निजी निवेश में सुस्ती के मद्देनजर सरकार सार्वजनिक व्यय बढ़ाकर मांग में सुधार लाने का प्रयास कर रही है। इसका अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीनों में बजटीय लक्ष्य के मुकाबले व्यय पिछले वित्त वर्ष के शुरुआती दो महीनों की अपेक्षा अधिक रहा है। खासकर अप्रैल और मई में योजनागत व्यय में पिछले साल के मुकाबले तेजी देखी गयी है। कंट्रोलर जनरल ऑफ एकाउंट्स (सीजीए) के अनुसार वित्त वर्ष 2016-17 के शुरुआती दो महीनों (अप्रैल-मई) में योजनागत व्यय 90570 करोड़ रुपये रहा है जो बजटीय लक्ष्य का 16.5 प्रतिशत है। जबकि पिछले वित्त वर्ष के दौरान अप्रैल और मई महीने में बजट में आवंटित योजनागत राशि का मात्र 13.3 प्रतिशत ही खर्च हो सका था। सरकार ने आम बजट 2016-17 में योजनागत आवंटन 5,50,010 करोड़ रुपये किया है। सूत्रों का कहना है कि निजी क्षेत्र के निवेश की रफ्तार सुस्त है। यही वजह है कि अर्थव्यवस्था में मांग को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार विभिन्न उपाय कर रही है। इसी के तहत बजट में आवंटित धनराशि को समय पर खर्च करने पर जोर दिया जा रहा है। हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्रिपरिषद की बैठक में भी सभी मंत्रियों को उनके विभागों से संबंधित बजटीय आवंटन को समय पर खर्च करने को कहा था। ऐसे में चालू वित्त वर्ष के शुरुआती दो महीनों में योजनागत व्यय का प्रतिरूप इस ओर इशारा करता है। सूत्रंे ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में सरकार के लिए राजकोषीय घाटे पर काबू पाना मुश्किल नहीं होगा इसलिए मंत्रलयों को आवंटित राशि खर्च करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
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