‘राष्ट्रीय अपीलीय अदालत’ (नेशनल कोर्ट ऑफ अपील) के गठन की संभावना पर विचार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है। यदि अपीलीय अदालत का गठन हो जाता है, तो इसके बाद से सुप्रीम कोर्ट सिर्फ संविधान की व्याख्या और राष्ट्रीय महत्व से जुड़े मामलों पर विचार करेगा। हालांकि, केंद्र सरकार इस प्रस्ताव का विरोध कर रही है। बुधवार को मुख्य न्यायाधीश जस्टिस टीएस ठाकुर, आर भानुमति और यूयू ललित की पीठ ने इस संबंध में दायर जनहित याचिका को संविधान पीठ के पास भेज दिया। अब सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीश इस मुद्दे पर विचार करेंगे। वी वसंत कुमार नामक व्यक्ति ने सवरेच न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर राष्ट्रीय अपीलीय अदालत का गठन करने की मांग की है। मुंबई, कोलकाता और चेन्नई में क्षेत्रीय पीठ बनाने का सुझाव दिया गया है। लेकिन केंद्र सरकार का कहना है कि यह एक आत्मघाती कदम होगा। 28 अप्रैल को इस याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र ने कहा कि अपना मामला लेकर हर व्यक्ति को सुप्रीम कोर्ट आने का अधिकार है। अलग से एक अदालत बनाकर सुप्रीम कोर्ट आने से किसी को रोका नहीं जा सकता है। अपीलीय अदालत में जिस पक्ष की हार होगी, वह भी तो इसे संवैधानिक मामला बताते हुए बाद में सुप्रीम कोर्ट पहुंच जाएगा। इस मामले में न्याय मित्र केके वेणुगोपाल ने सुझाव दिया है कि सुप्रीम कोर्ट को खुद को संविधान की व्याख्या और राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों तक सीमित रखना चाहिए। शेष मामलों को अपीलीय अदालत के पास भेज दिया जाना चाहिए।
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