मैत्री बांध से रिश्तों को मजबूती :- मोदी ने शनिवार को अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी के साथ ‘अफगानिस्तान-भारत मैत्री बांध’ का उद्घाटन किया। यह बांध पश्चिमी हेरात में चिश्त-ए-शरीफ नदी पर बना है। इस मौके पर अपने संबोधन में मोदी ने कहा कि सबसे स्वादिष्ट फल और केसर उपजाने वाली इस धरती पर बांध के पानी से फिर बहार आ जाएगी। उन्होंने आश्वासन दिया कि युद्ध प्रभावित अफगानिस्तान के हर हिस्से तक भारत की मदद का विस्तार किया जाएगा। उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति गनी ने कहा कि मोदी का उनके ‘दूसरे घर’ अफगानिस्तान में स्वागत है। उन्होंने कहा कि भारत की मदद से लोगों का 30 साल पुराना सपना पूरा हुआ। उल्लेखनीय है कि छह माह से भी कम समय में यह मोदी की दूसरी अफगानिस्तान यात्र है। प्रधानमंत्री मोदी को अफगानिस्तान के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘अमीर अमानुल्ला खान अवॉर्ड’ से नवाजा गया है। मैत्री बांध के उद्घाटन के बाद राष्ट्रपति अशरफ गनी ने मोदी को इस सम्मान से नवाजा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने इस मौके की एक तस्वीर ट्विटर पर जारी करते हुए इसे सची दोस्ती का सम्मान बताया है।
रणनीतिक लिहाज से अहम
• अफगानिस्तान का हेरात प्रांत पश्चिम एशिया, मध्य और दक्षिण एशिया के पुराने व्यापार मार्ग पर पड़ता है।
• यहां से ईरान, तुर्कमेनिस्तान और अफगानिस्तान के अन्य भागों के लिए सड़क मार्ग को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है।
• यह बांध ईरान सीमा के नजदीक है। मोदी ने भी अपने संबोधन में ईरान के साथ हुए चाबहार समझौते का जिक्र किया।
• मोदी ने कहा कि चाबहार बंदरगाह के विकास से अफगानिस्तान के लोगों की समृद्धि का भी रास्ता खुलेगा।
• 1,700 करोड़ रुपये की लागत से तैयार इस बांध से यहां 75,000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होगी, इससे करीब 42 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाएगा।
• पहले इसे सलमा बांध के नाम से जाना जाता था।
रणनीतिक लिहाज से अहम
• अफगानिस्तान का हेरात प्रांत पश्चिम एशिया, मध्य और दक्षिण एशिया के पुराने व्यापार मार्ग पर पड़ता है।
• यहां से ईरान, तुर्कमेनिस्तान और अफगानिस्तान के अन्य भागों के लिए सड़क मार्ग को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है।
• यह बांध ईरान सीमा के नजदीक है। मोदी ने भी अपने संबोधन में ईरान के साथ हुए चाबहार समझौते का जिक्र किया।
• मोदी ने कहा कि चाबहार बंदरगाह के विकास से अफगानिस्तान के लोगों की समृद्धि का भी रास्ता खुलेगा।
• 1,700 करोड़ रुपये की लागत से तैयार इस बांध से यहां 75,000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होगी, इससे करीब 42 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाएगा।
• पहले इसे सलमा बांध के नाम से जाना जाता था।
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