भारत की अर्थव्यवस्था एक बार फिर आठ फीसद की रफ्तार से आगे बढ़ने को तैयार दिख रही है। अगर भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने अगले हफ्ते थोड़ी दरियादिली दिखाते हुए ब्याज दर घटाई तो आर्थिक विकास दर और तेज हो सकती है। ताजा आंकड़े बता रहे हैं कि पिछले महीनों में कर्ज की ब्याज दर में जो नरमी आई है उससे घरेलू मांग को बढ़ाने में काफी मदद मिली है। जानकारों की मानें तो बेहतर मानसून, ग्रामीण क्षेत्र पर सरकार की तरफ से होने वाले खर्चे में बढ़ोतरी की कोशिशों में अगर सस्ते कर्ज का तड़का लग जाए तो अगले साल भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी की नई मिसाल कायम कर सकती है। आरबीआइ गवर्नर राजन अगले हफ्ते मंगलवार को चालू वित्त वर्ष के दौरान वार्षिक मौद्रिक नीति की पहली समीक्षा पेश करेंगे। वार्षिक नीति पेश करते हुए अप्रैल, 2016 में उन्होंने रेपो रेट में 0.25 फीसद की कटौती की थी। वैसे बैंको ने इस कटौती का पूरा फायदा ग्राहकों को नहीं दिया है लेकिन ताजा आंकड़े बताते हैं कि होम लोन और पर्सनल लोन की रफ्तार बढ़ रही है। पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले अप्रैल, 2016 के दौरान पर्सनल लोन में 19.7 फीसद की बढ़ोतरी हुई है जो देश में घरों व उपभोक्ता सामान की मांग के बढ़ने का प्रमाण है। वाहन खरीदने व घर खरीदने के लिए बैंकिंग कर्ज में क्रमश: 19.7 फीसद और 18.1 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। यह बढ़ोतरी कर्ज की ब्याज दर में कमी होने के बाद ही दिखी है। अगर ब्याज दरों में और कटौती की जाती है तो घरेलू मांग को तेजी से बढ़ाया जा सकेगा। सरकार को भी है कि अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ाने में आरबीआइ भी अपनी तरफ से भी कोशिश करेगा। खासतौर पर तब जब महंगाई की स्थिति को लेकर खास चिंता नहीं है। कच्चे तेल की कीमतों के बढ़ने से थोड़ी चिंता है लेकिन बेहतर मानसून की वजह से घरेलू खाद्य कीमतों के नियंत्रण में ही रहने के आसार हैं। आर्थिक मामलों के सचिव शशिकांत दास का कहना है कि बेहतर मानसून के साथ ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए जो बजटीय आवंटन किये हैं उसका असर आने में दो से तीन महीने लगेंगे। ये सारे तत्व मिलकर सुनिश्चित करेंगे कि इस साल और इसके बाद के वर्षो में भी अर्थव्यवस्था आठ फीसद से ज्यादा की रफ्तार से बढ़े।
No comments:
Post a Comment