1.जजों की नियुक्ति के नए कानून पर प्रतिबद्धता से इन्कार:- सरकार ने जजों की नियुक्ति के लिए किसी नए कानून पर प्रतिबद्धता से इन्कार किया है। सरकार की ओर से लाए गए न्यायिक नियुक्ति आयोग कानून को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राज्य सभा में कहा, ‘सरकार ने न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम 2014 पर फैसले को स्वीकार कर लिया है। कई बार सवाल पूछा जाता है कि क्या हम फिर इस दिशा में कोई कानून लाने वाले हैं। राजनीति इस बात का फैसला करेगी। मैं आज की तारीख में इसको लेकर कोई वादा नहीं कर सकता।’ मंत्री ने अपनी बात के समर्थन में जीएसटी का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि जीएसटी पर सहमति बनाने के लिए सरकार को कई कदम उठाने पड़े। सुप्रीम कोर्ट ने कोलेजियम व्यवस्था को बेहतर करने के लिए सुझाव मांगे हैं। सरकार ने इस मामले में अपना सुझाव दे दिया है। इधर, कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ल ने राज्य सभा में यह मांग की कि संसद सर्वोच्च है और सरकार को डरने के बजाय न्यायपालिका में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए दोबारा यह बिल लाना चाहिए। राजीव शुक्ल ने कहा कि अमेरिका सहित कहीं भी जजों की नियुक्ति जज नहीं करते। अमेरिका में जज की नियुक्ति सीनेट के जरिए होती है। जबकि हमारे यहां मौजूदा कोलिजियम सिस्टम में काफी खामियां हैं। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका में खामियों को लेकर जज चिंता जाहिर करते हैं पर हकीकत यह है कि शीर्ष न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति जज ही करते हैं। इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं होती।
2. कश्मीर मामला : प्रधानमंत्री ने तोड़ी चुप्पी, संवाद की वकालत की:- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीर में 32 दिनों से जारी उपद्रव पर मंगलवार को चुप्पी तोड़ते हुए इसे कुछ लोगों की साजिश का नतीजा बताया। लोकतंत्र और संवाद के रास्ते शांति बहाली की वकालत करते हुए मोदी ने कहा-‘जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे, उन्होंने इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत का मार्ग अपनाया था। हम इस पर कायम रहेंगे।’ प्रधानमंत्री मोदी अमर शहीदों की शहादत को याद करने के लिए नौ से 23 अगस्त तक मनाए जा रहे ‘जरा याद करो कुर्बानी’ महोत्सव का शुभारंभ करने मध्य प्रदेश में आलीराजपुर जिले के भाबरा पहुंचे थे। भाबरा शहीद चंद्रशेखर आजाद की जन्मस्थली है। यहां पहली बार कोई प्रधानमंत्री पहुंचा है। इस दौरान जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा-‘कभी-कभी पीड़ा होती है कि जिन बच्चों और युवाओं के हाथों में लैपटॉप, वालीबॉल, क्रिकेट के बैट और मन में सपने होने चाहिए, उनके हाथों में पत्थर पकड़ा दिया जाता है। इससे कुछ लोगों की राजनीति तो चल जाएगी लेकिन इन भोलेभाले बचों का क्या होगा। हम इंसानियत और कश्मीरियत पर दाग नहीं लगने देंगे।’
कश्मीरियों को बराबर की आजादी : प्रधानमंत्री ने कहा कि कश्मीर मसले पर बातचीत के रास्ते हमेशा खुले हैं। हर हिन्दुस्तानी का सपना होता है कि कभी न कभी कश्मीर जाए। उसके मन में उस देवभूमि को देखने की इछा होती है। लेकिन जहां पूरा हिन्दुस्तानी कश्मीर को प्यार करता है, वहीं मुट्ठीभर लोग कश्मीर की इस महान परंपरा को ठेस पहुंचा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा-‘चंद्रशेखर आजाद की इस महान पवित्र भूमि से कश्मीरियों को संदेश देना चाहता हूं कि आजादी के दीवानों ने जो ताकत हिन्दुस्तानी को दी है, वहीताकत कश्मीर को भी दी है। जो आजादी हर हिन्दुस्तानी महसूस करता है वही आजादी हर कश्मीरी को भी नसीब है। हम कश्मीर को विकास के नई ऊंचाइयों तक ले जाना चाहते हैं। कश्मीर की युवा पीढ़ी को रोजगार के अवसर देना चाहते हैं।’
कांग्रेस के प्रति जताया आभार : हमेशा कांग्रेस को निशाने पर लेने वाले मोदी ने कांग्रेस सहित अन्य विपक्षों दलों की तारीफ भी की, आभार जताया। कहा, कश्मीर मुद्दे पर सभी ने एकजुटता दिखाई और आज भी दिखा रहे हैं। जम्मू-कश्मीर सरकार पूरी तरह केंद्र के साथ है। देश का दो किमी रास्ता कम बनेगा तो मंजूर कर लेंगे, लेकिन कश्मीर के विकास में कोई कमी नहीं आने देंगे।
बंदूकें छोड़ हल उठाएं युवा : प्रधानमंत्री ने देश में माओवाद और उग्रवाद के नाम पर कंधे पर बंदूक उठाने वाले नौजवानों से कहा कि कितना लहू बहा दिया, कितने निदरेषों को गवां दिया, लेकिन किसी ने क्या पाया। ऐसे युवा कंधे से बंदूक उतारें और हल ले लें तो ये धरती ‘सुजलाम-सुफलाम’ हो जाएगी।
कश्मीरियों को बराबर की आजादी : प्रधानमंत्री ने कहा कि कश्मीर मसले पर बातचीत के रास्ते हमेशा खुले हैं। हर हिन्दुस्तानी का सपना होता है कि कभी न कभी कश्मीर जाए। उसके मन में उस देवभूमि को देखने की इछा होती है। लेकिन जहां पूरा हिन्दुस्तानी कश्मीर को प्यार करता है, वहीं मुट्ठीभर लोग कश्मीर की इस महान परंपरा को ठेस पहुंचा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा-‘चंद्रशेखर आजाद की इस महान पवित्र भूमि से कश्मीरियों को संदेश देना चाहता हूं कि आजादी के दीवानों ने जो ताकत हिन्दुस्तानी को दी है, वहीताकत कश्मीर को भी दी है। जो आजादी हर हिन्दुस्तानी महसूस करता है वही आजादी हर कश्मीरी को भी नसीब है। हम कश्मीर को विकास के नई ऊंचाइयों तक ले जाना चाहते हैं। कश्मीर की युवा पीढ़ी को रोजगार के अवसर देना चाहते हैं।’
कांग्रेस के प्रति जताया आभार : हमेशा कांग्रेस को निशाने पर लेने वाले मोदी ने कांग्रेस सहित अन्य विपक्षों दलों की तारीफ भी की, आभार जताया। कहा, कश्मीर मुद्दे पर सभी ने एकजुटता दिखाई और आज भी दिखा रहे हैं। जम्मू-कश्मीर सरकार पूरी तरह केंद्र के साथ है। देश का दो किमी रास्ता कम बनेगा तो मंजूर कर लेंगे, लेकिन कश्मीर के विकास में कोई कमी नहीं आने देंगे।
बंदूकें छोड़ हल उठाएं युवा : प्रधानमंत्री ने देश में माओवाद और उग्रवाद के नाम पर कंधे पर बंदूक उठाने वाले नौजवानों से कहा कि कितना लहू बहा दिया, कितने निदरेषों को गवां दिया, लेकिन किसी ने क्या पाया। ऐसे युवा कंधे से बंदूक उतारें और हल ले लें तो ये धरती ‘सुजलाम-सुफलाम’ हो जाएगी।
3. राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति का वेतन बढ़ेगा:- सातवें वेतन आयोग के बाद कैबिनेट सचिव के मुकाबले कम वेतन पा रहे राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का वेतन बढ़ाया जाएगा। सरकार ने इसके लिए अंदरुनी प्रक्रिया शुरू कर दी है। राष्ट्रपति के वेतन में करीब ढाई से तीन गुनी बढ़ोतरी के संकेत हैं। वहीं सांसदों के वेतन वृद्धि का मसला शीत सत्र तक टल सकता है। सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार राष्ट्रपति के मौजूदा डेढ लाख रुपए प्रति महीने के वेतन को बढ़ाकर तीन से चार लाख रुपए प्रति माह करने के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है। वहीं उपराष्ट्रपति का वेतन भी मौजूदा 1.25 लाख रुपए से इसी अनुपात में बढाने का प्रस्ताव है। सरकार का मानना है कि राष्ट्रपति का मौजूदा वेतन अभी के आर्थिक मानकों के अनुकूल नहीं है। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद कैबिनेट सचिव का वेतन उनसे यादा हो गया है। अभी कैबिनेट सचिव का वेतन 2.50 लाख रुपए महीना है। यहां तक कि संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी का वेतन भी राष्ट्रपति से यादा हो गया है। इसीलिए सरकार ने राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति की वेतन वृद्धि के मामले को तबज्जो देने का फैसला किया है। सरकारी सूत्रों के अनुसार इन दोनों शीर्ष संवैधानिक पदों के वेतन में वृद्धि के बाद ही सांसदों के वेतन बढ़ाने के प्रस्ताव पर फैसला होगा। मानसून सत्र शुक्रवार को समाप्त हो रहा है, ऐसे में सांसदों की वेतन वृद्धि के बिल के संसद में पारित होने के आसार कम हैं। राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति के वेतन में इससे पहले 2008 में बढ़ोतरी की गई थी। जब छठे वेतन आयोग के लागू होने के बाद राष्ट्रपति की तनख्वाह 50 हजार से बढ़ाकर डेढ लाख रुपए महीने की गई थी। उपराष्ट्रपति का वेतन 1.25 लाख रुपए महीने किया गया था। राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति को पेंशन में भी फायदा मिलेगा। कार्यकाल खत्म होने के बाद पूर्व राष्ट्रपति के रूप में उन्हें वेतन का 50 फीसदी बतौर पेंशन मिलेगा। इसके अलावा पूर्व राष्ट्रपति को आजीवन सरकारी आवास के साथ एक निजी सचिव और एक चपरासी मुहैया कराया जाता है। इसके अलावा फोन, मोबाइल फोन, इंटरनेट के साथ कार्यालय खर्च के लिए हर साल 60 हजार रुपए का प्रावधान है। पूर्व उपराष्ट्रपति को भी आजीवन सरकारी आवास मिलता है तथा कार्यालय खर्च के लिए 60 हजार रुपये सालाना मिलते हैं।
4. नवंबर तक 14 राज्यों में तैयार होगा जीएसटीएन सिस्टम:- बहुप्रतीक्षित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के लिए जरूरी संविधान संशोधन विधेयक संसद से पारित होने के बाद सरकार अब इसे धरातल पर उतारने को बुनियादी ढांचागत सूचना प्रौद्योगिकी (आइटी) तंत्र तैयार करने में जुट गयी है। केंद्र ने नवंबर तक 14 राज्यों में जीएसटी नेटवर्क के बैक-एंड सिस्टम को चालू करने का लक्ष्य रखा है। वहीं देशभर में सभी उपयोगकर्ताओं के लिए जीएसटीएन का परीक्षण अगले साल जनवरी से शुरू हो जाएगा। सूत्रों ने कहा कि नवंबर 2016 तक 14 रायों के लिए जीएसटी नेटवर्क का बैक-एंड सिस्टम बनकर तैयार हो जाएगा। बैक-एंड सिस्टम का मतलब यह है कि इन राज्यों में जीएसटी के लिए पंजीकरण, रिटर्न, ऑडिट और अपील जैसे कार्यो को परीक्षण के तौर पर करके देखा जा सकेगा। इसी समय सीमा में बैंकों, आरबीआइ और लेखा अधिकारियों के लिए भी जीएसटीएन परीक्षण के लिए उपलब्ध होगा। वहीं दिसंबर 2016 तक 17 रायों के लिए जीएसटी का फ्रंट-एंड और बैक-एंड सिस्टम तैयार हो जाएगा। वैसे अन्य सभी संबंधित पक्षों के लिए जीएसटी का परीक्षण जनवरी 2017 से शुरू होगा। सूत्रों ने कहा कि जीएसटी के भुगतान से लेकर रिटर्न दाखिल होने तक का कार्य जीएसटी नेटवर्क से होगा इसलिए सरकार की कोशिश है कि यह प्रणाली त्रुटिरहित हो। इसीलिए जीएसटी नेटवर्क को पेशेवर ढंग से स्थापित करने के लिए सरकार ने कंपनी कानून की धारा 25 के तहत एक निजी कंपनी का गठन किया है जिसमें केंद्र और राज्यों के साथ-साथ कई अन्य वित्तीय संस्थाओं की हिस्सेदारी भी है। वहीं जानी मानी सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी इन्फोसिस इस सिस्टम को तैयार कर रही है। सरकार ने एक अप्रैल 2017 से जीएसटी लागू करने का लक्ष्य रखा है। इसके लागू होने पर केंद्र सरकार के केंद्रीय उत्पाद शुल्क, अतिरिक्त उत्पाद शुल्क, सेवा कर, अतिरिक्त सीमा शुल्क, विशेष अतिरिक्त सीमा शुल्क और राज्यों के वैट, मनोरंजन कर, केंद्रीय बिक्री कर, चुंगी और प्रवेश कर, क्रय कर, विलासिता कर और लॉटरी तथा सट्टेबाजी पर कर जैसे कई प्रकार के परोक्ष टैक्स समाप्त हो जाएंगे। जीएसटी के लिए जरूरी संविधान का 122वां संशोधन विधेयक सोमवार को लोकसभा से पारित हो गया है।
5. मौद्रिक नीति समीक्षा पेश : जाते-जाते नहीं दिया सस्ते कर्ज का तोहफा:- मंगलवार को मुंबई स्थित रिजर्व बैंक मुख्यालय में आरबीआइ गवर्नर रघुराम राजन ने अपने कार्यकाल की अंतिम मौद्रिक नीति समीक्षा पेश की। महंगाई के फिर से बढ़ने के खतरे को देखते हुए उन्होंने नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया। लेकिन यह सिर्फ राजन की अंतिम मौद्रिक नीति के तौर पर ही नहीं जानी जाएगी, बल्कि गवर्नर के ‘वीटो पावर’ के अधिकार वाली भी यह अंतिम पॉलिसी होगी। आगामी चार अक्टूबर को रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के नए गवर्नर और केंद्र की तरफ से गठित मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की अगुआई में मौद्रिक नीति की समीक्षा होगी। अब ब्याज नीतिगत दरों को समिति के सभी सदस्यों के मताधिकार के आधार पर तय किया जाएगा न कि आरबीआइ गवर्नर के विवेक के पर। बहरहाल, राजन ने रेपो रेट और बैंक दर को मौजूदा स्तर क्रमश: 6.50 और सात फीसद पर बरकरार रखा है। रेपो रेट वह दर है जिस पर बैंक आरबीआइ से कम अवधि के कर्ज लेते हैं और बैंक दर पर लंबी अवधि के लोन प्राप्त करते हैं। इन वैधानिक दरों में कटौती होती तो आम जनता व उद्योग को सस्ते कर्ज मिलने की राह खुलती। लेकिन राजन ने कहा कि अभी महंगाई का खतरा पूरी तरह टला नहीं है। हालांकि उन्होंने यह भी माना कि महंगाई के बेकाबू होने का खतरा भी फिलहाल नहीं है। यही वजह है कि मार्च, 2017 तक महंगाई दर को पांच फीसद पर स्थिर रखने को लेकर वह आश्वस्त दिखे। मानसून की स्थिति को देखते हुए खरीफ उत्पादन में काफी बढ़ोतरी होने के आसार हैं। इससे महंगाई में कुछ नरमी भी आ सकती है। जानकार भी मान रहे हैं कि चालू वित्त वर्ष के शेष महीनों में ब्याज दरों में कटौती के पूरे आसार हैं। औद्योगिक उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार भी यही चाहती है। अपने कार्यकाल के अंतिम कुछ महीनों के दौरान कुछ लोगों की तरफ से आलोचना का शिकार बने राजन ने उन्हें खास तवजो नहीं दी। आलोचना करने वालों पर तो नहीं, लेकिन राजन ने बैंकों के रवैये पर जरूर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि बैंकों ने आरबीआइ की तरफ से पिछले वित्त वर्ष के दौरान रेपो रेट में 1.50 फीसद की कमी का पूरा फायदा ग्राहकों को नहीं दिया। बैंकों ने कर्ज दरों में सिर्फ 0.60 फीसद की कटौती की है। बैंक इसके लिए हमेशा एक नया बहाना लेकर आ रहे हैं। आरबीआइ गवर्नर राजन का कार्यकाल चार सितंबर को समाप्त हो रहा है। उनकी जगह पर आरबीआइ के नए गवर्नर के चयन की प्रक्रिया जारी है। राजन ने 18 जून को ही सरकार को बता दिया था कि वह गवर्नर पद पर आगे नहीं बने रहना चाहते हैं।अपने तीन वर्ष के कार्यकाल के दौरान मैंने एक-एक दिन का आनंद उठाया है। हर दिन कुछ बेहतर करने की कोशिश की है। आलोचना करने वाले हमेशा होते हैं, लेकिन मुझे कई लोगों ने ‘थैंक यू’ नोट भी भेजा है।
• रेपो दर 6.50 फीसद और रिवर्स रेपो छह फीसद पर बरकार
• नकद आरक्षी अनुपात (सीआरआर) चार फीसद पर बरकार
• मुद्रास्फीति मार्च 2017 तक पांच फीसद के लक्ष्य से ऊपर जाने का जोखिम
• मानसून सामान्य, सातवें वेतन के लागू होने से आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहन मिलेगा
• जीएसटी से कारोबारियों का विश्वास , निवेश बढ़ेगा
• जीएसटी को अप्रैल 2017 से लागू करना चुनौतीपूर्ण
• जीएसटी से महंगाई बढ़ने की अभी से बात करना जल्दबाजी दविदेशी बांडों (एफसीएनआर-बी) के भुगतान से बाजार में उथल पुथल का डर नहीं
• बैंकों ने नीतिगत दरों में कटौती का अब तक ग्राहकों मामूली फायदा ही दिया है
• अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी) संबंधी नियमों पर सामान्य प्रश्नों के तैयार उत्तर आरबीआई की वेबसाइट पर
• धन की सीमांत लागत पर आधारित ऋण की ब्याज दर के नियमों में बदलाव होगा
• विदेशी मुद्रा भंडार 365.7 अरब डालर के रिकार्ड स्तर पर
• चौथी द्वैमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा चार अक्टूबर को होगी
• रेपो दर 6.50 फीसद और रिवर्स रेपो छह फीसद पर बरकार
• नकद आरक्षी अनुपात (सीआरआर) चार फीसद पर बरकार
• मुद्रास्फीति मार्च 2017 तक पांच फीसद के लक्ष्य से ऊपर जाने का जोखिम
• मानसून सामान्य, सातवें वेतन के लागू होने से आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहन मिलेगा
• जीएसटी से कारोबारियों का विश्वास , निवेश बढ़ेगा
• जीएसटी को अप्रैल 2017 से लागू करना चुनौतीपूर्ण
• जीएसटी से महंगाई बढ़ने की अभी से बात करना जल्दबाजी दविदेशी बांडों (एफसीएनआर-बी) के भुगतान से बाजार में उथल पुथल का डर नहीं
• बैंकों ने नीतिगत दरों में कटौती का अब तक ग्राहकों मामूली फायदा ही दिया है
• अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी) संबंधी नियमों पर सामान्य प्रश्नों के तैयार उत्तर आरबीआई की वेबसाइट पर
• धन की सीमांत लागत पर आधारित ऋण की ब्याज दर के नियमों में बदलाव होगा
• विदेशी मुद्रा भंडार 365.7 अरब डालर के रिकार्ड स्तर पर
• चौथी द्वैमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा चार अक्टूबर को होगी
6. बैंकों के ऋण वसूली संबंधी बिल पर संसद की मुहर:- सरकारी बैंकों में गैर निष्पादित परसंपत्तियों (एनपीए) में कमी लाने तथा जानबूझकर ऋण नहीं चुकाने वालों से वसूली को आसान बनाने के प्रावधानों वाले विधेयक को मंगलवार को राज्यसभा से मंजूरी मिलने के साथ ही इस पर संसद की मुहर लग गयी। लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है। लोकसभा से पारित प्रतिभूति हितों का प्रवर्तन और ऋण वसूली विधि एवं प्रकीर्ण उपबंध (संशोधन) विधेयक 2016 को राज्यसभा ने ध्वनिमत से पारित कर दिया। इससे पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस विधेयक पर हुई र्चचा का जबाव देते हुए कहा कि सरकारी बैंकों की वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए सरकार कटिबद्ध है और ऋण देना नकारात्मक गतिविधि नहीं है। बैंकिंग कारोबार की यह सामान्य प्रक्रिया है। बैंकों के ऋण नहीं देने से आर्थिक गतिविधियां थम जाएंगी और ऋण की मांग बढ़ना अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी बात है। उन्होंने कहा कि बैंकों की वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए ही पिछले दो वित्त वर्षो में बैंकों को 50 हजार करोड़ रूपये की पूंजी दी गई है। उन्होंने कहा कि ऋण के गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) में बदलना और जोखिम में फंसना चिंता की बात है। छोटे ऋण लेने वाले भुगतान करते हैं और यही कारण है कि देश में माइक्रोफाइनेंस कंपनियां सफल हो रही है। मुद्रा ऋण भी इसी वजह से सफल रहा है। हालांकि कृषि ऋण और शिक्षा ऋण में कुछ समस्याएं हैं, लेकिन फसल बीमा के जरिये किसानों को राहत पहुंचाने के उपाय किये गये हैं। जेटली ने कहा कि कुछ क्षेत्र हैं, जिसकी वजह से एनपीए में बढ़ोतरी हुयी है। चीन के सस्ते स्टील की वजह से भारतीय कंपनियों पर दबाव बना है और इसकी वजह से इस क्षेत्र में एनपीए बढ़ा है। इसके साथ ही पावर क्षेत्र में भी एनपीए बढ़ा है। कोयला ब्लाकों के रद्द होने से और सरकारी बिजली वितरण कंपनियों के खरीद से कम मूल्य पर बिजली बेचने की वजह से इस क्षेत्र में एनपीए बढ़ा है। इसके साथ ही हाइवे, इन्फ्रास्ट्रक्चर और कपड़ा जैसे क्षेत्र भी एनपीए बढ़ाने में शामिल हैं। हालांकि अब इनके लिए उपाय किए गए हैं और तनाव वाले क्षेत्रों में सुधार होने लगा है। उन्होंने उद्योगपति विजय माल्या का नाम लिए बगैर कहा कि कोई व्यक्ति ऋण लेकर विदेश में जाकर रहने लगता है और अब उसका वकील अदालतों में उसका प्रतिनिधित्व कर रहा है। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए इस संशोधित विधेयक में इलेक्ट्रानिक अदालतें बनाने का प्रस्ताव है, जहां सिर्फ आनलाइन आवदेन करने की जरूरत होगी। ऋण वसूली अपीलीय न्यायाधिकरण में किसी को जाने की जरूरत नहीं होगी और पूरी प्रक्रिया आनलाइन हो जायेगी। संबंधित व्यक्ति को आनलाइन जवाब देना होगा और 180 दिनों में अपीलीय न्यायाधिकरण को अपना निर्णय देना होगा।
7. स्प्रैटली द्वीप समूह पर लड़ाकू विमानों के लिए बनाए हैंगर:- अंतरराष्ट्रीय टिब्यूनल के फैसले के बाद से चीन दक्षिण चीन सागर को सैन्य ठिकाने के तौर पर तब्दील करने में जुटा है। उसने विवादित क्षेत्र के स्प्रैटली द्वीप समूह के फायरी क्रॉस, सुबी और मिसचीफ रीफ पर लड़ाकू विमानों के रुकने के लिए हैंगर बनाए हैं। लड़ाकू विमान न केवल यहां उतर सकते हैं, बल्कि डेरा भी डाल सकते हैं। सुरक्षा मामलों पर नजर रखने वाले अमेरिकी थिंक टैंक ने यह बात कही है। करीब एक महीने पहले अंतरराष्ट्रीय टिब्यूनल ने इस क्षेत्र पर चीन का एकाधिकार खारिज कर दिया था, लेकिन बीजिंग ने इस फैसले को ठुकरा दिया था। सेंटर फॉर स्ट्रैटजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (सीएसआइएस) के मुताबिक यहां पर चीनी वायुसेना के विमान लैंड करने के साथ ही ठहर भी सकते हैं। यह एयरफोर्स स्टेशन के तौर पर काम कर सकेगा। जुलाई में द्वीप समूह के लिए गए चित्रों के विश्लेषण से इसका पता चला है। संस्था ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘इस साल की शुरुआत में सैन्य मालवाहक विमान फायरी क्रॉस रीफ पर उतरा था। इसके बाद से विवादित द्वीप पर सैन्य विमानों को तैनात करने के कोई सुबूत नहीं मिले हैं। लेकिन, तीनों द्वीपों पर तेज गति से हैंगर के निर्माण को देखते हुए परिस्थितियां जल्द ही बदल सकती हैं।’ मालूम हो कि बीजिंग दक्षिण चीन सागर के अधिकांश हिस्से पर अपना दावा ठोकता है। फिलीपींस, वियतनाम, मलेशिया, ताइवान और ब्रुनेई भी इसके अलग-अलग हिस्सों पर अपना दावा बताते हैं। वहीं, अमेरिका इस पूरे क्षेत्र को स्वतंत्र नौवहन क्षेत्र मानता है। चीनी क्षा मंत्रलय ने मंगलवार को भी इन द्वीपों पर अधिकार की बात दोहराई।
पूर्वी चीन सागर पर जापान सख्त : पूर्वी चीन सागर में चीन की घुसपैठ पर जापान ने कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। टोक्यो ने मंगलवार को चीन को स्पष्ट शब्दों में संबंध और बिगड़ने की चेतावनी दी है। सेनकाकू द्वीप के समीप चीनी तटरक्षक बल की गतिविधियां बढ़ने के बाद दोनों देशों के बीच तनाव गहरा गया है। जापान के विदेश मंत्री फुमियो किशिदा ने मंगलवार को चीनी राजदूत चेंग योंगहुआ को दोबारा तलब किया और सख्त नाराजगी जताई। योंगहुआ को शुक्रवार को भी तलब किया गया था। दक्षिण चीन सागर पर चीन ने भारत को स्पष्ट तौर पर चेतावनी दी है। उसने नई दिल्ली को इस विवाद से दूर रहने और अपने आर्थिक हितों पर ध्यान देने की सलाह दी है। चीन के विदेश मंत्री वेंग येई 13 अगस्त को भारत दौरे पर आने वाले हैं। सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने कहा है, ‘अगर भारत आर्थिक सहयोग के लिए अनुकूल माहौल की इछा रखता है तो उसे वेंग की यात्र के दौरान दक्षिण चीन सागर के मसले पर अनावश्यक रूप से उलझने से बचना होगा। दोनों देशों के बीच फिलहाल भारत निर्मित वस्तुओं पर चुंगी कम करने को लेकर बातचीत चल रही है। यदि भारत, चीन से उदार रवैया अपनाने की अपेक्षा रखता है तो ऐसे मौके पर बीजिंग के साथ संबंधों को खराब करना मूर्खता होगी।’ अगले महीने चीन में जी-20 की बैठक प्रस्तावित है। इसे देखते हुए चीन दक्षिण सागर पर ज्यादा से ज्यादा देशों को अपनी तरफ करने की कोशिशों में जुटा है।
पूर्वी चीन सागर पर जापान सख्त : पूर्वी चीन सागर में चीन की घुसपैठ पर जापान ने कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। टोक्यो ने मंगलवार को चीन को स्पष्ट शब्दों में संबंध और बिगड़ने की चेतावनी दी है। सेनकाकू द्वीप के समीप चीनी तटरक्षक बल की गतिविधियां बढ़ने के बाद दोनों देशों के बीच तनाव गहरा गया है। जापान के विदेश मंत्री फुमियो किशिदा ने मंगलवार को चीनी राजदूत चेंग योंगहुआ को दोबारा तलब किया और सख्त नाराजगी जताई। योंगहुआ को शुक्रवार को भी तलब किया गया था। दक्षिण चीन सागर पर चीन ने भारत को स्पष्ट तौर पर चेतावनी दी है। उसने नई दिल्ली को इस विवाद से दूर रहने और अपने आर्थिक हितों पर ध्यान देने की सलाह दी है। चीन के विदेश मंत्री वेंग येई 13 अगस्त को भारत दौरे पर आने वाले हैं। सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने कहा है, ‘अगर भारत आर्थिक सहयोग के लिए अनुकूल माहौल की इछा रखता है तो उसे वेंग की यात्र के दौरान दक्षिण चीन सागर के मसले पर अनावश्यक रूप से उलझने से बचना होगा। दोनों देशों के बीच फिलहाल भारत निर्मित वस्तुओं पर चुंगी कम करने को लेकर बातचीत चल रही है। यदि भारत, चीन से उदार रवैया अपनाने की अपेक्षा रखता है तो ऐसे मौके पर बीजिंग के साथ संबंधों को खराब करना मूर्खता होगी।’ अगले महीने चीन में जी-20 की बैठक प्रस्तावित है। इसे देखते हुए चीन दक्षिण सागर पर ज्यादा से ज्यादा देशों को अपनी तरफ करने की कोशिशों में जुटा है।
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