Sunday, 21 August 2016

दैनिक समसामयिकी 24 July 2016(Sunday)

1.एचएफसी गैसों में कटौती का वादा:- विकसित और विकासशील देशों ने धरती के तापमान में वृद्धि का कारण बन रही एचएफसी गैसों के इस्तेमाल में कटौती करने का वादा दोहराया है।धरती को गर्म होने से बचाने में मदद करने वाली ओजोन परत को बचाने के लिए किए गए ऐतिहासिक मांट्रियल समझौते पर गठित कार्यसमूह की वियना में चल रही 38 वीं बैठक में भारत ने एचएफसी गैसों से जुड़े प्रामाणिक आंकड़े जारी किए जाने के महत्व को रेखांकित किया। बैठक में अन्य पक्षों ने भी इस मसले पर भारत का समर्थन किया। उन्होंने कहा है कि ऐसे आंकड़ों की अनुपलब्धता के कारण मांट्रियल समझौते के अनुच्छेद पांच के तहत आने वाले और इससे बाहर वाले देशों के लिए एक बेस लाइन का निर्धारण कर पाना बड़ी चुनौती होगा। अनुच्छेद पांच के तहत विकासशील देश आते हैं जबकि गैर अनुच्छेद पांच में विकसित देश हैं। भारत का कहना है कि एचएफसी के आंकड़े इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इससे इन देशों के लिए एक बेस लाइन के निर्धारण में मदद मिलेगी। इसके आधार पर एचएफसी की भविष्य में खपत और उत्सर्जन की सीमाएं तय की जा सकेंगी। बैठक में पेश किए गए सम्मेलन पत्र में भारत ने मॉट्रियल समझौते के तहत गठित पर्यावरण कोष में और अधिक लचीलापन और पारदर्शिता लाने का सुझाव भी दिया है। यह कोष पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों से निबटने के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध करने वाला एक मात्र अंतरराष्ट्रीय स्रोत है।
2. आज से शुरू होगा हरित रेलगाड़ी गलियारा:- भारतीय रेलवे स्वच्छ भारत अभियान में महती भूमिका निभाने के उद्देश्य से रविवार को देश के प्रथम हरित रेलगाड़ी गलियारा का शुभारंभ करेगी। इस पर चलने वाली सभी यात्री गाडियों में मानव अपशिष्ट निर्वहन मुक्त जैव शौचालय होंगे। रेल मंत्री सुरेश प्रभु स्वच्छ भारत की दिशा में इस यात्रा की शुरुआत करेंगे। प्रभु रेलगाड़ियों से मानव अपशिष्ट निर्वहन मुक्त रामेश्वरम मानामदुरै प्रथम हरित रेलगाड़ी गलियारा का चेन्नई में वीडियो कांफ्रेंसिंग के द्वारा उद्घाटन करेंगे। चेन्नई रामेश्वरम खंड पर 114 किलोमीटर लंबे रामेश्वरम मानामदुरै खंड की पहचान मानव अपशिष्ट निर्वहन मुक्त हरित रेलगाड़ी गलियारा बनाने के लिए की गई। इसी के अनुरूप 286 डिब्बों से निर्मित इस खंड में चलने वाली 10 यात्री गाड़ियों में जैव शौचालयों की व्यवस्था की गई है। रामेश्वरम- मानामुदुरै के बाद ओखा कनालास जंक्शन (141 किलीमोटर), पोरबंदर-वंशजलिया (34 किलोमीटर) एवं जम्मू-कटरा (78 किलोमीटर) खंडों को भी रेलगाड़ियों से मानव अपशिष्ट निर्वहन मुक्त बनाने का कार्य शुरू किया जाएगा। इसके लिए लगभग 1110 डिब्बों से निर्मित करीब 35 रेलगाडियों में जैव शौचालयों का प्रावधान किया जाएगा एवं इस पर कार्य वर्तमान में जारी है।
3. ग्रोथ के लिए खर्च बढ़ाएं प्रमुख जी20 देश:- अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आइएमएफ) ने चेतावनी दी है कि ग्लोबल इकोनॉमी के लिए जोखिम बढ़ रहे हैं। सुस्ती ने इसे अपनी गिरफ्त में ले रखा है। इससे निपटने के लिए आइएमएफ ने प्रमुख जी20 देशों से सरकारी खर्च में बढ़ोतरी की अपील की है। चीन के दक्षिण पश्चिमी शहर चेंगदू में शनिवार को दुनिया की टॉप 20 अर्थव्यवस्थाओं के केंद्रीय बैंक के प्रमुख और वित्त मंत्री जुटे। ये ब्रेक्जिट के कारण उपजी नई परिस्थितियों के परिप्रेक्ष्य में ग्लोबल अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौतियों का समाधान खोजेंगे। आइएमएफ के मुताबिक, ग्लोबल ग्रोथ कमजोर बनी हुई है। इसके नीचे की ओर जाने के जोखिम यादा हैं। यूरोपीय संघ (ईयू) से ब्रिटेन के बाहर निकलने के पक्ष में हुई वोटिंग (ब्रेक्जिट) के मद्देनजर आर्थिक और राजनीतिक अनिश्चितता बढ़ने पर ग्रोथ और भी यादा प्रभावित हो सकती है। हाल में आइएमएफ ने इस साल और अगले साल के लिए ग्लोबल ग्रोथ के अनुमानों को घटा दिया है। ग्लोबल ग्रोथ के लिए अप्रैल में अपने ताजा अनुमानों में उसने 0.1 फीसद की कटौती की है। आइएमएफ चाहता है कि जर्मनी और अमेरिका जैसी विकसित अर्थव्यवस्थाएं इंफ्रास्ट्रक्चर में सार्वजनिक खर्च को और यादा बढ़ाएं। इससे ग्लोबल ग्रोथ को रफ्तार देने में मदद मिलेगी।
ब्रेक्जिट पर ब्रिटेन दबाव में
कुछ यूरोपीय और एशियाई देशों से ब्रिटेन पर दबाव बन रहा है कि वह यूरोपीय संघ से निकलने की दिशा में अधिक तत्परता दिखाए। हालांकि, अमेरिका का कहना है कि यह प्रक्रिया काफी संवेदनशील है और इसमें जल्दबाजी नहीं की जानी चाहिए। दरअसल, फ्रांस और इटली जैसे देश अब इस संबंध में अधिक स्पष्टता चाहते हैं कि कितनी जल्दी ब्रिटेन ईयू से निकलने की प्रक्रिया शुरू करता है।
4. बैंक्रप्सी कोड जल्द लागू करने को बनेगी समिति:- व्यवसाय करने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए सरकार बैंक्रप्सी कोड को लागू करने में जुट गयी है। इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए केंद्र एक उच स्तरीय समिति बनाने जा रहा रहा है। यह समिति बैंक्रप्सी कोड (दिवालियेपन पर कानून) का शीघ्र क्रियान्वयन सुनिश्चित करेगी। इस समय दिवालियेपन के मामलों के लिए कई कानून मौजूद हैं। वर्तमान आवश्यकताओं को देखते हुए नया कानून बनाने की जरूरत है।सूत्रों ने कहा कि यह उच स्तरीय समिति वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में होगी। इसमें वित्त मंत्रलय और कॉरपोरेट मामलात मंत्रलय के शीर्ष स्तरीय अधिकारी शामिल होंगे। माना जा रहा है कि इस कोड को लागू करने में शुरुआती कठिनाइयां आ सकती हैं इसलिए सरकार यह कदम उठा रही है। दिवालियेपन पर नया कानून ‘इंसॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड, 2016’ मई में संसद से पारित हुआ है। इस कानून के बनने से विश्व बैंक की ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ इंडेक्स पर भारत की रैंक सुधरने की उम्मीद जतायी जा रही है। फिलहाल इस रैंकिंग में भारत का स्थान 130वां है और इस मामले में देश के पीछे होने की बड़ी वजह यह है कि देश में अब तक दिवालियेपन पर कोई समग्र और आधुनिक कानून नहीं था। यही वजह है कि सरकार, उद्योग जगत और वित्तीय क्षेत्र के विशेषज्ञ संसद से दिवालियेपन पर कानून पारित होने को बड़ा सुधार करार दे रहे हैं। इस कोड के पारित होने से पहले देश में दिवालियेपन के मुद्दों के समाधान की जटिल प्रक्रिया थी। विश्व बैंक की वर्ष 2016 की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की ओवरऑल रैंकिंग में भारत का स्थान 130वां होने के बावजूद दिवालियेपन के समाधान के मामले में देश का नंबर 136वां था। खास बात यह है कि बीते वर्षो में इसमें कोई सुधार नहीं आ रहा था। विश्व बैंक जून से लेकर अगले वर्ष मई तक किसी भी देश में कारोबार की प्रक्रिया सरल बनाने के उपायों का आकलन करने के बाद यह रैंक तैयार करता है।


5. सैयद हैदर रज़ा:- रंग और कूची से चित्रकला के विश्व कैनवास पर भारतीय अवधारणाओं और आइकनोग्राफी को शोहरत की बुलंदी पर पहुंचाने और आधुनिक चित्रकला की विशाल विरासत खड़ी करने वाले भारतीय चित्रकार सैयद हैदर रज़ा के शनिवार को निधन के साथ आधुनिक भारतीय कला के एक युग का अंत हो गया।अपनी अमूर्त कलाकृतियों के माध्यम से ‘‘बिंदु’, ‘‘पुरूष-प्रकृति’ और ‘‘नारी’ जैसी अवधारणों को कैनवास पर उकेर कर उन्होंने विश्वभर में अपनी ख्याति अर्जित की थी। मध्यप्रदेश के मंडला जिले के बवारिया में 1922 में जन्मे रज़ा ने 12 साल की छोटी सी उम्र में अपने हाथ में कूची थाम ली थी। हाई स्कूल से निकलने के बाद उन्होंने कला की दुनिया अपनाने का फैसला किया। नागपुर स्कूल ऑफ आर्ट में 1939 से 1943 तक उन्होंने चित्रकला की तालीम ली।

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