सरकार के 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम को सफल बनाने तथा भारतीय अर्थव्यवस्था की टिकाऊ प्रगति में बेरिलियम तथा जर्मेनियम जैसे 12 खनिजों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। नीतिगत अनुसंधान से जुड़े संगठन ऊर्जा, पर्यावरण एवं जल परिषद (सीईईडब्ल्यू) ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के साथ मिलकर आज यहां आयोजित एक राष्ट्रीय संवाद में जारी अध्ययन में यह बात कही। 'भारतीय विनिर्माण क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण गैर-ईंधन स्रोत : 2030 के लिए दृष्टिकोण' विषय पर आयोजित इस कार्यक्रम में भारत के लिए इन खनिजों के स्रोतों की पहचान तथा आपूर्ति के जोखिम कम करने के उपायों पर विचार किया गया।अध्ययन में कहा गया है कि बेरिलियम, जर्मेनियम, रेयर अर्थ मेटल्स, रेनियम, टैंटेलम आदि का विमानन, ऑटोमोबाइल्स, कैमरा, रक्षा, मनोरंजन प्रणाली, लैपटॉप, मेडिकल इमेजनिंग, नाभिकीय ऊर्जा तथा स्मार्टफोन जैसे कई उद्योगों तथा आधुनिक प्रौद्योगिकी में इस्तेमाल होता है। सरकार के कार्बन उत्सर्जन कम करने की दिशा में क्षमतावर्द्धन में महत्वपूर्ण योगदान होगा। इनकी मदद से 100 गीगावाट के सौर ऊर्जा लक्ष्य को हासिल करने, हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों के विनिर्माण में तेजी लाने तथा राष्ट्रीय एफिसिएंट लाइटिंग कार्यक्रम को सफल बनाया जा सकेगा। इसके लिए आने वाले वर्षों में महत्वपूर्ण खनिजों की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए भारत को अन्य देशों के साथ रणनीतिक करार करने होंगे।
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