Sunday, 21 August 2016

दैनिक समसामयिकी 01 August 2016(Monday)


1.मोदी ने साइबर अपराध पर चेताया:- लालकिले से अपने तीसरे संबोधन से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता से पूरी तरह रोजमर्रा की जिंदगी पर संवाद किया। रविवार को ‘मन की बात’ में वे आधे घंटे तक खेल-खिलाड़ी, स्वास्थ्य और इनोवेशन जैसे मुद्दों पर बोलते रहे। इसके अलावा लोगों को फर्जी मेल और मैसेज की धोखाधड़ी से बचने के लिए खासतौर पर आगाह किया। प्रधानमंत्री की चेतावनी इसलिए अहम है, क्योंकि फर्जी मेल भेजकर लाखों की चपत लगाने के मामले में आरबीआइ और बैंकों ने हाथ खड़े कर दिए हैं। उनके पास अब तक फिसिंग मेल की रोकथाम के लिए कोई तकनीकी व्यवस्था नहीं है। हर साल ऐसी घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री ने भी इसे गंभीरता से लिया। उन्होंने एक घटना का जिक्र करते हुए आगाह किया एक व्यक्ति ने पैसे और गिफ्ट के लोभ में जीवनभर की कमाई गंवा दी। अपने संबोधन में मोदी ने गर्भवती महिलाओं के लिए एक योजना का एलान किया। इसके तहत अब वे गर्भ धारण करने के बाद से लेकर हर महीने की नौ तारीख को मुफ्त अपने स्वास्थ्य की जांच करवा पाएंगी। यह जांच सरकारी अस्पतालों में होगी। मोदी ने डेंगू को लेकर भी आगाह किया। वहीं डॉक्टर की सलाह के बगैर एंटीबायटिक का इस्तेमाल नहीं करने की सलाह दी। महात्मा गांधी और दूसरे सेनानियों को याद करते हुए उन्होंने जनता से स्वतंत्रता दिवस उत्सव की फोटो व वीडियो उनके एप पर भी डालने का अनुरोध किया। रविवार को ‘रन फार रियो’ को झंडी दिखाने के बाद मोदी ने पहले खेल और खिलाड़ी की ही बात की। लोगों से उन्होंने भारतीय खिलाड़ियों के लिए ‘नरेंद्रमोदी एप’ पर शुभकामना भेजने की अपील की, ताकि खिलाड़ियों तक उसे पहुंचाया जा सके।
2. त्रिपुरा बड़ी रेललाइन से जुड़ा, बांग्लादेश भी जाएगी ट्रेन:- पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा बड़ी रेल लाइन (ब्रॉडगेज ) से जुड़ गया है। रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने रविवार को अगरतला-दिल्ली यात्री ट्रेन को हरी झंडी दिखाई। ‘त्रिपुरा सुंदरी एक्सप्रेस’ हर रविवार को चलेगी। यह गुवाहाटी-न्यू जलपाईगुड़ी होते 48 घंटे में नई दिल्ली पहुंचेगी। इसके साथ ही क्षेत्र के लिए एक बड़ी सौगात के रूप में रेल मंत्री ने भारत और बांग्लादेश के बीच रेल परियोजना की आधारशिला भी रखी। 968 करोड़ रुपये की लागत वाली परियोजना का सारा खर्च भारत उठाएगा। 15 किमी लंबी रेल लाइन से अगरतला और बांग्लादेश का अखौरा जुड़ जाएगा। इसका निर्माण कार्य 2017 तक पूरा कर लिया जाएगा. रेल मंत्री सुरेश प्रभु और उनके बांग्लादेशी समकक्ष मुजीबुल हक ने संयुक्त रूप से परियोजना का शिलान्यास किया। यह ट्रांस एशियन रेलवे नेटवर्क का हिस्सा होगी। इससे पूर्वोत्तर राज्यों की बांग्लादेश वाया कोलकाता से दूरी कम हो जाएगी। अभी बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल के बीच ही रेल संपर्क है।
2010 में अंतिम रूप : अगरतला-अखौरा परियोजना को जनवरी, 2010 में नई दिल्ली में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना और तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की मुलाकात के दौरान अंतिम रूप दिया गया था। 2012-13 के रेल बजट में परियोजना को मंजूरी मिली। जून, 2015 में बांग्लादेश की यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हसीना के साथ रेल परियोजना पर चर्चा की थी। रेल लाइन बिछाने के लिए जमीन अधिग्रहण के लिए 97 करोड़ रुपये जारी कर दिए गए हैं।
रेल लाइन सबरूम तक बढ़ेगी : रेल ट्रैक को बढ़ाकर त्रिपुरा के दक्षिणी शहर सबरूम तक ले जाया जाएगा। यहां से बांग्लादेश के चटगांव बंदरगाह की दूरी महज 75 किमी रह जाएगी।
3. मानव तस्करी से बचाव व पुनर्वास को बनेगा राष्ट्रीय संगठन:- सरकार ने मानव तस्करी की समस्या से सख्ती के साथ निपटने के लिए कमर कस लिया है। इससे मुकाबले के लिए नैबटिप नाम से राष्ट्रीय स्तर पर एक संगठन बनेगा। इस संस्था की अपनी स्वतंत्र जांच एजेंसी होगी, जो हॉट लाइन के जरिये देश के विभिन्न हिस्सों में अपनी गतिविधियों का संचालन करेगी। महिला एवं बाल कल्याण मंत्रलय द्वारा तैयार इंडिया ट्रैफिकिंग इन पर्सन (प्रिवेंशन) एक्ट-2016 के मसौदे में इस तरह का प्रावधान किया गया है। प्रेट्र के हाथ लगे प्रस्तावित बिल के मसौदे के अनुसार, द नेशनल ब्यूरो ऑफ ट्रैफिकिंग इन पर्सन्स (नैबटिप) की कमान ऐसे अधिकारी के हाथ में सौंपी जाएगी, जिसे अंतर्रायीय मानव तस्करी से जुड़े मामलों से निपटने में विशेषज्ञता हासिल होगी। इस संस्था से जुड़ी स्वतंत्र जांच एजेंसी को नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी आन ट्रैफिकिंग इन पर्सन्स (एनआइएटीआइपी) कहा जाएगा। इसका नेतृत्व अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक स्तर का अधिकारी करेगा। बिल को तैयार करते समय इस बात का खास ख्याल रखा गया है कि नैबटिप की जांच एजेंसी के कामकाज से पुलिस की मौजूदा मानव तस्करी रोधी यूनिट का टकराव न होने पाए। इसलिए एनआइएटीआइपी को रेफरल एजेंसी बनाया गया है। इसे मानव तस्करी के अंतर्रायीय या सीमावर्ती मामलों की जांच के लिए ही कहा जाएगा। अंतरराष्ट्रीय स्तर के मामलों का संज्ञान यह जांच एजेंसी खुद ले सकती है। बिल के प्रावधानों के मुताबिक, एनआइएटीआइपी राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय मानव तस्करों का डाटाबेस रखेगी। साथ ही यह भी प्रस्तावित किया गया है कि मानव तस्करी से निपटने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक कम्युनिकेशन चैनल स्थापित किया जाए। इसके तहत नैबटिप के कामकाज को देश भर में हाट लाइन से जोड़ने की योजना है। इसके अलावा नैबटिप का एक सलाहकार बोर्ड भी होगा। महिला एवं बाल कल्याण विभाग के सचिव इसके प्रमुख होंगे। सलाहकार बोर्ड में गृह, श्रम, सामाजिक न्याय, स्वास्थ्य, सूचना तकनीक एवं विदेश मंत्रलय के संयुक्त सचिव स्तर तक के अधिकारी सदस्य के रूप में नामित होंगे। महिला एवं बाल कल्याण मंत्रलय ने इस वर्ष मई में बिल का मूल मसौदा जारी किया था। उसके कई प्रावधानों पर सवालिया निशान लगने के बाद उसने मानव तस्करी को लेकर प्रस्तावित बिल का संशोधित मसौदा तैयार किया है।
4. रक्षा समेत नए प्रौद्योगिकी उद्योगों में है रफ्तार बढ़ाने की संभावना:- देश में मैन्यूफैक्चरिंग की रफ्तार बढ़ाने के लिए सरकार केवल पारंपरिक उद्योगों पर ही निर्भर नहीं है। यह इस बात पर भी निर्भर करेगा कि रक्षा समेत नई प्रौद्योगिकी पर आधारित उद्योग देश में इकाई लगाने में कितनी दिलचस्पी लेते हैं। बीते दो साल में सरकार ने इस दिशा में काफी खुलापन दिखाया है। रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में निजी कंपनियों को बढ़ावा देने का असर भी दिखने लगा है। साथ ही मोबाइल फोन से लेकर इलेक्ट्रॉनिक चिप उद्योग ने भी भारत में इकाई लगाने की संभावनाओं का लाभ उठाना शुरू कर दिया है। मेक इन इंडिया का एलान होने के बाद मोबाइल हैंडसेट का निर्माण करने वाली चीन की कंपनियां भी भारत की तरफ आकर्षित हो रही हैं। चीन में निर्माण इकाई चलाने की लागत बढ़ने के बाद बीते दो साल में दो-तीन मोबाइल कंपनियां भारत में उत्पादों का निर्माण शुरू करने का एलान कर चुकी हैं। वैसे अभी उनके लिए यह काम भारत में पहले से मौजूद फॉक्सकॉम कर रही है। सरकार की तरफ से होने वाले प्रयास यदि वास्तव में जमीन पर उतरे तो आने वाले दो साल में इस दिशा में काफी प्रगति हो सकती है। इसके अलावा सरकार को इलेक्ट्रॉनिक चिप उद्योग से भी काफी उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली है। बीते दो साल में मैन्यूफैक्चरिंग की रफ्तार धीमी रहने के चलते मेक इन इंडिया कार्यक्रम की सफलता का दारोमदार अब काफी हद तक रक्षा उत्पादन और नई टेक्नोलॉजी से जुड़े उद्योगों पर आ गया है। पारंपरिक उद्योग में विस्तार का काम तब तक शुरू नहीं हो पाएगा, जब तक घरेलू बाजार में मांग नहीं बढ़ती। लिहाजा सबसे यादा उम्मीदें रक्षा उत्पादन के क्षेत्र से ही हैं। अभी तक यह क्षेत्र सरकारी कंपनियों के प्रदर्शन पर ही निर्भर था। मोदी सरकार ने इस क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोलकर नई संभावना पैदा की है। केवल नीतिगत फैसला ही नहीं रक्षा क्षेत्र में सरकार की तरफ से आया खुलापन भी रक्षा उत्पादन क्षेत्र के तेज विकास की तरफ संकेत कर रहा है। हाल ही में महाराष्ट्र के अहमदनगर में छोटी-बड़ी, घरेलू और विदेशी कंपनियों के करीब 200 प्रतिनिधियों को सेना की आयुध जरूरतों को नजदीक से देखने-समझने का मौका मिला। इस दौरान इन कंपनियों ने न केवल सेना द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे उत्पादों को देखा, बल्कि इन्हें इस्तेमाल करने वाले सैनिकों, अधिकारियों की जरूरत और काम करने के माहौल को भी समझने का मौका मिला। देश को अगले एक दशक में सेना की जरूरतें पूरी करने और उसे आधुनिक बनाने के लिए अनुमानत: 150 अरब डॉलर खर्च करने हैं। वर्तमान में भारत अपनी जरूरत का करीब 60 फीसद आयात से ही पूरा करता है। अब सरकार रक्षा उत्पादन क्षेत्र को निजी क्षेत्र के लिए खोलकर आयात पर निर्भरता को कम करना चाहती है। मोदी सरकार की यह नई पारदर्शिता और कंपनियों की सेना के साथ सहयोग की भावना सैन्य उत्पादों में नई टेक्नोलॉजी को लाने में सहायक होगी। कैग की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 2007 से 2012 के दौरान हुए सेना के हथियारों और उपकरणों के करीब दो तिहाई सौदे किसी न किसी वजह से अटके रहे। करीब साढ़े चार अरब डॉलर के इन सौदों में देरी की वजह से सेना के आधुनिकीकरण की योजना भी प्रभावित हुई। यह देरी भी आयातित हथियारों के चलते हुई। अहमदनगर की प्रदर्शनी में देश-विदेश की लगभग उन सभी कंपनियों ने हिस्सा लिया जिन्होंने रक्षा उत्पादन क्षेत्र के उदारीकरण के बाद इनकी मैन्यूफैक्चरिंग में उतरने का फैसला लिया है। फिर वह चाहे आनंद महिंद्रा की महिंद्रा एंड महिंद्रा हो या फिर टाटा समूह, लार्सन एंड टूब्रो और भारत फोर्ज।
5. तेल कंपनियों के विलय की तैयारी:- केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धम्रेंद्र प्रधान ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों का विलय कर विशाल कंपनी बनाने के के मुद्दे पर सरकार र्चचा के लिए तैयार है।प्रधान ने कहा, ‘‘सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की तेल खोज एवं उत्पादन (ईएंडपी) कंपनियों और तेल विपणन कंपनियों के मुद्दे पर बातचीत करने की योजना बना रही है।’ सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों में इंडियन आयल, भारत पेट्रोलियम, हिंदुस्तान पेट्रोलियम, ओएनजीसी और ओआईएल जैसी बड़ी कंपनियां शामिल हैं। उन्होंने कहा कि कच्चे तेल के दाम कम हो रहे हैं। ईएंडपी कंपनी ओएनजीसी और ऑयल इंडिया का लाभ और मार्जिन कम हो रहा है।उन्होंने कहा कि दोनों कंपनियों का लाभ प्रभावित हुआ है। इसलिए हाल ही में एक सार्वजनिक उपक्र म के एक निदेशक ने इस मुद्दे को उठाया कि ईएंडपी कंपनियों का विलय तेल विपणन कंपनियों के साथ कर दिया जाए। प्रधान ने कहा कि मंत्रालय के भीतर इस मसले पर बातचीत करने में कोई बुराई नहीं है।इसके अलावा पश्चिमी तट पर महाराष्ट्र में एक विशाल तेल शोधक संयंत्र के निर्माण के निर्माण की योजना के संबंध में पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि इसके लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रि या शुरू की जानी है। प्रस्तावित तेल शोधन संयंत्र की कुल क्षमता दो चरणों में 6 करोड़ टन तक पहुंचाई जाएगी।
6. आय के मामले में काफी पीछे हैं कृषि प्रधान देश के किसान:- देश में खेती के चक्रव्यूह में फंसे किसानों की औसत मासिक आय 6426 रूपये है, जबकि कृषक परिवारों पर औसत बकाया कर्ज 47000 रूपये का है। बिहार के किसानों की मासिक आय देश में सबसे कम केवल 3558 रूपये ही है। राष्ट्रीय नमूना सव्रेक्षण कार्यालय की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।आकड़ों के अनुसार कृषि के क्षेत्र में बुलंदी का झंडा गाडने वाले पंजाब के किसान परिवारों का मासिक आय सबसे अधिक 18059 रूपये है जबकि हरियाणा के किसानों की आय 14434 रूपये है। जम्मू कश्मीर के किसान मासिक 12683 रूपये अर्जित करते हैं। पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों के किसानों की स्थिति अन्य राज्यों के किसानों की तुलना में बेहतर है। मेघालय के किसान परिवारों की मासिक औसत आय 11792 रूपये , अरुणचल प्रदेश में 10869 रूपये और नागालैंड के किसानों की आय 10048 रूपये है। मिजोरम के किसानों की आय 9099 रूपये है, मणिपुर में 8842 रूपये , सिक्किम में 6798 रूपये और त्रिपुरा के किसान इस क्षेत्र में सबसे कम 5429 रपए मासिक अर्जित करते है। इस क्षेत्र के सबसे बड़े राज्य असम के किसान 6695 रपए मासिक कमा पाते हैं। मध्य प्रदेश के किसानों की आय 6210 रूपये , गुजरात में 7926 रूपये , महाराष्ट्र में 7386 रूपये , राजस्थान में 7350 रूपये और छत्तीसगढ़ में 5177 रूपये है। देश के सबसे बड़े राज्य यूपी में किसानों की मासिक आय करीब 4923 रूपये है जबकि इससे अलग हुए उत्तराखंड में यह आय 4701 रूपये है।
7. ट्यूनीशिया संसद में गिरी हबीब की सरकार :- अरबदेशों में क्रांति की शुरुआत करने वाले ट्यूनीशिया में शनिवार को प्रधानमंत्री हबीब एसीद की सरकार अविश्वास प्रस्ताव में गिर गई। अब सोमवार को चार प्रमुख राजनीतिक पार्टियों का गठबंधन नए प्रधानमंत्री की तलाश करेगा। दो साल से भी कम सत्ता में रहे टेक्नोक्रेट हबीब को केवल तीन वोट मिले। कुल 191 सांसदों में से 118 ने अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में वोट दिए। जबकि सरकार को गिराने के लिए केवल 109 वोट की जरूरत थी। एसीद की सरकार का जाना इस साल के शुरू में ही तय हो गया था, जब राष्ट्रपति बेजी कैद एसेब्सी से उनके मतभेद उजागर हो गए थे। राष्ट्रपति ने उनसे कहा था कि राजनीतिक दलों में मतभेद खत्म करने के लिए वे यूनिटी सरकार बनाएं। ताकि देश के सामने आई आर्थिक और सुरक्षा संबंधी चुनौतियों का मजबूती से सामना किया जा सके। देश में पहली बार सरकार को अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा। देश में 2011 की क्रांति के बाद से लोकतंत्र है। नया संविधान 26 जनवरी 2014 को लागू हुआ। उसके बाद अक्टूबर में चुनाव हुए और नई सरकार बनी। लेकिन आतंकी हमले कम नहीं हुए, आर्थिक व्यवस्था पटरी पर नहीं लौटी। युवाओं को रोजगार मिलने की उम्मीदें पूरी नहीं हुईं। इसलिए सरकार के खिलाफ नाराजगी थी। ट्यूनीशिया में 2010 में क्रांति हुई थी। करीब 23 साल से राज कर रहे जैन-अल-अबेदीन बेन अली को देश छोड़ कर भागना पड़ा था। उसके बाद मिस्र, यमन, सीरिया और लीबिया में क्रांति हुई। मिस्र में सेना ने क्रांति के बाद चुनी हुई सरकार का तख्ता पलटा, लीबिया में कर्नल गद्दाफी के पतन के बाद आज तक अराजकता है। सीरिया में गृहयुद्ध चल रहा है। यमन आतंकी हमलों को जेल रहा है। केवल ट्यूनीशिया में क्रांति के बाद लोकतंत्र कायम है।
8. इस्रइल से वार्ता समय सीमा में हो : फिलिस्तीन:- पेरिस में अमेरिका के विदेशमंत्री जॉन केरी के साथ बैठक के बाद फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने कहा, इस्रइल के साथ शांति वार्ता की कोई भी शुरुआत एक निश्चित समय सीमा के साथ और अंतरराष्ट्रीय देखरेख के अंतर्गत होनी चाहिए।वरिष्ठ फिलिस्तीनी अधिकारी साएब इराकात ने कहा, अब्बास ने ‘‘द्विराष्ट्र’ समाधान को हासिल करने की संभावनाओं को लेकर फ्रांस के विदेशमंत्री ज्यां मार्क आयरा से भी बातचीत की। उन्होंने दोनों वार्ताओं को ‘‘काफी रचनात्मक’ बताया।शनिवार को इराकात ने बताया, हमें वार्ता के लिए एक समयसीमा की जरूरत है और इसके क्रि यान्वयन के लिए भी एक खास समयसीमा की जरूरत है, और हमें एक अंतरराष्ट्रीय रूपरेखा की जरूरत है जो किसी भी समझौते के क्रि यान्वयन को सुनिश्चित कर सके। फ्रांस ने 2014 के अंतिम दौर की वार्ता की विफलता के बाद इस्रइली-फिलिस्तीनी शांति वार्ता को फिर से बहाल करने के लिए एक ताजा पहल की अगुवाई की है। इराकात ने कहा, अब्बास ने फ्रांस के इस पहल में इस साल के अंत तक एक अंतराष्ट्रीय सम्मेलन बुलाने को लेकर हमारे पूर्ण समर्थन को फिर से दोहराया है।फिलिस्तीनी वार्ताकार ने बताया, अवरोध को तोड़ने और शांति वार्ता को आगे बढ़ाने को लेकर चल रहे गतिरोध को तोड़ने के लिए फ्रांस, अमेरिका और अभी हाल के मिस के प्रयासों के बीच कोई विरोधाभास नहीं है। उन्होंने बताया, इन सभी प्रयासों का उद्देश्य 1967 की तर्ज पर आधारित द्विराष्ट्रीय समाधान निकालने के लिए शांतिवार्ता को बहाल करना है। जो एक-दूसरे के पूरक हैं। केरी ने भी फ्रांसीसी समकक्ष से इस्रइली-फिलिस्तीनी संघर्ष के मुद्दे पर बातचीत की।
ल्यूक एकिन्स:- अमेरिका में 42 वर्षीय एक स्काईडाइवर ने बिना पैराशूट के 18 हजार फुट से अधिक की ऊंचाई से छलांग लगाकर और नीचे नेट में उतरकर इतिहास रच दिया है। वह ऐसा करने वाला पहला व्यक्ति बन गया।ल्यूक एकिन्स शनिवार को 18 हजार फुट से अधिक की ऊंचाई से छलांग लगाने एवं दो मिनट तक नीचे गिरने के बाद सिमी वैली के बाहरी क्षेत्र स्थित बिग स्काई मूवी के खेतों में लगे 100 फुट गुणो 100 फुट के नेट पर उतरे।

No comments:

Post a Comment