दक्षिण चीन सागर मसले पर अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण के आए फैसले के बाद चीन की मुश्किलें बढ़ती प्रतीत हो रही हैं। पड़ोसी देश चीन को घेरने में जुट गए है। इस कड़ी में फिलीपींस की जीत के बाद अब वियतनाम, मलेशिया, इंडोनेशिया, ब्रूनेई और ताइवान भी कानून के जरिये अपने दावे को सत्यापित करने की संभावना तलाशने लगे हैं। माना जा रहा है कि इससे प्राकृतिक संपदा संपन्न इस इलाके में तनाव और बढ़ेगा। इस बीच फिलीपींस ने चीन से न्यायाधिकरण के फैसले का सम्मान करते हुए उसका समुद्री क्षेत्र खाली करने के लिए कहा है।
हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय द्वारा गठित न्यायाधिकरण ने दक्षिण चीन सागर पर फिलीपींस के दावे को सही पाया है। पांच जजों वाले न्यायाधिकरण ने चीन के नाइन डेश लाइन वाले 69 साल पुराने समुद्री सीमा के दावे को नकार दिया है। इसी के आधार पर चीन दक्षिण चीन सागर के 85 प्रतिशत क्षेत्रफल पर अपना दावा करता है। फैसले पर चीन के कड़े रुख को देखते हुए अमेरिका ने इलाके के देशों के साथ बातचीत शुरू कर दी है।
न्यूयॉर्क स्थित विदेशी मामलों की प्रमुख संस्था काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन के जेरोम कोहेन के अनुसार फैसले से वियतनाम और इंडोनेशिया खुश हुए हैं जबकि मलेशिया को भी अछा लगा है। अगर चीन ने तवजो नहीं दी तो वियतनाम और इंडोनेशिया भी अपने दावे अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में पेश कर सकते हैं। वियतनाम स्पार्टली और पार्सेल द्वीपों पर अपना अधिकार बताता है जबकि इंडोनेशिया नातुना द्वीप को अपना बताता है। ये द्वीप चीन की नाइन डेश लाइन सीमा के भीतर आते हैं अर्थात चीन इन्हें अपना मानता है।
जापान उत्साहित : हेग न्यायाधिकरण के फैसले ने पूर्व चीन सागर मसले पर जापान को भी उत्साहित किया है। जापान के चीफ कैबिनेट सेक्रेटरी योशीहिडे सूजा ने कहा है कि हम सागर क्षेत्र के दावे पर कायम हैं। जापान ओकीनोटोरी द्वीप पर अपने दावे को लेकर कानूनी लड़ाई लड़ने का मूड बना रहा है।
अमेरिका की सलाह : अमेरिका ने एक बार फिर दक्षिण चीन सागर मसले पर चीन से संयम बरतने की अपील की है। कहा है कि न्यायाधिकरण के आए फैसले की रोशनी में शांतिपूर्ण और कूटनीतिक प्रयासों से विवाद को निपटाए। व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जोश अर्नेस्ट ने कहा है कि उकसावे वाली कार्रवाई और भड़काऊ बयानबाजी की जगह शांतिपूर्ण प्रयासों से विवाद को सुलझाया जाए, इससे सभी का लाभ होगा। जवाब में सरकार समर्थित चीनी मीडिया ने अमेरिका और जापान को कागजी शेर करार देते हुए चीन सागर क्षेत्र में किसी भी सैन्य अभ्यास का उचित जवाब दिए जाने की बात कही है।
आसियान में फूट : दक्षिण चीन सागर पर आए न्यायाधिकरण के फैसले को स्वीकार करने के लिए चीन पर दबाव बनाने की मुहिम को लेकर आसियान देशों में फूट पड़ गई है। दस देशों के दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के इस गठबंधन में लाओस और कंबोडिया चीन पर दबाव डालने वाला संयुक्त बयान जारी करने के पक्ष में नहीं हैं। जबकि ज्यादातर देश चीन के खिलाफ हैं। इस गठबंधन में फिलीपींस, मलेशिया, इंडोनेशिया, ताइवान, वियतनाम आदि शामिल हैं।
चाहते हैं शांतिपूर्ण हल :भारत और जापान ने दक्षिण चीन सागर विवाद से जुड़े सभी पक्षों से शांतिपूर्ण तरीके से विवाद का हल करने को कहा है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के फैसले का सम्मान करने और धमकी या बल प्रयोग न करने की सलाह दी है। रक्षा मंत्री मनोहर र्पीकर और जापान के रक्षा मंत्री जनरल नाकातानी ने मुलाकात के बाद ये बातें कहीं।
हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय द्वारा गठित न्यायाधिकरण ने दक्षिण चीन सागर पर फिलीपींस के दावे को सही पाया है। पांच जजों वाले न्यायाधिकरण ने चीन के नाइन डेश लाइन वाले 69 साल पुराने समुद्री सीमा के दावे को नकार दिया है। इसी के आधार पर चीन दक्षिण चीन सागर के 85 प्रतिशत क्षेत्रफल पर अपना दावा करता है। फैसले पर चीन के कड़े रुख को देखते हुए अमेरिका ने इलाके के देशों के साथ बातचीत शुरू कर दी है।
न्यूयॉर्क स्थित विदेशी मामलों की प्रमुख संस्था काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन के जेरोम कोहेन के अनुसार फैसले से वियतनाम और इंडोनेशिया खुश हुए हैं जबकि मलेशिया को भी अछा लगा है। अगर चीन ने तवजो नहीं दी तो वियतनाम और इंडोनेशिया भी अपने दावे अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में पेश कर सकते हैं। वियतनाम स्पार्टली और पार्सेल द्वीपों पर अपना अधिकार बताता है जबकि इंडोनेशिया नातुना द्वीप को अपना बताता है। ये द्वीप चीन की नाइन डेश लाइन सीमा के भीतर आते हैं अर्थात चीन इन्हें अपना मानता है।
जापान उत्साहित : हेग न्यायाधिकरण के फैसले ने पूर्व चीन सागर मसले पर जापान को भी उत्साहित किया है। जापान के चीफ कैबिनेट सेक्रेटरी योशीहिडे सूजा ने कहा है कि हम सागर क्षेत्र के दावे पर कायम हैं। जापान ओकीनोटोरी द्वीप पर अपने दावे को लेकर कानूनी लड़ाई लड़ने का मूड बना रहा है।
अमेरिका की सलाह : अमेरिका ने एक बार फिर दक्षिण चीन सागर मसले पर चीन से संयम बरतने की अपील की है। कहा है कि न्यायाधिकरण के आए फैसले की रोशनी में शांतिपूर्ण और कूटनीतिक प्रयासों से विवाद को निपटाए। व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जोश अर्नेस्ट ने कहा है कि उकसावे वाली कार्रवाई और भड़काऊ बयानबाजी की जगह शांतिपूर्ण प्रयासों से विवाद को सुलझाया जाए, इससे सभी का लाभ होगा। जवाब में सरकार समर्थित चीनी मीडिया ने अमेरिका और जापान को कागजी शेर करार देते हुए चीन सागर क्षेत्र में किसी भी सैन्य अभ्यास का उचित जवाब दिए जाने की बात कही है।
आसियान में फूट : दक्षिण चीन सागर पर आए न्यायाधिकरण के फैसले को स्वीकार करने के लिए चीन पर दबाव बनाने की मुहिम को लेकर आसियान देशों में फूट पड़ गई है। दस देशों के दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के इस गठबंधन में लाओस और कंबोडिया चीन पर दबाव डालने वाला संयुक्त बयान जारी करने के पक्ष में नहीं हैं। जबकि ज्यादातर देश चीन के खिलाफ हैं। इस गठबंधन में फिलीपींस, मलेशिया, इंडोनेशिया, ताइवान, वियतनाम आदि शामिल हैं।
चाहते हैं शांतिपूर्ण हल :भारत और जापान ने दक्षिण चीन सागर विवाद से जुड़े सभी पक्षों से शांतिपूर्ण तरीके से विवाद का हल करने को कहा है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के फैसले का सम्मान करने और धमकी या बल प्रयोग न करने की सलाह दी है। रक्षा मंत्री मनोहर र्पीकर और जापान के रक्षा मंत्री जनरल नाकातानी ने मुलाकात के बाद ये बातें कहीं।
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