Sunday, 21 August 2016

दैनिक समसामयिकी 25 July 2016(Monday)


1.नेपाल में गहराया राजनीतिक संकट:- अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग से पहले ही नेपाल के प्रधानमंत्री पद से केपी ओली के इस्तीफे के बाद देश में राजनीतिक संकट एक बार फिर गहरा गया है। ओली ने अविश्वास प्रस्ताव को देश को ‘‘प्रयोगशाला’ में बदलने और नए संविधान को लागू करने में रोड़े अटकाने की ‘‘विदेशी ताकतों’ की साजिश करार दिया।पिछले 10 साल के दौरान बनी नेपाल की आठवीं सरकार की अगुवाई करने के लिए ओली पिछले अक्टूबर में प्रधानमंत्री बने थे। गठबंधन सरकार से माओवादियों द्वारा समर्थन वापस ले लिए जाने के बाद ओली अविश्वास प्रस्ताव का सामना कर रहे थे। अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के लिए तैयार बैठे सांसदों से 64 साल के ओली ने कहा, मैंने इस संसद में एक नए प्रधानमंत्री के चुनाव का रास्ता साफ करने का फैसला किया है और मैंने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को सौंप दिया है। ओली ने इस्तीफा उस वक्त दिया जब सत्ता में साझेदार दो अहम पार्टियों-मधेसी पीपुल्स राइट्स फोरम-डेमोक्रेटिक और राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी-ने नेपाली कांग्रेस और प्रचंड की अगुवाई वाली सीपीएन-माओइस्ट सेंटर की ओर से उनके खिलाफ पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करने का फैसला किया। इन पार्टियों ने ओली पर आरोप लगाया था कि उन्होंने पिछली प्रतिबद्धताएं पूरी नहीं कीं। ओली की जगह लेने के लिए प्रबल दावेदार बताए जा रहे माओवादी प्रमुख प्रचंड ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री पर आरोप लगाया था कि वह अहंकारी और आत्मकेंद्रित हैं। उन्होंने कहा, इससे उनके साथ काम करते रहना संभव नहीं रह गया था। बहरहाल, 598 सदस्यों वाली संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर प्रतिक्रि या जाहिर करते हुए ओली ने प्रचंड एवं अन्य की ओर से लगाए गए सभी आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने देश के नए संविधान का विरोध कर रहे मधेसियों, जिनमें ज्यादातर भारतीय मूल के हैं, की शिकायतों के निदान के लिए वार्ता का समर्थन किया। ओली ने कहा, आंदोलनकारी मधेसी पार्टियों की मांगों के मामले का निदान शांतिपूर्ण तरीकों से किया जा सकता है और उनकी मांगें पूरी करने के लिए संविधान में संशोधन किया जा सकता है।
2. आसियान में दक्षिण चीन सागर पर नहीं बनी सहमति:- दक्षिण चीन सागर में चीन की विस्तारवादी नीति के मुद्दे पर दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों का संगठन आसियान भी आम सहमति तक पहुंचने में असफल रहा है। वैसे बैठक से पूर्व आसियान ने शांति, स्थिरता और क्षेत्र के विकास के लिए प्रयास जारी रखने का वादा किया था। अधिकारियों ने बताया कि बैठक में कंबोडिया अपनी मांग पर अड़ गया कि इस मामले में चीन के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अदालत के आदेश पर विचार नहीं किया जाए। आसियान का यह सम्मेलन दक्षिण चीन सागर मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र समर्थित हेग स्थित स्थायी मध्यस्थता न्यायालय (पंचाट) द्वारा इस महीने के शुरू में दी गई व्यवस्था के बाद पहली बड़ी क्षेत्रीय वार्ता है। पंचाट ने कहा था कि दक्षिण चीन सागर पर चीन का ऐतिहासिक अधिकार नहीं है। समुद्री जल-सीमा विवाद में यह फिलीपींस की जोरदार जीत थी। चीन ने हालांकि इस फैसले को मानने से इन्कार कर दिया था। दक्षिण चीन सागर के अधिकतर हिस्से पर चीन अपना दावा करता है। आसियान सदस्य फिलीपींस, वियतनाम, मलेशिया और ब्रुनेई भी इस पर अपना दावा करते हैं। चीन का कहना है कि पंचाट के आदेश का दक्षिण चीन सागर में उसके अधिकार से कोई संबंध नहीं है। उसने अदालती कार्रवाई को ढोंग करार दिया है। आसियान के अधिकारियों ने बताया कि फिलीपींस और वियतनाम चाहते थे कि संगठन के देशों के विदेश मंत्री अंतरराष्ट्रीय कोर्ट के आदेश के हवाले से सरकारी सूचना जारी करें।
3. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का आकलन : मंद पड़ गई है सुधारों की रफ्तार:- अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारत में छह प्रमुख क्षेत्रों में सुधारों को आगे बढ़ाने की जरूरत पर बल देते हुए आगाह किया है कि देश में कंपनियों और बैंकों की बैलेंश-शीट की कमजोरी, आर्थिक सुधारों की धीमी पड़ती गति और मंद निर्यात से पैदा चुनौतियां उसकी आर्थिक वृद्धि को प्रभावित कर सकती हैं।आईएमएफ ने हाल ही में जारी अनुमान में कहा है कि भारत की आर्थिक वृद्धि चालू वित्त वर्ष में 7.4 प्रतिशत रहेगी। इस नियंतण्र संस्था का कहना है कि देश की अर्थव्यवस्था की हालत सुधर रही है और इसमें कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट, सकारात्मक नीतिगत निर्णयों और बेहतर आत्मविास ने काफी मदद मिली है। अंतरराष्ट्रीय संस्थान ने यह बात नियंतण्र आर्थिक संभावनाओं और चुनौतियों के बारे में अपने दस्तावेज ‘‘नोट ऑन ग्लोबल प्रॉस्पेक्टस एंड पॉलिसी चैलेंज’ दस्तावेज में कही है।यह दस्तावेज यहां होने वाली जी20 समूह के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गर्वनरों की यहां चल रही दो दिवसीय बैठक के लिए तैयार किया गया है।
4. जीएसटी पर फैसला राज्यों से विमर्श के बाद:- जीएसटी से संबंधित संविधान संशोधन विधेयक का राज्य सभा में इस सप्ताह चर्चा के लिए आना राज्यों के साथ वित्त मंत्री अरुण जेटली की बैठक पर निर्भर करेगा। मंगलवार को राज्यों के वित्त मंत्रियों की समिति के साथ जेटली की होने वाली बैठक में कांग्रेस की तरफ से उठाई गई मांगों पर विचार-विमर्श होगा। राज्य यदि इन बदलावों को स्वीकार करते हैं, तो इस सप्ताह विधेयक को चर्चा के लिए पेश किया जा सकता है। बीते कुछ दिनों से वित्त मंत्री लगातार कांग्रेस के साथ इस विधेयक पर सहमति बनाने का प्रयास कर रहे हैं। इस दौरान कांग्रेस ने विधेयक में कुछ बदलावों का प्रस्ताव भी किया है। इनमें से एक है उत्पादक राज्यों को मिलने वाले एक फीसद अतिरिक्त जीएसटी के प्रावधान का। कांग्रेस विधेयक से इस प्रस्ताव को हटाने की मांग कर रही है। यह मसला सीधे राज्यों से जुड़ा है। लिहाजा केंद्र के लिए इस पर राज्यों को विश्वास में लेना आवश्यक है। मंगलवार को होने वाली बैठक में वित्त मंत्री की कोशिश होगी कि राज्यों को इस बात के लिए मनाया जाए। शुक्रवार को ही संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने राज्य सभा को बताया था कि आने वाले सप्ताह में जीएसटी पर चर्चा होगी। वैसे साल 2009 में जीएसटी के लिए संविधान संशोधन विधेयक का प्रस्ताव खुद कांग्रेस ने ही किया था। लेकिन अब कांग्रेस चाहती है कि जीएसटी के तहत टैक्स की सीमा 18 फीसद तय कर दी जाए। साथ ही उत्पादक राज्यों को एक फीसद अतिरिक्त जीएसटी देने के प्रावधान को भी कांग्रेस वापस लेने की मांग कर रही है। अब तक जीएसटी का विरोध कर रही कांग्रेस का यह भी मानना है कि राजस्व को लेकर केंद्र और राज्यों के बीच होने वाले विवाद के लिए एक स्वतंत्र तंत्र तैयार किया जाना चाहिए। हालांकि, वित्त मंत्रलय में प्रमुख आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्राण्यम की सिफारिश के बाद वित्त मंत्री एक फीसद अतिरिक्त शुल्क का प्रस्ताव वापस लेने को राजी हो गए हैं। लेकिन इस पर अमल के लिए राज्यों की सहमति आवश्यक है।
5. शहरी इंटरनेट कनेक्शनों के मामले में तमिलनाडु अव्वल:- देश में सबसे ज्यादा शहरी इंटरनेट कनेक्शनधारियों की संख्या तमिलनाडु में है और यह देश के कुल 23.1 करोड़ शहरी इंटरनेट कनेक्शनधारियों के नौ प्रतिशत के बराबर है। इसके अलावा महाराष्ट्र और दिल्ली इस मामले में लगभग दूसरे स्थान पर हैं। तमिलनाडु में शहरी इंटरनेट कनेक्शनधारियोें का आधार 2.1 करोड़ है जबकि महाराष्ट्र में यह 1.97 करोड़ और दिल्ली में 1.96 करोड़ है। इसके बाद कर्नाटक का स्थान है जहां मार्च 2016 तक के आंकड़ों के मुताबिक शहरी इंटरनेट कनेक्शनधारियों की संख्या 1.7 करोड़ है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में शहरी इंटरनेट कनेक्शनधारियों की संख्या 23.1 करोड़ है जबकि ग्रामीण इलाकों में यह संख्या 11.2 करोड़ है।

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