1.रेल के जरिये तिब्बत-नेपाल को भारत से जोड़ना संभव:- चीन अब दुर्गम हिमालय क्षेत्र में रेलवे का जाल बिछाने की परियोजना पर काम कर रहा है। नेपाल और भारत को रेल से जोड़ने की योजना है। चीन की नजर खासतौर पर हर चीज के लिए भारत की ओर ताकने वाले नेपाल पर है। हालांकि, चीन समर्थक केपी शर्मा ओली के प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद बीजिंग की चिंताएं बढ़ गई हैं। बीजिंग यूनिवर्सिटी में विज्ञान और तकनीक विभाग के उप निदेशक जोंग गंग ने हिमालय क्षेत्र में रेलवे नेटवर्क को आर्थिक और तकनीकी रूप से संभव बताया है। सरकारी समाचार पत्र ‘चाइना डेली’ की रिपोर्ट में विशेषज्ञों के हवाले से कहा गया है कि रेल के जरिये पहले शीगेज शहर (तिब्बत) को जीरोंग और फिर नेपाल से जोड़ा जा सकता है। वर्ष 2006 में तिब्बत को रेल लाइन से चीन के शेष हिस्से से जोड़ा गया था। बाद में शीगेज भी लहासा से जुड़ गया था। चीन अब नेपाल और तिब्बती काउंटी यादोंग को रेल से जोड़ने की तैयारी में है। यह क्षेत्र सिक्किम के समीप है। चीनी अधिकारियों ने भविष्य मंा भारत को भी इस नेटवर्क से जोड़ने की बात कही है। पत्र में शगेज-यादोंग-बुरांग के बीच संभावित रेल लाइन का नक्शा भी प्रकाशित किया गया है। यह क्षेत्र भारत के दो रायों सिक्किम उत्तराखंड की सीमा से लगता है। ओली ने चीन के साथ ट्रांजिट संधि पर हस्ताक्षर किए थे। बीजिंग को लगता है कि प्रचंड के प्रधानमंत्री बनने से नेपाल में भारत का प्रभाव फिर से बढ़ जाएगा। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि समझौते से मुकरना प्रचंड के लिए आसान नहीं होगा।
2. खुदरा महगाई का लक्ष्य तय :- आम लोगों को बढ़ती कीमतों के दंश से राहत दिलाने को सरकार ने अगले पांच साल के लिए खुदरा महंगाई दर का लक्ष्य चार प्रतिशत तय किया है। महंगाई के इस लक्ष्य में सिर्फ दो प्रतिशत उतार-चढ़ाव की इजाजत होगी। इस मुद्रास्फीति दर के लगातार तीन तिमाहियों में औसतन छह प्रतिशत से ऊपर या दो प्रतिशत से नीचे रहने पर रिजर्व बैंक (आरबीआइ) को महंगाई काबू रखने में विफल माना जाएगा। ऐसी स्थिति में आरबीआइ को सरकार को महंगाई बढ़ने की वजह बतानी होगी। साथ ही, यह भी बताना होगा कि कौन-कौन से उपायों से और कितने समय में इसे लक्ष्य के भीतर लाया जा सकता है। वित्त मंत्रलय ने शुक्रवार को यह लक्ष्य तय करते हुए एक अधिसूचना संसद के पटल पर रखी। सरकार ने खुदरा महंगाई दर का लक्ष्य तय करने को बीत वर्ष फरवरी में आरबीआइ के साथ मौद्रिक नीति फ्रेमवर्क समझौता किया था। इसके बाद ही रिजर्व बैंक कानून 1934 की धारा 45जेडए में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए 31 मार्च, 2021 तक के लिए महंगाई का यह लक्ष्य तय किया है। केंद्र सरकार छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) नियुक्त करेगी। यह समिति महंगाई के लक्ष्य को ध्यान में रखकर ब्याज दरें तय करेगी। इस समिति के अध्यक्ष आरबीआइ के गवर्नर होंगे। नीतिगत ब्याज दरें तय करने का फैसला बहुमत के आधार पर होगा। सरकार ने 2021 तक के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा महंगाई दर का जो लक्ष्य तय किया है, उसमें सिर्फ दो प्रतिशत ऊपर या नीचे उतार-चढ़ाव की गुंजाइश होगी। इसका मतलब यह है कि पांच साल में महंगाई दर अधिकतम छह प्रतिशत तक ही जा सकेगी। लगातार तीन तिमाही तक अगर खुदरा महंगाई दर इससे अधिक या दो प्रतिशत से नीचे रहती है तो महंगाई नियंत्रित करने का लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सका है। ऐसी स्थिति में रिजर्व बैंक को केंद्र सरकार को बताना होगा कि आखिर किस वजह से महंगाई का लक्ष्य हासिल नहीं हो पाया है। साथ ही महंगाई नीचे लाने के उपाय भी बताने होंगे। इसके लिए समयसीमा भी बतानी होगी। खुदरा महंगाई दर इस साल जून में बढ़कर 5.77 प्रतिशत रही। माना जा रहा है कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने पर महंगाई दर और ऊपर जा सकती है।
3. एडीआर की रिपोर्ट : केंद्र के 18%; राज्यों के 19% मंत्री अपहरण, हत्या के आरोपी :- राज्य सरकारों के 34 प्रतिशत मंत्रियों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं जबकि 76 प्रतिशत मंत्री करोड़पति हैं। उनकी औसत सम्पत्ति 8.59 करोड़ रपए है। यह निष्कर्ष एक नए अध्ययन में आया है जिसमें यह बात भी सामने आयी है कि केंद्रीय मंत्रिपरिषद के 31 प्रतिशत मंत्रियों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। यह रपट 29 राज्य विधानसभाओं और दो संघशासित प्रदेशों के 620 में से 609 मंत्रियों और केंद्रीय मंत्रिपरिषद के 78 मंत्रियों द्वारा घोषित विवरणों के विश्लेषण पर आधारित है।दिल्ली की अनुसंधान संस्था एसोसिएशन आफ डेमोक्रेटिक रिफार्म्स (एडीआर) ने अपनी इस रपट में कहा है, ‘‘राज्यों की विधानसभाओं से 609 मंत्रियों के विश्लेषण में 462 (76 प्रतिशत) करोड़पति पाए गए हैं।’ इनमें सबसे अधिक संपत्ति आंध्र प्रदेश में तेलगु देशम पाटी सरकार के मंत्री पोंगुरू नारायण हैं जिनके पास 496 करोड़ रपए की परिसंपत्ति है। उनके बाद कर्नाटक में कांग्रेस मंत्री के डी के शिवकुमार आते हैं जिनके पास 251 करोड़ रपए की परिसंपत्ति है।रपट में कहा गया, ‘‘609 मंत्रियों में से 210 (34 प्रतिशत) मंत्रियों ने जानकारी दी है कि उनके खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं।’ केंद्रीय मंत्रिपरिषद 78 मंत्रियों में से 24 (31 प्रतिशत) ने अपने खिलाफ आपराधिक मामलों का खुलासा किया है।’ राज्य सरकारों के 113 मंत्रियों के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण और महिलाओं के प्रति हिंसा समेत गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। लोकसभा और राज्यसभा से केंद्र सरकार में मंत्री बनाए गए 78 सदस्यों में से 14 ने अपने खिलाफ गंभीर आपराधिक मामलों का खुलासा किया है। जिन राज्यों के मंत्रियों के खिलाफ सबसे अधिक गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं उनमें झारखंड (नौ), दिल्ली (चार), तेलंगाना (नौ), महाराष्ट्र (18), बिहार (11) और उत्तराखंड (दो) शामिल हैं। एडीआर ने कहा कि राज्य की विधानसभाओं से मंत्री बनाए गए हर मंत्री के पास औसतन 8.59 करोड़ रपए की सम्पत्ति है। इसके मुकाबले केंद्रीय मंत्रिपरिषद के मंत्रियों की औसत सम्पत्ति 12.94 करोड़ रपए है। राज्यों में आपराधिक मामलों का सामना करने वाले मंत्रियों की औसत सम्पत्ति 9.52 करोड़ रपए और किसी प्रकार के आपराधिक मामलों से मुक्त मंत्रियों की औसत सम्पत्ति 8.10 करोड़ रपए है। आंध्र प्रदेश में मंत्रियों (20 मंत्री) की औसत सम्पत्ति 45.49 करोड़ रपए है। उसके बाद कर्नाटक (31 मंत्री) 36.96 करोड़ रपए और अरणाचल प्रदेश (सात मंत्री) औसत सम्पत्ति 32.62 करोड़ रपए है। उक्त 609 मंत्रियों में से 51 महिलाएं हैं और सबसे अधिक महिला मंत्री मध्य प्रदेश से हैं जिसके बाद तमिलनाडु का स्थान है।सबसे अमीर और सबसे गरीब, दोनों मंत्रियों के नाम में 'नारायण' जुड़ा है। लेकिन इनकी संपत्ति में करीब 75 हजार गुना का अंतर है। इनमें आंध्र में टीडीपी के पोंगुरु नारायण सबसे अमीर, जबकि यूपी में सपा के तेज नारायण पांडे सबसे गरीब हैं।
4. गुजरात : रूपाणी नए मुख्यमंत्री, नितिन पटेल होंगे राज्य के पहले उप मुख्यमंत्री:- गुजरात का नया मुख्यमंत्री चुनने के लिए शुक्रवार को दो घंटे चली विधायक दल की बैठक में खासा उलटफेर हो गया। दौड़ में आगे नजर आ रहे नितिन पटेल की जगह भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विजय रूपाणी को नया मुख्यमंत्री चुना गया। पटेल उप मुख्यमंत्री होंगे। गुजरात में पहली बार किसी को उप मुख्यमंत्री बनाया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री के चयन पर पूर्व सीएम आनंदीबेन और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के बीच बहस भी हो गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हस्तक्षेप के बाद रूपाणी के नाम पर सर्वसम्मति से मुहर लगी। शपथ ग्रहण समारोह रविवार को होगा।
5. दिल्ली की दो याचिकाओं पर एकसाथ होगी सुनवाई:- उच्चतम न्यायालय दिल्ली के आप सरकार की दो याचिकाओं पर अब एकसाथ सुनवाई करेगा। एक याचिका दिल्ली को राज्य घोषित करने की मांग से जुड़ी है जो पहले से ही सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन है। दूसरी अपील दिल्ली को एक केंद्र शासित प्रदेश एवं उपराज्यपाल को उसका प्रशासनिक प्रमुख बताने वाले उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ होगी। केजरीवाल सरकार ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया है कि वह उच्च न्यायालय के बृहस्पतिवार के निर्णय के खिलाफ जल्द ही एक याचिका दायर करेगी। इसके बाद न्यायमूर्ति एके सीकरी एवं न्यायमूर्ति एनवी रमण की पीठ ने यह बात कही। आप सरकार का पहले का एक मुकदमा जब सुनवाई के लिए आया तो न्यायालय ने कहा कि आप सरकार को अपने पहले के दीवानी मुकदमे को आगे बढ़ाने के बजाए दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली एक याचिका दायर करनी चाहिए। न्यायमूर्ति एके सीकरी और न्यायमूर्ति एनवी रमन की पीठ ने कहा, ‘‘‘‘ आपको दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देनी होगी। उच्च न्यायालय ने मुद्दे पर सही फैसला दिया है या गलत, उस पर उच्चतम न्यायालय एक विशेष अनुमति याचिका के तहत फैसला करेगा। इस मुकदमे का अब क्या मतलब रह जाता है? कार्यवाही को दोहराने का क्या मतलब है?’’ न्यायालय की ओर से यह टिप्पणी तब की गई, जब अरविंद केजरीवाल की ओर से पेश हुई वकील इंदिरा जयसिंह ने पीठ को बताया कि उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ जल्दी ही एक ताजा याचिका शीर्ष अदालत में दायर की जाएगी। उन्होंने दिल्ली सरकार की ओर से पहले दायर मूल दीवानी मामले की कार्यवाही को स्थगित करने की मांग की। इस मूल मामले के तहत दिल्ली सरकार ने कई राहतों की मांग की थी, जिनमें राष्ट्रीय राजधानी को केंद्र शासित प्रदेश के स्थान पर राज्य घोषित करने की मांग शामिल थी। उन्होंने कहा कि मुकदमे और जल्दी ही दायर की जाने वाली विशेष अवकाश याचिका पर एकसाथ सुनवाई की जाए। केंद्र का पक्ष रखते हुए अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी और सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने दिल्ली सरकार की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि वे एक ही चीज के लिए दो समानांतर रास्ते नहीं अपना सकते।
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