कुछ दिन पहले ही विश्व बैंक प्रमुख ने भारतीय अर्थव्यवस्था को मंदी से ग्रस्त दुनिया में एक चमकता सितारा बताया था। सरकार की ओर से जारी बीते वित्त वर्ष 2014-15 व चौथी तिमाही के आंकड़े भी इसकी पुष्टि करते हैं। इनमें अर्थव्यवस्था की दशा व दिशा की पेश की गई तस्वीर से साफ है कि देश की आर्थिक विकास दर तमाम अर्थविदों की उम्मीद से भी बेहतर रहेगी। जनवरी से मार्च की तिमाही में आर्थिक विकास दर की रफ्तार 7.9 फीसद रही है। समूचे बीते वित्त वर्ष में यह दर 7.6 फीसद रहने का अनुमान है। विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में यह सबसे तेज रफ्तार है। केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) की तरफ से मंगलवार को जारी आंकड़े के मुताबिक इस तेज आर्थिक विकास दर में मैन्यूफैक्चरिंग व सेवा क्षेत्र का खास योगदान रहा। मार्च, 2016 में समाप्त तिमाही के दौरान मैन्यूफैक्चरिंग की वृद्धि दर 9.3 फीसद रही। इसमें निजी क्षेत्र की कंपनियों की ग्रोथ 10 फीसद की रही है। इसकी तसदीक बीएसई व एनएसई में लिस्टेड कंपनियों के वित्तीय नतीजों से भी साफ होती है। मैन्यूफैक्चरिंग की इस तेज रफ्तार की एक वजह यह भी है कि पिछले वर्ष इसका आधार काफी नीचे था। साथ ही हर तरह के सेवा क्षेत्र का प्रदर्शन भी बहुत अछा रहा है। इन तीनों क्षेत्रों की वजह से ही भारत पिछले कुछ तिमाहियों से आर्थिक विकास दर के मामले में लगातार चीन से आगे बना हुआ है। चीन के लिए 6.5 फीसद की विकास दर भी चुनौती बन गई है। जहां तक भारत में प्रति व्यक्ति आय का सवाल है, तो यह 8.7 फीसद बढ़कर 93,293 रुपये सालाना पर पहुंच गई है।समूचे वित्त वर्ष व चौथी तिमाही के दौरान सकल घरेलू उत्पाद की तेज वृद्धि को देखते हुए सरकार की उम्मीद और भी बढ़ गई है। वित्त मंत्री अरुण जेटली, वित्त सचिव अशोक लवासा, नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पानगड़िया व आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष में विकास दर आठ फीसद तक पहुंच सकती है। उद्योग जगत ने भी विकास दर के आठ फीसद पहुंचने का भरोसा जताया है।
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