लोकसभा में बुधवार को आयकर अधिनियम 1961 और सीमाशुल्क अधिनियम 1975 में और संशोधन करने वाला एक विधेयक पेश किया गया। इसमें किसी पूर्ववर्ती सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी का पुनर्गठन करने या उसे अलग कंपनियों के रूप में विभाजित करने को ‘‘विभाजन’ की परिभाषा के दायरे में लाने का प्रावधान किया गया है। निचले सदन में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कराधान विधि संशोधन विधेयक 2016 पेश किया। विधेयक के कारणों एवं उद्देश्यों में कहा गया है कि किसी पूर्ववर्ती सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी का पुनर्गठन करने या उसे अलग कंपनियों के रूप में विभाजित करने और सरकार से शेयरों का हस्तांतरण करने की शतरे को प्रभाव में लाने के लिए इस तरह के पुनर्गठन या अलग कंपनियों के रूप में विभाजित करने को ‘‘विभाजन’ की परिभाषा के दायरे में लाने की जरूरत है। इसके तहत आयकर अधिनियम 1961 की धारा 80 जेजेएए को वित्त अधिनियम 2016 से बदला गया। इसमें परिधान निर्माण कारोबार की मौसमी प्रकृति को देखते हुए कर्मचारियों की कार्यावधि से जुड़े विषय भी शामिल हैं। इसमें कहा गया है कि अभी मार्बल ब्लाक, ग्रेनाइट ब्लाक, स्लैब गैर तटकर या शुल्क व्यवस्था के तहत आते हैं जो सीमाशुल्क अधिनियम 1975 की पहली अनुसूची के तहत 10 प्रतिशत की दर से सीमा शुल्क से संबंधित है। इसमें तटकर या शुल्क को लचीला बनाने के लिए विधेयक में व्यवस्था की गई है और इसे डब्ल्यूटीओ से जुड़ी दर के अनुरूप बनाने की बात कही गई है।
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