मातृत्व अवकाश को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह करने के प्रावधान वाले एक महत्वपूर्ण विधेयक को बृहस्पतिवार को राज्यसभा की मंजूरी मिल गई। श्रम एवं रोजगार मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने प्रसूति प्रसुविधा (संशोधन) विधेयक 2016 पर हुई र्चचा के जवाब में कहा कि कामकाजी महिलाओं की आवश्यकताओं को देखते हुए इसमें यह प्रावधान किया गया है। विधेयक में मातृत्व अवकाश की अधिकतम अवधि 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह किए जाने का प्रावधान किया गया है ताकि माताएं अपने बच्चों की बेहतर देखभाल कर सकें। दो बच्चों के मामलों में यह सुविधा 26 सप्ताह की होगी। इसके बाद यह सुविधा 12 हफ्ते की होगी। साथ ही प्रसूति सुविधाएं किसी ‘‘अधिकृत माता’ या ‘‘दत्तक माता’ के लिए भी होंगी जो वे बालक के हस्तगत करने की तारीख से 12 सप्ताह की प्रसूति लाभ की हकदार होंगी।इससे पूर्व दत्तात्रेय ने कहा कि प्रसूता मां और बच्चों को बेहतर जीवन प्रदान करना एक बहुत ही गंभीर और महत्वपूर्ण मुद्दा है तथा यह विधेयक इस दिशा में काफी मददगार साबित होगा। उन्होंने कहा कि विधेयक का उद्देश्य है कि कार्यबल और कार्मिक बल में महिलाओं की संख्या बढ़ाई जाए। संशोधनों से 18 लाख महिलाओं को लाभ होगा। प्रसूति अवकाश के दौरान वेतन भी मिलेगा और तीन हजार रपए का मातृत्व बोनस भी दिया जाएगा। 26 सप्ताह के प्रसूति अवकाश की सुविधा दो बच्चों के मामले में ही लागू होगी और अन्य मामलों में यह सुविधा 12 सप्ताह की ही रहेगी।50 से ज्यादा कर्मचारी वाले संस्थान को रखनी होगी क्रेच की व्यवस्था : मंत्री ने कहा कि 50 या अधिक कर्मचारी रखने वाले संस्थानों को शिशुओं के लिए क्रेच की सुविधा भी रखनी होगी जहां कोई भी मां चार बार अपने बच्चे से मिलने के लिए जा सकेगी। कोई भी नियोक्ता न तो कानून का उल्लंघन कर पाएगा और न ही इस वजह से किसी को निकाल पाएगा। अवकाश के मामले में भारत का तीसरा स्थान : मातृत्व अवकाश के बारे में भारत का दुनिया में तीसरा स्थान है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका में 12 सप्ताह का मातृत्व अवकाश दिया जाता है। मेक्सिको में 15, स्पेन में 16, फ्रांस में 16, ब्रिटेन में 20, नॉव्रे में 44 और कनाडा में 50 सप्ताह का मातृत्व अवकाश दिया जाता है। असंगठित क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं के मामले में भी गौर हो : इससे पूर्व विधेयक पर हुयी र्चचा में लगभग सभी दलों ने विधेयक के प्रावधानों का स्वागत किया और किराए की कोख वाली माताओं को भी इसका लाभ देने पर प्रबल दिया। इसके अलावा उन्होंने असंगठित क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं और के मुद्दों पर भी गौर करने का आग्रह किया। र्चचा में कई सदस्यों ने पितृत्व अवकाश का भी प्रावधान किए जाने का आग्रह किया।
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