भारत से विकासशील देश का तमगा हट गया है। विश्व बैंक की विश्लेषण संबंधी सभी रिपोर्टो में उसे ‘निम्न मध्य आय’ वाले देशों की श्रेणी में रखा जाएगा। उसने अपनी खास रिपोर्टो के लिए देशों के वर्गीकरण के तरीके में फेरबदल किया है। देशों का वर्गीकरण बेहतर तरीके से हो, इस मकसद से ऐसा किया गया है। विश्व बैंक में डाटा वैज्ञानिक तारिक खोखर ने कहा कि विश्व विकास संकेतकों से जुड़े पब्लिकेशन में निम्न और मध्य आय वाले देशों के लिए ‘विकासशील’ शब्द के इस्तेमाल की परंपरा रोकी गई है। विश्लेषण संबंधी उद्देश्यों के लिए भारत का वर्गीकरण निम्न मध्य आय वाली अर्थव्यवस्था के तौर पर होगा। यह साफ करना जरूरी है कि ‘विकासशील देश’ या ‘विकासशील दुनिया’ जैसे शब्दों को सामान्य कार्य में बदला नहीं जा रहा है। यानी इनका भी इस्तेमाल होगा। लेकिन जब बात विशेष आंकड़ों की होगी तो देशों का सटीक वर्गीकरण प्रस्तुत किया जाएगा। ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि विश्लेषण संबंधी उद्देश्यों के लिए ‘विकासशील देश’ शब्द अब अधिक उपयोगी नहीं रह गया है। इस तरह विश्व बैंक की खास रिपोर्टो में भारत को निम्न मध्य आय वाली अर्थव्यवस्था कहा जाएगा। जबकि सिर्फ सामान्य संचार में उसे विकासशील देश के तौर पर संदर्भित किया जा सकता है। फिलहाल नए वर्गीकरण में ब्रिक्स देशों में से बाकी अन्य देश भारत से बेहतर श्रेणी में पहुंच गए हैं। ब्राजील, चीन और दक्षिण अफ्रीका को उच मध्य आय वाली श्रेणी में रखा गया है। पाकिस्तान और श्रीलंका भारत की श्रेणी में हैं। अफगानिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल निम्न आय वाली अर्थव्यवस्था में हैं। रूस और सिंगापुर को ओईसीडी से इतर उच आय वाली श्रेणी में रखा गया है। ओईसीडी देशों में अमेरिका उच आय श्रेणी में है। वर्ल्ड बैंक के नए वर्गीकरण से प्रभावित होकर संयुक्त राष्ट्र भी ऐसा कर सकता है। संयुक्त राष्ट्र की विकासशील देशों की कोई अपनी परिभाषा नहीं है। वह भारत समेत 159 देशों को विकासशील ही मानता है।
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