Sunday, 21 August 2016

19 July 2016..2.विलय की भेंट चढ़ेंगी सैकड़ों शाखाएं:-

 देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) में उसके पांच सब्सिडियरी बैंकों के विलय को लेकर इन बैंकों की कर्मचारी यूनियनों में विरोध का स्वर मुखर हो रहा हो लेकिन एसबीआइ में इस विलय की तैयारी पूरे जोरों पर है। एसबीआई की एक उच्च स्तरीय समिति एसबीआइ में पांच सब्सिडियरी बैंकों स्टेट बैंक ऑफ त्रवणकोर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर और एक अन्य भारतीय महिला बैंक के विलय के रोडमैप को अंतिम रूप दे रही है। रोडमैप दो महीने के भीतर वित्त मंत्रालय में पेश किया जाएगा और तैयारी इस बात की है कि चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में उक्त सभी छह बैंकों की विलय प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। एसबीआइ की समिति ने पिछले शुक्रवार को वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक की और विलय प्रक्रिया पर लंबा विचार विमर्श किया। समिति ने वित्त मंत्रालय ने बताया है कि बड़ी संख्या में विलय के बाद बैंक शाखाओं को समायोजित करना होगा। विलय के बाद इन बैंकों की मौजूदा सभी शाखाएं एसबीआइ के तहत आ जाएंगी। ऐसे में एक ही क्षेत्र में एसबीआइ की सहायक बैंकों की मौजूदा शाखाओं का विलय होगा या फिर उनमें से कुछ शाखाओं को बंद किया जाएगा। इसका सबसे ज्यादा असर आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र में पड़ेगा क्योंकि इन राज्यों के कई इलाकों में स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद और स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर की शाखाएं स्थित हैं। दर्जनों ऐसे इलाके हैं जहां इन तीनों बैंकों के साथ ही एसबीआइ की भी शाखाएं हैं। अभी सोच यह है कि जितनी भी बड़ी कॉरपोरेट शाखाएं हैं, उन्हें बरकरार रखा जाए और आम ग्राहकों से डील करने वाली शाखाओं को मिला दिया जाए। विलय की तैयारी में जुटी समिति के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती मानव संसाधन प्रबंधन को लेकर आने वाली है। एसबीआइ व इसके पांच सब्सिडियरियों में कर्मचारियों और अधिकारियों की संख्या 301,471 के करीब है। इसमें 1.08 लाख अधिकारी हैं जबकि 1.35 लाख लिपिकीय कर्मचारी हैं। जबकि शेष इससे नीचे की श्रेणी के कर्मचारी हैं। शाखाओं के एकीकरण और एक ही प्रबंधन होने की वजह से बड़ी संख्या में कर्मचारियों और अधिकारियों की संख्या घटाने की जरूरत पड़ेगी। सूत्रों के मुताबिक, वैसे भी भारतीय स्टेट बैंक और इसके सभी सब्सिडियरी संयुक्त तौर पर कुल व्यय का लगभग 16.25 फीसद वेतन पर खर्च करते हैं। देश में अन्य बैंकों के मुकाबले यह खर्च सबसे ज्यादा है। मसलन, अगर सभी सरकारी बैंक संयुक्त तौर पर कुल व्यय का 11.80 फीसद वेतन पर खर्च करते हैं। सूत्रों के मुताबिक श्रमशक्ति को नए माहौल के मुताबिक चुस्त-दुरुस्त बनाने के लिए बैंक विलय के बाद मौजूदा कर्मचारियों के लिए स्वैछिक सेवानिवृत्ति की योजना (वीआरएस) लाना भी एक विकल्प है। सनद रहे कि पूर्व की राजग सरकार के कार्यकाल में भी सरकारी बैंकों के लिए वीआरएस योजना लागू की गई थी।

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