1.जीएसटी के लिए जरूरी संविधान संशोधन (122वां) विधेयक लोस से भी पारित:- अब जबकि देश में जीएसटी लागू कर एक टैक्स व्यवस्था लाने की दिशा में एक और कदम बढ़ा दिया गया है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे ग्राहकों को ‘किंग’ बनाने वाला विधेयक बताया है। लोकसभा में इस विधेयक पर जारी चर्चा में हिस्सा लेते हुए मोदी ने जीएसटी को देश में टैक्स आतंक खत्म करने वाला बताया जो अप्रत्यक्ष कर संग्रह की पूरी व्यवस्था को पारदर्शी बनाएगा और भ्रष्टाचार को कम करने में भी मदद करेगा। दशक भर की राजनीतिक जद्दोजहद के बाद पिछले हफ्ते राज्य सभा से पारित जीएसटी संविधान (122वां) विधेयक सोमवार को लोकसभा में करीब छह घंटे की चर्चा के बाद सर्वसम्मति से पास हो गया। कांग्रेस की ओर से 18 फीसद कैपिंग और इसे मनी बिल के रूप में न लाने की मांग को परोक्ष तौर पर फिर से नकार दिया गया। संविधान संशोधन का यह विधेयक लोकसभा में 443 मतों से पारित हुआ। अन्नाद्रमुक के सदस्यों ने वित्त मंत्री के जवाब से असंतुष्टि प्रकट करते हुए सदन से बहिर्गमन किया। फिर भी पिछले कई वर्षो में सोमवार को ऐतिहासिक सर्वसम्मति दिखी। एक संशोधन को छोड़कर किसी भी मुद्दे पर कोई नकारात्मक वोटिंग नहीं हुई, हालांकि इसकी वजह गफलत ज्यादा रही। अब सरकार की कोशिश इस विधेयक को जल्दी से जल्दी रायों के विधानमंडलों से पारित करवाने की होगी। देश के 16 से ज्यादा राज्यों के विधानमंडलों को इसकी मंजूरी देनी होगी। सरकार ने पहले ही तैयारी कर ली है कि राजग शासित राज्यों इसी महीने इसे अपनी विधानसभा से पारित करा देंगे। जबकि सितंबर तक बाकी के जरूरी राज्यों से भी सहमति के आसार हैं। सरकार की मंशा इसे अप्रैल, 2017 से लागू करने की है। लोकसभा में चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने यह आश्वासन देने से एक तरह से मना कर दिया कि जीएसटी विधेयक मनी बिल के रूप में नहीं लाया जाएगा। साथ ही उन्होंने स्थानीय निकायों के राजस्व के संबंध में क्षेत्रीय दलों की चिंता दूर करते हुए कहा कि राज्य अपने हिस्से के जीएसटी से इन निकायों को राशि दे सकते हैं। लोकसभा में संशोधन विधेयक पेश किया गया तो प्रधानमंत्री करीब ढाई घंटे तक वहां उपस्थित रहे। कांग्रेस की तरफ से जीएसटी विधेयक के असली ‘जन्मदाता’ होने का दावा पेश करने के बीच पीएम ने कहा कि इसका पारित होना न तो किसी दल की सफलता है और न ही किसी सरकार की।
पांच तरीके से मदद
• छोटे उद्यमियों को दूसरे तरीके से भी फायदा होगा क्योंकि इससे औसतन 13 किस्मों के कर खत्म होंगे। मोदी ने जीएसटी को अर्थव्यवस्था को पांच तरीके से मदद पहुंचाने की बात कही।
• अपने अंदाज में उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए पांच एम की जरूरत होगी जिसे जीएसटी पूरा करता है।
• ये हैं: मनी (निवेश), मैन (श्रम), मशीन, मेटेरियल (उत्पाद) और मिनट (समय)। एक अंतरराष्ट्रीय शोध का हवाला देते हुए मोदी ने कहा कि सिर्फ चुंगी प्रथा खत्म होने की वजह से ही 1.40 लाख करोड़ रुपये की बचत होगी।
• चुंगी की वजह से ट्रकों का काफी समय बर्बाद होता है जो अब नहीं होगा। इससे पर्यावरण को लाभ होगा। देश को कम पेट्रोलियम उत्पाद आयात करना होगा जिससे भी बचत होगी।
पांच तरीके से मदद
• छोटे उद्यमियों को दूसरे तरीके से भी फायदा होगा क्योंकि इससे औसतन 13 किस्मों के कर खत्म होंगे। मोदी ने जीएसटी को अर्थव्यवस्था को पांच तरीके से मदद पहुंचाने की बात कही।
• अपने अंदाज में उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए पांच एम की जरूरत होगी जिसे जीएसटी पूरा करता है।
• ये हैं: मनी (निवेश), मैन (श्रम), मशीन, मेटेरियल (उत्पाद) और मिनट (समय)। एक अंतरराष्ट्रीय शोध का हवाला देते हुए मोदी ने कहा कि सिर्फ चुंगी प्रथा खत्म होने की वजह से ही 1.40 लाख करोड़ रुपये की बचत होगी।
• चुंगी की वजह से ट्रकों का काफी समय बर्बाद होता है जो अब नहीं होगा। इससे पर्यावरण को लाभ होगा। देश को कम पेट्रोलियम उत्पाद आयात करना होगा जिससे भी बचत होगी।
2. अब जीएसटी कौंसिल के हाथों में होगी कमान :- जीएसटी की दर क्या होगी? जीएसटी के दायरे में किन उत्पादों को रखा जाएगा या कौन से उत्पाद बाहर रहेंगे? इसे लेकर राजनीतिक दलों में अब भी स्पष्टता नहीं है। लोकसभा में जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान कई सदस्यों ने इन सवालों को उठाया। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने चर्चा का जवाब देते हुए विस्तार से सदन को समझाया कि अब सारी कमान जीएसटी काउंसिल के हाथों में होगी और वही इन सब मसलों के जवाब तलाशेगी। वित्त मंत्री ने बताया कि राज्यों की विधानसभाओं और फिर राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद इस कानून को धरातल पर उतारने की जिम्मेदारी जीएसटी काउंसिल के हाथों में होगी। निर्णय लेने की शक्तियां केंद्र और राज्य से निकलकर जीएसटी काउंसिल में आ जाएंगी जो सामूहिक तौर पर महत्वपूर्ण निर्णय करेगी। सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों की सदस्यता वाली इस काउंसिल की अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री करेंगे। यह काउंसिल कितनी महत्वपूर्ण है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रस्तावित जीएसटी विधेयक का मसौदा भी यही तैयार करेगी। जीएसटी दर 18 प्रतिशत निर्धारित करने की कांग्रेस सदस्यों की मांग के संबंध में भी वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी दरें तय करने का अधिकार जीएसटी काउंसिल के पास होगा। गौरतलब है कि तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक जैसे मैन्यूफैक्चरिंग राज्यों से एक फीसद अतिरिक्त कर की दर वापस लेने के फैसले की आंच जीएसटी काउंसिल में दिख सकती है। यही कारण है कि तमिलनाडु की अन्नाद्रमुक ने दोनों सदनों में विरोध जताते हुए वाकआउट किया। विभिन्न वस्तुओं पर कर की दर तय करने में ऐसे कई मुद्दे जीएसटी काउंसिल के लिए चुनौती बनेंगे। दर की अधिकतम सीमा तय करने की मांग पर कांग्रेस नेता मल्लिकाजरुन खड़गे पर कटाक्ष करते हुए कहा कि कांग्रेस 2015 से पहले खुद नहीं जानती थी कि टैक्स दर क्या रखी जाए और आज वह कैपिंग की बात कर रही है। उन्होंने कहा कि टैक्स दर ऐसी होनी चाहिए जिससे राज्यों और केंद्र को राजस्व का नुकसान न हो। टैक्स की अधिकतम सीमा तय करवाने से पहले कांग्रेस को खुद कांग्रेस शासित राज्यों के वित्त मंत्रियों से पूछना चाहिए कि वे जीएसटी की दर कितने प्रतिशत रखना चाहते हैं। जेटली ने कहा कि केरल के वित्त मंत्री ने जीएसटी की दरें 22 प्रतिशत रखने की बात कही है, वहीं कुछ अन्य रायों ने 20 प्रतिशत की बात कही है। लेकिन हकीकत यह है कि यह दर कितनी होगी, इसका फैसला सभी राज्य मिलकर जीएसटी परिषद में करेंगे। जेटली ने कहा कि अभी हम संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा करे रहे हैं जो केवल जीएसटी काउंसिल के गठन का अधिकार देता है। लेकिन अधिकांश सदस्य उन सभी विषयों को उठा रहे हैं जिन्हें इस काउंसिल के जरिए ही हल होना है। दो या दो से अधिक राज्यों या केंद्र और रायों के बीच होने वाले विवाद का निपटारा कैसे हो, इसका तंत्र भी इसी जीएसटी काउंसिल को तय करना है। वित्त मंत्री ने कहा कि इन सब सवालों के जवाब उनके पास नहीं हैं। इन्हें जीएसटी काउंसिल को ही ढूंढना है और उसमें तकरीबन सभी राजनीतिक दलों के नुमाइंदे वित्त मंत्री के तौर पर शामिल होंगे।
3. 7000 भारतीयों को मिली मलयेशिया की नागरिकता:- मलाया को ब्रिटेन से आजादी मिलने से पहले वहां जन्मे लगभग 7,000 भारतीयों को अफसरशाही से कई साल तक लड़ने के बाद अंतत: मलेशियाई नागरिकता मिल गई है।मलयेशियन इंडियन कांग्रेस (एमआईसी) के अध्यक्ष एस सुब्रमण्यम ने कहा, अब तक लगभग 7,000 भारतीयों को नागरिकता मिल गई है लेकिन बहुत से लोगों का पंजीकरण अभी बाकी है। उन्होंने कहा, औसत तौर पर, नागरिकता हासिल करने के लिए संभवत: 15 हजार से ज्यादा भारतीयों का पंजीकरण अभी बाकी है। इस मुद्दे के हल तक यह प्रक्रि या जारी रहेगी। रविवार को यहां मुरूगन सेंटर द्वारा आयोजित धार्मिक उत्सव ‘‘कल्वी यथिरई’ में शामिल होने के बाद उन्होंने कहा, हम इसे तत्काल सुलझाने के तरीके खोजेंगे। प्रधानमंत्री नजीब रजाक ने हाल ही में कहा था कि जिन्हें अभी नागरिकता नहीं मिली है, उन्हें अपना अधिकार प्राप्त करना चाहिए।सुब्रमण्यम ने उम्मीद जताई के सरकार जातीय भारतीयों के लिए नागरिक पंजीकरण प्रक्रि या को आसान बनाएगी। इसके लिए वह मौजूदा प्रक्रिया तेजी लाने के लिए मौजूदा लालफीताशाही को कम करेगी।
4. अब सुपरफास्ट मालगाड़ी :नागालापल्ली और तुगलकाबाद के बीच सारणीबद्ध ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर किया रवाना:- रेल बजट में पहली बार माल भाड़े में कटौती की घोषणा के मद्देनजर भारतीय रेलवे ने माल ढुलाई क्षेत्र में बड़े पैमाने पर सुधारों की तैयारी शुरू कर दी है। सुधारों की रफ्तार बढ़ने से आने वाले दिनों में रेलवे को बहुत फायदा होगा।रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने सोमवार कहा, ‘‘हमारे देश में समय-सारणी के मुताबिक माल गाड़ी नहीं चलने की वजह से ज्यादातर माल रेलवे के पास नहीं आता। मालगाड़ी कब पहुंचेगी यह कोई नहीं जानता।’ प्रभु ने यहां सकिंदराबाद स्टेशन पर नागलपल्ली-तुगलकाबाद के बीच समय-सारणीबद्ध (साप्ताहिक) ट्रेन को हरी झंडी दिखाने के बाद कहा, ‘‘इस स्थिति में बदलाव के लिए हमने एक कार्यक्र म शुरू किया है और दो जोड़ी समय-सारणीबद्ध रेलगाड़ियां (कागरे एक्सप्रेस) चली हैं और मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि वे अपने गंतव्य तक सुपरफास्ट तरीके से चलते हुए तय समय से पहले पहुंचीं।’उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, रेलवे की दो तिहाई आमदनी माल ढुलाई से होती है, लेकिन हमने इस पर कभी ध्यान नहीं दिया और इसकी उपेक्षा करने से रेलवे की माल ढुलाई में हिस्सेदारी कम हुई है और आने वाले दिनों में यह चिंता का विषय होगा कि रेलवे इसमें अपनी मदद कैसे करेगी।’ प्रभु ने कहा, ‘‘इस तरह, रेलवे बजट के इतिहास में पहली बार इस साल से हमने माल ढुलाई में कटौती की प्रक्रि या शुरू की है। देश में माल ढुलाई क्षेत्र में सुधार कल्पनातीत है और सुधार से आने वाले दिनों में रेलवे को फायदा होगा।’उन्होंने कहा कि देश में रेलवे ऊर्जा का सबसे बड़ा उपयोक्ता है। ऊर्जा का उपयोग उचित तरीके से किया जाना चाहिए और बिजली की लागत कम करने के लिए कई पहलें करने की जरूरत है। मंत्री ने कहा, ‘‘रेलवे के अस्तित्व के लिए (ऊर्जा पर व्यय घटाकर) लागत कम करना जरूरी है। यह अस्तित्व का सवाल है और हमने ऊर्जा की बचत के लिए बड़ी नीतियां बनाई हैं।’ उन्होंने कहा कि पिछले दो साल में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने रेल बजट यात्रियों की सुविधाओं को ध्यान में रखकर बनाया है और बजट में आम आदमी के लिए सब कुछ है। रेल मंत्री ने कहा, ‘‘यात्रियों के लिए लिफ्ट, एलीवेटर, ई-टिक, मांग के अनुरूप खानपान की व्यवस्था, मशीनों से कपड़ों की धुलाई, नए दीन दयाल डब्बे जैसी सुविधाओं पर बड़ा निवेश किया जा रहा है।’प्रभु ने इस समारोह में ही 11,307 गुलबर्गा-हैदराबाद दैनिक इंटरसिटी एक्सप्रेस और 11,083 मुंबई एलटीटी-काजीपेट साप्ताहिक तादोबा एक्सप्रेस को वीडियो रिमोट लिंक के जरिए झंडी दिखाकर रवाना किया। उन्होंने कहा कि लंबे समय से लटकी पड़ी ये दोनों मांग अब पूरी हो गई हैं।
5. देश में 111 नदियों में बनाए जाएंगे जलमार्ग : सरकार:- सरकार ने सोमवार को कहा कि देश में 111 नदियों में जलमार्ग बनाए जाएंगे जिससे काफी फायदा होगा। राज्यसभा में पोत परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने पूरक प्रश्नों के जवाब में कहा कि देश में गंगा सहित 111 नदियों में जलमार्ग बनाने का प्रस्ताव है जो एक क्रांतिकारी बदलाव होगा। यह काफी लाभकारी साबित होगा। उन्होंने कहा कि अभी देश में जलमागरे की हिस्सेदारी महज 3.6 प्रतिशत की है और 2018 तक इसे सात प्रतिशत से अधिक तक ले जाने के प्रयास किए जा रहे हैं।मंत्री ने कहा कि नए जलमागरे के विकास से मछुआरों पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा, बल्कि इसके विपरीत उन्हें लाभ होगा। उन्होंने कहा कि चीन में जलमार्ग परिवहन की हिस्सेदारी 47 प्रतिशत है। कोरिया और जापान में यह 40 प्रतिशत से अधिक है। यूरोपीय देशों में भी जलमार्ग महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। गडकरी ने कहा कि सरकार 2018 तक जलमागरे की हिस्सेदारी को सात प्रतिशत से अधिक तक ले जाना चाहती है।उन्होंने गंगा नदी से जुड़ी परियोजनाओं का ब्योरा भी दिया और कहा कि लक्ष्य यह है कि 2020 तक इससे 200 लाख टन माल का निर्यात होगा। मंत्री ने नदियों के पानी में संचालित विभिन्न क्र ूजों का भी ब्योरा दिया और कहा कि इस महीने 12 अगस्त को वह वाराणसी से दो और पोतों का उद्घाटन करेंगे।जलमागरे के विकास से मछुआरा समुदाय को नुकसान होने की आशंकाओं पर गडकरी ने कहा कि वह यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि जलमागरे के विकास का मछुआरों के लिए सकारात्मक असर होगा क्योंकि वे अपने मछली उत्पादन को बढ़ा सकेंगे जिससे इसका निर्यात भी बढ़ेगा। उन्होंने यह भी कहा कि नदी यातायात पण्राली लगाए जाने से मछुआरों को जीपीएस के जरिए बाढ़ आदि की संभावना की बेहतर सूचना मिल सकेगी। मंत्री ने बताया कि मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड एक प्रायोगिक संचालन शुरू करेगी जिसके तहत इस महीने राष्ट्रीय जलमार्ग-। के जरिए वाराणसी से कोलकाता तक इसकी कारों को परिवहन किया जाएगा।
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