Wednesday, 8 June 2016

1 June 2016...8. आंध्र प्रदेश से शुरू होंगे अमेरिकी रिएक्टर:-



 और अमेरिका के बीच हुआ परमाणु ऊर्जा समझौता करीब दस साल बाद जमीन पर उतरने जा रहा है। तोशीबा वेस्टिंगहाउस इलेक्टिक कंपनी ने छह रिएक्टरों की स्थापना वाली परियोजना के लिए आंध्र प्रदेश का चयन किया है। खरबों रुपये की इस परियोजना के लिए पहले गुजरात का चयन किया गया था, लेकिन वहां पर स्थानीय लोगों के विरोध के चलते जगह बदलने का निर्णय लिया गया। इस मामले में अंतिम निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सात-आठ जून के अमेरिका दौरे में लिया जाएगा। भारत के साथ रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने के लिए सन 2005 में दोनों देशों के बीच शांतिपूर्ण कार्यो के लिए परमाणु समझौता हुआ था। लेकिन दुर्घटना के समय जिम्मेदारी के निर्धारण में सहमति न बन पाने के कारण समझौते का क्रियान्वयन लटक गया। भारत सरकार चाहती थी कि दुर्घटना की स्थिति में परमाणु बिजलीघर बनाने वाली कंपनी को जिम्मेदार बनाया जाए, जबकि अमेरिका की कंपनियां उस स्थिति में बिजलीघर संचालित करने वाली एजेंसी की जिम्मेदारी चाह रही थीं। राष्ट्रपति ओबामा की जनवरी 2015 की भारत यात्र में भारत सरकार के उपबंध में ढील दी गई। भारत अब 2032 तक अपनी परमाणु बिजली की क्षमता को बढ़ाकर 63 हजार मेगावाट करना चाहता है। यह कार्य वह अपने मित्र देशों के साथ मिलकर करना चाहता है। भारत की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों के चलते तेज गति से परमाणु बिजलीघरों की स्थापना जरूरी है। रूस की रोजेटम कंपनी तमिलनाडु के कुडनकुलम में दो रिएक्टरों की स्थापना का कार्य कर रही है। जबकि फ्रांस की कंपनी ईडीएफ ने न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के साथ महाराष्ट्र के जैतापुर में छह रिएक्टरों की स्थापना के लिए समझौता किया है।

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