चाहिए। साइबर हमले को रोकने की भी रणनीति बैंकों के पास होनी चाहिए।
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