प्रत्यक्ष कर विवाद समाधान योजना कल से लागू हो जाएगी। इसके तहत विभिन्न अदालतों, न्यायाधिकरणों, पंच निर्णय में लंबित मामले या द्विपक्षीय निवेश संरक्षण समझौते (बीआईपीए) के तहत फैसले के लिये मध्यस्थता में लटके मामलों के समाधान पर जोर दिया जाएगा।योजना के तहत पूर्व की तिथि से कर लगाए जाने की वजह से उत्पन्न मामलों के समाधान के लिए एक अवसर उपलब्ध कराया गया है। इसमें कंपनियों को वांछित बकाया कर की मूल कर मांग का भुगतान करने को कहा जाएगा जबकि ब्याज एवं जुर्माने से छूट दी जाएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह योजना कर सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम है और उम्मीद है कि यह वोडाफोन तथा केयर्न जैसी कंपनियों के लिए बड़ी राहत लाएगी। ये कंपनियां 2012 में पूर्व की तिथि से कर संशोधन के मद्देनजर अरबों डालर की कर देनदारी का सामना कर रही हैं। वित्त मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि एक बारगी कर विवाद समाधान योजना एक जून 2016 से अमल में आएगी और इसके तहत 31 दिसंबर तक घोषणा की जा सकती है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने इस संबंध में नियम तथा फार्म 26 मई को अधिसूचित किए हैं। बयान के अनुसार योजना के अलावा 6.0 प्रतिशत सामान्यीकरण शुल्क भी बुधवार से प्रभाव में आएगा। यह सीमा पार होने वाले सभी डिजिटल सौदों पर लागू होगा।
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