दैनिक समसामयिकी
30 July 2016(Saturday)
1.शांति और सुरक्षा विकास से अलग नहीं : भारत:- भारत ने शांति स्थापित करने और संघर्ष से बचने के लिए समावेशी तरीका अपनाने की जरूरत को रेखांकित करते हुए कहा है कि शांति और सुरक्षा को विकास से जुड़े व्यापक मुद्दों से अलग करके नहीं देखा जा सकता।‘‘अफ्रीका में शांति स्थापना’ के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की र्चचा में शामिल होते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी उप प्रतिनिधि तन्मय लाल ने कहा कि संघर्ष से बचने के लिए और शांति की स्थापना के लिए समावेशी नजरिया जरूरी है। उन्होंने कहा, ‘‘शांति एवं सुरक्षा को विकास से जुड़े व्यापक मुद्दों से अलग करके नहीं देखा जा सकता और संघर्ष से बचने एवं शांति की स्थापना के लिए एक ज्यादा समावेशी नजरिया अपनाने की जरूरत है।’लाल ने कहा कि पिछले साल महत्वाकांक्षी टिकाऊ विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को अंगीकार करते समय जिस भावना का प्रदर्शन किया गया था, वह साझा लक्ष्यों को हासिल करने के लिए साझा संसाधनों की गोलबंदी पर की जाने वाली र्चचाओं से मेल नहीं खाते। यह बात ‘‘दुखद’ है। उन्होंने कहा, ‘‘यह एक बार फिर दिखाता है कि आज की दुनिया में शांति और समृद्धि के स्थान नहीं हो सकते। हम इसे अपने चारों ओर देख सकते हैं। हम इसे सीमाओं के पार आतंकियों की बढ़ती पहुंच, बढ़ते शरणार्थी संकट और घृणित विचारधाराओं के प्रसार के रूप में देख सकते हैं।’अफ्रीका के साथ भारत के प्राचीन जुड़ाव को रेखांकित करते हुए लाल ने कहा कि दोनों देशों ने विऔपनिवेशीकरण, रंगेभद उन्मूलन, विकासशील देशों के अधिकारों के लिए एकसाथ मिलकर काम किया है और अब वे महत्वपूर्ण विकास साझेदार हैं। उन्होंने कहा कि भारत की ओर से उपलब्ध करवाई गई अब तक की पहली महिला पुलिस इकाई को लाइबेरिया में तैनात किया गया है और इसे लैंगिक समानता के आदर्श मॉडल के रूप में मान्यता मिली है।
2. भारतीय स्टेट बैंक ने शुरू की संपदा प्रबंधन सेवा:- देश के सबसे बड़े वाणिज्यिक बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने राजधानी दिल्ली में अपनी संपदा प्रबंधन सेवाएं एसबीआई एक्सक्लुसिव शुरू की है जिसके तहत ग्राहकों को टेलीफोन या वीडियो काल के जरिये भी सेवाएं दी जाएंगी।बैंक की अध्यक्ष अरुंधति भट्टाचार्य ने यह घोषणा करते हुए कहा कि बेंगलुरु में पायलट परियोजना की सफलता को देखते हुए यह सेवा शुरू की गई है और अगले वर्ष मार्च तक पूरे देश में यह सेवा उपलब्ध होगी। उन्होंने कहा कि अगले कुछ महीने में 37 केन्द्रों पर ये सेवाएं शुरू हो जाएंगी। इन केंद्रों का नाम ई-वेल्थ होगा जहां रिलेशनशिप प्रबंधक होंगे जो व्यक्तिगत तौर पर ग्राहकों को हैंडल करेंगे।उन्होंने कहा कि एसबीआई के साथ ही दूसरे बैंकों को भी संपदा प्रबंधन सेवाएं दी जाएंगी और इसके लिए कुछ शुल्क भी वसूला जाएगा। हालांकि उन्होंने शुल्क की राशि के बारे में नहीं बताया लेकिन कहा कि यह मामूली ही होगा। इसके जरिये अमीरों को उनके संपदा को बेहतर प्रबंधन के बारे में बताया जाएगा।उन्होंने बताया कि इसके लिए कुछ संपदा प्रबंधक नियुक्त किए गए हैं तथा अपने कर्मचारियों में भी कुछ का इसके लिए चयन किया गया है। इसके साथ इस सेवा के लिए प्रौद्योगिकी कंपनियों और उत्पाद साझेदारों के साथ गठबंधन किए गए हैं।
3. म्यांमार में भी भारत की ‘लोकतांत्रिक’ कूटनीति:- वर्षो से म्यांमार के सैनिक शासकों ने जिस तरह से चीन का दामन थाम रखा था अब वहां लोकतांत्रिक सरकार के आने से हालात बदल सकते हैं। म्यांमार की लोकतांत्रिक सरकार ने इस बात के साफ संकेत दे दिए हैं कि वह हर तरह से भारत के साथ करीबी रिश्ते को लेकर उत्साहित हैं। भारत ने भी अपनी ‘लोकतांत्रिक कूटनीति’ के तहत म्यांमार को ढांचागत क्षेत्र के विकास से लेकर लोकतांत्रिक बुनियाद को मजबूत करने में मदद देने का आश्वासन दिया है। हाल के वर्षो में अफगानिस्तान के बाद म्यांमार पड़ोस का दूसरा देश होगा जिसके लोकतांत्रिक आधारों को मजबूत बनाने में भारत मदद करेगा। भारत को उम्मीद है कि इससे म्यांमार में चीन की बढ़ते प्रभाव को वह रोकने में सफल रहेगा। पिछले सोमवार को भारत के विदेश राय मंत्री वीके सिंह लाओस की राजधानी वियंतियेन में म्यांमार की लोकप्रिय नेता व मौजूदा सरकार में विदेश मंत्री आंग सान सू से मुलाकात की थी। दोनों देशों के रिश्तों को आगे बढ़ाने को लेकर लंबी बातचीत हुई थी। विदेश मंत्रलय के प्रवक्ता विकास स्वरूप का कहना है कि दोनों के बीच म्यांमार को कई क्षेत्रों में मदद देने पर बातचीत हुई। भारत ने अपनी तरफ से यह पहल की है कि वह म्यांमार में लोकतांत्रिक संस्थानों को मजबूत बनाने में पूरी मदद करेगा। इसमें सांसदों को प्रशिक्षण देने, केंद्र व रायों के बीच संबंधों को परिभाषित करने, संघवाद को मजबूती से लागू करने, अधिकारों का वितरण संबंधी विषयों पर मदद शामिल होगा। इसके अलावा दोनों देशों के बीच की दो अहम परियोजनाओं कालादन मल्टी मोडल ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट और एशियन ट्राइलेटरल हाइवे की प्रगति पर भी चर्चा हुई। कालादन प्रोजेक्ट कोलकाता बंदरगाह को म्यांमार की सितवे बंदरगाह से जोड़ने वाली परियोजना है। इस प्रोजेक्ट को जोड़ने से पूवरेत्तर भारत के रायों के साथ ही म्यांमार को भी फायदा होगा। परियोजना के जल्द ही पूरा होने के आसार हैं। इसमें समुद्री, नदी व सड़क मार्ग को संयुक्त तौर पर विकसित किया जा रहा है। इसके अलावा एशियन ट्राइलेटरल हाइवे परियोजना भारत, म्यंमार और थाइलैंड के बीच बेहतरीन सड़क मार्ग से जोड़ने वाली परियोजना है। इन दोनों परियोजनाओं को म्यांमार में चीन के बढ़ते असर को काटने की भारत की कोशिशों के तौर पर देखा जा रहा है। लेकिन इसका अहम फायदा भारत के पूवरेत्तर रायों को भी मिलेगा। भारत की तरफ से म्यांमार को रबर कोटेड सड़कों के निर्माण और सौर ऊर्जा में तकनीकी हस्तांतरण व अन्य मदद का भी आश्वासन दिया गया है। सू क्यू ने खास तौर पर सौर ऊर्जा के जरिए एक लाख मेगावाट बिजली पैदा करने की भारत की महत्वाकांक्षी योजना को लेकर रुचि दिखाई है। माना जा रहा है कि सू क्यू जल्द ही भारत की यात्र पर आएंगी तब इन सभी मुद्दों पर समझौते किए जाएंगे। भारत ने इस कूटनीतिक के तहत ही अफगानिस्तान को एक लोकतांत्रिक देश बनने में काफी मदद की है। वहां के सांसदों को प्रशिक्षण देने से लेकर वहां संसद भवन का निर्माण करने और संसदीय व्यवस्था चलाने तक में भारत ने सबसे ज्यादा मदद की है। नतीजा यह है कि वहां शांति की सभी पक्षधर पार्टियां व आम जनता के बीच भारत की साख मजबूत है।
4. कार्बन डाइऑक्साइड को ईंधन में बदलेगा नया सोलर सेल:- वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की बढ़ती मात्र ने पूरी दुनिया नींद उड़ा रखी है। इसके स्तर को कम करने के लिए तरह-तरह के उपाय किए जा रहे हैं। इस दिशा में अमेरिकी वैज्ञानिकों ने उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। उन्होंने ऐसा सोलर सेल बनाने का दावा किया है जो कार्बन डाइऑक्साइड को हाइड्रोकार्बन ईंधन में परिवर्तित करने में सक्षम है। इलिनॉय यूनिवर्सिटी, शिकागो के शोधकर्ता आमीन सालेही खोजिन ने बताया कि नई सौर बैट्री फोटोवोल्टिक के बजाय फोटोसिंथेटिक होगी। उन्होंने कहा, ‘ऊर्जा उत्पादन के लिए जीवाश्म ईंधन के प्रयोग से ग्रीनहाउस गैस में वृद्धि होती है। अब इस प्रक्रिया को पलट दिया जाएगा। सूर्य की रोशनी का इस्तेमाल करते हुए वातावरण में मौजूद कार्बन को रिसाइकल कर उसे ईंधन में परिवर्तित किया जाएगा।’ पौधे जहां शुगर के तौर पर ईंधन पैदा करते हैं, वहीं कृत्रिम पत्तियां सिनगैस (सिंथेसिस गैस) का उत्पादन करेंगी। हाइड्रोजन और कार्बन मोनोक्साइड के मिश्रण को सिनगैस कहते हैं। इसका सीधे या फिर डीजल या अन्य हाइड्रोकार्बन ईंधन के तौर पर इस्तेमाल संभव है। शोधकर्ताओं ने बताया कि कार्बन डाइऑक्साइड को ईंधन बनाने में एक गैलन गैसोलीन के उत्पादन के बराबर खर्चा आएगा। नए मिश्रण का प्रयोग : इस प्रक्रिया को अंजाम देने के लिए वैज्ञानिकों ने कई तरह के उत्प्रेरक (कैटलिस्ट) पर विचार किया, लेकिन वे कारगर साबित नहीं हुए। इसके बाद ट्रांजीशन मेटल डाइचालकोजेनाइड्स या टीएमडीसी नामक मिश्रण का इस्तेमाल किया गया। सीओ-2 को ईंधन में तब्दील करने वाली रासायनिक अभिक्रिया को रिडक्शन रिएक्शन कहते हैं। यह ऑक्सीकरण या दहन के विपरीत है।
5. 2022 तक भारत में दोगुने होंगे बाघ:- केंद्रीय पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे ने उम्मीद जताई है कि विश्व के 70 फीसद बाघों के घर भारत में वर्ष 2022 तक इन वन्य जीवों की संख्या दोगुनी हो सकती है। लेकिन उसके लिए उनका संरक्षण और समुचित देखभाल जरूरी है। दवे ने अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस पर शुक्रवार को बताया कि देश के 17 रायों और 49 सेंचुरी में कुल 2,226 बाघ हैं। एक स्वस्थ बाघ स्वस्थ पर्यावरण का प्रतीक है। भारत सेंटपीटर्सबर्ग के लक्ष्य को हासिल करने की कोशिश में है। जिसके तहत अगले छह साल में बाघों की संख्या दोगुनी करनी होती है। 13 टाइगर रेंज कंट्री (टीआरसी) में भारत बाघों की संख्या के मामले में सबसे आगे है। इन सभी देशों में बाघ संरक्षित वन्य जीव हैं। भारत के अलावा अन्य टीआरसी देशों जैसे नेपाल, भूटान और रूस में भी बाघों की तादाद में इजाफा हुआ है। वॉक फॉर टाइगर अभियान को हरी झंडी दिखाते हुए दवे ने बताया कि विश्वभर से पर्यटक इन बाघों को देखने आते हैं। छात्रों को भी बाघों के संरक्षण के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए।
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