Thursday, 11 August 2016

15 July 2016..4. ब्रिटेन : ब्रेक्जिट के बाद:- विचारधारा


• ब्रिटेन पूंजीवादी राष्ट्र रहा है, जिसके कारण उसने प्रारंभिक स्तर पर राजतंत्र शासन पण्राली को अपना कर साम्राज्यवादी विचारधारा को प्राथमिकता दी।
• यूरोपीय संघ से अलग होने के बाद ब्रिटेन ने अपना नया प्रधानमंत्री चुन लिया है। नई प्रधानमंत्री थेरेसा मे को सत्ता संभालने के साथ ही कई देशों से बधाइयां मिलने लगीं। जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने थेरेसा को बातचीत के लिए बर्लिन आमंत्रित किया है और कहा है कि वह उनके साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार हैं। 
• फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने भी ब्रिटेन की नई प्रधानमंत्री से ब्रेक्जिट मसले पर जल्द वार्ता शुरू करने का आग्रह किया है। अमेरिका ने भी कहा है कि वह ब्रिटेन की नई सत्ता के साथ मिल कर काम करने को तैयार है।
• उधर सत्ता संभालने के तुरंत बाद थेरेसा ने कहा है कि अब ब्रिटेन दुनिया में अपने लिए एक बड़ी साहसी भूमिका गढ़ेगा। उन्होंने कहा, उनकी सरकार सिर्फ कुछ विशेष लोगों के लिए नहीं बल्कि सभी लोगों के लिए काम करेगी। 
• थेरेसा ने अपनी पार्टी का पूरा नाम लेकर कहा, कंजरवेटिव एंड यूनियनिस्ट पार्टी की होने के नाते वह यूनाइटेड किंगडम के सभी भागों को साथ लेकर चलेंगी। थेरेसा मे ने वर्ग और युवाओं के साथ होने वाले भेदभाव, नस्ल भेद और लिंग भेद से लड़ने का वादा भी किया।
• ब्रेक्जिट के बाद ब्रिटेन की विदेश नीति पर थेरेसा सरकार निश्चित ही कुछ परिवर्तन करेगी। ब्रिटेन की अब तक चली आ रही विदेश नीति पर एक नजर
विदेश नीति
• अगस्त 1945 में द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद ब्रिटेन की स्थिति पहले जैसी नहीं थी। ब्रिटेन को द्वितीय विश्वयुद्ध से दोतरफा क्षति हुई थी।
• ब्रिटेन के साम्राज्यवादी राष्ट्रों में आजादी की मांग गति पकड़ रही थी। इसमें उन्हें स्वतंत्र करने की मांग ब्रिटेन नकार नहीं सकता था।
• ब्रिटेन की शक्ति का पतन व्यापक पैमाने पर हुआ था, जिसमें आर्थिक, राजनीतिक एवं व्यापारिक हितों को काफी क्षति हुई थी।
• 1945 से पहले ब्रिटेन साम्राज्यवादी काल के अंतर्गत शोषण, दमन एवं अत्याचार की नीति पर अमल करता रहा।
• 1945 के बाद से ब्रिटेन की स्थिति यूरोप की राजनीति में नगण्य हो गई। इसके स्थान पर अमेरिका का वर्चस्व बढ़ गया था। पूर्वी यूरोप के राष्ट्रों में साम्यवाद की लहर बढ़ रही थी।
• जर्मनी, फ्रांस, इटली, जापान आदि सभी देश पराजित हो गए थे। यूरोपीय देशों में असुरक्षा की भावना बढ़ रही थी। इसे रोकने के लिए अमेरिका ने नाटो संगठन का निर्माण किया। इसका असर ब्रिटेन की विदेश नीति पर भी पड़ा।
कूटनीति के तत्व
• ब्रिटेन के अंग्रेज विश्व में कूटनीति के क्षेत्र में प्रसिद्ध रहे थे। ब्रिटेन की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक स्थिति अन्य राष्ट्रों से भिन्न प्रकार की रही थी। इससे जातिगत गुणों का प्रभाव ब्रिटेन की विदेश नीति पर ज्यादा पड़ा है।
• ब्रिटेन ने कूटनीति के द्वारा सबसे ज्यादा सौदेबाजी की। इस कारण इसका प्रभाव अन्य राष्ट्रों पर भी व्यापक रूप से पड़ा था।
• 1945 के बाद से ब्रिटेन की विदेश नीति में कूटनीति को एक हथियार के रूप में माना गया। जिससे वह नए-नए संबंधों की स्थापना करके अपना अस्तित्व बरकरार रखे हुए है। इसके साथ फाकलैंड जैसी समस्या का समाधान करने में भी सफल हुआ।
• ब्रिटेन ने औपचारिक और अनौपचारिक कूटनीति का इस्तेमाल अपनी आवश्यकता के अनुसार किया।

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