अमेरिका के एक शीर्ष थिंक टैंक ने कहा है कि पिछले सप्ताह कुछ सीनेटरों की ओर से चिंता जताने के बावजूद ओबामा प्रशासन ने भारत और ईरान के बीच चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए हुए हालिया समझौते पर कोई आपत्ति नहीं जताई है । कान्रेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस के एश्ली टेलिस ने मंगलवार को कहा, क्योंकि यह भारत और ईरान के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, इसलिए परियोजना जारी रहेगी चाहे अमेरिका कुछ भी कहे। उन्होंने अगले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा से पहले व्हाइट हाउस के संवाददाताओं से कहा, मैं नहीं मानता कि प्रशासन ने चाबहार में भारतीय निवेश पर किसी भी तरह की कोई शिकायत की है।टेलिस ने एक सवाल के जवाब में कहा, मेरा मानना है कि निश्चित तौर पर ऐसे सीनेटर और लोग हैं जो खास तौर पर न सिर्फ भारत और ईरान के द्विपक्षीय संबंधों को लेकर, बल्कि ईरानी शासन के मजबूत होने को लेकर भी चिंतित हैं तथा इसका कुछ एजेंडा ऐसा हो सकता है जो मददगार न हो। लेकिन यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां भारत ने शुरू से ही ‘‘व्यापक स्वतंत्रता’ का प्रदर्शन किया है। उन्होंने उल्लेख किया, मेरा मानना है कि भारत को उस समझौते पर आगे बढ़ने से रोकने की हमारी क्षमता काफी धीमी है । पाकिस्तान से होकर गुजरने वाली वर्तमान लाइन से परे अफगानिस्तान और मध्य एशिया के लिए एक वैकल्पिक संचार लाइन स्थापित करने में भारतीयों और ईरानियों का संयुक्त हित है।टेलिस ने एक सवाल के जवाब में कहा कि तालिबान नेता मुल्ला मंसूर के मारे जाने से पाकिस्तान को एक संदेश गया है कि यदि इस्लामाबाद अधिक अनुकूल भूमिका नहीं निभाता तो अमेरिका कुछ चीजें एकतरफा कर सकता है। उन्होंने कहा, चाहे इससे पाकिस्तान के प्रति अमेरिकी नीति में बदलाव झलकता है, लेकिन मेरा मानना है कि यह कहना अभी जल्बाजी होगा।टेलिस ने यह भी कहा कि अमेरिकी इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि इस बारे में सीमाएं हैं कि जिससे वे पाकिस्तान को अफगानिस्तान में भारतीय गतिविधियों के बारे में पुन: आास्त कर सकें। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में जब पाकिस्तानी उस तरह काम नहीं कर रहे जिस तरह अमेरिका चाहता है तो ओबामा प्रशासन के भारत से यह कहने की संभावना नहीं है कि वह अफगानिस्तान में अपनी विकास गतिविधियां रोक दे।टेलिस के अनुसार मोदी भारत के लाभ के लिए अमेरिका से संबंध चाहते हैं। वह अमेरिका के लिए चीयरलीडर नहीं बनने जा रहे। यह निश्चित है। उन्होंने कहा, दक्षिण चीन सागर में मोदी चीजों को एकतरफा करने के लिए तैयार हैं क्योंकि यह नौवहन की स्वतंत्रता में भारत के हित को साधता है। टेलिस ने कहा, मोदी ऐसा करने की इच्छा रखते हैं और मेरा मानना है कि आप आगामी वर्षों में सिर्फ दक्षिण चीन सागर में ही नहीं, बल्कि जापान सागर में भी भारतीय गतिविधि देखेंगे। उन्होंने कहा, मोदी अमेरिका से बाहर संबंधों, जिसमें अमेरिकी साझेदार शामिल हो सकते हैं, की दूसरी पंक्ति बनाने के लिए इसे भारत के नजरिये से बहुत महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखते हैं।
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