देश के करीब डेढ़ सौ जिलों में उच्च जन्म दर की समस्या बनी हुई है। जनसंख्या नियंत्रण के लिए इन जिलों में जमीनी स्तर पर योजना बनाकर कार्य किए जाने की जरूरत है। यह बात विश्व जनसंख्या दिवस पर आयोजित जिम्मेदारी निभाओ-प्लान बनाओ, कार्यशाला में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कही। देश में 23 जिले सर्वाधिक जन्म दर के शिकार हैं। इनमें प्रति महिला औसतन चार या इससे अधिक बच्चे जन्म देने की दर है। इनमें सबसे ज्यादा 11 जिले उत्तर प्रदेश के, आठ जिले बिहार के और दो-दो जिले राजस्थान व मध्य प्रदेश के हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इन जिलों पर हमें ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। इसी प्रकार से सात रायों के 123 जिलों में जन्म दर 3.0 से 3.9 प्रतिशत के बीच है। इसलिए इन 146 जिलों में जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम को ज्यादा ध्यान देकर लागू किए जाने की जरूरत है। इसके लिए जमीनी स्तर पर एक-एक घर को ध्यान में रखकर योजना बनाए जाने और उसे क्रियान्वित किए जाने की जरूरत है। भारत ने इस जन्म दर को कम करके 2.1 पर लाने का लक्ष्य निर्धारित कर रखा है। नड्डा ने कहा कि बढ़ी हुई जन्म दर के कारणों में आधारभूत सुविधाओं की कमी, सामाजिक व सांस्कृतिक वजह और शिक्षा का अभाव है। हर जिले में अलग तरह का माहौल है, इसलिए उसको लेकर अलग तरह की योजना की जरूरत भी होगी। आने वाले दो-तीन महीनों में हमें यह कार्य पूरा कर लेना है, जिससे अगले जनसंख्या दिवस पर हम सही जवाब देने की स्थिति में हों। इसके लिए परिवार नियंत्रण में हमें पुरुषों की भूमिका बढ़ानी होगी। नड्डा ने कहा, जन्म दर के बाद शिशु मृत्यु दर पर भी हमें ध्यान देना होगा। उसमें सुधार के लिए गंभीर प्रयास करने होंगे। कार्यक्रम में स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते भी शामिल हुए।
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